Love You Zindagi – 47
निबेदिता की जिंदगी में जो लड़का था वो अभी तक सबके लिए एक रहस्य बना हुआ था। निबेदिता उस लड़के से बहुत प्यार करती थी और उस पर पूरा भरोसा भी लेकिन लड़के की उलझी उलझी बातो से उसके इरादे साफ नजर आ रहे थे कि वह निबेदिता की जिंदगी में सिर्फ नैना के लिए आया है। अवि के घर के गेट पर खड़े गार्ड की नजर जब लड़के पर पड़ी तो उसने कहा,”ए भैया यहाँ क्यों खड़े हो ?”
गार्ड की आवाज से लड़के की तंद्रा टूटी उसने सिगरेट नीचे फेंकी और जूते से रौंदकर गाडी का दरवाजा खोलकर अंदर जा बैठा और फिर वहा से चला गया।
“अजीब आदमी था,,,,,,,,,,,,,,,!”,गार्ड ने कहा और वापस अंदर चला गया।
निबेदिता ख़ुशी ख़ुशी अपना बैग लिए अंदर चली आयी।
“मॉम-डेड , भाभी,,,,,,,,,,,,,,,,,कहा हो आप लोग ? देखो कौन आया है ?”,निबेदिता ने हॉल में आते हुए कहा
“अरे निबी दीदी आप,,,,,,,,,,,,घर के सभी लोग तो महादेव के मंदिर गए है। वो नैना मैडम के मम्मी पापा आये थे ना उनके साथ”,भोला भैया ने हॉल में आकर कहा
“ये लो,,,,,,,,,,,,,,,,मैं तो सबको सरप्राइज देने आयी थी और उन लोगो ने मुझे ही सरप्राइज कर दिया। अच्छा भोला भैया मैं फ्रेश होकर आती हूँ तब तक आप मेरे लिए कुछ अच्छा सा बनवा दीजिये ना बहुत भूख लगी है”,निबेदिता ने सूटकेस और अपने पर्स को वही छोड़ा और सीढ़ियों से ऊपर जाते हुए कहा
“हाँ मैं रसोईये को बोल देता हूँ”,कहकर भोला भैया भी वहा से चले गए।
निबेदिता अपने कमरे में आयी और कबर्ड से कपडे लेकर सीधा नहाने चली गयी। नहाने के बाद उसे काफी सुकून महसूस हो रहा था। उसने कपडे बदले और शीशे के सामने आकर हाथो पर लोशन लगाने लगी। हाथो पर लोशन लगाते हुए निबेदिता की नजर अपनी गर्दन पर गयी जहा लाल रंग का एक निशान बना हुआ था। उसे देखते ही निबेदिता के होंठो पर मुस्कान तैर गयी और बीती रात की यादें ताजा हो गयी जब वह अपने बॉयफ्रेंड के साथ थी। निबेदिता ने एक बंद गले का टॉप पहना जिस से वो उस निशान को छुपा सके। कुछ देर बाद वह नीचे चली आयी तब तक भोला भैया उसकी पसंद का खाना टेबल पर लगा चुका था। निबेदिता आकर डायनिंग के पास बैठी , भोला ने उसकी प्लेट में खाना परोस दिया और निबेदिता खाने लगी। खाना खाते हुए उसे फिर अपने बॉयफ्रेंड की याद आयी और उसने उसे तुरंत मैसेज किया
“बेबी आई मिस यू”
“आई मिस यू टू”,दूसरी तरफ से मेसेज आया
“तुम वापस जाने के लिए निकल गए क्या ?”,निबेदिता ने भेजा
“हाँ , मुझे एक हफ्ते बाद वापस आना है किसी मीटिंग के सिलसिले में”,दूसरी तरफ से मेसेज आया
“रियली ! तो फिर हम मिलेंगे ना,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे भी मेरा कोर्स पूरा हो चुका अब मुझे वापस बैंगलोर जाने को नहीं मिलेगा पापा कह रहे थे मैं यही प्रेक्टिस करू”,निबेदिता ने भेजा
“हम्म्म्म ओके , अभी मैं ड्राइव कर रहा हूँ शाम में बात करता हूँ”,दूसरी तरफ से मेसेज आया
“ओके बेबी अपना ख्याल रखना,,,,,,,,,,,,,,,,आई लव यू”,निबेदिता ने भेजा
“आई लव यू टू”,दूसरी तरफ से आया और फिर लड़का ऑफलाइन हो गया
निबेदिता ने फोन साइड रखा और खाना खाने लगी।
बीकानेर , सिटी मॉल
फ्लेट पर अकेले मोंटी बोर हो रहा था इसलिए घूमने बाहर चला आया। किचन में सामान भी खत्म होने वाला था इसलिए मोंटी ने मॉल घूमने का सोचा जिस से घर का सामान भी लाया जा सके। उसके पास अभी कुछ रूपये थे जो उसने फ्यूचर के लिए बचा कर रखे थे। मॉल आकर मोंटी रेंक में सामान देखने लगा। हमेशा ऐसा होता था जब भी वह रुचिका के साथ घर का सामान लेने आता था बस जो सामान पसंद आया उसे उठाकर टोकरे में रख लेता था लेकिन आज पहली बार मोंटी सब प्राइस टैग देखते जा रहा था और बहुत सोचकर कुछ खरीद रहा था। घूमते हुए मोंटी एक रेंक के पास आया वहा बहुत सारे केक्स और पेस्ट्री रखे थे। उन्हें देखते ही मोंटी को रुचिका की याद आ गयी। रुचिका को केकस बहुत पसंद थे। मोंटी ने एक रेड वेलवेट पेस्ट्री रुचिका के लिए पैक करने को कहा और वही खड़े होकर वेट करने लगा। मोंटी मन ही मन हिसाब लगा रहा था साथ ही नयी जॉब के बारे में भी सोच रहा था तभी उसके कानो में एक जानी पहचानी आवाज पड़ी,”तुम्हे इस वक्त ऑफिस में होना चाहिए ये घर का सामान खरीदते हुए नहीं,,,,,,,,,,,!!”
मोंटी ने आवाज सुनकर बगल में देखा माला खड़ी थी। मोंटी कुछ कहता इस से पहले ही माला ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा,”इस सस्ते मॉल में तो बिल्कुल नहीं”
“तुम्हे मेरी परवाह करने की जरूरत बिल्कुल नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारे लिए ये सस्ता हो सकता है लेकिन मुझ जैसे मिडिल क्लास लोगो का घर यही के सामान से चलता है.,,,,,,,,,,,,!!”,मोंटी ने माला से नजरे हटाकर सामने देखते हुए कहा
“गुस्से में भी तुम कितने प्यारे लगते हो मोंटी,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन मेरे अंदर इतना गुस्सा नहीं है , मेरे अंदर बस तुम्हारे लिए प्यार है,,,,,,,,,,हमे साथ होना चाहिए था”,माला ने खोये हुए स्वर में कहा
“सर आपका आर्डर”,लड़के ने बॉक्स मोंटी की तरफ बढ़ाते हुए कहा
“थैंक्यू”,मोंटी ने बॉक्स लेते हुए कहा तो माला की तंद्रा टूटी और वह मोंटी के साथ साथ चल पड़ी। मोंटी काउंटर के पास आया और एक एक करके सामान टेबल पर रखने लगा। माला ने भी उसकी हेल्प करने के लिए सामान उठाया मोंटी ने देखा तो उसके हाथ से सामान छीनते हुए कहा,”तुम ये क्यों कर रही हो माला मैं कितनी बार कह चुका हूँ कि मुझे तुम में कोई इंट्रेस्ट नहीं है”
मोंटी ने थोड़ी ऊँची आवाज में कहा तो आसपास के लोग मोंटी और माला को देखने लगे लेकिन माला को तो मोंटी के अलावा जैसे कोई दिखाई ही नहीं दे रहा था वह बस मुस्कुराते हुए मोंटी को देखते रही। उसकी इस हरकत पर मोंटी ने अपना सर झटका और फिर बिल पे करके अपना सामान लेकर वहा से चला गया। माला एक बार फिर मोंटी के पीछे चली आयी
मोंटी मॉल से बाहर चला आया उसने माला को अपने पीछे आते देखा तो रुका और पलटकर गुस्से से कहा,”तुम मेरा पीछा क्यों कर रही हो माला ?”
“मैं बस जानना चाहती हूँ कि क्या कमी है मुझमे ? क्या मैं रुचिका से कम हूँ ? क्या मैं खूबसूरत नहीं ? फिर तुम क्यों मुझे इग्नोर कर रहे हो ?”,माला ने तकलीफभरे स्वर में कहा
मोंटी ने सुना तो वह उसके सामने आया और उसकी आँखो में देखते हुए कहा,”तुम बहुत खुबसुरत हो माला , इतनी की किसी को भी तुम से पहली नजर में प्यार हो जाये। तुम में कोई कमी नहीं है तुम परफेक्ट हो लेकिन तुम रुचिका नहीं हो , ना ही कभी उसकी जगह ले सकती हो इसलिए ये पागलपन छोडो और मुझे परेशान करना बंद करो। मैं रिक्वेस्ट करता हूँ प्लीज , इस वक्त मैं अपनी लाइफ के बुरे दौर से गुजर रहा हूँ और मैं नहीं चाहता तुम उसका हिस्सा बनो,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
मोंटी की बात से माला खामोश हो गयी धीरे धीरे ही सही पर उसे समझ आ रहा था कि मोंटी के दिल में उसके लिए कुछ नहीं है ना ही कभी होगा। माला को खामोश देखकर मोंटी वहा से जाने लगा। वह पार्किंग में चला आया। माला भी पार्किंग की तरफ आयी क्योकि वहा उसकी गाड़ी खड़ी थी लेकिन वह गाड़ी तक जाती इस से पहले ही दो लड़के उसे परेशान करने लगे। माला उन से बहस करने लगी। मोंटी ने एक नजर उन्हें देखा और इग्नोर करके अपनी बाइक निकालने लगा।
लड़को ने माला को तंग करना जारी रखा। हद तो तब हो गयी जब खिंचा खींची में माला नीचे जा गिरी और लड़के उस पर हसने लगे। मोंटी ने देखा तो बाइक साइड लगायी और माला को उठाते हुए कहा,”तुम ठीक हो ना”
“लो ये आया इसका हमदर्द,,,,,,,,,,,,,,,शायद इसका बॉयफ्रेंड होगा”,एक लड़के ने कहा
“अरे नहीं नहीं इसका हस्बेंड होगा,,,,,,,,,!”,कहकर दूसरा लड़का भी हसने लगा
मोंटी ने माला को सम्हालकर खड़े किया और हसने वाले लड़के की कोलर पकड़ कर गुस्से से कहा,”मैं कोई भी हूँ लेकिन वो एक औरत है और तुम्हारे माँ बाप ने शायद तुम दोनों को ये सिखाया नहीं है कि एक औरत से कैसे पेश आते है ?”
“मोंटी छोडो ! ये क्या कर रहे हो प्लीज जाओ यहाँ से ?”,माला ने मोंटी को लड़के से दूर किया और साइड में आ गयी।
“तुमने उसका कॉलर क्यों पकड़ा ?”,माला ने मोंटी से सवाल किया
“और उन्होंने जो किया वो,,,,,,,,,,,,,,,वो लोग किसी लड़की के साथ इस तरह से बिहेव नहीं कर सकते”,मोंटी ने गुस्से से कहा
“उन्होंने किया तो तुम्हे क्यों फर्क पड़ा ? तुम मुझे पसंद नहीं करते,,,,,,,,,,,तो फिर तुम्हे इस बात से फर्क नहीं पड़ना चाहिए कौन मेरे साथ कैसा बर्ताव करता है ?”,माला ने भी गुस्से से कहा
मोंटी गुस्से से माला को देख रहा था कि एकदम से उसने माला का हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया। माला उसके सीने से आ लगी उसे कुछ समझ नहीं आया आखिर ये एकदम से क्या हुआ ?
सड़क के उस पार खड़ी रुचिका हैरानी से ये नजारा देख रही थी। वह कुछ वक्त पहले ही बस से उतरी थी और जैसे ही जाने लगी उसे सामने खड़ा मोंटी नजर आया जिसकी बांहो में माला थी और ये पल रुचिका का दिल तोड़ने के लिए काफी था।
आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
सुबह शीतल ने जो पराठे मिसेज आहूजा और मिसेज शर्मा को खिलाये थे उनसे उनकी हालत खराब हो गयी। दिनभर दोनों बाथरूम में रही। शीतल ने उन दोनों को ऐसा मजा चखाया था जिसके बारे में दोनों चाहकर भी किसी को बता नहीं सकती थी। दोपहर बाद उनकी हालत में कुछ सुधार हुआ और शाम में दोनों अपार्टमेंट के लॉन में मिली।
“ये शीतल की बच्ची तो हमारी सोच से भी ज्यादा आगे निकली , आप मानो या न मानो मिसेज गुप्ता उसने पराठो में कुछ तो मिलाया था”,मिसेज आहूजा ने गुस्सा होकर दबी आवाज में कहा
“हाँ मुझे भी ऐसा लगता है लेकिन क्या फायदा मिसेज शर्मा तो कुछ मानने को तैयार ही नहीं थी , उन्हें तो अपनी बहू में कुछ गलती नजर नहीं आयी,,,,,,,,,,,,देखा कैसे वो उसी का साइड ले रही थी”,मिसेज गुप्ता ने मुंह बनाते हुए कहा
“हाँ लेकिन उस शीतल को मैं छोड़ने वाली नहीं हूँ , उसे क्या लगता है वो बहुत होशियार है। मेरा नाम मिसेज आहूजा है अगर मैंने उसे मिसेज शर्मा की नजरो में नहीं गिराया तो मेरा नाम बदल देना”,मिसेज आहूजा ने आँखों में गुस्से और बदले के भाव लाकर कहा
“अरे नहीं मिसेज आहूजा जाने दीजिये ना बच्ची है वो , और वैसे वो इतनी बुरी भी नहीं है। मेरा शुभ तो उसकी बड़ी तारीफ करता है”,मिसेज गुप्ता ने थोड़ा नरम पड़ते हुए कहा
“लेकिन इस अपार्टमेंट के बच्चो को ये सीखने की बहुत जरूरत है मिसेज गुप्ता की बड़ो से कैसे पेश आते है ? उसे तो मैं मजा चखाकर रहूंगी”,मिसेज आहूजा ने कहा ही था कि अगले ही पल उनके कानो में शीतल की आवाज पड़ी वह पीछे वाली बेंच पर झाड़ियों के पीछे बैठकर फोन पर किसी से बात कर रही थी। मिसेज आहूजा और मिसेज गुप्ता ने देखा तो बेंच के पीछे छुपकर उसकी बातें सुनने लगी।
“अरे हां हां पैसो का इंतजाम हो चुका है जितना तुमने कहा था उतने ही है बस तुम ये बताओ कब आना है ?”,शीतल ने दबी आवाज में कहा
मिसेज गुप्ता और मिसेज आहूजा एक दूसरे को इशारे करते हुए ख़ामोशी से शीतल की बातो पर गौर कर रही थी
“क्या कहा पैसे कहा से आये ? अरे यार तुम्हे तो पता ही है सार्थक अच्छा कमाता है , वैसे तो वो सारे पैसे अपनी माँ को देता है लेकिन कभी कभी मैं उसके पर्स से पैसे निकाल लेती हूँ , बस ऐसे ही सब थोड़ा थोड़ा जोड़कर मैंने इंतजाम किया है अब बस तुम वो डायमंड का नेकलेस तैयार रखो,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,शीतल ने ख़ुशी और हैरानी से भरे शब्दों में कहा
शीतल की बातें सुनकर मिसेज आहूजा जी की आँखे चमक उठी। शीतल से बदला लेने का एक मौका उनके सामने था और इसे के बारे में सोचकर वे मन ही मन खुश हो रही थी।
“ध्यान रहे माँ और सार्थक को ये बात पता न चले,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं कल सुबह आकर तुम से मिलती हूँ ठीक है,,,,,,,,,,,,,,,,,,अभी मैं फोन रखती हूँ किसी ने मुझे यहाँ देखा तो शक हो जायेगा,,,,,,,,,,,,,तुम कल मेरा इंतजार करना”,कहकर शीतल ने फोन काटा और गुनगुनाते हुए वहा से चली गयी।
मिसेज आहूजा और मिसेज गुप्ता उठ खड़ी हुई और एक दूसरे कि और देखकर कहा,”डायमंड का नेकलेस ?”
दोनों को दाल में कुछ काला नजर आने लगा और कुछ देर बाद दोनों वहा से चली गयी
चंडीगढ़ , अवि का घर
मंदिर में दर्शन के बाद अवि ने सबको घुमाया , दोपहर का खाना भी सबने बाहर ही खाया और शाम में वापस घर लौट आये। विपिन जी और आराधना जी थक चुके थे इसलिए नैना ने उन्हें कमरे में आराम करने को कहा और भोला से कहकर उनके लिए शाम की चाय कमरे में ही भिजवा दी। सौंदर्या जी भी फ्रेश होने अपने कमरे में चली गयी। निबेदिता का घर में अकेले मन नहीं लग रहा था इसलिए वह अपनी दोस्त से मिलने बाहर गयी हुई थी लेकिन अब तक घर में सब को पता चल चुका था कि वह घर आ चुकी है इसलिए सब खुश थे और सबसे ज्यादा खुश थी नैना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,निबेदिता के वापस आने से कम से कम उसे अकेलापन महसूस नहीं होगा। दिनभर घूमने से नैना भी काफी थक चुकी थी इसलिए फ्रेश होने अपने कमरे में चली गयी।
अवि हॉल में ही था भोला उसके लिए कॉफी ले आया। कॉफी पीकर अवि जैसे ही जाने लगा घर के नौकर ने आकर अवि को एक लिफाफा देते हुए कहा,”सर ये आपके लिए आया था”
अवि ने लिफाफा देखा वो विवान के हॉस्पिटल से था। लिफाफा देखते ही अवि को याद आया कि उसे आज सुबह नैना की रिपोर्ट्स लेनी थी। अवि ने लिफाफा लेकर नौकर से जाने का इशारा किया और विवान को फोन लगा दिया।
“हेलो ! हां अवि”,विवान ने फोन उठाकर कहा
“सॉरी वो मैं तुमसे रिपोर्ट लेना भूल गया था”,अवि ने कहा
“तुमने रिपॉर्टस देखे ?”विवान ने थोड़ा उदासी भरे स्वर में कहा
“नहीं अभी मेरे हाथ में ही है,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या हुआ कुछ गड़बड़ है ?”,अवि ने धड़कते दिल के साथ पूछा
“तुम पहले रिपोर्ट्स देख लो , मैं मैं थोड़ी देर में फोन करता हूँ”,विवान ने बुझे स्वर में कहा और फोन काट दिया
अवि ने फोन काटकर जेब में रखा और नजरे रिपोर्ट्स के उस लिफाफे पर जम सी गयी।
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संजना किरोड़ीवाल