Haan Ye Mohabbat Hai – 100
विजय ने वहा रुकना जरुरी ना समझते हुए अर्जुन से कहा,”अर्जुन गाड़ी निकालो मैं बाहर इंतजार कर रहा हूँ।”
विजय जी वहा से चले गए अर्जुन भी उनके पीछे चला गया। सोमित जीजू ने खाँसने का नाटक किया तो अक्षत को अहसास हुआ वह मीरा से दूर हटा और राधा से कहा,”माँ घर चलते है”
“मीरा चलो आओ,,,,,,,!!”,राधा ने मीरा को अपने साथ ले जाते हुए कहा अक्षत भी जीजू के साथ चल पड़ा।
चलते चलते सोमित जीजू ने फुसफुसाते हुए अक्षत से कहा,”थोड़ा बड़ो का लिहाज शर्म भी कर लिया करो साले साहब,,,,,,,,,हम्म्म !”
“सॉरी,,,,,,,,मीरा को रोते देखकर मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैंने,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने कहा
“कोशिश करना उसकी आँखों में ये आँसू फिर कभी ना आये,,,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने अक्षत के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा अक्षत ने सुना तो हामी में अपनी गर्दन हिला दी और सोमित जीजू के साथ बाहर चला आया,,,,,,,,,,,,,,,!!
“पापा , जीजू , आप और माँ मेरी गाड़ी में चलिए,,,,,,,,,मीरा अक्षत के साथ आ जायेगी,,,,,,,,,,!!”,अर्जुन ने कहा
“थैंक्स भाई,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने अर्जुन की तरफ देखकर मन ही मन कहा
“हाँ ठीक है , लेकिन सीधे घर ही आना”,कहते हुए विजय जी अक्षत की तरफ देखा और गाडी की तरफ बढ़ गए।
राधा और सोमित जीजू भी गाड़ी में जा बैठे। अर्जुन अक्षत के पास आया और उसके कंधे पर हाथ रखकर धीरे से कहा,”जानता तू तुम्हे मीरा से बहुत कुछ कहना है इसलिए आराम से आना,,,,,,,,,,,,,हम सब तुम दोनों का घर पर इंतजार करेंगे”
कहकर अर्जुन वहा से चला गया। अक्षत ने मीरा की तरफ देखा तो पाया मीरा उसे ही देख रही है। अक्षत ने हाथ आगे कर मीरा को गाड़ी की तरफ चलने को कहा। गाड़ी कुछ दूर खड़ी थी , अक्षत और मीरा उस तरफ बढ़ गए। चलते चलते अक्षत ने मीरा को देखा उसके दिल में एक टीस सी उठी आज उसने मीरा को हमेशा के लिए खो दिया होता। दोनों गाड़ी के पास पहुंचे आज अक्षत ने मीरा के लिये गाड़ी का दरवाजा खोला। मीरा गाड़ी के अंदर आ बैठी ,, अक्षत ड्राइवर सीट पर आ बैठा और गाड़ी स्टार्ट कर वहा से निकल गया।
“छवि,,,,,,,,,,!!”,माधवी जी की ग़ुस्से से भरी आवाज छवि के कानों में पड़ी वह विक्की से दूर हटी।
उसने देखा उसकी माँ और मामा कमल जी वहा खड़े थे। छवि की आँखों में डर के भाव तैरने लगे। डर के मारे वह विक्की के पीछे आ खड़ी हुई। विक्की ने माधवी जी को वहा देखा तो कहा,”देखिये आप छवि को,,,,,,,,,,,,,!!”
माधवी ने विक्की को उसकी बात पूरी ही नहीं करने दी और उसके सामने हाथ कर उसे रोक दिया। माधवी जी का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था। उन्होंने छवि से कहा,”छवि बाहर आओ,,,,,,,,,!!”
डरते डरते छवि माधवी के सामने चली आयी। छवि की मांग में भरा सिंदूर देखकर माधवी जी ने जैसे ही छवि को मारने के हाथ उठाया विक्की ने उनका हाथ थामते हुए कहा,”आप छवि पर हाथ नहीं उठा सकती , छवि अब मेरी पत्नी है और मैं ये कभी बर्दास्त नहीं करूंगा”
“मैं इस शादी को नहीं मानती,,,,,,,,छवि चलो यहाँ से,,,,,,,,!!”,कहते हुए माधवी जी ने छवि की कलाई को थामा और उसे वहा से ले गयी।
विक्की वही खड़ा छवि को जाते हुए देखता रहा , जैसे ही छवि ने पलटकर विक्की को देखा विक्की ने चिल्लाकर कहा,”मैं जल्दी ही उसे लेने आऊंगा तब तक छवि आपके पास है और ये मेरा आपसे वादा है।”
विक्की की बात सुनकर माधवी जी के कदम ठिठके लेकिन अगले ही पल वे छवि को लेकर वहा से चली गयी।
अपने घर के कमरे में चित्रा अपना सामान पैक कर रही थी उसने लगभग घर का सब सामान पैक कर दिया था और अब वह अपने कपडे पैक कर रही थी। चित्रा को ध्यान ही नहीं रहा काफी टाइम से सचिन दरवाजे पर खड़ा उसे देख रहा था। चित्रा ने कुछ सामान उठाते हुए दरवाजे की तरफ देखा तो सचिन को देखकर खुश होते हुए कहा,”अरे सचिन ! तुम यहाँ , वहा क्यों खड़े हो अंदर आओ ना ?”
सचिन हाथ में बॉक्स पकडे अंदर चला आया और उसे टेबल पर रखते हुए कहा,”माथुर सर ने बताया तुम कल से कोर्ट नहीं आओगी ,, तुम्हारा कुछ सामान सर के चेंबर में रह गया था सोचा जाने से पहले तुम्हे दे दू इसलिए चला आया।”
“अच्छा किया , मैं तुम्हारे लिए कॉफी बना देती हूँ”,चित्रा ने उठते हुए कहा
“अरे नहीं ! सर नहीं है तो मुझे वापस जाना होगा,,,,,,,,,,!!”,सचिन ने कहा
“हम्म्म , ठीक है लेकिन कल तुम मुझे एयरपोर्ट तक छोड़ने आ रहे हो ना ? देखो वैसे भी इस शहर में तुम्हारे अलावा मेरा कोई दोस्त तो है नहीं जिसे मैं ये कह सकू,,,,,,,,,,,तो तुम आओगे ना ?”,चित्रा ने सचिन की आँखों में देखते हुए कहा सचिन ने देखा चित्रा की आँखों में चमक थी , वो आज भी कितना जिंदादिल लग रही थी लेकिन सचिन बदल चुका था उसने बुझी आँखों से चित्रा की तरफ देखकर उठते हुए कहा,”हम्म्म मैं आ जाऊंगा”
“ठीक है कल सुबह 10 ओ क्लॉक,,,,,,,,,,मैं इंतजार करुँगी,,,,,,,,!!”,चित्रा ने सचिन के साथ कमरे से बाहर आते हुए कहा
“चलता हूँ,,,,,,!!”,सचिन ने कहा
“हम्म्म बाय,,!!”,चित्रा ने कहा और सचिन वहा से चला गया
सचिन अभी कुछ दूर ही गया था कि चित्रा ने कहा,”सचिन,,,,,,,,,,!!
“सचिन पलटा और कहा,”हाँ,,,,,,,,!!”
“कुछ नहीं अपना ख्याल रखना,,,,,,,,,!!”,चित्रा ने कहा सचिन फीका सा मुस्कुराया और वहा से चला गया। चित्रा भी मुस्कुरा कर वहा से चली गयी।
गाड़ी में ख़ामोशी फैली थी , अक्षत और मीरा दोनों ही खामोश थे। दोनों में से बात करे तो करे कौन ? और कहे तो क्या कहे ? गाड़ी चलाते हुए अक्षत बीच बीच में मीरा को एक नजर देख लेता। मीरा का उदास चेहरा देखकर उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। गाड़ी में फैली ख़ामोशी को तोड़ने के लिये अक्षत ने म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया। एक बहुत खूबसूरत गाना चलने लगा । गाडी चलाते हुए अक्षत ने देखा कि मीरा ने सीट बेल्ट नहीं पहना है।
“मीरा ! अपना सीट बेल्ट पहनो,,,,,,,!!”,अक्षत ने गाड़ी को धीमे करते हुए कहा
“हाँ,,,,,,,,!!”,अक्षत की आवाज से मीरा की तंद्रा टूटी उसने चौंककर कहा
“सीट बेल्ट”,अक्षत ने कहा
मीरा सीट बेल्ट लगाने लगी लेकिन लगा नहीं पा रही थी अक्षत ने देखा तो उसने गाड़ी को साइड में रखा और मीरा का सीट बेल्ट लगाने लगा। ऐसा करते हुए वह मीरा के थोड़ा करीब आया और जैसे ही मीरा की आँखों में देखा कुछ देर के लिये सब भूल गया। उसने मीरा के साथ जो बुरा बर्ताव किया था वो सब अक्षत की आँखों के सामने आने लगा। गाने इस वक्त अक्षत की भावनाओ को बया कर रहा था
“महसूस खुद को , तेरे बिना मैंने कभी किया नहीं
तू क्या जाने लम्हा कोई , मैंने कभी जिया नहीं
अब जो मिले है तो शिकवे गीले ना हो
बस इश्क़ हो , बस इश्क़ हो
अब जो हँसे है तो , आँसू कोई ना हो
बस इश्क़ हो , बस इश्क़ हो”
अक्षत का दिल तेजी से धड़कने लगा उसने सीट बेल्ट लगाया और साइड हो गया। अक्षत की आँखों में नमी उतर आयी जिसे छुपाने के लिये उसने मुँह घुमा लिया। मीरा ने देखा तो उसकी आँखों में भी नमी तैर गयी , उसने अक्षत के साथ जो किया वो किसी फिल्म की तरह उसकी आँखों के सामने आने लगा। मीरा की आँखों में ठहरे आँसू गालों पर बह गए। मीरा ने अपना हाथ अक्षत के हाथ पर रख दिया।
वही अहसास जो अक्सर मीरा के छूने से अक्षत को होता था आज फिर हुआ। अक्षत की आँखों में ठहरे आँसू गालों पर लुढ़क आये। उसने भीगी आँखों से मीरा की तरफ देखा , मीरा का दिल चीरने के लिये ये पल काफी था। गाने के बोल एक बार फिर अक्षत की भावनाये बया कर रहे थे
“यादों में रहा तुझसे होकर मैं जुदा , अब तन्हा मुझे ना छोड़ना
ख्वाबो ने कहा चेहरे से अब ये मेरे , ये नजरे कभी ना मोड़ना
अब जो मिले है तो शिकवे गीले ना हो
बस इश्क़ हो , बस इश्क़ हो
अब जो हँसे है तो , आँसू कोई ना हो
बस इश्क़ हो , बस इश्क़ हो”
फिर से करीब आ , मेरे नसीब आ , है ये दुआ है ये दुआ
दिल ने मेरे कहा , तेरा रहू सदा , है ये दुआ है ये दुआ,,,,,,,,,,,,!!
अक्षत कुछ बोल नहीं पाया उसने अपना दुसरा हाथ अपने और मीरा के हाथ पर रख कर थपथपा दिया। उसने मीरा के हाथ को अपने हाथ में लिया और गाड़ी स्टार्ट कर आगे बढ़ा दी।
रास्ते में अक्षत ने कुछ फूल खरीदे और उनके गाड़ी के डेशबोर्ड पर रख लिया। मीरा समझ नहीं पायी ये किसके लिये था ? अक्षत मीरा को घर ले जाने के बजाय उस जगह लेकर आया जहा अमायरा को दफनाया गया था। अक्षत ने फूल उठाये और मीरा के साथ गाड़ी से बाहर चला आया।
मीरा ख़ामोशी से अक्षत के साथ चल पड़ी। अक्षत मीरा को लेकर एक जगह आया और रुक गया। मीरा ने देखा वहा लगे पत्थर नुमा बोर्ड पर अमायरा का नाम लिखा था। मीरा को जैसे ही पता चला यहा अमायरा को दफनाया गया था तो वह बदहवास सी उसके सामने घुटनो के बल आ गिरी। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। अक्षत भी मीरा के बगल में घुटनो के बल आ बैठा और हाथो में थामे फूल मीरा की तरफ बढ़ा दिये। मीरा ने उन फूलों को अमायरा के नाम के सामने रख दिया और उस जगह को छूकर देखने लगी।
अमायरा के जाने के दर्द से मीरा आज भी उबर नहीं पायी थी और जैसे ही मीरा को मोनालिसा की माँ की याद आयी वह अपना चेहरा अपने हाथो में छुपाकर रोने लगी। अक्षत ने मीरा को रोते हुए देखा तो उसे अपने सीने से लगा लिया। अक्षत ने नम आँखों से अमायरा के नाम को देखा , अपनी बेटी से किया वादा अक्षत आज निभा चुका था। अक्षत ने मीरा को सम्हाला और कुछ देर वहा रुकने के बाद उसे लेकर घर के लिये निकल गया।
मीरा और अक्षत दोनों के बीच जो गलतफहमियां था उन्हें दूर करने के लिये दोनों को एक दूसरे से ना माफ़ी मांगने की जरूरत पड़ी ना ही कुछ कहने की,,,,,,,,,उन दोनों की आँखों की नमी बता रही थी कि दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे थे। शाम होते होते अक्षत मीरा को लेकर घर पहुंचा। व्यास फॅमिली के सभी लोग बेसब्री से अक्षत और मीरा का ही इंतजार कर रहे थे। अक्षत और मीरा जैसे ही दरवाजे पर आये राधा ने उन्हें रोक दिया। तनु नजर उतारने की थाली ले आयी राधा ने दोनों की नजर उतारी और उसके बाद दोनों को अंदर आने को कहा।
अक्षत आगे बढ़कर अंदर चला गया लेकिन मीरा वही खड़ी रह गयी। राधा ने देखा तो कहा,”क्या हुआ मीरा अंदर आओ ?”
अक्षत ने देखा मीरा अभी भी दरवाजे के बाहर खड़ी है तो उसे वह पल याद आ गया जब उसने मीरा का हाथ पकड़कर उसे इस घर से बाहर निकाला था। अक्षत अपने किये पर बहुत शर्मिन्दा था। उसने राधा की तरफ देखकर कहा,”माँ एक मिनिट,,,,,,,!!”
अक्षत वापस दहलीज लांघकर मीरा के पास गया और कहा,”हो सके तो उस दिन के लिये मुझे माफ़ कर देना मीरा”
मीरा ने सुना तो उसकी आँखों में नमी तैरने लगी। अक्षत ने उसका हाथ थामा और मीरा को लेकर घर के अंदर आया। वैसे ही जैसे उसने मीरा को घर से बाहर निकाला था।
अक्षत मीरा को लेकर अंदर आया। मीरा सबसे मिली , अपनी गलतियों के लिये वह सबसे माफ़ी पहले ही मांग चुकी थी और व्यास फॅमिली में किसी को मीरा से शिकायत नहीं थी। निधि को वहा देखकर मीरा उसके पास चली आयी। निधि ने मीरा को अपने सामने देखा तो कहा,”तुम मुझसे नाराज तो नहीं हो ना मीरा ?”
“हम तुमसे नाराज क्यों होंगे निधि ?”,मीरा ने सहजता से कहा
“बाकि सबकी तरह मैंने भी तुम्हे अकेला छोड़ दिया,,,,,,,,,,तुम्हे मुझसे नाराज होने का पूरा हक़ है।”,निधि ने नम आँखों के साथ कहा
“नहीं निधि ! जो हुआ वो बस वक्त का फेर था ,, हम तुमसे कभी नाराज नहीं हो सकते,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने मुस्कुराते हुए कहा
निधि ने सुना तो मीरा के गले आ लगी और रो पड़ी। मीरा निधि का सर सहलाने लगी। निधि को रोते देखकर अक्षत उसके पास आया और उसके सर पर हाथ फेरा तो निधि ने भीगी आँखों से अक्षत को देखा।
अक्षत ने अपने दोनों कान पकड़ लिये तो निधि ने उसे मारते हुए कहा,”आप बहुत बुरे है , बहुत बुरे है आप”
अक्षत ने निधि का हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचा और सीने से लगा लिया। निधि ने भी सब भूलकर अक्षत को कसकर गले लगाया और रोने लगी क्योकि जिस दिन अक्षत ने मीरा को घर से निकाला था उस दिन के बाद से निधि ने कभी अक्षत से ना बात की ना व्यास हॉउस आयी।
अक्षत मीरा के बीच जो गलतफहमियां थी वो दूर हो चुकी थी और मीरा भी अपने घर वापस लौट आयी थी। मीरा बीमार थी और उसे आराम की जरूरत थी इसलिए राधा उसे लेकर अपने कमरे में चली गयी। अक्षत भी पिछले कुछ दिनों से ना ठीक से सोया था ना आराम किया इसलिए वह सीधा अपने कमरे में चला गया। बाकि सब घरवाले हॉल में आ बैठे तो दादी माँ ने कहा,”विजय ! बच्चे घर में सही सलामत लौट आये है ,
कल का दिन बहुत अच्छा है क्यों ना पूजा रखवा ले ,बीते कुछ महीनो में घर में कोई शुभ काम नहीं हुआ ,, सभी बच्चो को आशीर्वाद भी मिल जाएगा और सब बुरे वक्त को भूलकर नयी शुरुआत कर लेंगे।”
“बात तो आप सही कह रही है माँ , अर्जुन कल घर में पूजा रखवाने का बंदोबस्त करो मैं पंडित जी से बात कर लेता हू।”,विजय जी ने कहा और उठकर वहा से चले गए
दादू दादी को छोड़कर बाकि सब भी वहा से चले गए। दादू ने दादी माँ के कंधे पर हाथ रखा और कहा,”सब ठीक हो गया सुमित्रा जी , इस घर में खुशिया वापस लौट आयी।”
दादी माँ ने अपना सर दादू के कंधे पर रखते हुए कहा,”हाँ ! मुझे तो लगा था मेरे मरने के बाद,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“श्श्श्श ! कैसी बाते करती हो ? अभी तो हमे बहुत जीना है एक दूसरे के लिये,,,,,,,,,,,,आज मन बहुत शांत है।”,दादू ने कहा और दादी का के सर को सहलाने लगे इस उम्र में भी उनका प्यार कायम था।
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