Sanjana Kirodiwal

Haan Ye Mohabbat Hai – 38

Haan Ye Mohabbat Hai – 38

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

अक्षत सोमित जीजू के साथ पुलिस स्टेशन से वापस चला आया। मीरा को वहा देखकर अक्षत गुस्से में था लेकिन उसने अपने गुस्से को चेहरे पर आने नहीं दिया। अक्षत के पीछे पीछे मीरा भी चली आयी और अक्षत के सामने आकर कहा,”एक बार हमारी बात तो सुन लीजिये , हमने आपको,,,,,,,,!!”
“जीजू इस से कहिये यहाँ से चले जाए,,,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने सोमित जीजू की तरफ देखकर कहा


“मीरा , मीरा अभी तुम यहाँ से जाओ प्लीज,,,,,,,चीजे और बिगड़ जाएगी मेरी बात मानो , मैं अक्षत से बात करता हूँ उस समझाता हूँ वो तुम्हारी बात जरूर सुनेगा लेकिन अभी नहीं , अभी वो तुम्हारे इस फैसले से बहुत हर्ट है,,,,,,,,,,,प्लीज तुम यहाँ से जाओ”,सोमित जीजू ने मीरा के कंधो को थामकर धीमे स्वर में उसे समझाते हुए कहा  
मीरा ने अपने कंधो पर रखे सोमित जीजू के हाथो को हटाया और कहा,”ये आप कह रहे है जीजू ? क्या आपको भी यही लगता है कि हमने इन्हे जेल,,,,,,,,,,,,,,,हम ऐसा कैसे कर सकते है ?”


मीरा की बात का सोमित जीजू कुछ जवाब देते इस से पहले अक्षत ने गुस्से से मीरा की बाँह पकड़कर उसे साइड करते हुए कहा,”वैसे ही जैसे सबसे सामने तुम मुझे थप्पड़ मार सकती हो बिना ये जाने की सच क्या है ?”
मीरा गिरते गिरते बची वरुण ने उसे सम्हालते हुए कहा,”दी,,,,,,,,,,,,,,आप ठीक है ?”
“इस से पहले मैं कुछ और कहु , ले जाओ इसे यहाँ से,,,,,,,,,,,,,,,जीजू इस से कहो यहाँ से चली जाए”,कहते हुए अक्षत ने गुस्से में आकर एक घुसा वहा पड़े ड्रम पर दे मारा। मीरा की आँखों में आँसू भर आये।

अक्षत का गुस्सा और अपने लिये उसकी नफरत देखकर मीरा का कलेजा अंदर ही अंदर कटने लगा। उसे अहसास हुआ बिना अक्षत की बात सुने उस पर हाथ उठाकर उसने बहुत बड़ी गलती की थी।
सोमित जीजू मीरा के पास आये और हाथ जोड़ते हुए कहा,”मीरा , मीरा मेरे बच्चे मैं तुम से रिक्वेस्ट करता हूँ प्लीज यहाँ से चली जाओ। तुम देख रही हो ना इस गुस्से में सिर्फ तुम दोनों का नुकसान है। प्लीज यहाँ से चले जाओ,,,,,,,,,,,,,,वरुण लेकर जाओ मीरा को प्लीज”


मीरा फटी आँखों से बस अक्षत को देखते रही , अक्षत के हाथ से रिसता खून देखकर मीरा का दिल किया अभी जाकर उसके हाथ को थाम ले लेकिन मीरा ऐसा नहीं कर पाई। वह बस अपनी जगह पर खड़ी रही। वरुण आया और मीरा को वहा से ले जाने लगा। जाते जाते भी मीरा बदहवास सी बस अक्षत को देखे जा रही थी। जिस मोहब्बत की शुरुआत इतनी खूबसूरत थी उसका अंत इतना भयावह होगा किसने सोचा था ?
अक्षत और मीरा सिर्फ गलतफहमियों का शिकार थे और गलतफहमियां इतनी बढ़ी की मोहब्बत नफरत में बदल गयी।  

वरुण मीरा को लेकर चला गया। सोमित जीजू अक्षत के पास आये और उसका हाथ देखते हुए कहा,”तुम पागल हो गए हो क्या आशु ? ये क्या किया तुमने खुद को सजा क्यों दे रहे हो ?”
“क्योकि मैं उसे सजा नहीं दे सकता”,अक्षत ने तकलीफ भरे स्वर में सोमित जीजू की तरफ देखते हुए कहा
सोमित जीजू ने देखा अक्षत की आँखों में आँसू थे और चेहरा गुस्से और तकलीफ से लाल हो चुका था। सोमित जीजू ने कुछ नहीं कहा बस अक्षत को देखते रहे।

अक्षत के दिल की धड़कने बहुत तेज चल रही थी वह एक दो बार हांफा और फिर पास पड़े पत्थर पर बैठ गया। जिस हाथ में चोट लगी थी उसका बाजु घुटने पर रख उसे लटका लिया। चोट लगने से अक्षत का हाथ सूज चुका था और खून अभी भी रिस रहा था। सोमित जीजू ने जेब से रूमाल निकाला और अक्षत की तरफ आकर कहा,”तुम्हारे हाथ पर चोट लगी है , खुन भी बह रहा है। मैं ये बांध देता हूँ”


अगले ही पल अक्षत ने सोमित जीजू को रोक दिया और कहा,”मुझे अब इस दर्द की आदत डाल लेनी चाहिए जीजू , क्योकि उसे मैं दर्द दे नहीं सकता और खुद को मैं बक्श नहीं सकता”
“ए ! पागल हो गया है तू ? क्या कुछ भी बोल रहा है और कोई आदत नहीं डालनी है,,,,,,,,,,इतना दर्द मिला है जिंदगी में वो क्या कम है ? दोबारा ऐसी बात कही तो रख के दूंगा एक,,,,,,,,,,,,,तू गुस्से वाला होगा लेकिन रिश्ते और उम्र में मैं तुझसे बड़ा हूँ समझा”,इस बार सोमित जीजू ने थोड़ा गुस्से और तेज आवाज में कहा


अक्षत ने सूना तो एक नजर सोमित जीजू को देखा और फिर अपना सर झुका लिया। उसकी आँखों में ठहरे आँसू बहने लगे और नीचे गिरने लगे। सोमित जीजू ने उसके हाथ पर आहिस्ता से अपना रूमाल बांध दिया और खुद भी उसके बगल में आकर बैठ गए।

उन्हें वहा बैठे कुछ ही वक्त हुआ था कि विजय जी की गाड़ी वहा आकर रुकी। गाड़ी से अर्जुन और विजय जी उतरे। अर्जुन ने अक्षत और सोमित जीजू को बाहर बैठे देखा तो उनके पास आया और कहा,”जीजू , क्या हुआ आप लोग बाहर कैसे ? आप लोग ठीक है ना और ये आशु के हाथ को क्या हुआ ? क्या ये सब पुलिसवालों ने किया ?”
 अर्जुन ने सवालो की झड़ी लगा दी। अक्षत अब भी सर झुकाये बैठा था।

सोमित जीजू ने एक नजर उसे देखा और अर्जुन से कहा,”जो इंसान खुद ही अपना दुश्मन हो उसे पुलिसवाले क्या नुकसान पहुंचाएंगे। मीरा यहाँ आयी थी उसने अपनी FIR वापस ले ली तो इंस्पेक्टर ने अक्षत को छोड़ दिया।”
अर्जुन ने सूना तो उसे हैरानी भी हुई और ख़ुशी भी कि अक्षत अब ठीक है और जेल से बाहर है। उसने इधर उधर देखा लेकिन मीरा उसे कही दिखाई नहीं दी।
“अर्जुन चलो सब गाड़ी में बैठो”,विजय जी ने कहा तो सभी उठे और गाड़ी में आ बैठे।


अक्षत सोमित जीजू पीछे बैठे और विजय जी अर्जुन के साथ आगे बैठे। विजय जी के सामने सर उठाने की हिम्मत अक्षत में नहीं थी इसलिए वह सर झुकाये बैठा रहा। विजय जी अक्षत के हाथ पर लगी चोट देखी तो अर्जुन से कहा,”अर्जुन ! घर से पहले गाड़ी हॉस्पिटल ले लेना।”
“जी पापा”,अर्जुन ने कहा और गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी।

वरुण के बगल में बैठी मीरा खामोश और उदास बैठी थी। उसे अक्षत का गुस्सा उसकी नफरत कुछ याद नहीं था उसे बस बार बार अक्षत के हाथ में लगी चोट का ख्याल आ रहा था। मीरा का हाथ गले में पहने मंगलसूत्र पर चला गया और मीरा ने उसे कसकर पकड़ लिया। उसे समझ नहीं आ रहा था आखिर जिंदगी उसे और उसकी मोहब्बत को ये किस मोड़ पर ले आयी थी। वरुण मीरा को लेकर वापस हॉस्पिटल आया तो पाया सौंदर्या बेचैनी से यहाँ वहा घूम रही थी।

मीरा को देखते ही सौंदर्या उसके पास आयी और उसका चेहरा अपने हाथो में लेकर कहा,”मीरा , कहा चली गयी थी तुम ? पता है मैं कितनी परेशान हो गयी थी,,,,,,,,,वैसे तुम गयी कहा थी ?”
“हम अक्षत जी को छुड़ाने गए थे।”,मीरा ने बिना किसी भाव के बिस्तर पर बैठते हुए कहा
सौंदर्या ने सूना तो उसकी भँवे तन गयी और उसने कहा,”क्या ? तुम्हारा दिमाग ख़राब हो गया है मीरा ? तुम उसे छुड़ाने गयी थी जिसने तुम्हारे पापा को मारने की कोशिश की,,,,,,,,,,तुम होश में तो हो ?”


“आप कैसे कह सकती है अक्षत जी ने ही मशीन का तार निकाला था ?”,मीरा ने सवाल किया
“अरे क्योकि मैंने खुद अपनी आँखों से देखा है , और जब मैं वहा पहुंची तो अक्षत वही था”,कहते हुए सौंदर्या की जबान लड़खड़ाई
“और अगर हम कहे जब हम वहा गए थे तब आप भी वहा थी , कही आपने ही तो तार,,,,,,,,,,,,!!”,इस बार मीरा ने सौंदर्या की तरफ देखकर कहा तो सौंदर्या के चेहरे का रंग उड़ गया।

मीरा सच जान गयी है सोचकर ही उनके दिल की धड़कने बढ़ गयी। सौंदर्या मीरा के पास आयी और कहा,”ये ये तुम क्या कह रही हो मीरा , मैं ऐसा कैसे कर सकती हूँ ? मैं भाईसाहब की जान कैसे ले सकती हूँ ?”
“वही तो हम कह रहे है अक्षत जी पापा की जान कैसे ले सकते है ? ये बस किसी की साजिश थी जिसमे अक्षत जी को फंसाया गया है और गुस्से में आकर हमने उन पर हाथ उठा दिया। हमने , हमने अपनी मोहब्बत को थप्पड़ मार दिया,,,,,,,,,,,,,,हम ऐसा कैसे कर सकते है ?

इन हाथो से हम उन्हें कैसे मार सकते है ? हमने ये कैसे मान लिया कि वो हमारे पापा को मार सकते है , हम उनकी आँखों में सच क्यों नहीं देख पाए ? हम इतने कठोर कैसे हो सकते है ? कैसे हो सकते है ?”,कहते हुए मीरा खुद को मारने लगी।
सौंदर्या और वरुण ने देखा तो मीरा को रोकते हुए कहा,”मीरा , मीरा क्या कर रही हो ? पागल हो गयी हो क्या ?”
“दी ऐसा मत कीजिये ,, आपने कुछ नहीं किया है ये बस एक मिसअंडरस्टेंडिंग थी,,,,,,,,,,,प्लीज रिलेक्स”,वरुण ने कहा


“पता है भुआजी अक्षत जी ने क्या कहा,,,,,,,,,,,,,,,,उन्होंने हम से कहा वो हम से नफ़रत करते है , सिर्फ नफरत करते है हम से,,,,,,,,,,यही चाहती थी ना आप की अक्षत जी हमे छोड़ दे,,,,,,,,,,,,तो उन्होंने हमे छोड़ दिया। उन्होंने हमे छोड़ दिया,,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने आंखो में आँसू भरकर बदहवास सी हालत में कहा

“नहीं मीरा , मैंने ऐसा कभी नहीं चाहा,,,,,,,,,,,,मैं हमेशा तुम दोनों को साथ देखना चाहती हूँ।”,सौंदर्या ने कहा तो मीरा उनके सीने से सर लगाकर रोने लगी और रोते हुए कहा,”वो हम से नफरत करते है भुआजी , वो हम से नफरत करते है। अक्षत मीरा अब कभी साथ नहीं हो सकते,,,,,,,,,,,,कभी साथ नहीं हो सकते।”
वरुण से ये सब देखा नहीं गया तो वो वहा से चला गया।

मीरा को अपने सीने से लगाये उसका सर सहलाते हुए सौंदर्या मन ही मन खुद से कहने लगी,”चलो शुक्र है जो काम मुझे करना था वो अक्षत व्यास ने खुद ही कर दिया,,,,,,,,,,,,,,,,अब मुझे तुम दोनों को अलग करने के लिये मेहनत नहीं करनी पड़ेगी बस अक्षत ने नफरत की जो आग लगाई है वक्त वक्त पर उसमे बस पेट्रोल डालना होगा,,,,,,,,,,,,,मुझे माफ़ करना मीरा लेकिन अपने सुख के लिये मुझे तुम्हे थोड़ा दुःख देना ही होगा,,,,,,,,,,,आखिर मैं तुम्हारी अपनी जो हूँ।”
कहते हुए सौंदर्या के होंठो पर जहरीली मुस्कान तैर गयी। 

अक्षत के हाथ पर प्लास्टर लगा डॉक्टर ने उसे कुछ दवाईया दी और आराम करने को कहा। सभी अक्षत को लेकर घर चले आये। राधा ने अक्षत को देखा तो दौड़कर उसके पास आयी और उसे गले लगाकर रो पड़ी लेकिन अक्षत ने कोई प्रतिक्रया नहीं दी। राधा ने उसके हाथ को देखा और परेशान होकर कहा,”ये सब कैसे हुआ ?”
“माँ वो एक छोटा सा फ्रेक्चर है कुछ दिनों में ठीक हो जायेगा।”,अर्जुन ने कहा
अक्षत वहा से जाने लगा तो राधा ने कहा,”तू कहा जा रहा है ?”
“माँ जाने दीजिये , उसे अभी आराम की जरुरत है।”,अर्जुन ने राधा से कहा


अक्षत सीढ़ियों से होकर अपने कमरे में चला गया। सभी घरवाले हॉल में आ बैठे , सबके चेहरे उतरे हुए थे किसी के चेहरे पर न हंसी थी ना ख़ुशी,,,,,,,,,,,,,आँखों में बस एक खौफ था कि कब कुछ बुरा सुनने को मिल जाये। दादू ने विजय जी को गुरूजी से मिलने को कहा तो विजय जी गाड़ी लेकर उनसे मिलने निकल गए। ऐसे हालातो में अर्जुन का ऑफिस जाने का मन नहीं था इसलिए वह घर पर ही रुक गया। पुलिस स्टेशन के बाहर जो तमाशा हुआ उस बारे में सोमित जीजू ने घर में किसी को नहीं बताया।

सुबह का अपने कमरे में गया अक्षत न खाना खाने नीचे आया ना ही किसी ने उस से मिलने की हिम्मत की। उसी शाम अक्षत का फोन बजा। फोन की रिंग से अक्षत की नींद खुल गयी। उसने अपना फोन देखा किसी अननोन नंबर से फोन था। अक्षत ने फोन उठाया और कान से लगा लिया। दूसरी तरफ से एक जानी पहचानी आवाज उसके कानो में पड़ी,”हेलो मिस्टर व्यास,,,,,,,,,,,,,कल की रात हवालात में कैसी कटी ?”


आवाज सुनकर अक्षत उठा और फोन कान से लगाए कमरे की खिड़की के पास चला आया और कहा,”मुझ पर नजर रखने का बहुत शौक है ना तुम्हे,,,,,,,,,,,लेकिन याद रखना ये शौक मैं बहुत जल्दी खत्म करूंगा।”
“मिस्टर व्यास मैं सब पर नजर रखता हूँ तुम पर भी और तुम्हारी,,,,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह कौनसा परफ्यूम था वो हाँ “इसकेड डिजायर” ,,, काफी मदहोश करने वाली खुशबु है इस परफ्यूम की”,आदमी ने कहा
अक्षत ने जैसे ही परफ्यूम का नाम सुना उसे याद आया ये परफ्यूम तो हमेशा मीरा लगाती है।

आदमी मीरा के इतना करीब आया सोचकर ही अक्षत का खून खौल उठा उसने गुस्से से दांत पीसते हुए कहा,”यू बास्टर्ड ! अगर तुमने मीरा का करीब जाने की कोशिश भी की तो मैं तुम्हारी जान ले लूंगा”
आदमी हसने लगा और कहा,”तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन मैं तुम्हारा बहुत कुछ बिगाड़ सकता हूँ।”
कहकर आदमी ने फोन काट दिया , गुस्से में आकर अक्षत ने अपना फोन फेंक दिया। गनीमत था फोन बिस्तर पर ही गिरा था।

अक्षत बाथरूम में आया और मुंह धोकर शीशे में खुद को देखने लगा। हलकी बढ़ी हुई दाढ़ी , ना सोने की वजह से आँखों के नीचे काले घेरे , मुरझाया हुआ चेहरा और सूखे होंठ,,,,,,,,,,,,,क्या हो गया था अक्षत इन दिनों,,,,,,,,,,,,,हमेशा टिपटॉप रहने वाले अक्षत को इन दिनों अपनी कोई खबर नहीं थी। उसके कानो में बार बार आदमी की कही बात गूंज थी साथ ही परफ्यूम का नाम जो मीरा इस्तेमाल करती थी। अक्षत को कुछ याद हो ना हो लेकिन मीरा से जुडी हर छोटी से छोटी बात को वह याद रखता था।

सुबह ही उसने मीरा से नफरत का ऐलान किया था और शाम होते होते अक्षत की नफरत फिर परवाह में बदलने लगी वह चाहकर भी मीरा से नफरत नहीं कर पा रहा था।
अक्षत बाथरूम से बाहर आया। उस आदमी का टारगेट अब मीरा है सोचकर उसके बारे में पता लगाने के बारे में सोचने लगा लेकिन कैसे ? आखिर कैसे ढूंढे वो जिसका ना कोई नाम है ना कोई चेहरा , बस एक आवाज है जिसके जरिये अक्षत उस तक नहीं पहुँच सकता ये बात अक्षत भी जानता था लेकिन उसे कैसे भी करके मीरा को उस आदमी से बचाना था।

दोपहर से अखिलेश अपने केबिन में कुछ ढूंढ रहा था और ना मिलने पर काफी परेशान भी था। अखिलेश ने पुरे केबिन को छान मारा लेकिन उसे वो नहीं मिला जो उसे चाहिए था। चाइल्ड होम में काम करने वाली स्टाफ गौरी ने देखा तो कहा,”क्या बात है अखिलेश जी आप कुछ परेशान नजर आ रहे है ? आप कुछ ढूंढ रहे है क्या ?”
“हाँ मेरा एक पेन था जो मुझे मिल नहीं रहा है। पता नहीं मैं उसे कही रखकर भूल गया हूँ।”,अखिलेश ने परेशानी भरे स्वर में कहा


“अरे अखिलेश जी एक पेन के लिये आप इतना परेशान हो रहे है। मार्किट से दुसरा ले लीजियेगा।”,गौरी ने हँसते हुए कहा
अखिलेश गौरी के सामने आया और गंभीरता से कहा,”वो कोई मामूली पेन नहीं है , बहुत कीमती है।”
“ऐसा क्या है उस पेन में ?”,गौरी भी अब गंभीर हो चुकी थी
 अखिलेश ने गौरी की तरफ देखा और कहा,”वो पेन मुझे मीरा मैडम से मिला था , और उस पेन को मैं कभी खुद से दूर नहीं करता “

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