Lette hi neend aagyi-03
Lette hi neend aagyi-03
सुबह के बचे हुए खाने को खा कर रमीज़ अपने बिस्तर पर लेट जाता है दिन भर का थका रमीज़ फ़ौरन ही नींद के वादियों में खो जाता है जहा से शुरू होता है उसके खाव्बों का सफर !
”अम्मा भैया से कह कर कुछ रुपय दिला दो मुझे अपना खुद का कारोबार करना है !” रमीज़ ने अपने माँ के पैर दबाते हुए कहा !
”रमीज़ बेटा तुम तो जानता ही है अपने भाइयों को जब से इनकी मैंने शादी की है बस अपनी बीवी की सुनते है भला मेरी बात क्यों मानेंगे वो तू ऐसा कर कुछ दिन किसी के यहाँ नौकरी कर ले कुछ पैसे जमा कर ले फिर कर लेना खुद का कुछ !” अम्मा ने समझाते हुए कहा !
”अम्मा अगर मैंने कुछ नहीं किया तो वो नरगिस की शादी उसके घर वाले कही और करदेंगे , अम्मा मैं उसके बिना नहीं रह सकता बहुत पसंद करता हूँ मैं नरगिस को बस आप मेरी मदद करो !” रमीज़ ने परेशान होते हुए कहता है !
”रमीज़ बेटा एक लड़की के लिए इतना परेशान क्यों हो रहा ? होने दे उसकी शादी तेरे लिए तो मैं चाँद का टुकड़ा लाऊँगा मेरा लाडला बेटा है तू !” अम्मा ने प्यार करते हुए कहा !
”अम्मा यह आप अच्छे से जानती है के मैं नरगिस को बचपन से पसंद करता हूँ उसके एलावा मैं किसी से भी कभी शादी नहीं करूँगा !” रमीज़ ने कहा !
”हूँ… चाँद का टुकड़ा और इस निकम्मे के लिए तुम्हारे लाड़ प्यार ने ही इसे बिगाड़ रखा है उन्नीस- बिस साल का हो गया है और अभी तक अपने भाइयों के टुकड़ों पर पल रहा है बेशर्म कही का!” रमीज़ के अब्बा ने गुस्सा होते हुए कहा !
”अब्बा आप भी तो मेरे भाइयों का बैठ कर खाते हो आप को शर्म नहीं आती है !” रमीज़ ने कहा !
”वो मेरे बेटे है और उनका फ़र्ज़ है बुढ़ापे में अपने माँ बाप की देखभाल करना जो तेरा भी फ़र्ज़ है जा निकल यहां से वरना मेरा हाथ उठ जायेगा !” अब्बा ने कहा !
”जा रहा हूँ जिसे देखो मुझे डांट लगाते रहता है मेरी कोई क़दर है ही नहीं इस घर मे !” रमीज़ कहता हुआ घर से बाहर चला जाता है ! उदास रमीज़ घर से निकल अपने दोस्त असलम के पास जाकर खामोश बैठ जाता है ! जो के खेतों में बैठ कर हुक्का फूंक रहा होता है ! रमीज़ उसके हाथ से हुक्का लेकर कर खुद पीने लगता है !
”क्या हुआ मुँह क्यों लटकाये हुए है तू कम से कम पूछ लिया कर लेने से पहले अभी पहली बार हुक्का टाना ही था मैंने !” रमीज़ के दोस्त असलम ने कहा !
”क्या बताऊँ यार बहुत परेशान होगया हूँ मैं , घर में रुपय माँगता हूँ कारोबार के लिए तो कोई देना ही नहीं चाहता !” रमीज़ ने कहा !
”वो असल में तुझपर यक़ीन नहीं करते है इसलिए, नौकरी कर ले रमीज़ किया दिक्कत है !” असलम ने कहा !
”दिक्कत ही तो है असलम, मुझसे किसी की गुलामी नहीं होती मुझे खुद का कुछ करना है !” रमीज़ ने कहा !
तुझे खुद का कुछ करना है ना तो चल मेरे साथ !” असलम ने कहा !
”कहाँ ?” रमीज़ ने सवाल किया !
”तुम चलो तो पहले फिर बताता हूँ !” असलम ने कहा तो रमीज़ उसके साथ चलने को तैयार हो जाता है ! असलम उसे अपने साथ उसी आम के बागीचे के दूसरी तरफ लेकर जाता है जहाँ वो अपनी नरगिस से सब से छुप कर मिलता था !
”तुम मुझे यहाँ क्यों लेकर आया है यहाँ कैसे पैसे कमायेंगे हम?” रमीज़ ने सवाल किया !
”गधे गर्मियों का मौसम चल रहा और तुझे यहाँ पेड़ों पर आम नहीं दिखता हम इसे ही बेच कर पैसे कमायेंगे !” असलम ने कहा !
”मगर असलम यह तो किसी और का बगीचा है चोरी करना मुझे सही नहीं लगता है !” रमीज़ ने कहा !
”देख भाई तुझे खुद का कुछ करना था सो मैंने तुझे तरकीब दी कौनसा हम हमेशा आम चोरी करने वाले है बस कुछ दिन फिर पैसे होजायेंगे तो कोई दूसरा काम शुरू करलेंगे !” असलम ने समझाते हुए कहा !
कही इस बागीचे का मालिक आगया तो और हमे चोरी करते पकड़ लिया तो ?” रमीज़ ने सवाल किया !
“रमीज़ देख भाई कही ना कहि से तो शुरुआत करनी ही होगी वैसे मज़े की बात बताऊँ मुझे तो जब भी जरूरत होती है मैं बाजार में आम बेच आता हूँ या कभी किसी की मुर्गी , बकरी , कुछ भी जो मेरे हाथ लगे !” असलम ने हँसते हुए कहा !
“असलम भाई तू तो छुपा रुस्तम निकला तभी मैं बोलूँ यह मोहल्ले में हमेशा किसी ना किसी के घर से यह सुनने को क्यों मिलता है के उनकी मुर्गिया नही मिल रही !” रमीज़ ने हँसते हुए कहा !
“चल अब आम तोड़ते है यह ले बोरा इसमे तुम कच्चे वाले तोड़ कर जमा कर मैं तब तक पक्के आम जमा करलूँ !”असलम ने कहा !
रमीज़ अपने दोस्त असलम के साथ मिल कर आम तोड़ कर उसे पास के ही शहर में बेचने के लिए चले जाते हैं ! इस तरह वो पूरे हफ्ते आम बेच कर अच्छे रुपये जमा कर लेता है !
”बोलो क्यों बुलाया है मुझे यहाँ !” नरगिस ने गुस्से में कहा !
”नरगिस कब तक गुस्सा रहोगी एक हफ्ता होने वाले है ,ना तो तुम मुझसे मिलने आरही हो और ना ही कही दिख रही हो अच्छा छोड़ो यह देखो मैं तुम्हारे लिए किया लेकर आया हूँ !” रमीज़ अपने पॉकेट से एक झुमके का जोड़ा निकाल कर नरगिस को देते हुए कहता है !
”माशाअल्लाह रमीज़ यह झुमके तो बहुत खूबसूरत है , कहाँ से चोरी किया तुमने इसे ?” नरगिस झुमके लेते हुए कहती है !
”मेरी मेहनत के है मैंने खुद का काम शुरू किया है !” रमीज़ ने कहा !
”सच में तुम मुझे मनाने के लिए कहि झूठ तो नहीं कह रहे ना वैसे कौन सा काम शुरू किया है तुमने !” नरगिस ने कहा !
”नहीं बाबा सच कह रहा हूँ तुम चाहे तो असलम से पूछ लेना हम साथ मे मिल कर खुद का काम कर रहे फल बेचने बस अभी शुरूआत है वक़्त के साथ अच्छा कमाने लगूंगा !” रमीज़ ने कहा !
”मुझे यक़ीन है तुम पर एक दिन तुम जरूर कामयाब होंगे अच्छा लो ये मुझे पहना दो !” नरगिस ने उसे झुमके वापस थमाते हुए कहा !
”तुम्हारे घर वाले अभी भी रिस्ता देख रहे है किया ?” रमीज़ नरगिस के कानो में झुमके पहनाते हुए शरारत से उसके गालो को चूमते हुए कहा !
”तुम नहीं सुधरोगे आज कुछ नही करना मुझे, वैसे अभी मेरे घर वालों ने रिस्ता देखना छोड़ दिया है एक दो रिश्ते देखे उन्होंने वो सारे लड़के मेरे भाइयों को पसंद नहीं आये सायेद तुम उन्हें पसंद आजाओ तो कब आरहे हो रिस्ता लेकर मेरे घर !”नरगिस ने झूले पर बैठते हुए कहा !
”हाँ बहुत जल्द ही आऊँगा थोड़ा टाइम और लगेगा !” रमीज़ ने कहा !
“वैसे एक और अच्छी खबर है !”नरगिस ने रमीज़ के कंधों पर प्यार से हाथ रखते हुए कहा !
“हाँ बताओ ना किया बात है ?” रमीज़ ने कहा !
“मेरे भाइयों का जो दुकान था ना शहर में उसमे चोरी होगयी है इसलिए अब उनके हालात ऐसे नही के वो मेरी शादी करेंगे इसलिए अभी कुछ दिन मैं आज़ाद हूँ और तुम्हारे पास भी वक़्त है तब तक कुछ अच्छा काम करलो जिससे हमारी शादी हो सके !” नरगिस ने कहा !
अचानक किसी तरह के आवाज़ से रमीज़ की आँख खुलती है वो हड़बड़ा कर उठ कर बैठ जाता है !
“या खुदा यह नरगिस और उससे जुड़े ख्वाब हमेशा मेरा पीछा क्यों करते रहते है !” रमीज़ खुद में बड़बड़ाता है तभी उसे फिर से कुछ खोदने की आवाज़ आती है ! रमीज़ आहिस्ता से दरवाज़ा खोल कमरे से बाहर निकलता है ,
आसमान से बारिश और तूफान का कहर लगातार जारी रहता है !लगातार दिन भर की थकावट और अपने माजी के रोज के ख्वाब से रमीज़ का ज़ेहन बुझल रहता है वो पहले उस लड़के की क़बर की तरफ देखता है जिसे उसने कल दफनाया था वो नकाब पोश औरत भी अब वह मौजूद नही होती है तभी उसके कानों में फिर से मिट्टी खोदने की आवाज़ पड़ती है तो रमीज़ अपने बूढ़े कदमो को आवाज़ की सिम्त बढ़ा देता है , फिर रमीज़ को चलते हुए दूसरी आवाज़ सुनायीं दी वो दूसरी आवाज़ ऐसी थी मानो किसी चीज़ को काटा जारहा हो साथ मे कुदाल की से खोदने की आवाज़ रात को और भी ज्यादा खौफनाक बना रही होती है !
रमीज़ को अंधेरा और बारिश के वजह से कुछ भी साफ नही दिख रहा होता है ! तभी उसकी नज़र क़ब्रिस्तान के पिछले हिस्से में पड़ती है जहाँ एक आदमी काला रेन कोट पहने क़ब्र खोद रहा होता है तो दूसरा गुस्से में किसी इंसान के जिस्म को तेजधार हथियार से काट रहा होता है वो इंसानी वजूद किसी लड़की का मालूम होरहा होता है , ऐसा ख़ौफ़नाक मंजर देख कर रमीज़ का कलेजा मुँह को आजाता है ! वो एक क़बर के पीछे छुप कर सारा मंज़र देखने लगता है !
“तुझे क्या लगता है हमने जो किया वो सही है ?” क़बर खोद रहे आदमी ने अपनी कुदाल रोकते हुए कहा !
“हाँ सही है तुम ज्यादा सोच मत !” दूसरे आदमी ने कहा जो एक वहसी की तरह उस लड़की के लास को तेज़ धार हथियार से काट रहा होता है !
“हमे जो करना था इसके साथ वो तो करलिया था फिर इसे जान से मारने की जरूरत किया थी वैसे भी इसने कौनसा हमे देखा था अंधेरे में !” पहले वाले आदमी ने कहा !
“जरूरी था इसे मारना यार यह उन लड़कियों के लिए सबक है जो सोचती है उनको पूरी आजादी है दुनिया मे जीने की, औकात भूल जाती है साली यह अपनी अब तू ही बता किया जरूरत थी रात में कूँआ पे पानी लेने आने की सुबह होती तब आती बेचारी रात में निकली और अपने ज़िन्दगी और इज्जत दोनो से हाथ धो बैठी !” दूसरा आदमी हँसते हुए कहता है !
“मगर मुझे यह सब सही नही लगता मूझे लगता है के मैंने तेरा साथ देकर बहुत बड़ी गलती कर दी सब को ज़िन्दगी जीने का हक़ है हमे भी और इन लड़कियों को भी कम से कम इसके जिस्म के साथ अब तो मत खेल छोड़ और डाल क़बर में !” पहले वाले आदमी ने कहा !
“ज्यादा बकवास मत कर चुप चाप से क़बर और गहरा खोद हमे इसे दफना कर निकलना भी है वरना तेरी क़बर भी यही खोद दूंगा !” दूसरे आदमी ने गुस्से से कहा !
“मैं तो बस ऐसे ही कह रहा हूँ यार चल अब मुझसे और ज्यादा खोदा नही जायेगा जल्दी से डाल दे क़बर में और चल क़ब्रिस्तान से मूझे खौफ महसूस होरहा !” पहले वाले आदमी ने कहा !
रात तूफान ,तेज़ बारिश कुत्तों की रोने की आवाज़ उसपर से यह दिल दहला देने वाला खौफनाक मंज़र रमीज़ खामोशी से यह देख रहा होता है ! तभी रमीज़ के दाएं कान में कोई सरगोशी करते हुए कहता है !” रमीज़ क्या देख रहे हो एक बेकसूर को मार कर कोई अपना गुनाह छुपा रहा है और तुम खामोश बस देख रहे हो जाओ उस लड़की को कम से कम इज्जत से दफना दो !”
“मगर मैं क्या करूँ? , वो दो हट्टे कट्टे लोग है जिनके चाल ढाल से वहसत टपक रहा और मैं कहाँ बूढ़ा आदमी !” रमीज़ कहते हुए जैसे ही आवाज़ की सिम्त पलटता है वहाँ पर कोई भी नही होता है ! घबरा कर रमीज़ का पैर गिली मिट्टी से फिसल जाता है और वो गिर जाता है जिससे दोनों आदमी का ध्यान रमीज़ की तरफ जाती है !
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क्रमशः lette-hi-neend-aagyi-04
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Written By- Shama Khan