Tere Ishq Me – 11
5 सालो बाद पार्थ और साहिबा एक दूसरे के सामने खड़े थे और 5 साल बाद भी उनकी धड़कने उसी लय में धड़क रही थी। साहिबा और पार्थ को खामोश देखकर ध्रुव ने साहिबा की साड़ी का पल्लू खींचते हुए कहा,”buddy क्या हुआ चलो ना ?”
“हाँ हाँ ध्रुव चलते है”,कहकर साहिबा ध्रुव को लेकर वहा से चली गयी। पार्थ उसे जाते हुए देखता रहा उसने सोचा नहीं था की साहिबा से उसकी मुलाकात ऐसे होगी। पार्थ वहा से आगे बढ़ गया सामने पल्लवी और अश्विनी मिल गए पार्थ उनसे मिला और फिर अपनी मम्मी की तरफ चला आया जो की प्रिया के पास थी। पार्थ को वहा देखते ही प्रिया हैरान हो गयी उसने कुछ दूर खड़े लक्ष्य और रुबीना को देखा और पार्थ की तरफ देखने का इशारा किया। रुबीना ने पार्थ को वहा देखा तो उसे 5 साल पहले का किस्सा याद आ गया जब पल्लवी ने पार्थ और साहिबा को लेकर झगड़ा किया था। दोबारा वही माहौल ना बन जाये सोचकर रुबीना और प्रिय घबरा रही थी। पार्थ ने प्रिया को देखा और कहा,”हाय , शादी मुबारक हो”
“थैंक्यू पार्थ”,प्रिया ने मुस्कुरा कर कहा। प्रिया को पार्थ से करनी थी लेकिन इस वक्त वहा से उठकर जाना उसके लिए पॉसीबल नहीं था। पार्थ ने अपनी मम्मी से कहा,”माँ मैं निकलता हूँ”
“अरे बेटा इस वक्त कहा जाओगे ? वैसे भी डांस फंक्शन है और खाने का प्रोग्राम भी है ,, कल सुबह शादी है ही तो अभी जाकर क्या करोगे कल शादी अटेंड करके ही चले जाना”,पास ही खड़ी प्रिया की मम्मी ने कहा
“अरे नहीं आंटी मुझे कुछ,,,,,,,,,,,!!”,पार्थ ने कहना चाहा तो पास खड़ी उसकी मम्मी ने कहा,”सही तो कह रही है आंटी , वैसे भी इतनी रात में कहा जाएगा ? पल्लवी और दामाद जी भी यही है , कल सुबह शादी देखकर शाम में सभी साथ ही निकल जायेंगे”,
“लेकिन माँ,,,,,,,,,,,,,,!!”,पार्थ ने फिर
“क्या हुआ आप दोनों में किस बात को लेकर बहस हो रही है ?”, पल्लवी ने आकर कहा
“देख ना अभी अभी आया है और जाने की बात कर रहा है , तू ही समझा अब इसे”,पार्थ की मम्मी ने कहा और प्रिया की माँ से बाते करने लगी।
“क्या हुआ रुक जा न , कल शादी के बाद सब साथ ही चलेंगे”,पल्लवी ने कहा तो पार्थ ने हाँ में गर्दन हिला दी ऐसा करते हुए उसकी नजरे प्रिया से जा मिली। पार्थ का चेहरा देखकर प्रिया समझ गयी की पार्थ यहाँ क्यों नहीं रुकना चाहता है ?
पार्थ वहा से अश्विनी की तरफ चला गया और उस से बात करने लगा वही उसे वरुण मिल गया
साहिबा ध्रुव को लेकर बाथरूम की ओर गयी। ध्रुव को अंदर भेजकर साहिबा बाहर खड़ी उसका इंतजार करने लगी। उसका मन बैचैन था जिस चेहरे को वो पिछले 5 साल से भूलने की कोशिश कर रही थी आज फिर उसके सामने था। साहिबा के चेहरे से ख़ुशी गायब हो चुकी थी। ऐसा नहीं था की वह पार्थ को देखना नहीं चाहती थी या उस से नफरत करती थी लेकिन पल्लवी ने पार्थ को लेकर जो बर्ताव उसके साथ किया था साहिबा आज तक उसे भूल नहीं पाई थी। ध्रुव वापस आया तो साहिबा उसे लेकर लॉन में चली आयी जहा डांस प्रोग्राम हो रहा था। रुबीना ने देखा पार्थ भी वहा है और साहिबा भी और दोनों बीच बीच में एक दूसरे को देख रहे थे। रुबीना और लक्ष्य ने एक दूसरे की तरफ देखा और लक्ष्य ने कहा,”रूबी मुझे लगता है इन दोनों के दिल में अब भी एक दूसरे के लिए फीलिंग्स है”
“हाँ लग तो मुझे भी रहा है लेकिन साथ साथ डर भी लग रहा है पल्लवी भी यहाँ है , साहिबा भी और पार्थ भी”,रुबीना ने कहा
“लेकिन यार ये पल्लवी की दिक्कत क्या है ? साहिबा उसकी बेस्ट फ्रेंड है और पार्थ उसका भाई दोनों अगर को चाहते भी है तो इन सब से पल्लवी को क्या परेशानी है , उसे तो इन्हे सपोर्ट करना चाहिए ना”,लक्ष्य ने कहा
“वही तो हम लोग नहीं समझ पा रहे है की आखिर पल्लवी और साहिबा के बीच सब इतना अच्छा था , पल्लवी उसे अपनी फॅमिली मानती है तो फिर पार्थ को लेकर इतनी नाराजगी क्यों ?”,रुबीना ने कहा
“मेरे पास एक आईडीया है”.लक्ष्य ने एकदम से कहा
“तू तो अपना आइडिआ अपने पास ही रख , मैं जा रही हूँ प्रिया के पास”,कहते हुए रुबीना वहा से चली गयी
“रुबीना , रुबीना रूबी सुन तो”,बेचारा लक्ष्य कहता ही रह गया लेकिन रुबीना नहीं रुकी और प्रिया के पास चली आयी। रुबीना जैसे ही प्रिया के पास आयी प्रिया ने उसे बैठते का इशारा किया और फिर अपना मुंह उसके कान के पास लेजाकर कहा,”तूने देखा पार्थ आया है , बहुत परेशान दिख रहा था शायद उसने साहिबा को यहाँ देखा है”
“मैं भी तुझसे इसी बारे में बात करने आयी थी”,रुबीना ने भी उसके कान के पास मुंह लाकर कहा तभी पल्लवी आयी और प्रिया का हाथ पकड़कर उसे उठाते हुए कहा,”तेरी शादी है सब डांस कर रहे है और तू यहाँ बैठी चल,,,,,,,,,,,,(रुबीना को उठाते हुए) तू भी चल , मेरी शादी में डांस नहीं कर पाए थे हम लोग इसकी शादी में करेंगे , चलो”
पल्लवी रुबीना और प्रिया को डांस फ्लोर पर ले गयी और डांस करने लगी। कुछ दूर खड़ी साहिबा उन्हें देख रही थी लक्ष्य ने उसे अकेले खड़े देखा तो उसके पास आया और कहा,”अरे तुम यहाँ क्या कर रही हो तुम भी चलो ?”
“अरे लक्ष्य मैं नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,साहिबा ने मना कर दिया
“कोई बहाना नहीं चलेगा वैसे भी सब इतने सालो बाद मिले है , एक डांस तो बनता है चलो भी”,कहते हुए लक्ष्य ने ध्रुव को वह पास पड़े सोफे पर उसके नानाजी के पास बैठा दिया और साहिबा को लेकर फ्लोर पर चला आया। पल्लवी ने साहिबा को वहा देखा तो मुस्कुरा उठी और डांस करने का इशारा किया। साहिबा का बिल्कुल मन नहीं था लेकिन दोस्तों के कहने पर वह भी सबके साथ थिरकने लगी। दूर खड़ा पार्थ उसे देख रहा था। आज भी साहिबा डांस करते हुए उतनी ही प्यारी लग रही थी जितनी उस शाम। पार्थ उसे एकटक देखता रहा तभी किसी ने आकर उसके कंधे पर अपना हाथ रखा पार्थ ने देखा अश्विनी था। पार्थ उन्हें देखकर फीका सा मुस्कुरा दिया। सामने डांस करती साहिबा को देखते हुए अश्विनी ने कहा,”5 साल बाद भी तुम दोनों नहीं बदले वो डांस करते हुए वैसी ही दिखाई दे रही है और उसे प्यार से निहारते हुए तुम भी वही पार्थ नजर आ रहे हो”
“जीजू वो मैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,पार्थ ने कहना चाहा तो अश्विनी ने उसकी तरफ देखा और कहा,”पार्थ हम सबको जो दिखाई देता है बेशक वो पल्लवी को दिखाई ना दे लेकिन है तो सच ना ,, तुम दोनों भले कितना भी कहो की फर्क नहीं पड़ता लेकिन उसके यहाँ होने से तुम्हे फर्क पड़ रहा है और शायद उसे भी”
अश्विनभी की बातें सुनकर पार्थ खामोश हो गया और दूसरी तरफ देखने लगा। अश्विनी कुछ देर चुप रहा और फिर कहा,”उसे जाकर कह क्यों नहीं देते ?”
“आपको लगता है वो एक्सेपट करेगी अगर उसके दिल में कुछ हुआ भी तो वो ना कह देगी और मैं उसकी ना नहीं सुनना चाहता”,पहली बार पार्थ ने अपने दिल की बात अश्विनी के सामने कही।
“तुम दोनों ही अजीब हो नई तुम्हारे पास कहने को बहुत कुछ है लेकिन कहना नहीं चाहते , वो सुनना नहीं चाहती,,,,,,बहुत ही अजीब रिश्ता है ना तुम दोनों के बीच”,अश्विनी ने कहा तो पार्थ मुस्कुरा उठा लेकिन उसकी मुस्कराहट के पीछे का दर्द अश्विनी देख पा रहा था। उसने पार्थ का हाथ पकड़ा और उसे फ्लोर की तरफ ले जाते हुए कहा,”चलो फिर डांस करते है”
पार्थ उन्हें रोक पाता इस से पहले ही वो उसे वहा से लेकर चले गए। सबके साथ अब अश्विनी और पार्थ भी थे। पार्थ की नजर जब सामने डांस करती साहिबा से मिली तो एक बार फिर बेचैनी ने उन दोनों को घेर लिया। साहिबा ने पार्थ से नजरे हटाई और डांस करने लगी लेकिन लक्ष्य , रुबीना और प्रिया उन तीनो की नजरे इन दोनों पर ही थी। कुछ देर बाद पार्थ वहा से चला गया वह नहीं चाहता था की उसकी मौजूदगी से साहिबा को असहज होना पड़े। पार्थ आकर लॉन में पड़ी एक खाली टेबल के पास आकर बैठ गया।
डांस खत्म होने के बाद सभी वहा से आकर एक टेबल के इर्द गिर्द बैठ गए। अश्विनी ने देखा पार्थ अलग बैठा है तो कहा,”हे पार्थ वहा अकेले क्या कर रहा है ? यहाँ आजा”
साहिबा ने सूना तो उसने पल्लवी की तरफ देखा जो की पार्थ को यहाँ आने का इशारा कर रही थी। साहिबा को पल्लवी के चेहरे पर कोई भाव नजर नहीं आये वह नार्मल थी लेकिन साहिबा नार्मल नहीं थी वह नहीं चाहती की पार्थ और वो एक साथ बैठे और पल्लवी उन्हें फिर से गलत समझ ले। पार्थ वहा चला आया , साहिबा के बगल में पड़ी कुर्सी खाली थी जो की रुबीना और प्रिया ने जान बुझकर रखी थी ताकि पार्थ आकर साहिबा के बगल में बैठे और उन दोनों में कुछ बात हो। पार्थ ने देखा साहिबा के बगल वाली सीट खाली है तो वह आकर उस पर बैठ गया लेकिन उसके मन भी वही ख्याल आया जो साहिबा के मन में आया था।
साहिबा ने जैसे ही उठना चाहा पार्थ ने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया। साहिबा के पुरे जिस्म में एक करंट दौड़ गया। वही अहसास था जो 5 साल पहले हुआ था जब किसी वजह से उसका और पार्थ का हाथ छू गया था। साहिबा ने पार्थ की तरफ देखा तो पार्थ ने उसे वही बैठने का इशारा किया और हाथ छोड़ दिया। साहिबा को अभी तक उस छुअन का अहसास हो रहा था
खाना आया प्रिया ने वेटर से सबको परोसने को कहा। लड़के ने सबकी प्लेटो में खाना परोसा और एक तरफ खड़ा हो गया। अश्विनी और पल्लवी एक प्लेट से खा रहे थे। रुबीना और प्रिया एक प्लेट से , लक्ष्य अपनी प्लेट में खा रहा था बाकि साहिबा और पार्थ भी अपनी अपनी प्लेटो से खा रहे थे। खाते खाते खाना पार्थ के गले में अटक गया वह खांसने लगा तो साहिबा ने पास रखा पानी का ग्लास उसकी तरफ बढ़ा दिया। पल्लवी का ध्यान उस वक्त ध्रुव को खिलाने में था इसलिए वह देख नहीं पाई लेकिन रुबीना और प्रिया की नजर वही पर थी उनके मन में जो बात चल रही थी वह साफ साफ जाहिर हो रही थी की इन दोनों के मन में आज भी एक दूसरे के लिए फीलिंग्स थी। खाँसने की वजह से पार्थ की आँखों में आंसू आ गए। जब उसने ग्लास की तरफ देखा तो पाया की वो साहिबा ने हाथ में उठाया हुआ है ,, साहिबा के लिए उसकी भावनाये आँखों में भर आयी। उसने पानी लिया और पिने लगा। उसकी नम आँखे देखकर एक पल को साहिबा का सीना भी छलनी हो गया लेकिन वह खामोश रही।
पार्थ ने ग्लास रखा और साहिबा की तरफ देखा तो नजरे उसके कानो पर जाकर ठहर गयी , साहिबा के कानो में पहने झुमके पार्थ को याद थे। उन्हें देखकर उसका दिल भर आया। उसे लगा जैसे किसी ने उसके सीने में तीर भौंक दिए हो , वह खामोश हो गया उसे एक दर्द और तकलीफ का अहसास हो रहा था जो की उसकी आँखों में साफ साफ दिखाई दे रही थी। पार्थ वहा नहीं बैठ पाया वह उठा और कहा,”मेरा हो गया”
कोई रोकता इस से पहले ही पार्थ वहा से चला गया। वह बस चलता जा रहा और फिर घर से बाहर आकर अपनी गाड़ी के पास आकर रुक गया। उसका दिल कर रहा था की अभी रो पड़े लेकिन उसने अपने आंसुओ को अपनी आँखों में ही रोक लिया। उसका मन भारी हो चुका था साहिबा के कानो में जो झुमके उसने देखे ये वही थे जो पार्थ ने उसे दिलवाये थे। जो पार्थ की तरफ से उसे पहला और आखरी तोहफा था। गाड़ी पर अपना हाथ मारने के लिए पार्थ ने जैसे ही अपना हाथ उठाया हाथ में पहनी घडी पर उसकी नजर चली गयी। उसकी कलाई में बंधी घडी वही थी जो साहिबा ने उसे दी थी और साहिबा की तरफ से भी पार्थ को ये पहला और आखरी तोहफा था।
दोनों ने बिना कुछ कहे ही ये साबित कर दिया की दोनों के दिल में अब भी एक दूसरे के लिए कुछ था,,,,,,,,,,,,,,,बहुत कुछ था
पार्थ कुछ देर वही खड़ा रहा। साहिबा की ख़ामोशी उसे चुभ रही थी , उसकी आँखे बार बार उस से सवाल कर रही थी की आखिर क्यों ? आखिर क्यों उसने कभी साहिबा से मिलने या बात करने की कोशिश नहीं की। पार्थ ने दो चार गहरी सांसे ली और गाड़ी के अंदर आ बैठा। उसने चाबी गाड़ी में लगाई लेकिन गाडी स्टार्ट करने में उसके हाथ काँप रहे थे। वह यहाँ से साहिबा से बहुत दूर चले जाना चाहता था लेकिन नहीं जा पा रहा था। एक दो बार उसने गाड़ी स्टार्ट करने की कोशिश की और फिर बंद कर दी। सर सीट से लगाकर आँखे मूंद ली।
साहिबा ने सबके साथ खाना खाया। उसकी नजरे बार बार उस तरफ जा रही थी जिस तरफ पार्थ गया था। साहिबा को परेशान देखकर प्रिया ने कहा,”साहिबा सब ठीक है न ?”
“हाँ,,,,,,,,,,,,,,,,हाँ सब ठीक है”,साहिबा ने कहा
अश्विनी ध्रुव को लेकर वहा से चला गया लक्ष्य भी चारो दोस्तों को अकेला छोड़कर चला गया। वेटर ने खाने की सभी प्लेट वहा से हटा दी। पल्लवी , प्रिया , रुबीना और साहिबा बैठकर बातें करनी लगी। बातो बातो में पल्लवी ने साहिबा से कहा,”तुमने शादी क्यों नहीं की ?”
साहिबा को एकदम से इस सवाल की उम्मीद नहीं थी उसने पल्लवी की तरफ देखा और कहने लगी,”कॉलेज के बाद पापा की जो प्रॉपर्टी मिली उसे बेचकर ऊटी में एक टी हॉउस खोल लिया , शादी का मन नहीं था इसलिए अकेले वही रहने लगी”
“साहिबा बचपन से अकेले रहती आयी हो , अब भी अकेले रह रही हो। आई थिंक तुम्हे कोई अच्छा लड़का देखकर शादी कर लेनी चाहिए ,,अपना घर होगा , परिवार होगा तो जिंदगी बेहतर हो जाएगी”,पल्लवी ने कहा
“मेरी जिंदगी अकेले भी बेहतर है पल्लवी , जब इंसान को किसी से कोई उम्मीद नहीं रहती है तो वो अकेले भी खुश रहना सीख जाता है”,साहिबा ने कटाक्ष करते हुए कहा जो की जाकर सीधा पल्लवी के दिल पर लगा और पल्लवी चुप हो गयी।
माहौल को बदलने के लिए प्रिया ने कहा,”हे साहिबा चिंता मत कर कल बारात में एक से एक लड़के आएंगे , तू भी उनमे से कोई एक पसंद कर लेना या मैं कर दूंगी”
साहिबा मुस्कुराई और उठते हुए कहा,”बिल्कुल लेकिन उस से पहले ये जरूर पता कर लेना , की लड़के की कोई बहन ना हो और हो तो मेरी दोस्त ना हो”
पल्लवी ने जो शादी का सवाल करके साहिबा के भरे जख्म को ताजा किया था जाते जाते साहिबा उसे बीता वक्त याद दिलाकर चली गयी। पास बैठी प्रिया और रुबीना समझ गयी की साहिबा के जख्म आज भी ताजा ही है
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संजना किरोड़ीवाल