Haan Ye Mohabbat Hai – 31
मीरा सौंदर्या के लिये पानी लेने चली गयी और मौका देखकर सौंदर्या ICU में चली आयी। नर्स को वहा देखकर सौंदर्या साइड में हो गयी और उसके जाने का इंतजार करने लगी। नर्स अपना काम ख़त्म कर साइड में चली गयी और पेशेंट फाइल देखने लगी। सौंदर्या दबे पाँव छुपते छुपाते अमर जी के बिस्तर की तरफ आयी गनीमत था बिस्तर के चारो ओर पर्दा लगा था जिस से नर्स सौंदर्या को देख नहीं पायी। सौंदर्या अमर जी के बगल में आकर खड़ी हो गयी और धीरे से कहा,”कैसे है भाईसाहब ?”
सौंदर्या को वहा देखकर अमर जी की आँखों में भय दिखाई देने लगा। वे बोल नहीं सकते थे ना ही इस वक्त कोई हरकत कर सकते थे। वे बस खाली आँखों से सौंदर्या को देखे जा रहे थे और उनका दिल किसी अनहोनी के ख्याल से धड़क रहा था। सौंदर्या अदा के साथ मुस्कुराई और अमर जी की तरफ झुककर धीरे से कहा,”आपको यहाँ तक पहुँचाने में कितनी मेहनत लगी है ये आप क्या जाने भाईसाहब ,, मैंने आपको अपना भाई समझा और आपने क्या किया ? आपने अपनी सारी जमा पूंजी अपनी बेटी मीरा और उस घमंडी दामाद के नाम कर दी,,,,,,,,,,,,,
मुझे एक कौड़ी तक नहीं दी ,, बचा वो अजमेर वाला महल तो वो भी अपनी उस नातिन के नाम कर दिया जिसने ठीक से बोलना तक नहीं सीखा था। खैर वो तो भगवान् के पास जा चुकी है क्यों ना आप भी ऊपर जाकर अपनी नातिन से मिल ले ?”
सौंदर्या की बात सुनकर अमर जी की आँखे फ़ैल गयी। उन्हें समझते देर नहीं लगी कि उनका किडनेप कर उन्हें इस हाल में पहुँचाने वाला कोई और नहीं बल्कि उनकी अपनी सगी बहन थी जिसने उनकी जायदाद के लिये ये सब किया।
सच्चाई जानकर अमर को बहुत दुःख हुआ लेकिन वे इतने मजबूर थे कि अपना दुःख भी जाहिर नहीं कर पाए बस ख़ामोशी से बिस्तर पर लेटे सौंदर्या को देखते रहे। जिस बहन ने अब तक उनकी कलाई पर राखी बांधी थी आज वही बहन उनकी जान लेने की बात कर रही थी। अमर जी ने अपना हाथ उठाने की कोशिश की लेकिन उन हाथो में जान नहीं थी। बोलने की कोशिश की लेकिन जुबान ने साथ नहीं दिया , वे बस अपनी पलकें झपका सकते थे।
सौंदर्या ने देखा अमर जी कुछ कहना चाहते है तो वह मुस्कुरायी और वेंटिलेटर मशीन का तार प्लग से निकाल दिया। अमर जी की सांसे उखड़ने लगी वे ठीक से साँस नहीं ले पा रहे थे। सौंदर्या उनके करीब आयी और कहा,”अब ऊपर जाकर सफाई भगवान को देना,,,,,,,,,,,,!!”
अपने ही भाई के साथ ऐसा करते हुए सौंदर्या को ज़रा भी दया नहीं आयी। आशुतोष के बुलाने पर नर्स icu से जा चुकी थी उसे पता भी नहीं था कि सौंदर्या अंदर है। मीरा पानी लेकर आयी लेकिन सौंदर्या को बेंच पर ना पाकर वह परेशान हो गयी और उन्हें यहाँ वहा ढूंढने लगी। सौंदर्या गुस्से और नफरत भरी नजरो से अमर जी को देखे जा रही थी और उनकी सांसे उखड़ रही थी। किसी के आने की आहट सुनकर सौंदर्या घबराई और परदे के पीछे छुप गयी।
हाँफते हुए अक्षत अंदर आया और अमर जी के बिस्तर के पास आया। अक्षत ने जब अमर जी की सांसो को उखड़ते देखा तो वह जल्दी से उनके पास आया और उन्हें सम्हालते हुए कहा,”घबराईये मत पापा मैं आ गया हूँ , आपको कुछ नहीं होगा”
अक्षत अमर जी को ऐसी हालत में देखकर खुद इतना घबरा गया कि उसे ख्याल ही नहीं आया अमर जी जिस वेंटिलेटर मशीन पर है वो मशीन बंद है। अक्षत बस उन्हें सम्हालने की कोशिश कर रहा था।
जब अमर जी कि आँखे बंद होने लगी तो अक्षत का ध्यान बंद मशीन की तरफ गया उसने अमर जी को छोड़ा और मशीन की तरफ आया। अक्षत ने देखा मशीन का तार निकला पड़ा है उसने उस तार को उठाया। मौका देखकर सौंदर्या परदे से बाहर निकली और ऐसे दिखाया जैसे वह अभी अभी ICU में आयी है।
अक्षत को वहा देखकर सौंदर्या ने कहा,”तुम ? तुम यहाँ कैसे आये और ये क्या कर रहे हो तुम ?”
“मैंने कुछ नहीं किया है , मैं जब यहाँ आया तब मशीन का ये तार निकला हुआ था।”,अक्षत ने हैरानी से कहा
“झूठ , झूठ कह रहे हो तुम ,, तुमने ही ये तार निकाला होगा ,, तुम तुम मेरे भाई को मारना चाहते हो। तुम मीरा के पापा को मारना चाहते हो ताकि वो मीरा अनाथ हो जाये और हमेशा हमेशा के लिये तुम्हारे पास वापस आ जाये,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने नफरत से कहा
“आप मुझे गलत,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने कहा लेकिन सौंदर्या ने उसकी बात सुने बिना ही चिल्लाना शुरू कर दिया,”मीरा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,डॉक्टर,,,,,,,,,,,,,,,मीरा,,,,,,,,,,,,देखो भाईसाहब को क्या हो गया है ? मीरा,,,,,,,,,,,,!!”
सौंदर्या को ढूंढते हुए मीरा जैसे ही ICU के बाहर आयी सौंदर्या के चिल्लाने की आवाज सुनकर उसने पानी का बोतल फेंका और दौड़कर अंदर आयी। मीरा के पीछे पीछे नर्स और डॉक्टर भी आया।
“क्या हुआ भुआजी आप चिल्लाई क्यों ? पापा,,,,,,,,,,,,,,,पापा , पापा क्या हुआ आपको ? पापा,,,,,,,,,,,,,,,डॉक्टर , डॉक्टर,,,,,,,,,!!”,मीरा ने आकर सौंदर्या से पूछा लेकिन जैसे ही नजर अमर जी पर पड़ी तो वह उनकी और लपकी।
अपने पापा की उखड़ती सांसो और बंद पड़ती आँखों को देखकर मीरा इतना घबरा गयी कि वहा खड़े अक्षत पर उसका ध्यान ही नहीं गया।
मीरा की आवाज सुनकर नर्स और डॉक्टर दौड़े चले आये
आशुतोष ने मीरा को साइड किया और तुरंत अमर जी को सम्हाला। नर्स ने जब अक्षत के हाथ में वेंटिलेटर का तार देखा तो गुस्से से कहा,”ये क्या किया आपने ? आपने मशीन का तार निकाल दिया , आप पेशेंट को मारना चाहते है क्या ?”
मीरा ने जैसे ही सूना उसने अक्षत की तरफ देखा। अक्षत को वहा देखकर मीरा हैरान भी थी और उसके हाथ में वेंटिलेटर का तार देखकर परेशान भी।
मीरा अक्षत से या अक्षत मीरा से कुछ कहता इस से पहले ही सौंदर्या भुआ उसके पास आयी और कहा,”देखो ना मीरा भाईसाहब को क्या हो गया है ? अगर मैं सही वक्त पर यहाँ नहीं आती तो आज अनर्थ हो जाता , मैंने कभी सोचा नहीं था दामाद जी भाईसाहब की जान,,,,,,,,,,,,,,,छी ! मुझे तो कहते हुए भी शर्म आ रही है।”
मीरा ने सूना तो उसने गुस्से और तकलीफ से भरे भावो के साथ अक्षत को देखा। जब उसे पता चला अक्षत ने मशीन का तार हटाया है तो उसका गुस्सा और तकलीफ नफरत में बदल गयी। अक्षत उसके पापा की जान लेना चाहता है सोचकर ही मीरा का दिल टूट गया वह गुस्से से अक्षत के सामने आयी।
“मीरा मैंने,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने इतना ही कहा कि एक तेज तर्रार थप्पड़ आकर अक्षत के गाल पर लगा। ये थप्पड़ मीरा ने मारा था।
गुस्से और दर्द से मीरा काँप रही थी लेकिन उसकी आँखों में इस वक्त अक्षत के लिये सिर्फ नफरत नजर आ रही थी। वह आगे कुछ बोल ही नहीं पाया और मीरा के पीछे खड़ी सौंदर्या मुस्कुरा दी।
“मीरा,,,,,,,,,!!”,हिम्मत करके अक्षत ने फिर कहने की कोशिश की लेकिन इस बार फिर उसके दूसरे गाल पर आकर एक थप्पड़ लगा जो कि पहले वाले से भी तेज था। मीरा ने गुस्से से अक्षत को देखा और कहा,”बस अक्षत जी , बस,,,,,,,,,,,,,,हमने कभी सोचा नहीं था आप इतनी नीच हरकत करेंगे। अपने गुस्से में आप इतना गिर गए कि आपने हमारे पापा की जान लेने की कोशिश की। पापा ने तो आपको अपना बेटा माना था अक्षत जी फिर आपने उनके साथ ऐसा क्यों किया ?
क्यों किया आपने ऐसा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आखिर और कितने लोगो की जान लेंगे आप ? अगर भुआजी सही वक्त पर नहीं आती तो आज आपकी वजह से हम अपने पापा को खो चुके होते। हम सोच भी नहीं सकते आप ऐसा करेंगे,,,,,,,,,,,,आप मारना चाहते है ना तो लीजिये मार दीजिये हमे और पा लीजिये सुकून ,, हमे मारने से शायद आपकी नफरत थोड़ी कम हो जाये।”
कहते हुए मीरा अक्षत के करीब आयी और उसके दोनों हाथो को पकड़कर अपनी गर्दन पर रख दिया।
मीरा नफरत और गुस्से से अक्षत को देखे जा रही थी और अक्षत ख़ामोशी से मीरा को , उसे इस बात का दुःख नहीं था कि मीरा ने उसे दो थप्पड़ मारे बल्कि दुःख इस बात का था कि मीरा ने उसे गलत समझ लिया , उसे अपनी सफाई में कहने का मौका तक नहीं दिया। अक्षत का दिल टूट कर बिखर चुका था ,, उसकी आँखों में आँसू ठहरे हुए थे जो किसी भी वक्त बह सकते थे और उसके हाथ काँप रहे थे।
अमर जी का इलाज जारी था डॉक्टर आशुतोष ने मीरा को अक्षत पर गुस्सा करते देखा तो नर्स से कहा,”नर्स इन्हे बाहर लेकर जाईये पेशेंट की हालत अभी बहुत नाजुक है।”
“चलिए चलिए आप बाहर चलकर बैठिये,,,,,,,,,,,,,,,,आप लोगो को अंदर किसने आने दिया ?”,नर्स ने सौंदर्या और अक्षत मीरा से कहा।
डॉक्टर की बात सुनकर अक्षत ने मीरा के गले से अपने हाथ हटाए और बिना कुछ कहे वहा से चला गया।
मीरा जोर जोर से रोने लगी सौंदर्या ने उसे सम्हाला और बाहर ले आयी। बाहर आकर सौंदर्या ने देखा अक्षत वहा नहीं है। उन्होंने मीरा को बेंच पर बैठाया तब तक वरुण वहा आ गया और मीरा को रोते देखकर कहा,”दी को क्या हुआ ये रो क्यों रही है ?”
सौंदर्या ने वरुण को सारी बाते बता दी और कुछ बातें बढ़ा-चढ़ाकर भी। वरुण ने सूना तो उसे अपने कानो पर यकीन नहीं हुआ। वह घुटनो के बल मीरा के सामने बैठा और कहा,”दी , दी चुप हो जाईये,,,,,,,,,,,अक्षत जीजू ऐसा नहीं कर सकते , आपको जरूर कोई ग़लतफ़हमी हुई है दी वो ताऊजी के साथ ऐसा कभी नहीं कर सकते दी”
“कोई ग़लतफ़हमी नहीं हुई है वरुण , मैंने खुद अपनी आँखों से देखा है। अक्षत ने ही वेंटिलेटर के तार को हटाया और जब मैं वहा पहुंची तो,,,,,,,,,,,,,,,,अगर मैं वक्त पर नहीं पहुँचती तो आज हमने भाईसाहब को,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए सौंदर्या रो पड़ी
वरुण को अब भी सौंदर्या की बातो पर विश्वास नहीं हो रहा था इसलिए उसने मीरा से कहा,”नहीं दी , मैं मान ही नहीं सकता अक्षत जीजू ऐसा कुछ कर सकते है। वो ऐसा नहीं कर सकते,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“वो ऐसा कर सकते है वरुण,,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने वरुण की तरफ देखकर रोते हुए कहा
वरुण ख़ामोशी से मीरा को देखने लगा तो मीरा ने आगे कहा,”वो कर सकते है,,,,,,,,,,,,,,,तुम उनका गुस्सा नहीं जानते वरुण गुस्से और जिद में वो सब भूल जाते है। अपने गुस्से और जिद की वजह से उन्होंने हमारी बेटी को खो दिया। गुस्से में उन्होंने हमे घर से जाने को कह दिया और आज उसी गुस्से के चलते उन्होंने पापा की जान,,,,,,,,,,,,,,,,हमने कभी सोचा नहीं था वो ऐसा करेंगे,,,,,,,,,आखिर हमारे पापा ने उनका क्या बिगाड़ा था ?”
“दी शांत हो जाईये,,,,,,,,,,,हम सब है ना यहाँ कुछ नहीं होगा ताऊजी को,,,,,,,!!”,वरुण ने मीरा को गले लगाते हुए कहा। सौंदर्या भी मीरा के पास चली आयी लेकिन मन ही मन उसे तसल्ली हुई कि आज वह अक्षत की वजह से बच गयी वरना उसका सारा खेल बिगड़ जाता।
दिवार की ओट खड़ा अक्षत मीरा की बातें सुन रहा था। उसका कहा एक एक शब्द अक्षत का कलेजा काटने के लिये काफी था। अब तक जिन आँसुओ को उसने अपनी आँखों में रोक रखा था वे गालो पर लुढ़क आये और अक्षत वहा से लिफ्ट की तरफ बढ़ गया। उसकी आँखों के सामने बस मीरा का चेहरा आ रहा था। मीरा का थप्पड़ मारना और उसकी आँखों में जो नफरत थी वो बार बार अक्षत के जहन में चल रही थी।
अक्षत धीमे कदमो से लिफ्ट की और बढ़ रहा था तभी लिफ्ट से निकलकर सफ़ेद एप्रेन पहने और गले में स्टेथोस्कॉप लगाए एक दाढ़ी बढ़ा आदमी निकलकर आया। वह बिल्कुल अक्षत के सीध में चला रहा था लेकिन अक्षत का ध्यान उस पर नहीं गया। आदमी की आँखों में एक अलग ही किस्म का डर था और उसकी चाल में भी एक कम्पन्न था। आदमी जैसे ही अक्षत के बगल से निकला अक्षत ने उसकी कलाई पकड़कर उसे रोक लिया।
आदमी पहले से ज्यादा घबरा गया लेकिन अपने डर को चेहरे पर नहीं आने दिया। अक्षत के जहन में एकदम से फोन कॉल वाले अजनबी की कही बात आयी और वह आदमी की तरफ पलटा।
अक्षत को देखकर आदमी घबरा गया तो अक्षत ने कहा,”नाम क्या है ?”
आदमी कुछ बोल नहीं पाया , हड़बड़ाहट में वह बस इतना ही कह पाया,”डॉक्टर,,,,,,,,,,,,,,,डॉक्टर,,,,,,,,,,,,,,,अरे हट”
कहते हुए आदमी ने अपना हाथ छुड़ाकर अक्षत को एकदम से पीछे धक्का दे दिया और वहा से भागने लगा।
भागते हुए उसके जेब से खंजर निकलकर बाहर गिरा तो अक्षत को समझते देर नहीं लगी ये वही आदमी था जिसे अजनबी ने भेजा है। अक्षत उसके पीछे भागा। सीढ़ियों से होते हुए आदमी तेजी से लॉबी में भागने लगा। अक्षत भी उसका पीछा करने लगा। आदमी भागते हुए हॉस्पिटल से बाहर निकल गया लेकिन सड़क किनारे आते ही अक्षत ने उसे धर लिया और एक घुसा दे मारा। अक्षत के एक घुसा मारने से आदमी नीचे जा गिरा।
अक्षत उसके पास आया उसकी कोलर पकड़कर उसे उठाया और गुस्से से कहा,”किसने भेजा है तुझे ? बोल किसने भेजा है ?”
आदमी ने कुछ नहीं कहा तो अक्षत ने उसके मुंह पर दो तीन घुसे और जड़ दिए। आदमी के मुँह से खून निकलने लगा और उसने कहा,”बताता हूँ , बताता हूँ,,,,,,,,,,!!”
अक्षत ने उसे आगे नहीं मारा और उसके जवाब का इंतजार करने लगा। आदमी ने मौका देखकर अक्षत को धक्का देकर खुद को छुड़ाया और जैसे ही भागने के लिये मुड़ा
साइड से आती ट्रक ने उसे जोरदार टक्कर मारी और वह हवा में उछलकर कुछ दूर जा गिरा। टक्कर इतनी जोर की थी कि आदमी की मोके पर ही मौत हो गयी। अक्षत ने देखा तो जोर से अपना पैर पटका। ये आदमी उसे उस अजनबी तक पहुंचा सकता था लेकिन अक्षत उस से कुछ जान पाता इस से पहले ही उसकी मौत हो गयी। आदमी की बॉडी के पास भीड़ जमा हो गयी। अक्षत जैसे ही जाने लगा फोन बजने की आवाज उसके कानों में पड़ी।
अक्षत ने इधर उधर देखा तो नीचे जमीन पर पड़े फोन पर उसकी नजर गयी। अक्षत ने उसे उठाया और उठाकर कान से लगा लिया लेकिन कहा कुछ भी नहीं।
“ख़त्म कर दिया उसे ,, अक्षत व्यास के पहुँचने तक वो ख़त्म हो जाना चाहिए”,दूसरी तरफ से जानी पहचानी आवाज उभरी
“काश मेरे पहुँचने से पहले तेरे आदमी ने उन्हें ख़त्म कर दिया होता,,,,,,,,,,,,,लेकिन अफ़सोस उन्हें तो वह छू भी नहीं पाया और उनके हिस्से की मौत खुद मर गया।”,अक्षत ने गुस्से से लेकिन धीमे स्वर में कहा
अपने आदमी की जगह अक्षत की आवाज सुनकर आदमी थोड़ा हैरान हुआ और कहा,”अक्षत व्यास,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे क्या लगता है इस फोन के जरिये तुम मुझ तक पहुँच जाओगे,,,,,,,,,,,,,,कोशिश करके देख लो मुझसे जीत नहीं पाओगे।”
“मुझे तुम तक पहुंचना नहीं है बल्कि तुम्हारी चली हर चाल को नाकाम करना है और वो मै करूंगा,,,,,,,,,,,,,,,अकेले बहुत खेल लिया तुमने अब मुकाबला बराबर का होगा और मैं तुम्हे इस खेल में जीतने बिल्कुल नहीं दूंगा।”,अक्षत ने गुस्से से कहा
“तुम्हारी हिम्मत की मैं दाद देता हूँ अक्षत,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारे साथ खेलने में मजा आएगा”,कहकर आदमी ने फोन काट दिया।
अक्षत ने फोन जेब में रख लिया और वहा से निकल गया।
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