Love You Zindagi – 46
चंडीगढ़ , अवि का घर
अवि घूरकर नैना को देख रहा था और नैना अपनी ही बात पर हँसे जा रही थी। अवि ने हाथ में पकड़ी नाईटी नैना के हाथ में रखते हुए कहा,”पता नहीं कब सुधरोगी तुम , क्या अब आप बताने का कष्ट करेगी मिस नैना कि मेरी वाइट वाली टीशर्ट कहा है ?”
“वो तो बाथरूम में है,,,,,,,,,,,,,,,,,एक्चुली कल मुझसे गलती से उस पर चाय गिर गयी थी इसलिए मैंने उसे धोने के लिए डाल दिया”,नैना ने अपने गले में पड़ा दुपट्टा सही करते हुए कहा
“मतलब अपने साथ साथ तुमने मेरे कपड़ो को भी चाय पिलाना शुरू कर दिया।”,अवि ने हताश होकर कहा
“अब ऐसे मुंह बनाने की जरूरत नहीं है मैं तुम्हारे लिए नया टीशर्ट ले आउंगी ना अभी के लिए तुम कुछ और पहन लो”,नैना ने कहा
“क्या पहनू वो ही तो नहीं समझ आ रहा”,अवि ने कहा
“जब नैना हो साथ तो सोचने की क्या बात ? एक मिनिट मैं बताती हूँ तुम्हे क्या पहनना चाहिए ? लेट मी चेक,,,,,,,,,,!”,कहते हुए नैना कबर्ड की तरफ आयी और अवि के कपड़ो को खगालना शुरू कर दिया। अवि ने हाथ पर बंधी स्मार्ट वाच में टाइम देखा जो कि बता रही थी उसे देर हो चुकी है।
“नैना जल्दी करो हमे देर हो रही है”,अवि ने कहा
“एक मिनिट पडोसी,,,,,,,,,,,,,,,हां मिल गया,,,,,,,,,,,,,,,,तुम ये पहनोगे”,नैना ने एक सफ़ेद रंग का कुर्ता लाकर अवि को देते हुए कहा
“आर यू सीरियस ? तुम चाहती हो मैं ये पहनकर बाहर जाऊ,,,,,,,,,,,,,,,नैना मैं इसमें पूरा जोकर लगूंगा”,अवि ने नैना की पसंद को इंकार करते हुए कहा
“अच्छा दिखकर किसको इम्प्रेस करना है ? और वैसे भी हम लोग मंदिर जा रहे है तुम्हारी आर्ट गेलेरी में नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,चुपचाप ये पहनकर आओ और चलो”,नैना ने कहा
“हाँ लेकिन,,,,,,,,,,,,,,,!”,अवि ने कहना चाहा तो नैना ने कहा,”ये तुम पर अच्छा लगेगा पडोसी,,,,,,,,,,,,,,अब जिद मत करो”
अवि बहस कर सकता था लेकिन उसे देर हो रही थी इसलिए वह कपडे लेकर बाथरूम में गया और कुछ ही देर में पहनकर वापस आते हुए कहा,”देखो ये बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा , इसकी बाजू भी छोटी हो चुकी है,,,,,,,,,,,,,,,,,,ये है तुम्हारी पसंद , इतनी बकवास,,,,,,,,,,,,,,,!!”
नैना अवि के पास आयी और उसकी कॉलर सही करते हुए कहा,”मेरी पसंद बहुत यूनिक है हाँ तुम चाहो तो खुद को बकवास कह सकते हो क्योकि तुम भी मेरी ही पसंद हो,,,,,,,,,,,,,,!”
अवि ने सूना तो नैना को खा जाने वाली नजरो से देखने लगा लेकिन इसमें भला नैना का क्या दोष अवि ने खुद ही कहा की नैना की पसंद बकवास है।
नैना ने देखा तो अवि के कुर्ते की बाजू फोल्ड करते हुए कहा,”अपनी ही वाइफ को ऐसे देखना बंद करो तुम , तुम अच्छे लग रहे हो सच में”
“हम्म्म्म थैंक्यू अब चले वरना मॉम तुम्हारे पेरेंट्स को लेकर यही आ जाएंगी”,अवि ने शीशे में खुद को देखकर बाल सही करते हुए कहा
नैना ने अपना फोन और पर्स उठाया और अवि के साथ कमरे से बाहर चली आयी। चलते चलते नैना की कोहनी घर के दरवाजे से टकराई और उसके मुंह से निकला,”माँ की आँख,,,,,,,,,,,,,,!!”
अवि को सुन गया फिर भी उसने जान बुझकर पूछा,”क्या कहा तुमने ?”
नैना थोड़ा झिझकी और अपनी कोहनी सहलाते हुए कहा,”क्या कहा मैंने ? मैंने तो कहा अम्बे माँ की जय,,,,,,,,,,,!”
“नैना हम शिव मंदिर जा रहे है,,,,,,,,,,,,,,!”,अवि ने नैना की ओर देखकर कहा
“हाँ हाँ तो क्या हुआ ? माँ तो सब जगह है न,,,,,,,,,,,,,,अब चलो”,नैना कहते हुए आगे बढ़ गयी और अवि सर झटक कर उसके पीछे चल पड़ा। बाहर आकर अवि आकर ड्राइवर सीट पर बैठा और नैना अपनी मम्मी और सास के साथ पीछे जा बैठी। पांचो वहा से मंदिर के लिए निकल गए। रास्ते में शुरू हुई बाते और बातें क्या ? यू कह लीजिये चारो मिलकर नैना की क्लास लगा रहे थे और आज तो सौंदर्या भी नैना की प्यारभरी शिकायते कर रही थी। अवि को तो ये सब सुनकर बड़ा मजा आ रहा था उसने गाडी के अंदर लगे मिरर को सेट किया जिस से नैना के हाव भाव देख सके। नैना की नजरे जैसे ही अवि से मिली
नैना ने बड़े प्यार से उसे स्माइल दी और अपनी बांयी आँख दबा दी। अवि को उस से ऐसी किसी हरकत की उम्मीद नहीं थी इसलिए उसका बेलेंस एक पल को बिगड़ा लेकिन उसने सम्हाल लिया।
“अरे बेटा जी आराम से,,,,,,,,,,,!”,विपिन जी ने कहा
“सॉरी पापा,,,,,,,,,,!”,अवि ने कहा और अंदर लगे मिरर को निचे कर दिया क्योकि उसे इस वक्त नैना पर नहीं अपनी ड्राइविंग पर फोकस करना था। नैना ने देखा तो मुस्कुरा कर खिड़की के बाहर देखने लगी
बीकानेर , रुचिका का बैंक
रुचिका मधु के साथ बैंक चली आयी और आकर सीधा अपनी डेस्क की तरफ चली आयी। मैनेजर ने मधु को देखा तो साइड में आने का इशारा किया। मधु ने अपना बैग रखा और वहा से मैनेजर के केबिन की ओर चली गयी। रुचिका की नजर उस पर ही थी और मन ही मन उसे मधु पर गुस्सा भी आ रहा था। रुचिका के पास ऑडिट का बहुत सारा काम था इसलिए वह मधु से अपना ध्यान हटाकर अपना काम करने लगी। कुछ देर बाद मधु खिलखिलाते हुए केबिन से बाहर आयी और अपने डेस्क पर चली आयी। रुचिका का डेस्क मधु के बगल में ही था इसलिए जैसे ही मधु आकर कुर्सी पर बैठी रुचिका ने उस से कहा,”मैंने तुम्हे उस मैनेजर से दूर रहने को कहा था ना मधु और तुम हो कि फिर से,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“अरे रूचि छोडो वो सब और मेरी बात सुनो,,,,,,,,,,,तुम ख़ुशी से नाच उठोगी”,मधु ने अपनी कुर्सी रुचिका की तरफ घुमाकर कहा
“क्या ?”रुचिका ने हैरानी से पूछा
“इस महीने के एन्ड में बैंक के 4 स्टाफ का प्रमोशन होने वाला है , और पता है उन चार लोगो में से दो नाम हम दोनों के है यानी तुम्हारा और मेरा,,,,,,,,,,,,,,,प्रमोशन के बाद मेरी आधी से ज्यादा परेशानिया खत्म हो जाएगी , मैं बहुत खुश हूँ सर ने यही बताने के लिए तो मुझे बुलाया था”,मधु ने धीमी आवाज में चहकते हुए कहा
“क्या तुम सच कह रही हो ? लेकिन मुझे तो यहाँ आये अभी 3 महीने ही हुए है फिर इतनी जल्दी प्रमोशन,,,,,,,,,,,!”,रुचिका को प्रमोशन की ख़ुशी थी लेकिन साथ ही हैरानी भी
“अरे यार रूचि तुम ना सोचती बहुत हो,,,,,,,,,,,,,,,,,बैंक में सब जानते है कि तुम कितनी टेलेंटेड हो और सबसे बेहतर परफॉर्मेंस तुम्हारी है। वो तो तुम्हारी किस्मत बहुत अच्छी है कि तुमने ये बैंक साल के आखरी महीनो में ज्वाइन किया और अब इतनी जल्दी तुम्हारा प्रमोशन हो रहा है। कॉन्ग्रैचुलेशन,,,,,,,,,,!!”,मधु ने रुचिका से हाथ मिलाते हुए कहा
“हाँ तुम्हे भी,,,,,,,,,,,,,,,!”,रुचिका ने खोये हुए स्वर में कहा
मधु ख़ुशी ख़ुशी अपने डेस्क पर चली आयी और काम करने लगी। अपना काम करते हुए रुचिका मन ही मन खुद से कहने लगी,”अगर मधु की प्रमोशन वाली बात सच है तो फिर ये मेरे लिए अच्छा हो जाएगा। अभी मोंटी के पास कोई जॉब नहीं है ऐसे में ये प्रमोशन मेरे लिए अच्छा साबित हो सकता है लेकिन इतनी जल्दी प्रमोशन,,,,,,,,,,,,,,,,,,जो भी हो अगर ऐसा है तो मोंटी इसके बारे में सुनकर बहुत खुश होगा”
लंच टाइम में मधु ने रुचिका से चलने को कहा लेकिन रुचिका के पास काम ज्यादा होने की वजह से उसने कहा,”तुम चलो मैं थोड़ी देर में आती हूँ”
“हम्म ठीक है,,,,,,,,,,!!”,मधु ने कहा और वहा से चली गयी
आधे से ज्यादा स्टाफ खाना खाने जा चुका था। बस रुचिका और एक दो स्टाफ के लोग थे और अपना काम कर रहे थे। रुचिका अपना काम कर रही थी कि अपने हाथ पर किसी के छुए जाने से एकदम से चौंकी तो बगल में खड़े मैनेजर ने कहा,”अरे डरो नहीं मैं हूँ,,,,,,,,,,,,,,वैसे तुम आज लंच करने नहीं गयी ?”
“मैं मैं बस जा ही रही थी सर”,रुचिका ने टेबल पर रखे पेपरस समेटते हुए कहा
“तुम्हे प्रमोशन मिलने वाला है मधु ने ये बात तो तुम्हे बता ही दी होगी”,मैनेजर ने इधर उधर देखते हुए धीमी आवाज में कहा
“हाँ,,,,,,,,,,,,,,लेकिन मैं थोड़ा शॉक्ड हूँ इतनी जल्दी प्रमोशन,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या ये मुझ पर किसी तरह का अहसान है या फिर सच में मेरा काम,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,रुचिका ने अपने मन की हलचल को मैनेजर के सामने बयां करते हुए कहा
“रुचिका तुम भी जानती हो कि 3 महीने में किसी को प्रमोशन नहीं मिलता , ये बस मेरी तरफ से तुम्हारे लिए एक छोटा सा ऑफर है अपना मुंह बंद रखने का,,,,,,,,,,,,,,,,मेरे और मधु के बीच का रिश्ता बाहर ना लाने के लिए,,,,,,,,,,,,एंड हॉप सो फ्यूचर में तुम्हे मेरी बहुत जरूरत पड़ने वाली है,,,,,,,,,,मैंने सूना तुम्हारे हस्बेंड की जॉब भी चली गयी है,,,,,,,,,,बट डोंट वरी मेरा दिल बहुत बड़ा है मैं तुम्हे यहाँ से नहीं निकालूंगा बस तुम इस मामले से दूर रहो,,,,,,,,,,,,अपने फायदे के लिए,,,,,,,,,,,!!”,मैनेजर ने रुचिका की बांह थपथपाते हुए कहा और रुचिका उस वक्त कुछ बोल नहीं पायी। उसे मधु पर बहुत गुस्सा आ रहा था क्योकि मधु के अलावा बैंक में ये बात कोई नहीं जानता था कि मोंटी के पास जॉब नहीं है।
मैनेजर के जाने के बाद रुचिका गुस्से से केंटीन की तरफ आयी उसने देखा मधु स्टाफ के दो लड़के के साथ बैठी हँसते मुस्कुराते खाना खा रही थी
रुचिका सबके सामने किसी तरह का तमाशा करना नहीं चाहती थी इसलिये वहा से चली गयी। रुचिका वापस अपने डेस्क पर चली आयी उसका खाना खाने का मन भी नहीं हुआ। मैनेजर की कही बातें रुचिका के जहन में रह रह कर आने लगी। उसने अपना बैग उठाया और वहा से चली गयी। दोपहर का वक्त था और इस वक्त अपार्टमेंट की तरफ ऑटो भी कम ही जाते थे इसलिए रुचिका बस स्टेशन तक पैदल ही चल पड़ी। चलते भी उसके दिमाग में मैनेजर की बातें घूम रही थी और अब उसे गुस्सा आने लगा था। बस स्टेशन आकर रुचिका बेंच पर बैठ गयी। वहा एक दो लोग और थे जो बस का इंतजार कर रहे थे। रुचिका ने गले में पड़े स्कार्फ से अपना मुंह पोछा और बैग से पानी की बोतल निकाल ली लेकिन पीने से पहले ही उसके जहन में फिर बातें उलझने लगी और वह मन ही मन बड़बड़ाई,”आखिर ये मधु इतना कैसे गिर सकती है ? मुझे तो सोचकर ही शर्म आ रही है कि मैंने इस जैसी लड़की को अपना दोस्त समझा,,,,,,,,,,,,,मैनेजर के साथ मिलकर ये मेरे साथ कौनसा गेम खेल रही है ? मोंटी के पास जॉब नहीं है इसका मतलब ये नहीं है कि पैसे के लिए मैं इन लोगो का साथ दूंगी,,,,,,,,,,,,,,,,मैं बड़े अधिकारी से इनकी शिकायत करुँगी ताकि ये लोग ऐसी घटिया हरकत ना करे।,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पर क्या मुझे ऐसा करना चाहिए ? अगर मैंने ऐसा किया तो हो सकता है बाद में ये लोग मुझे भी बैंक से निकाल दे और फिर परेशानिया खत्म होने के बाद बढ़ जाये। नहीं नहीं मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए लेकिन मैं सर को प्रमोशन के लिए साफ मना कर दूंगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,उनके ऑफर को एक्सेप्ट करने का मतलब है उनकी गलतियों पर पर्दा डालना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम सही कहती थी नैना ये इस दुनिया में हर कोई दोस्ती और भरोसे के लायक नहीं है।”
बस के हॉर्न से रुचिका की तंद्रा टूटी और उसने पानी पिए बिना ही बोतल को बंद करके बैग में रखा और बस की तरफ बढ़ गयी।
आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
शीतल के बनाये पराठे खाकर मिसेज आहूजा और मिसेज गुप्ता की तो हालत खराब हो गयी। दोनों अपने अपने घर चली गयी। शीतल ने मासूम सी शक्ल बनाकर मिसेज शर्मा की तरफ देखा और कहा,”माँ मुझसे कोई गलती हुई क्या ? वो मिसेज आहूजा कह रही कि मैंने पराठो में कुछ मिलाया है,,,,,,,,,,,,,,,मैं भला ऐसा क्यों करुँगी ?”
“अरे ये मिसेज आहूजा तो है ही ऐसी , इन्हे हर चीज में कमी निकालने की आदत है,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन ये इन दोनों को एकदम से ऐसा क्या हुआ ? कही सच में तो तुमने,,,,,,,,,,,,,,,,!”,मिसेज शर्मा ने शकभरे स्वर में कहा
“कैसी बातें कर रही है माँ ? एक तो मैंने आपके कहने पर उनसे माफ़ी मांगी और अब आप ही,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लगता है मुझसे ही कोई गलती हुई है। पराठे तो आपने और मैंने भी खाये थे हमे तो कुछ नहीं हुआ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या पता इस बहाने वो बाहर मेरा नाम खराब करना चाहती हो , और मेरे साथ साथ आपका भी कि मिसेज शर्मा की बहू को तो कुछ बनाना नहीं आता”,शीतल ने मासूम बनते हुए कहा जबकि अंदर ही अंदर उसे मिसेज गुप्ता और आहूजा की हालत याद करके हंसी आ रही थी।
“वो दोनों ऐसी लगती तो नहीं है , खैर ये सब यहाँ से उठाओ मैं जरा अपने कमरे में जाती हूँ आराम करने,,,,,,,,,,,,,,,मैंने भी कुछ ज्यादा ही पराठे खा लिए है”,मिसेज शर्मा ने उठते हुए कहा और वहा से चली गई।
शीतल ने ख़ुशी ख़ुशी सब बर्तन उठाकर किचन के सिंक में रखे और फिर डायनिंग के पास आकर अपने बचे हुए पराठे को खत्म करने लगी। जैसे ही उसने एक दो निवाले खाये उसे मिसेज गुप्ता और मिसेज आहूजा की हालत याद आ गयी और वह खिलखिलाकर हंस पड़ी। शीतल ने आज पहली बार ऐसा कुछ किया था और ये करके उसे बहुत मजा आ रहा था।
चंडीगढ़ , अवि का घर
एक काले रंग की आलिशान गाडी अवि के घर के बाहर आकर रुकी। गाड़ी में निबेदिता थी और उसके बगल में ड्राइवर सीट पर बैठा था एक लड़का जो कि काफी खूबसूरत और अच्छे घर का लग रहा था। निबेदिता ने लड़के को गले लगाया और उसके गाल पर किस करके कहा,”थैंक्यू बेबी मेरे साथ यहाँ तक आने के लिए , तुम बहुत अच्छे और केयरिंग हो”
“सिर्फ थैंक्यू ! मुझे लगा तुम मुझे अंदर आने को कहोगी”,लड़के ने हताश होकर कहा
निबेदिता ने लड़के का हाथ थामा और कहा,”मैं जरूर कहती लेकिन अभी घर में तुम्हारे बारे में किसी को पता नहीं है , तुम अगर उनके सामने एकदम से गए तो मे बी उन्हें अच्छा न लगे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन मैं जल्दी तुम्हे उन से मिलवाने वाली हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे भी उस रात के बाद से मुझे नहीं लगता मैं तुम्हरे बिना रह पाऊँगी,,,,,,,,,,,,,,,आई लव यू,,,,,,,,,,,,,,आई लव यू सो मच”
निबेदिता की आँखों में एक आकर्षण था जिसे लड़का साफ देख पा रहा था उसने निबेदिता के होंठो को अपने होंठो से छुआ और कहा,”आई लव यू टू”
निबेदिता मुस्कुराई और गाड़ी से नीचे उतर गयी लड़का भी उसके साथ नीचे उतरा और उसका सामान बाहर निकालकर रखते हुए कहा,”अपना ख्याल रखना”
“तुम भी , बाय”,निबेदिता ने अपना सूटकेस लेकर जाते हुए कहा और घर का मेन गेट खोलकर अंदर चली गयी। लड़का उसे जाते हुए देखता रहा और फिर गाड़ी से पीठ लगाकर खड़ा हो गया। उसने अपनी जेब से सिगरेट निकाली और जलाकर मुंह में रख ली। अवि के घर की तरफ देखते हुए उसने सिगरेट का धुंआ छोड़ा और कहा,”नैना बजाज तुम्हारे घर तक तो मैं आ ही चुका हूँ और बहुत जल्दी तुम्हारी जिंदगी में भी आ ही जाऊंगा , बस मेरा इंतजार करना”
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संजना किरोड़ीवाल