Badalte Ahasas – 5
सुजैन इतनी ख़ामोशी से ऋषभ को सुन रही थी की ऐसा लग रहा था जैसे सब उसकी आँखों के सामने ही घट रहा है ! ऋषभ ने एक बार सुजैन को अपनी कहानी सुनानी शुरू की !
ऋषभ ने रचना के घर पर माही को ऊटी घुमाने का वादा किया था ! संडे की सुबह माही जल्दी ही उठकर तैयार हो गयी ! वह बार बार खुद को आईने में देख रही थी की कही कुछ कमी तो नहीं रह गयी ! रचना अपनी माँ के साथ वहा से सुबह जल्दी ही निकल गयी हां जाने से पहले अल्का ने माही के लिए नाश्ता भिजवा दिया था ! माही ने घडी देखी सुबह के 7 बज रहे थे उसने जल्दी जल्दी नाश्ता किया ! और अपने फ्लेट से बाहर आयी ! ऋषभ के फ्लेट के सामने उसने बेल बजायी ऋषभ ने दरवाजा खोला ! सामने माही को देखकर वह एक पल के लिए हैरान रह गया ! ब्लैक टीशर्ट , उस पर लेदर जैकेट , जींस जो जगह जगह से फ़टी हुयी थी जिसे आज के जमाने में फैशन कहा जाता है ! खुले बाल जो कंधो से होकर आगे की और झूल रहे थे ! चेहरे पर कोई मेकअप नहीं , नीली आँखे ही उसके चेहरे की खूबसूरती के लिए काफी थी ! ऋषभ बस उसे देखता ही रह गया ! माही ने उसके चेहरे के सामने हाथ हिलाते हुए कहा,”हे कहा खो गए , वी आर गेटिंग लेट !’
“तुम ऐसे जाओगी , इन कपड़ो में”,ऋषभ ने हिचकिचाते हुए उसकी फ़टी जींस देखते हुए कहा जिसमे से उसकी सफ़ेद दूधिया जाँघे बाहर झांक रही थी !
“हां कोई प्रॉब्लम है !”,माही ने लगभग ऋषभ को घूरते हुए कहा !
“नहीं , नहीं कोई प्रॉब्लम नहीं है ! मैं मिनिट में आता हु तुम निचे चलो !”,कहकर ऋषभ अंदर चला गया !
माही निचे आकर ऋषभ का इंतजार करने लगी ! ऋषभ अंदर आया उसने एक गहरी साँस ली और कबर्ड से कोट निकालकर पहन लिया ! माही के साथ उसका सफर कैसा होगा ये सोचकर ही उसे पसीने आ रहे थे ! वह जानता था माही एक स्ट्रेट फॉरवर्ड और खुले विचारो वाली लड़की है ! ऋषभ ने अपना फोन और पर्स जेब में रखा और बाहर आ गया ! निचे आकर उसने पार्किंग से अपनी जीप निकाली और माही को आकर बैठने को कहा !
माही आकर जीप में ऋषभ की बगल वाली सीट पर बैठ गयी ! ऋषभ अपार्टमेंट से बाहर निकल गया ! जीप ऊटी की सड़को पर दौड़ते जा रही थी ! जीप में फैली ख़ामोशी को तोड़ने के लिए माही ने ऋषभ से कहा,”मेरे पास एक सवाल है , पुछु !”
“हम्म्म !”,ऋषभ ने सामने देखते हुए कहा
“एक आदमी के ऊपर से ट्रेन गुजर गयी , फिर भी वो नहीं मरा ! बताओ कैसे ?”,माही ने कहा
ऋषभ ने कुछ देर सोचा और कहा,”नहीं मालूम !”
“क्योकि वो पूल के निचे खड़ा था”,माही ने कहा ! माही की बात सुनकर ऋषभ मुस्कुराने लगा , माही ने देखा तो कहा,”अच्छा एक और !”
“हम्म पूछो !”,ऋषभ ने कहा
“एक हाथी के सामने केले रखे हुए है , पर हाथी उन्हें नहीं खा रहा ! बताओ क्यों ?”,माही ने पूछा
“हाथी को भूख नहीं होगी !”,ऋषभ ने कहा !
“स्टुपिड केले प्लास्टिक के थे !”,माही ने कहा तो ऋषभ हसने लगा माही ने कुछ देर रूककर कहा,”अच्छा वन मोर ! इस बार असली केले हाथी के सामने रखे है फिर भी वो नहीं खा रहा बताओ क्यों ?”
“हाथी प्लास्टिक का होगा”,ऋषभ ने कहा
“नाह , केले टीवी में दिखा रहे है !”,माही ने दाहिना पैर मोड़कर सीट से लगाते हुए कहा जिससे उसके फ़टे हुए हिस्से में से उसका घुटना दिख रहा था ! ऋषभ फिर हसने लगा ! माही ने सामने पड़ी पानी की बॉटल उठायी और मुंह लगाकर पिने लगी ! ऋषभ ने एक नजर देखा और फिर सामने देखने लगा ! माही ने बोतल वापस सामने रखा और कहा,”वैसे हम कहा जा रहे है ?”
“झील !’,ऋषभ ने कहा
“झील ?”,माही को समझ नहीं आया तो उसने हैरानी से कहा
“झील मतलब लेक , ऊटी लेक ! ऊटी में नीलगिरि नाम की जगह है जहा एक बहुत बड़ी लेक है ! वह जगह बोटिंग और मछली पकड़ने के लिए फेमस है !”,ऋषभ ने कहा !
“तुम इस शहर के बारे में इतना कैसे जानते हो ?”,माही ने ऋषभ की और पलटकर कहा !
“जिस जगह से आपको लगाव होता है या सरल शब्दों में कहे तो जिस जगह से आपको प्यार हो , उसके बारे में जानकारी रखने में इंसान को ख़ुशी मिलती है ! ऊटी भले ही तुम्हारे लिए महज एक शहर हो , मेरे लिए ये मेरे घर , मेरी दुनिया की तरह है और शायद इसलिए मैं इसके कोने कोने से वाकिफ हु”,ऋषभ ने कहा !
माही तो बस उस आवाज में खोकर रह गयी ! उसने कुछ देर बाद कहा,”तुम अकेले रहते हो , तुम्हारी कोई फॅमिली , वाइफ , बच्चे नहीं है”
माही के इस सवाल से ऋषभ के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये लेकिन उसने छुपा लिया और कहा,”इट्स नन ऑफ योर बिजनेस !”
“टेक इट ईजी , आई ऍम जस्ट आस्किंग “,माही ने हाथो को नचाते हुए कहा ! ऋषभ को महसूस हुआ उसका व्यवहार काफी रखा था उसने एक गहरी साँस ली और कहने लगा,”फॅमिली है ! माँ , पापा , भाई , उनकी पत्निया , उनके बच्चे ! वे सब लोग भोपाल में रहते है हमारे पुश्तैनी मकान में !”
“और तुम्हारी वाइफ ?”,माही ने तपाक से कहा
“मेरी शादी नहीं हुई है !”,ऋषभ ने बिना किसी भाव के कहा
“व्हाट ? आर यू सीरियस ?”,माही ने चौंककर कहा
“इसमें इतना चोकने वाली कोनसी बात है ?”,ऋषभ ने गाड़ी की स्पीड बढ़ाते हुए कहा ! जीप चाय के बागानों के बिच से होते हुए गुजर रही थी मौसम काफी सुहावना था ! लेकिन माही इन खूबसूरत नजारो को छोड़कर ऋषभ को परेशान करने में बीजी थी उसने कहा,”आई मीन तुमने शादी क्यों नहीं की ?”
“क्यों शादी करना जरुरी है ?”,ऋषभ ने माही की और देखते हुए कहा !
“मे बी , कोई गर्लफ्रेंड ?”,माही ने अपने निचले होंठ को दांतो तले दबा लिया !
“नो !”,ऋषभ ने फिर छोटा सा जवाब दिया
“क्यों ? कोई मिली”,माही ने शरारत से मुस्कुराते हुए पूछा !
“मुझे कभी जरूरत महसूस नहीं हुई !”,ऋषभ ने कहा
“स्ट्रेंज ! सो यू आर वर्जिन ?”,माही ने अपने दोनों हाथो को सर के पीछे लगाकर कहा
“ये कैसा बेहूदा सवाल है ?”,ऋषभ ने जीप रोककर गुस्से से माही को देखते हुए कहा ! माही ऋषभ के थोड़ा करीब आयी बिल्कुल उसके चेहरे के सामने और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”गुस्सा तुम्हारी आँखों में कितना सूट करता है !”
माही का इतना करीब आना ऋषभ की धड़कनो को बढ़ा गया ! सर्दियों में भी उसके माथे पर पसीने की बुँदे उभर आयी वह खामोश सा बस उसकी उन नीली आँखों में देखता रह गया , ऋषभ की ये हालत देखकर माही उस से हटी और हसने लगी ! माही को हँसता देखकर ऋषभ भी मुस्कुरा उठा और जीप स्टार्ट करके वापस आगे बढ़ा दी ! रास्ते भर वह माही को ऊटी की खूबसूरती के बारे में बताता रहा ! माही बड़े इत्मीनान से ऋषभ की और देखते हुए सुनने लगी ! कुछ देर बाद दोनों ऊटी झील पहुंचे ! ऋषभ ने एक बोट किराये पर ली और माही के साथ उसमे आ बैठा ! दोनों आमने सामने बैठे थे ! बोत चलाने वाला आदमी नाव को बहाने में व्यस्त था ! वो जगह माही को अच्छी लगी ! झील 2.5 किलोमीटर लम्बी थी !ऋषभ यहाँ काफी बार आ चूका था लेकिन वहा के नज़ारे वह आज भी ऐसे देख रहा था जैसे पहली बार आया हो ! हर चीज को वह बहुत गहराई तक महसूस किया करता था ! माही इस सब से बेखबर पानी को देख रही थी ! झील का पानी साफ और ठंडा था माही ने अपना हाथ उसमे डाला और बहाव के साथ कभी इधर तो कभी उधर बहाने लगी ! उसे बहुत अच्छा लग रहा था वह थोड़ा और झुकी उसने अपना हाथ कोहनी तक पानी में डाल दिया ! अचनाक ऋषभ की नजर उसपर पड़ी तो उसने कहा,”माही व्हाट आर यू डूयिंग ? , पानी बहुत ठंडा है ! कर क्या रही हो तुम ? तुम पानी में गिर जाउंगी”
“ओह्ह टेक इट ईजी , मुझे यहाँ बहुत अच्छा लग रहा है !”,माही ने ऋषभ की और ध्यान ना देते हुए कहा !
“माही अपना हाथ पानी से बाहर निकालो , तुम बीमार पड़ जाओगी पानी बहुत ठंडा है वहा !”,ऋषभ ने एक बार फिर कहा !
ऋषभ को परेशान देखकर माही ने बेमन से पानी से हाथ बाहर निकाल लिया ! ऋषभ ने उसे देखा माही मुंह फुलाकर बैठी थी ! ऋषभ को माही का यु चुप रहना न जाने क्यों अच्छा नहीं लगा ! वह पानी की और झुका और अपनी हथेली में कुछ पानी लेकर माही की और उछाल दिया ! ठंडा पानी गिरने से माही की साँस ऊपर चढ़ गयी उसने ऋषभ की और देखा ऋषभ मुस्कुरा रहा था ! माही भी मुस्कुरा उठी उसने झुककर हाथ में पानी लिया और ऋषभ की और उछाल दिया ! बस फिर क्या था दोनों एक दूसरे पर पानी उछालने लगे ! माही के साथ ऋषभ भी बच्चा बन गया ! वह अपनी उम्र , अपना स्टेटस , अपने उसूल सब भूल चुका था ! माही के साथ मिलकर वह हंस रहा था , उछल कूद कर रहा था , पानी के साथ खेल रहा था ! उसके अंदर का नौजवान आज पहली बार उसके व्यवहार में दिखाई दे रहा था ! माही को ऋषभ का इस तरह खुलना बहुत अच्छा लग रहा था ! जब दोनों थक गए तो एक ही तरफ आकर बैठ गए एक दूसरे की बगल में माही ने अपनी हंसी रोककर ऋषभ से कहा,”तुम वो नहीं हो जो तुम लोगो को दिखाते हो !”
“मतलब ?”,ऋषभ ने चौंक कर पूछा
माही उठी और इधर उधर घूमते हुए कहने लगी,”मतलब यू आर डिफरेंट , तुम लोगो के सामने कुछ और हो लेकिन तुम्हारी असलियत कुछ और है”
माही ने ऋषभ को शब्दों में उलझाते हुए कहा ! ऋषभ हैरानी से माही को देख रहा था और फिर अपनी गर्दन झटककर कहा,”मैं कुछ समझा नहीं , से क्लियर !”
“आई मीन टू से की लोगो के सामने तुम जितना हार्ड बनते हो उतना तुम हो नहीं ! तुम्हारे इस सख्त सीने में भी एक नाजुक सा दिल है जो कभी कभी खुलकर जीना चाहता है ! वैसे ही जैसे कुछ देर पहले तुम थे , खुश !”,माही ने ऋषभ के सामने बैठते हुए कहा उसका एक पैर ऋषभ के पैरो के बिल्कुल बिच में था और वो लगभग उसकी आँखों में देखे जा रही थी ! ऋषभ मन ही मन माही के बारे में सोच रहा था की आँखिर कैसे इसने इतनी आसानी से ऋषभ के अंदर झांक लिया ! उसने माहि की और देखा और कहने लगा,”क्या है मेरी असलियत ?”
“यही की तुम बहुत ही खामोश रहने वाले इंसान हो , लोगो की नजर में ! जबकि तुम्हारे अंदर बहुत शोर है जो तुम्हारी आँखों में दिखाई देता है ! तुम्हे किसी से ज्यादा बाते करना पसंद नहीं है क्योकि तुम किसी से अपनी फीलिंग्स शेयर करना पसंद करते बल्कि उन फीलिंग्स में डूबकर अपनी अलग ही दुनिया में खोये रहते हो ! पर आज वो फीलिंग्स बाहर आ गयी ! जानते हो क्यों ? क्योकि तुम्हारे आस पास लोगो की भीड़ नहीं है , तुम उस जगह हो जो तुम्हे पसंद है और इसलिए तुम सब भूलकर सिर्फ इस पल को जी रहे थे !”,माही ने अपनी सर्द आवाज में ऋषभ की आँखों में झांकते हुए कहा !
ऋषभ ने जब सूना तो अवाक् रह गया हमेशा बेपरवाह रहने वाली लड़की जिसकी बाते अक्सर काफी अजीब होती है वो इतना गहराई में जाकर कैसे बोल सकती थी ? माही का एक नया रूप ऋषभ को देखने को मिला !! ऋषभ को खामोश देखकर माही उठी और मुंह घुमाकर अपने हाथो को फैलाकर कहा,”लेकिन मैं अपनी फीलिंग्स कभी नहीं छुपाती , मेरे दिल में जो होता है मैं वो बोल देती हु !”
ऋषभ वही बैठा उसे मुस्कुराते हुए देखता रहा ! !
झील देखने के बाद दोनों ने एक रेस्टोरेंट में खाना खाने का मन बनाया ! ऋषभ ने अपने और माही के लिए दाल फ़्राय , पनीर , चावल और चपाती आर्डर की ! वेटर चला गया ऋषभ उसे ऊटी के बारे में बताने लगा तो माही ने कहा,”टेल मी समथिंग !”
“क्या ?”,ऋषभ ने कहा
“तुम्हे यहाँ आये कितने साल हो गए ?”,माही ने कहा
“5 साल !”,ऋषभ ने बिना किसी भाव के कहा
“5 साल , तुम्हे देखकर लगता नहीं है की तुम पिछले 5 सालो से यहाँ हो ! आई मीन यू आर सो इंटेलिजेंट”,माही ने कहा
“थैंक्यू !”,ऋषभ ने हल्का सा मुस्कुराकर कहा
“लेकिन एक डाउट है !”,माही ने अपने होंठो को दांतो तले दबाकर कहा
“क्या ?”,ऋषभ ने कहा
“इतनी खूबसूरत जगह में रहने के बाद भी तुम्हे किसी से प्यार नहीं हुआ”,माही ने ऋषभ को देखते हुए कहा
“हम्म्म !”,ऋषभ ने माही से नजरे हटाते हुए कहा
“सो कैसी चल रही है लाइफ ?”,माही ने कहा
“इट वाज गुड़ !”,ऋषभ ने कहा
“गुड़ , आई थिंक यू से इट्स ग्रेट !”,माही ने अपने कंधे उचकाते हुए कहा
“या ! इट्स ग्रेट , मंडे टू सेटरडे ऑफिस में बिजी रहता हु ! किताबे , ये शहर , मैं खुश हु इन सबके साथ”,ऋषभ ने कहा
“किसी अपने की कमी महसूस नहीं होती !”,माही ऋषभ को खोलने का काम कर रही थी पर वह ज्यादा कुछ जान पाती इस से पहले ही वेटर खाना लेकर आ गया ! उसने खाना टेबल पर रखा और चला गया ! ऋषभ ने अपनी और माही की प्लेट में खाना परोसा और जैसे ही खाने लगा माही ने कहा,”तुमने मेरी बात का जवाब नहीं दिया”
“माही मुझे खाते हुए बात करना पसंद नहीं है , खाना खाओ !”,ऋषभ ने धीरे से कहा
माही चुपचाप खाने लगी ! उसे बेमन से खाता देखकर ऋषभ ने पनीर वाली कटोरी उसकी और बढ़ाते हुए कहा,”ये खाओ अच्छा है”
“आई डोंट लाइक पनीर !”,माही ने खाते हुए कहा
“तुम्हे कुछ पसंद क्यों नहीं आता ? हर चीज में कमी निकालना सही बात नहीं होती है माही !”,ऋषभ ने कहा !
“टेक इज ईजी !”,माही ने कहा !
ऋषभ ने कटोरी वापस निचे रख दी और खाने लगा माही कुछ सोचते हुए खा रही थी खाते खाते वह रुकी और ऋषभ की और देखकर कहा,”गिव में द बाउल प्लीज़ !” ऋषभ को हैरानी हुई कुछ देर पहले ही माही ने जिसे खाने से मना किया वह उसी की मांग कर रही थी ! ऋषभ ने कटोरी उसकी और बढ़ाई और कहा,”तुम्हे समझना बहुत मुश्किल है !”
“थैंक्स !”,माही ने कहा और मजे से पनीर खाने लगी
खाना खाकर दोनों कुछ देर वही रुके और फिर वहा से कुन्नूर की और निकल पड़े ! रास्ता इतना खूबसूरत था की माही बस उन रास्तो को एक टक निहारने लगी ! चारो और रास्ता हरी चादर ओढ़े हुए था ! ये सब चाय के पौधे थे ! माही उन्हें देखते हुए गुनगुनाने लगी वो कोई अंग्रेजी गाना गुनगुना रही थी ! ऋषभ ने सूना तो कहा,”अच्छा गाती हो !”
“आपको पसंद आया ?”,माही ने उनकी और पलटकर कहा
“हम्म्म ! पर मुझे हिंदी गाने पसंद है !”,ऋषभ ने कहा
“प्लीज़ सुनाओ ना , मैं हिंदी गाने बहुत कम सुनती हु ! प्लीज़ सिंग”,माही ने बच्चो की तरह जिद करते हुए कहा !
“यहाँ इस तरह !”,ऋषभ ने झिझकते हुए कहा
“ओह्ह कम ऑन यहाँ कौनसी ऑडियंस है सिर्फ तुम और मैं है और आई स्वेयर मैं बिल्कुल जज नहीं करुँगी”,माही ने कहा
“ओहके मैं कोशिश करता हु !”,ऋषभ ने कहा
माही आँखों में चमक लिए ऋषभ के गाने का इंतजार करने लगी ऋषभ ने गला साफ किया और गाने लगा
“एक अजनबी हसीना से , यु मुलाकात हो गयी ! फिर क्या हुआ ये ना पूछो , कुछ ऐसी बात हो गयी !”
माही की नजरे बस ऋषभ के चेहरे से हटने का नाम नहीं ले रही थी ऋषभ की आवाज में एक खूबसूरत आकर्षण था जो माही को उसकी और खींचता चला जा रहा था ! ऋषभ दो लाइन गाकर रुक गया तो माही ने खोये हुए स्वर ने कहा,”तुम बहुत अच्छा गाते हो !”
“थैंक्यू !”,ऋषभ ने शरमाते हुए कहा !
“वैसे मुझे भी एक हिंदी गाना आता है , मैं सुनाऊ”,माही ने कहा
“स्योर”,ऋषभ ने कहा !
माही ने गाना शुरू किया,”तू प्रेमी ! आहा , मैं प्रेमी ! आहा
तू राजी आहा , मैं राजी आहा , फिर क्या डैडी क्या अम्मा
इक बस तू ही प्यार के काबिल
सारा जहाँ है निकम्मा !! “
इतना गाकर माही ऋषभ की और देखने लगी और आगे गाने का इशारा किया ! ऋषभ ने गाने को कम्प्लीट करते हुए कहा,”तम्मा तम्मा लोगे ! तम्मा तम्मा लोगे तम्मा !
ऋषभ ने गाया तो माही ने ख़ुशी से उछलते हुए कहा,”लेटस सिंग टुगेदर !!”
इसके बाद माही और ऋषभ ने वह गाना साथ मिलकर कम्प्लीट किया ! दोनों गाते हुए इतना खो गए की ख़ुशी और हंसी उनके चेहरे से साफ साफ झलक रही थी ! आज से पहले ऋषभ इतना खुश कभी नहीं हुआ था माही के साथ रहकर उसने जिंदगी को एक नए नजरिये से देखा था ! माही के हिसाब से हर चीज में ख़ुशी शामिल होती है ! गाते हुए माही ने अपना हाथ ऋषभ के कंधे पर दे मारा ! माही का छूना ऋषभ को अंदर तक छू गया ! वह हंसती मुस्कुराती माही को देखते हुए गाड़ी चलाता रहा ! दोनो बागानों से होते हुए कुन्नूर पहुंचे जहा दूर दूर तक चाय के बागान फैले हुए थे ! चाय की महक ऋषभ को बहुत पसंद थी उसने जीप साइड में लगायी और माही को साथ लेकर चल पड़ा !
बागान दिखाते हुए ऋषभ माही को वहा के बारे में बताने लगा,”माही ये जो पौधे देख रही हो ये चाय के पौधे है !”
“चाय इनसे बनती है !”,माही ने बच्चो की तरह सवाल किया !
ऋषभ उसकी मासूमियत पर मुस्कुराया और कहने लगा,”नहीं इन पोधो में जो पत्तिया लगी है उन्हें तोड़कर चाय पत्ती तैयार की जाती है जिनसे चाय बनती है ! इन पोधो पर तीन तीन के समूह में पत्ते होते है जिनमे से ऊपर के सिर्फ तीन पत्ते ही काम आते है ! जो सबसे कोमल मतलब सेंसेटिव पत्ती होती है उस से ग्रीन टी बनाई जाती है ! उसके निचे दो पत्तिया जो होती है उनसे चॉकलेट टी और मसाला टी तैयार होती है ! ये पत्तिया सप्ताह में सिर्फ एक बार तोड़ी जाती है पर इन्हे तोड़ने का काम सालभर चलता है ! ये जो इनके किनारो पर लगे बड़े बड़े पेड़ देख रही हो ये रबड़ के पेड़ है ! चाय के साथ साथ कुन्नूर में रबड़ का बिजनेस भी होता है !”
“वाओ ! सच में ये जगह बहुत खूबसूरत है !”,माही ने कहा चाय के पोधो को देखते हुए कहा
“कम !”,ऋषभ ने आगे बढ़ते हुए कहा तो माही उसके पीछे पीछे चल पड़ी ! रास्ता उबड़ खाबड़ होने की वजह से माही को चढ़ने में काफी परेशानी आ रही थी ! ऋषभ ने देखा तो अपना हाथ उसकी और बढ़ा दिया ! माही ने ऋषभ का हाथ मजबूती से थाम लिया ! दोनों चढ़ते हुए ऊपर आये बागान के आखिर में एक स्टोर था ! ऋषभ ने वहा आकर अपने और माही के लिए दो चाय आर्डर की ! माही स्टोर से कुछ दूर खड़ी ऊटी की खूबसूरती निहार रही थी ! इतनी चढ़ाई के बाद उसे गर्मी लगने लगी थी उसने अपना जैकेट निकालकर वही कुर्सी पर रख दिया और खुद कुछ दूर उन पोधो के गलियारों में चली आयी ! ऋषभ चाय के ग्लास थामे उसके पास आया और एक ग्लास उसकी और बढ़ा दिया ! माही ने एक घूंठ भरा और कहा,”इट्स सो नाइस !”
“ये चॉकलेट टी है ! सोचा तुम्हे पसंद आएगी !”,ऋषभ ने अपनी सिंपल चाय पीते हुए कहा
“तुम क्या पि रहे हो ?”,माही ने कहा
“ये साधारण चाय है !”,ऋषभ ने कहा
“लाओ टेस्ट कराओ !”,माही ने ऋषभ की और देखते हुए कहा
“ये जूठी है , मैं दूसरी ले आता हु’,कहते हुए ऋषभ जैसे ही जाने लगा माही ने उसकी बांह पकड़ कर रोकते हुए कहा,”ओह्ह कम ऑन जूठा पिने से कुछ नहीं होता !” कहकर उसने ऋषभ की चाय से एक घूंठ भरा लेकिन अगले ही पल उसका मुंह बन गया और उनसे कहा,”यक्क इट्स टू स्ट्रांग !”
“मैं हमेशा ऐसी चाय ही पिता हु”,ऋषभ ने माही के हाथ से ग्लास लिया और चाय पिने लगा !
कुछ देर वहा वक्त गुजारने के बाद ऋषभ माही को लेकर वहा से निकल गया ! उसने माही को एक दो जगह और दिखाई और उसके बाद वह माही को अपनी पसंदीदा जगह लेकर गया – डोडाबेटा ! ऋषभ कोटगिरि के रास्तो से होते हुए उस जगह पहुंचा ! डोड्डाबेट्टा नीलगिरि की पहाड़ियों पर सबसे ऊँची चोटी है ऋषभ माही के साथ उस जगह आया जैसे ही माही ने उस खूबसूरत जगह को देखा उसका मुंह खुला का खुला रह गया और उसके मुंह से निकला,”आई लव दिस प्लेस !” वह ऋषभ को पीछे छोड़कर आगे बढ़ गयी इस वक्त उस चोटी की सबसे खूबसूरत जगह पर खड़ी थी जहा से उसे बेहतरीन नजारा देखने को मिल रहा था ! माही की आँखों में ख़ुशी चमकने लगी थी वो बहुत खुश थी उसने देखा आसमान वादियों में समाया हुआ है ! चारो और जैसे उस पहाड़ ने हरी चादर ओढ़ रखी हो ! ऋषभ उसके बराबर आकर खड़ा हो गया और कहा,”पसंद आया ?”
“बहुत !”,माही ने अपनी आँखे मिचककर कहा ! ऋषभ ने सामने देखते हुए कहा,”ये जगह मेरी पसंदीदा जगह है जब भी मैं अकेला होता हु या उदास होता हु तो यहाँ चला आता हु ! इन वादियों , पहाड़ो और खुले आसमान को देखकर मैं अक्सर सब भूल जाता हु ! संसार में अगर जीवन कही है तो बस यही है !”
“तुमसे एक बात पुछु ?”,माही ने ऋषभ की और देखकर कहा
“पूछो !”,ऋषभ ने कहा !
“तुम्हारा नाम ऐसा क्यों है ऋषभ ? क्या कोई छोटा नाम नहीं है मेरी तरह लाइक माही !”,माही ने पूछा
“तुम क्या चाहती हो लोग मुझे अब ऋषभ की जगह राही कहकर बुलाये !”,ऋषभ ने मजाकिया अंदाज में कहा
“नॉट एट आल लेकिन मैं तुम्हे आज से “री” कहकर बुलाऊंगी !”,माही ने कहा
“एज यू विश !”,ऋषभ ने कहा !
दोनों वहा बैठकर उन हसीन वादियों को देखते रहे ! शाम हो चली थी ऋषभ ने माही से चलने को कहा ! चलते हुए ऋषभ ने देखा ठण्ड के कारण माही अपने हाथो को आपस में समेटे हुयी थी ! ऋषभ को याद आया माही अपना जैकेट कुन्नूर में ही भूल आयी है ! ऋषभ ने अपना लॉन्ग कोट निकाला और माही की और बढाकर कहा,”इसे पहन लो वरना ठण्ड लग जाएगी !” ठण्ड का असर था या ऋषभ की बातो का माही ने झट से कोट लिया और पहन लिया हलाकि कोट माही के लिए बड़ा था पर उसने उसे पहने रखा ! दोनों जीप के पास पहुंचे ऋषभ ने जीप घर की और मोड़ दी ! रास्ते भर माही कुछ ना कुछ बोलती रही और ऋषभ सुनता रहा ! माही की वो सर्द आवाज ऋषभ के कानो में शहद घोलने का काम कर रही थी ! रात 8 बजे दोनों अपार्टमेंट पहुंचे ! लिफ्ट से होते हुए 4th फ्लोर पहुंचे जैसे ही लिफ्ट से बाहर निकले कार्तिक मिल गया उसने माही को बात करते हुए वही रोक लिया ऋषभ आगे बढ़ गया ! माही ने कुछ देर कार्तिक की बातो का जवाब दिया जैसे ही कार्तिक वहा से निचे गया माही ने ऋषभ को आवाज दी – मिस्टर री
माही की आवाज से ऋषभ पलटा तो माही मुस्कुराते हुए जाकर उसके गले लग गयी और कहा,”थैंक्यू सो मच !”
ऋषभ को कुछ समझ नहीं आया वह तो बस इस वक्त अपने धड़कते दिल को सम्हालने में लगा था ! माही ऋषभ से दूर हटी और अपने होंठो को उसके गालो से छूकर कहा,”इट वाज अ नाइस जर्नी ! “
इतना कहकर माही अपने फ्लेट में चली गयी और ऋषभ अपने हाथ को अपने गाल से लगाए वही खड़ा रहा उसे बदलते अहसास को समझने की कोशिश करने लगा !
इतना कहकर ऋषभ सुजैन की और देखने लगा ! सुजैन को खामोश देखकर ऋषभ कहने लगा,”माही के साथ बिताया वो वक्त मेरी जिंदगी का सबसे हसीन पल बन जाएगा मैंने कभी सोचा नहीं था ! उसका साथ पाकर एक वक्त के लिए मैं अपनी उम्र से पीछे जा चुका था ! उसका बचपना , उसकी जिद , उसकी शरारते देखकर मेरे अंदर का बच्चा भी मेरे बाहर दिखाई देने लगा था ! मेरे अहसास माही के लिए बदलने लगे थे ! उम्र के इस पड़ाव में आकर भी उसका मेरे साथ किया जाने वाला व्यवहार उस वक्त मुझे वैसी ही ख़ुशी दे रहा था जैसे एक बच्चे को उसकी पसंदीदा चीज मिलने से होती है ! माही की बाते मेरे दिलो दिमाग में गहरे तक उतरती जा रही थी जिस में मेरा डूबना तय था !
Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5 Badalte Ahasas – 5
क्रमश – Badalte Ahasas – 6
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संजना किरोड़ीवाल