Tere Ishq Me – 13
प्रिया विदा हो चुकी थी और उसके जाने के बाद उसके अधिकांश रिश्तेदार और दोस्त भी जा चुके थे। प्रिया ने रुबीना और लक्ष्य के साथ मिलकर कोई प्लान बनाया था इसलिए उसने साहिबा से भी वही रुकने को कहा और साथ ही कसम दे दी ताकि वह उसके पीछे से वापस ऊटी ना चली जाए। प्रिया के जाने के बाद साहिबा रुबीना और लक्ष्य ऊपर कमरे में चले आये। साहिबा अपना बैग पैक करने लगी उसे बैग पैक करते देखकर रुबीना ने कहा,”साहिबा बैग क्यों पैक कर रही हो ? प्रिया ने कहा था ना कल हम तीनो उसके साथ मनाली जाने वाले है ट्रिप पर”
“रूबी प्रिया पागल है और उसके साथ साथ तुम सब भी पागल बन रहे हो , वो उसका हनीमून ट्रिप है तुम सब मिलकर उसे फ्रेंड्स ट्रिप क्यों बना रहे हो ?”,साहिबा ने जमीन पर ही आलथी पालथी मारकर बैठते हुए कहा
“साहिबा वो इसलिए क्योकि तुम इतने सालो बाद हम सबसे मिली हो और इसके बाद पता नहीं कब मिलोगी ? या मिलोगी भी नहीं ?”,रुबीना ने थोड़ा अपसेट होकर कहा
साहिबा हल्का सा मुस्कुराई और कहा,”रुबीना ऐसा नहीं है , प्रिया ने बुलाया तो उसकी शादी में आयी ना मैं , वैसे ही तुम सबकी शादी में भी आउंगी”
“अच्छा तो मतलब हम सब से बस तुम्हारा यही रिश्ता है , साहिबा क्या सिर्फ पल्लवी तुम्हारी दोस्त है हम सब कुछ नहीं ?”,रुबीना ने कहा
“किसने कहा तुम सब मेरे दोस्त नहीं हो ? पल्लवी के साथ साथ तुम सब भी मेरे दोस्त हो रुबीना”,साहिबा ने कहा
“तो फिर रुक जाओ ना साहिबा , कुछ वक्त हमारे साथ बिताओ , इतने साल बाद सब मिले है एक ट्रिप तो बनता है ना ,, उसके बाद हम लोगो को तुमसे कुछ नहीं चाहिए प्रॉमिस”,रुबीना ने आसभरे शब्दों में कहा
“रुबीना सही कह रही यही साहिबा , मान जाओ ना प्लीज वैसे भी प्रिया का हनीमून एक हफ्ते का है और हम लोगो की ट्रिप सिर्फ 2 दिन की ,,चलते है ना यार प्लीज”,इस बार लक्ष्य ने कहा
“ओके फाईन चलेंगे”,साहिबा ने कहा तो रुबीना ने आकर उसे साइड हग किया और कहा,”थैंक्यू थैंक्यू थैंक्यू सो मच”
“अब तुम कब कह रही लक्ष्य से ?”,साहिबा ने रुबीना की तरफ देखकर कहा
“क्या ?”,रुबीना ने हैरानी से पूछा
“यही की तुम दोनों एक दूसरे को पसंद करते हो”,साहिबा ने शरारत से कहा
रुबीना ने लक्ष्य की तरफ देखा जो की बड़े प्यार से रुबीना को ही देख रहा था। रुबीना ने कुछ देर लक्ष्य को देखा और फिर पिलो उठाकर उसकी और फेंकते हुए कहा,”नो वे इस चिरकुट को मैं पसंद करुँगी , कभी नहीं”
“आई नो देट , कैरी ऑन गाईज”,कहते हुए साहिबा उठी और अपना फोन लेकर वहा से बालकनी की तरफ चली गयी। रात के खाने के बाद साहिबा ने कुछ वक्त प्रिया के मम्मी पापा के साथ बिताया और फिर लक्ष्य रुबीना के साथ उनके कमरे में चली आयी। देर रात चारो बातें करते रहे और फिर सोने चले गए
अगली सुबह तीनो तैयार हुए और मनाली जाने के लिए अपना एक छोटा बैग जमा लिया। प्रिया मेहुल के साथ घर आयी सबसे मिली और फिर साहिबा , रुबीना और लक्ष्य को साथ लेकर वहा से चली गयी। बरेली से बाहर निकलकर मेहुल ने गाडी रोक दी और सबको उतरने को कहा। सभी हैरान थे और अपने अपने बैग लेकर नीचे उतरे कुछ देर बाद एक ओपन जीप वहा आयी। जीप से लड़का उतरा उसने मेहुल को जीप की चाबी दी और खुद मेहुल की गाड़ी लेकर चला गया।
“मेहुल ये सब क्या है ?”,प्रिया ने कहा
“बेबी मनाली जाने का मजा इस जीप में ज्यादा आएगा”,मेहुल ने कहा
“क्या मैं इसे ड्राइव कर सकती हूँ”,साहिबा ने बड़े प्यार से गाड़ी के बोनट को छूकर कहा
“स्योर साहिबा ये लो तुम ड्राइव करोगी तो मुझे प्रिया के साथ थोड़ा टाइम मिल जाएगा”,मेहुल ने प्रिया को साइड हग करते हुए कहा और चाबी साहिबा की तरफ बढ़ा दी। साहिबा ख़ुशी ख़ुशी आकर ड्राइवर सीट पर आकर बैठी। उसने जींस , टीशर्ट और डेनिम जैकेट पहना था जो की उस पर सूट भी कर रहा था। लक्ष्य और रुबीना , मेहुल और प्रिया पीछे सीटों पर जा बैठे। साहिबा के बगल वाली सीट खाली थी उसे थोड़ा अजीब लगा लेकिन उसने कुछ कहा नहीं। चाबी लगायी और जीप स्टार्ट करके कहा,”तो फिर चले ?”
“साहिबा एक मिनिट कोई और भी आने वाला है”,रुबीना ने कहा
“कौन ?”,साहिबा ने धड़कते दिल के साथ कहा
“थोड़ी देर में खुद ही देख लेना”,पीछे से प्रिया ने कहा जिसने रुबीना और लक्ष्य के साथ मिलकर एक प्लान सेट किया था। साहिबा ने गाड़ी बंद कर दी और इंतजार करने लगी। कुछ देर बाद उसने अपनी बांयी तरफ देखा एक लड़का जींस और जैकेट पहने , हाथ में बैग पकडे गाडी की तरफ चला आ रहा है। सर्दियों का मौसम था लेकिन हल्की धुप की वजह से साहिबा को उसका चेहरा नजर नहीं आ रहा था ,जैसे ही लड़का गाड़ी के पास पहुंचा मेहुल ने कहा,”हे पार्थ कम ऑन”
“पार्थ ” नाम सुनते ही साहिबा का दिल धड़क उठा। उसने देखा वह लड़का कोई और नहीं पार्थ ही था साहिबा कुछ कहती इस से पहले ही साहिबा के फोन पर एक मैसेज आया। साहिबा ने मैसेज देखा प्रिया का था “तुमने कहा था की तुम्हारे और पार्थ के बीच कुछ नहीं है , अगर पार्थ हमारे साथ जाता है तो तुम्हे उस से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए साहिबा। अगर फर्क पड़ता है तो इसका मतलब यही है you have feelings for him”
साहिबा ने मैसेज पढ़ा और अपना फोन सामने डेशबोर्ड पर डाल दिया। प्रिया ने देखा तो समझ गयी की साहिबा पार्थ को साथ ले जाना मंजूर कर लेगी लेकिन उसके प्रति अपनी फीलिंग्स नहीं। पार्थ ने दरवाजा खोला और साहिबा के बगल में आकर बैठ गया। उसने साहिबा को देखा और कहा,”हाय!!”
साहिबा ने कोई जवाब नहीं दिया उसने सामने रखा धुप वाला चश्मा उठाया और आँखों पर लगाकर गाडी स्टार्ट करके आगे बढ़ा दी।
प्रिया , मेहुल , लक्ष्य , रुबीना और साहिबा एक साथ ट्रिप पा जा रहे थे और साथ में था पार्थ। साहिबा को लगा वह सबके साथ एक ट्रिप पर जा रही है जबकि असल में ये प्रिया , रूबिना और लक्ष्य का प्लान था ताकि साहिबा और पार्थ के दिल में जो फीलिंग्स है उसे बाहर निकलवा सके।
22 घंटे के एक लम्बे सफर के बाद सभी मनाली पहुंचे। ड्राइविंग साहिबा और पार्थ ने ही की क्योकि पीछे बैठे चारो में से कोई भी नहीं चाहता था की साहिबा और पार्थ एक दूसरे से दूर जाकर बैठे। मनाली के एक होटल में 3 रूम बुक करवाए गए जिनमे से एक रूम प्रिया और मेहुल के लिए था। दुसरा रुबीना , साहिबा और लक्ष्य के लिए , पार्थ ने जान बूझकर अपने लिए तीसरा कमरा बुक करवाया क्योकि वह नहीं चाहता था उसकी वजह से साहिबा को कोई परेशानी हो। सभी सुबह सुबह पहुंचे थे। तैयार होकर सभी घूमने निकले। मनाली बहुत ही खूबसूरत जगह थी ऐसी जो पत्थर जैसे दिलो में भी प्यार जगा दे। मेहुल के कहने पर सभी सबसे पहले “मणिकरण गुरुद्वारा” जाने के लिए निकले। 2 घंटे में सभी वहा पहुँच गए , गाड़ी को पार्किंग में लगाया और सारे पैदल ही गुरूद्वारे की तरफ बढ़ गए। रास्तेभर साहिबा ने पार्थ से कोई बात नहीं की थी। वह काफी उदास हो चुका था। साहिबा रुबीना और लक्ष्य के साथ घूम रही थी पार्थ अकेले बस उन सबके पीछे चल रहा था प्रिया ने देखा तो मेहुल को आगे चलने का कहकर खुद पार्थ के पास चली आयी और कहा,”सो कुछ बात हुई उस से ?”
पार्थ फीका सा मुस्कुराया और कहा,”वो बहुत सख्त है प्रिया दी नहीं पिघलेगी”
“मोहब्बत सख्त से सख्त दिल को भी पिघला सकती है पार्थ , और फिर तुम्हारा प्यार तो सच्चा है देखना वो जरूर पिघलेगी”,प्रिया ने आगे चल रही साहिबा को देखकर कहा
“मुझे यहाँ नहीं आना चाहिए था मेरी वजह से उसे तकलीफ हो रही है”,पार्थ ने कहा
“अच्छा ,, साहिबा अगर आज वापस चली जाती तो ना तुम्हे अपना प्यार जाहिर करने का मौका मिलता ना ही उसे,,,,,,,,,,,,,,,,साहिबा हमेशा के लिए हम सब की जिंदगी से वापस जाये उस से पहले उसे अपना बना लो पार्थ ! इस बार वो चली गयी तो शायद कभी नहीं आएगी”,प्रिया ने एकदम से पार्थ के सामने आकर कहा , पहली बार प्रिया की आँखो में दर्द नजर आ रहा था
“मैं उसे और हर्ट नहीं करना चाहता प्रिया दी”,पार्थ ने उदास होकर कहा
“तो होने दो ना हर्ट , वो हर्ट होगी तभी उसकी सारी फीलिंगस बाहर आएगी जो की तुम्हारे लिए है , तुम्ही ने कहा था पार्थ की वो तुमसे प्यार करती है तो फिर एक बार कोशिश कर लो ना क्या पता वो मान जाये,,,,,,,,,,,,,,,,उसे ऐसे खामोश देखना अच्छा नहीं लगता , उसे देखकर ऐसा लगता है जैसे उसने खुद को कही कैद कर लिया है। वो,,,,,,,,,,,,वो साहिबा है ही नहीं जिस से हम सब 5 साल पहले मिले थे। प्लीज पार्थ सिर्फ तुम उसे वापस ला सकते हो”,कहते कहते प्रिया की आँखों में नमी उतर आयी। पार्थ ने उसके दोनों हाथो को थाम लिया और कहा,”इस बार मैं उसे वापस जाने नहीं दूंगा दी”
प्रिया ने सूना तो ख़ुशी से मुस्कुराई और फिर पार्थ के साथ आगे बढ़ गयी।
चलते चलते सभी अंदर आये , सबने हाथ पैर धोये। रुबीना , प्रिया और साहिबा ने अपने साथ लाये दुपट्टे को सर पर ओढ़ लिया वही मेहुल , लक्ष्य और पार्थ ने अपने अपने रुमाल से सर ढक लिए क्योकि नंगे सर अंदर जाने की इजाजत वहा किसी को नहीं थी। सुबह सुबह बहुत ही अच्छा मौसम था और उस पर गुरुद्वारा वहा इतनी शांति थी की सभी का मन खुश हो गया। सभी अंदर आये और मत्था टेकने लगे। साहिबा घुटनो के बल बैठी और अपना सर टिकाते हुए मन ही मन कहा,”5 बाद फिर हमारा मिलना कोई इत्तेफाक तो नहीं है बाबाजी , अगर ये हमारी तक़दीर है तो मैं चाहूंगी आप इसे बदल दे। 5 साल पहले जो दर्द सहा था वो फिर से सहने की हिम्मत मुझे में नहीं है। दुआ है उसे दुनिया जहां की खुशिया मिले , उसे मेरी उम्र भी लग जाये वो इतना खुश रहे की उसे कभी मेरी याद ना आये”
साहिबा के बगल में खड़े पार्थ ने सर टेकते हुए मन ही मन कहा,”5 साल बाद आज ये फिर साथ है बाबाजी इस बार ऐसा कोई चमत्कार कर दो के हमेशा के लिए मेरी हो जाये। बहुत इंतजार किया है मैंने इसके लौट आने का लेकिन आयी भी है तो वापस जाने के लिए ,,, इस बार इसे वापस मत जाने दो बाबाजी , इसके दिल में मेरे लिए जो अहसास है उन्हें फिर से जगा दो बाबाजी ,,, मुझे इसकी जरूरत है और शायद इसे मेरी ,, बिखरा हुआ हूँ पर जानता हु ये सम्हाल लेगी”
पार्थ की में नमी तैर गयी वहा बैठे सेवक ने पार्थ के सर से हाथ वार दिया। सभी कुछ देर वही बैठे और फिर उठकर बाहर चले आये। गुरूद्वारे में लंगर लगा हुआ था। वहा आने सभी लोग सेवा करने में विश्वास रखते थे इसलिए मेहुल ने भी कुछ देर वही रुकने की बात कही। साहिबा को वो जगह सबसे ज्यादा पसंद आयी थी। उसने देखा पास ही में लंगर लगा हुआ था और बाहर से आने वाले सभी लोग खाना खा रहे थे। साहिबा उठी और उन लोगो की तरफ चली आयी , उसने खाने का बर्तन उठाया और मुस्कुराते हुए सबको परोसने लगी। पार्थ वही सबके साथ बैठकर प्यार से उसे देखने लगा। प्रिया ने पार्थ को देखा तो उसे भी वहा से जाने का इशारा किया। पार्थ उठकर लंगर की तरफ चला आया और साहिबा के साथ उन सबको खाना परोसने लगा। घूमते हुए दोनों एक दूसरे के आमने सामने आये तो साहिबा को देखकर पार्थ हल्का सा मुस्कुरा दिया। साहिबा वहा से चली गयी।
गुरुद्वारा से निकलकर सभी पार्किंग में चले आये। लक्ष्य ने सबके लिए चाय आर्डर कर दी सभी गाड़ी के पास खड़े होकर बाते करने लगे और आगे कहा जाना है इसकी प्लानिंग करने लगे। चाय आयी लक्ष्य ने सबको चाय दी। साहिबा पास ही पड़ी बेंच पर आकर बैठ गयी और चाय पीने लगी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था की वह यहाँ क्यों है ? पार्थ का यहाँ आने के पीछे की वजह साहिबा नहीं जानती थी लेकिन जानना चाहती थी। उसने एक नजर पार्थ को देखा पार्थ कुछ ही दूर खड़ा चाय पि रहा था। साहिबा ने चाय पी और आकर गाड़ी में बैठ गयी। सभी आकर गाड़ी में बैठे और वापस होटल चले आये। होटल आकर सबने खाना खाया और फिर सुस्ताने लगे। रुबीना बिस्तर पर सो रही थी और लक्ष्य सोफे पर लेटा हुआ था। साहिबा को ना नींद आ रही थी ना ही थकान हो रही थी उसका दिमाग बस पार्थ को लेकर उलझा हुआ था। उसका शादी में आना , साहिबा के लिए परवाह जताना , गेम में सबके सामने उसका नाम लेना और अब मनाली चले आना ये सब बातें इसी तरफ इशारा कर रही थी की पार्थ के दिल में आज भी उसे लेकर फीलिंग्स है।
खिड़की के पास खड़ी साहिबा खोयी हुई सी बाहर के नज़ारे देख रही थी। दूसरी तरफ अपने कमरे में अकेले बैठा पार्थ भी साहिबा के बारे में ही सोच रहा था। वह कैसे साहिबा को अपने दिल की बात कहे , उसे कैसे यकीन दिलाये की वह आज भी उसे बहुत चाहता है , क्योकि वह जानता था पल्लवी के होते वह कभी इन सब बातो को एक्सेपट नहीं करेगी। प्रिया के कहने पर पार्थ यहाँ तो आ चुका था लेकिन साहिबा को उदास देखकर उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। उसकी आँखों के सामने वो 5 साल घूमने लगे जो उसने साहिबा के बिना गुजारे थे उन 5 सालो में क्या क्या हुआ था साहिबा इस बारे में कुछ नहीं जानती थी।
5 साल पहले जब साहिबा चली गयी थी तो पल्लवी की शादी के बाद पार्थ भी हमेशा हमेशा के लिए दिल्ली चला गया था। उन 5 सालो में वह सिर्फ एक बार घर आया था जब ध्रुव पैदा हुआ था उसके बाद उसने कभी घर का रुख नहीं लिया था। हर सोशल मीडिया छान मारा , साहिबा नाम की हर लड़की से बात की लेकिन उनमे से कोई भी वो साहिबा नहीं थी जिसे पार्थ ढूंढ रहा था। बहुत ढूंढा उसे लेकिन ना उसका पता चला ना ही उसकी कोई खबर आयी।
ये 5 साल उसने कैसे निकाले थे ये सिर्फ वही जानता था , पार्थ इन सबके बारे में सोच ही रहा था की तभी बेल बजी। पार्थ ने अपनी आँखों के किनारो को साफ किया और उठकर दरवाजा खोला। सामने “साहिबा” खड़ी थी
Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13 Tere Ishq Me – 13
क्रमश – Tere Ishq Me – 14
Read More – “तेरे इश्क़ में” – 12
Follow Me On – facebook | youtube | instagram
Read More Story here – waveofshama
संजना किरोड़ीवाल