Tere Ishq Me – 12
5 साल बाद पार्थ और साहिबा प्रिया की शादी में मिले थे। उन दोनों के चेहरे पर छायी बेचैनी और होंठो पर खामोशी बयान कर रही थी की दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए कुछ तो था। पार्थ ने जब साहिबा के कानो में झुमके देखे तो उसका दिल भर आया। 5 साल बाद भी साहिबा ने वही झुमके पहने थे पार्थ ने उसके लिए खरीदे थे। वही पार्थ की कलाई पर अपनी दी घडी देखकर साहिबा का दिल भी किया की जाकर पार्थ से पूछे की क्यों उसने आज तक इस घडी को सम्हाल रखा है।
गाड़ी के अंदर सीट से सर लगाए आँखे मूँदे पार्थ का फोन बजा। उसने जेब से फोन निकालकर देखा अश्विनी का था। पार्थ ने फोन उठाया और धीरे से कहा,”हेलो”
“हेलो पार्थ कहा है तू दिखाई नहीं दे रहा ?”,अश्विनी ने कहा
“बाहर गाडी में हूँ”,पार्थ ने कहा
“बाहर क्या कर रहा है चल अंदर आ जा सब बुला रहे है”,अश्विनी ने कहा और फोन काट दिया। अश्विनी ने गाडी में लगे मिरर में अपना चेहरा देखा। जेब से रुमाल निकाला अपनी आँखे साफ की और गाड़ी से उतारकर वापस अंदर चला गया। अंदर आया तो देखा सभी खाना खाने में लगे हुए है। अश्विनी ऊपर कमरे में था उसने खिड़की से पार्थ को हाथ हिलाया और ऊपर बुला लिया। पार्थ भी ऊपर कमरे में चला आया। कमरे में पल्लवी , प्रिया , रुबीना , लक्ष्य , साहिबा , अश्विनी और ध्रुव थे। वरुण दूसरे कमरे में सोने चला गया था। पार्थ ने साहिबा को देखा तो दोनों की नजरे एक दूसरे से जा मिली। साहिबा उठकर जाने लगी तो प्रिया ने उसके हाथ पर हाथ रखकर उसे जाने से रोक लिया और पार्थ से कहा,”पार्थ खड़ा क्यों है बैठ ना ?”
पार्थ उस रूम में रखे दूसरे बिस्तर पर आकर बैठ गया। ध्रुव ने देखा तो वह भी उसके पास चला आया। सभी बातें करने लगे बस पार्थ और साहिबा खामोश थे। पल्लवी साहिबा के आने से खुश थी वह अश्विनी के साथ साथ सबको हॉस्टल वाले दिनों के बारे में बता रही थी। कुछ देर बाद वेटर सबके लिए कॉफी ले आया। पार्थ ने देखा तो उठकर उसके हाथ से ट्रे ली और सबको कॉफी देने लगा। आखिर में एक कप बचा और पीने वाले दो यानि पार्थ और साहिबा , प्रिया ने देखा तो कहा,”रुको मैं एक और मंगवाती हूँ”
“प्रिया रहने दो “,कहते हुए साहिबा ने टेबल पर रखा खाली कप उठाया और अपने कप की आधी कॉफी दूसरे कप में डालकर पार्थ की ओर बढ़ा दी। पल्लवी ने देखा पर कुछ नहीं कहा। पार्थ को अच्छा लगा वह आकर अपनी जगह बैठ गया और कॉफी पीने लगा। कॉफी पीने के बाद अश्विनी ने कहा,”यार नींद तो आ नहीं रही चलो ना बोतल स्पिन खेलते है”
“येह जीजू गुड़ आइडिआ ये रही बोतल”,लक्ष्य ने पानी की बोतल उठाते हुए कहा। प्रिया , रुबीना और लक्ष्य के साथ साथ अश्विनी भी चाहता था की साहिबा और पार्थ एक दूसरे को अपने दिल की बात कह दे लेकिन सीधे सीधे तो कोई कहेगा नहीं इसलिए उन्होंने लिया खेल का सहारा। पल्लवी ध्रुव को सुला रही थी इसलिए कहा,”तुम सब खेलो मैं इसे सुला देती हूँ”
प्रिया , अश्विनी , रुबीना , साहिबा , लक्ष्य और पार्थ , सभी एक टेबल के इर्द गिर्द आकर बैठ गए। सबसे पहले बोतल घुमाया अश्विनी ने जो की आकर रुका सीधा प्रिया के सामने। अश्विनी ने प्रिया से उसका डार्केस्ट सीक्रेट बताने को कहा तो प्रिया ने बताया की हॉस्टल में एक बार उसने अपने बगल वाली लड़की को किस किया था। पल्लवी ने सूना तो हैरानी से कहा,”कमिनी तू इसलिए उसके रूम में जाती थी”
प्रिया ने सूना तो हसने लगी और साथ में रुबीना भी। कुछ देर बाद रुबीना ने बोतल घुमाया , बोतल आकर रुका लक्ष्य पर। रुबीना ने उसे सब दोस्तों की एक्टिंग करने को कहा। लक्ष्य ने सबकी एक्टिंग की तो सब हसने लगे ,, अश्विनी का तो हंस हंस कर बुरा हाल था। उसके बाद अश्विनी ने फिर बोतल घुमाया और इस बार आकर रुका पार्थ पर। रुबीना ने देखा तो अश्विनी की ओर देखकर मुस्कुरा दी।
“हम्म्म्म तो पार्थ ये बताओ कभी किसी से प्यार किया है और अगर हां तो किस से ?”,अश्विनी ने कहा
पार्थ ने जैसे ही अश्विनी का सवाल सूना वह साहिबा को देखने लगा और फिर नीचे देखते हुए कहा,”हाँ किया है”
पार्थ का जवाब सुनकर साहिबा का दिल धड़क उठा वह पार्थ को देखने लगी क्योकि बाकी सबके साथ साथ अगला जवाब वह भी जानना चाहती थी।
“वाओ देट्स ग्रेट , अब फटाफट ये भी बता दो किस से ?”,रुबीना ने चहकते हुए कहा
“साहिबा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहकर पार्थ कुछ देर के लिए रुक गया सबने जैसे ही साहिबा का नाम सूना सबकी गर्दन पार्थ की तरफ घूम गयी ,, खुद साहिबा का भी दिल धक् धक् करने लगा। ध्रुव को थपथपाने वाले पल्लवी के हाथ रुक गए।
“साहिबा वो पानी की बोतल देना”,पार्थ ने अगले ही पल फिर कहा तो सभी हैरान रह गए। पार्थ ने बड़ी ही चालाकी से बता दिया की उसने किस से प्यार किया है साहिबा ने अपनी बगल में पड़ी पानी की बोतल पार्थ को दे दी और उठते हुए कहा,”सॉरी गाईज मुझे नहीं खेलना ये गेम , मैं सोने जा रही हूँ”
कोई उसे रोकता इस से पहले ही साहिबा कमरे से बाहर निकल गयी। पार्थ भी उठा और पानी पीते हुए कहा,”मैं क्यों अपनी पर्सनल लाइफ शेयर करू”
गेम शुरू होने से पहले ही खत्म हो चुका था लेकिन 4 लोग खुश थे। पल्लवी वही ध्रुव के बगल में लेट गयी। रुबीना , लक्ष्य और प्रिया भी अश्विनी को वहा छोड़कर चले गए। लक्ष्य वरुण के पास सोने चला गया।
“रूबी तू चल मैं आती हूँ”,कहते हुए प्रिया कुछ ही दूर खड़े पार्थ की तरफ चली गयी !
छत की दिवार के पास खड़ा पार्थ सामने खाली पड़े आसमान को देख रहा था। प्रिया आयी और दिवार से पीठ लगाकर उसके बगल में खड़े हो गयी और कहा,”सो फाइनली तुमने मान लिया की तुम्हे उस से प्यार है”
“उसे भी है मुझसे लेकिन कहेगी नहीं , मेरी परवाह करेगी लेकिन जतायेगी नहीं , मेरी आँखों में नमी देखकर पलकें झुका लेगी लेकिन उस नमी की वजह नहीं पूछेगी”,पार्थ ने सामने देखते हुए इमोशनल होते हुए कहा
“तुम्हे कैसे पता ? आई मीन उसने बताया तुम्हे ?’,पार्थ की बात सुनकर प्रिया ने हैरानी से पूछा
“उसके बताये बिना भी सब नजर आ रहा है प्रिया दी और सबूत है उसके कानो में पड़े वो झुमके जो 5 साल पहले मैंने खरीदे थे। कोई भी लड़की इतनी मामूली सी चीज को अब तक सम्हालकर क्यों रखेगी ? 5 साल पहले जब वो बिना मुझसे मिले चली गयी तब लगा जैसे कोई अपना हमेशा हमेशा के लिए चला गया है सोचा धीरे धीरे सब भूल जायेंगे उसे , सोचा वो अपनी जिंदगी में खुश होगी लेकिन आज जब 5 साल बाद उसे देखा तो अहसास हुआ की वो अभी वही है और शायद मैं भी , कुछ नहीं बदला है ,, उसकी आँखों में अपने लिए वही बेचैनी देख रहा हूँ मैं,,,,,,,,,,,,,!!!”,कहते कहते पार्थ का गला रुंध गया जिसे प्रिया महसूस कर रही थी। उसे पार्थ को ऐसे हाल में देखकर बहुत बुरा लग रहा था
पार्थ की आँखों में नमी तैरने लगी वह आगे कहने लगा,”उसके बाद कभी कोई चेहरा इन आँखों में उतरा ही नहीं , कभी कोई इतना पसंद आया ही नहीं की मैं उसे भूल सकू। 5 साल कब गुजरे आप लोगो को पता ही नहीं चला लेकिन उस इंसान के लिए 5 साल बहुत लंबा वक्त होता है जो किसी के बारे में सोचते हुए , हर रोज जीता है और हर मरता है ,, मैं चाहकर भी ये सब साहिबा से नहीं कह सकता क्योकि मैं जानता हूँ वो कभी हाँ नहीं कहेगी ना ही मैं ये पल्लवी दी कह सकता हूँ क्योकि वो अगर समझती तो शायद 5 साल पहले ही समझ जाती”
प्रिया ने पार्थ को आज से पहले इतना इमोशनल नहीं देखा था उसने पार्थ के कंधे पर हाथ रखा और कहने लगी,”किस्मत ना बहुत कुत्ती चीज होती है पार्थ ये कभी भी पलट सकती है। तुम्हारा और साहिबा का मिलना कोई इत्तेफाक तो नहीं हो सकता , क्या पता किस्मत एक बार फिर तुम्हे मिलाना चाहती हो”
“ये झूठी तसल्ली मैं खुद को हजारो बार दे चुका हूँ प्रिया दी ,, इनसे सिर्फ दिल बहलाया जा सकता है हकीकत नहीं बदली जा सकती ,,, साहिबा और मेरा मिलना शायद किस्मत में हो पर वो (साहिबा) खुद किस्मत के खिलाफ खड़ी है”,पार्थ ने कहा तो प्रिया खामोश हो गयी। प्रिया जानती थी पार्थ जो कह रहा है वो सब सच है पल्लवी के रहते साहिबा कभी भी पार्थ के प्यार को नहीं अपनाएगी। प्रिया कुछ देर वही खड़ी रही और फिर पार्थ से जाकर सो जाने को कहा।
अगली सुबह सभी जल्दी उठ गए। फेरो का मुहूर्त दोपहर 2 बजे था इसलिए सभी तैयारियां सुबह ही कर दी गयी। पार्थ , लक्ष्य , वरुण एक ही कमरे में रुके थे। वरुण तैयार होकर नीचे चला आया और शादी के कामो में हाथ बटाने लगा। लक्ष्य बाथरूम में था और पार्थ नहाकर आ चुका था। वह कमरे में शीशे के सामने खड़ा तैयार हो रहा था तभी साहिबा ने अंदर आते हुए कहा,”लक्ष्य वो मैं,,,,,,,,,,,,,,,!!”
पार्थ को वहा देखकर आगे के शब्द साहिबा के गले में ही अटक गए। पार्थ पलटा जब उसने साहिबा को देखा तो बस देखता ही रह गया। क्रीम रंग के लहंगे में वह बहुत सुन्दर लग रही थी साहिबा के लहंगे से हटकर पार्थ की नजरे साहिबा के कानो पर चली गयी जिनमे आज भी वही झुमके थे जो पार्थ ने खरीदे थे। साहिबा से बात करने के इरादे से पार्थ जैसे ही उसके पास आया साहिबा वहा से चली गयी। पार्थ उसे जाते हुए देखता रहा और मन ही मन कहा ,”आखिर क्यों भाग रही हो मुझसे साहिबा ?”
साहिबा ने पलटकर नहीं देखा तो खुद ही वापस जाने के लिए पलट गया। चलते चलते साहिबा रुकी और पलटकर जाते हुए पार्थ को देखकर मन ही मन कहा,”मैं तुमसे नहीं पार्थ अपने अतीत से भाग रही हूँ , नहीं चाहती वो अहसास फिर से ज़िंदा हो”
सभी मेहमान आ चुके थे और नीचे जमा थे साहिबा भी नीचे चली आयी। पल्लवी ने भी आज क्रीम रंग की साड़ी पहनी थी जिसमे वह बहुत खूबसूरत लग रही थी। साहिबा , पल्लवी , रुबीना और प्रिया चारो ने साथ में कई सेल्फी ली। सभी शादी का लुफ्त उठा रहे थे। पार्थ साहिबा को असहज नहीं करना चाहता था इसलिए उस से दूर ही रहा ताकि वह शादी को इंजॉय कर सके लेकिन यहाँ साहिबा की नजरे बार बार किसी को ढूंढ रही थी।
रुबीना ने देखा तो फुसफुसाकर कहा,”पार्थ को ढूंढ रही हो ?”
“आह्ह नहीं , मैं क्यों किसी को ढूंढूंगी ?”,साहिबा ने कहा जैसे किसी ने उसकी चोरी पकड़ ली हो।
“अरे साहिबा कैसी हो बेटा ? इतने सालो में कहा थी ? उस दिन शादी से भी अचानक चली गई”,पल्लवी के पापा ने आकर साहिबा से कहा
“ठीक हूँ अंकल , उस दिन किसी जरुरी काम से निकलना पड़ा”,साहिबा ने कहा
“कोई बात नहीं घर कब आ रही हो ?”,पल्लवी के पापा ने जैसे ही पूछा साहिबा खामोश हो गयी तभी पास खड़ी पल्लवी आयी और कहा,”ये भी कोई पूछने की बात है इसका अपना घर है ये जब चाहे तब आ सकती है , क्यों साहिबा ?”
“हाँ हां अंकल जरूर”,साहिबा ने कहा उसे समझ नहीं आ रहा था क्या कहे।
“अच्छा तुम सब इंजॉय करो मै चलता हूँ”,कहकर पल्लवी के पापा वहा से चले गए उनके जाते ही साहिबा भी जाने लगी तो पल्लवी ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोका और कहा,”साहिबा”
साहिबा पल्लवी के सामने आ खड़ी हुई तो पल्लवी कहने लगी,”मम्मी पापा अक्सर तुम्हारे बारे में पूछते रहते है , आज भी वो तुम्हे अपनी बेटी जैसा मानते है। उस दिन जब तुम अचानक चली गयी तो किसी को अच्छा नहीं लगा। ऊटी वापस जाने से पहले मम्मी पापा के घर जाओगी तो उन्हें अच्छा लगेगा”
“हम्म्म्म कोशिश करुँगी”,कहकर साहिबा वहा से चली गयी। पल्लवी ने महसूस किया की साहिबा अब पहले से बहुत कम बोलने लगी है , अधिकतर समय वह चुप ही रहती थी कोई कुछ पूछता भी था तो बस हां ना जवाब दे दिया करती थी। हमेशा चहकने वाली , सबसे बाते करने वाली साहिबा को खामोश देखकर आज अच्छा नहीं लग रहा था इन सब के पीछे कही ना कही पल्लवी भी थी और ये बात हमेशा पल्लवी की परेशान करती थी। अश्विनी के बुलाने पर पल्लवी उसकी तरफ चली गयी।
बारात आ चुकी थी सभी बारातियो के स्वागत में लग गए। रुबीना लक्ष्य और साहिबा साथ साथ थे। प्रिया को उसके घरवालो और बाकि रिश्तेदारों ने घेर रखा था। पल्लवी अश्विनी के साथ थी और पार्थ इन सबसे अलग थलग वरुण के साथ काम में लगा हुआ था। बारात में आये कुछ लड़को में से एक लड़के की नजर साहिबा पर थी। रुबीना ने देखा तो साहिबा के कंधे को अपने कंधे से टकराकर कहा,”यार ये ब्लैक शर्ट वाला तो लगता है फ़िदा ही हो गया है तुझ पर देख कैसे देख रहा है ?”
“देखने दो जब मन भर जाएगा तो देखना बंद कर देगा”,साहिबा ने शांत स्वर में कहा
“यार साहिबा तेरी लाइफ में कोई एक्साइटमेंट ही नहीं है , पहले तो तू ऐसी बिल्कुल नहीं थी”,रुबीना ने उसकी तरफ पलटकर कहा
“वक्त के साथ सब बदल जाता है रूबी , बी मैच्योर”,साहिबा ने कहा रुबीना फिर शादी की रस्मे देखने लगी और लक्ष्य प्यार से उसे आज उसे रुबीना कुछ ज्यादा ही क्यूट लग रही थी। लक्ष्य को रुबीना को ओर देखता पाकर साहिबा मुस्कुरा उठी।
शादी सम्पन्न हुयी। सबने खाना खाया और उसके बाद विदाई हुई प्रिया विदा होकर जाने लगी वह सबसे मिली और आखिर में साहिबा से आकर कहा,”कल सुबह मैं और मेहुल वापस आ रहे है , मैंने अपने हनीमून के साथ साथ हम सब दोस्तों का ट्रिप भी प्लान किया है , हम सब मनाली घूमने जा रहे है”
“प्रिया मुझे ऊटी वापस जाना है”,साहिबा ने कहा तो उसने उसका हाथ अपने सर पर रखते हुए कहा,”तुझे मेरी कसम है जब तक मैं वापस नहीं आउ तुम कही नहीं जाओगी”
कसम देने के बाद साहिबा को प्रिया की बात माननी पड़ी। प्रिया विदा होकर वहा से चली गयी। बाकि सब घरवाले भी यहाँ वहा बैठकर सुस्ताने लगे। पल्लवी के पापा ने कहा इसलिए पल्लवी ऊपर आकर अपना और अश्विनी का बैग पैक करने लगी। ध्रुव भी वही था कुछ देर बाद साहिबा आयी और कहा,”तुम जा रही हो ?”
“हाँ मम्मी पापा चाहते है की मैं और अश्विनी दो दिन उनके साथ रहे उसके बाद तो आगरा जाना ही है”,पल्लवी ने मुस्कुरा कर कहा
“कैसी चल रही है तुम्हारी शादीशुदा जिंदगी ?”,साहिबा ने बैठते हुए कहा
“परफेक्ट , अश्विनी बहुत अच्छे है ,, हर बात समझते है सपोर्ट करते है “,पल्लवी ने कहा तो साहिबा को तसल्ली हुई की पल्लवी अपनी जिंदगी में बहुत खुश है
“मम्मा buddy हमारे साथ क्यों नहीं जा रही है ? क्या हम इनको अपने घर नहीं ले जा सकते ?”,ध्रुव ने पूछा
“ध्रुव तुम्हारी buddy तुमसे मिलने आगरा वाले घर में आएगी”,कहते हुए पल्लवी साहिबा की तरफ देखती है और कहती है,”आओगी ना साहिबा ?”
“ह्म्म्मम्म !”,साहिबा ने असमझ की स्तिथि में कहा
“ऐसे नहीं वादा करो ऊटी जाने से पहले एक बार तुम घर आओगी हम सब से मिलने”,पल्लवी ने अपना हाथ साहिबा की तरफ बढाकर कहा। साहिबा कुछ देर ख़ामोशी से पल्लवी को देखते रही और फिर अपना हाथ उसके हाथ पर रखकर कहा,”मैं जरूर आउंगी”
साहिबा ने कहा तो पल्लवी अपना बैग पैक करने लगी। वह खुश थी की धीरे धीरे ही सही उसके और साहिबा के बीच की दूरिया अब कम हो रही है।
शाम के समय पार्थ ने आकर गाड़ी लगायी। पार्थ के मम्मी पापा आकर गाड़ी में बैठ गए। अश्विनी और पल्लवी भी सबसे मिलकर अपनी गाड़ी की तरफ जाने लगे चलते चलते ध्रुव ने पल्लवी का हाथ छोड़ा और साहिबा की तरफ आकर उसे नीचे झुकने का इशारा किया। साहिबा नीचे झुकी तो ध्रुव ने उसके गाल पर किस किया और अपना चश्मा ठीक करते हुए कहा,”अपना प्रॉमिस याद रखना buddy”
बदले में साहिबा ने उसे गले लगाया और मुस्कुरा कर कहा,”जरूर”
अश्विनी , पल्लवी और ध्रुव अपनी गाडी में बैठकर वहा से निकल गये। जाने से पहले पार्थ ने एक नजर साहिबा को देखा। दोनों की आँखों में खालीपन पसरा था। अपने पापा के आवाज देने पर पार्थ वहा से चला गया। गाड़ी में बैठते हुए उसने आँखों पर चश्मा लगा लिया उसके पापा ने देखा तो कहा,”अरे बेटा ये चश्मा क्यों लगाया है ?”
“सामने से मिटटी उड़कर आँखों में आ रही है पापा”,पार्थ ने कहा जबकि कुछ और था। उसने गाड़ी आगे बढ़ा दी और साइड मिरर में देखने लगा जिसमे उसे साहिबा दिखाई दे रही थी और धीरे धीरे वह उसे खुद से पीछे छोड़ते जा रहा था
Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12 Tere Ishq Me – 12
क्रमश – Tere Ishq Me – 13
Read More – “तेरे इश्क़ में” – 11
Follow Me On –facebook | youtube | instagram
Read More Story Here – waveofshama
संजना किरोड़ीवाल