Sanjana Kirodiwal

Haan Ye Mohabbat Hai – 39

Haan Ye Mohabbat Hai – 39

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

नींद सबकी आँखों से गायब थी। अखिलेश इसलिये नहीं सो पा रहा था क्योकि उसका कोई पेन खो गया था जो कि उसे बहुत अजीज था तो क्या ये वही पेन था जो वरुण को मिला था या अखिलेश किसी और पेन की बात कर रहा था ? चित्रा जाग रही थी क्योकि उसे अक्षत से प्यार हो चुका था जिसका जिक्र वह माथुर साहब के सामने भी कर चुकी थी हालाँकि माथुर साहब ने चित्रा को अक्षत की सच्चाई से भी अवगत कराया लेकिन चित्रा को कोई फर्क नहीं पड़ा।  

विक्की अपने बीते कल और छवि के बारे में सोचकर जाग रहा था , जेल से निकलने से ज्यादा उसे अब छवि की चिंता होने लगी थी। धीरे धीरे ही सही पर उसे समझ आ रहा था छवि के साथ उसने जो किया वो सही नहीं था और इसी गिल्ट में विक्की दिन रात परेशान रहता था। माधवी सो चुकी थी लेकिन छवि जाग रही थी उसके जहन में अभी भी पड़ोसन की कही बात घूम रही थी और यही वजह थी कि छवि सो नहीं पा रही थी। हॉस्पिटल के बिस्तर पर लेटी मीरा की आँखों से नींद गायब थी , उसका मन उदास था और आँखे रोने की वजह से सूज गयी थी।

अक्षत ने आज जो किया उसे मीरा स्वीकार ही नहीं कर पा रही थी। अक्षत के जागने की वजह कुछ और थी। वह एक आदमी जिसने पिछले 2 महीनो से अक्षत को अपने जाल में उलझा रखा था अक्षत उसके बारे में सोचकर जाग रहा था। देर रात अक्षत अपने कमरे से निकलकर ऊपर छत पर चला आया। ठंडी हवाएं चल रही थी और आसमान में चाँद चमक रहा था। अक्षत ने जेब से सिगरेट निकाली और जलाकर होंठो के बीच रख ली। सिगरेट के कश लगाते हुए अक्षत उस आदमी के बारे में सोचने लगा।

अक्षत शुरू से होने वाली घटनाओ को एक दूसरे से जोड़कर देखने लगा लेकिन सब उलझता जा रहा था। आने वाले 4 महीनो में अक्षत के पास कोई काम नहीं था। उसका लायसेंस रद्द हो चुका था इसलिए उसके पास बहुत वक्त था जिसमे वह इस उलझन को सुलझा सकता था। सोचते सोचते अक्षत ने 4-5 सिगरेट पी डाली लेकिन नींद अब भी उसकी आँखों से कोसो दूर थी। नींद का इंतजार करते करते सुबह हो गयी। अक्षत नीचे चला आया।


अर्जुन अपने कमरे से निकलकर जैसे ही बाहर जाने लगा नजर सीढ़ियों से नीचे आते अक्षत पर पड़ी। सुबह सुबह अक्षत को छत से आते देखकर अर्जुन उसके
पास आया और कहा,”आशु ! इतनी सुबह सुबह छत पर गया था तू”
“नहीं मैं रात से वही था अभी आया हूँ”,अक्षत ने बिना किसी भाव से कहा
अर्जुन ने सूना तो उदास हो गया हमेशा हँसते मुस्कुराते रहने वाला अक्षत आज किन हालातो में था देखकर अर्जुन को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था।

उसने अक्षत की तरफ देखा और कहा,”परेशान मत हो सब ठीक हो जाएगा , मैं तुम्हारे साथ हूँ ,, इन्फेक्ट हम सब तुम्हारे साथ है। तुम काफी थके हुए नजर आ रहे हो जाओ अपने कमरे में जाओ और थोड़ा आराम कर लो।”
“हम्म्म्म,,,,,,,,!!”,अक्षत ने कहा और वहा से चला गया। अर्जुन भी नीचे चला आया।  

अगली सुबह अमर जी की तबियत में काफी सुधार था इसलिए डॉक्टर्स ने उन्हें ICU से बाहर प्राइवेट रूम में शिफ्ट करने की बात कही। मीरा की तबियत भी सही नहीं थी और हॉस्पिटल में रुकने वाला कोई नहीं था इसलिए सौंदर्या ने डॉक्टर से मिलकर अमर जी का आगे का ट्रीटमेंट घर में शुरू करने की बात कही और अमर जी के डिस्चार्ज पेपर बनवाकर उन्हें घर ले जाने की तैयारी करने लगी। अमर जी की देखभाल करने के लिये सौंदर्या ने एक मेल नर्स भी हायर कर लिया जिस से उन्हें किसी तरह की परेशानी ना हो।

मीरा की नजरो में सौंदर्या का विश्वास कम हो गया था और सौंदर्या को वह विश्वास वापस जितना इसलिए वह मीरा और अमर जी के साथ जितना अच्छा बन सकती थी बनने की कोशिश कर रही थी।
मीरा को जब पता चला अमर जी को घर ले जाने की परमिशन मिल गयी है उसे थोड़ी तसल्ली हुई और उसके मन को राहत मिली।
 डिस्चार्ज और हॉस्पिटल के पेपर बनने के बाद सौंदर्या और सबको लेकर घर के लिए निकल गयी। मीरा , वरुण और सौंदर्या गाड़ी से आगे चल रहे थे और अमर जी पूरी देखभाल के साथ पीछे एम्बुलेंस में आ रहे थे।

व्यास फॅमिली में उदासी का माहौल था। रोजमर्रा के काम हो रहे थे लेकिन किसी के होंठो पर मुस्कराहट नहीं थी ना ही चेहरे पर ख़ुशी के कोई भाव थे। जब से मीरा इस घर से गयी थी इस घर की खुशिया जा चुकी थी। अक्षत अपने कमरे में आकर थोड़ी देर सोया और उसके बाद उठकर नहाने चला गया। अक्षत को किसी भी हालत में उस आदमी का पता लगना था जो उसके साथ ये खेल खेल रहा था।

नहाकर अक्षत ने कबर्ड से कपडे निकाले और पहनकर बिस्तर पर आ बैठा उसने अपना फोन उठाया और अपने दोस्त नवीन को फोन लगाया। कुछ देर बाद नविन ने फोन उठाया और कहा,”हाँ अक्षत”
“मैंने जो नंबर तुम्हे भेजे क्या तुम्हे कुछ क्लू मिला ?”,अक्षत ने बेचैनी भरे स्वर में पूछा
“यार अक्षत ये जो भी है बड़ा शातिर आदमी है , ये वो नंबर और फोन यूज़ कर रहा है जो चोरी हो चुके है,,,,,,,,,,,,,,अगर हम इन सब नंबरों के एड्रेस भी निकाले तो हमे कोई फायदा नहीं होगा क्योकि एड्रेस उसके नाम से है जिसका फोन चोरी हुआ है।”,नविन ने कहा


“क्या कोई और रास्ता नहीं है ?”,अक्षत ने पूछा
“एक रास्ता है इस बार अगर तुझे कॉल आये तो तू तुरंत मुझे बताना मैं तेरा नंबर हैक करके उस कॉल को ट्रेस कर लूंगा एंड हॉप सो उस से कुछ क्लू मिल जाए”,नवीन ने कहा
“मुझे नहीं लगता वो मुझे आज फोन करेगा लेकिन फिर भी अगर उसने किया तो मैं याद रखूंगा”,अक्षत ने कहा
“वैसे तू उस हादसे को भूल क्यों नहीं जाता ? ऐसे कब तक तू इन सब चक्करो में भटकता रहेगा ?”,नवीन ने एकदम से कहा


“क्या तुम्हारी कोई बेटी है ?”,अक्षत ने नवीन से सवाल किया
“नहीं मुझे सिर्फ 6 साल का बेटा है , लेकिन तू ये क्यों पूछ रहा है ?”,नवीन ने कहा
“तो फिर तू मेरा दर्द नहीं समझ सकता,,,,,,,,,!”,कहते कहते एकदम से अक्षत की आँखों में नमी तैर गयी उसकी आँखों के सामने अमायरा का मासूम चेहरा आ गया।
“आई ऍम सॉरी यार मेरा वो मतलब नहीं था”,नवीन ने कहा


“इट्स ओके , मैं करता हूँ तुझे फोन”,अक्षत ने अपनी आँखों के किनारे साफ करते हुए कहा और फोन काट दिया
अक्षत उठा और अपने बिस्तर के पास वाली दिवार के पास आया जहा अमायरा की बड़ी सी तस्वीर लगी थी। अक्षत एकटक उस तस्वीर को देखता रहा वो तस्वीर इतनी प्यारी थी लग रहा था जैसे अमायरा अभी इस तस्वीर से बाहर निकल कर बोल पड़ेगी। अक्षत ने उस तस्वीर को अपनी उंगलियों से छुआ और कहने लगा,”पापा ऑलवेज मिस यू प्रिंसेस ,, तुम्हे अपने पापा को अकेले छोड़कर नहीं जाना चाहिए था।

यू नो ना बच्चा मैंने हर कोशिश की पर मैं तुम्हे नहीं बचा पाया,,,,,,,आखिरी वक्त तक तुम मेरे इन हाथो में थी मैं तुम्हे कैसे जाने दे सकता था ? बट मेरे हाथ में नहीं था प्रिंसेस,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मेरे हाथ में नहीं था ,, मैं तुम्हे समझ ही नहीं पाया , तुम्हारे आखरी वक्त में तुम्हे वक्त नहीं दे पाया,,,,,,,,,,,मैं एक अच्छा पिता नहीं बन पाया , आई ऍम सॉरी प्रिंसेस , आई ऍम रियली सॉरी,,,,,,,,,,,,बहुत याद आती है तुम्हारी , वापस आ जाओ प्लीज , आई प्रॉमिस आई विल नेवर इग्नोर यू माय बच्चा,,,,,,,,,प्लीज अपने पापा को माफ़ कर दो।”


कहते हुए एक बार फिर अक्षत की आंखे भर आयी। अक्षत वहा ज्यादा देर रुकना नहीं चाहता था इसलिए कमरे से बाहर निकल गया    

अक्षत सीढ़ियों से होते हुए जैसे ही नीचे आने लगा उसका फोन बजा। अक्षत ने फोन उठाया और कान से लगाया दूसरी तरफ से किसी ने कुछ कहा और उसके बाद अक्षत ने कहा,”ठीक है मैं आपसे मिलता हूँ।”
नाश्ते पर सब अक्षत का इंतजार कर रहे थे लेकिन अक्षत बिना नाश्ता किये ही वहा से निकल गया।

चाइल्ड होम को लेकर कुछ जरुरी डिसीजन थे जिन्हे लेने के लिये उसका मीरा से मिलना जरुरी था लेकिन बीते दिन मीरा से हुई बहस के बाद अखिलेश कुछ दिन के लिये मीरा से मिलना नहीं चाहता था। चाइल्ड होम की तरफ से होने वाली मीटिंग में अखिलेश अकेले ही चला गया और जो जरुरी  डिसीजन थे उन पर साइन कर दिया बिना मीरा को बताये और उस से सलाह मशवरा किये।

ये नयी डील चाइल्ड होम को फायदा देने वाली थी या हमेशा के लिये चाइल्ड होम को खतरे में डालने वाली थी ये तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन ये फैसला करके अखिलेश बहुत खुश था आखिर नयी पार्टी से उसे 5 लाख की रकम जो मिली थी। मीटिंग के बाद अखिलेश वापस चाइल्ड होम के लिये निकल गया।

छवि अपने केस के सिलसिले में सूर्या मित्तल से मिली। सूर्या को छवि के केस की स्टडी और कुछ मजबूत सबूत जमा करने के लिये थोड़ा वक्त चाहिए था इसलिए उसने छवि से 4 महीने का समय मांगा। दरअसल सूर्या मित्तल ने जान बुझकर इतना अक्षत इतना समय मांगा ताकि वह अक्षत के सामने ही इस केस को लड़े और जीतकर अक्षत को गलत साबित करे। अक्षत से दुश्मनी निभाने का इस से अच्छा मौका भला और क्या हो सकता था ?  

छवि के पास सूर्या मित्तल की बात मानने के अलावा और कोई चारा नहीं था। वह सूर्या से मिलकर वापस घर चली आयी। छवि के पास चार महीने थे इन चार महीनो में उसे अपने लिये कुछ करना था इसलिए उसने अपने लिये नौकरी देखना शुरू कर दिया।

चित्रा कोर्ट आयी और सीधा अक्षत के केबिन में चली आयी। सचिन को उम्मीद नहीं थी अक्षत के मना करने के बाद चित्रा कोर्ट आएगी।  चित्रा को वहा देखकर सचिन खुश भी था आखिरकार वह दिल ही दिल में चित्रा को पसंद जो करता था। चित्रा केबिन में आयी और अपना बैग रखते हुए कहा,”आज कोई केस ही स्टडी के लिये ?”
“हाँ , हाँ एक केस है ,, मुझे लगा नहीं था तुम वापस आओगी ?”,सचिन ने कहा


चित्रा ने सूना तो हसने लगी और कहा,”सचिन मेरी पर्सनल लाइफ कभी मेरे प्रोफेशन के बीच में नहीं आ सकती ,, अक्षत सर से झगड़ा पर्सनल था ये प्रोफेशनल है ,, लाओ वो नए केस की फाइल देना ज़रा मैं उस पर थोड़ी रिसर्च कर लू,,,,,,,,,,,,,वैसे भी जब तक अक्षत सर वापस नहीं आते हमे अदालत में खड़े होने का मौका मिलने से रहा,,,!!”
सचिन ने फाइल उठाकर चित्रा को दे दी और कहा,”मुझे सर के आने का इंतजार रहेगा।”  

अक्षत अमर जी के ऑफिस पहुंचा। अमर जी का मैनेजर अक्षत को लेकर अमर जी के ऑफिस में आया और उसे बैठने को कहा,”क्या मैं जान सकता हूँ आप लोगो ने मुझे यहाँ क्यों बुलाया है ?”
“सर आप जानते ही है अमर सर अभी इस कंडीशन में नहीं है कि कम्पनी के हक़ में कोई फैसला ले सके ,, अमर जी के बाद इस कम्पनी के फैसले लेने का अधिकार आपके और मीरा मैडम के पास है।

एक बहुत बड़ी डील है पिछले 1 महीने से पेंडिंग में है सर और अब उसे फाइनल करना बहुत जरुरी है वरना  कम्पनी लॉस में चली जाएगी और कम्पनी लॉस में गयी तो सब एम्प्लॉय की नौकरी खतरे में आ जाएगी।”, मैनेजर ने अपने हाथो को बांधकर कहा
अक्षत ने सुना तो उसे बहुत हैरानी हुई अमर जी ने उसे अपनी कम्पनी में 50 परसेंट का पार्टनर रखा था और अक्षत को ये बात पता भी नहीं थी। अक्षत को खामोश देखकर मैनेजर ने कहा,”सर आप थोड़ा टाइम लेकर जवाब दे सकते है मैं इंतजार करूंगा।”


“एक गिलास पानी मिल सकता है प्लीज”,अक्षत ने महसूस किया उसका गला सूखने लगा है तो उसने मैनेजर से कहा
“जी सर”,मैनेजर ने कहा और बेल बजा दी अगले ही पल ऑफिस बॉय अक्षत के सामने पानी रखकर चला गया। अक्षत एक साँस में पूरा पानी पीया और मैनेजर से कहा,”आप खड़े क्यों है प्लीज सीट”
“सॉरी सर ! मैं आपके साथ नहीं बैठ सकता था , इस वक्त आप 250 करोड़ के मालिक है और मेरी इतनी औकात नहीं है सर कि मैं आपके साथ बैठ सकू सो प्लीज”,मैनेजर ने बहुत ही सहजता से कहा


अक्षत कुछ देर के लिये खामोश हो गया वह अब भी नहीं समझ पा रहा था आखिर अमर जी ने इतना बड़ा फैसला क्यों लिया ? वे चाहते तो सब मीरा के नाम भी कर सकते थे फिर उन्होंने आधा हिस्सा अक्षत के नाम क्यों किया ? अक्षत ने मैनेजर की तरफ देखा और कहा,”क्या मैं जान सकता हूँ पापा ने ये फैसला कब किया ?”
“6 हफ्ते पहले सर”,मैनेजर ने कहा और ये सुनकर अक्षत को और हैरानी हुई क्योकि 2 महीने पहले ही अमायरा की मौत हुई थी और उसके बाद मीरा अपने घर चली आयी थी और उसने अक्षत को तलाक के पेपर भेजे थे।

अक्षत मन ही मन बड़बड़ाया,”सब जानते हुए भी पापा ने मुझे इसमें शामिल क्यों किया इसका मतलब कुछ तो ऐसा है जो वो जानते है लेकिन वो किसी को बता पाते इस से पहले ही उनके साथ ये हादसा हो गया,,,,,,,,,,,,,,,,क्या ये सब अमायरा की मौत से जुड़ा है ?”
अक्षत का दिमाग चकराने लगा चीजे कुछ कुछ उसे समझ आ रही थी। उसने मैनेजर की तरफ देखा और कहा,”मैं इस कम्पनी के बारे में कुछ नहीं जानता इसके अच्छे बुरे के लिये मैं कोई फैसला कैसे कर सकता हूँ ?”


“फैसला मीरा दी कर चुकी है जीजू आपको बस उस फैसले पर अपनी परमिशन देनी है।”,वरुण ने अंदर आते हुए कहा और अपने हाथ में पकड़ी फाइल अक्षत के सामने रख उसके बगल में पड़ी कुर्सी पर आ बैठा।

 अक्षत ने वरुण को देखा और फाइल खोलकर मैनेजर से पेन देने को कहा। मैनेजर ने पेन अक्षत की तरफ बढ़ा दिया लेकिन पेन ठीक से चला नहीं। वरुण को याद आया उसके पास भी एक पेन है उसने हॉस्पिटल में जो पेन मिला वो निकालकर अक्षत को देते हुए कहा,”जीजू ये लीजिये,,,!!”
अक्षत ने उस पेन को देखा और एकदम से उसकी भँवे चढ़ गयी उसने पेन को घुमाकर देखा और वरुण से कहा,”ये पेन तुम्हारे पास कहा से आया ?”
“हाँ ?”,वरुण को अक्षत से ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी शायद


“ये पेन तुम्हे कहा से मिला ?”,अक्षत ने एकदम सीरियस होकर पूछा
“ये तो उस रात मुझे हॉस्पिटल में मिला था जिसमें मीरा दी एडमिट थी”,वरुण ने असमझ की स्तिथि में कहा
 वरुण समझ नहीं पा रहा था एक पेन को देखकर अक्षत इतना परेशान क्यों हो गया है ? अक्षत ने दिमाग पर जोर डाला तो उसे उस आदमी की कही बात याद आयी “मिस्टर व्यास मैं सब पर नजर रखता हूँ तुम पर भी और तुम्हारी,,,,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह कौनसा परफ्यूम था वो हाँ “इसकेड डिजायर” ,,, काफी मदहोश करने वाली खुशबु है इस परफ्यूम की”


अक्षत बड़बड़ाया,”इसका मतलब उस रात मीरा के पास जो आदमी आया था ये पेन उसी का है , और ये वही आदमी है जिसे मैं पिछले दो महीनो से ढूंढ रहा हूँ।”
“आर यू ओके मिस्टर व्यास ?”,मैनेजर ने कहा तो अक्षत की तन्द्रा टूटी। उसने उसी पेन से मीरा के नाम के साथ अपना नाम लिखा और वरुण से कहा,”इफ यू डोंट माइंड , ये पेन मैं रख लेता हूँ।”
“येह ऑफकोर्स,,,,,,,,,!!”,वरुण ने कहा


अक्षत उठा और मैनेजर से हाथ मिलाकर वहा से चला गया। वरुण भी फाइल मैनेजर को देकर वहा से निकल गया। मैनेजर ने फाइल में अक्षत और मीरा के साइन देखे और कहा,”आपका फैसला बिल्कुल सही था अमर सर,,,,,,,,,,,!!  

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