Badalte Ahasas – 6
ऋषभ को कहानी सुनाते हुए 2 घंटे गुजर गए थे लेकिन सुजैन ने प्रतिक्रया नहीं दी ! ऋषभ का अपनी कहानी सुनाने का तरिका इतना आकर्षक था की सुजैन आगे सुनने से खुद को रोक नहीं पायी ! ऋषभ की वो दर्द में डूबी आवाज जिसमे एक ठहराव था सुजैन को बांधे हुए था ! ऋषभ ने आगे सुनाना शुरू किया !
माही का गले लगना और उसका अपने होंठो से ऋषभ के गालो को छूना ऋषभ को बार बार याद आ रहा था ! वह अपने कमरे में आया और आकर शीशे के सामने खड़ा हो गया ! खुद को शीशे में देखा , अपनी गहरी आँखे जिनमे सिर्फ माही नजर आ रही थी ! वह किसी 18 साल के लड़के की तरह अपने बालो को बना और बिगाड़ रहा था ! उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक थी ! माही की कही बाते एक एक करके उसके कानो को छूकर गुजरने लगी
“गुस्सा तुम्हारी आँखों में कितना सूट करता है !”
“तुम वो नहीं हो जो तुम लोगो को दिखाते हो !”
“लेकिन मैं अपनी फीलिंग्स कभी नहीं छुपाती , मेरे दिल में जो होता है मैं वो बोल देती हु !”
“इतनी खूबसूरत जगह में रहने के बाद भी तुम्हे किसी से प्यार नहीं हुआ”
“किसी अपने की कमी महसूस नहीं होती !”
“आई लव दिस प्लेस !”
मैं तुम्हे आज से “री” कहकर बुलाऊंगी !”
“थैंक्यू सो मच ! , इट वाज अ नाइस जर्नी ! “
ऋषभ के कानो में माही की कही एक एक बात गूंज रही थी और उसी आवाज में गूंज रहा था वह सर्द अहसास जो ऋषभ के दिल में गहरे तक उतरता जा रहा था ! माही की बातो को सोचते हुए ऋषभ मुस्कुरा उठा ! वह शीशे के सामने से हटा और खिड़की खोल दी बाहर से आती ठंडी हवाएं उसे छूने लगी ! माही को लेकर उसके जो अहसास बदलने लगे थे उन्हें खुद ऋषभ भी नहीं समझ पा रहा था ! कुछ देर वहा खड़े रहने के बाद वह अपने कमरे के उस कोने में आया जहा बैठकर वह पेंटिंग बनाया करता था ! आज ऋषभ दिल से खुश था ऐसी ख़ुशी उसे इतने सालो में कभी महसूस नहीं हुई ऐसा नहीं था की माही से पहले उसकी जिंदगी में कोई लड़की नहीं आयी थी पर माही जितना उसके अहसासों को किसी ने नहीं छुआ था ! ऋषभ ने एक खाली कैनवास उठाया और उसे स्टेण्ड पर लगा दिया ! ऋषभ ने रंगो वाली प्लेट और ब्रश उठायी और फिर उसके हाथ कैनवास पर चल पड़े ! ऋषभ खुद नहीं जानता था की वह क्या बनाने वाला है बस उसके हाथ फुर्ती से कैनवास पर चलते जा रहे थे ! ऋषभ ने केनवास के ऊपरी हिस्से को गहरे और हलके नीले रंग से रंगा ! उस से ठीक निचे लगकर हरे रंग से छोटे छोटे मिले जुले पोधो का रूप देने लगा ! ये सब करते हुए ऋषभ की नजरे बस कैनवास पर ही जमी हुई थी ! उसकी एक खूबी थी वह अपने काम को इतना डूबकर करता था की अपने आस पास की हर चीज को भूल जाया करता था ! हरे रंग के बाद ऋषभ ने अपनी ब्रश को मटमैले रंग में भिगोया और केनवास के निचले हिस्सों पर रंगने लगा , कैनवास पर बिखरा वो नजारा इतनी बारीकी से बनाया हुआ था की एक दम जिवंत सा लग रहा था ! हरे पोधो के बिच गलियारे बनाता वो पीला रग उसे और खूबसूरत बना रहा था ! सफेद हलके आसमानी बादलो से घिरा वो नीला आसमान यु लग रहा था जैसे अभी बरस पड़ेगा ! ऋषभ ने कुछ सोचा और फिर काला रंग उठाया और ब्रश पर लगाकर उन पोधो के बिच गलियारे में खड़ी किसी लड़की का अक्स बनाया जो की पीठ किये खड़ा था ! उसने अपने दोनों हाथो को फैलाया हुआ था जिससे वह अपने खुश होने का प्रमाण दे रही थी ! ऋषभ ने केनवास के कोने में एक लड़के का आधा साया बनाया जिसने एक बड़ा सा कोट पहना हुआ था और वह भी पीठ किये उस लड़की को देख रहा था !! केनवास किनारो पर बड़े बड़े पेड़ो का चित्र बनाया हुआ था जो की रबड़ के पेड़ की ही तरह दिख रहे थे ! ऋषभ ने प्लेट को साइड में रख दिया और उस कैनवास को देखने लगा ! उसे देखते हुए ऋषभ की आँखों के सामने चाय के बागानों का नजारा घूम गया ! जहा चाय के पोधो के बिच खड़ी माही ख़ुशी से झूम रही थी और दूर खड़ा ऋषभ उसे देख रहा था ! उसके होंठो पर एक बार फिर मुस्कराहट तैर गयी ऋषभ कैनवास को देख ही रहा था की तभी उसके कानो में तेज गाने की आवाज पड़ी ! ऋषभ ने वहा से बाहर आया ! गाने की आवाज और तेजी से आने लगी ऋषभ ने मेन डोर खोला और फ्लेट से बाहर आया आवाजे माही के फ्लेट से आ रही थी ! उसने ने तेज आवाज में म्यूजिक चलाया हुआ था पर आज ऋषभ को वह म्यूजिक बुरा नहीं लग रहा था ! आवाजे आ रही थी – वो अचानक आ गयी , यु नजर के सामने ! जैसे निकल आया घटा पे चाँद ,, चेहरे पे जुल्फे बिखरी हुयी थी दिन था के रात हो गयी ,,,, ! ऋषभ मुस्कुरा उठा ये उसी गाने की लाईने थी जो उसने जीप में माही को सुनाया था ! गाने के साथ साथ माही की आवाज भी ऋषभ के कानो में पड़ी,”इक अजनबी हसीना से यु मुलाकात हो गयी ! फिर क्या हुआ ये ना पूछो , कुछ ऐसी बात हो गयी !
ऋषभ वापस अंदर आ गया ! आकर सोफे पर बैठ गया ! घर की लाईटे उसने कम कर रखी थी उसे रौशनी पसंद नहीं थी ! सोफे पर बैठे बैठे उसने अपने ऊँगली मोड़कर होंठो से लगा ली और अपनी भारी आवाज में गुनगुनाने लगा,”इक अजनबी हसीना से , यु मुलाकात हो गयी ! फिर क्या हुआ ये ना पूछो कुछ ऐसी बात हो गयी !”
आज से ऋषभ ने शायद ही कोई गाना इस तरह बैठकर गुनगुनाया हो ! पर ये माही की संगत का असर था जो ऋषभ को बदलने लगा था ! दूसरी तरफ माहौल कुछ और ही था ! म्यूजिक की तेज आवाज में माही थिरक रही थी आज जो वक्त उसने ऋषभ के साथ बिताया वो उसके लिए कभी ना भूलने वाला लम्हा था ! वह बहुत खुश थी और ये भी अंदाजा नहीं था की फ्लेट का दरवाजा खुला है वह तो बस उछलने कूदने में व्यस्त थी ! रचना कुछ देर पहले ही अपनी मम्मी के साथ वापस आयी थी उसने जब माही के फ्लेट से म्यूजिक की आवाज सुनी तो वह अंदर आयी ! माही को खुश देखकर उसे ख़ुशी भी थी और हैरानी भी ! रचना को वहा देखकर माही ने म्यूजिक बंद कर दिया !
“कैसा रहा सब ?”,रचना ने पूछा
माही मुस्कुराई और दौड़कर रचना के गले लगते हुए कहा,”इट्स वाज ग्रेट !”
“चलो अच्छा है तुम्हे ये शहर पसंद आया !”,रचना ने माही से दूर होते हुए कहा ! माही मुस्कुराने लगी तो रचना ने आगे कहा,”लेकिन मैंने ये जर्नी मिस कर दी यार ! वैसे ऋषभ अंकल बहुत अच्छे है तुमने उन्हें थैंक्यू तो कहा ना ?”
माही ने बच्चो की तरह चार बार अपनी गर्दन हाँ में हिला दी और फिर कहा,”यू नो व्हाट रचना वो बहुत इंटेलिजेंट है ! वो हर तरह का नॉलेज रखते है , इम्प्रेसिव यार !”
“आई नो ! मालूम है उन्होंने शहर सेंकडो बार घुमा है ! ही इज अ बेस्ट गाइड !”,रचना ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा
“हम डोड्डाबेटा भी गए थे !”,माही ने निचे जमींन पर रचना के सामने बैठते हुए कहा !
“सच ! वो जगह सच में बहुत खूबसूरत है , लेकिन तुम्हे पता है उसे ऊटी में सुसाइड पॉइंट भी माना जाता है”,रचना ने कहा
“लेकिन री ने तो मुझे ऐसा कुछ नहीं बताया”,माही ने हैरानी से कहा
“हो सकता उन्हें लगा हो तुम्हे बताने से कही तुम सुसाइड ना करने लगो !”,रचना मुस्कुरा पड़ी
“थेंक्स !”,माही ने मुंह बनाकर कहा !
“माही मजाक कर रही हु ! ऋषभ अंकल बहुत कम बोलते है ! एक बार हम सब गए थे उस जगह पर उन्होंने उस जगह के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताया , और हमने पूछा नहीं ! उसके बाद मेरी एक फ्रेंड ने बताया की वो जगह सुसाइड पॉइंट है ! जहा जाकर लोग सुसाइड कर लेते है “,रचना ने कहा
“रियली !”,माही को जैसे भरोसा नहीं हो रहा था !
“या इट्स ट्रू !”,रचना ने कहा
माही ने एक गहरी साँस ली और वही फर्श पर लेटते हुए कहा,”पता नहीं लोग उस जगह पर जाकर सुसाइड कैसे कर लेते है ? वो जगह इतनी खूबसूरत है की किसी को भी उस जगह से प्यार हो जाये !”
रचना माही को देखती रही आज माही उसे कुछ बदली बदली नजर आ रही थी ! फिर उसने शरारत से कहा,”तुम्हे भी हो गया है !”
माही ने सूना तो उठी और रचना के पीछे भागने लगी ! उसने रचना को पकड़ा और गुदगुदी करने लगी ! रचना कहा पीछे रहने वाली थी उसने भी माही को गुदगुदी करना शुरू कर दिया ! दोनों हसते खिलखिलाते रही फिर रचना ने कहा,”अच्छा सुनो ! कल से हमारे प्रैक्टिस शुरू होने वाले है , तुमने सोचा तुम क्या सबमिट करोगी ?”
रचना की बात सुनकर माही एकदम से रुक गयी ! ऋषभ के साथ वह अपनी पढाई को तो भूल ही गयी थी ! वह आकर बेड पर बैठ गयी और कहा,”आई हेव नो आईडिया ! व्हाट कैन आई डू ?”
“रिलेक्स ! आई ट्रस्ट यू तुम कुछ अच्छा बना लोगी !”,रचना ने कहा !
माही की नजर सामने टेबल पर रखे ऋषभ के कोट पर गयी जो ऋषभ ने उसे ठण्ड से बचने के लिए पहनने को दिया था ! माही मन ही मन कुछ सोचकर मुस्कुराने लगी ! उसे वो सब पल याद आने लगे जो उसने ऋषभ के साथ बिताये थे ! जीप में उसने ऋषभ से जो सवाल पूछे थे उनके जवाब पर अब माही को हंसी आने लगी थी वह अकेले ही जोर जोर से हसने लगी ! एक बार उसने हँसना शुरू किया तो बस हँसती ही गयी उसे देखकर रचना ने हैरानी से कहा,”क्या हो गया है तुझे ?”
पर माही हँसती रही तो रचना भी मुस्कुरा उठी और कहा,”पागल वागल हो गयी है क्या तू ?”
माही ने रचना की और देखा और जोर जोर से गाने लगी,”इक अजनबी हसीना से , यु मुलाकात हो गयी !
“माही क्या हो गया ? गाने क्यों गा रही है ?”,रचना ने हँसते हुए कहा ! माही उठी और रचना को भी अपने साथ उठाते हुए उसके साथ नाचने लगी ! रचना बेचारी अवाक् सी बस माही को समझने की कोशिश करने लगी ! इतना तो रचना जानने लगी थी माही को की वह एक बेपरवाह और खुले दिल की लड़की है पर साथ ही साथ ये भी जानती थी माही कब क्या कर दे कोई कह नहीं सकता ! कुछ देर बाद रचना ने कहा,”माही काफी रात हो गयी है अब मैं चलती हु , एंड रिमेम्बर कल मॉर्निंग में विथ प्रेक्टिस प्लान के साथ कॉलेज जाना है वरना हमे निकाल देंगे !”
“ओहके गुड़ नाईट !”,माही ने कहा और रचना के जाने के बाद दरवाजा बंद कर लिया !
अगली सुबह माही और रचना कॉलेज के लिए निकल गयी ! रचना ने यूनिक साडी और ब्लाउज का पेपर डिजाइन तैयार किया था ! वह अपनी उंगलियों को बार बार क्रॉस किये हुए थी की उसकी डिजाइन सबमिट होगी या नहीं ! माही को कोई टेंशन नहीं था वो बेपरवाह सी च्विंगम चबाने में लगी थी ! 50 स्टूडेंट्स में से 30 के डिजाइन फाइनल होने थे ! 29 चुने जा चुके थे जिनमे रचना का नाम भी था ! वह तो ख़ुशी से उछलने लगी थी , एक आखरी डिजाइन सबमिट होना बाकि था आखिर में 4 डिजाईन्स बचे थे जिनमे एक माही का भी था ! जैसे ही माही का डिजाइन डिजाइनर्स के सामने आया उनकी आँखे फ़ैल गयी ! लॉन्ग ब्राउन जैकेट का वो डिजाइन पेपर पर इतना खूबसूरत लग रहा था की पहली बार में ही सबमिट हो गया ! उन 30 डिजाईन्स में से सबसे खूबसूरत वही जैकेट था ! माही और रचना खुश थी ! अगले दिन से ही सबने अपने अपने डिजाईन्स पर काम करना शुरू कर दिया ! माही रचना के प्रोजेक्ट में उसकी हेल्प कर देती थी पर यहां पढ़ाई कम और कॉम्पिटिशन ज्यादा था और इसीलिए हर कोई अपने प्रोजेक्ट को बेस्ट से बेस्ट बनाना चाहता था ! माही ने भी जैकेट की शुरुआत की उसे बनाते हुए उसके दिमाग में सिर्फ ऋषभ का ही ख्याल रहता था ! उसके बारे में सोचते हुए , उसकी आवाज को महसूस करते हुए वह उसे बेस्ट से बेस्ट लुक देना चाहती थी ! एक हफ्ता गुजर गया लेकिन माही और ऋषभ का सामना भी नहीं हुआ ! माही सुबह जल्दी कॉलेज के लिए निकल जाती , दिनभर पढाई और प्रेक्टिस में वह इतना थक जाती की फ्लेट ओर आते ही सो जाती ! पापा के कहने पर माही ने कामवाली रख ली थी जो की उसका दोनों वक्त का खाना और घर का बाकि काम कर दिया करती थी ! शनिवार की दोपहर कॉलेज में सभी के बनाये आइटम को प्रदर्शनी में रखा गया था ! जिसमे माही के प्रोजेक्ट को फस्ट रेंक मिली थी , माही को तो यकींन ही नहीं हो रहा था , रचना को सेकेण्ड रेंक मिली थी पर वो खुश थी ! लेकिन इसके बाद आगे की पढ़ाई और भी टफ होने वाली थी ! टीचर्स ने सबको बेस्ट ऑफ़ लक कहा और चले गए ! माही और रचना ने अपना अपना प्रोजेक्ट उठाया और कॉलेज से बाहर आ गयी ! दोनों घर के लिए निकल पड़ी अगले दिन संडे था और कॉलेज की छुट्टी थी इसलिए दोनों पैदल ही चल पड़ी ! चलते हुए रचना ने सवाल किया,”माही एक बात पुछु !”
माही – हां पूछो !
रचना – डोंट माइंड लेकिन तुमने मेल कॉस्ट्यूम क्यों बनाया ? आई मीन तुम इतनी फैशनेबल हु तूम चाहती तो खुद के लिए भी कुछ बना सकती थी !”
माही – अगर मैं अपने लिए बनाती तो शायद ये इतना अच्छा नहीं बनता
रचना – मतलब ?
माही – मतलब ! जिसे हम दिल से महसूस करते है वो काम अच्छा होता है
रचना – उफ़ तुम्हारी ये उलझी उलझी बाते !
माही – टेक इट इजी !
रचना – ओहके टेल मी ये किसके लिए बनाया है तुमने ? (शरारत से मुस्क़ुराते हुए)
माही – है कोई खास !
रचना – कौन ? बताओ ना
माही – सही वक्त आने पर बता दूंगी , वैसे भी वो मेरे लिए खास है मैं उसके लिए नहीं
रचना – इट्स रोंग , यू आर सो ब्यूटीफुल ,, तुम्हे कोई ना कह ही नहीं सकता ! तुम्हारे लिए तो लड़को की लाइन लग जाये पर तुम किसी को भाव देती ही नहीं !
माही – आई डोंट लाइक दिस ! नाउ स्टॉप दिस टॉपिक , चलो कुछ खाते है !
कहकर माही ने रचना का हाथ पकड़ा और दोनों एक रेस्टोरेंट की और बढ़ गयी !
खाने के बाद दोनों घर आ गयी ! थकान से माही का बदन टूट रहा था वह आते ही लेट गयी बाई अपना काम करके जा चुकी थी ! शाम को माही देर से उठी हल्का अँधेरा हो चुका था ! माही ने मुंह धोया और अपने लिए कॉफी बनाकर ले आयी ! कॉफी पीते हुए माही बालकनी में आ गयी ! कॉफी पिने के बाद उसे काफी राहत महसूस हुई वह टहलने के लिए निचे चली आयी ! सामने ग्राउंड में बच्चे खेल रहे थे माही वही बैठकर उन्हें देखने लगी ! उसने एक नजर उठाकर ऋषभ की खिड़की की और देखा जो की बंद थी ! पिछले एक हफ्ते से उसने ऋषभ को देखा तक नहीं था ! ऊटी आने के बाद पहली बार उसे खाली खाली महसूस हो रहा था ! वह अपना सर झुकाकर वही बैठ गयी तभी उधर से गुजरते हुए कार्तिक वही रुक गया और कहा,”हे , व्हाट हेपन ? आर यू ओके ?”
माही ने अपनी गर्दन उठायी और कार्तिक की और देखा कार्तिक माही से 2 साल छोटा था उसने फीका सा मुस्कुराते हुए कहा,”नथिंग !”
“ओहके !”,कहकर कार्तिक वहा से चला गया ! वह रूककर माही से बात करना चाहता था पर माही ने उसकी बात का कोई रिस्पॉस नहीं दिया था ! कार्तिक के जाने के कुछ देर बाद माही उठी और वापस अपने फ्लेट में आ गयी ! बाई खाना बनाकर रखकर जा चुकी थी माही ने बेमन से खाना खाया और अपने कमरे में चली आयी ! उसकी नजर सामने टेबल रखे अपने प्रोजेक्ट पर गयी !
माही उठी और उसे लेकर बेड पर बैठ गयी उसने कोट को बैग से निकाला और उसे छूकर महसूस करने लगी ! मुस्कान उसके होंठो पर तैर गयी कुछ सोचकर वह उठी और कबर्ड से एक डिब्बा निकाल लायी और साथ ही एक पैकिंग पेपर भी ! उसने कोट को बड़े प्यार से समेटा और डिब्बे में बंद कर दिया ! माही ने उस पर पैकिंग पेपर चढ़ाया ! वह मुस्कुरा उठी ! वो सही कर रही थी या गलत उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था ! प्यार की पहली सीढ़ी यही है की सही गलत कुछ समझ नहीं आता बस जिस से प्यार है सिर्फ वो नजर आता है उसका अहसास नजर आता है ! माही लेट गयी और डिब्बे को अपनी साइड में रख लिया ! ऋषभ के बारे में सोचते हुए उसे कब नींद आयी पता ही नहीं चला ! अगली सुबह माही उठी नहाकर वह जैसे ही तैयार हुई रचना आ गयी और उसे अपने साथ बाहर ले गयी ! एक बार माही बाहर निकली तो सब भूल गयी ! वापस आते आते शाम के 5 बज गए थे ! अपार्टमेंट में अंदर आते हुए माही की नजर खिड़की पर खड़े ऋषभ पर पड़ी ! उसका चेहरा ख़ुशी से खिल उठा ! वह दौड़कर लिफ्ट के सामने गयी
“अरे माही रुक क्या हुआ ?”,रचना ने पीछे से आवाज दी पर माही तो माही थी लिफ्ट बिजी मिली तो सीढ़ियों से ही ऊपर चली गयी ! अपने कमरे में आकर उसने खुद को रिलेक्स किया और फिर बेड पर रखा वो बॉक्स उठाया ! माही ऋषभ के दरवाजे के सामने आयी और बेल बजा दी ! कुछ देर बाद ऋषभ ने दरवाजा खोला , माही ने ऋषभ को देखा तो बस देखते ही रह गयी ब्लेक पेंट शर्ट में वह बहुत ही हॉट लग रहा था ! माही को अपनी और घूरता पाकर ऋषभ ने कहा,”माही !”
ऋषभ की आवाज से माही की तंद्रा टूटी उसने कहा,”क्या मैं अंदर आ सकती हु ?”
“हम्म्म कम !”,ऋषभ ने कहा और साइड हट गया
माही अंदर आ गयी अंदर आकर उसने चारो और देखा और कहा,”इतना अन्धेरा क्यों है ?”,
“मुझे रौशनी में रहने की आदत नहीं है !”,ऋषभ ने कहा
“तुम बहुत अजीब हो री”,माही ने कहा
ऋषभ ने माही की बात को इग्नोर किया और कहा,”तुम यहाँ ?”
“हम्म्म , कॉलेज में मेरे कॉस्ट्यूम को फस्ट रेंक मिली है !”,माही ने ख़ुशी से कहा
“कोन्ग्रेचुलेशन !”,ऋषभ ने हल्का सा मुस्कुराकर कहा !
“सो दिस इज फॉर यू !”,माही ने बॉक्स ऋषभ की और बढाकर कहा
“ये क्या है ?”,ऋषभ ने हैरानी से कहा !
“खोलो !”,माही ने कहकर अपने निचले होंठ को दांतो तले दबा लिया और ऋषभ के जवाब का इंतजार करने लगी ! ऋषभ ने बॉक्स खोला उसमे जैकेट देखकर वह हैरान रह गया उसे देखा डार्क ब्राउन कलर का वो जैकेट बहुत ही खूबसूरत था जिसके बांयी तरफ “री” लिखा हुआ था ! ऋषभ ने माही की और देखा और कहा,”ये ?”
“तुम्हारे लिए है”,माही ने मुस्कुराकर कहा
“लेकिन मैं ये कैसे रख सकता हु ? मेरा मतलब ये बहुत एक्सपेंसिव है”,ऋषभ ने हिचकिचाते हुए कहा !
“लेकिन आपसे ज्यादा नहीं !”,माही ने लगभग अपने होंठो को चबाते हुए कहा
“पर मैं इसे नहीं रख सकता !”,ऋषभ ने कहा
“प्लीज , प्लीज , प्लीज , ये रंग आप पर बहुत अच्छा लगेगा , इट्स माय फस्ट आइटम एंड दिस इज स्पेशली फॉर यू !”,माही ने प्यार से ऋषभ से रिक्वेस्ट करते हुए कहा !
ऋषभ खामोश हो गया उसे समझ नहीं आ रहा था वह माही से क्या कहे उसे चुप देखकर माही ने कहा,”आपको पसंद नहीं आया !”
“नहीं , मेरा मतलब ऐसी बात नहीं है , पर इस तरह मैं तुम्हारी लायी कोई चीज कैसे रख सकता हु ?”,ऋषभ ने गभीरता से कहा !
“वैसे ही जैसे मैंने रखी है “,माही ने शरारत से कहा
“क्या ?”,ऋषभ ने हैरानी से कहा
“ओह्ह टेक इट ईजी , चलो अब इसे पहनकर दिखाओ”,कहते हुए माही ने ऋषभ के हाथ से जो जैकेट लिया और ऋषभ को पहनाने लगी ! माही के शब्दों में इतना आकर्षण था की ऋषभ चाहकर भी उसे रोक नहीं पाया माही ने जैकेट ऋषभ को पहनाई और उसका हाथ पकड़कर उसे शीशे के सामने लाकर कहा,”सी यू आर लुकिंग हैंडसम इन दिस जैकेट !”
ऋषभ ने खुद को आईने में देखा वो जैकेट वो रंग उस पर बहुत अच्छा लग रहा था ! माही की पसंद बहुत अच्छी थी लेकिन एक बात ऋषभ के समझ में नहीं आयी की माही ने बिना उसके नाप के इतना अच्छा जैकेट कैसे बना लिया ? वह माही की और पलटा और कहा,”थैंक्यू ! लेकिन बिना मेरे नाप के ये फिट कैसे बना लिया तुमने ?”
माही हसने लगी और कहा,”स्टुपिड ! लास्ट संडे तुम्हारा कोट मेरे पास रह गया था , रिमेम्बर ! बस उसी से बनाया ,, तुम्हे पसंद आया”
“हम्म्म , थैंक्यू !”,कहते हुए ऋषभ ने जैकेट निकाला और उसे सहेजकर रख दिया ! ऋषभ वापस माही के पास आया तो माही ने कहा,”वैसे उस जैकेट में एक खास बात है , जानते हो क्या ?”
ऋषभ ने ना में अपनी गर्दन हिला दी तो माही उसके थोड़ा करीब आयी और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”इसे मैंने खुद बनाया है , जब भी तुम इसे पहनोगे मेरे छुअन का अहसास हमेशा तुम्हे मेरी याद दिलाएगा”
माही की इस बात पर ऋषभ निशब्द हो गया !
कहते कहते ऋषभ एक बार फिर चुप हो गया ! सुजैन ने देखा ऋषभ ने वही गहरे भूरे रंग का जैकेट पहना है ! ऋषभ ने दोनों हाथो को आपस में समेटकर आँखे बंद कर ली माही का अहसास उसके दिए जैकेट में आज भी मौजूद था ! एक बार फिर ऋषभ की आँखों में नमी तैर गयी उसने अपने आंसुओ को अपनी आँखों में ही रोक लिया एक गहरी साँस ली और कहने लगा,”माही का मेरी जिंदगी में आना कोई इत्तेफाक नहीं था ! 20 सालो में जो अहसास कभी नहीं हुआ था वो अब होने लगा था ! किसी का मेरे करीब आना पहली बार मेरी धड़कनो को बढ़ा रहा था ! मैं जितना भी उस से दूर जाने की कोशिश करता उसका अहसास मुझे उसके और करीब ले आता ! उस शाम जो वो तोहफा लेकर आयी वो तोहफा मेरी जिंदगी का सबसे कीमती और खूबसूरत तोहफा था , जो आज भी मेरे पास है और उस अहसास को मैं आज भी महसूस कर रहा हु !
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संजना किरोड़ीवाल