Love You Zindagi – 3
शीतल , रुचिका और नैना की जिंदगी शादी के बाद काफी अच्छी चल रही थी। सार्थक और शीतल का रिश्ता शादी के बाद और मजबूत हो चुका था। मोंटी और रुचिका भी शादी के बाद अपनी अपनी जिम्मेदारियां सम्हालते हुए खुश थे तो वही नैना और अवि में जितने झगडे होते उस से कई ज्यादा उनमे प्यार था। अवि जो कि नैना से थोड़ा ज्यादा ही समझदार था नैना के गुस्से और मूड स्विंग्स को बड़े आराम से सम्हाल लिया करता था।
ये सब अपनी जिंदगी में खुश थे लेकिन नैना की भाषा में कहे तो इनकी जिंदगी में भसड़ आना अभी बाकि था। शीतल सार्थक अभी भी आशीर्वाद अपार्टमेंट का हिस्सा था और शादी के कुछ महीने बाद ही उन्हें अपार्टमेंट की आंटियो के सवालो का सामना करना पड़ रहा था। सार्थक और शीतल की शादी को अभी 3 महीने ही हुए थे और सार्थक की मम्मी शीतल से बच्चे के लिए कहने लगी। शादी के बाद शीतल ने जॉब ना करके हॉउस वाइफ बनना पसंद किया लेकिन बच्चे की जिम्मेदारी इतनी जल्दी उसके कंधो पर आ जाएगी उसने सोचा नहीं था।
रुचिका और मोंटी के बीच यु तो सब ठीक था लेकिन कभी कभी दोनों के बीच किसी बात को लेकर मतभेद हो जाता। रुचिका ने शादी के बाद अपनी जॉब जारी रखी और वही बीकानेर में बैंक में जॉब करने लगी। वह अपनी शादीशुदा जिंदगी और जॉब के बीच सामंजस्य बैठाने की कोशिश कर रही थी। वही मोंटी भी रुचिका को खुश रखने की हर कोशिश करता था लेकिन नौकरी में प्रमोशन के बाद उसकी जिम्मेदारियां थोड़ी बढ़ चुकी थी। रुचिका के साथ रहते हुए वह अक्सर शादी के बाद वाले कुछ मोमेंट्स को मिस जरूर करता था लेकिन सिर्फ रुचिका की ख़ुशी के लिए कभी उन्हें जाहिर नहीं करता।
नैना और अवि का रिश्ता सबसे अलग था नैना में शादी के बाद भी कोई बदलाव नहीं आया था वह अभी भी अवि को पडोसी कहकर बुलाती थी और जब भी दोनों साथ होते किसी ना किसी बात पर बहस होती रहती। अवि के मॉम डेड ने नैना को शादी के बाद काफी सपोर्ट किया। शादी के बाद उसने जॉब छोड़ दी। सौंदर्या जी अपने हॉस्पिटल में होती , चौधरी साहब अपने ऑफिस में तो अवि अपनी स्टूडियो में,,,,,,,,,,,,,,,एक निबेदिता था वो भी अवि और नैना की शादी के बाद अपनी आगे की पढाई के लिए बेंगलौर चली गयी। अवि के घर में बस नैना और घर के कुछ नौकर ही होते थे। नैना ने फिर से जॉब करने का मन बनाया लेकिन अब वो ससुराल में थी और उसे अधिकतर फैसले सबसे पूछकर करने होते थे। कभी ना बदलने की बात करने वाली नैना धीरे धीरे बदल रही थी ये बात उसे भी नहीं पता थी।
उसी शाम सौंदर्या जी हॉल में खड़ी नैना के आने का इंतजार कर रही थी। सौंदर्या जी ने आज नैना को अपने सोशल क्लब ले जाने का वादा जो किया था।
कुछ देर बाद नैना निचे आयी सौंदर्या जी ने देखा तो नजरे नैना पर जम सी गयी। सफेद शर्ट जिसके बाजू के बटन बंद करते हुए नैना सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी। फिटिंग ब्लू जींस , जूतों की जगह नैना अब हिल्स पहनने लगी थी , बालों को समेटकर क्लेचर खोंस रखा था और हमेशा की तरह आज भी बालों की कुछ लटे उसके चेहरे पर झूल रही थी
होंठो पर गहरी लाल रंग की लिपस्टिक बस इसके अलावा चेहरे पर कोई मेकअप नहीं था। शादी के बाद से नैना का रंग-रूप और भी निखर चुका था। एक आकर्षण और चमक उसके चेहरे पर हमेशा दिखाई देता था। नैना सौंदर्या जी के पास आयी और कहा,”चले मॉम ?”
“ऐसे,,,,,,,,,,,,,,,एक मिनिट”,कहते हुए सौंदर्या जी ने उसके शर्ट का एक बटन बंद किया। उसके बालों से कलेचर निकाला और हाथो से सीधी माँग निकालकर बालों को खोल दिया जिस से माँग में भरा लाल सिंदूर नजर आने लगा। नैना को ये सब अच्छा तो नहीं लग रहा था लेकिन इस वक्त वह कुछ कर भी नहीं सकती थी इसलिए किसी स्टेच्यू की तरह सौंदर्या जी के सामने खड़ी रही। उन्होंने नैना को तैयार किया और पीछे हटकर कहा,”नाउ यू लुक परफेक्ट”
नैना ने अपने अंदर चल रही उथल-पुथल को काबू में रखा और मुस्कुराते हुए सौंदर्या जी के साथ चल पड़ी। अवि के घर में नैना पर किसी तरह की रोक टोक नहीं थी वह जैसे मर्जी रहे , जैसे मर्जी कपडे पहने लेकिन ये सब भी उसे कुछ मर्यादाओ में रहकर ही करना होता था।
“हॉस्पिटल से निकलने से पहले मैंने ड्राइवर से कहा था की टाइम से आ जाना लेकिन वो अभी तक नहीं आया “,सौंदर्या जी ने बाहर खड़ी गाड़ी को देखते हुए कहा जहा से ड्राइवर नररद था।
“मैं चला लुंगी मॉम आप आईये”,नैना ने गाड़ी की तरफ जाते हुए कहा।
सौंदर्या ही आकर नैना के बगल में बैठी और कहा,”तुम सच में कमाल हो नैना , तुम वो सब कर लेती हो जो नार्मल लड़किया करने से कतराती है”
“थैंक्स , अब चले आपकी किटी पार्टी में ?”,नैना ने गाड़ी स्टार्ट करते हुए कहा
“नैना बेटा वो किटी पार्टी नहीं है वो सोशल क्लब,,,,,,,,,,,,,,,,,,खैर छोडो तुम एक बार वहा चलो तो सही तुम्हे मजा आएगा”,सौंदर्या जी ने खुश होकर कहा आज कितने दिनों बाद उन्हें अपनी पुरानी दोस्तों से मिलने का मौका जो मिल रहा था।
नैना मुस्कुराई और गाड़ी आगे बढ़ा दी। क्लब जाने का रास्ता अवि के ऑफिस वाले रास्ते की तरफ ही था। सौंदर्या जी की नजर अपने हाथो पर गयी तो उन्हें याद आया कि उन्होंने अपने हाथो की वैक्सिंग नहीं की है तो उन्होंने नैना से कहा,”नैना बेटा आगे जाकर मोड़ पर पार्लर है वहा गाडी रोकना”
“आपको कुछ लेना था ?”,नैना ने सामने देखते हुए पूछा
“ये देखो,,,,,,,,,,,,,मैंने ध्यान ही नहीं दिया अपने हाथो पर मैं ऐसे क्लब नहीं जा सकती , मेरी फ्रेंड्स देखेंगी तो मेरा मजाक बनेगा,,,,,,,,,,,,,,,,ज्यादा टाइम नहीं लगेगा मैं बस यूं गयी और यू आयी,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या जी ने कहा
“मॉम हम लोग बस एक नार्मल क्लब जा रहे है शादी में नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,और वैक्सिंग से क्या फर्क पड़ता है ? इट्स नेचुरल”,नैना ने कहा
“बिल्कुल फर्क पड़ता है तुम मेरी सहेलियों को नहीं जानती , पुरे क्लब में सिर्फ मैंने खुद सबसे अच्छे से मेन्टेन किया हुआ है। मैं ऐसे गयी तो मेरी दोस्तों को बात करने का मौका मिल जाएगा,,,,,,,,,,,,,चलो ना प्लीज”,सौंदर्या जी ने कहा
“ओके फाइन,,,,,,,,,,,तब तक मैं क्या करुँगी ?”,नैना ने कहा
“तुम,,,,,,,,,,,तुम एक काम करना , पार्लर के बिल्कुल सामने कॉफी शॉप है उसकी कॉफी पुरे चंडीगढ़ में लाजवाब है तुम वो ट्राय कर सकती हो”,सौंदर्या जी ने कहा तो नैना ने उनकी तरफ देखकर कहा,”मॉम मैं कॉफी नहीं पीती जानती है ना आप”
“इट्स ओके वो काफी बड़ा कैफे है तुम उसे घूमकर देख सकती हो तब तक मैं आ जाउंगी,,,,,,,,,,,,,,अब नो एक्सक्यूज”,सौंदर्या जी ने कहा तो नैना ने कुछ नहीं कहा बस मुस्कुरा दी। पार्लर के सामने पहुंचकर नैना ने गाड़ी रोक दी। सौंदर्या जी गाड़ी से उतरी और जल्दी वापस आने का कहकर वहा से चली गयी। नैना भी कुछ देर गाड़ी में बैठी रही और फिर बोर होने लगी तो बाहर निकल आयी। उसने अपने हाथ बांधे और पीठ गाड़ी से लगाकर खड़े हो गयी। मौसम काफी अच्छा था और सुहावनी हवाएं चल रही थी। वह खामोश आँखों से सड़क के उस पर बने कैफे को देखने लगी जिसकी दीवारों पर कॉफी को लेकर खूबसूरत बातें लिखी हुई थी लेकिन नैना तो ठहरी नैना वह उन लाइनस को पढ़कर बड़बड़ाने लगी
“छ : चाय से बेटर भी कुछ होता है क्या ? चाय कितनी सिंपल होती है , कितनी सस्ती होती है , कोई दिखावा नहीं कोई घमंड नहीं हर कोई उसे पी सकता है अफोर्ड कर सकता है लेकिन ये कॉफी,,,,,,,,,,,,,ये तो बस अमीरो के चोंचले है। गरीब आदमी तो बेचारा इसे पीने की सोच भी नहीं सकता , जितने की वो एक कप कॉफी खरीदेगा उतने में तो पूरा घर दो वक्त का खाना खा लेगा। मुझे लगता था ये साला पडोसी ही पागल है लेकिन इसके घरवाले भी,,,,,,,,,,,,,,क्लब जाने के लिए वैक्सिंग कौन करवाता है ?,,,,,,,,,,क्रेज़ी पीपल,,,,,,,,,,,इनका बस चले तो ये दुनिया भी अपने हिसाब से बना दे। मतलब आंटी के हिसाब से वर्ल्ड वॉर 3 भी हो ना तो पहले वो वैक्सिंग करवाएगी वरना लोगो को उनके हाथो पर बाल नजर आ जायेंगे,,,,,,,,,,हाह इतना कौन सोचता है , जैसे हो वैसे रहो ना ,,पता नहीं खुद को तकलीफ देकर सुंदर दिखने में लोगो को क्या मिलता है ?”
नैना अभी ये सब बड़बड़ा ही रही थी की तभी बाइक पर सवार दो लड़के नैना के सामने से निकले। नैना को देखते ही बाइक की स्पीड कम हो गयी और पीछे बैठा लड़का गाना गाने लगा नैना की तंद्रा टूटी तो उसने अपनी बाँयी भँव ऊपर चढ़ाकर कहा,”क्या है बे ?”
“क कुछ नहीं आप अकेली खड़ी है वो भी गाड़ी के बाहर,,,,,,,,,,,,,,शायद आपकी गाड़ी खराब हो गयी है,,,,,,,,,,,,,,,,तो सोचा आपकी मदद कर दे”,आगे बैठे लड़के ने ललचायी नजरो से नैना को देखते हुए कहा
एक तो नैना को वैसे ही बाहर नहीं आना था उपर से लड़के की बातो ने आग में घी डालने का काम किया। उसने दोनों लड़को को घूरकर देखा और कहा,”बेटा उलटे हाथ के दो कंटाप दिए ना तुम्हाये कान के नीचे तो ऐसी कपड़दान ( मवाद ) बहेगी कि समेट नहीं पाओगे। बिना किसी के माँगे हेल्प करने का सोचा तो बेटा इतना पेलेंगे कि तुम्हारी आने वाली 7 पुश्ते भी किसी की मदद करने का नहीं सोचेगी। अपना मनहूस शरीर उठाओ और निकालो यहाँ से
वरना ऐसा चरस बोयेंगे जिंदगी भर नहीं निकाल पाओगे,,,,,,,,,,,,,,,चिलगोजे कही के”
लड़के नैना की खूबसूरती देखकर उस पर फ़िदा हुए थे लेकिन जब उन्होंने लाल लिपस्टिक लगे नैना के होंठो से ये सब सूना तो दोनों हक्के बक्के रह गए। नैना आगे उन्हें कुछ कहती इस से पहले ही दोनों वहा से भाग गए। आज कई दिन बाद नैना ने किसी पर ऐसे गुस्सा किया था उसने गुस्से में अपने ही बालों को नोचा और फिर पैर पटकते हुए कैफे की तरफ चली आयी। दरवाजे के बाहर खड़ी नैना ने खुद को शांत करने के लिए दो चार लम्बी लम्बी सांसे ली और दरवाजा खोलकर अंदर चली आयी। नैना ने एक बड़ा मग कॉफी ली और बाहर चली आयी। उसने कॉफी कप गाड़ी के बोतल होल्डर में रखा और गाड़ी लेकर आगे बढ़ गयी। पार्लर से 500 मीटर पर ही अवि का स्टूडियो और ऑफिस था। नैना ने गाडी रोकी , कप उठाया और उसे देखकर कहा,”लड़ाई-झगड़ा एक तरफ लेकिन तुम से थोड़ी सी मोहब्बत एक तरफ,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं कॉफी नहीं पीती पर तुम तो पीते हो ना पडोसी , इसलिए ये तुम्हारे लिए”
नैना मुस्कुरा उठी और इस वक्त वो बहुत प्यारी लग रही थी। नैना ने दरवाजा खोला और कप लिए ऑफिस की तरफ चली आयी। अवि अपने स्टाफ के साथ मीटिंग रूम में था नैना को जब पता चला तो उसने अवि को डिस्टर्ब नहीं किया और सीधा उसके केबिन में चली आयी। ऑफिस में किसी को पता नहीं था नैना अवि की वाइफ है इसलिए लड़के और लड़किया सब नैना को देख रहे थे। नैना ने कॉफी अवि के टेबल पर रखा और जाने लगी। अगले ही पल एक ख्याल उसके दिमाग में कौंधा और वह वापस टेबल की तरफ आयी उसने कप उठाया और उस पर अपने होंठो के निशान बना दिए। नैना की लिपस्टिक के निशान उस कप पर अच्छे लग रहे थे।
नैना केबिन से बाहर निकल गयी। अवि ने उसे जाते हुए देख लिया था इसलिए जल्दी से अपनी मीटिंग खत्म की और बाहर आया लेकिन तब तक नैना बाहर जा चुकी थी। अवि ने देखा ऑफिस के 2-3 लड़के नैना को ही देख रहे थे तो वह उनके पास चला आया लेकिन लड़को ने ध्यान नहीं दिया और उनमे से एक ने कहा,”यार क्या मस्त लड़की है,,,,,,,,,,,,,,,,एकदम बवाल”
“शी इज माय वाइफ,,,,,,,,,,,,!!”,लड़को के पीछे खड़े अवि ने हाथ बांधकर सहजता से कहा
लड़के ने जैसे ही सूना पलटा अवि को देखकर उसकी तो सिट्टी-पिट्टी ही गुम हो गयी और उसने हकलाते हुए कहा,”आ आ आई ऍम सॉरी सर”
“दोबारा उसके लिए ऐसा कुछ सूना तो उठा के बाहर फेंक दूंगा”,अवि ने थोड़ा गुस्से से कहा और अपने केबिन में चला आया
अंदर आकर अवि अपनी कुर्सी पर आ बैठा और खुद से कहा,”नैना यहाँ क्यों आयी थी ? और मुझसे मिले बिना ही चली गयी,,,,,,,,,,,,,,,अजीब बात है”
अवि खुद से सवाल कर ही रहा था की उसकी नजर सामने पड़े कॉफी कप पर गयी तो अवि ने उसे उठाया और घुमाकर देखने लगा। नजर जब लिपस्टिक के निशान पर पड़ी तो सहसा ही एक मुस्कुराहट उसके होंठो पर तैर गयी। वह समझ गया की ये कॉफी नैना उसके लिए लेकर आयी थी। उसने कॉफी का एक सिप भरा और कहा,”हम्म्म अच्छी है , तो मेरा नैना बच्चा इसलिए यहाँ आया था”
अवि नैना के बारे में सोचते हुए उस कॉफी को पीने लगा जो नैना स्पेशली उसके लिए लेकर आयी थी
शाम में मोंटी ऑफिस से फ्लेट पर आया। लांच टाइम में गौतम से बात करने के बाद उसका मूड कुछ ठीक नहीं था। मोंटी रुचिका से बहुत प्यार करता था इतना कि उसने कभी रुचिका के लाइफ स्टाइल को चेंज नहीं किया , उस हर फ्रीडम दी लेकिन शादी के बाद जो मोमेंट्स होते है वो मोंटी कही ना कही मिस कर रहा था। दरवाजे के सामने आकर मोंटी ने बेल बजायी लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला। काम की थकान मोंटी के चेहरे से साफ झलक रही थी। उसने एक बार और बेल बजायी लेकिन इस बार भी किसी ने दरवाजा नहीं खोला। मोंटी ने बैग से चाबी निकाली और दरवाजा खोलकर अंदर आया। अंदर अन्धेरा था उसने लाइट ऑन की और बैग सोफे पर रखकर अपने कमरे की ओर बढ़ गया। मोंटी फ्रेश होकर आया रुचिका अभी तक नहीं आयी थी। मोंटी ने फोन उठाया और जैसे ही रुचिका का नंबर डॉयल किया रुचिका दरवाजा खोलकर अंदर आयी। उसके हाथ में कुछ बैग्स थे और वह काफी थकी हुई नजर आ रही थी।
“आज तुमने आने में देर कर दी रूचि ?”,मोंटी ने फोन टेबल पर रख रुचिका के पास आते हुए पूछा
“हाँ वो मैं अपनी कलीग्स के साथ शॉपिंग पर चली गयी थी”,रुचिका ने आँखे मूंदे अपना सर पीछे सोफे से लगाए हुए कहा
“रुचिका अभी लास्ट संडे ही हम लोग शॉपिंग पर गए थे , आज फिर से,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे पैसे बचाने चाहिए”,मोंटी ने कहा
“मोंटी अब जैसा जॉब फिल्ड होगा वैसे खुद को अपडेट भी तो रखना होगा ना,,,,,,,,,,,,,,,,,एंड डोंट वरी मैंने तुम्हारा क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल नहीं किया है”,रुचिका ने मोंटी की तरफ देखकर कहा
“रूचि मैं ये नहीं कह रहा , खैर छोडो खाने में क्या बनेगा आज बहुत भूख लगी है ?”,मोंटी ने कहा
“बेबी आज मैं बहुत थक गयी हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,खाना बाहर से आर्डर कर देते है ना,,,,,,,,,,,,,प्लीजजजजजज”,रुचिका ने अलसाये स्वर में कहा
“तो चलो किचन में मैं तुम्हारी हेल्प कर देता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे भी ये रोज रोज बाहर का खाना सही नहीं होता,,,,,,,,,,,!!”,मोंटी ने रुचिका का हाथ पकड़कर उसे उठाते हुए कहा लेकिन रुचिका नहीं उठी। मोंटी ने पलटकर देखा तो रुचिका ने कहा,”सिर्फ आज कल से मैं पक्का घर पर ही बनाउंगी , आज मेरा बिल्कुल मन नहीं है मोंटी,,,,,,,,,,,,!!”
रुचिका की बात सुनकर मोंटी ने उसका हाथ छोड़ दिया और कहा,”दिल्ली में जब तुम नैना और शीतल के साथ रहती थी तब भी खाना घर में बनता था ना फिर यहाँ क्यों नहीं ?”
“वहा खाना हमेशा शीतल बनाती थी या कभी कभी नैना,,,,,,,,,,,,,,मैंने अपने पापा के घर में भी कभी नहीं बनाया”,रुचिका ने कहा
“हम्म्म तभी ये हाल है , ओके मैं आर्डर कर देता हूँ”,कहकर मोंटी वहा से चला गया। वह रूम में आया और खाना आर्डर करने के बाद बाहर चला आया ये सोचकर की रुचिका के साथ टाइम स्पेंड करेगा लेकिन रुचिका अपने लेपटॉप पर बिजी थी। मोंटी उसके पास आया और लेपटॉप बंद करते हुए कहा,”रूचि कितनी बार कहा है ऑफिस का काम घर लेकर मत आया करो। ये कुछ वक्त ही तो होता है जब हम साथ होते है”
“मोंटी 2 मिनिट मुझे एक जरुरी डॉक्युमेंट सेंड करना है,,,,,,,,,,,,,,,,उसके बाद मेरे पास टाइम ही टाइम है”,रुचिका ने लेपटॉप खोलकर वापस उसमे नजरे गड़ाते हुए कहा। मोंटी हल्का सा मुस्कुराया और फिर टीवी देखने लगा।
रुचिका एक बार लेपटॉप में बिजी हुयी तो फिर उसे ख्याल ही नहीं रहा कि खाना आ चुका है मोंटी ने खाना डायनिंग पर लगाया रुचिका को दो तीन बार आवाज भी दी लेकिन वो हर बार दो मिनिट का बोलकर फिर बिजी हो जाती। मोंटी कुर्सी पर बैठा खाने को देखता रहा शादी के बाद रुचिका में आये बदलाव् को वह साफ महसूस कर पा रहा था। खाना अब ठंडा होने लगा था। रुचिका ने लेपटॉप बंद किया और मोंटी के पीछे आकर उसके गले में बाँहे डालते हुए कहा,”ओह्ह्ह्ह मेरे बाबू ने मेरे बिना खाना भी नहीं खाया,,,,,,,,,,,,,,,!!”
मोंटी ने बड़ी ही सहजता से रुचिका के हाथो को साइड किया , उठा और रुचिका की तरफ पलटकर कहा,”रिलेशनशिप बाबू/शोना के भरोसे चल सकता है लेकिन एक शादी में “मेले बाबू ने थाना थाया” कहने से काम नहीं चलता वो “खाना” बनाना भी पड़ता है रूचि”
“मोंटी,,,,,,,,,,,!!”,रुचिका ने कहना चाहा लेकिन तब तक मोंटी अपने कमरे की तरफ बढ़ चूका था।
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संजना किरोड़ीवाल