Sanjana Kirodiwal

Haan Ye Mohabbat Hai – 44

Haan Ye Mohabbat Hai – 44

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

अक्षत अपनी कुर्सी पर आ बैठा और फाइल्स देखने लगा। सचिन अक्षत के पास आया उसे 6 महीनो में जो जो केस उनके हाथ से गए और जो कुछ नया उनके पास आया उस सब की जानकारी अक्षत को देने लगा। अक्षत के पास फ़िलहाल कोई नया केस नहीं था जिस पर वह काम कर सके इसलिए उसने चित्रा से कहा,”मिस चित्रा,,,,,,!!”
अक्षत के मुंह से अपना नाम सुनकर चित्रा की ख़ुशी और हैरानी का ठिकाना नहीं रहा। वह जल्दी से उठकर अक्षत के सामने आयी और कहा,”यस सर”


अक्षत ने चित्रा को देखा और कहा,”चित्रा अब तक तुम अपनी प्रेक्टिस पूरी कर चुकी हो और मुझे लगता है अब तुम्हे मेरे साथ काम करने से ज्यादा खुद को प्रूव करने की जरुरत है इसलिए मैं चाहता हूँ अब से तुम अपनी आगे की जर्नी माथुर साहब के साथ शुरू करो। मेरा काम बहुत नीचे जा चुका है मेरे पास इस वक्त कोई केस नहीं है , मेरे साथ रहकर तुम सिर्फ अपना वक्त बर्बाद करोगी जो कि तुम्हे नहीं करना चाहिए।”
चित्रा को लगा अक्षत अपने बर्ताव के लिये उस से माफ़ी मांगेगा जो उस दिन उसने किया था लेकिन यहाँ तो अक्षत ने चित्रा का दिल ही तोड़ दिया।

चित्रा का चेहरा गया लेकिन वह अक्षत को छोड़कर किसी और के साथ काम करे ये भला कैसे हो सकता था ? चित्रा ने अपने चेहरे पर कठोरता लाते हुए कहा,”और आपको ऐसा क्यों लगता है सर कि मैं अपना वक्त बर्बाद कर रही हूँ ? बेशक आपने छवि का केस सूर्या मित्तल के पास जाने दिया लेकिन उस केस की छानबीन मैंने और सचिन ने भी है। अगर आप इस केस में हमारा साथ देते तो मुझे ज्यादा ख़ुशी होती।

आप चाहते है मैं यहाँ से चली जाऊ तो मैं चली जाउंगी सर लेकिन छवि को इंसाफ मिलने के बाद,,,,,,,,,,आप उसका साथ छोड़ सकते है लेकिन मैं नहीं , मैं छवि को इंसाफ दिलवाकर रहूंगी”
इतना कहकर चित्रा वहा से चली गयी उसे अक्षत पर गुस्सा आ रहा था और वह नहीं चाहती थी गुस्से में आकर वह अक्षत से कुछ ऐसा कहे जिसका बाद में उसे पछतावा हो।

चित्रा के जाने के बाद सचिन ने डरते डरते अक्षत से कहा,”मैं नहीं पूछूंगा आपने ऐसा क्यों किया लेकिन आपके इस फैसले से चित्रा बहुत अपसेट है सर , उसी ने
छवि से इस केस को रीओपन करने की रिक्वेस्ट की थी सर और इस केस पर फिर से स्टडी भी की लेकिन अब वही केस उसकी आँखों के सामने किसी और के हाथ में है ये देखकर उसे बुरा लगना जायज है सर।”


अक्षत ख़ामोशी से सब सुनता रहा और फिर कहा,”मैं जानता हूँ सचिन चित्रा ने इस केस में बहुत मेहनत की है और ये भी जानता हूँ कि मैंने जो किया वो सही किया। जितना भी पेंडिंग वर्क है तुम मुझे उसकी लिस्ट दो तब तक मैं नीचे होकर आता हूँ।”
“ठीक है सर,,,,!”,सचिन ने कहा और अपने काम में लग गया।

 अक्षत नीचे केंटीन की तरफ आया और एक कप कॉफी लेकर खाली पड़ी कुर्सी पर जाकर बैठा गया। कॉफी पीते हुए अक्षत के जहन में चित्रा की कही बाते चलने लगी। चित्रा ने मेहनत की और अक्षत ने उस मेहनत को सूर्या मित्तल की झोली में डाल दिया ऐसे में चित्रा का गुस्सा होना जायज था। अक्षत चित्रा के बारे में सोचता रहा तभी अखिल वहा आया और अक्षत के सामने बैठते हुए कहा,”और भई वकील साहब इतने दिनों बाद कोर्ट आये और मुंह छुपाकर यहाँ बैठ गए।”


“मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है जिस से मुझे मुँह छुपाने की जरूरत पड़े”,अक्षत ने अखिल की तरफ देखकर कठोरता से कहा
“यार मैं तो बस मजाक कर रहा था। अच्छा छोड़ ये सब ये बता तुझे तेरा लायसेंस वापस मिला ?”,अखिल ने बात बदलते हुए कहा
“हम्म्म्म,,,,,,,!!”,अक्षत ने कॉफी पीते हुए कहा


“गुड,,,,,,,कॉन्ग्रैचुलेशन”,कहते हुए अखिल के चेहरे पर जबरदस्ती ख़ुशी वाले भाव थे जिन्हे अक्षत ने नोटिस कर लिया लेकिन कहा कुछ नहीं।
अक्षत को खामोश देखकर कहा,”वैसे मैं समझ सकता हूँ इतने दिन अपने काम से दूर रहना और इतने दिनों बाद वापस आना थोड़ा अजीब लगता है ,, तुम्हारे पास इस वक्त कोई केस भी नहीं होगा तुम चाहो तो मैं तुम्हे अपना एक केस रिकमेंड कर सकता हूँ।

ज्यादा मुश्किल नहीं है बस मेरे क्लाइंट के कुत्ते ने अपने पडोसी को काट लिया उसी को लेकर केस है,,,,,,,,,,,,,,,सोचा तुम्हारे पास अभी काम नहीं है और मेरे पास इतना ज्यादा काम है कि ये छोटे मोटे केस मैं देख नहीं पाऊंगा,,,,,,,,,,तो क्या तुम ये कर पाओगे ?”
अखिल की बातो में हमदर्दी कम और अक्षत के हालातो का मजाक उड़ाना ज्यादा था  


लेकिन अक्षत ख़ामोशी से उसकी बात सुनता रहा और कहा,”अखिल ! शेर भूखा मर जाएगा लेकिन घास नहीं खायेगा,,,,,,,,इस वक्त मेरे पास कोई केस नहीं है लेकिन सिखने लिये बहुत कुछ है।”
अखिल ने सूना तो उसने एक नजर अक्षत को देखा और फिर एकदम से हँसते हुए कहा,”बस तेरे इसी ऐटिटूड को सबसे ज्यादा मिस किया है मैंने,,,,,,,,,,वेलकम बेक मेरे शेर,,,,,,,,,,,,,!!”


अक्षत मुस्कुराया और उठते हुए कहा,”शुक्रिया,,,,,,वैसे कुत्ते वाला केस तुम मत लड़ना,,,,,,,,,हार जाओगे”
“मतलब,,,,,,,?”,अखिल ने हैरानी से पूछा
अक्षत टेबल पर हाथ रखकर थोड़ा सा झुका और अखिल की आँखों में देखते हुए कहा,”क्योकि कुत्ते इंसानो से ज्यादा वफादार होते है।”
अखिल अक्षत की बात समझ पाता इस से पहले ही अक्षत वहा से चला गया। कुछ देर बाद अखिल भी वहा से चला गया।

चाइल्ड होम के मीटिंग रूम में बैठी मीरा हैरान परेशान सी फाइल्स को देख रही थी जिनमे चाइल्ड होम के खर्चे और डोनेशन की जानकारी थी। खर्चा डोनेशन से भी ज्यादा दिखाया गया था उस पर मीरा ने अपनी तरफ से जो चेक दिए थे उनका कोई हिसाब किताब मैच नहीं हो रहा था। अखिलेश के जाने के बाद से चाइल्ड होम का सारा काम ही गड़बड़ हो चुका था। अमर जी की देखभाल के चक्कर में मीरा चाइल्ड होम नहीं आ पाती थी।

आज पहली बार मीरा ने चाइल्ड होम के पुरे स्टाफ को डांट फटकार लगायी और उन्हें अपनी अपनी लापरवाहियां सुधारने को कहा। सभी हाथ बांधे सर झुकाये मीरा की बात सुनते रहे लेकिन किसी ने कुछ नहीं कहा। मीरा ने अकाउंटेंट को फाइल्स देकर सब एक हफ्ते के अंदर क्लियर करने को कहा। मीरा वहा से जाने लगी और जाते जाते रुककर वापस अपने स्टाफ के बीच आयी और कहा,”हम नहीं जानते आप सबको कहा परेशानी आ रही है लेकिन अखिलेश जी रहते कभी हमे इन सब चीजों का सामना नहीं करना पड़ा।

अगर आप लोग पूरी ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभाते है तो फिर हमे आप सबके लिये एक नया मैनेजर रखना पडेगा।”
कहकर मीरा वहा से निकल गयी। अखिलेश जब तक चाइल्ड होम में था उसने कभी मीरा को शिकायत का मौका नहीं दिया वह हर काम बखूबी सम्हाल लिया करता था।  

आज मीरा को अखिलेश की कमी खल रही थी वह गार्डन में आम के पेड़ की तरफ चली आयी और खुद में बड़बड़ाई,”आपको ऐसे बिना कुछ बताये यहाँ से नहीं जाना चाहिए था अखिलेश जी,,,,,,,,,हमे आपसे माफ़ी मांगने का मौका भी नहीं मिला और आप चले गए , ऐसे नहीं जाना था।”
“मीरा मैडम,,,,,,!”,एकदम से अखिलेश की आवाज मीरा के कानों में पड़ी मीरा हैरानी से पलटी।

 अखिलेश उसके सामने खड़ा था , हाँ पहले से थोड़ा बदल गया था लेकिन आँखों की चमक और होंठो की मुस्कान आज भी वैसी ही थी। मीरा खुश होकर अखिलेश के पास आयी और कहा,”अखिलेश जी आप यहाँ ?”

“आपने दिल से मुझे याद किया और मैं चला आया मैडम”,अखिलेश ने एकटक मीरा को देखते हुए कहा
“हमे माफ़ कर दीजिये अखिलेश जी , हमे उस दिन हॉस्पिटल में आप पर गुस्सा नहीं करना चाहिए था हमे नहीं पता था हमारी बात का बुरा मानकर आप ऐसे चले जायेंगे। आपके जाने के बाद कितना कुछ बदल गया लेकिन अब आप आ गए है तो आप ही सब सम्हालेंगे,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने कहा


“नहीं नहीं मीरा मैडम मैं आपसे गुस्सा होकर यहाँ से नहीं गया था वो तो अक्षत सर,,,,,,,,,,,,,!!”,अखिलेश ने इतना ही कहा कि मीरा ने उसकी बात काटते हुए कहा,”हम जानते है अक्षत जी ने भी आपके साथ ठीक नहीं किया , लेकिन हमारा यकीन कीजिये अक्षत जी बहुत गुस्से में थे बस इसलिए उस दिन हॉस्पिटल में उनका हाथ उठ गया। उनकी तरफ से हम आपसे माफ़ी मांगते है। हम सच में बहुत शर्मिन्दा है अखिलेश जी,,,,,,,,!!”
अखिलेश ने सूना तो मन ही मन खुद से कहा,”इसका मतलब मीरा मैडम को उस दिन के बारे में कुछ नहीं पता है , वो सब बताकर मुझे इन्हे और परेशान नहीं करना चाहिए।”


“अखिलेश जी क्या आप अभी तक नाराज है ?”,मीरा की आवाज से अखिलेश की तंद्रा टूटी
“नहीं मैडम कैसी बाते कर रही है ? मैं कभी आपसे नहीं हो सकता,,,,,,,,,,आप बार बार माफ़ी मत मांगिये। आपके पापा अभी कैसे है ? वे ठीक है ना ?”,अखिलेश ने बात बदलते हुए कहा
पापा का नाम सुनते ही मीरा के चेहरे पर उदासी छा गयी और उसने कहा,”पापा अब ठीक है अखिलेश जी बस पहले जैसे नहीं है। कितने महीने बीत गए लेकिन हम उनके मुंह से अपना नाम सुनने के लिये तरस गए है।

हाँ ! इतना ठीक हो गए है कि बिस्तर से व्हील चेयर पर आ गए है,,,,,,,,,,,उम्मीद है जल्दी ही ठीक हो जायेंगे।”
“आपके साथ से तो निर्जीव पत्थर में भी जान आ जाये मैडम देखियेगा आपके पापा भी जल्दी ही एकदम ठीक हो जायेंगे।”,अखिलेश ने विश्वास से भरकर कहा  
“आप घर आएंगे उनसे मिलने ?”,मीरा ने पूछा
“ठीक है मैडम मैं उनसे मिलने आऊंगा”,अखिलेश ने कहा


मीरा ने हाथ पर बंधी घडी में समय देखा और अखिलेश से कहा,”अखिलेश जी अब हम चलते है , पापा को डॉक्टर के पास लेकर जाना है।”
“मैं आपको घर तक छोड़ दू ?”,अखिलेश ने कहा क्योकि वह मीरा के साथ थोड़ा वक्त और बिताना चाहता था।
“नहीं शुक्रिया ! हमारे पास गाड़ी है हम चले जायेंगे,,,,,,,,,,आप अपना और इस चाइल्ड होम का ख्याल रखे”,मीरा में अखिलेश की बाँह छूकर कहा और वहा से चली गयी। अखिलेश प्यार से जाती हुई मीरा को देखता रहा और फिर अंदर चला आया।

अखिलेश को वापस आया देखकर किसी के चेहरे पर भी ख़ुशी के भाव नहीं थे ना ही कोई उसके आने से खुश था। अखिलेश को देखते ही सब खुसर फुसर करने लगे। अखिलेश की भँवे तन गयी और उसने एक नजर जैसे ही सबको देखा सब इधर उधर चले गए और अखिलेश भी अपने पुराने केबिन की तरफ बढ़ गया।

सिंघानिया जी के कहने पर चोपड़ा जी कोर्ट आने के बाद सीधा सूर्या मित्तल के चेंबर में चले आये। चोपड़ा जी को अपने चेंबर में देखकर सूर्या हैरान भी हुआ और परेशान भी लेकिन उसने परेशानी को अपने चेहरे से झलकने नहीं दिया और हाथ में पकड़ी फाइल बंद कर टेबल पर रखते हुए कहा,”धनभाग हमारे जो आप हमारी कुटिया में पधारे,,,,,,,,,,,,,चोपड़ा जी आपको शायद आभास नहीं लेकिन केस की सुनवाई शुरू होने से पहले आपका अपने विपक्षी वकील से मिलना आपको परेशानी में डाल सकता है।”


“जानता हूँ सूर्या और परेशानी से बचने के लिए ही तो यहाँ आया हूँ।”,कहते हुए चोपड़ा जी ने सिंघानिया जी का साइन किया हुआ खाली चेक सूर्या के सामने टेबल पर रखा और कहा,”इसमें तुम जितनी चाहो उतनी रकम भर सकते हो बस इस केस से हट जाओ,,,,,,,!!”
चेक देखकर सूर्या की आँखे चमक उठी , उसके पास ही झटके में पैसे कमाने का सुनहरा मौका था लेकिन उसने चेक वापस खिसकाते हुए कहा,”चोपड़ा जी पूरा कोर्ट जानता है मैं कितना करप्ट वकील हूँ ,, छोटी सी रकम के लिये अपना ईमान बेचना कोई मुझसे सीखे लेकिन ये चेक मैं नहीं ले सकता।”


“सूर्या तुम जानते हो तुम क्या कर रहे हो ? तुम सामने से आती लक्ष्मी को ठोकर मार रहे हो,,,,,,,,मत भूलो इस चेक में तुम इतनी रकम भर सकते हो जितनी पूरी जिंदगी ना कमा सको,,,,,,,,,,,,,,छोडो इस केस को कुछ नहीं रखा इसमें इस केस का फैसला पहले ही हो चुका है तुम बस अपना वक्त बर्बाद कर रहे हो।”, चोपड़ा जी ने कहा  

“चोपड़ा जी अगर कोई और केस होता तो अब तक ये चेक भरकर मेरे बैंक में लग चुका होता लेकिन इस बार ये लड़ाई पैसे की नहीं बल्कि बदले की है।”,सूर्या ने चोपड़ा जी की तरफ आते हुए कहा
“अरे जब अक्षत इस केस को नहीं जीत पाया तो तुम क्या कर लोगे ?”,चोपड़ा जी ने गुस्से से कहा
“यही तो वजह है चोपड़ा जी की अक्षत इस केस को हार गया और अक्षत – मेरी दुश्मनी तो आप जानते ही होंगे। उसी की आँखों के सामने जब उसी का हारा हुआ केस मैं जीतूंगा तब होगी मेरी असली जीत,,,,,,!!”,सूर्या ने नफरत भरे स्वर में कहा


चोपड़ा जी समझ गए कि सूर्या ये केस छवि को इंसाफ दिलाने के लिये नहीं बल्कि अक्षत को हराने के लिये लड़ रहा है। उन्होंने सूर्या को आगे समझाने की कोशिश नहीं की और कहा,”अब अगर तुमने ये फैसला कर ही लिया है तो फिर हमारी अगली मुलाकातें अदालत में होगी मिस्टर सूर्या,,,,,!!”
“बेस्ट ऑफ़ लक,,,,,,,,,,,,,,,,,,मिस्टर चोपड़ा”,सूर्या ने मुस्कुराते हुए कहा
चोपड़ा जी मुंह लटका कर सूर्या के केबिन से बाहर चले गए।

उसी केबिन के दरवाजे पर खड़ी चित्रा छुपकर उनकी बातें सुनने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे ठीक से कुछ सुनाई नहीं दिया वह आधी अधूरी चीजे ही सुन पायी कि तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। चित्रा घबराकर जैसे ही पलटी उसने देखा  
अक्षत वहा खड़ा है। चित्रा ने बोलने के लिये जैसे ही मुँह खोला अक्षत ने उसके मुँह पर हाथ रखा और उसे साइड में कर उसकी पीठ दिवार से लगा दी ताकि चेंबर से बाहर आते सूर्या की नजर चित्रा पर ना पड़े।

अक्षत का मजबूत हाथ चित्रा के मुंह पर था और चित्रा उसे देखे जा रही थी। सूर्या के जाने के बाद अक्षत ने चित्रा के मुंह से हाथ हटाया और वहा से चला गया। चित्रा भी वहा से चली गई लेकिन वह अक्षत को समझ नहीं पा रही थी। अक्षत को लेकर चित्रा अब और ज्यादा उलझते जा रही थी।

अपने कमरे में बिस्तर पर लेटा विक्की खाली आँखों से छत पर लगे पंखे को देख रहा था। विक्की के दिमाग में एक साथ सेंकडो बाते चल रही थी और फिर एकदम से उठकर बैठते हुए वह खुद से कहने लगा,”वो आदमी , वो आदमी जो उस रात मुझे बार में मिला था और जिसने छवि को किडनेप करने में मेरी मदद की वो आदमी अगर मिल जाये तो इस से छवि को इंसाफ मिल सकता है। मैं जानता हूँ सच क्या है छवि जानती है सच क्या है लेकिन बाकि लोग मेरा विश्वास नहीं करेंगे।

मैं छवि से नफरत करता था उस से बदला लेना चाहता था लेकिन छवि को लेकर मेरे मन में कभी कोई गलत ख्याल नहीं आया , मैंने कभी उसे गलत नियत से छुआ तक नहीं है लेकिन बाकी सबकी तरह छवि भी मुझे ही गलत समझती है,,,,,,,,,अगर वो आदमी मुझे मिल जाए तो मैं खुद को बेगुनाह साबित कर सकता हूँ। इस से छवि को इंसाफ भी मिल जाएगा और रॉबिन , रॉबिन भी जेल से बाहर आ जाएगा,,,,,,,,,,,,,लेकिन उस आदमी को मैं कहा ढूंढने जाऊ ?”
विक्की के पास सिर्फ सवाल थे जवाब नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”

इंदौर से मीलो दूर 5 स्टार होटल के 7वे माले पर बने रूम की खिड़की पर खड़ा आदमी सामने शांत पड़े समंदर को देखते हुए शराब के घूंठ भर रहा था। आदमी ने ड्रिंक खत्म की और अंदर चला आया। उसने खाली गिलास टेबल पर रखा और वहा पड़ा मार्कर उठाकर कमरे की दिवार के पास चला आया।  
दिवार पर लगे सफेद चार्ट पर कुछ नाम लिखे थे आदमी ने चार्ट पर लिखे एक नाम पर गोला बनाकर वापस टेबल की ओर चला आया। अगले ही पल बिजली चमकी जिसकी रौशनी में गोला लगा नाम साफ दिखाई दिया “मीरा सिंह राजपूत”

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