Haan Ye Mohabbat Hai – 43
नौकर ने सिंघानिया जी को जो पेपर दिया उसे पढ़कर सिंघानिया जी के चेहरे के भाव बदल गए उन्होंने गुस्से से उस कागज को फेंक दिया। चोपड़ा जी ने देखा तो आगे बढ़कर कागज उठाया और उसे पढ़ा तो उनके माथे पर भी चिंता की लकीरे उभर आयी। चोपड़ा जी ने सिंघानिया जी की तरफ एक नजर देखा और फिर विक्की की तरफ देखकर कहा,”छवि दीक्षित ने अपना केस फिर से रीओपन किया है। 2 दिन बाद तुम्हे कोर्ट में पेश होना है।”
विक्की ने सूना तो वह भी हैरानी से चोपड़ा जी को देखने लगा।
विक्की कुछ कहता इस से पहले सिंघानिया जी ने कहा,”आखिर वो अक्षत व्यास अब क्या चाहता है ? वो विक्की के पीछे हाथ धोकर क्यों पड़ा है ?”
अक्षत का नाम सुनकर चोपड़ा जी विजय जी की तरफ पलटे और कहा,”छवि की तरफ से ये केस इस बार अक्षत नहीं लड़ रहा है बल्कि उसका कॉम्पिटिटर है “सूर्या मित्तल” ये नोटिस उसी ने भेजा है।”
चोपड़ा जी की बात सुनकर सिंघानिया जी और ज्यादा सोच में पड़ गए और कहा,”क्या ? ये सूर्या मित्तल कौन है और वो क्यों छवि का केस लड़ना चाहता है ? चोपड़ा उस वकील से मिलो और उसे जो चाहिए वो देकर सेटल करो।”
“ठीक है मैं उस से बात करता हूँ। आप चिंता मत कीजिये अगर विक्की परसो कोर्ट आता भी है तो सूर्या कभी ये साबित नहीं कर पायेगा छवि का रेप विक्की ने किया है।”,चोपड़ा जी ने कहा
विक्की ने रेप का नाम सुना तो वहा से चला गया। सिंघानिया जी ने आवाज दी लेकिन विक्की ने नहीं सुना और वहा से ऊपर अपने कमरे में चला गया। सिंघानिया जी चोपड़ा जी की तरफ पलटे और कहा,”देख चोपड़ा इस बार मैं किसी भी कीमत पर विक्की को जेल जाने नहीं दे सकता,,,,,,,,,,,,,ये सब कैसे करना है ? ये मैं तुझ पर छोड़ता हूँ।”
“मैं करता हूँ , अभी मैं कोर्ट ही जा रहा हूँ तो सूर्या से मिलकर बात करता हूँ।”,चोपड़ा जी ने कहा और वहा से चले गए।
गाड़ी के पास आकर चोपड़ा जी ने अपनी जेब से रुमाल निकाला और माथे का पसीना पोछने लगे। छवि दीक्षित का केस रीओपन होने का सीधा मतलब था चोपड़ा जी को फिर से इस केस पर दुगुनी मेहनत करने की जरूरत थी। चोपड़ा जी गाडी में आ बैठे और अगले ही पल वहा से निकल गए।
छवि आज बहुत खुश थी जब उसे पता चला कि उसका केस फिर से रीओपन होने की परमिशन मिल गयीं है। वह किचन में काम कर रही माधवी के पास आयी और कहा,”माँ ! सूर्या सर का फोन आया था उन्होंने बताया दो दिन बाद केस की पहली सुनवाई है। माँ मुझे लग रहा है इस बार असली गुनहगार को सजा मिल जाएगी।”
छवि को खुश देखकर माधवी एकटक उसके चेहरे की तरफ देखने लगी। माधवी को अपनी और देखता पाकर छवि ने कहा,”क्या हुआ माँ ? आप खुश नहीं है क्या ?”
माधवी जी की तंद्रा टूटी उन्होंने छवि की तरफ देखा और कहा,”मैं ये सोचकर कैसे खुश हो सकती हूँ छवि कि भरी अदालत में एक बार फिर तुम्हे उसी जलिलियत से गुजरना पडेगा। तुम्हे एक बार फिर वकीलों के गंदे और घटिया सवालो का जवाब देना होगा। ये सब सोचकर ही मेरा दिल बैठा जा रहा है।”
छवि ने माधवी के हाथो को अपने हाथो में थामा और उनकी आँखों में देखते हुए कहने लगी,”चिंता मत कीजिये माँ , बीते 6 महीनो ने बहुत कुछ सिखाया है ,, आपकी बेटी अब स्ट्रांग हो गयी है माँ दुनिया वालो को जवाब देना सीख गयी है। अच्छा आज का दिन बहुत अच्छा है मैं ज़रा मंदिर होकर आती हूँ उसके बाद ऑफिस जाउंगी।”
“हम्म्म,,,,,!!”,कहकर माधवी छवि के लिए नाश्ता बनाने लगी और छवि मंदिर चली गयी।
नाश्ता बनाकर माधवी किचन से बाहर आयी तो देखा छवि अपना पर्स टेबल पर ही भूल गयी है। माधवी ने पर्स उठाया और कहा,”पर्स तो यहाँ भूल गयी भगवान् के लिये प्रशाद कैसे खरीदेगी ? एक काम करती हूँ मैं उसे ये दे आती हूँ।”
खुद मे ही बड़बड़ाकर माधवी वहा से चली गयी।
छवि घर से निकलकर कुछ ही दूर बने राधा कृष्ण मंदिर चली आयी। दुकान पर आकर उसने प्रशाद लिया और जैसे ही पैसे देने का सोचा उसे याद वह तो अपना पर्स घर पर ही भूल आयी है। उसने प्रशाद वापस रखा और कहा,”भैया मैं जरा पैसे लेकर आती हूँ।”
“अरे हम से ले लो पैसे,,,,,,,,,,,,,,,!!”,प्रशाद की दुकान से कुछ ही दूर बनी चाय की टपरी पर बैठे लड़के ने कहा। छवि ने आवाज वाली दिशा में देखा लड़का छवि के मोहल्ले से ही था।
उसे देखकर और उसकी बात सुनकर छवि की भँवे तन गयी। छवि कोई जवाब देती इस से पहले लड़के ने आगे कहा,”बस बदले में हमे भी कुछ चाहिए,,,,,,,क्यों भाईयो ?”
लड़के की बात सुनकर वहा बैठे उसके साथ के लड़के हंसने लगे। छवि दुकान से हटकर उस लड़के की तरफ आयी और गुस्से से उसे देखने लगी।
लड़का अपनी बाइक से नीचे उतरा और छवि के सामने आकर कहा,”हाय ! इतने गुस्से में भी ना देखो,,,,,,,,,वैसे उस अमीरजादे में ऐसा क्या था जो उसके कांड की निशानी को अपने पेट में लेकर घूम रही हो ? अरे हमारी एक दो निशानी अपने गाल पर ही ले लो हम तो उसी में खुश हो जायेंगे,,,,,,,,,,क्या कहती हो ?”
लड़के ने बेशर्मी से कहा। छवि ने सुना तो उसका खून खौल उठा उसने आँव देखा ना ताँव खींचकर एक थप्पड़ लड़के के गाल पर रसीद कर दिया और कहा,”एक निशानी काफी है या और चाहिए ?”
वहा बैठे लड़को ने देखा तो सब चुपचाप इधर उधर देखने लगे जिस लड़के को थप्पड़ पड़ा था उसकी माँ भी सुबह सुबह मंदिर आयी थी जब उसने अपने बेटे को छवि के साथ देखा तो कहा,”अरे रवि तू यहाँ इसके साथ क्या कर रहा है ? चल घर चल।”
महिला ने छवि को अजीब नजर से देखा , लड़का छवि के सामने से हटकर अपनी माँ के पास आया और कहा,”माँ देखो ना , यही मेरा रास्ता रोक रही थी वरना मैं तो अच्छा भला अपना मंदिर जा रहा था।”
“अरे बेटा इसका तो काम ही यही है नए नए मर्दो को फांसना , क्यों री फ़साने के लिये तुझे मेरा ही बेटा मिला था ? राम राम राम इस लड़की ने तो मोहल्ले का माहौल तो ख़राब कर ही रखा था अब मंदिरो में भी इसके जैसे लोग आने लगे तो भैया कुछ दिनों में तो मंदिरो में भी ताले लग जायेंगे”,महिला ने छवि को उलटा सीधा बोलते हुए कहा लेकिन यहाँ छवि ने कोई जवाब नहीं दिया।
कुछ ही दूर खड़ी माधवी जी ख़ामोशी से सब सुन रही थी वे आयी उन्होंने छवि का हाथ पकड़कर महिला के सामने लाते हुए कहा,”क्यों री तेरा बेटा कही का सुपर स्टार है जो मेरी बेटी उसे फंसाएगी ? और मेरी बेटी उसे क्या फसायेगी ये तो खुद तुम्हारे पड़ोस की सबिता भाभी के साथ फंसा हुआ है ? बताया नहीं इसने तुझे कल ही उसके लिए सोने का हार लेकर आया था। “
माधवी की बात सुनकर महिला ने अपने बेटे की तरफ देखा तो लड़के ने अपनी नजरे झुका ली और महिला के पीछे आ खड़ा हुआ। महिला के पास माधवी की बात का कोई जवाब नहीं था। माधवी ने महिला को देखा और कहा,”दुसरो के घरो की इज्जत उछालने से पहले अगर इंसान अपने घर में झांक कर देख ले तो कभी नजरे झुकाने की नौबत नहीं आयेगी।”
माधवी की बात महिला के कलेजे में जा लगी। माधवी ने छवि का हाथ पकड़ा और उसे वहा से ले गयी। महिला भी मंदिर ना जाकर वापस अपने घर की तरफ चली गयी और लड़का भी घबराकर उनके पीछे चला गया।
माधवी ने दुकानवाले को प्रशाद के पैसे दिए और पर्स छवि की तरफ बढाकर कहा,”अब मुझे यकीन हो गया छवि कि इस बार तुम अपनी लड़ाई खुद लड़ सकती हो। जाओ मंदिर जाओ और जल्दी घर आना , आज मैंने तुम्हारी पसंद का नाश्ता बनाया है।”
“आप मंदिर नहीं आएगी माँ ?”,छवि ने पूछा
“जिस दिन तुम्हे इंसाफ मिल जाएगा , उस दिन जरूर आउंगी इनके दर्शन करने वो भी पुरे दिल से,”कहकर माधवी जी वहा से चली गयी और छवि ख़ुशी ख़ुशी मंदिर चली आयी।
छवि ने दर्शन किये और फिर प्रशाद लेकर मंदिर से बाहर चली आयी। चाय की दुकान के सामने से गुजरते हुए छवि ने देखा वह बैठे लड़के उसी की तरफ देख रहे है तो छवि ने थोड़ा गुस्से से उनकी तरफ देखा और सभी छवि से नजरे हटाकर इधर उधर देखने लगे ये देखकर छवि वहा से निकल गयी और आगे आकर हल्का सा मुस्कुरा दी। छवि को अपने आत्मविश्वास की ताकत समझ आ चुकी थी। नाश्ता करके छवि अपने ऑफिस के लिये निकल गयी।
अक्षत की गाड़ी कोर्ट के अंदर आयी। पुरे 6 महीने बाद अक्षत कोर्ट आया था। पार्किंग में आकर अक्षत ने देखा कि जहा वह हमेशा अपनी गाड़ी खड़ी किया करता था वह जगह आज भी उसकी गाड़ी के लिये खाली थी और आस पास कई गाड़िया खड़ी थी। अक्षत को थोड़ी हैरानी हुई लेकिन उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और गाड़ी पार्किंग में लगाकर गाड़ी से बाहर आया। उसने अपना कोट और बैग उठाया और जैसे ही जाने लगा सामने सचिन खड़ा मिल गया।
“गुड मॉर्निंग सर , मुझे पता था आज आप आएंगे इसलिए आपकी गाड़ी के लिये पहले से ये जगह रिजर्व रखी थी।”,सचिन ने खुश होकर कहा
“गुड मॉर्निंग एंड थैंक्यू”,अक्षत ने कहा
सचिन एकटक अक्षत को देखने लगा। पहले से अक्षत काफी बदल चुका था और पहले से काफी आकर्षक और स्मार्ट लग रहा था। उसकी बढ़ी हुई दाढ़ी और लम्बे बालो में वह बाकि लोगो से अलग ही दिखाई दे रहा था।
सचिन को अपनी ओर देखते पाकर अक्षत ने खाँसने का नाटक किया। सचिन की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”इस नए लुक में आप काफी अच्छे लग रहे है सर”
“थैंक्यू , अब चले ?”,अक्षत ने पूछा
“हाँ सर , आईये ना”,सचिन ने कहा और अक्षत के हाथ से बैग लेकर उसके साथ साथ चलने लगा। अक्षत को केबिन में जाने से पहले बार काउन्सिल की मीटिंग में जाना था इसलिए उसने सचिन से केबिन में जाने को कहा और खुद मीटिंग रूम की तरफ बढ़ गया।
बार काउन्सिल के मेम्बर्स ने अक्षत को उसका लायसेंस वापस दे दिया साथ में कुछ नसीहते भी दी और उसे बेस्ट ऑफ़ लक कहकर उसे फिर से अपनी वकालत शुरू करने को कहा।
अक्षत ने सबको थैंक्यू कहा और वहा से जैसे ही जाने लगा बार काउन्सिल के एक मेंबर ने कहा,”मिस्टर व्यास”
अक्षत पलटा तो उन्होंने कहा,”नए लुक में काफी अच्छे लग रहे हो।”
अक्षत ने कुछ नहीं कहा , ना उसने कोई प्रतिक्रया दी ना मुस्कुराया और ख़ामोशी से वहा से चला गया। मेम्बर्स ने आपस में देखा और सबसे आखिर में बैठे वकील ने कहा,”ये ख़ामोशी कही आने वाले तूफान की शांति तो नहीं,,,,,,,,,,,क्योकि अक्षत व्यास को आज से पहले इतना खामोश मैंने तो कभी नहीं देखा है।”
मीटिंग रूम से निकलकर अक्षत लॉबी से होते हुए माथुर साहब के केबिन की तरफ जाने लगा। अक्षत पुरे ऐटिटूड में चल रहा था उसके एक हाथ में उसका कोट था और दुसरा हाथ पेंट की जेब में। अक्षत की आँखे सिर्फ सामने थी उसके अगल बगल कौन था उसने ध्यान ही नहीं दिया। वहा मौजूद वकील ने अक्षत का जब ये नया रूप देखा तो सब बस देखकर दंग थे। सबका वही हाल था जो पहली बार चित्रा को देखकर था। अक्षत माथुर साहब के केबिन के बाहर आया और दरवाजा खटखटाते हुए कहा,”मे आई कम इन सर ?”
माथुर साहब ने सर उठाकर देखा सामने अक्षत है तो खुश हो गए और अपनी कुर्सी से उठकर अक्षत की तरफ आते हुए कहा,”अक्षत तुम हो , तुम्हे मेरे केबिन में मुझसे पूछकर आने की जरूरत नहीं है। प्लीज कम इन”
“थैंक्यू सर”,कहते हुए अक्षत अंदर आया।
माथुर साहब अक्षत के सामने आये और कहा,”फाइनली तुम्हे तुम्हारा लायसेंस वापस मिल ही गया”
“हम्म्म्म लेकिन इसे वापस पाने के लिये जो खोया है वो सिर्फ मैं जानता हूँ।”,अक्षत ने तकलीफ से भरकर कहा लेकिन अपने दर्द को चेहरे पर आने नहीं दिया
“जो हुआ उसे भूल जाओ अक्षत और नयी शुरुआत करो,,,,,,,,,,,,,वैसे क्या तुम जानते हो ? छवि दीक्षित का केस फिर से रीओपन हुआ है और हैरानी की बात ये है कि उसका वकील सूर्या मित्तल है।”,माथुर साहब ने हैरानी से धीमे स्वर में कहा
“छवि एक बेहतर वकील डिजर्व करती है सर और मुझे लगता है सूर्या मित्तल से बेहतर वकील इस पुरे कोर्ट में कोई नहीं है। मै छवि को इंसाफ नहीं दिला पाया लेकिन सूर्या ऐसा कर सकता है वह छवि को इंसाफ दिलाएगा”,अक्षत ने बिना किसी भाव के कहा
माथुर साहब अक्षत की तरफ देखने लगे और कहा,”ये तुम कह रहे हो अक्षत , क्या तुम नहीं जानते कौन बेहतर है ? सूर्या तुम्हारी बराबरी कर ही नहीं सकता उसके पास सिर्फ किताबी ज्ञान है लेकिन तुम्हारे पास किताबी ज्ञान और अनुभव दोनों है।
मैं मान ही नहीं सकता कि सूर्या मित्तल तुम से बेहतर वकील है। पूरा कोर्ट जानता है छवि के साथ नाइंसाफी हुई है , उसका असली गुनहगार कोई और है। खुद जज साहब भी जानते है सच क्या है लेकिन वे कानून के हाथो मजबूर है। तुम चाहते तो इस केस को जीतकर खुद पर लगे सभी इल्जामो को झूठा और गलत साबित कर सकते थे। कुछ भी कहो लेकिन सूर्या मित्तल को चुनकर छवि ने बहुत बड़ी गलती की है,,,,,,,,,,,,,,सूर्या मित्तल एक करप्ट वकील है , सिंघानिया उसके सामने नोटों की गड्डी फेकेंगा और वह बिक जाएगा।”
“सर ये छवि का निजी का मामला है,,,,,,,,!!”,अक्षत ने कहा
माथुर साहब अब तक खुद को संयत किये हुए थे लेकिन अक्षत की बात सुनकर उनका गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने थोड़ा गुस्से से कहा,”अगर ये छवि का निजी मामला है तो फिर तुमने सब वकीलों को छोड़कर छवि को सिर्फ सूर्या मित्तल से मिलने को ही क्यों कहा ?
अक्षत ने माथुर साहब की तरफ देखा तो उन्होंने कहा,”चित्रा मुझे सब बता चुकी है , क्या मैं जान सकता हूँ तुमने ऐसा क्यों किया ?”
अक्षत ने एक गहरी साँस ली और कहा,”वक्त आने पर आपके सारे सवालो का जवाब दे दूंगा सर,,,,,,,,,,,,अभी मुझे जाने की इजाजत दीजिये।”
“हम्म्म मैं इंतजार करूंगा,,,,,,,,,!!”,माथुर साहब ने कहा तो अक्षत वहा से चला गया और माथुर साहब अपनी कुर्सी की तरफ चले आये।
सचिन ने जब चित्रा को अक्षत के आने के बारे में बताया तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा उसका चेहरा खिल उठा।
चित्रा ने जल्दी जल्दी अक्षत की टेबल को व्यवस्तिथ किया। उसने टेबल पर रखे पेपर्स में से एक कागज उठाया और उस पर लिखा “Wel-Come Back सर” ,, चित्रा ने वो कागज टेबल पर रखा लेकिन कागज खाली खाली लग रहा था इसलिए चित्रा ने वहा पास ही पड़े फ्लावर पॉट से एक गुलाब निकाला और उस कागज के साथ रख दिया और अपनी जगह पर आकर बैठ गयी।
कुछ देर बाद अक्षत केबिन में आया। अक्षत ने चित्रा पर कोई ध्यान नहीं दिया लेकिन अक्षत का नया लुक देखकर चित्रा जरूर अपने होश खो बैठी थी। अक्षत अपनी टेबल की तरफ आया तो उसकी नजर वहा रखे फुल और कागज पर पड़ी। अक्षत ने कागज उठाया और उस पर लिखे शब्द पढ़े अक्षत समझ गया ये चित्रा ने यहाँ रखा है इसलिए उसने कागज और गुलाब दोनों को पास ही पड़ी कचरे की बाल्टी में डाल दिया और आकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया।
चित्रा ने देखा तो उसका खिला हुआ चेहरा एकदम से मुरझा गया और वह उदास आँखों से अक्षत की तरफ देखने लगी जिसके चेहरे पर पहले से ज्यादा कठोरता थी।
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