Main Teri Heer – 3
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Main Teri Heer – 3
शाम 6 बजे फ्लाइट “देवी अहिल्या बाई होल्कर , एयरपोर्ट” पहुंची। गौरी , काशी , ऋतू , प्रिया , अधिराज जी , उनकी पत्नी अम्बिका , नंदिता और जय अपना अपना बैग उठाये एयरपोर्ट से बाहर चले आये। थकान सबके चेहरों पर साफ नजर आ रही थी। अधिराज जी का ड्राइवर पहले से गाड़ी लेकर वहा तैयार खड़ा था। अधिराज जी ने गौरी और उसके परिवार से भी साथ चलने को कहा तो वे लोग गाड़ी में आ बैठे।
काशी ने देखा ऋतू प्रिया उनके साथ नहीं आ रही तो वह उन दोनों के पास आयी और कहा,”क्या हुआ तुम दोनों यहाँ क्यों खड़ी हो चलो , घर नहीं चलना क्या ?”
“वो एक्चुली रोनी और टोनी आ रहे है हम दोनों को लेने तो हम लोग उनके साथ जाएँगी।”,ऋतू ने थोड़ा शरमाते हुए कहा
“हां ! ये कब हुआ ? और अगर हुआ भी तो ये हमे अब पता चल रहा है।”,काशी ने हैरानी से कहा
“अरे यार हम लोग तुझे बताने वाले थे लेकिन तेरी सगाई को लेकर इतने सारे ड्रामे क्रिएट हो चुके थे कि बताने का मौका ही नहीं मिला।”,प्रिया ने कहा
“अच्छा ठीक है , हम तुम दोनों के लिये खुश है। हम में से अब कोई सिंगल नहीं है,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने खुश होकर कहा तभी जय वहा चला आया उसने जब काशी के मुंह से सिंगल वाली बात सुनी तो कहा,”क्या कहा ? क्या ऋतू प्रिया भी रिलेशनशिप में है ?”
“ऋतू प्रिया नहीं दीदी , हमारी तरह ये दोनों भी तुम्हारी दीदी है।”,काशी ने कहा
बेचारे जय का दिल ही टूट गया , ऋतू प्रिया जो उसकी नयी नयी क्रश बनी थी उनका पहले से कही चक्कर चल रहा है जानकर जय का तो सारा मूड ही खराब हो गया। अगले ही पल ऋतू का फोन बजा और स्क्रीन पर नंबर देखकर उसके होंठो पर मुस्कान तैर गयी।
“ओके काशी लगता है टोनी आ गया है मैं और प्रिया चलते है।”,ऋतू ने कहा
“ठीक है बाय , ध्यान से जाना और घर पहुंचकर हमे फोन करना।”,काशी ने ऋतू को साइड हग करते हुए कहा
“बाय काशी,,,,,,,,,,बाय छोटू।”,कहते हुए प्रिया ने जय का गाल खींच दिया
बेचारा जय जिसका अभी अभी दिल टूटा था प्रिया के मुंह से अपने लिए छोटू सुनकर तो उसका दिल चूर चूर हो गया। प्रिया के जाने के बाद उसने अपने गाल को अपने हाथ से दो चार बार घिसा और बड़बड़ाया,”हुह मैं क्या उसे छोटू दिखता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,वैसे वो इतनी सुन्दर भी नहीं थी।”
“जय क्या हुआ ? चलो यहाँ खड़े होकर क्या बड़बड़ा रहे हो तुम ?”,काशी ने कहा तो जय की तंद्रा टूटी और वह गाड़ी की तरफ बढ़ गया। नंदिता , अम्बिका और अधिराज जी पीछे बैठे थे। सबसे पीछे वाली सीट पर गौरी और काशी और जय ड्राइवर के साथ सबसे आगे बैठ गया। गाड़ी एयरपोर्ट से बाहर निकल गयी। एयरपोर्ट से गौरी का घर दूर था इसलिए अधिराज जी ने ड्राइवर से पहले उनके घर ही चलने को कहा।
रास्ते भर जय मुंह लटकाये बैठा था और अधिराज जी नंदिता और अम्बिका के साथ मिलकर दिवाली के बाद गौरी और मुन्ना की सगाई को लेकर बातें कर रहे थे। वही गौरी और काशी पीछे बैठकर फोन में काशी और शक्ति की सगाई की तस्वीरें देख रही थी। तस्वीरें देखते हुए एकदम से काशी की आँखों के सामने वो शाम आ गयी
जब उसने शक्ति को पहली बार घाट पर देखा था। काशी को खोया हुआ देखकर गौरी ने उसके कंधे से अपने कंधे को टकराया और अपनी भँवे उचकाई। काशी मुस्कुराई और धीरे से कहा,”हम बनारस को बहुत मिस कर रहे है और शक्ति को भी,,,,,,,,,!!”
“लेकिन शक्ति तो यही है न इंदौर में कल उस से मिल लेना,,,,,,,,,,,!”,गौरी ने कहा
“हाँ लेकिन बनारस में शक्ति के साथ होने की बात ही कुछ और है। अस्सी घाट की सीढ़ियों पर उसका हाथ थामकर जबी हम बैठते है तो एक अलग ही सुकून मिलता है हमे और जब बातों बातों में शक्ति हमारे कंधे पर अपना सर रख देता था तो लगता था जैसे हम हमेशा के लिये वही रह जाये।”,काशी ने ख्यालो में खोकर कहा
गौरी ने सूना तो कहा,”तुम और तुम्हारे मुन्ना भैया , तुम दोनों का बस चले तो तुम दोनों कभी बनारस से बाहर निकलो ही नहीं।”,गौरी ने कहा
“अच्छा तो क्या तुम्हे बनारस पसंद नहीं आया ?”,काशी ने गौरी की तरफ पलटकर पूछा
“मुझे तो वो शहर बहुत है , और जहा हमारे वो रहेंगे मैं भी वही रहूंगी।”,गौरी ने शर्माने का नाटक करते हुए कहा
“अच्छा ये शर्माने का नाटक बंद करो हम अच्छी तरह जानते है तुम्हे,,,,,,,,,,,,,देखो शादी के बाद हमारे भैया को ज्यादा तंग मत करना वो बहुत सीधे साधे है।”,काशी ने कहा
“वो तो मेरा हक़ है।”,गौरी ने कहा और दोनों हसने लगी।
कुछ देर बाद गाड़ी नंदिता के घर के सामने पहुंची। सभी नीचे उतरे नंदिता ने सबको अंदर चलने को कहा और डिनर वही करने को कहा लेकिन अधिराज जी ने मना कर दिया। नंदिता के बहुत कहने पर वे सबके साथ चाय पीने को राजी हुए और सब अंदर चले आये। जय काफी थक गया था इसलिए सीधा अपने कमरे में चला गया। नंदिता ने सबको बैठने को कहा और खुद चाय बनाने किचन में जाने लगी तो गौरी ने कहा,”मम्मा आप बैठिये चाय मैं बनाकर लाती हूँ।”
नंदिता ने सुना तो उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। वे हैरानी से गौरी को देखने लगी तो गौरी ने कहा,”क्या हुआ आप मुझे ऐसे क्यों देख रही है ? मुझे चाय बनानी आती है और फिर नानू नानी अब मेरे होने वाले सास ससुर है तो मैं इनके लिए इतना तो कर ही सकती हूँ।”
अम्बिका ने सूना तो मुस्कुरा उठी। गौरी अपना फोन लेकर किचन में चली गयी और नंदिता ने कहा,”माफ़ करना उसे थोड़ी बात करने की समझ नहीं है।”
“अरे कोई बात नहीं बेटा गौरी को हम बहुत समय से जानते है वो ऐसी ही है दिल की साफ जो दिल में होता है कह देती है।”,अधिराज जी ने कहा तो नंदिता को थोड़ी तसल्ली हुई। सभी बैठकर बाते करने लगे। काशी को शक्ति का ख्याल आया तो वह सबके बीच से उठी और बालकनी में आकर शक्ति को फोन लगाने लगी।
एक दो रिंग जाने के बाद शक्ति ने फोन उठा लिया और कहा,”इंदौर में आपका स्वागत है मिस काशी गुप्ता।”
“तुम्हे कैसे पता हम इंदौर पहुँच चुके ? क्या तुम हमारी जासूसी कर रहे हो ?”,काशी ने शिकायती लहजे में कहा
“इस शहर के ACP होने के नाते हमारा फर्ज है ये जानकारी रखना कि यहाँ कौन आता है और कौन जाता है ?”,शक्ति ने कहा
“अच्छा जी तो तुम्हारा हमारे प्रति कोई फर्ज नहीं बनता,,,,,,,,,,,,,,,!!”,काशी ने कहा
“मतलब ?”,शक्ति ने पूछा
“मतलब ये कि इंदौर में होते हुए भी तुम हमे लेने एयरपोर्ट क्यों नहीं आये ?”,काशी ने फिर शिकायत करते हुए कहा
“माफ़ करना वो हम एक जरुरी केस की स्टडी कर रहे थे और तुम तो कुछ दिन बाद आने वाली थी फिर अचानक,,,,,,,,,!”,शक्ति ने कहा
“क्योकि हमे तुम्हारी बहुत याद आ रही थी हम से रहा नहीं गया इसलिए हम चले आये।”,काशी ने धीमे स्वर में कहा
शक्ति ने सुना तो मुस्कुराने लगा वह काशी से और कुछ बात कर पाता इस से पहले ही इंस्पेक्टर ने आकर कहा,”सर गाड़ी तैयार है।”
“ठीक है हम आते है।”,शक्ति ने इंसपेक्टर से कहा और फिर अपना फोन कान से लगाकर काशी से कहा,”काशी हमे,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“हाँ हाँ हम समझ गए कि तुम्हे अब किसी जरुरी काम से बाहर जाना है और आने में थोड़ा वक्त लग जाएगा इसलिए तुम अभी हम से बात नहीं कर पाओगे , तो कोई बात नहीं हम इंतजार कर लेंगे तुम जाओ अपना काम करो।”,काशी ने शक्ति की बात बीच में काटकर एक साँस में कहा
शक्ति एक बार फिर मुस्कुराया और कहा,”हम्म्म समझदार हो गयी हो।”
“हह क्या कहा ? क्या इस से पहले हम नादान थे ?”,काशी ने हैरानी से पूछा
“मजाक कर रहे है , अच्छा हम फोन रखते है अपना ख्याल रखना।”,शक्ति ने कहा
“शक्ति,,,,,,,,,,!”,काशी ने कहा
“हम्म्म !”,शक्ति ने कहा
“आई लव यू,,,,,,,,,,!”,काशी ने बड़े प्यार से कहा
शक्ति एक बार फिर मुस्कुरा उठा और कहा,”आई लव यू टू , बाय”
“बाय,,,,,,,,,,,,अपना ख्याल रखना।”,कहकर काशी ने फोन काट दिया लेकिन शक्ति के कानों में अभी तक काशी के कहे वो तीन शब्द गूंज रहे थे।
“सर,,,,,,,,!!”,बहुत देर तक शक्ति के बाहर ना आने पर इंस्पेक्टर ने अंदर आकर कहा
“आई लव यू,,,,,,,,,,,!”,शक्ति धीरे से बुदबुदाया जो की इंस्पेक्टर को सुन चुका था इसलिए उसने एक बार फिर थोड़ा जोर से कहा,”सर,,,,,,,,,,,!”
“अह्ह्ह हां हा , चलो चलते है।”.शक्ति की तंद्रा टूटी और उसने अपना फोन जेब में रखते हुए कहा और इंस्पेक्टर के साथ केबिन से बाहर निकल गया।
गौरी सबके लिए चाय बनाने किचन में चली आयी। उसने गैस पर चाय चढ़ाई और अपने फोन से मुन्ना का नंबर डायल किया। फोन कान से लगाए गौरी ने अपनी पीठ किचन के प्लेटफॉर्म से लगा ली। जैसे जैसे रिंग जा रही थी गौरी के होंठो की मुस्कुराहट भी बढ़ती जा रही थी।
बनारस , मुरारी का घर
विधायकी छोड़ देने के बाद मुरारी के पास अब वक्त ही वक्त होता था वह दिनभर अपने दोस्तों से मिलता , शिवम के घर आई के साथ बैठकर खूब गप्पे लड़ाता और अनु को भी ढेर सारा वक्त देता। शाम के समय मुरारी ऊपर चला आया उसे मुरारी से बंगलौर वाली नौकरी के बारे में बात करनी थी। मुरारी जैसे ही मुन्ना के कमरे में आया देखा मुन्ना कमरे में नहीं है। मुन्ना को वहा ना पाकर मुरारी जाने के लिए जैसे ही वापस मुड़ा टेबल पर रखा मुन्ना का फोन बजा जिस पर कोई प्यारी सी रिंगटोन बज रही थी
जिसे सुनते ही मुरारी को अपनी जवानी के दिन याद आ गए और उसके मन के तार झनझना उठे। मुरारी ने इधर उधर देखा फोन लगातार बजे ही जा रहा था इसलिए मुरारी टेबल के पास आया और फोन उठाकर देखा तो स्क्रीन पर “गौरीशंकर” नाम देखकर थोड़ा हैरान हुआ। ये नाम पहले भी वह मुन्ना के मुंह से सुन चुका था लेकिन वो क्या बात थी मुरारी भूल चुका था। उसने फोन उठाया और कान से लगा लिया वह कुछ कहता इस से पहले ही दूसरी तरफ से गौरी ने चुम्बनों की बरसात कर दी।
फोन के दूसरी ओर से मुंहा मुंहा सुनकर मुरारी के हाथ से फोन गिरते गिरते बचा और खुद मुरारी भी,,,,,,,,,,,,उसने खुद को सम्हाला और गला साफ करते हुए कहा,”आज के लिए इतना काफी है।”
फोन पर मुन्ना की जगह मुरारी की आवाज सुनकर आगे के चुम्बन गौरी के गले में ही अटक गए।
उसे काटो तो खून नहीं। वह कुछ बोल ही नहीं पायी बस बुत बानी फोन कान से लगाए वही खड़ी रही।
“हेलो , हेलो , अरे आगे भी कुछो बोलो,,,,,,,,,,,,,,अजीब बात है अभी अभी रुकने का नाम नहीं ले रही थी और अब एकदम ही खामोश,,,,,,,,,,,,,अरे हेलो गौरी शंकर कुछो बोलो भाई,,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा
मुन्ना उस वक्त बाथरूम में था उसने जैसे ही अपने कमरे से मुरारी की आवाज सुनी जल्दी जल्दी मुंह धोने लगा। मुरारी के मुंह से ‘गौरी शंकर’ नाम सुनकर गौरी की तंद्रा टूटी और उसने एकदम से कहा,”क्या ? उसने अभी तक मेरा नंबर गौरी शंकर के नाम से सेव कर रखा है। उसकी तो मैं,,,,,,,,,,,,,,!!”
गौरी आगे कुछ गड़बड़ शब्द ना बोल दे सोचकर ही मुरारी ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा,”अरे अरे एक मिनिट तुम्हरी आवाज कुछो जानी पहचानी लग रही है , तुम गौरी बोल रही हो का ?”
“हाँ अंकल मै,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी इतना ही कह पायी कि मुन्ना ने आकर मुरारी के हाथ से फोन ले लिया और कहा,”आपने हमारा फोन क्यों ले रखा है ?”
“वो छोडो जे बताओ तुमने हमरी बहू का नाम “गौरी शंकर” कैसे सेब कर रखा है इह फ़ोन में , हाँ बोलो , उह तुमको किस एंगल से गौरी शंकर लगती है बे ?”,मुरारी ने एकदम से मुन्ना पर चढ़ते हुए कहा
“वो सब हम आपको बाद में बताएँगे , क्या गौरी ने आपसे कुछ बदतमीजी की ? मैंने सूना आप गुस्सा हो रहे थे किसी बात पर , क्या उसने कुछ कहा ?”,मुन्ना ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“कहा नहीं दिया,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने कहा
“क्या दिया ?”,मुन्ना ने पूछा
“उँह,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने अपने होंठो को गोल करके कहा
“क्या उँह ?”,मुन्ना को कुछ समझ नहीं आया
“अरे उँह , उन्हहहहह”,मुरारी ने फिर समझाने की कोशिश की लेकिन मुन्ना नहीं समझ पाया और कहा,”आप क्या कह रहे है साफ साफ कहिये ना।”
“अरे चुम्मा दे रही थी उह हमको , अब इशारे से बता रहे है तो तुमहू समझ ही नहीं रहे हो। देखो बेटा ऐसा है जे चुम्मा चाटी,,,,,,,,,,,,,,,,अहमममम हमारा मतलब जे सब ठीक है पर अपनी होने वाली पत्नी को समझाओ ऐसे खुले आम,,,,,,,,,,,,,,तुम समझ रहे हो ना।”,मुरारी ने हिचकिचाते हुए कहा
मुरारी अपने समय में भले ही कितना रंगबाज रहा हो लेकिन अपनी होने वाली बहू से इतना फ्रेंक होने का तो उसने भी नहीं सोचा होगा।
मुन्ना ने सूना तो उसने गौरी की इस हरकत पर अपना सर पीट लिया उसने मुरारी की तरफ देखा और जैसे ही कुछ कहना चाहा मुरारी ने कहा,”हाँ हाँ हम समझ गए अभी बात करो और थोड़ी देर बाद हम से नीचे आकर मिलो।”
“पापा,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना कुछ कहता इस से पहले ही मुरारी वहा से चला गया
मुन्ना ने फोन अपने सर पर मारा और फिर कान से लगाकर कहा,”हेलो , हेलो !”
दूसरी तरफ से कोई आवाज नहीं आयी मुन्ना ने स्क्रीन देखा तो पाया की फोन कट चुका है। मुन्ना ने गौरी का नंबर डायल किया तो आवाज आयी “द नंबर यू डायल्ड इज करन्टली स्विच ऑफ पलिक ट्राय आफ्टर सम टाइम , आपके द्वारा डायल किया गया,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
मुन्ना ने फोन काट दिया और बिस्तर पर बैठकर फोन सर से लगाकर कहा,”महादेव इस लड़की का हम क्या करे ? अब नीचे जाकर पापा को क्या जवाब देंगे हमे उनसे नजर मिलाने में भी शर्म आ रही है। ये तुमने ठीक नहीं किया गौरी शर्मा,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“मुन्ना बाबा , मुरारी भैया आपको बुला रहे है।”,किशना ने मुन्ना के कमरे में आकर कहा तो मुन्ना की तंद्रा टूटी उसने अपना फोन साइड में रखा और उठकर किशना के साथ नीचे चला आया।
सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए मुन्ना ने देखा मुरारी के साथ साथ हॉल में अनु भी खड़ी है अब तो मुन्ना का दिल और तेजी से धड़कने लगा। चलते चलते उसका हाथ अपने सीने पर चला गया। उसने धीरे से एक गहरी साँस ली और नीचे चला आया। मुन्ना किसी गुनहगार की तरह मुरारी के सामने आकर खड़े हो गया।
मुरारी ने कुछ देर मुन्ना को देखा और फिर एकदम से ताली मारकर खुश होते हुए कहा,”देखा मैगी का कहे थे हम हमरे मुन्ना की जिंदगी में ऐसी लड़की आएगी जो तुमसे भी दुइ कदम आगे होगी,,,,,,,,,,,,,,तो ल्यो हम ले आये अब कहो का कहती हो ?”
मुन्ना ने सूना तो हैरानी से मुरारी को देखा और फिर अनु को उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है ? उसने अनु की तरफ देखकर धीरे से कहा,”माँ,,,,,,,,!!”
“मुन्ना सही तो कह रहे है तुम्हारे पापा , और ये बताओ तुमने गौरी का नंबर ऐसे अजीब नाम से क्यों सेव किया है ?
अगर उसका नंबर उसके नाम से सेव होता तो तुम्हारे पापा उसका फ़ोन उठाते ही नहीं और ना ये सब होता चलो अभी गौरी का नंबर उसके नाम से सेव करो,,,,,,,,,,!!”,अनु ने लगभग आदेश देते हुए कहा
“वो हम कर लेंगे,,,,,,,,,,,गौरी की तरफ से हम माफ़ी चाहते है।”,मुन्ना ने मायूस होकर कहा
“इट्स ओके बेटा इस उम्र में ये सब नहीं होगा तो क्या हमारी उम्र में होगा ? तुम्हे ऐसे माफ़ी मांगने की जरूरत नहीं है। किशना मुन्ना के चाय बना दो ज़रा,,,,,,,!!”,अनु ने मुन्ना के गाल को छूकर प्यार से कहा
“जी भाभी अभी बना देते है,,,,,,,,,,!!”,कहकर किशना किचन में चला गया
मुन्ना भी हॉल में पड़े सोफे पर आकर बैठ गया और टीवी ऑन कर लिया ताकि मुरारी फिर से फोन की बात को लेकर उसके पीछे ना पड़ जाये।
किशना और मुन्ना के जाने के बाद मुरारी अनु के पास आया और धीमे स्वर में कहा,”वैसे हमारी उम्र मा का डिफेक्ट है मिश्राइन , एक चुम्मा तो हम भी डिजर्व करते है मुन्ना के पापा होने नाते,,,,,,,,,,!!”
“उम्र हो चली है लेकिन बकैती ना गयी है तुमरी मिश्रा,,,,,,,,,,,,आज शाम तुम हमरे लिए गजरा लाने वाले थे का हुआ उसका ? बड़ी बड़ी बाते करवा लो बस तुमसे , विधायक थे तब ही ठीक थे जब से विधायकी छोड़ी है सब छूट गया है तुम्हारा,,,,,,,,,,,,!!”,अनु ने कहा और वहा से चली गयी।
“अब बकैती का उम्र से का लेना देना ? ए मिश्राइन सुनो तो , अरे सुनो यार कहा जा रही हो,,,,,,,,,,,,,,हम भी पता नहीं कौनसी घडी में गजरा लाने का वादा कर दे रहे इनसे ,
अगर रात का खाना चाहिए तो लाना ही पडेगा मिश्रा का है कि विधायकी की धौंस तो अब रही ना है अब तुमहू हो सिर्फ मुन्ना के पापा और पापा लोगो का बस जे ही काम होता है भाजी तरकारी लाने का,,,,,,,,,,,,,,,ए मुन्ना , उह जरा तुम्हरी फटफटिया की चाबी देबो , हमहू थोड़ा बाजार टहल के आते है।”,मुरारी ने कहा और मुन्ना की तरफ चला आया।
“बाइक ले जाकर क्या करेंगे ड्राइवर से कह दीजिये वो ले जायेंगे आपको।”,मुन्ना ने कहा
“काहे ? तुमको का लगता है हम से तुमरी फटफटिया नहीं चलेगी , अरे सालों हमने बनारस को चलाया है जे तो एक फटफटिया है उह भी तुम नयी जनरेशन वालो की इह चलाना तो हमरे बांये हाथ का खेल है,,,,,,,!!”,मुरारी ने अपना चश्मा साफ करते हुए कहा
मुन्ना समझ गया मुरारी से कुछ भी कहने का कोई फायदा नहीं क्योकि इस घर में दो ही इंसान ऐसे थे जो अपने मन की करने पर आते तो किसी की ना सुनते थे एक थी अनु और दुसरा था मुरारी इसलिए मुन्ना ने बिना कोई सवाल जवाब किये बाइक की चाबी मुरारी को थमा दी और मुरारी गाना गाते हुए वहा से निकल गया
“काशी हिले पटना हिले कलकत्ता हिलेला रे,,,,,,,,,,,,तोहर,,,,,,,,,,,,,,!!”
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