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Love You Zindagi – 29

Love You Zindagi – 29

Love You Zindagi - 1 Season 3
Love You जिंदगी – 1 Season 3

रातभर अवि नैना के बगल में उसका हाथ थामे बैठा रहा। वह नैना को एक मिनिट के लिए भी अकेले छोड़ना नहीं चाहता था। इंजेक्शन का असर इतना ज्यादा था कि रात 2 बजे जाकर नैना की आंखे खुली। उसने अधखुली आँखों से अपने बगल में बैठे अवि को सोये देखा तो मुस्कुरा उठी। अवि नैना के हाथ को अपने हाथो में लिए सर बेड पर टिकाये बैठे बैठे ही सो रहा था और इस वक्त सोते हुए वह कुछ ज्यादा ही मासूम लग रहा था।

नैना ने धीरे से अवि के हाथो से अपना हाथ छुड़ाया और उसके बिखरे बालों को सही करते हुए मन ही मन खुद से कहा,”मेरी वजह से तुम्हे कितनी परेशानी उठानी पड़ रही है ना पडोसी,,,,,,,बट आई फील लकी कि तुम मेरे साथ हो , अगर तुम मेरे साथ रहे तो मैं हर बीमारी से लड़ लुंगी,,,,,,,,,,तुम्हे मेरे लिए इतना सैक्रिफाइस करते देखकर ना जाने क्यों मेरे जीने की इच्छा और ज्यादा बढ़ गयी है।

मैं चाहूंगी इस दुनिया कि हर नैना को तुम जैसा हमसफर मिले जो उसे हाल में सम्हाल सके,,,,,,,,,,,,मैंने तुमसे कभी कहा नहीं लेकिन हाँ ये सच है पडोसी कि मैं तुम से बहुत प्यार करती हूँ और तुम से दूर जाने के ख्याल भर से ही मैं डर जाती हूँ। इस जिंदगी में मैं तुम्हे खोना नहीं चाहती,,,,,,,,,,!!!”
ये सब सोचते हुए नैना की आँखों में आँसू भर आये और उसने अपना चेहरा घुमा लिया। वह नहीं चाहती थी अवि नींद से उठे और उसकी आँखों में नमी देखे।

नैना सबके सामने मजबूत बन सकती थी लेकिन अवि के सामने वह मजबूत रहने का दिखावा नहीं कर पाती थी। नैना ने अपनी आँखों के किनारों को साफ किया और एक गहरी साँस लेकर खुद को सामान्य करते हुए अपनी गर्दन अवि की तरफ घुमा ली और अपनी उंगलियों को अवि के बालों में घुमाते हुए उसका सर सहलाने लगी।


“तुम जग,,,,,,,,,,,,,!!”,नर्स ने नैना के बिस्तर की तरफ आते हुए कहा तो नैना ने दूसरे हाथ की ऊँगली को अपने होंठो पर रखा और नर्स से चुप रहने का इशारा किया , नर्स ने आगे कुछ नहीं कहा तो नैना ने इशारो इशारो में खुद के ठीक होने के बारे में बताया
 नर्स ने हामी में सर हिलाया और अपनी जगह जाकर बैठ गयी। नैना एक बार फिर अवि का सर सहलाते हुए उसे देखने लगी।

अगली सुबह चौधरी साहब और सौंदर्या नैना से मिलने हॉस्पिटल जाने की तैयारी कर रहे थे। निबी सो रही थी अनुराग के चले जाने की खबर से उसे गहरा सदमा लगा था और उसी के साथ उसकी तबियत भी खराब हो गयी। सौंदर्या ने उसे दवा देकर सुला दिया जिस से निबी को थोड़ा आराम मिले। शीतल निबी के साथ ही थी और सार्थक ने चौधरी साहब और सौंदर्या के साथ हॉस्पिटल जाना सही समझा। तीनो जाने के लिए हॉल में आये ही थे कि तभी घर की बेल बजी। बेल की आवाज सुनकर सौंदर्या ने हैरानी से चौधरी साहब को देखा।

चौधरी साहब के चेहरे पर भी परेशानी के भाव उभर आये और सार्थक का दिल धड़कने लगा  क्योकि पिछले तीन दिन से जब जब घर की बेल बज रही थी तब तब कोई नयी मुसीबत सामने खड़ी थी। बेल एक बार फिर बजी इस बार भोला ने जाकर दरवाजा खोला। मुस्कुराते हुए चेहरों के साथ विपिन जी और आराधना खड़े थे। भोला ने उन्हें देखा और चौधरी साहब की तरफ पलटकर कहा,”सर ! नैना मैडम के मम्मी पापा आये है”


चौधरी साहब और सौंदर्या ने जैसे ही सुना पहला ख्याल उन्हें यही आया कि वे आराधना और विपिन जी को नैना की बीमारी के बारे में कैसे बताएँगे ? चौधरी साहब दरवाजे के पास आये और विपिन जी से गले लगते हुए कहा,”आईये भाईसाहब ! आपने अपने आने की कोई खबर नहीं दी,,,,,,,,,,,,!!”
“मैं नैना को सरप्राइज देना चाहता था , उसके जन्मदिन पर नहीं आ पाया ना तो सोचा अब मिल लू”,विपिन जी ने मुस्कुरा कर कहा


“नमस्ते भाभी जी , आप लोग बाहर क्यों खड़े है अंदर आईये ना,,,,,,,,,!!”,चौधरी साहब ने हाथ जोड़कर आराधना को नमस्ते करते हुए कहा
“नमस्ते,,,,,,,,,कैसे है आप ?”,आराधना ने भी अपने हाथ जोड़कर कहा
“मैं ठीक हूँ , आईये अंदर आईये,,,,,,,,,,!!”,चौधरी साहब ने कहा और दोनों को साथ लेकर अंदर चले आये    
खुद को सामान्य रखते हुए सौंदर्या आराधना की तरफ बढ़ी और उनके गले लगते हुए कहा,”आपको यहाँ देखकर अच्छा लगा , कैसी है आप ?”


“मैं ठीक हूँ , आप बताईये आप कैसी है और कैसा चल रहा है आपका क्लिनिक ?”,आराधना ने मुस्कुरा कर कहा
“मैं भी ठीक हु और क्लिनिक भी,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने उनके हाथो को थामकर कहा
सार्थक को वहा देखकर विपिन जी ने ख़ुशी भरे स्वर में कहा,”अरे सार्थक तुम भी यहाँ हो , नैना के जन्मदिन पर आये होंगे,,,,,,,,,,,,शीतल बिटिया भी आयी है क्या ?”
सार्थक ने आकर विपिन जी के पैर छुए और कहा,”जी अंकल ! आपकी तरह हम लोग भी नैना को सरप्राइज देने आये थे लेकिन,,,,,,,,,,!!”


कहते कहते सार्थक मायूस हो गया तो विपिन जी ने कहा,”लेकिन क्या सार्थक ?”
“लेकिन आप दोनों ने तो हम सबको ही सरप्राइज दे दिया”,सार्थक ने कहा तो विपिन जी हंस पड़े और उसके कंधो पर अपना हाथ रखकर घर का जायजा लेते हुए कहा,”वैसे जिसे सरप्राइज देने आये है वो है कहा ? दामाद जी भी कही नजर नहीं आ रहे,,,,,,,,,”


विपिन जी और आराधना को खुश देखकर सौंदर्या उन्हें एकदम से नैना के बारे में बताना नहीं चाहती थी इसलिए मजबूरन उन्हें झूठ बोलना पड़ा और उन्होंने कहा,”नैना और अवि किसी काम से बाहर गए है , अभी थोड़ी देर में आ जायेंगे,,,,,,,,,,,,आप दोनों सफर में थक गए होंगे फ्रेश हो जाईये”
“हाँ ये ठीक रहेगा , भोला इनका सामान गेस्ट रूम में लेकर जाओ”,चौधरी साहब ने कहा तो भोला उनका सामान लेकर गेस्ट रूम की तरफ बढ़ गया और विपिन जी आराधना भी उसके पीछे चले गए  

उनके जाते ही सार्थक ने सौंदर्या से कहा,”आंटी आपने उनसे झूठ क्यों कहा ? जब उन्हें सच पता चलेगा तो उन्हें बहुत दुःख होगा , हमे उन से नैना की बीमारी के बारे में छुपाना नहीं चाहिए,,,,,,,,,,!!”
“सार्थक तुमने देखा ना नैना के पेरेंट्स कितने खुश थे उन्हें एकदम से नैना के बारे में बताकर मैं उन्हें परेशान करना नहीं चाहती थी ,,

वे लोग इतनी दूर से आये है पहले फ्रेश हो जाये , थोड़ा खा ले उसके बाद उन्हें अपने साथ सीधा हॉस्पिटल ही ले चलेंगे,,,,,,,,,,,वैसे भी अब उन से ज्यादा छुपाना सही नहीं होगा”,सौंदर्या ने कहा तो चौधरी साहब उसके पास आये और कहा,”तुम ठीक कह रही हो सौंदर्या , भोला से कहकर उनके चाय नाश्ते का इंतजाम करवाओ मैं ज़रा अवि से बात करके आता हूँ,,,,,,,,,,,!!”


चौधरी साहब वहा से चले गए और सौंदर्य किचन की तरफ चली गयी। सार्थक वही सोफे पर आ बैठा और नैना के बारे में सोचने लगा तभी उसका फोन बजा , सार्थक ने देखा उसके फोन पर मोंटी का मैसेज था।
“हे सार्थक ! क्या तुम अभी भी चंडीगढ़ में हो अवि के घर ?”
“हाँ , बताओ क्या हुआ ?” सार्थक ने लिख भेजा


“नैना का बर्थडे खत्म हुए दो दिन हो चुके है तुम दोनों अब तक वहा क्या कर रहे हो ? कही चंडीगढ़ में बसने का इरादा तो नहीं है तुम्हारा ?” मोंटी ने लिखा भेजा और साथ में कुछ हसने वाले इमोजी
“क्या तुम्हे सच में नैना के बारे में कुछ नहीं पता है ?” सार्थक ने लिखकर भेजा
“नैना के बारे में ? तुम किस बारे में बात कर रहे हो ? क्या उसे कुछ हुआ है ?” मोंटी ने भेजा


सार्थक उलझन में पड़ गया वह मोंटी को नैना के बारे में बताये या नहीं तब तक मोंटी का दुसरा मैसेज आया “सार्थक क्या हुआ है नैना को ? वो ठीक है ना ,, देखो मेरी काफी टाइम से उस से बात नहीं हुई है और मै उसके बर्थडे पर भी नहीं आ पाया। अभी मैं मम्मी पापा के साथ जयपुर जा रहा हूँ रुचिका को लेने तुम बताओ नैना को क्या हुआ ?”


 मोंटी का मैसेज देखकर सार्थक ने मन ही मन खुद से कहा,”मोंटी इस वक्त ट्रेन में उसे नैना के बारे में बताना सही नहीं रहेगा , वैसे भी उसके और रुचिका के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है उन दोनों का बात करना जरुरी है मैं उसे बाद में बता दूंगा”
“नैना ठीक है और वो तुम से बहुत गुस्सा है क्योकि तुम उसके जन्मदिन पर नहीं आये” सार्थक ने लिख भेजा


मोंटी ने मैसेज देखा तो उसे तसल्ली हुई और उसने लिख भेजा “हाँ मैं जानता हूँ लेकिन वो मुझसे ज्यादा देर गुस्सा नहीं रह सकती , मैंने उसके लिए कुछ भेजा है आज शाम तक उसे मिल जायेगा उसके बाद देखना उसका गुस्सा कैसे शांत होता है”
“जयपुर पहुंचकर रुचिका से मिलने के बाद मुझे कॉल करना , मुझे तुम से कुछ जरुरी बात करनी है और वो मैं मैसेज में नहीं बता सकता” सार्थक ने लिख भेजा


“हाँ ठीक है , टेक केयर ! नैना से कहना मैं उसे बहुत मिस कर रहा हूँ और उस से मिलने के लिए मरा जा रहा हूँ , मैं जल्दी उस से मिलने आऊंगा” मोंटी ने लिख भेजा और ऑफलाइन हो गया
सार्थक ने अपना फोन साइड में रख दिया और सोच में पड़ गया उसने मोंटी को सच ना बताकर सही किया या गलत,,,,,,,,,,!!

ट्रेन जयपुर स्टेशन पहुंची। मोंटी अपने मम्मी पापा के साथ स्टेशन से बाहर आया तो स्टेशन के बाहर रुचिका के पापा को देखकर हैरान था। वे उन लोगो को लेने
आये थे। मोंटी अपने मम्मी पापा के साथ उनके पास आया और हैरानी से उन्हें देखने लगा तो मोंटी के पापा ने मोंटी को उनके आगे धकियाते हुए कहा,”खड़े खड़े देख क्या रहे हो पैर छुओ”


“अरे बस बस , खुश रहिये,,,,,,,,,,,आपको आने में कोई तकलीफ तो नहीं हुई भाईसाहब ?”,रुचिका के पापा ने मोंटी को आशीर्वाद देकर उसके पापा से कहा
“तकलीफ तो बच्चे दे रहे है भाईसाहब,,,,,,,,,,!!”,मोंटी के पापा ने मोंटी की तरफ देखकर कहा
रुचिका के पापा उनकी बात समझ गए इसलिए कहा,”आईये घर चलकर बात करते है , भाभी जी लाईये बैग मुझे दीजिये”


रुचिका के पापा सामान दिग्गी में रखने लगे ये देखकर मोंटी उनके साथ आया और कहा,”ये सब मैं रख देता हूँ”
रुचिका के पापा ने एक नजर मांटी को देखा और वहा से चले गए। मोंटी ने एक गहरी साँस ली और सामान दिग्गी में रखने लगा। रुचिका के पापा को इतना शांत देखकर मोंटी अंदर ही अंदर घबरा भी रहा था क्योकि ये शांति आने वाले तूफान की शांति जो थी।
मोंटी ने सामान रखा और अपनी मम्मी के साथ पीछे आ बैठा। गाडी घर के लिए निकल गयी।

“ये अच्छा नहीं लग रहा , अह्ह्ह्ह ये अभी अच्छा नहीं लग रहा”,रुचिका एक के बाद एक सूट बिस्तर पर फेंके जा रही थी। ऐसा करते हुए उसने बिस्तर पर कपड़ो का ढेर लगा दिया। बेचारी कुकू ख़ामोशी से उसे देखे जा रही थी। वह उठी और कबर्ड से एक सफ़ेद और नारंगी रंग का कुर्ता ले आयी जिसके साथ मैचिंग दुपट्टा भी था और रुचिका की तरफ बढाकर कहा,”दी आप ये ट्राय करो”

“ये ? ये अच्छा लगेगा मुझ पर,,,,,,,!!”,रुचिका ने उलझन भरे स्वर में कहा
“बिल्कुल दी और ये मेरे जीजू का फेवरेट कलर भी है,,,,,,,,,!!”,कुकू ने शरारत से कहा
“अच्छा और तुम्हे कैसे पता मोंटी को ये कलर पसंद है ?”,रुचिका ने पूछा
“अब वो क्या है ना दी मैं उनकी साली हूँ और साली आधी घरवाली होती है तो बस उस हिसाब से मुझे जीजू का फेवरेट कलर पता है”,कुकू ने रुचिका को छेड़ने के लिए शरारत से कहा


रुचिका ने सुना तो चिढ़ते हुए कहा,”कोई आधी घरवाली बनने की जरूरत नहीं है , मोंटी सिर्फ मेरा है और मैं उसकी पूरी घरवाली हूँ समझी,,,,,,,,,!!”
कुकू ने सुना तो मुस्कुरा उठी और रुचिका को पीछे से हग करते हुए कहा,”अरे बाबा हां ! मुझे पता है जीजू सिर्फ आपके है मैं तो बस आपको छेड़ रही थी , अब आप जल्दी से तैयार जो जाओ वो लोग आते ही होंगे,,,,,,,,,,,,पापा उन्हें लेने स्टेशन गए है।”


कुकू की बात सुनकर रुचिका ने हैरानी से उसे देखा और कहा,”क्या ? पापा खुद मोंटी को लेने स्टेशन गए है , ये कैसे हुआ ? कही ऐसा न हो पापा मोंटी पर फिर से गुस्सा करे और वो स्टेशन से ही वापस चला जाये,,,,,,,,,!!”
“ओह्ह्हफ़ो दी ऐसा कुछ नहीं है , आप तैयार होईये मैं किचन में जाकर मम्मा की हेल्प कर देती हूँ,,,,,,,,,,!!”,कुकू ने कमरे से बाहर जाते हुए कहा  

रुचिका ने सूट पहना और शीशे के सामने आकर तैयार होने लगी। कुकू ने सच कहा था इसमें रुचिका कुछ ज्यादा ही प्यारी लग रही थी पर चेहरे पर ये चमक इस सूट की वजह से नहीं बल्कि मोंटी के आने की वजह से थी। रुचिका ने बाल बनाये , मांग में हल्का सा सिंदूर लगाया , ललाट पर छोटी सी बिंदी , आँखों में काजल और गले में मंगलसूत्र जो कि शादी वाले दिन से ही था।

रुचिका ने एक नजर शीशे में खुद को देखा और कहने लगी,”बस आज कोई गड़बड़ मत करना मोंटी , आई नो तुम्हे गुस्सा बहुत आता है लेकिन सिर्फ आज के लिए पापा के सामने उसे कंट्रोल कर लेना प्लीज,,,,,,,,,,,,,, मुझे तुम्हारे साथ रहना है तुम से अलग नहीं , मैंने जो गलतिया की उनके लिए मैं शर्मिन्दा हूँ,,,,,,,,,,,आई हॉप आज सब गलतफहमियां दूर हो जाये”

सुबह नर्स की आवाज से अवि की आँख खुली उसने देखा नैना सो रही थी और नैना का ख्याल रखते रखते अवि वही सो चूका था। उसने धीरे से नैना के हाथ को साइड किया और उठते हुए कहा,”माफ़ करना शायद मेरी आँख लग गयी थी,,,,,,,!!”


“कोई बात नहीं , मैं बस इनकी ट्रीटमेंट फाइल लेने आयी थी,,,,,,,,,,,आप बैठिये”,नर्स ने फाइल लेते हुए कहा और उसमे कुछ लिखने लगी। अवि विहान से मिलना चाहता था इसलिए वह भी जैसे ही आगे बढ़ा नैना ने उसकी कलाई पकड़कर उसे रोक लिया। अवि ने पलटकर देखा नैना उठ चुकी थी।
अवि उसके पास आया और कहा,”अब तुम्हारी तबियत कैसी है ?”
“मैं ठीक हूँ पडोसी,,,,,,,,,,पर तुम्हे देखकर लग रहा है जैसे तुम ठीक नहीं हो,,,,,,,,क्या तुम ठीक से सोये नहीं ?”,नैना ने कहा


“मैं ठीक हूँ,,,,,,तुम्हे कुछ चाहिए ?”,अवि ने पूछा  
“एक कप चाय,,,,,,,,,,मैंने पिछले 36 घंटो से चाय नहीं पी है,,,,,,,,,,!!”,नैना ने मासूमियत से कहा
नैना की बात सुनकर नर्स ने उसे देखा और मुस्कुरा दी क्योकि अवि एक बार फिर नैना का हाथ थामे बड़े प्यार से नैना को एक छोटे बच्चे की तरह समझा रहा था।


“नैना इस वक्त तुम्हे ये सब नहीं पीना चाहिए , तुम अभी अभी एक बहुत बड़े खतरे से बाहर आयी हो। मैं तुम्हारी तबियत के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकता,,,,,,,,,,प्लीज मैं तुम्हारे लिए एक कप ग्रीन टी ले आउ ?”,अवि ने पूछा
नैना ने कुछ नहीं कहा बस ख़ामोशी से अवि को देखते रही तो अवि ने कहा,”तुम क्या सोच रही हो ? क्या तुम्हे मुझ पर गुस्सा आ रहा है ?”
“हम्म्म बहुत,,,,,,,,,!!”,नैना ने अवि को देखते हुए कहा


अवि ने अपने शर्ट की बाजू ऊपर की और अपना हाथ नैना के सामने कर दिया। नैना ने अवि के हाथ को काटा जिस से उसका गुस्सा थोड़ा कम हुआ
“बेटर ?”,अवि ने अपना हाथ नैना के सामने से हटाकर कहा
“हम्म्म,,,,,,,,,,,,,लेकिन चाय क्यों नहीं ?’,नैना ने एक बार फिर कहा
“क्योकि अभी तुम्हारे लिए चाय पीना सही नहीं है नैना,,,,,,,,,,,,!!”,अवि ने कहा


“पडोसी ! क्या तुमने कभी सुना है चाय पीने से किसी को मौत हो गयी हो ?,,,,,,!!”,नैना ने गुस्से से कहा
अवि उठा और कहा,”समझ गया , लाता हूँ”
नैना के होंठो पर बड़ी सी मुस्कराहट तैर गयी और अवि वहा से चला गया। अवि और नैना की नोक झोंक देखकर नर्स भी मुस्कुरा उठी और वहा से चली गयी। 

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संजना किरोड़ीवाल 

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A Woman by Sanjana Kirodiwal

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