Sanjana Kirodiwal

Haan Ye Mohabbat Hai – 41

Haan Ye Mohabbat Hai – 41

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

अक्षत जी जिस आदमी को ढूंढ रहा था वो खुद अक्षत के सामने आ गया लेकिन अक्षत उस से कुछ पूछ पाता इस से पहले उस आदमी ने खुद को मौत के हवाले कर दिया। अक्षत घर लौट आया और उस दिन के बाद से अक्षत को उस आदमी का कोई कॉल नहीं आया और धीरे धीरे अक्षत ने भी ये मान लिया कि अमायरा के कातिल को सजा मिल चुकी है।

कोर्ट से अक्षत का लायसेंस केंसल हो चुका था इसलिए अक्षत दिनभर अपने कमरे में रहता था। वह पहले से भी ज्यादा गुस्सैल और कठोर हो चुका था। घर में किसी से ज्यादा बात नहीं करता और धीर धीरे घरवालों ने भी उस से बात करना बंद कर दिया था।  

विजय जी , सोमित जीजू और अर्जुन अपने अपने कामो में बिजी रहते थे। राधा अब बीमार रहने लगी थी इसलिए घर और बाहर के सब काम नीता और तनु ही सम्हाला करती थी। निधि ने यहाँ आना बंद कर दिया वह अक्षत के बर्ताव से बहुत हर्ट थी। उसने मीरा से मिलने की कोशिश की लेकिन मीरा ने वक्त का बहाना बनाकर उससे मिलने से इंकार कर दिया और निधि को भी लगने लगा कि मीरा अब उस से मिलना नहीं चाहती।

सौंदर्या मीरा और अमर जी को हॉस्पिटल से घर ले आयी। हालातो को देखते हुए सौंदर्या ने कुछ वक्त के लिये खुद को फिर से मीरा और अमर जी के करीब कर लिया। वह अमर जी और मीरा की परवाह पहले से ज्यादा करने लगी। उनके साथ ज्यादा वक्त बिताने लगी ताकि मीरा को कभी उनकी बदनीयती पर शक ना हो। सौंदर्या का बदला रूप देखकर वरुण को भी तसल्ली हुई और वह कुछ दिन बाद वापस अपने घर चला गया। घर में सौंदर्या , अमर जी , मीरा का अलावा घर के नौकर और अमर जी की देखभाल करने वाला नर्स था।

पुलिस स्टेशन में अक्षत का गुस्सा देखने के बाद मीरा ने कभी उस से मिलने की कोशिश नहीं की हाँ ऐसा कोई दिन नहीं गुजरा जब मीरा ने ईश्वर के सामने अक्षत की ख़ुशी की प्रार्थना ना की हो। वह आज भी अक्षत से उतनी ही मोहब्बत करती थी और उसे उम्मीद थी कि एक दिन उसका लौट आएगा। मीरा अपना ज्यादा से ज्यादा समय अमर जी के साथ बिताने लगी।

छवि ने सूर्या मित्तल से मिलकर अपना केस रीओपन करवा लिया लेकिन सूर्या ने छवि से कुछ वक्त मांगा जिस से वह इस केस की बारीकी से जांच कर सके और पता लगा सके आखिर अक्षत से गलती कहा हुई ?

सूर्या की बात मानने के अलावा छवि के पास कोई दुसरा रास्ता भी नहीं था। वह बस इंतजार करने लगी। अपने अकेलेपन और लोगो के तानो से बचने के लिये छवि ने फिर से नौकरी करनी शुरू कर दी। वह एक प्राइवेट कम्पनी में पोस्टेड थी। छवि के साथ हुए हादसे के बाद से उसके सब दोस्तों ने उस से किनारा कर लिया और उस से बात करना बंद कर दिया। छवि ने भी इसे अपनी नियति समझकर स्वीकार कर लिया और नए ऑफिस में किसी से दोस्ती नहीं बढ़ाई वह चुपचाप अपना काम करती और घर आ जाती।

माधवी छवि का बहुत साथ लेती लेकिन आस पास के लोगो की जली-कटी बातें आख़िरकार उसका सीना छलनी कर ही देती। कई बार छवि का दिल करता मर जाए लेकिन अपनी कोख में पल रहे बच्चे के बारे में सोचकर रुक जाती। छवि वक्त वक्त पर डॉक्टर से भी मिलती रहती। उसे बस उस दिन का इंतजार था जब उसे इंसाफ के लिये एक बार फिर कटघरे में विक्की के सामने खड़े होना था।

 जेल में वक्त काटते हुए विक्की हर रोज छवि के बारे में सोचता रहता था। वह छवि से मिलना चाहता था लेकिन किस मुंह से वह छवि से खुद को मिलने के लिये कहता। एक-दो बार उसने सिंघानिया जी के सामने छवि का जिक्र भी किया लेकिन सिंघानिया जी की बातो में छवि के लिये नफरत देखकर उसने दोबारा कभी छवि के बारे में बात नहीं की ,, विक्की नहीं चाहता था सिंघानिया जी छवि को किसी तरह का नुकसान पहुंचाए,,,,,,,,,,,,,,, विक्की के मन में ये भाव कब आने लगे उसे खुद पता नहीं चला।

छवि से नफरत करने वाला विक्की एकदम से छवि की परवाह करने लगा। विक्की जेल से निकलने के बाद बस एक बार छवि से मिलना चाहता था , वह छवि से मिलकर उस से माफ़ी मांगना चाहता था ये जानते हुए भी कि छवि उसे कभी माफ़ नहीं करेगी। विक्की बस जेल की सलाखों के पीछे बैठकर अपनी सजा खत्म होने का इंतजार कर सकता था।

विक्की के जाने के बाद से ये घर सिंघानिया जी को काटने को दौड़ता था। उनका बिजनेस भी ठप हो चूका था और कम्पनी को ताला लग गया। सिंघानिया जी टूट चुके थे उनमे इतनी हिम्मत नहीं थी कि उस कम्पनी को अकेले फिर से उंचाईयों पर ला सके। उन्होंने उस कम्पनी को बंद किया और कुछ महीनो के लिए भोपाल में बने अपने फार्म हॉउस चले गए ताकि कुछ वक्त अपने साथ बिता सके।

रॉबिन सिंघानिया जी का सबसे वफादार नौकर था लेकिन सिर्फ विक्की को बचाने के लिए उन्होंने रॉबिन की बलि दे दी और रॉबिन ने ख़ुशी ख़ुशी सिंघानिया जी की बात मान ली क्योकि इसके बदले में सिंघानिया जी ने हमेशा रॉबिन के घरवालों की देखभाल करने का जिम्मा अपने सर ले लिया था। फार्म हॉउस पर वक्त बिताते हुए सिंघानिया जी बस विक्की की सजा खत्म होने का इंतजार कर रहे थे।

अक्षत से मोहब्बत करने की चित्रा को ये सजा मिली कि अक्षत से मिलना तो दूर वह अक्षत को देखने के लिये तरस गयी।  

चित्रा कई बार अक्षत के घर के सामने से भी गुजरी सिर्फ इस आस में ताकि एक बार अक्षत को देख सके लेकिन एक ही घर में रहते हुए अक्षत के घरवाले कई कई दिनों तक उस से नहीं मिल पाते थे चित्रा भला उस से क्या मिल पाती ? चित्रा कोर्ट आती रही और अक्षत के मना करने के बाद भी वक्त अक्षत के ही केबिन में आकर सचिन के साथ केस पर स्टडी करती रहती। सचिन चित्रा को पसंद करता था लेकिन जब चित्रा ने सचिन को अक्षत के बारे में बताया तो सचिन ने अपने अरमानो को हमेशा हमेशा के लिए अपने दिल में दबा लिया।

कोर्ट में सचिन और चित्रा को छोटा मोटा काम मिल जाता था लेकिन कभी कोई बड़ा केस नहीं मिला। माथुर साहब कभी कभी कोई मामूली केस उन्हें दे दिया करते थे। अक्षत के वहा ना होने का उसके साथी वकीलों ने खूब फायदा उठाया था।  अक्षत के निजी जीवन को लेकर वकीलों के बीच कोर्ट में बाते होने लगी। उसके काम पर उंगलिया उठायी जाने लगी। वकीलों के बीच अक्षत को लेकर एक अलग ही छवि बन चुकी थी जिसमे सबसे बड़ा हाथ अक्षत के अच्छे दोस्त अखिल का था।

अखिल फॅमिली लॉयर था और अक्षत क्रिमिनल लॉयर और दोनों ही अच्छे दोस्त थे लेकिन चित्रा के आने की वजह से अखिल के मन में अक्षत को लेकर थोड़ी दूरिया आ चुकी थी। चित्रा ने अक्षत के सामने अखिल को कोई भाव नहीं दिया था और इसी वजह से अखिल अक्षत से चिढ़ने लगा था। वह उसके मुंह पर अच्छा बनने का दिखावा करता रहा लेकिन लायसेंस रद्द होने के बाद अखिल ने एक बार भी अक्षत से मिलने की कोशिश नहीं की।

अक्षत के कोर्ट ना आने से अखिल को मौका मिल गया और उसने साथी वकीलों के बीच अक्षत को खूब बदनाम किया। वो कहते है ना जीतनी गहरी दोस्ती उतना ही गहरा जख्म,,,,,,,,,,,,,,और अक्षत इस से अनजान था।

अक्षत , मीरा , चित्रा , छवि , विक्की , सिंघानिया जी और सौंदर्या सब अपनी अपनी अपनी जिंदगी शांति से जी रहे थे लेकिन ये शांति आने वाले किसी तूफान के पहले की शांति थी। बहुत से राजो पर्दा उठना बाकि था , असली गुनाहगारो का सामने आना बाकि था , टूटे दिलो और टूटे रिश्तो का जुड़ना बाकि था और,,,,,,,और अक्षत मीरा का फिर से एक होना बाकि था। देखते ही देखते वक्त गुजरने लगा और इन सब की जिंदगी के 5 महीने कब गुजरे इन्हे खुद पता नहीं चला,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!

5 महीने बाद -: अक्टूम्बर का महीना चल रहा था और सर्दिया शुरू हो चुकी थी। सुबह सुबह छवि ऑफिस जाने के लिये तैयार हो रही थी कि अचानक से पेट में दर्द होने लगा और छवि को माधवी के साथ डॉक्टर के पास जाना पड़ा। उस हादसे को हुए 6 महीने हो चुके थे और छवि के पेट में पल रहे बच्चे को भी,,,,,,,,,,,,छवि का पेट अब बाहर झलकने लगा था। डॉक्टर ने छवि का चेकअप किया , कुछ दवाये लिखी और छवि को आराम करने को कहा।


आराम की बात सुनकर छवि ने कहा,”डॉक्टर मेरा नौकरी करना बहुत जरुरी है , मेरे घर में कमाने वाला कोई नहीं है।”
“छवि मैं समझ सकती हूँ लेकिन इस कंडीशन में तुम्हारा काम करना सही नहीं है , तुम्हे अपना बहुत ख्याल रखने की जरूरत है।”,डॉक्टर ने छवि की चिंता करते हुए कहा  

“मैं अपना पूरा ख्याल रखूंगी डॉक्टर,,,,,,,,,लेकिन मैं जॉब नहीं छोड़ सकती,,,,,,,!!”,छवि ने कहा
“ठीक है लेकिन तुम्हे अपनी दवाईया और खाना वक्त पर लेना है,,,,,,,,,,,,साथ ही कुछ एक्सरसाइज भी करनी है और हाँ कोई भी भारी काम करने से बचना है। स्ट्रेस बिल्कुल नहीं लेना,,,,,,,,,बेबी बिलकुल हेअल्थी है और उसकी ग्रोथ भी अच्छी हो रही है।”,डॉक्टर ने छवि को नसीहते देते हुए कहा
कुछ देर बाद छवि माधवी के साथ घर चली आयी। घर आकर छवि को सूर्या मित्तल का कॉल आया और कई दिनों बाद उसके चेहरे पर मुस्कान तैर गयी। 2 दिन बाद कोर्ट में छवि के केस की पहली तारीख जो थी।


उसी शाम मीरा हॉल में बैठी किसी फाइल को देख रही थी तभी सौंदर्या वहा आकर बैठी और मीरा के हाथ से फाइल लेकर उसे बंद करते हुए कहा,”मीरा ! बेटा कितना काम करोगी थक जाओगी ? छोडो इसे और थोड़ा आराम से बैठो,,,,!!”
मीरा हल्का सा मुस्कुरा दी और कहा,”पापा के ऑफिस का काम था भुआजी , अगले हफ्ते एक मीटिंग है बस उसी की फाइल थी। आप बताईये आपको कुछ काम था हम से ?”
“हाँ मीरा , मुझे तुम से कुछ जरुरी बात करनी है।”,सौंदर्या ने गंभीर होकर कहा
”जी भुआजी कहिये,,,,,,,,,,!”,मीरा ने उनकी तरफ देखकर कहा


“मीरा ! तुम ऐसे कब तक रहोगी ? ऐसे अकेले जिंदगी नहीं काटी जाती है बेटा,,,,,,,,,,,,,,अक्षत ने तुम्हारे साथ जो किया उसे भूलकर तुम्हे अपनी जिंदगी में आगे बढ़ जाना चाहिए। तुम जवान हो , खूबसूरत हो और खूबसूरती के साथ साथ तुम में गुण भी है। तुम्हे अक्षत से बेहतर लड़का मिल जाएगा मीरा फिर क्यों उसके इंतजार में अपना वक्त बर्बाद कर रही हो ? तुम कहो तो मेरी सहेली के बेटे के साथ तुम्हारी बात चलाऊ ?”,सौंदर्या ने मीरा की तरफ देखकर कहा


सौंदर्या का कहा एक एक शब्द मीरा के सीने में तीर की भांति चुभ रहा था फिर भी उसने खुद को शांत रखते हुए कहा,”भुआ जी आप शायद भूल रही हैं हमारे खानदान में लड़की की शादी सिर्फ एक बार होती है , दोबारा नहीं और हमारी शादी अक्षत जी से हो चुकी है। इस जन्म में हम उनके और वो हमारे हो चुके है।”
“किस शादी की बात कर रही हो मीरा ? वो शादी जिसके तलाक के पेपर अक्षत तुम्हे भेज चुका है। तुम उस शादी को बचाने की बात कर रही हो मीरा , जिस


शादी में ना तुम्हारा भविष्य है न तुम्हारी इज्जत,,,,,,,,,,,अक्षत से शादी करने का फैसला करके तुम एक गलती पहले ही कर चुकी हो मीरा , अब उसका इंतजार करने की दूसरी गलती मत करो। मैं तुम्हारी माँ ना सही लेकिन माँ जैसी तो हूँ। मैं भी चाहती हूँ तुम्हारा घर हो , तुम अपनी जिंदगी में खुश रहो।”,सौंदर्या ने भावुक होते हुए कहा

“हम खुश है भुआजी ! इस घर में , अपने काम के साथ हम खुश है,,,,,,,,,,,,,,,हमे जिंदगीभर भी अगर उनका इंतजार करना पड़े तो हम करेंगे लेकिन किसी और को अपनी जिंदगी में शामिल करना तो दूर ख्याल भी हम अपने मन में नहीं ला सकते,,,,,,,,,,,,,,,आज के बाद हम इस बारे में बात नहीं करेंगे”,कहते हुए मीरा उठी और वहा से चली गयी।


सौंदर्या ने आँख के किनारे पर आयी नकली आँसू की बूंद को अपनी ऊँगली पर निकाला और दूर छिटकते हुए कहा,”सॉरी मीरा लेकिन अक्षत की बेवफाई का जिक्र में तुम्हारे सामने बार बार करती रहूंगीं। मैं तुम्हे वक्त वक्त पर याद दिलाती रहूंगी तुमने उस इंसान की वजह से क्या खोया है ?”
कहते हुए सौंदर्या मुस्कुराई और फिर अपना सर सोफे के हत्थे से लगाकर आँखे मूंद ली

शाम का समय था। राधा मंदिर में भगवान सामने दीपक जला रही थी। वही पास ही बैठी दादी माँ अपनी माला जप रही थी। दादू हॉल में बैठे टीवी पर कोई न्यूज देख रहे थे। नीता की तबियत थोड़ी खराब थी इसलिए आज तनु अकेले ही किचन में थी और उनकी मदद कर रही थी छोटी काव्या। काव्या 15 साल की हो चुकी थी और स्कूल के साथ साथ उसे किचन में खाना बनाने में भी बहुत रूचि थी। कभी कभी वह राधा के साथ उनकी मदद किया कर दिया करती थी।


विजय जी , अर्जुन और सोमित जीजू ऑफिस से आ चुके थे और सभी फ्रेश होने अपने अपने कमरों में चले गए। विजय जी आकर दादू के साथ बैठ गए और न्यूज को लेकर बात करने लगे। सोमित जीजू नीता को चाय का कहकर अपने कमरे में चले गए और अर्जुन अपना बैग उठाये ऊपर चला आया लेकिन ऊपर आकर अपने कमरे में जाने के बजाय कदम बीच में ही रुक गए और नजरे अक्षत के कमरे के सामने बनें हॉल की तरफ चली गयी जहा अक्षत अपनी रोजाना की एक्सरसाइज कर रहा था।

उसका शरीर पहले से काफी भर गया था और शरीर के उभर और नसे भी साफ दिखाई दे रही थी। अर्जुन ने देखा अक्षत पसीने से तरबतर है और फिर भी लगातार पुशअप्स किये जा रहा है।  पसीने की वजह से उसका पूरा शरीर चमक रहा था उस पर उसका सांवला रंग और भी आकर्षक लग रहा था। अर्जुन ने आज से पहले अक्षत को इतना स्ट्रांग कभी नहीं देखा था।

अक्षत ने अपनी एक्सरसाइज ख़त्म की और तौलिये से मुँह पोछते हुए जैसे ही अपने कमरे की तरफ जाने लगा नजर अर्जुन पर चली गयी। अर्जुन को खोया हुआ देखकर अक्षत कमरे में चला गया और जैसे ही दरवाजा बंद किया उसकी आवाज से अर्जुन की तंद्रा टूटी और वह अपने कमरे की तरफ बढ़ गया।  

कमरे में आकर अक्षत ने कुछ देर आराम किया। अपना पसीना सुखाया और फिर कबर्ड से कपडे लेकर बाथरूम की तरफ बढ़ गया। शावर से पानी गिरकर उसके बदन को भिगाने लगा अक्षत ने बालों में से हाथ घुमाते हुए गर्दन उठायी और आंखे मूंद ली। उसके कानो में मीरा के कहे शब्द गूंजने लगे,”हमने आपसे मोहब्बत की है , और ये मोहब्बत कभी कम नहीं होगी वक्त के साथ सिर्फ बढ़ती जाएगी”


अक्षत ने एकदम से आँखे खोली , चेहरे पर कठोरता झलकने लगी और दिल तेजी से धड़कने लगा। बीते 6 महीनो में अक्षत के दिल में मीरा के लिये नफरत भी बढ़ चुकी थी।  नहाकर उसने कपडे बदले और वह अपने कमरे में चला आया। अक्षत शीशे के सामने आया और खुद को देखने लगा। वह बिल्कुल बदल चुका था बस नहीं बदली थी तो उसकी आँखे जिनमे आज भी एक इंतजार और खालीपन पसरा था। अक्षत शीशे के सामने खड़ा खुद को देख ही रहा था कि तभी उसके फोन में एक नोटिफिकेशन आया।

अक्षत बिस्तर की तरफ आया और फोन उठाकर देखा। ये एक मेल था जो कोर्ट की तरफ से आया था। बार काउन्सिल ने अक्षत का जो लायसेंस 6 महीने के लिये केंसल किया था वो रिन्यू हो चुका था और अक्षत को अगले दिन कोर्ट बुलाया गया था।  
अक्षत मुस्कुरा उठा,,,,,,,,,,,,,,,,,पुरे 6 महीने बाद उसके होंठो पर ये मुस्कान थी जिसने उसके जख्मो पर थोड़ा सा मलहम लगाने का काम किया था।

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