Sanjana Kirodiwal

Haan Ye Mohabbat Hai – 42

Haan Ye Mohabbat Hai – 42

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

आज की सुबह अक्षत की जिंदगी में एक नयी उम्मीद और नयी ख़ुशी लेकर आयी थी। सुबह अक्षत अपने तय वक्त पर उठा और नहाने चला गया। नहाकर उसने काले की पेण्ट और सफेद शर्ट पहना जो कि वह हमेशा कोर्ट पहनकर जाता था। उसने कबर्ड से अपना काला कोट निकाला और उसे छूकर देखने लगा। उसे छूते हुए अक्षत एकदम से भावुक हो गया और उसकी आँखों में नमी तैरने लगी। पुरे 6 महीने बाद इस कोट को पहनने जा रहा था। उसने कोट को निकालकर साइड रखा और शीशे के सामने चला आया।

अक्षत ने खुद को शीशे में देखा। बढ़ी हुई लम्बी दाढ़ी , पहले से ज्यादा लम्बे और घने बाल , आँखों में एक चमक , कसा हुआ बदन , सुर्ख होंठ,,,,,,,,,,,,,,,अक्षत पहले से भी ज्यादा आकर्षक लगने लगा था। उसने अपने बाल बनाये और कलाई में घडी पहनने लगा। घडी पहनते हुए सहसा ही अक्षत की आँखों के सामने मीरा का चेहरा आ गया और अक्षत का हाथ रुक गया। बीते दिनों में गुजरे खूबसूरत पल उसकी आँखों के सामने घूमने लगे

“क्या कर रही हो मीरा ? जल्दी करो ना मुझे कोर्ट देर हो जाएगी”,अक्षत ने अपनी सफ़ेद शर्ट के बटन बंद करते हुए कहा
“अपना हाथ दीजिये”,मीरा ने अक्षत के सामने आकर कहा
अक्षत ने अपना हाथ आगे कर दिया तो मीरा ने उसकी कलाई में बहुत ही प्यारी सी घडी पहनाते हुए कहा,”ये आपके लिये वकील साहब , ताकि आपको वक्त का ख्याल रहे और आप वक्त से घर आया करे।”


मीरा के घडी पहनाने के बाद अक्षत ने उसे अपनी बाँहो में भरा और करीब करते हुए कहा,”तुम कहो तो आज कोर्ट जाना ही केंसल कर देते है।”
“घडी पसंद आयी आपको ?”,मीरा ने अक्षत की बात को नजरअंदाज करके कहा
“बहुत”,अक्षत ने मीरा की आँखों में देखते हुए कहा उसकी आँखों में मीरा को शरारत साफ़ नजर आ रही थी


मीरा ने अक्षत से छूटने की कोशिश करते हुए कहा,”तो फिर इसे हमेशा अपनी कलाई पर पहनियेगा।”
“हाँ ये हमेशा मेरे साथ रहेगी,,,,,,,,,,,,,,,,और तुम भी”,अक्षत ने मीरा की आँखों में झांकते हुए कहा और मीरा मुस्कुरा दी

अक्षत वर्तमान में लौट आया। उसने देखा कलाई में रखी घडी अभी भी झूल रही है तो उसने उसे पहना और फिर अपना जरुरी सामान बैग में रख लिया। अक्षत ने अपना फोन और पर्स जेब में रखा। एक हाथ में बैग और दूसरे हाथ में अपना काला कोट लेकर कमरे से बाहर निकल गया।

घर के सभी सदस्य सुबह के नाश्ते के लिये टेबल के इर्द गिर्द जमा थे। चीकू और काव्या में किसी बात को लेकर बहस चल रही थी लेकिन जैसे ही दोनों ने अक्षत को सीढ़ियों से नीचे आते देखा दोनों एकदम से खामोश हो गए। इस घर के बच्चे अब अक्षत से डरने लगे थे। बीते कुछ महीनो में ऐसा कई बार हुआ जब काव्या और चीकू को अक्षत से डांट सुननी पड़ी तभी से दोनों बच्चे अब अक्षत के सामने ज्यादा बात नहीं करते थे।


घर में सब अक्षत से बहुत कम बात करने लगे थे उसका गुस्सा देखकर किसी की उस से बात करने की हिम्मत तक नहीं होती थी यहाँ तक के दादू भी अक्षत से बात करने में हिचकिचाते थे। सीढ़ियों से उतरकर अक्षत दरवाजे की तरफ बढ़ गया।  
अक्षत को इतने दिन बाद काले कोट के साथ देखकर सबको बहुत अच्छा लगा। सोमित जीजू के चेहरे पर असली सुकून था उन्होंने धीरे से अर्जुन से कहा,”लगता है अब सब ठीक हो जायेगा,,,,,,,,!!”


“हाँ जीजू मुझे भी यही लग रहा है।”,अर्जुन ने कहा
राधा ने अक्षत को बिना खाये जाते देखा तो आवाज दी,”आशु ! थोड़ा सा कुछ खा लेते , घर से खाली पेट नहीं जाते बेटा,,,,,,,,,,,,!!”
अक्षत दरवाजे की तरफ जाते जाते रुका तो राधा उसके लिये प्लेट में खाना परोसने लगी उन्हें लगा हमेशा की तरह अक्षत वापस आकर खाना खायेगा लेकिन आज ऐसा नहीं हुआ। अक्षत कुछ पल रुका और फिर तेजी से बाहर निकल गया।

अक्षत का यू चले जाना राधा के दिल को दुखा गया। उसने उदास होकर विजय जी की तरफ देखा और कहा,”देखिये ना वो बिना खाये ही चला गया।”
विजय जी ने सूना तो कोई जवाब नहीं दिया और वहा से उठकर चले गए क्योकि वे अपना नाश्ता कर चुके थे और उन्हें जल्दी निकलना था।


“राधा ! कोई बात नहीं बेटा कौनसा वो रोज हमारे साथ खाता है। जब वो अकेले जीने और अकेले खाने की आदत डाल चुका है तो हम लोगो को भी अब उसके बिना खाने की आदत डाल लेनी चाहिए।”,दादू ने राधा को प्यार से समझाते हुए कहा
“हम सब आदत डाल लेंगे पर वो कैसे आदत डालेगी वो एक माँ है ? अक्षत को समझाने के बजाय आप उसके हिसाब से चलने की बात कर रहे हैं। लगता है     बढ़ती उम्र के साथ आपका गुस्सा भी शांत हो गया है।”,दादी माँ ने दादू को सुनाते हुए कहा।


दादू ने सूना तो गुस्से से दादी माँ की तरफ देखने लगे। सोमित जीजू और अर्जुन को मौका मिल गया। अर्जुन ने दादू को और गुस्सा दिलाते हुए कहा,”हाँ दादी माँ , अब तो लगता है जैसे दादू को किसी बात पर गुस्सा आता ही नहीं है। जंगल के शेर थे दादाजी लेकिन अब तो लगता है सर्कस के शेर लगते है,,,,,,,,,,,,,!!”
अर्जुन को दादू के खिलाफ बोलते देखकर सोमित जीजू ने आग में घी डालते हुए कहा,”अरे तो सर्कस का शेर भी तो शेर ही होता है,,,,,,,,,,,क्यों दादू ?”


“चुप करो तुम दोनों,,,,,,,,तुम दोनों को क्या लगता है मैं बूढ़ा हो गया हूँ ? अरे ! अब भी मेरी एक आवाज पर अक्षत के पसीने छुटने लगते है,,,,,,,,,आने दो आज उसे घर मैं बताता हूँ उसे कि मैं जंगल का शेर हूँ या सर्कस ?”,दादू ने चिढ़ते हुए कहा
अर्जुन ने सूना तो उसने सोमित जीजू की तरफ देखा और अपनी जेब से 500 का नोट निकालकर टेबल पर रखते हुए कहा,”मेरे 500 ,, आज अक्षत के सामने दादू सर्कस के शेर ही रहेंगे”


“मेरे भी 500,,,,,,,,,,,,दादू भरोसा करके आप पर पैसे लगा रहा हूँ , पक्का आज जंगल वाला शेर गुर्रायेगा ना ?”,सोमित जीजू ने भी 500 का नोट अर्जुन के नोट
के साथ रखते हुए कहा।
“गुर्रायेगा भी और उस ऊपर वाले शेर को चूहा भी बनाएगा,,,,,,,,,,,,देखो आज तुम लोग”,दादू ने अपनी तरफ से 500 का नोट रखते हुए कहा

दादी माँ ने सूना तो राधा से कहा,”राधा चलो यहाँ से लगता है इन लोगो का दिमाग ख़राब हो गया है।”
राधा ने दादी माँ की तरफ हाथ बढ़ाकर कहा,”आईये माँ”
दादी माँ और राधा वहा से चली गयी। दादू सोमित जीजू और अर्जुन कुछ देर वही बैठकर बहस करते रहे और फिर सोमित जीजू और अर्जुन वहा से चले गए।

सावित्री चाइल्ड होम में अखिलेश के जाने से काफी शांति थी। बच्चो के साथ साथ सारा स्टाफ भी खुश था और सभी ईमानदारी से अपना काम कर रहे थे। अखिलेश के बाद से चाइल्ड होम में कोई मैनेजर नहीं था इसलिए हफ्ते में 2 दिन मीरा ही आकर सब काम सम्हालती और बाकि सब जिम्मेदारियां सबके बीच बांटकर चली जाती।
अक्षत ने अखिलेश को जब पीटा था उसके बाद चाइल्ड होम के स्टाफ ने उसे हॉस्पिटल में एडमिट करवाया। अखिलेश का पैर फ्रेक्चर हो चुका था और साथ ही कई चोटें उसे आयी थी।

मीरा उस से मिल  भी नहीं पायी ना मीरा को इसकी खबर थी। अखिलेश 4 दिन तक हॉस्पिटल में ही रहा और फिर उसके घरवाले आकर उसे गाँव ले गए। तब से अखिलेश कभी वापस इंदौर आया ही नहीं , ना ही उसने किसी से बात की। मीरा ने भी अखिलेश के बारे में जानने की कोशिश की लेकिन उसे कही से भी अखिलेश के बारे में पता नहीं चला।

चाइल्ड होम में भी किसी ने मीरा को नहीं बताया कि अक्षत यहाँ आया था और उसने अखिलेश को मारा है क्योकि चाइल्ड होम का हर स्टाफ अखिलेश से लगभग परेशान हो चुका था। मीरा को लगा हॉस्पिटल में उसने अखिलेश पर जो गुस्सा किया शायद उसकी वजह से अखिलेश चाइल्ड होम छोडकर चला गया है।

हमेशा के भांति मीरा सुबह सुबह बच्चो से मिलने चाइल्ड होम चली आयी। मीरा को वहा देखते ही सभी बच्चे ख़ुशी से दौड़कर उसके पास चले आये। मीरा ने सब बच्चो को प्यार किया और फिर वहा से जाने लगी तो उसे महसूस हुआ किसी ने उसकी साड़ी का पल्लू पकड़ा है।

मीरा ने पलटकर देखा तो ये कोई और नहीं बल्कि उसके चाइल्ड होम की सबसे छोटी बच्ची सावित्री थी। मीरा घुटनो के बल उसके सामने आ बैठी और कहा,”क्या हुआ ? आपको कुछ चाहिए ?”
“तुम यहाँ रोज क्यों नहीं आती ?”,सावित्री ने मीरा से शिकायती लहजे में पूछा

“क्योकि हमारे घर पर भी एक बड़े बच्चे है जिन्हे हमे सम्हालना होता है , उन्हें खाना खिलाना होता है , उन्हें कहानिया सुनानी होती है और रोज उनकी बहुत सारी परवाह करनी होती है। इसलिए हम रोज यहाँ नहीं आ सकते,,,,,,!!”,मीरा ने सावित्री की तरह मासूमियत से कहा
“ओह्ह्ह्ह,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे पता है मुझे भी एक कहानी आती है।”,सावित्री ने अपनी आँखे बड़ी करते हुए कहा
“अच्छा ! हमे भी सुनाओ,,,,,,,,!!”,मीरा ने प्यार से कहा


“पता है एक राजकुमारी होती है बहुत सुन्दर,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारे जैसी और उसका एक राजकुमार होता है। राजकुमारी के महल में बहुत सारे बच्चे होते है जिन से राजकुमारी बहुत प्यार करती है। राजकुमार भी राजकुमारी से बहुत प्यार करता है लेकिन एक बुरा आदमी राजकुमारी से शादी करना चाहता है और राजकुमारी के सभी बच्चो को डराता धमकाता है,,,,,,,,,,,,,एक दिन राजकुमार उस बुरे आदमी की बहुत पिटाई करता है और उसे भगा देता है

उसके बाद बच्चे फिर खुश हो जाते है लेकिन उसके बाद राजकुमार कभी महल नहीं आता और राजकुमारी उदास हो जाती है।”,सावित्री ने मीरा को एक कहानी कह सुनाई मीरा ने सूना तो उसे ना जाने क्यों ये कहानी अपनी कहानी लगी। मीरा की आँखों के सामने अक्षत का चेहरा आ गया और वह उदास हो गयी। मीरा को उदास देखकर सावित्री ने कहा,”पता है मेरी कहानी की वो राजकुमारी कौन है ?”
“कौन ?”,मीरा ने उदासी भरे स्वर में पूछा


“तुम ?”,सावित्री ने कहा और मीरा के गाल पर किस करके वहा से भाग गयी लेकिन मीरा उदास सी वही बैठी रही और मन ही मन कहा,”अगर हम तुम्हारी कहानी की राजकुमारी है तो इस कहानी के राजकुमार को अब लौट आना चाहिए।”
“मीरा मैडम , मीटिंग के लिए वे लोग आ चुके है और आपका इंतजार कर रहे है।”,गौरी ने आकर कहा जिस से मीरा की तंद्रा टूटी।
मीरा उठी और गौरी के साथ वहा से अंदर चली गयी

सिंघानिया जी आज बहुत खुश थे। विक्की की सजा पूरी हो चुकी थी और आज वह जेल से रिहा होने वाला था। सिंघानिया जी ने नोकरो से कहकर पुरे घर को सजाने के लिये कहा। रसोईये से कहकर विक्की की पसंद का सब खाना बनवाया। मिस्टर चोपड़ा घर चले आये और विक्की को लेने मिस्टर सिंघानिया के साथ घर से निकल गए। ख़ुशी सिंघानिया जी के चेहरे से साफ झलक रही थी। चोपड़ा जी भी खुश थे कि आज उनका क्लाइंट जेल से छूट जाएगा और इसके बाद वे सिंघानिया जी से एक मोटी रकम की मांग कर सकते है।

गाड़ी ट्रेफिक में आकर रुकी। उसी गाडी के बगल में एक गाड़ी और थी जिसमे अक्षत व्यास बैठा था। अक्षत भी ट्रेफिक के क्लियर होने का इंतजार कर रहा था आज एक बार फिर कोर्ट में उसका पहला दिन था और अक्षत लेट होना नहीं चाहता था।

सिंघानिया जी ने अक्षत को नहीं देखा लेकिन चोपड़ा जी की नजर अक्षत पर चली गयी और उन्होंने खिड़की का शीशा नीचे करते हुए कहा,”क्यों मिस्टर व्यास , कोर्ट जा रहे हो अपना लायसेंस लेने ?”
चोपड़ा जी की आवाज सुनकर अक्षत ने उनकी तरफ देखा तो उन्होंने गुस्से से लेकिन दबी आवाज में कहा,”आगे से अदालत में मेरे सामने खड़े होने की जुर्रत की तो इस बार लायसेंस 6 महीने के लिये केंसल नहीं होगा बल्कि परमानेंट केंसल हो जाएगा।”


अक्षत ने कोई जवाब नहीं दिया बल्कि कुछ देर ख़ामोशी से चोपड़ा जी को देखता रहा और फिर उसके बाद गाडी का शीशा चढ़ाकर सामने देखने लगा। जैसे ही ट्रेफिक क्लियर हुआ अक्षत अपनी गाड़ी लेकर वहा से निकल गया।
चोपड़ा जी हैरान थे कि इतना कहने के बाद भी अक्षत ने उन्हें कोई जवाब क्यों नहीं दिया ? उन्होंने खिड़की का कांच चढ़ाया और झुंझलाकर कहा,”हाह ! इतना सब कहा लेकिन उसने एक शब्द तक नहीं कहा,,,,,,,,,,,,,,,,मुझसे हारने के बाद भी इसकी अकड़ कम नहीं हुई है।”


“रिलेक्स चोपड़ा,,,,,,,,,,,चोट खाई है उसने लगता है उसका दर्द अभी भी है। विक्की आज घर आ रहा है इस से ज्यादा ख़ुशी की बात और क्या हो सकती है भला ?”,सिंघानिया जी ने कहा
“हाँ सिंघानिया जी ये तो सही कहा आपने तो आज शाम कुछ आयोजन है या ऐसे ही ?”,चोपड़ा जी ने खींसे निपोरते हुए कहा


“बिल्कुल है और आज के खास मेहमान भी आप ही है। आपकी वजह से ही तो आज विक्की घर लौट रहा है।”,सिंघानिया जी ने कहा तो चोपड़ा जी मुस्कुराने लगे। सिंघानिया जी की बात सुनकर चोपड़ा जी अक्षत को भूल गए और ख़ुशी ख़ुशी खिड़की के बाहर देखने लगे।

गाड़ी सेन्ट्रल जेल के बाहर आकर रुकी। सिंघानिया जी गाड़ी से बाहर आकर खड़े हो गए। कुछ देर बाद विक्की बाहर आया और सिंघानिया जी की तरफ चला आया। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे लेकिन सिंघानिया जी ने उसे गले से लगा लिया और गाड़ी में बैठने को कहा। चोपड़ा जी अंदर जेलर से मिले और सभी फॉर्मेलिटी पूरी करके बाहर चले आये। विक्की सिंघानिया जी के बगल में आ बैठा और चोपड़ा जी आगे सीट पर। गाड़ी वहा से घर के लिये निकल गयी।

गाड़ी पोर्च में आकर रुकी सिंघानिया जी , विक्की और चोपड़ा जी गाड़ी से नीचे उतर आये। घर की साजो सजावट देखकर विक्की खामोश था। सिंघानिया जी ने देखा तो उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”ये तुम्हारे आने की ख़ुशी में विक्की,,,,,,,,,,,,,आओ अंदर आओ”
विक्की सिंघानिया जी के साथ अंदर चला आया पीछे पीछे चोपड़ा जी भी चले आये। विक्की के आने की ख़ुशी सिंघानिया जी जाहिर भी नहीं कर पाए थे कि घर के नौकर ने आकर उन्हें एक लिफाफा दिया।

सिंघानिया जी ने लिफाफा लिया और खोलकर उसमे रखा कागज खोलकर पढ़ा। अगले ही पल उनके चेहरे के भाव बदल गए और उन्होंने कागज़ गुस्से से फेंकते हुए कहा,”नहीं ! ये नहीं हो सकता”
विक्की और चोपड़ा जी को कुछ समझ नहीं आया वे सिंघानिया जी की तरफ देखने लगे

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