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कितनी मोहब्बत है – 1

kitni mohabbat hai – 1

“कितनी मोहब्बत है”

By Sanjana Kirodiwal

भोपाल के मालवीय नगर में घर के बाहर भीड़ लगी हुई थी ! सावित्री देवी का आज सुबह सुबह ही निधन हो चुका था परिवार के नाम पर उनकी एकमात्र बेटी “मीरा राजपूत” थी ! सावित्री पिछले कई सालो से गंभीर बीमारी से जुंझ रही थी और आज उन्होंने अपनी आंखरी सांसे लेते हुए दुनिया को अलविदा कह दिया ! मीरा की उम्र 21 वर्ष थी वह कॉलेज के अंतिम वर्ष में थी ! सावित्री का निर्जीव शरीर उसकी आंखों के सामने सफ़ेद चददर से ढका हुआ पड़ा था ! मीरा की आँखो से आंसू बहते जा रहे थे ! पास बैठी औरते उसे सांत्वना दे रही थी लेकिन माँ को खो देने का दुःख सिर्फ मीरा ही जान सकती थी ! अपना कहने के लिए एक वो ही तो थी इस दुनिया में ! सावित्री ने मीरा को उसकी पढाई के लिए इंदौर भेज दिया था जिसकी खास वजह सिर्फ सावित्री ही जानती थी ! इंदौर में मीरा नेशनल कॉलेज में पढ़ती थी और उसी कॉलेज के एक हॉस्टल में रहती थी ! मीरा बहुत ही कम बोलने वाली लड़की है वह अपना अधिकतर समय किताबो में ही बिताया करती थी ! कॉलेज में उसकी एक मात्र दोस्त थी “निधि व्यास” जो की इंदौर में रहती थी अपने परिवार के साथ ! निधि और मीरा दोनों बहुत अच्छी दोस्त थी कॉलेज के दो साल दोनों ने साथ साथ ही पुरे किये थे लेकिन निधि मीरा को अब बहुत कम जान पायी थी वजह थी मीरा का अंतर्मुखी होना या शायद हालातो ने उसे उम्र से पहले ही परिपक्व बना दिया ! मीरा इस बार बिना निधि को बताये भोपाल आ गयी थी !
सावित्री के अंतिम संस्कार की तैयारी हो चुकी थी जब उनके पार्थिव शरीर को ले जाया जाने लगा तो मीरा जोर जोर से रो पड़ी ! औरतो ने उसे सम्हाला लेकिन कोई उसे रोक नहीं पाया वह दौड़कर बाहर आयी और कहने लगी ,”हम भी साथ जायेंगे !!”
“बिटिया औरत शमशान में नहीं जाती है !”,वहा खड़े एक बुजुर्ग ने कहा !
“हमे कुछ नहीं सुनना हम भी साथ जायेंगे !’,मीरा ने कहा
“चलने दीजिये काका , मुखाग्नि के लिए किसी अपने का होना भी जरुरी है ! और आजकल क्या लड़का क्या लड़की , चलने दीजिये !”,पास खड़े विश्वनाथ ने बुजुर्ग आदमी से कहा !
सभी वहा से सावित्री का पार्थिव शरीर लेकर निकले , आँखों में आंसू भरे हाथ में अग्नि का पात्र पकडे मीरा चले जा रही थी ! उसके बेजान पेरो में जैसे हिम्मत ही नहीं थी माँ के साथ उसने बहुत कम वक्त गुजारा था ना जाने वो कोनसी वजह थी जिससे माँ ने उसे हमेशा खुद से दूर रखा ! सोचते हुए और बीती बातो को याद करते हुए शमशान आ चुका था ! सावित्री का अंतिम संस्कार किया गया , इकलौती वारिश होने के कारण उसी ने मुखाग्नि भी दी !! उन पलो में मीरा को सम्हालना बहुत मुश्किल हो रहा था ! वहा मौजूद सभी की पलके नम हो गयी !

एक महीने बाद मीरा इंदौर आयी ! उसने कपडे बदले ओर अपनी बुक्स उठाये कॉलेज आ गयी ! कॉलेज आकर उसने प्रिंसिपल से बात की और उन्हें अपनी माँ के देहांत के बारे में बताया ! चूँकि मीरा कॉलेज की सबसे होनहार स्टूडेंट थी इसलिए प्रिंसिपल ने उसकी एक महीने की लीव को मान लिया ! मीरा प्रिंसिपल का शुक्रिया अदा करके बाहर आ गयी ! क्लास शुरू होने में अभी वक्त था इसलिए वह आकर बेच पर बैठ गयी और उदास आँखों से जमीन को निहारने लगी ! तभी एक जानी पहचानी आवाज उसके कानो में पड़ी,”ओह्ह मैडम जी कहा थी इतने दिन , ना फोन ना मैसेज आखिर चल क्या रहा है तुम्हारे दिमाग में ?
मीरा आवाज की दिशा में पलटी सामने निधि खड़ी थी ! मीरा ने कोई जवाब नहीं दिया तो निधि उसके पास बैठ गयी और प्यार से कहा,”क्या हुआ मीरा सब ठीक तो है ना ? ” निधि की बात सुनकर मीरा की आँखे डबडबा गयी उसने नीचे जमीन की और देखते हुए कहा,”माँ नहीं रही , निधि !”
“क्या ? ये कब हुआ ? और तुमने मुझे बताया क्यों नहीं ?”,निधि ने चौंकते हुए कहा
“क्या बताती निधि ? मैं खुद भी नहीं जानती थी की माँ किस दर्द से गुजर रही है ? मैं कुछ जान ना पाऊ इसलिए उन्होंने हमेशा मुझे खुद से दूर रखा और देखो वो हमेशा हमेशा के लिए मुझसे दूर चली गयी”,कहते कहते मीरा की आँखों में आंसू भर आये ! निधि ने मीरा का हाथ अपने हाथ में लिया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”तुम अकेली नहीं हो मीरा , मैं हु ना तुम्हारे साथ ! दोबारा ऐसी बात मत कहना !”
मीरा ने निधि को गले लगा लिया ! निधि उसे हिम्मत बंधाती रही ! क्लास का वक्त हुआ तो दोनों उठकर क्लास की और चली गयी ! मीरा को अपना ख्याल रखने का बोलकर निधि घर चली गयी लेकिन आज उसका मन बहुत उदास था वह बस मीरा के बारे में ही सोचती रही ! अगली सुबह हॉस्टल वार्डन ने मीरा से कमरा खाली करने को कहा ! पिछले एक महीने से उसके कमरे का किराया नहीं आया था मीरा ने कुछ दिन की परमिशन मांगी लेकिन वार्डन ने साफ शब्दों में उसे कमरा खाली करने को कह दिया ! किसी ने उसकी मदद नहीं की , मीरा ने अपना सामान समेटा और बैग में ज़माने लगी ! उसके पास जो पैसे थे वो तो माँ के अंतिम संस्कार और उसके बाद के कामो में खर्च हो गए थे ! अनजान शहर में आखिर मदद भी ले तो किसकी ? मीरा बहुत ही स्वाभिमानी लड़की थी और इसलिए उसने अपनी ये परेशानी निधि को नहीं बताई ! भोपाल वापस जाने के अलावा मीरा के पास अब कोई और रास्ता नहीं था ! अपने बैग लेकर वह हॉस्टल से निकल गयी !
निधि जब कॉलेज आई तो क्लास में मीरा को ना देखकर उसने अपने साथ बैठी रागिनी से पूछा जो की उसी होस्टल में रहती थी,”ऐ रागिनी मीरा कहा है ? वो कॉलेज क्यों नहीं आयी ?”
“अरे तुझे पता नहीं क्या ? आज वार्डन मैडम ने उसे हॉस्टल से निकाल दिया”,रागिनी ने फुसफुसाते हुए कहा
“व्हाट ? पर क्यों ?”,निधि ने हैरानी से कहा
“क्योकि उसने हॉस्टल के रूम का किराया नहीं दिया था ! , अब मुझे डिस्टर्ब मत करो पढ़ने दो”,रागिनी ने कहा और बुक्स में नजरे गड़ा ली !
निधि ने सूना तो सोचने लगी,”इतना सब हो गया और मीरा ने मुझे बताया तक नहीं , ये लड़की भी ना इसे समझना सच में बहुत मुश्किल है ! पता नहीं इस वक्त वो कहा होगी ? मुझे जाना होगा” निधि ने अपना बैग और बुक्स उठाये और क्लास के बाहर निकल गयी ! कॉलेज से सीधा वह हॉस्टल आयी और मीरा की रूममेट से पूछा ! रूममेट ने बताया की मीरा वापस अपने घर जाने की बात कर रही थी ! निधि वहा से निकली और तुरंत रेलवे स्टेशन आयी ! ट्रेन जा चुकी थी ! निधि हताश हो गयी उसने उदास नजरो से ट्रेन को जाते हुए देखा और जैसे ही वापस जाने को मुड़ी उसकी नजर बेंच पर बैठी मीरा पर गयी !

निधि ख़ुशी से दौड़कर उसके पास आयी लेकिन अगले ही पल उसकी ख़ुशी गुस्से में बदल गयी और उसने कहा,”समझती क्या हो अपने आप को ? और ये इस तरह मुंह छुपाकर कहा जा रही हो ?”
“मुंह छुपाकर नहीं जा रहे , बताकर आये थे रागिनी को”, मीरा ने धीमे स्वर में कहा
“और तुम्हे लगता है मैं तुम्हे ऐसे जाने दूंगी !”,निधि ने गुस्से से कहा !
“पर अब यहाँ करेंगे भी क्या ? वार्डन ने भी हमे हॉस्टल से निकाल दिया है !”,मीरा ने कहा
“वार्डन की तो मैं….. तुम ये बताओ तुमने मुझे क्यों नहीं बताया ?”,निधि के इस सवाल पर मीरा खामोश हो गयी !
निधि उसके बगल में बैठी और कहने लगी,”मीरा तुम सिर्फ कहने के लिए मेरी दोस्त नहीं हो , कॉलेज में बहुत सी लड़किया है लेकिन मैंने तुम्हे अपना दोस्त चुना जानती हो क्यों क्योकि तुम बहुत अच्छी हो और समझदार भी हो ! तुम बहुत स्ट्रांग लड़की हो मीरा फिर ऐसे कैसे जा सकती हो ? आंटी का सपना कैसे भूल सकती हो ? तुम्हे पढ़ना है एक बड़ी अधिकारी बनना है ये कैसे भूल गयी तुम ?”
“निधि हम कुछ नहीं भूले है , सब याद है हमे पर इस शहर से हमने एक बात सीखी है की अगर जीना है तो पैसे जरुरी है और वो हमारे पास नहीं है निधि ! घर जायेंगे वहा रहने के लिए कम से कम अपना घर तो है !”,मीरा ने उदास होकर कहा !
“हो गयी तुम्हारी आर्दश वाली बाते तो चले !”,निधि ने उठते हुए कहा !
“कहा ?”,मीरा ने कहा
“कोई सवाल नहीं , उठो और चलो”,कहकर निधि ने एक बैग खुद उठाया और दुसरा मीरा को थमा दिया ! दोनों बाहर आयी निधि पार्किंग से अपनी स्कूटी निकाल लाई और मीरा को साथ लेकर चल पड़ी ! निधि के पीछे बैठी मीरा के मन में सेंकडो सवाल उथल पुथल मचाये हुए थे ! मीरा जब भी इस शहर से जाने के बारे में सोचती ये शहर उसे वापस अपनी और खिंच लाता ! सवाल बहुत थे लेकिन जवाब नहीं निधि उसे कहा लेकर जा रही है इस बात का भी उसे अंदाजा नहीं था ! स्कूटी सड़क पर दौड़ाते हुए निधि ने अचानक से ब्रेक लगाए और गाड़ी को यू टर्न घुमाया !
“क्या हुआ ? इधर कहा जा रही हो ?”,पीछे बैठी मीरा ने सवाल किया
“हॉस्टल !”,निधि ने कहा
“लेकिन क्यों ?”,मीरा ने कहा
“तू चल तो बताती हु !”,कहकर निधि ने स्पीड बढ़ाई और कुछ वक्त बाद दोनों हॉस्टल के सामने थे ! निधि ने स्कूटी साइड में लगाई ! उसने मीरा का हाथ पकड़ा और उसे लेकर अंदर चली आयी ! वार्डन सामने ही खड़ी मिल गयी निधि उसके सामने आयी उसने अपने जेब से कुछ रूपये निकाले और वार्डन के हाथ में थमाते हुए कहा,”ये रखो अपने पैसे और आज के बाद किसी लड़की को इस तरह से हॉस्टल से मत निकालना !”
“वक्त पर किराया देंगे तो कोई क्यों निकलेगा ? पर ये लड़किया घरवालों के पैसे तो ऐश में उड़ा देती है और फिर किराये के नाम पर रोने बैठ जाती है !”,वार्डन ने मुंह बनाकर रूपये गिनते हुए कहा
“चुड़ैल ! तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी दोस्त के लिए ऐसा बोलने की , मैं तेरा मुंह नोच लुंगी !”,निधि ने वार्डन से उलझते हुए कहा लेकिन ऐन वक्त पर मीरा ने उसे रोक लिया और कहा,”निधि , ये क्या कर रही हो ? छोडो उन्हें !”
“मैं मुंह तोड़ दूंगी इसका , इस हॉस्टल की लड़किया चाहे जो करती हो तुम ऐसी नहीं हो”,निधि ने गुस्से से मीरा से कहा !
“तुम प्लीज़ यहाँ से चलो प्लीज़ !”,मीरा ने निधि को लगभग खींचते हुए कहा निधि वहा से चली गयी तो मीरा वार्डन के पास आयी और बहुत ही धीमे स्वर में कहा,”निधि ने जो किया उसके लिए हम माफ़ी मांगते है मेम , एक बात और हर लड़की यहा ऐश करने नहीं आती है !”
कहकर मीरा वहा से चली गयी ! बाहर आयी तो देखा निधि गुस्से में थी मीरा जैसे ही उसके पास आयी निधि ने कहा,”क्या सच में तुम राजपूत खानदान से हो ? मतलब उसने तुम्हे इतना सब कहा और तुम सुन के चली आयी !”
“गलती हमारी ही है , अगर वक्त पर किराया दिया होता तो वो ऐसा नहीं होता”,मीरा ने शांत लहजे में कहा !
“ओह्ह आदर्श की देवी ! बस करो तुम , ऐसी ही रही न तो कोई भी बेच के निकल जाएगा तुमको !”,निधि ने मीरा के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा !
“निधि ऐसा नहीं है ! पिछले 3 सालो से हम यहाँ है , हम नहीं चाहते हमारी वजह से हमारी माँ को शर्मिन्दा होना पड़े ! जो सरनेम हमे मिला है उसकी इज्जत बरक़रार रखना भी जरुरी है !”,मीरा ने कहा
“ऐसे रखोगी इज्जत बरक़रार , कोई कुछ कहे और चुपचाप सुनो हो सके तो माफ़ी भी खुद ही मांगो !”,निधि ने कहा
“तुम्हे समझा नहीं पाएंगे !”,मीरा ने बैग्स उठाते हुए कहा !
“ये अच्छा है तुम्हारा , खैर छोडो आओ बैठो चलते है देर हो रही है !”,निधि ने स्कूटी स्टार्ट करते हुए कहा !
“अब कहा चलना है ?”,मीरा ने कहा
निधि मुस्कुराई और कहा,”वहा जहा सब तुम्हारे अपने है !” मीरा जैसे ही आकर बैठी निधि ने स्कूटी आगे बढ़ा दी ! दोनों “शिवाजी नगर” में आयी ! इंदौर आने के बाद मीरा ने पहली बार इस शहर को देखा था ! साफ सुथरी सड़के , बड़े ऊँचे ऊँचे घर वह सब अपलक देखे जा रही थी ! निधि स्पीड से स्कूटी दौड़ाये जा रही थी !

“निधि व्यास” अपने परिवार में सबकी लाड़ली ! मीरा से उसकी जान पहचान कॉलेज में हुई थी और मीरा का शांत व्यवहार उसे पहली नजर में भा गया लेकिन खुद बिल्कुल शांत नहीं थी ! वह हमेशा हसती खिलखिलाती रहती थी ! लाड़ली थी इसलिए उसे किसी भी बात के लिए ना नहीं कहा जाता था ! मीरा को लेकर निधि एक बड़े से घर के सामने रुकी ! उसने स्कूटी साइड लगाई और मीरा को लेकर अंदर आई ! मीरा की नजर घर के दरवाजे पर लगे नेम प्लेट पर पड़ी “व्यास हॉउस” मीरा अपना बैग सम्हाले अंदर आ गयी ! अंदर आते ही निधि चिल्लाई – मम्मा पापा , दादू दादी , भैया , सब आ जाईये !”
निधि की आवाज सुनते ही सब बाहर चले आये ! निधि के साथ एक अनजान लड़की को देखकर सबके मन में क्वेचन मार्क था जो की निधि ने अगले ही पल हटा दिया और कहा,”दादू ये मेरी दोस्त है मीरा !” और फिर मीरा की और पलटकर कहा,”मीरा ये मेरे दादू श्री नाथ जी व्यास और वो मेरी दादी माँ सुरेखा जी व्यास”
“नमस्ते !”,मीरा ने दोनों हाथ जोड़कर कहा !
“ये मेरे पापा है विजय व्यास और ये मेरी मम्मा राधा व्यास”,निधि ने अपने माँ पापा की और इशारा करके कहा ! मीरा ने उन्हें भी नमस्ते की तो दोनों जवाब में मुस्कुरा उठे ! निधि अपने भाई के पास आयी और कहा उसके हाथ में हाथ डालकर कहा,”ये है मेरे बड़े भैया अर्जुन !”
“हेलो !”,अर्जुन ने मुस्कुरा कर कहा तो मीरा ने भी जवाब में नमस्ते कहा ! सबसे परिचय करवाने के बाद निधि वापस मीरा के पास आयी और कहा,”ये है मेरी स्वीट सी फॅमिली , (उसे कुछ याद आया तो उसने इधर उधर देखते हुए कहा) अक्षत भैया कहा है ?
“अक्षत बाहर गया हुआ है !”,राधा ने मीरा के सामने आकर कहा ! उन्होंने बड़े गौर से मीरा को देखा बड़ी बड़ी काजल से सनी आँखे , सुर्ख गुलाबी होंठ , सुराही सी पतली गर्दन , गोरा रंग , लम्बे घने बाल जिन्हे सलीके से गुंथा हुआ था और उनसे छानकर आती एक बालो की लट जो बार बार मीरा के गाल को चुम रही थी ! राधा को अपनी और देखता पाकर मीरा ने कहा,”आप हमे ऐसे क्यों देख रही है ?”
राधा अपनी चेतना से लौटी और अपनी ऊँगली से आँख के किनारे से काजल निकाला और मीरा के कान के पीछे लगाकर कहा,”बड़ी प्यारी हो , किसी की नजर ना लगे !”
मीरा मुस्कुरा दी ! घर में आने के बाद शायद पहली बार मुस्कुराई वो ! राधा ने उसका हाथ पकड़ा और उसे सबके बिच ले आयी ! सभी हॉल में रखे सोफों पर बैठ गए ! निधि ने एक साँस में सारी बात कह डाली ! और फिर दादू के सामने आकर मासूमियत से कहा,”मैंने ठीक किया ना दादाजी ?”
“हां बेटा जी बिल्कुल सही किया , ऐसे वक्त में दोस्त ही दोस्त के काम आता है !”,दादू ने प्यार से निधि के गाल को छूकर कहा !
“तो फिर मीरा यहाँ रह सकती है ना ?”,निधि ने कहा !
“जब तक वो चाहे वो यहाँ रह सकती है !”,दादू ने कहा और फिर मीरा की और देखकर कहा,”मीरा !”
“जी !”,मीरा ने धीरे से कहा ! दादू मुस्कुराये और कहा,”इसे अपना ही घर समझो , किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक मांग लेना !”
“जी शुक्रिया !”,मीरा ने हाथ जोड़कर कहा !
“पापा मैं चलता हु , ऑफिस में मीटिंग है !”,अर्जुन ने उठते हुए कहा !
“हां ठीक है मैं और पिताजी आते है बाद में !”,विजय ने कहा ! अर्जुन ने अपना फोन और बैग टेबल से उठाया और सबको बाय कहकर जाने लगा की उसकी नजर मीरा पर गयी तो उसने कहा,”बाय मीरा !”
“बाय”,मीरा ने धीरे से कहा !
“चलो बेटा पहले तुम दोनों कुछ खा लो !”,राधा ने कहा और दोनों को अपने साथ डायनिंग टेबल की और ले आयी ! निधि और मीरा वहा आकर बैठ गयी ! राधा ने दोनों के लिए खाना परोसा !

दादी माँ उठकर बाहर टहलने निकल गयी सर्दियों का वक्त था और इस मौसम में बस धुप ही सहारा होती है ! दादी माँ बाहर बगीचे में आकर धुप सेकने में लगी हुई थी ! विजय और श्री नाथ जी भी कुछ देर बाद बाहर निकल गए ! निधि ने खाना शुरू किया लेकिन मीरा ख़ामोश बैठी थी उसे खामोश देखकर राधा ने प्यार से कहा,”क्या हुआ बेटा खाओ ना ?”
“हम्म्म !”,मीरा ने भरे हुए गले से कहा !
राधा ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”तुम्हारा दर्द मैं बाँट तो नहीं सकती लेकिन उसे कम जरूर कर सकती हु ! ये सब लोग तुम्हारे साथ है बेटा !”
मीरा ने नम आँखों से राधा की और देखा तो राधा ने प्यार से उसके चेहरे को अपने हाथो में लेकर कहा,”इतनी प्यारी बच्ची उदास बिल्कुल अच्छी नहीं लगती ! अब खाना खाओ ठंडा हो रहा है , तब तक मैं तुम्हारे रहने का बंदोबस्त कर देती हु” राधा वहा से चली गयी !
मीरा को सब बहुत अच्छे लगे पर सबसे ज्यादा अच्छी राधा लगी उसमे वह अपनी माँ की छवि देख पा रही थी ! खाना खाने के बाद निधि उसे अपना घर दिखने लगी ! घर काफी खूबसूरती से बनाया हुआ था ! निचे एक तरफ दादा दादी का कमरा था उस से लगकर पूजा घर जहा बड़ी सी शिव पार्वती की मूर्ति थी ! मंदिर से लगकर ही रसोईघर था जिसके सामने डायनिंग बना हुआ था ! विजय और राधा का कमरा सीढ़ियों के बिल्कुल पास से लगकर था और एक था ऑफिस रूम जहा बैठकर काम की बाते की जाती थी ! घर के पीछे की तरफ बगीचा था जिसमे हरी घास फैली हुयी थी और एक कतार में गमलो में पौधे लगे हुए थे ! ये सब दिखाकर निधि मीरा को ऊपर लेकर आयी जहा 3 कमरे और एक बड़ा सा हॉल बना हुआ था ! जहा दो कमरे साथ थे और तीसरा इनसे अलग बिल्कुल सामने हॉल से मिलाकर बनाया हुआ था ! इनमे से एक कमरा अर्जुन का था और एक निधि का सामने जो कमरा था उसके बारे में निधि ने मीरा से कुछ कहा नहीं ! मीरा ने भी नहीं पूछा ! निधि जैसे ही दरवाजा खोलकर अपने कमरे में आई एक तेज बदबू से दोनों ने अपना नाक बंद कर लिया ! निधि ने दरवाजा वापस बंद किया और मम्मा को आवाज लगाई राधा ऊपर आयी और कहा,”सॉरी बेटा वो आज सुबह गलती से तुम्हारे कमरे में क्लीनर की बोतल टूट गयी मैंने साफ करने को कहा है रघु कर कर देगा !”
“लेकिन तब तक हम लोग कहा जाये ! मीरा को फ्रेश भी होना है हालत देखो इसकी”,निधि ने कहा !
“एक काम करो ना तब तक निचे मेरे वाला रूम इस्तेमाल कर लो ! “,राधा ने कहा !
“रहने दीजिये मैं अर्जुन भैया का कमरा यूज़ कर लुंगी !”,निधि ने कहा
“ठीक है !”,कहकर राधा चली गयी !
दोनों अर्जुन के कमरे में आई मीरा ने देखा कमरा बिल्कुल साफ सुथरा और व्यवस्थित था , एक एक चीज सलीके से रखी हुई थी ! मीरा बड़े गौर से ये सब देख रही थी तो निधि ने कहा,”भैया हमेशा अपने कमरे को टिप टॉप रखते है अपने जैसे !”
मीरा मुस्कुरा दी तो निधि ने कहा,”अच्छा तुम नहा लो तब तक मैं निचे से तुम्हारा सामान ले आती हु !”
मीरा नहाने बाथरूम में चली गयी और निधि निचे !
मीरा नहाकर बाहर आयी तो उसे टेबल पर रखे अपने कपडे मिल गए ! मीरा ने कपडे पहने और गीले बालो को सूखाने कमरे से बाहर आ गयी लेकिन हॉल की बालकनी के अलावा धुप और कही नहीं थी ! मीरा गीले बालो को तोलिये में लपेटे हॉल की बालकनी के पास आयी और बाल सुखाने लगी ! तभी उसकी नजर हॉल से जुड़े उस कमरे के दरवाजे पर गयी जिस पर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था “अक्षत व्यास – ए कॉम्प्लिकेटेड बॉय” “ऐसी नेम प्लेट कौन रखता है ?”,कहते हुए मीरा वहा से चली गयी !

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संजना किरोड़ीवाल

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