Love You Zindagi – 44
आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
शीतल ने आहूजा जी के सामने जानबूझकर मिसेज आहूजा की बात की तो आहूजा जी बहाना बनाकर वहा से चले गए क्योकि अपनी पत्नी की हरकतों से अनजान तो वे भी नहीं थे। शीतल मुस्कुरा उठी और बाकी कपडे सुखाकर अंदर चली आयी। हॉल में मिसेज शर्मा थी उन्होंने जब शीतल को देखा तो मुंह बनाकर किचन की तरफ जाने लगी। शीतल ने देखा तो तुरंत उनके पास आयी और अपने शब्दों में चाशनी लपेटते हुए कहा,”अरे माँ आप सुबह सुबह किचन में,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे बताईये ना आपको क्या चाहिए मैं बना देती हूँ ? वैसे मैं सोच रही हूँ क्यों ना आपके लिए गोभी के पराठे बना दू , आपको बहुत पसंद है ना”
मिसेज शर्मा ने सूना तो थोड़ा हैरान हुई और फिर कहा,”नहीं कोई जरूरत नहीं है,,,,,,,,,,,,,,वैसे ये इतनी मेहरबानी किसलिए ?”
“क्या माँ आप भी,,,,,,,,,,अपनों के लिए ये सब करना मेहरबानी थोड़े होती है। चलिए आप वहा चलकर बैठिये मैं आपके लिए कुछ बना देती हूँ”,शीतल ने पहले से भी ज्यादा प्यार भरे स्वर में कहा और किचन में चली गयी
“आज इसे क्या हो गया है ? कल तो कितना भड़क रही थी और अब एकदम से इतना मीठा सुर,,,,,,,,,,,,लगता है सार्थक ने कहा है तभी ये इतना शांत है। वैसे सही वक्त पर अकल आ गयी इसे”,मिसेज शर्मा ने मन ही मन खुश होकर कहा और हॉल में चली आयी।
सार्थक और मिस्टर शर्मा अपने अपने ऑफिस जा चुके थे। मिसेज शर्मा हॉल में बैठकर टीवी देखने लगी और शीतल किचन में उनके लिए पराठे बनाने लगी। पराठे बनाते हुए शीतल के दिमाग में खुराफाती मची उसने मिसेज शर्मा के लिए 4 पराठे बनाकर अलग रखे और फिर बाकि स्टफिंग में ढेर सारा बेकिंग सोडा मिलाते हुए मन ही मन खुद से कहा,”बहुत शौक है ना दुसरो की जिंदगी में गंदगी फ़ैलाने का,,,,,,,,,,,,,अब आएगा मजा जब आप मेरे हाथो से बने ये टेस्टी पराठे खाएंगी”
शीतल ख़ुशी ख़ुशी बाकी के पराठे भी बनाने लगी। पराठो की खुशबु से पूरा घर महक उठा मिसेज शर्मा भी हॉल में बैठी झांक ले रही थी कि आखिर किचन में बन क्या रहा है ? और अगर बन रहा है तो अब तक उनके पास आया क्यों नहीं ?
कुछ देर बाद शीतल एक प्लेट में दो पराठे , साथ में सुखी सब्जी और एक कटोरी दही लेकर मिसेज शर्मा के सामने आयी और प्लेट टेबल पर रखते हुए कहा,”ये लीजिये माँ गर्मागर्म पराठे , खाकर बताईये कैसे बने है ?”
प्लेट में रखे सुनहरे पराठे देखते ही मिसेज शर्मा के मुंह में पानी आ गया लेकिन शीतल से वे अभी भी नाराज थी इसलिए कहा,”ये पराठे खिलाकर तुम ये दिखाना चाहती हो कि तुम्हे मेरी बहुत परवाह है ?”
“ये आप कैसी बातें कर रही है माँ ? परवाह तो है ना मुझे आपकी”,शीतल ने प्यार से कहा
“ऐसा होता तो तुम अब तक मिसेज आहूजा और गुप्ता से माफ़ी,,,,,,,,,,,,,,,,,,खैर छोडो मैं तुम से ये सब क्यों कह रही हूँ ? तुम्हे कौनसा मेरी बातो से फर्क पड़ता है शीतल”,कहते हुए मिसेज शर्मा ने उठकर जाने का नाटक किया लेकिन शीतल ने उनका हाथ पकड़कर उन्हें रोक लिया और कहा,”आप ये चाहती है ना मैं मिसेज आहूजा और मिसेज शर्मा से माफ़ी मांगू ?”
“हम्म्म्म लेकिन मुझे पता है तुम ऐसा नहीं करोगी”,मिसेज शर्मा ने कहा
“बैठिये,,,,,,,,,!”,शीतल ने मिसेज शर्मा को बैठाते हुए कहा तो मिसेज शर्मा वापस बैठ गयी। शीतल उठी और कहा,”एक काम कीजिये ना माँ आप उन्हें भी पराठे खाने के लिए घर बुला लीजिये , इस से उनकी नाराजगी भी खत्म हो जाएगी और मैं उनसे माफ़ी भी मांग लुंगी”
“तुम सच कह रही हो ?”,मिसेज शर्मा ने खुश होकर कहा हालाँकि उन्होंने अपनी ख़ुशी को ज्यादा जाहिर होने नहीं दिया
“हाँ माँ पक्का , आप उन्हें बुलाइये तब तक मैं उनके लिए भी पराठे तैयार कर लेती हूँ”,कहते हुए शीतल एक बार फिर किचन में चली गयी और पराठे बनाने लगी। दूसरी तरफ मिसेज शर्मा ख़ुशी ख़ुशी मिसेज आहूजा और गुप्ता को फोन लगाने लगी
बीकानेर , मोंटी का घर
रुचिका को बैंक जाना था और आज उठने में उसे देर हो गयी उसने जल्दी जल्दी कबर्ड से कपडे निकालकर रखे और फिर नहाने चली गयी। रुचिका नहाकर वापस आयी तो देखा मोंटी कमरे में नहीं है। रुचिका ऑफिस जाने के लिए तैयार हुई और शीशे के सामने आकर बाल बनाते हुए खुद में ही बड़बड़ाई,”लगता है मोंटी भी उठ गया है , उसके लिए कॉफी बनानी है और अपने लिए लंच भी,,,,,,,,,,,,,,लगता है आज फिर केंटीन से ही खाना होगा,,,,,,,,मुझे रात में जल्दी सोने की आदत डालनी होगी या फिर सुबह जल्दी उठना होगा”
तैयार होकर रुचिका फटाफट बाहर आयी तो देखा मोंटी डायनिंग टेबल के पास खड़ा प्लेट पोछ रहा था।
“सॉरी बेबी मुझे आज लेट हो गया , मैं अभी तुम्हारे लिए फटाफट कुछ बना देती हूँ,,,,,,,,,,,,,,तुम क्या खाओगे ?”,रुचिका कहते हुए जैसे ही किचन की तरफ जाने लगी मोंटी प्लेट टेबल पर रखकर उसके पास आया और उसे कंधो से पकड़कर डायनिंग के पास बैठाते हुए कहा,”उसकी जरूरत नहीं है जान मैंने आज का ब्रेकफास्ट बना लिया है , तुम्हारे पास अभी भी आधा घंटा बचा है इसलिए आराम से नाश्ता करो”
“तुमने बनाया ? लेकिन क्यों मुझसे कहा होता मैं बना देती ना”,रुचिका ने थोड़ा हैरानी से कहा
“इट्स ओके बाबा , तुम दिनभर बैंक में काम करती हो और अब तो तुम्हारा काम भी बढ़ गया है। मैं दिनभर कुछ नहीं करता घर में ही रहता हूँ तो एटलीस्ट घर के कामो में तो मैं तुम्हारा हाथ बटा ही सकता हूँ ना,,,,,,,,,,,चलो अब साथ बैठकर नाश्ता करते है,,,,,,,,,,,,खाकर बताओ कैसा बना है ?”,मोंटी ने कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए कहा
रुचिका ने एक निवाला खाया और कहा,”सुपर ये बहुत टेस्टी बना है”
“बनेगा क्यों नहीं मैंने इतने प्यार और मेहनत से जो बनाया है”,मोंटी ने भी अपनी प्लेट में परोसते हुए कहा और दोनों साथ साथ नाश्ता करने लगे।
गोआ से वापस आने के बाद मोंटी का रुचिका के लिए प्यार और परवाह दोनों बढ़ चुके थे और यही देखकर रुचिका फूली नहीं समा रही थी। नाश्ता करने के बाद रुचिका ने अपना बैग लिया और मोंटी के गाल को अपने होंठो से छूकर कहा,”अपना ख्याल रखना और मुझे ज्यादा मिस मत करना”
“एक खाली बैठा इंसान और क्या कर सकता है भला , मैं तुम्हे बहुत मिस करूंगा ताकि तुम जल्दी से वापस आ जाओ,,,,,,,,,,,,,,,अपना ख्याल रखना”,मोंटी ने दरवाजे से बाहर जाती रुचिका को देखकर कहा और मुस्कुराने लगा
रुचिका भी मुस्कुरा कर वहा से चली गयी। लिफ्ट में उसे मधु मिल गयी जो की फोन पर किसी से बात कर रही थी लेकिन रुचिका को देखते ही उसने धीमी आवाज में कहा,”ओके बेबी मैं तुम्हे बाद में फोन करती हूँ”
रुचिका अंदर आयी तो मधु ने अपना फोन बैग में रखते हुए कहा,”गुड मॉर्निंग”
“गुड मॉर्निंग”,रुचिका ने बिना मधु की तरफ देखे रूखे स्वर में कहा क्योकि धीरे धीरे ही सही मधु अब उसे नापसंद आने लगी थी।
“हे रूचि क्या तुम अब भी मुझसे कल वाली बात के लिए नाराज हो,,,,,,,,,,,,,,,देखो यार वो मेरी पर्सनल लाइफ है तुम्हे उस में इंटरफेयर नहीं करना चाहिए”,मधु ने कहा
“इंटरफेयर मैं नहीं तुम्हे करने की आदत है,,,,,,,,,,,,,जैसे उस शाम तुमने मोंटी को जज कर लिया था”,रुचिका ने मुंह बनाते हुए कहा
मधु ने सूना तो कहा,”रुचिका तुम्हारी आँखों पर ना प्यार नाम की पट्टी बंधी है जो कि बहुत जल्दी खुल जाएगी। तुम मर्द जात को अच्छे से जानती नहीं हो ये तब तक अच्छे से पेश आते है जब तक इनका मतलब ना निकल जाये उसके बाद ये हमे देखते तक नहीं”
“इस बात को तुम जितना जल्दी समझो तुम्हारे लिए उतना ही अच्छा है,,,,,,,,,,,,,,मेरे पास मेरा पति है मुझे 10 जगह मुंह मारने की जरूरत नहीं है”,इस बार रुचिका ने कठोरता से कहा तो मधु खामोश हो गयी क्योकि उसकी पर्सनल लाइफ रुचिका से तो छुपी नहीं थी। दोनों चुपचाप लिफ्ट के नीचे आने का इंतजार करने लगी।
रुचिका के जाने के बाद मोंटी डायनिंग से जूठे बर्तन उठाने लगा। बर्तन लेकर जब वह किचन की तरफ आया तो वहा रखा टिफिन देखकर उसे याद आया कि रुचिका तो अपना लंच ले जाना ही भूल गयी है। मोंटी ने टिफिन उठाया और बाहर आया लेकिन लिफ्ट बिजी थी। वह सीढ़ियों से ही भागते हुए नीचे आया। नीचे आकर मोंटी हांफने लगा था लिफ्ट की तरफ देखा तो उसे खुला पाया। मोंटी ने नजरे घुमाई तो उसे रुचिका मधु के साथ मेन गेट की तरफ जाते दिखाई दी। मोंटी ने रुचिका को आवाज दी,”रुचिका,,,,,,,,,,,,,,,,एक मिनिट”
“मोंटी,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,रुचिका ने पलटकर कहा वह कुछ और पूछती इस से पहले ही मोंटी रुचिका के पास आया और हांफते हुए कहा,”तुम अपना लंच बॉक्स ऊपर ही भूल आयी थी”
“तुमने लंच भी बनाया है,,,,,,,,,,,,,मोंटी मैं केंटीन से खा लेती इसकी जरूरत नहीं थी”,रुचिका ने कहा
“इट्स ओके ना,,,,,,,,,,और वैसे भी रोज रोज केंटीन का खाना खाने से तुम्हारी हेल्थ खराब हो जाएगी इसलिए घर का खाना खाओ”,मोंटी ने लंच बॉक्स रुचिका के बैग में रखते हुए कहा। रुचिका की आँखों में मोंटी के ढेर सारा प्यार झिलमिलाने लगा और पास खड़ी मधु ख़ामोशी से उसे देख रही थी।
मोंटी ने दोनों को बाय कहा और वापस चला गया। रुचिका ने एक नजर मधु को देखा और वहा से चली गयी। मोंटी को इस तरह रुचिका की परवाह करते देखकर मधु को अपनी बातो पर पछतावा होने लगा जो उसने कुछ देर पहले रुचिका से कही थी और फिर रुचिका को आवाज देते हुए वह उसके पीछे चल पड़ी।
चंडीगढ़ , अवि का घर
नैना ने बैठे बिठाये मुसीबत मोल ले ली , उसने कभी अपनी जिंदगी में लड्डू नहीं बनाये थे लेकिन सौंदर्या जी और बाकि घरवालों के सामने चढ़ावे के लड्डू खुद बनाने की बात कह दी बस फिर क्या था सौंदर्या जी ने भी कह दिया कि प्रशाद में चढ़ने वाले भोग के लड्डू नैना ही बनाएगी। नैना भोला भैया और रसोईये की मदद ले भी लेती लेकिन उन्हें भी सौंदर्या ने किसी काम से बाहर भेज दिया। नैना किचन में अकेले थे और खड़े खड़े बूंदी को देखे जा रही थी। उसे नहीं पता था आगे क्या करना है ? कैसे करना है ? बस मन ही मन खुद को कोसे जा रही थी। नैना कुछ देर सोच में डूबी रही और फिर एकदम से मुस्कुरा उठी उसने टेबल पर रखा अपना फोन उठाया और अवि का नंबर डॉयल किया।
“ये नैना सुबह सुबह मुझे फोन क्यों कर रही है ?”,अवि ने फोन की स्क्रीन देखकर नींद में कहा और फोन रिसीव किये बिना ही वापस रख दिया।
“हाह ये पडोसी मेरा फोन क्यों नहीं उठा रहा ? लगता है घोड़े बेचकर सो रहा होगा ये आदमी,,,,,,,,,,,,,पिक अप द फोन पडोसी,,,,,,,,,,,आई नीड़ योर हेल्प”,नैना ने एक बार फिर अवि का नंबर डॉयल करते हुए कहा
फोन फिर वाइब्रेट हुआ तो अवि ने कॉल रिसीव किया और कान से लगाकर नींद में कहा,”हम्म्म्म क्या है ?”
“पडोसी अभी के अभी किचन में आओ जल्दी,,,,,,,,,,,,,,,मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए प्लीज”,नैना ने धीमी आवाज में फुसफुसाते हुए कहा ताकि उसकी आवजा किचन से बाहर ना जाये।
“क्या किचन ? और तुम ऐसे बात क्यों कर रही हो ? तुमने फिर कोई गड़बड़ की क्या ?”,अवि ने उठकर बैठते हुए कहा
“पडोसी तुम्हे क्या मैं छोटी बच्ची नजर आती हूँ जो हर बार गड़बड़ करुँगी,,,,,,,,,,,,,,तुम आ रहे हो या नहीं ?”,नैना ने थोड़ा चिढ़ते हुए लेकिन धीमी आवाज में कहा
“आहह ओके मैं आता हूँ”,अवि ने उबासी लेते हुए कहा और जैसे ही फोन काटना चाहा दूसरी तरफ से नैना ने कहा,”सुनो ! पीछे वाले गेट से आना और ध्यान रखना कोई तुम्हे देखे न”
“लगता है ये लड़की पागल हो गयी है अपने ही घर में मुझे चोरो की तरह आने को बोल रही है”,कहते हुए अवि ने फोन काटा और साइड में रखकर बाथरूम की ओर चला गया।
कुछ देर बाद अवि नहा-धोकर नीचे किचन में आया और देखा नैना परेशान सी अपना फोन होंठो से लगाये किचन में यहाँ वहा घूम रही है। अवि को देखते ही नैना उसके पास आयी और कहा,”अच्छा हुआ तुम आ गए , अब फटाफट से काम पर लग जाओ”
“कैसा काम ? और तुम सुबह सुबह किचन में क्या कर रही हो ?”,अवि ने हैरानी से कहा
“वो सब मैं तुम्हे बाद में बताउंगी इत्मीनान से , पहले तुम मुझे ये बताओ इन बूंदी का मैं क्या करू ?”,नैना ने भगोने की तरफ आते हुए कहा
“मतलब ?”,अवि को अभी भी कुछ समझ नहीं आ रहा था
“आह्ह्ह्ह मतलब ये कि पडोसी मैंने कल बातो बातो में अपनी लंका खुद लगा ली और मॉम से कहा प्रशाद के लिए लड्डू मैं बनाउंगी और उन्होंने सच में मुझे ये काम सौंप दिया और मुझे,,,,,,,,,,,,,,!!”,नैना बस इतना ही कह पायी कि अवि ने उसके पास आकर कहा,”और तुम्हे लड्डू बनाने नहीं आते”
“वाह पडोसी मेरे साथ रहते रहते तुम कितने स्मार्ट हो गए हो , अब बातें बंद करो और मेरी हेल्प करो”,नैना ने अवि की बाँह पकड़कर उसे गैस की तरफ लाते हुए कहा।
अवि नैना को अच्छे से जानता था इसलिए बिना उस से बहस किये काम पर लग गया। कुछ देर में ही उसने चाशनी तैयार की और बूंदी उनमे मिलाकर लड्डू बनाने का सामान तैयार किया। नैना बार बार दरवाजे से झांककर देखते रही कि सौंदर्या जी आ तो नहीं रही है। बूंदी थोड़े गर्म थे इसलिए अवि को लड्डू बनाने में दिक्कत आ रही थी।
“पडोसी जल्दी जल्दी बनाओ ना”,नैना ने एक बार फिर दरवाजे से झांकते हुए कहा
“ये गर्म है नैना थोड़ा टाइम लगेगा”,अवि ने खीजते हुए कहा क्योकि नैना की वजह से उसे सुबह सुबह ये सब जो करना पड़ रहा था। नैना ने अवि को खीजते हुए देखा तो उसके पास आयी और अपने दोनों हाथो को कमर पर रखते हुए कहा,”लुक मिस्टर हस्बेंड शादी के समय तुमने सबके सामने क्या कहा था तुम घर के कामों में मेरा हाथ बटाओगे,,,,,,,,,,,,अभी तुम वही कर रहे हो इसलिए ज्यादा भाव खाने की जरूरत नहीं है हाँ चाहो तो तुम चार लड्डू अपने लिए ज्यादा रख लेना मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है”
नैना की बात सुनकर अवि नैना को घूरने लगा , नैना ने देखा तो अपनी आँखों को घुमाते हुए कहा,”हाह जल्दी जल्दी हाथ चलाओ”
“काश मेरे हाथ भी तुम्हारी जबान की तरह होते”,अवि लड्डू बनाते हुए बड़बड़ाया
“कुछ कहा तुमने ?”,नैना ने पलटकर पूछा
“नहीं कुछ नहीं तुम बाहर देखो”,अवि ने कहा और वापस अपने काम में लग गया
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