Bepanah Ishq – 14
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Bepanah Ishq – 14
Bepanah Ishq by Sanjana Kirodiwal
अब तो ये शादी हरगिज नहीं हो सकती , कार्तिक चलो यहाँ से इसी वक्त – कार्तिक के पापा ने गुस्से में कहा
आकाश जो अब तक खुद को रोके हुए था उठकर आया और कार्तिक को रोकते हुए कहा – कार्तिक प्लीज़ एक बार कमसे कम भूमि के बारे में , उसके परिवार के बारे में तो सोचो , वे लोग किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे , दुल्हन बनी उस लड़की का प्यार और शादी से भरोसा उठ जाएगा , उस लाचार पिता को देखो जो कितनी हसरतो से अपनी बेटी को विदा करना चाहता था और आज सबके सामने उसका अपमान होते देख रहा है ,, अपने प्यार के लिए ही सही अपने पापा को समझाओ … क्या तुम्हे उसकी कोई परवाह नहीं है …
“अगर तुम्हे उसकी इतनी परवाह है तो तुम कर लो उस से शादी , मैं ऐसी लड़की को जिसने मेरे पापा की सबके सामने इंसल्ट की कभी नहीं अपनाउंगा – कार्तिक ने गुस्से से भूमि की तरफ देखते हुए कहा
भूमि आयी और आकाश को खींचकर अपनी तरफ करते हुए कहा – इन लोगो से रिक्वेस्ट करने की जरुरत नहीं है तुम्हे आकाश ,, तुमने सूना नहीं इन लोगो ने क्या कहा , कार्तिक जी ने क्या कहा और ये सुनने के बाद भी तुम्हे लगता है ये इनसे मेरे लिए सही है …ये इंसान मेरे प्यार के लायक नहीं है , किसी चीज के लायक नहीं है
कहकर भूमि रोने लगी आकाश से उसका रोना नहीं देखा गया तो आकाश एक बार फिर कार्तिक से और उसके पापा से रिक्वेस्ट करने लगा भूमि ने अपने आंसू पोछे और आकाश को साइड करके एक हाथ से कार्तिक का हाथ पकड़ा और दूसरे से उसके पिता का और दोनों को खींचते हुए लोगो के बिच से दरवाजे की तरफ ले गयी और उन्हें हॉल से बाहर धकेलते हुए कहा – निकल जाईये यहाँ से ,
कार्तिक और उसके पिता वहा से चले गए , उनके जाते ही उनके साथ आये मेहमान भी एक एक करके वहा से चले गए ,,हारे हुए सिपाही की तरह चलकर भूमि वापस आयी , उसने सामने बैठे लोगो को देखकर चिल्लाकर कहा – आप सब भी जाईये , तमाशा ख़त्म हो चुका है अब कोई शादी नहीं होगी यहाँ , जाईये यहाँ से
सभी जा चुके थे हॉल में सिर्फ विक्रम , जया , शबनम , उनके पति , आरफा , युवान , जय , मोंटी , आकाश , पंडित जी और भूमि मौजूद थे ,, जया का रो रोकर बुरा हाल था शबनम और आरफा उन्हें तसल्ली देने में लगी थी .. विक्रम अभी भी बूत बने जमीन पर बैठे थे उनकी आँखे पथरा गयी थी , हाथ कांप रहे थे भूमि आकर उनके पास बैठ गयी और कहने लगी
– हमे माफ़ कर दीजिये पापा , आज हमारी वजह से आपका सर झुका , आपका अपमान हुआ हमने कभी नहीं सोचा था की कभी ऐसा भी होगा की हमारी वजह से आपको इतनी तकलीफ पहुंचेगी l हम सब कुछ देख सकते है पर आपको इस तरह टूटता हुया नहीं देख सकते , हम नहीं बर्दास्त कर सकते कोई आपकी परवरिश और आपके संस्कारो को गाली दे ,, कार्तिक हमारे लायक नहीं है पापा और आपको ऐसे इंसानो के सामने हमारे लिए सर झुकाने की जरूरत नही है पापा !! हमे माफ़ कर दीजिये हमने आपका बहुत दिल दुखाया है
विक्रम ने अपनी ख़ामोशी तोड़ते हुए कहा – तुमने ये सही नहीं किया भूमि , तुमने हमे कही मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा मैंने हमेशा तुम्हे अपना बेटा समझा पर आज तुमने एक पिता को जीतेजी मार दिया , तुमने जो किया है उसके बाद ये समाज तुम्हे कभी नहीं अपनाएगा बेटा ,, लोग थूकेंगे तुम्हारे पापा पर एक लड़की अपना मंडप छोड़कर शादी से इंकार कर दे इसका मतलब तुम शायद नहीं जानती हम ऐसे समाज में जीते है
आज भी गलत एक लड़की को ही ठहराया जाता है , अब कौन करेगा तुझसे शादी ? कौन अपनाएगा ऐसी लड़की को जो भरे मंडप में अपने ही पिता का तमाशा बना दे , को निभाएगा एक ऐसी लड़की का साथ जिसने एक बार भी अपनी और अपने पिता की इज्जत के बारे में नहीं सोचा
विक्रम के मुंह से ऐसी बाते सुनकर भूमि का कलेजा धक् से रह गया , जो पिता अब तक हमेशा उसे मजबूती देते आये थे , जिन्होंने हमेशा उसे गलत के खिलाफ बोलना और लड़ना सिखाया था आज वही पिता उस से ये सब कह रहे थे ,, उसकी आँखों से आंसू बहने लगे वो उठी और चारो तरफ देखा , सबकी चेहरों से हंसी गायब थी आकाश जो अब तक सब सुन रहा था पहली बार उसने देखा की भूमि सच में अपने पापा से कितना प्यार करती थी ,
जिसने अपने पिता की इज्जत और सम्मान के लिए अपना प्यार अपनी शादी तक ठुकरा दी थी आकाश की नजरो में भूमि की इज्जत और बढ़ चुकी थी पर अंदर ही अंदर विक्रम की बाते सुनकर उसका कलेजा कटता जा रहा था , भूमि के आंसू ने उसे मजबूर कर दिया था
जय ने उसे रोकना चाहा लेकिन आकाश गुस्से में आगे बढ़ा और मजबूती से भूमि का हाथ पकड़कर मंडप की तरफ बढ़ा आकाश के हाथ पकड़ते ही भूमि को वो भावना महसूस हुई जो उसे उस रोज दरगाह में उन अनजान उंगलियों को छूकर हुयी थी ,, वो आकाश को देखती रही पर कुछ बोल नहीं पायी मंडप में आकर आकाश ने पंडित जी से मन्त्र पढ़ने को कहा
पंडित ने मंत्रोउच्चारण शुरू किया और आकाश भूमि का हाथ पकडे अग्नि के चारो तरफ फेरे लेने लगा , आकाश के चेहरे पर कोई भाव नहीं था और भूमि वो बेसुध सी आकाश का हाथ थामे अग्नि के चक्कर काटती रही , आकाश ने उसकी मांग में सिंदूर भरा और उसी पल से वो हमेशा हमेशा के लिए आकाश की हो गयी !!
जय अपना सर पकड़ कुर्सी पर बैठा था , वो जानता था आकाश ने जो किया है उसे इस वक्त कोई एक्सेप्ट नहीं कर पायेगा .. आकाश भूमि का हाथ पकडे विक्रम के पास आया और कहा – कुछ देर पहले यहाँ जो कुछ भी हुआ वो मैं सही नहीं कर सकता , ना ही आपका खोया सम्मान लौटा सकता है l पर भूमि से शादी करके मैं हमेशा के लिए आपके सम्मान को बचाने की कोशिश करूंगा , इस वक्त आप जिस नर्क से गुजर रहे है वो आप के अलावा यहाँ कोई नहीं समझ सकता ..
भूमि ने कुछ गलत नहीं किया है अंकल ये समाज ये दुनिया भले इसे एक्सेप्ट न करे पर एक पिता होने के नाते आपको करना होगा और उसके बाद लोग क्या कहते है इस से कोई फर्क नहीं पडेगा ,, भूमि जैसी लड़की सिर्फ किस्मत वालो को मिलती है लेकिन कार्तिक और उसका परिवार इसके लायक नहीं था … इसने सिर्फ आपका सम्मान बचाने के लिए ये सब किया !!
विक्रम ने कुछ नहीं कहा और उठकर चुपचाप हॉल से बाहर निकल गए बाकि सब भी उनक पीछे पीछे बाहर आ गए , विक्रम ने जया और बाकि सब से गाड़ी में बैठने को कहा , गाड़ी वहां से निकल गयी जय ने आकाश और भूमि से गाड़ी में बैठने को कहा और खुद मोंटी के साथ फ्रंट सीट पर आ बैठा , उसने गाड़ी स्टार्ट की और विक्रम की गाड़ी के पीछे चलाने लगा , कुछ ही देर में सभी विक्रम के घर के सामने पहुंचे
गाड़ियों से उतरकर सब घर के सामने जमा हो गए दुःख और गुस्से के मिले जुले भाव विक्रम के चेहरे पर थे जया अंदर थी और विक्रम दरवाजे पर खड़े हो गए भूमि जैसे ही आगे बढ़ने लगी विक्रम ने उसे रोकते हुए कहा – इस घर से अब तुम्हारा कोई रिश्ता नहीं है , तुम हमारे लिए मर चुकी हो l और जिसे भी अब तुमसे रिश्ता रखना है वो मुझसे रिश्ता तोड़कर यहाँ से जा सकता है l
कहकर विक्रम ने भूमि के मुंह पर दरवाजा बंद किया और अंदर चले गए … भूमि की आँखों से आंसू बहने लगे आज पहली बार उसने विक्रम का ये रूप देखा था ,, शबनम और आरफा ने पास आकर उसे अपने घर चलने को कहा लेकिन उसने उन्हें वहा से जाने को कह दिया ,, उनकी भी आँखे नम हो गयी वो वहा से चली गयी आकाश गाड़ी के पास खड़ा भूमि को देखता रहा , भूमि अब भी टकटकी लगाए उस दरवाजे की और देखती रही न जाने क्यों उसे लग रहा था की विक्रम आएगा और उसे माफ़ करके सीने से लगा लेगा ,,
घंटो वहा खड़े रहने के बाद भी विक्रम ने दरवाजा नहीं खोला बारिश शुरू हो चुकी थी भूमि वही खड़े भीगती रही और उसके साथ भीगता रहा आकाश , आकाश इस वक्त उसका दर्द कम तो नहीं कर सकता था पर महसूस जरूर कर सकता था ,, बारिश में भीगती भूमि ठण्ड से काँप रही थी पर अभी भी उसकी आँखे दरवाजे पर टीकी थी
बारिश रुक चुकी थी , चारो तरफ पानी ही पानी था रात के 11 बज रहे थे ,, जय ने आकाश से भूमि को घर ले चलने को कहा दोनों शादी के बंधन में बंध चुके थे इसलिए भूमि अब आकाश की जिम्मेदारी थी आकाश ने भूमि से चलने को कहा तो वो आकर गाड़ी में बैठ गयी , आकाश भी आकर बैठा जय ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ गया ….
चारो तरफ गहरी ख़ामोशी का साया था , भूमि खामोश बैठी शीशे के बाहर टकटकी लगाए देख रही थी मोंटी सीट से सर लगाकर सो रहा था ,, आकाश कभी भूमि की तरफ देखता और फिर खिड़की से बाहर देखने लगता , जय स्टेयरिंग सम्हाले गाड़ी को सुनी सड़क पर दौड़ाये जा रहा था रात के आखरी पहर में नींद ने भूमि को आ घेरा वह खिड़की के शीशे से सर लगाए ही सो गयी ,,
पर आकाश की नींद उडी हुयी थी कुछ ही घंटो में वह घर पहुंच जाएगा घरवालों को कैसे समझायेगा ? वंदना , मानवेन्द्र और नेहा क्या जवाब देगा उन्हें इसका ? उसने सर सीट से लगा लिया और जय की तरफ देखने लगा जय ने उसकी तरफ देखा और कहां – सब ठीक हो जाएगा तू टेंशन मत ले , थोड़ी देर सो जा …
जय की बात से आकाश को थोड़ी राहत मिली उसने आँखे मूंद ली पर एक बुरे सपने की तरह वो सब उसकी आँखों के आगे घूम गया वो उठकर बैठ गया और फिर खिड़की के बाहर देखने लगा ,, ठण्ड भी थोड़ी थोड़ी बढ़ चुकी थी आकाश शीशे के उस पार शून्य में ताक रहा था ठण्ड और नींद में होने की वजह से भूमि पलटी और आकाश के हाथो को अपनी बांहो में लेकर सर उसके कंधे पर टिका दिया ,,
आकाश ने देखा सोते हुए वो किसी मासूम से बच्चे की तरह लग रही थी आकाश की नजर उसके कानो में पहने झुमके पर गयी जो आकाश की तरफ से उसे पहला तोहफा था , जय ने पलटकर देखा तो मुस्कुराते हुए बोला – वीरे तुम दोनों साथ में बहुत अच्छे लग रहे हो , बस तुम्हे अब किसी की नजर ना लगे !!
एक लम्बे वक्त के बाद आकाश मुस्कुरा उठा ,,,
सुबह के 6 बज रहे थे मोंटी जाग चूका था , उसने पलटकर आकाश और भूिम की तरफ देखा और मुस्कुरा दिया , जय ने गाड़ी एक तरफ लगायी और मोंटी के साथ सामने की दुकान से चाय लेने चला गया , आकाश रातभर सोया नहीं था भूमि अब भी नींद में थी , कुछ देर में जय चाय के दो कप ले आया ,, आकाश ने धीरे से भूमि को उठाया और चाय का कप उसकी तरफ बढ़ा दिया ,,
दुल्हन के लिबास में लिपटी भूमि फूंक मारकर बडे इत्मीनान से चाय पि रही थी , वो इतनी खूबसूरत लग रही थी की आकाश उस से अपनी नजरे हटा ही नहीं पाया ,, मोंटी भी भूमि को देखे जा रहा था उसने चिप्स का पैकेट भूमि की तरफ बढ़ा दिया लेकिन भूमि ने ना में गर्दन हिला दी ,, कुछ देर वहा रुकने के बाद जय ने गाड़ी स्टार्ट की और आकाश के घर की तरफ बढ़ा दी ,,
आकाश का फोन बजा फ़ोन वंदना का था आकाश ने जय की तरफ देखा जय ने उसे बात करने का इशारा किया आकाश ने फोन उठाया तो वंदना ने उससे घर आने के बारे में पूछा आकाश ने जल्दी आने का कहा तो दूसरी तरफ से वंदना ने कहा – जल्दी आना नेहा तेरा इन्तजार कर रही है , इसे किसी जरुरी काम से आज ही अमेरिका के लिए निकलना है , जाने से पहले तुमसे मिलना चाहती है … कहकर वंदना ने फोन काट दिया l आकाश के चेहरे पर तनाव साफ झलक रहा था
उधर नेहा बेसब्री से आकाश के आने का इंतजार कर रही थी ..
गाड़ी आकाश के घर के सामने आकर रुकी , आकाश की तंद्रा टूटी जय ने उसे उतरने का इशारा किया सभी गाड़ी से निचे उतरे आकाश का दिल तेजी से धड़क रहा था और हाथ पांव भी काँप रहे थे अंदर वह सबसे क्या कहेगा कुछ समझ नहीं आ रहा था , भूमि गाड़ी से निचे उतरी आकाश ने डोरबेल बजायी दरवाजा जिया ने खोला सामने सबको देखकर जिया एकदम से चौंक गयी वो कुछ बोलने ही वाली थी की जय ने उसे चुप रहने का इशारा कर दिया ,,
सभी अंदर आ गए भूमि धीरे धीरे उनके पीछे आ गयी अंदर हॉल में मानवेन्द्र और वंदना सोफे पर बैठे थे नेहा अंदर कमरे में थी , जैसे ही मानवेन्द्र और वंदना की नजर आकाश पर पड़ी वो दोनों चौंक गए ,, आकाश के पीछे दुल्हन के जोड़े में एक खूबसूरत लड़की नजरे झुकाये खड़ी थी ,, मानवेन्द्र कुछ कहता इस से पहले ही आकाश बोल पड़ा – पापा ये भूमि है मेरी दोस्त और इस घर की बहु ….
ये सुनकर मानवेन्द्र और वंदना एक दूसरे का मुंह ताकने लगे l पीछे खड़ी नेहां ने जब ये सुना तो उसका दिल टूटकर बिखर गया उसे यकींन नहीं हो रहा था की जिससे वो प्यार करती है वो किसी और लड़की के साथ खड़ा है उसका पति बनकर नेहा ने अपनी आँखों में आये आंसुओ को बहने से रोका और आकाश के सामने आकर खड़ी हो गयी आकाश की आँखों में देखकर वह आँखों ही आँखों में उससे सवाल करने लगी की आखिर उसने ऐसा क्यों किया ?
और फिर उन्ही आँखों में आकाश का मन टटोलने लगी पर आकाश की ख़ामोशी ने उसे और तकलीफ दी और फिर नेहा ने गुस्से में एक तमाचा आकाश के गाल पर जड़ दिया ,, आँखों में रुके हुए आंसू दर्द बनकर बहने लगे वह तेजी से अंदर गयी और कुछ ही देर में अपना बैग लिए बाहर आयी , मानवेन्द्र और वंदना के पैर छुए और बैग सम्हाले वहा से बाहर निकल गयी …
आकाश खामोश खड़ा मानवेन्द्र की आँखों में झांक रहा था एक पिता को अपने बेटे की आँखों में बेबसी और चाहत साफ नजर आ रही थी उन्होंने जिया से भूमि को अंदर ले जाने को कहा ,, जिया भूमि को लेकर आकाश के कमरे की तरफ बढ़ गयी .. मानवेन्द्र ने आकाश को बैठने को कहा , आकाश ने वंदना और मानवेन्द्र को अब तक की सारी बात बता दी , मानवेन्द्र आकाश की बात समझ गए लेकिन वंदना ये सब एक्सेपट नहीं कर पा रही थी , वो उठकर वहा से चली गयी आकाश ने मानवेन्द्र से कहा – आप बताईये पापा उस वक्त मैं क्या करता ,, मुझे जो सही लगा मैंने वही किया
मानवेन्द्र – तुमने कुछ गलत नहीं किया आकाश रही बात तुम्हारे प्यार की तो मैं माफ़ी चाहता हु बिना तुम्हारे मन की बात जाने हम नेहा से तुम्हारा रिश्ता करने जा रहे थे ,
आकाश – नहीं पापा आप माफ़ी मत मांगिये , लेकिन मॉम क्या भूमि को एक्सेप्ट कर पायेगी
मानवेन्द्र – अभी तुम्हारी माँ दुःख और गुस्से में है दुःख इसलिए की तुम्हारी वजह से उस बच्ची का दिल दुखा और गुस्सा इसलिए की तुमने कभी हमे भूमि के बारे में नहीं बताया ,, जब उनका गुस्सा शांत हो जाएगा तब वो भी तुम्हे माफ़ कर देगी और नेहा भी , तब तक तुम्हे इन्तजार करना होगा …
मोंटी और जय वहा से चले गए मानवेन्द्र आकाश को बहुत देर तक समझाते रहे l दूसरी तरफ भूमि आकाश के कमरे थे जिया ने उस से चाय कॉफी के लिए पूछा तो उसने मना कर दिया , भूमि अंदर ही अंदर गुस्से में उबल रही थी ,, जिया एक कोने में खड़ी भूमि को देखे जा रही थी भूमि बहुत खूबसूरत थी ,,
कुछ देर बाद मानवेन्द्र ने कहा – आकाश तुम्हे भूमि के पास जाना चाहिए इस वक्त उसे तुम्हारी सबसे जयदा जरुरत है , किसी भी चीज की जरुरत हो तो मुझसे कहना …
आकाश वहा से उठकर अपने कमरे की तरफ चला गया आकाश को आता देखकर जिया कमरे से बाहर चली आयी और आकाश की तरफ मुस्कुराकर चली गयी ,, आकाश की कमरे में जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी भूमि की ख़ामोशी से आकाश को घबराहट सी हो रही थी , इस ख़ामोशी के पीछे की वजह क्या थी वो नहीं जानता था आकाश जैसे ही कमरे में दाखिल हुआ भूमि गुस्से में उसके सामने आयी और एक जोरदार तमाचा आकाश के गाल पर रसीद कर दिया
आकाश कुछ समझ नहीं पाया पर बीते कुछ वक्त में वो दो थप्पड़ खा चुका था … भूमि की आँखों में गुस्सा और तकलीफ साफ नजर आ रही थी उसने कहना शुरू किया – क्यों किया ऐसा आपने , ये जानते हुए भी की वो लड़की आपसे बहुत प्यार करती है आपने मेर वजह से उसका दिल तोड़ दिया , उसके दिल के साथ खेलने का आपको कोई हक़ नहीं था !! पहले मुझे लगा की मेरा सम्मान बचाने के लिए आपने ये सब किया है
लेकिन नहीं ऐसा कुछ नहीं था आपने सिर्फ और सिर्फ अपनी ख़ुशी के लिए दो लड़कियों की जिंदगी खराब की , उस लड़की का दिल तोड़कर मैं आपको अपना पति तो मान सकती हु पर आपसे प्यार कभी नहीं कर पाऊँगी , इस सब के लिए सिर्फ और सिर्फ मैं जिम्मेदार हु”
भूमि हाथो में अपना चेहरा छुपाकर रोने लगी !! भूमि की बात सुनकर आकाश का दिल एक बार फिर टूट चूका था , उसकी दोस्त होकर भी भूमि उसे समझ नहीं पा रही थी उसकी आँख में आंसू निकलकर उसके हाथ पर आ गिरा , उसने अपने कदम पीछे की तरफ बढ़ाये और कमरे से बाहर निकल गया !! मन और दिमाग दोनों भारी हो गए थे आकाश कुछ देर के लिए घर से बाहर निकल गया और झील किनारे आकर गाड़ी रोक दी ,
वह गाड़ी में ही बैठा रहा आँखे अब भी नम थी उसने सही किया या गलत कुछ समझ नहीं आ रहा था उसने अपना सर सीट से लगा लिया और म्यूजिक ऑन कर किया धीमी आवाज में बजता म्यूजिक उसकी मनोस्तिथि से पूरा पूरा मैच हो रहा था “कहीं तो कही तो होगी वो दुनिया जहा तू मेरे पास है , जहा मैं जहा तू और जहा बस तेरे मेरे जज्बात है l जाने ना कहा वो दुनिया है जाने ना वो है भी या नहीं जहा मेरी जिंदगी मुझसे इतनी खफा नहीं”
दूसरी तरफ जिया कुछ कपडे लेकर भूमि के कमरे में आयी और उसे फ्रेश हो जाने के लिए कहा , भूमि ने गहने और चुडिया उतार कर रख दी , दुल्हन का जोड़ा उतार कर रखा और जिया से कपडे लेकर बाथरूम की तरफ बढ़ गयी ,, जिया रूम में बिखरा सामान उठाकर जमाने लगी ,, कुछ देर में भूमि नहाकर बाथरूम से बाहर निकली उसके गीले बालो से पानी की बुँदे बहकर उसकी गर्दन पर चमक रही थी , जिया तो बस उसे देखती ही रह गयी भूमि ने गीले बालो को तोलिये में लपेटा और पोछने लगी ,, जिया को अपनी तरफ देखता पाकर भूमि ने पूछा – क्या हुआ ?
जिया – आप बहुत सुन्दर हो
भूमि मुस्कुराने लगी और कहा – तुम हमसे भी ज्यादा प्यारी हो
जिया ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा – फिर तो आप मेरी दोस्त बनोगी ना
जिया की मासूमियत न जाने क्यों भूमि को अच्छी लगी उसने जिया से हाथ मिलाकर सहमति में अपना सर हिला दिया
जिया वहा से चली गयी और कुछ देर बाद खाने की प्लेट लिए भूमि के पास आयी और प्लेट टेबल पर रखकर भूमि से खाना खाने के लिए कहा , भूमि का बिल्कुल मन नहीं था पर जिया के बार बार रिक्वेस्ट करने पर उसने खाना खा लिया … भूमि के खाना खाने के बाद जिया ने उसे आराम करने को कहा और चली गयी ,, भूमि ने विक्रम को फोन लगाया लेकिन उन्होंने ये कहकर फोन काट दिया की दोबारा यहाँ फोन मत करना !!
भूमि की आँखे फिर बहने लगी … और उसे वही नींद आ गयी
झील किनारे गाड़ी में बैठा आकाश घंटो सोचता रहा पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा उसने फोन देखा शाम के 6 बज रहे थे ,, और जय के 10 मिस कॉल देखकर आकाश ने उसे फोन लगाया , जय ने उसे रूम पर बुलाया ,,, जय और मोंटी से बात करके आकाश को थोड़ा अच्छा फील हो रहा था ,, रात के 11 बज रहे थे आकाश की घर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी ना ही उसमे भूमि का सामना करने की हिम्मत थी , डरते हुए वो अपने कमरे में गया उसने देखा भूमि सो रही थी ,
रूम की खिड़की खुली होने के कारण सर्द हवाएं सीधी भूमि के चेहरे पर आ रही थी जिससे रह रह कर एक सिहरन भूमि के शरीर में उठती !! आकाश दबे पाँव खिड़की के पास आया और धीरे से खिड़की बंद कर दी .. उसने देखा भूमि गहरी नींद में थी आकाश उसके करीब आया और निचे गिरी कम्बल उठाकर उसे ओढ़ा दी, भूमि ने नींद में खुद को कम्बल में लपेटा और करवट लेकर सो गयी अब उसका चेहरा आकाश के बिल्कुल सामने था ,
भूमि के चेहरे पर सुकून के भाव देखकर आकाश को अच्छा लग रहा था , इस वक्त वो किन परेशानियों से गुजा रही थी आकाश बखूबी समझता था,, उसने बेड से तकिया उठाया और सामने पड़े सोफे पर लेट गया लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी , आकाश लेटे लेटे भूमि को देखने लगा ,,
अब तक जिसे सिर्फ तस्वीरों में देखा था वो आज आकाश के सामने थी , तस्वीर से भी ज्यादा खूबसूरत और हसीन ….. भूमि को ताकते हुए आकाश नींद की बांहो में समा गया , सुबह भूमि से जल्दी उठकर तैयार होकर घर से निकल गया आकाश नहीं चाहता था उसका भूमि से सामना हो और उसका दिल दुःखे !!
इसी तरह एक हफ्ता गुजर गया वंदना भी अब भूमि से थोड़ी बहुत बातचीत करने लगी थी , मानवेन्द्र को तो भूमि पहले ही पसंद आ गयी थी .. लेकिन इस एक हफ्ते में आकाश भूमि से दूर ही था वो भूमि के उठने से पहले ही घर से निकल जाता और देर रात घर आता वह भूमि को अब और हर्ट करना नहीं चाहता था …
एक शाम भूमि अपने कमरे में थी तभी जिया कॉफी लेकर उसके पास आकर बैठ गयी , कॉफी देखकर भूमि को विक्रम की याद आ गयी और उसकी आँखे नम हो गयी उस नम आँखे देखकर जिया मासूमियत से भूमि का चेहरा देखने लगी भूमि ने आँखों के किनारे पर आये आंसुओ को पोछा और मुस्कुराते हुए जिया से कहा – थैंक्यू , हमारे पापा भी ऐसे ही कॉफी बनाते थे हमारे लिए
जिया ने भूमि के गाल पर आये आंसुओ को साफ किया और कहा – आप अपने पापा को बहुत मिस करती है ना
हम्म्म – कोफ़ी पीते हुए भूमि ने हां में सर हिलाया
“आप तो इतने प्यारे हो की कोई आपसे ज्यादा देर नाराज नहीं रह सकता , आपके मम्मी पापा भी जल्दी ही आपको माफ़ कर देंगे – जिया ने कहा
“तुमसे एक बात पूछनी थी – भूमि ने जिया की तरफ देखते हुए कहा
जिया – पूछिए
भूमि – आकाश जी कही गए हुए है क्या ?
जिया – नहीं भाई तो सुबह जल्दी ऑफिस के लिए निकल जाते है और रात में देर से आते है , सच कहु तो बार बार आपके सामने आकर भाई आपको हर्ट नहीं करना चाहते …
भूमि – हर्ट ………. पर क्यों ?
जिया – उस दिन बिना सच्चाई जाने आपने भाई से इतना कुछ कहा मैं रूम के बाहर ही थी उस वक्त ,, भाई ने किसी की जिंदगी बर्बाद नहीं की है नेहा दी बचपन से हमारी दोस्त है और भाई की बेस्ट फ्रेंड भी है पर भाई को कभी उनसे प्यार नहीं था
5 बाद नेहा दी यहां आयी और उन्होंने भाई अपनेपन और नजदीकियों को प्यार समझ लिया , भाई तो जानते भी नही थे की नेहा दी उनसे प्यार करती है ,, उन्होंने आज तक कभी किसी को हर्ट नहीं किया और आपको हर्ट करने का तो वो कभी सोच भी नहीं सकते
जिया की बात सुनकर भूमि को अंदर ही अंदर बहुत बुरा लगा ,, जिया वहा से चली गयी !!
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उम्मीद है आपको ये सीरीज पसंद आ रही है। आप सब पाठको का साथ और प्यार हमेशा मिला जिसके लिए मैं आपकी शुक्रगुजार हूँ। इस कहानी को या वेबसाइट पर मेरी किसी भी कहानी को पढ़ने वाले पाठको से मेरा एक निवेदन है। जब भी आप कहानी पढ़ते है तो आपके फोन की स्क्रीन पर कुछ ADS दिखाई देते है जिन्हे आप इग्नोर कर देते है या कैंसल कर देते है कृपया ऐसा ना करके एक बार उस AD को जरूर क्लिक करे इस से आपका कोई नुकसान नहीं होगा ये बस मेरी वेबसाइट को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
उम्मीद है आप सब पाठक मेरा साथ देंग,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हर हर महादेव !!
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