3Haan Ye Mohabbat Hai – 30
ICU के बाहर बैठी मीरा अपने पापा के बारे में सोच रही थी। उसका चेहरा उदासी से घिरा हुआ था और मन में कई ख्याल एक साथ चल रहे थे। बचपन में मीरा को अमर जी का प्यार और साथ नहीं मिला , जब साथ मिला तो मीरा की अक्षत से शादी हो गयी और वह हमेशा हमेशा के लिये व्यास फॅमिली में रहने लगी। अब जब वह अमर जी के साथ थी तो अमर जी इस हाल में थे कि ना मीरा उनसे मिल सकती थी ना बात कर सकती थी।
मीरा अपनी ही सोच में डूबी थी और सौंदर्या मन ही मन नयी साजिश रच रही थी जिसका अंदाजा मीरा को नहीं था। कुछ देर बाद डॉक्टर मेहता और डॉक्टर आशुतोष ICU की तरफ आये। मीरा ने उन्हें देखा तो वह जल्दी से उठकर उनके पास आयी और कहा,”डॉक्टर ! क्या हम एक बार अपने पापा को करीब से देख सकते है ? प्लीज डॉक्टर हमे एक बार उनसे मिलने दीजिये प्लीज”
मीरा का उदास चेहरा और आँखों में नमी देखकर डॉक्टर मेहता ने डॉक्टर आशुतोष को देखकर अपनी पलकें झपका दी।
“ठीक है आप मेरे साथ आईये”,डॉक्टर आशुतोष ने कहा
“थैंक्यू डॉक्टर”,मीरा ने डॉक्टर मेहता से कहा और icu के अंदर चली गयी।
नर्स ने मीरा को अंदर देखकर जैसे ही कुछ कहना चाहा डॉक्टर आशुतोष ने हाथ दिखाकर उन्हें रोक दिया। नर्स हाथ बांधकर साइड खड़ी हो गयी। मीरा अमर जी की तरफ आयी।
मशीनों से घिरे अमर जी को देखकर मीरा का दिल धड़कने लगा और आँखों में आँसू भर आये। वह बिस्तर के बगल में पड़ी कुर्सी पर आ बैठी। उसने अमर जी के ठन्डे हाथ को अपने नाजुक हाथो में लिया और अपने सर से लगाकर सुबकने लगी। अमर जी को इस हाल में देखना मीरा को बहुत तकलीफ दे रहा था। मीरा के गर्म आँसू अमर जी के हाथ को भिगाते रहे। मीरा ने उनके हाथ को अपने दोनों हाथो के बीच कसकर थाम लिया और कहने लगी,”हमने कभी सोचा नहीं था पापा हम आपको कभी इन हालातो में भी देखेंगे,,,,,,,,,,,
ना जाने महादेव कौनसी परीक्षा ले रहे है हमारी , उन्होंने हमसे हमारी बेटी को छीन लिया , अक्षत जी को हम से दूर कर दिया और अब आप , आज आप जिंदगी और मौत से झुंझ रहे है ,, आखिर ये कैसा न्याय है मेरे देव का ? अपना कहने के लिये हमारे पास अब कोई नहीं है पापा , कोई नहीं है। आपको कुछ नहीं हुआ है , हम जानते है आपको कुछ नहीं हुआ है आप , आप ठीक हो जायेंगे , हमे आपकी जरूरत है पापा , हमे आपकी जरूरत है”
कहते हुए मीरा एक बार फिर अमर जी का हाथ अपने ललाट से लगाकर रो पड़ी
बिस्तर पर लेटे अमर जी मीरा की सब बातें सुन सकते थे लेकिन ना वो कुछ बोल सकते थे ना ही उनके हाथो में इतनी जान थी कि वो मीरा के आँसुओ को पोछ सके। वे बस बेबसी से मीरा को रोते बिलखते देखते रहे। अमर जी का पूरा शरीर पैरालाइज हो चुका था बस महादेव की कृपा से वो अभी भी सब देख और महसूस कर सकते थे। रोते रोते मीरा के हाथ से एकदम से अमर जी का हाथ छूट गया और बिस्तर पर आ गिरा। ये देखकर मीरा को हैरानी हुई उसने डॉक्टर आशुतोष की तरफ देखा और कहा,”डॉक्टर ये पापा,,,,,,,,,,,!!”
आशुतोष ने मीरा की तरफ देखा और अफ़सोस भरे स्वर में कहा,”आई ऍम सॉरी मिसेज व्यास , एक्सीडेंट की वजह से अमर जी का पूरा शरीर पैरालाइज हो चुका है। वे सब सुन सकते है , देख सकते है लेकिन बोल नहीं सकते ,, ना ही उनकी बॉडी किसी तरह की एक्टिविटी कर सकती है। अगर समय समय इनका ट्रीटमेंट और दवाये जारी रही तो ये पहले जैसे हो सकते है।”
डॉक्टर आशुतोष की बात सुनकर मीरा के पैरो के नीचे से जैसे जमीन खिसक गयी।
अपने पापा को इस हालत में देखकर मीरा का दिल तकलीफ से भर उठा उसने अमर जी की तरफ देखा तो पाया कि वे उसे ही देख रहे है लेकिन कुछ बोल नहीं रहे। मीरा की आँखों से आँसू बहने लगे। अमर जी के साथ जो हुआ उसे मीरा स्वीकार ही नहीं कर पा रही थी। वहा बैठना मीरा के दिल को तकलीफ पहुंचा रहा था इसलिए वह उठी और तेजी से ICU से बाहर चली गयी। अमर जी मीरा को जाते हुए देखते रहे वे बोलना चाहते थे लेकिन उनकी जुबान ने उनका साथ नहीं दिया।
उनका दिमाग काम कर रहा था लेकिन शरीर नहीं , खुद को इतना बेबस और लाचार पाकर अमर जी ने अपनी आँखे मूंद ली आँसू की एक बूंद आँखों से निकलकर कनपटी से रिसते हुए बिस्तर पर आ गिरी
रोते हुए मीरा icu से बाहर आयी सौंदर्या ने जब मीरा को रोते देखा तो कहा,”मीरा क्या हुआ तुम्हे ? तुम रो क्यों रही हो ? भाईसाहब से मिली ना तुम , कैसे है वो ? तुम्हे देखते ही खुश हो गए होंगे,,,,,,,,,,,,बताओ ना मीरा चुप क्यों हो ?”
“पापा इतने बुरे हालातो में है ये बात हमे किसी ने बताई क्यों नहीं ? वो इतने मजबूर और लाचार हो चुके है कि ना वो कुछ बोल सकते है ना कुछ महसूस कर सकते है।
महादेव ये कैसी परीक्षा ले रहे है हमारी भुआजी , वो क्यों हमे एक के बाद एक इतने जख्म दिए जा रहे है।”,मीरा ने रोते हुए कहा
सौंदर्या ने मीरा को वहा पड़ी बेंच पर बैठाया और उसका सर सहलाते हुए कहने लगी,”चुप हो जाओ मीरा , होनी को कौन टाल सकता है ? भाईसाहब भले ही इन हालातों में है लेकिन कम से कम वो हमारे साथ है मीरा और डॉक्टर ने कहा है हमारी देखभाल और दवाईयों से वो ठीक हो जायेंगे। तुम्हे अपने महादेव पर भरोसा है ना मीरा तो वो तुम्हारे साथ कुछ गलत नहीं करेंगे।”
सौंदर्या की बातें सुनकर मीरा को कुछ तसल्ली मिली उसने अपना सर मीरा के कंधे पर टिका लिया और कहने लगी,”हमे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है भुआजी , हम नहीं समझ पा रहे है हम ये सब कैसे ठीक करे ? ऐसा लगता है जैसे कुछ बहुत बुरा होने वाला है,,,,,,,,,,,,,,बहुत बुरा”
“मीरा,,,,,,,,,,,,,,,,ऐसा नहीं कहते बेटा , तुम्हारा दिमाग इस वक्त थका हुआ है इसलिये तुम ये सब सोच रही हो। कुछ नहीं होगा भाईसाहब को”,सौंदर्या ने कहा लेकिन किसी अनहोनी के डर से उसका दिल काँप रहा था।
ICU से निकलकर आशुतोष अपने केबिन में चला गया। अमर जी की देखभाल करने के लिये नर्स वहा मौजूद थी और अपना काम कर रही थी। मशीनों से घिरे अमर जी उस मनहूस रात के बारे में सोच रहे थे जब उनका एक्सीडेंट हुआ था। वे नहीं जानते थे उनका एक्सीडेंट करने वाला कोई और नहीं बल्कि उनकी अपनी बहन सौंदर्या थी। नर्स ने आकर ड्रिप चेंज किया और इंजेक्शन लगा दिया। नींद अमर जी की आँखों से कोसो दूर थी।
अपने केबिन में आशुतोष पेशेंट्स की फाइल देख रहा था तभी उसका फोन बजा। स्क्रीन पर नंबर देखकर आशुतोष के माथे पर परेशानी के बल पड़ गए। उसने फ़ोन उठाया और कहा,”अब तुम क्या चाहते हो ?”
“मेरा एक आदमी आएगा उसे बिना किसी पूछताछ के ICU में जाने देना , 5 मिनिट में वो अपना काम ख़त्म करके वापस आ जायेगा।”,दूसरी तरफ से आदमी ने कहा
“तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या ? आखिर तुम करना क्या चाहते हो ? कही तुम उनकी जान लेने के बारे में तो नहीं सोच रहे ?”,डॉक्टर आशुतोष ने गुस्से से कहा
“अह्ह्ह्ह तुम कितने समझदार हो , मेरे बिना कहे सब समझ गए , मेरे आदमी को कोपरेट करो डॉक्टर वरना तुम जानते हो मैं क्या कर सकता हूँ ?”,आदमी ने फोन पर धमकी देते हुए कहा
“तुम पागल हो गए हो , जब वो मरने वाला था तब तुमने उसे बचाने को कहा और अब जब वो जिन्दा है तो तुम उसे फिर मारना चाहते हो। क्या तुम होश में हो ?”,आशुतोष ने गुस्से से लेकिन धीमी आवाज में कहा
“उसका ज़िंदा रहना मेरे किसी काम नहीं आएगा लेकिन हाँ उसकी मौत मेरा फायदा करवा सकती है। मार दो उसे”,आदमी ने सख्त स्वर में कहा
“तुम इंसान हो या शैतान ? क्या तुम्हारी नजर में किसी की जान की कोई कीमत नहीं है ?”,डॉक्टर आशुतोष ने तकलीफ भरे स्वर में कहा
“तुम तो इमोशनल हो गए डॉक्टर,,,,,,,,,,,,अगर मैं मीडिआ में ये बता दू कि सिंघानिया से लाखो लेकर तुमने छवि दीक्षित केस की नकली रिपोर्ट बनायीं है तो तुम्हारा हॉस्पिटल बंद हो जाएगा और तुम्हारी डॉक्टरी तो खतरे में आ जाएगी और तुम बहुत अच्छे से जानते हो ये करने में मुझे कितना मजा आयेगा।”,आदमी ने डॉक्टर आशुतोष को धमकाते हुए कहा
आदमी की बात सुनकर डॉक्टर आशुतोष चिंता में पड़ गए।
कुछ महीनो पहले ही उनसे एक बहुत बड़ी गलती हुयी थी और वो थी छवि दीक्षित केस में सिंघानिया जी से लाखो लेकर रोबिन की झूठी रिपोर्ट बनाना जिस से कोर्ट में ये साबित हो सके कि छवि का रेप रोबिन ने किया है। आशुतोष को खामोश देखकर आदमी ने कहा,”तो मैं तुम्हारी ना समझू डॉक्टर ?”
“नहीं , नहीं , तुम जो कहोगे मैं करूंगा प्लीज”,आशुतोष ने घबरा कर कहा
“गुड , मेरा आदमी बस पहुंचता ही होगा।”,कहकर आदमी ने फोन काट दिया।
परेशान सा आशुतोष अपनी कुर्सी पर आ बैठा और अपना सर पकड़ लिया
चित्रा सचिन के साथ छवि के घर पहुंची। छवि घर में ही थी लेकिन माधवी जी घर का सामान लेने बाहर गयी हुई थी। चित्रा को अपने घर के दरवाजे पर देखकर छवि ने कहा,”अरे आप ! आईये ना।”
छवि के कहने पर चित्रा और सचिन अंदर चले आये। छवि ने उन्हें बैठे को कहा तो चित्रा ने गुस्से से लेकिन धीमी आवाज में कहा,”हम लोग यहाँ बैठने नहीं आये है चित्रा,,,,,बल्कि ये पूछने आये है कि आखिर तुमने ऐसा क्यों किया ?
तुम इस केस को रीओपन करना चाहती हो वो भी बिना अक्षत सर के,,,,,,,,,,,,अक्षत सर ने तुम्हारे लिए इस केस को लड़ा था और अपना सब कुछ खो दिया और आज उन्ही अक्षत सर को छोड़कर तुम अपना ये केस लेकर उन्ही के दुश्मन “सूर्या मित्तल” के पास चली गयी। अरे पूरा कोर्ट जानता है सूर्या मित्तल अक्षत सर से कितनी खुन्नस खाकर बैठे है और तुम उन्ही के पास मदद के लिये चली गयी।
तुमने ऐसा क्यों किया छवि ? हम सबको धोखे में क्यों रखा ?”,चित्रा ने तकलीफ और गुस्से से भरकर कहा
छवि ने सूना तो उसे अपने कानो पर यकीन नहीं हुआ , वह सोच में पड़ गयी आखिर अक्षत ने उसे ऐसे वकील के पास क्यों भेजा जिस से उनकी दुश्मनी थी। छवि ने चित्रा की तरफ देखा और कहा,”चित्रा मुझे नहीं पता था सूर्या सर,,,,,,,,,,,,,!!”
“बस करो छवि ! किसे बेवकूफ बना रही हो मुझे या खुद को,,,,,,,,,,,सब जानते है सूर्या सर अक्षत सर को कभी आगे बढ़ते नहीं देख सकते , अरे ! अक्षत सर का लायसेंस केंसल करवाने में सबसे बड़ा हाथ ही उन्ही का है और तुम उन्ही के पास अपना केस लेकर चली गयी। वो केस जिसे अक्षत सर ने शुरू किया था ,,,
अगर तुम्हे ये केस रीओपन ही करना था तो हम लोगो से कहा होता ,, हाँ मानते है हम लोगो में इतनी कबिलियत नहीं है लेकिन अक्षत सर के वापस आने तक हम इस केस को सम्हाल लेते,,,,,,,,,,,,,,,,पर तुमने भी वही किया छवि जो सबने अक्षत सर के साथ किया ,, सबने उन्हें अकेला छोड़ दिया लेकिन मैं अब भी उनके साथ हूँ , मुझे भरोसा है उन पर और उनकी वकालत पर,,,,,,,,,,,,,!!”,चित्रा ने कहते कहते मायूस हो गयी।
छवि चित्रा को बताना चाहती थी लेकिन चित्रा उसके इस फैसले से इतनी आहत थी कि उसने छवि को बोलने का मौका ही नहीं दिया। छवि की आँखों में आँसू भर आये। तभी माधवी आयी लेकिन चित्रा और सचिन को वहा देखकर उसके कदम दरवाजे पर ही ठहर गए।
चित्रा ने एक नजर छवि को देखा और कहने लगी,”क्या तुम भूल गयी छवि उसी अक्षत व्यास ने सिर्फ तुम्हे इंसाफ दिलाने के लिये अपनी बेटी की जान गवा दी ,
तुम्हे इंसाफ दिलाने के लिये उन्होंने अपनी वकालत गवा दी , तुम्हे इंसाफ दिलाने के लिये उन्होंने सब छोड़ दिया और तुमने उनके साथ क्या किया ? तुमने उनकी आखिर उम्मीद को तोड़ दिया ये केस सूर्या मित्तल को देकर,,,,,,,,,,,तुम्हारा ये फैसला तुम्हे बहुत भारी पड़ने वाला है छवि ,, तुमने जो किया है बहुत गलत किया है , तुमने अक्षत सर को ही नहीं बल्कि हम सबको शर्मिंदा किया है।”
चित्रा की बातें सुनकर छवि रोने लगी तो माधवी से रहा नहीं गया वह अंदर आयी और चित्रा की बांह पकड़कर उसे अपनी ओऱ करके गुस्से से कहा,”मेरी बेटी ने जो किया वो सही था या गलत ये कहने वाली तुम कौन होती हो ?”
माधवी को वहा देखकर चित्रा का गुस्सा एकदम से शांत हो गया और उसने कहा,”आंटी आप ? आप नहीं जानती है छवि ने क्या किया है ? इसने , इसने अपना केस रीओपन किया है और वो भी उस वकील से जो अक्षत सर का कॉम्पिटिटर है,,,,,,,,,,,,,,,आंटी समझाइये छवि को इस से वो कभी इस केस को सॉल्व नहीं कर पायेगी।”
माधवी ने सूना तो चित्रा की बांह छोड़ दी और उसकी आँखों में देखते हुए गुस्से से कहा,”जिस अक्षत व्यास की पैरवी करने तुम यहाँ आयी हो , उसी ने छवि को उस वकील से मिलने को कहा था। अब ये सवाल जाकर अक्षत व्यास से करो कि उसने ऐसा क्यों किया ?”
चित्रा ने सूना तो उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ , उसने फटी आँखों से सचिन को देखा। सचिन भी हैरान था आखिर अक्षत ने ऐसा क्यों किया ?
चित्रा ने जैसे ही कुछ बोलने के लिये मुंह खोला माधवी ने कठोरता से कहा,”बस ! बहुत बोल लिया तुमने और छवि ने सुन लिया अब एक शब्द और नहीं कहना,,,,,,,,,,,,,अरे उस पर जो बीती है उसका दर्द तुम क्या जानो ? बिना सच्चाई जाने उस से सवाल करने तुम यहाँ चली आयी , यही सवाल तुमने अपने सर से क्यों नहीं किये ? मैं छवि के साथ अक्षत व्यास से मिली थी और उन्होंने छवि से कहा कि सूर्या मित्तल से जाकर मिले ,
उसने ऐसा क्यों किया इसका जवाब अब वही तुम्हे दे सकता है। दया करके अब जाओ से यहाँ से,,,,,,,,,,,,,,,!!”
माधवी ने चित्रा के सामने अपने दोनों हाथ जोड़ दिए और फिर छवि को लेकर वहा से चली गयी।
बदहवास सी चित्रा घर से बाहर चली आयी उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि अक्षत खुद अपना केस अपने कॉम्पिटिटर को दे सकता है। उलझन से भरी चित्रा छवि के घर के बाहर आकर खड़ी हो गयी। सचिन भी उसके पीछे आया और चित्रा को परेशान देखकर कहा,”ज्यादा मत सोचो हो सकता है सर ने कुछ सोचकर ही ये फैसला किया हो।”
“मुझे अक्षत सर से मिलना है ,, अभी इसी वक्त,,,,,,,,,,,,,,,तुम उनका घर जानते हो ना , चलो मुझे वहा लेकर चलो”,चित्रा ने सचिन की बात को नजरअंदाज करके कहा
“चित्रा ! ये तुम क्या कह रही हो ? अक्षत सर ने किसी को भी मिलने से मना किया है अभी उनके घर के हालात ठीक नहीं है , तुम उनसे नहीं मिल सकती ।”,सचिन ने कहा
“मुझे उनसे मिलना है सचिन , वो हमारे साथ , छवि के साथ ऐसा कैसे कर सकते है ? उन्होंने ये केस सूर्या मित्तल को क्यों दिया मुझे बस ये जानना है ? सर नहीं जानते वो कितनी बड़ी गलती कर रहे है ,,
सूर्या सर अक्षत सर को कभी जीतने नहीं देंगे,,,,,,,,,,,मुझे उनसे मिलना है सचिन प्लीज , प्लीज मुझे उनके पास लेकर चलो ,, आई रिक्वेस्ट यू”,चित्रा ने तकलीफ से भरकर कहा
सचिन चित्रा को ना नहीं बोल पाया और उसे लेकर अक्षत के घर की ओर निकल पड़ा जो कि छवि के घर से 30 किलोमीटर दूर था।
सौंदर्या मीरा को सम्हाले बेंच पर बैठी थी कि तभी उसका फोन बजा ,स्क्रीन पर नंबर देखकर सौंदर्या ने कुछ कहा नहीं बल्कि फोन उठाकर कान से लगा लिया दूसरी तरफ से विवान सिंह की आवाज उभरी,”ख़त्म कर दो उन्हें , अब वो हमारे किसी काम के नहीं है।”
सौंदर्या ने कुछ नहीं कहा और फोन काटकर साइड में रख दिया। मीरा के होते वह ICU में कैसे जा सकती थी इसलिए उन्होंने खांसने का नाटक किया। मीरा उठी और कहा,”क्या हुआ भुआजी ? आप ठीक है ना ?”
“पानी , अचानक से साँस लेने में तकलीफ हो रही है मीरा,,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने नाटक करते हुए कहा
“आप यही रुकिए हम आपके लिये पानी लेकर आते है,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने उठते हुए कहा और वहा से चली गयी।
मीरा के जाते ही सौंदर्या के होंठो पर मुस्कान तैर गयी।
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Sanjana Kirodiwal