Love You Zindagi – 30
Love You Zindagi – 30

रुचिका के पापा मोंटी और उसके मम्मी पापा के साथ घर पहुंचे। रुचिका अपने कमरे में थी और उसकी मम्मी किचन में वही कुकू हॉल में उन सबके आने का इंतजार कर रही थी। सभी अंदर आये जैसे ही कुकू ने मोंटी को देखा ख़ुशी से अपना हाथ हिलाया। शर्मा जी ने जब घूरकर उसे देखा तो झेंपते हुए उसने हाथ नीचे किया और मोंटी के मम्मी पापा से कहा,”नमस्ते अंकल , नमस्ते आंटी”
“नमस्ते बेटा कैसी हो ?”,मोंटी के पापा ने कहा
“मैं ठीक हूँ अंकल आप लोग बैठिये मैं मम्मा को बुलाकर लाती हूँ”,कहकर कुकू किचन की तरफ चली गयी। मोंटी के मम्मी पापा सोफे पर आ बैठे। रुचिका के पापा ने देखा मोंटी अभी तक खड़ा है तो उन्होंने मोंटी से बैठने का इशारा किया।
मोंटी सोफे पर आ बैठा और रुचिका के पापा ठीक उसके सामने खाली पड़े सोफे पर , मोंटी ने नजरे उठाकर उन्हें देखा और फिर नजरे झुका ली। रुचिका की मम्मी किचन से बाहर आयी सबको नमस्ते कहा और सोफे पर आ बैठी। सभी खामोश बैठे इधर उधर देखते रहे , कुछ देर बाद कुकू चाय लेकर हॉल में आयी और कहा,”चाय,,,,,,,,!!”
“चाय लीजिये भाईसाहब”,रुचिका के पापा ने अपने समधी से कहा और फिर सब चाय पीने लगे। कुकू वहा से अंदर चली गयी क्योकि बड़ो के बीच बैठने की परमिशन उसे नहीं थी। चाय खत्म करने के बाद मोंटी के पापा ने अपना गला साफ किया और कहा,”देखिये भाईसाहब मोंटी और बहु ने गुस्से में आकर जो भी कदम उठाया वो सही नहीं है और ऐसी छोटी मोटी लड़ाई झगडे तो पति पत्नी के बीच होते ही रहते है। बेहतर इसी में है कि इन दोनों को एक मौका दिया जाये ताकि ये अपनी गलती सुधार ले”
रुचिका के पापा ने मोंटी को देखा और गुस्से से कहा,”गलती तो तब सुधरेगी ना समधी जी जब दामाद जी का दिमाग शांत होगा ,, आप ज़रा पूछिए अपने बेटे से उस दिन ऐसा क्या गलत कह दिया मैंने इनसे जो ये बिना बताये घर से चले गए और यहाँ इनकी सास खाने के लिए इनका इंतजार कर रही थी,,,,,,,,,,,!!”
मोंटी के पापा ने एक नजर मोंटी को देखा और कहा,”ये बच्चा है गर्म खून है छोटी छोटी बातो को दिल पर ले लेना आजकल के बच्चो की आदत है पर आप और हम तो बड़े है हमे तो बच्चो को समझाना चाहिए। बहू को भी पति पत्नी के बीच की बात को यू आपको नहीं बताना चाहिए था,,,,,,,,,,,!!”
“तो आप ये कहना चाह रहे है कि एक बेटी अपनी परेशानी अपने बाप को ना बताये,,,,,,,,!!”,रुचिका के पापा ने थोड़ा गुस्से से कहा
“नहीं बिल्कुल नहीं आप उसके पिता है वो आपको बता सकती है लेकिन आप से भी पहले उसे मोंटी से इस बारे ने बात करने की जरूरत थी। कई बार क्या होता है बिना एक दूसरे से बात किये हम अपनी समस्याओ के लिए दुसरो से सलाह लेना शुरू कर देते है , अब सामने वाले को क्या पता कि हमारे जीवन में क्या चल रहा है ? अब रुचिका आपकी बिटिया है वो आपसे आकर कुछ कहेगी तो आप पहले उसकी बात का विश्वास करेंगे या मोंटी का ? आप रुचिका की बात को सही मानेंगे वैसे ही जैसे हमने मोंटी की बात को सच माना पर गलत तो दोनों है ना,,,,,,,,,,,,,,
अगर ये दोनों अपनी शादी में परेशान थे तो पहले इन्हे बैठकर एक दूसरे से बात करने की जरूरत थी उसके बाद नहीं समझ आता तो हम बैठे थे ,, बहु अपने घर चली आयी उसने हम या इनसे बात काहे नहीं की ?”,मोंटी के पापा ने मोंटी की मम्मी की तरफ इशारा करके कहा
रुचिका के पापा को धीरे धीरे बात समझ आ रही थी। उन्होंने गुस्से से थोड़ा तेज आवाज में कहा,”रूचि , रूचि”
रुचिका अपने कमरे से बाहर आयी उसने एक नजर मोंटी को देखा जो कि सर झुकाये खड़ा था और अपने पापा के पास आकर कहा,”जी पापा !”
“तुम्हारे और दामाद जी के बीच जब बात बिगड रही थी तब क्या तुमने अपने सास ससुर को बताया ?”,रुचिका के पापा ने कठोरता से पूछा
“न नहीं पापा”,रुचिका ने कहा
“अब आप बताईये जब हमे किसी बात का पता ही नहीं होगा तो बेटा बहू को क्या समझायेंगे ? अरे दोनों बच्चे घर से दूर अपनी अलग दुनिया में रहते है , वहा क्या हो रहा है क्या नहीं ये आपको और हमको तो बताने से पता चलेगा न ?”,मोंटी के पापा ने कहा
“भाईसाहब मैं मानती हूँ दोनों बच्चो ने छोटी सी बात को खींचकर इतना बड़ा बना लिया लेकिन दामाद जी को रूचि पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था”,इस बार रुचिका की मम्मी ने धीरे से कहा
मोंटी के पापा ने जैसे ही सुना कि मोंटी ने रुचिका पर हाथ उठाया है तो उन्होंने अपनी जगह से उठते हुए गुस्से में कहा,”इसकी इतनी हिम्मत कि जे घर की लक्ष्मी पर हाथ उठाये इसे तो हम,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए उन्होंने मोंटी को मारने के लिए जैसे ही हवा में हाथ उठाया रुचिका बोल पड़ी,”पापा , मोंटी ने कुछ नहीं किया है सब मेरी ही गलती थी,,,,,,,,,,,,,मैंने मोंटी से नाराज होकर पापा से झूठ कहा कि मोंटी हाथ उठाया है।”
मोंटी के पापा रुक गए और हैरानी से रुचिका को देखने लगे , साथ ही रुचिका के मम्मी पापा भी हैरान थे कि रुचिका ने उनसे ऐसा झूठ क्यों कहा ? लेकिन सामने बैठा मोंटी जानता था कि उसे बचाने के लिए रुचिका झूठ बोल रही है। उसने रुचिका की तरफ देखा तो रुचिका की नजरे उसकी नजरो से जा मिली , मोंटी का दिल धड़का और उसने कहा,”रुचिका झूठ कह रही है , गुस्से में आकर मैंने रुचिका पर हाथ उठाया था”
रुचिका ने सुना तो नम आँखों से मोंटी को देखने लगी
रुचिका और मोंटी दोनों के पापा एक दूसरे को हैरानी से देखने लगे और फिर मोंटी के पापा ने चिढ़ते हुए कहा,”या तो तुम दोनों झगड़ लो या फिर एक दूसरे की तरफदारी कर लो,,,,,,,,,,,,जब तुम दोनों को एक दूसरे की इतनी परवाह है तो फिर जे सब नाटक क्यों फैलाया है ? क्यों दोनों घरो को परेशान कर रहे हो ?”
“शांत हो जाईये भाईसाहब मुझे लगता है हमे ये फैसला इन दोनों को करने देना चाहिए कि इन्हे आगे साथ रहना है या नहीं,,,,,,,,,,,,,आप दोनों अकेले में जाकर बात कर सकते है,,,,,,,,,,!!”,रुचिका के पापा ने कहा तो मोंटी कुछ देर खामोश वही बैठा रहा और फिर उठकर रुचिका के साथ चला गया।
मोंटी के मम्मी पापा और रुचिका के मम्मी पापा आपस में बाते करने लगे। काफी समय बाद दोनों परिवार मिले थे और अपने बच्चो की गलती की वजह से इस मिलने के आनदं को ख़राब करना नहीं चाहते थे।
“हमने सुना है आपके यहाँ कि कचौड़िया बहुत फेमस है,,,,,,,,,,,,!!”,बातों बातों में मोंटी के पापा ने कहा
“सही सुना है आपने इसी बात पर क्यों ना गर्मागर्म कचौड़िया हो जाये,,,,,,,,!!”,रुचिका के पापा ने खुश होकर कहा
“मैं अभी बनाती हु”,रुचिका की मम्मी ने उठते हुए कहा तो मोंटी की मम्मी भी उनकी मदद करने उनके साथ साथ चली गयी। मोंटी की मम्मी जहा घबरा रही थी कि कही मोंटी और रुचिका की शादी में किसी तरह की कोई परेशानी ना आ जाये वही रुचिका के पापा और मोंटी के पापा की समझदारी ने इस शादी को टूटने से बचा लिया और रुचिका मोंटी को भी एक सबक मिल गया।
घर की बालकनी में रुचिका और मोंटी खामोश खड़े थे , दोनों में से पहले शुरुआत कौन करे समझ नहीं आ रहा था ? लेकिन आज ये ख़ामोशी भी मोंटी को अच्छी लग रही थी,,,,,,,,,,,,,उसे वो पल याद आ गया जब वह पहली बार रुचिका के घर आया था शादी का रिश्ता लेकर,,,,,,,,,,,,,,,!!”
आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
मिसेज शर्मा अपने किचन में सुबह का नाश्ता बना रही थी कि तभी उनके कानो में आवाज पड़ी,”जीतेगी भई जीतेगी , मिसेज आहूजा जीतेगी,,,,,,,,,,,,,,हमारी लीडर कैसी हो ? मिसेज आहूजा जैसी हो,,,,,,,,,,,,!!”
मिसेज शर्मा ने गैस बंद किया और किचन से बाहर आयी। घर का दरवाजा खुला था इसलिए आवाज अंदर तक आ रही थी , मिसेज शर्मा बाहर आयी और देखा मिसेज आहूजा टिपटॉप बनकर अपार्टमेंट की कुछ महिलाओ के साथ एक एक करके सभी फ्लेट के सामने जाती और उनसे वोट देने की बात करती , बीच बीच में उनके साथ चल रहे लोग नारे भी लगा रहे थे। मिसेज शर्मा ने मुंह बनाया और जैसे ही जाने लगी एक महिला की आवाज उनके कानों में पड़ी
“क्या बात है मिसेज आहूजा , लगता है इस बार सोसायटी इलेक्शन में लीडर आप ही बनेगी और आप ही जीतेंगी,,,,,,,,,,,,!!”
मिसेज आहूजा ने सुना तो ठहाका मारकर हंसी और कहा,”एकदम सही कहा मिसेज सोनी , लेकिन अपनी जीत से ज्यादा ख़ुशी मुझे कुछ लोगो की हार पर होगी,,,,,,,,,,,मेरे खिलाफ सोसायटी इलेक्शन में खड़े होने की गलती तो लोग पहले ही कर चुके है , अब देखियेगा हार का तमाचा कैसे उनके मुंह पर पड़ता है ? कही मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगी”
मिसेज शर्मा ने सुना और गुस्से का घूंठ निगलकर अंदर चली आयी। उन्होंने दरवाजा बंद किया और भुनभुनाते हुए किचन की तरफ चली आयी। उन्हें भी मिसेज आहूजा की तरह सोसायटी में लोगो से वोट मांगने जाना था लेकिन घर में इतना काम था और शीतल भी यहाँ नहीं थी। झुंझलाते हुए उन्होंने खुद से कहा,”मेरी ही गलती है मुझे इस वक्त में शीतल को घर से बाहर भेजना ही नहीं चाहिए था,,,,,,,,,,,,,,,,,,अब पता नहीं वो कब लौटेंगी और यहाँ ये मिसेज आहूजा सब वोट अपने हक़ में ले लेंगी,,,,,,,,,,,,,!!”
“क्या हुआ भाग्यवान ? सुबह सुबह अकेले में किस से बाते कर रही हो ?”,मिस्टर शर्मा ने हॉल में पड़े अख़बार को उठाकर सोफे पर बैठते हुए पूछा
मिसेज शर्मा उनके लिए चाय लेकर आयी और कहा,”किस से क्या खुद से ही बाते कर रही हूँ ? वो मिसेज आहूजा , सोसायटी की औरतो को लेकर अपने साथ घूम रही है ,, मुझे तो लगता है इस बार वही जीतेगी,,,,,,,,,,!!”
“तुम क्यों खामखा परेशान हो रही हो , अपार्टमेंट के लोग बहुत समझदार है उन्हें पता है किसे अपना लीडर बनाना है और किसे नहीं इसलिए तुम ये सब चिंता छोडो और बताओ नाश्ते में क्या है ?”,मिस्टर शर्मा ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा
“आपको तो बस खाने की पड़ी है , कुछ नहीं बनाया है मैंने ये चाय है और वो रहा बिस्किट का डिब्बा,,,,,,,,,,,,,,मैं भी जा रही हूँ अपने लिए वोट सेव करने,,,,,,,,,,!!”,मिसेज शर्मा ने गुस्से से भुनभुनाते हुए कहा और वहा से चली गयी
“अरे लेकिन मेरा नाश्ता,,,,,,,,,,!!”,मिस्टर शर्मा ने पीछे से आवाज दी तो मिसेज शर्मा ने जाते जाते पलटकर कहा,”मिस्टर आहूजा की तरह खुद बना लीजिये,,,,,,,,,जैसे वो अपनी पत्नी को सपोर्ट करते है पता नहीं आप कब करेंगे ?”
मिसेज शर्मा के जाने के बाद मिस्टर शर्मा ने चाय का कप उठाया और एक घूंठ भरकर कहा,”उसे सपोर्ट नहीं बीवी का डर कहते है,,,,,,,,,,,,!!
राज मिसेज आहूजा से मिलने आया था लेकिन अपार्टमेंट में उसका आना मना था इसलिए वह बाहर ही उनका इंतजार करने लगा। बालकनी में खड़ी बिट्टू ने जब राज को सोसायटी के गेट के बाहर खड़े देखा तो उसे कैफे वाली बात याद आ गयी। राज के बारे में वह कुछ नहीं जानती थी उसे बस इतना पता था कि उसकी मम्मी इस लड़के के साथ कैफे में बैठी थी लेकिन क्यों ये बिट्टू नहीं जानती थी। वह पढ़ने के बहाने बालकनी में यहाँ वहा घूमते हुए राज पर नजर रखने लगी।
कुछ देर बाद जैसे ही उसकी नजरे राज से मिली राज ने मुस्कुरा कर उसे देखा और अपना हाथ हिला दिया। बिट्टू जल्दी से पलट गयी , वह राज को नहीं जानती थी इसके बावजूद उसने ऐसा क्यों किया ? डरते डरते बिट्टू ने उस तरफ फिर देखा तो पाया राज उसे ही देख रहा था। घबराकर उसने किताब बंद की और अंदर चली गयी।
राज को फ्लैट की तरफ देखते पाकर मिसेज आहूजा ने उसकी बांह पकड़ी और उसे साइड में लाकर कहा,”तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? और क्या देख रहे हो ऊपर ?”
“मैं आपसे ही मिलने आया था , उस दिन आपने मुझसे कहा था आप ये इलेक्शन जीतने के लिए कुछ भी करेगी,,,,,,,,,,,,!!”,राज ने सीधा मुद्दे पर आते हुए कहा
“हाँ कहा था,,,,,,,,,!!”,मिसेज आहूजा ने दबी जबान में कहा
“मुझे इस अपार्टमेंट में एंट्री चाहिए अगर आपने ये कर दिया तो ये इलेक्शन मैं आपको चुटकियो में जीतवा दूंगा”,राज ने अपनी बात रखी
“तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या ? तुम जानते हो ना मिसेज शर्मा की बहू शीतल की वजह से तुम्हे इस अपार्टमेंट में आने की परमिशन नहीं है,,,,,,,,,,,,,ये मैं नहीं कर सकती कुछ और बोलो,”मिसेज आहूजा ने दाँत पीसते हुए कहा
“तो फिर क्या मैं आपके पति को हमारी ये प्यारी प्यारी तस्वीरें भेज दू,,,,,,,,,,,,मेरे ख्याल से ये उन्हें बहुत पसंद आएगी,,,,,,,,!!”,राज ने अपने फोन को मिसेज आहूजा के सामने करके कहा जिसमे कैफे वाली मुलाकात की कुछ तस्वीरें थी। ये देखकर मिसेज आहूजा हैरान रह गयी और कहा,”तो अब तुम मुझे ब्लेकमैल करोगे ?”
राज मुस्कुराया और मिसेज आहूजा के थोड़ा करीब आकर कहा,”मिसेज आहूजा अपने फायदे के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ,,,,,,,,,,,,,कल तक इस अपार्टमेंट में एंट्री या फिर आपके पति के नंबर है मेरे पास,,,,,,,,,,,,,!!”
कहकर राज वहा से चला गया और मिसेज आहूजा ने अपना सर पीटते हुए कहा,”पता नहीं किस मनहूस घडी में मैंने इस आदमी से मदद मांगी होगी और अब ये मेरे ही सर पर नाच रहा है”
“मिसेज आहूजा आप वहा क्या कर रही है सब आपका इंतजार कर रहे है,,,,,,,,,!!”,सोसायटी की एक महिला ने आवाज दी तो मिसेज आहूजा अंदर चली आयी
चंडीगढ़ , अवि का घर
विपिन जी और आराधना फ्रेश होकर कमरे से बाहर आये। सौंदर्या भोला से कहकर डायनिंग पर नाश्ता लगवा चुकी थी। शीतल ने देखा नैना के मम्मी पापा आये है तो वह उनसे आकर मिली। विपिन जी ने देखा नैना और अवि अब तक नहीं लौटे है तो उन्होंने सौंदर्या से कहा,”नैना और दामाद जी आये नहीं , मैं उन्हें फोन कर लेता हूँ,,,,,,,,,,!!”
सार्थक ने सुना तो उनके पास आया और कहा,”अरे अंकल अभी कुछ देर पहले ही मेरी नैना से बात हुयी थी उसने हम सबको बाहर ही बुलाया है , अवि के ऑफिस,,,,,,,,,आप दोनों नाश्ता कर लीजिये उसके बाद चलते है”
विपिन जी ने सुना तो उन्हें थोड़ा अजीब लगा फिर ख्याल आया कि नैना अक्सर ऐसी अजीबो गरीब चीजे करती रहती है इसलिए उन्होंने कहा,”पहले नैना से मिल लेते है उसके बाद सब साथ में ही खाएंगे,,,,,,,,,चले भाईसाहब ?”
“हाँ हाँ चलिए,,,,,,,,,,!!”,चौधरी साहब ने कहा और विपिन जी के साथ दरवाजे की तरफ बढ़ गए
सौंदर्या भी आराधना को साथ लेकर आगे बढ़ गयी। सार्थक शीतल के पास आया और उसे निबी का ख्याल रखने का बोलकर सबके साथ चला गया। शीतल निबी के पास चली आयी उसे सोते देखकर शीतल गेस्ट रूम में नहाने चली गयी।
जब वह नहाकर आयी तो उसने देखा निबी अपने कमरे में नहीं है , निबी को वहा ना देखकर शीतल घबरा गयी उसने निबी को पुरे घर में ढूंढ लिया लेकिन निबी उसे कही दिखाई नहीं दी,,,,,,,,,,,,शीतल ने सार्थक को फोन लगाया लेकिन उसका फोन नहीं लगा , शीतल को समझ नहीं आ रहा था वह क्या करे ? उसे परेशान देखकर भोला ने घर के गार्ड को बाहर देखने को कहा और वह भी शीतल के साथ निबी को ढूंढने लगा।
सार्थक सबको लेकर हॉस्पिटल पहुंचा। सभी गाड़ी से नीचे उतरे विपिन जी देखा और घबराहट भरे स्वर में कहा,”हम यहाँ क्यों आये है ?”
“मेरे साथ आईये,,,,,,,,,!!”,चौधरी साहब ने कहा और सबको साथ लेकर अंदर चले आये।
जैसे जैसे विपिन जी कदम बढ़ा रहे थे उनका दिल किसी अनहोनी के डर से धड़का जा रहा था। चौधरी साहब विपिन जी , आराधना , सौंदर्या और सार्थक के साथ वेटिंग एरिया में आकर बैठ गए।
आराधना की बेचैनी बढ़ने लगी तो उसने कहा,”भाईसहाब आप हमे हॉस्पिटल लेकर क्यों आये है ? नैना और दामाद जी कहा है ?”
चौधरी साहब आराधना के सवाल का कुछ जवाब देते इस से पहले ही अवि वहा आया और नैना के मम्मी पापा को वहा देखकर हैरान रह गया। उसने आकर उनके पैर छुए तो विपिन जी उठे और अवि के कंधो को थामकर कहा,”नैना कहा है बेटा जी ? आप यहाँ हॉस्पिटल में क्या कर रहे है ? क्या नैना को कुछ हुआ है ?”
अवि ने कुछ नहीं कहा वह बस विपिन जी आँखों में एकटक देखता रहा जिनमे डर और तकलीफ के भाव साफ साफ दिखाई दे रहे थे।
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संजना किरोड़ीवाल