Main Teri Heer – 1
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Main Teri Heer – 1
! हर हर महादेव !
लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट
एयरपोर्ट के चेक इन एरिया की रेलिंग्स के बीच खड़े वंश ने निशि के होंठो को अपने होंठो की गिरफ्त में लिया हुआ था। निशि की आँखे हैरानी और ख़ुशी से फैली हुयी थी इस वक्त दोनों को ही ना किसी की परवाह थी ना ही किसी की शर्म,,,,,,,,,,,,इस वक्त वे दोनों ही दुनिया जहा से बेखबर एक दूसरे की बांहो में कैद थे। अगले ही पल निशि ने वंश को धक्का देते हुए खुद से दूर किया और वंश निचे जा गिरा।
“आह्ह्ह्ह,,,,,,,,,,,,,आउच,,,,,,,,,,,ए तुम पागल हो क्या तुमने मुझे धक्का क्यों दिया ?”,गिरते ही वंश ने चिढ़ते हुए कहा और अपना सर सहलाने लगा। अगले ही पल उसने खुद को अपने कमरे के फर्श पर पाया। उसने जल्दी जल्दी अपनी आँखों को मसला और इधर उधर देखा। उसे अहसास हुआ कि वह सचमुच अपने कमरे में ही था और अपने बिस्तर से गिरा था। जो थोड़ी देर पहले उसके साथ हुआ था वह हकीकत नहीं बल्कि एक सपना था।
वंश हैरान परेशान सा वही बैठा सोचने लगा और फिर बड़बड़ाया,”ओह्ह्ह इसका मतलब मैं सपना देख रहा था लेकिन ये सपना कितना रोमांटिक था मैं उस निशि को किस,,,,,,,,,,,,,ओह्ह्ह मुझे तो सोचकर ही गुदगुदी सी हो रही है। वैसे भी वो छिपकली मुझे छोड़कर कहा जाएगी ? लगता है आज मैं काफी देर तक सोया,,,,,,,,,!!”
वंश उठा और अपने बालों में हाथ घुमाते हुए शीशे के सामने चला आया।
जब उसकी नजर शीशे पर निशि के लिखे शब्दों पर पड़ी तो वह मुस्कुरा उठा और शीशे के बगल में खड़े होकर उन शब्दों पर अपनी उंगलिया घूमाते हुए बड़बड़ाया,”आई थिंक तुम इतनी भी बुरी नहीं हो , बस तुम थोड़ी पागल हो,,,,,,,,,हा हा हा पागल निशि,,,,,,,,!!”
वंश अपनी ही बात पर हंस पड़ा उसने कुर्सी पर रखी अपनी टीशर्ट उठायी और पहनकर नीचे चला आया। वंश ने देखा निचे सब खाली था। घर में कोई नहीं था वंश आवाज लगाते हुए हॉल में आया,”माँ , माँ,,,,,,,,!!”
वंश ने कमरे में देखा वहा कोई नहीं था। वह पीछे आँगन में आया वहा भी कोई नहीं था। गेस्ट रूम में निशि होगी सोचकर वह वहा चला आया लेकिन वहा भी कोई नहीं था।
“ये सुबह सुबह घर के सारे लोग कहा चले गए ? माँ , माँ , माँ कहा है आप ?”,आवाज देते हुए वंश घर से बाहर आया तो सामने से सारिका आती दिखी
“उठ गए जनाब ? जानते हो तुम्हारी इस गैर जिम्मेदारी की वजह से आज सुबह सुबह शिवम् जी से हमे कितनी बातें सुननी पड़ी। तुम समय पर उठना कब शुरू करोगे बेटा ?”,सारिका ने अंदर आते हुए कहा
“उठ जाऊंगा पहले आप मुझे ये बताओ सब घरवाले कहा है ?
आई बाबा , पापा , काशी , गौरी , ऋतू प्रिया कोई भी यहाँ नहीं है और,,,,,,,,,,,,,,,!”,कहते कहते वंश एकदम से रुक गया तो सारिका ने पलटकर पूछा,”और ?”
“और , और वो आपके दोस्त की बेटी निशि भी कही नजर नहीं आ रही है ? क्या वो सब लोग फिर से घूमने गए है ?”,वंश ने झिझकते हुए पूछा
सारिका मुस्कुरा उठी और कहा,”तुम भूल गए ना वंश ? कल रात ही तय हो गया था कि काशी और उसकी दोस्त मम्मी पापा के साथ सुबह जल्दी इंदौर निकल जाएँगी , अब तक तो वो लोग फ्लाइट में होंगे।”
वंश ने सूना तो उसका मन थोड़ा उदास हो गया उसने डायनिंग के पास पड़ी कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए कहा,”कोई बात नहीं मैं फोन पर काशी और उसकी दोस्त से माफ़ी मांग लूंगा लेकिन बाकि सब लोग कहा गए है ? घर कितना खाली खाली लग रहा है”
“तुम्हारे मुरारी चाचा और पापा सबके साथ एयरपोर्ट गए है और आई बाबा मंदिर गए है।”,सारिका ने किचन की तरफ जाते हुए कहा
वंश ने टेबल पर रखे फलों में से एक सेब उठाया और खाते हुए कहा,”कल सब के होने से इस घर में कितनी रौनक थी ना माँ और आज सब सूना सूना हो गया ,
मैं सोच रहा हूँ मैं भी अब वापस मुंबई चला जाऊ अगले हफ्ते से मेरी सीरीज की शूटिंग भी शुरू हो जाएगी। आप निशि से कह दो अपना सामान पैक कर ले हम दोनों साथ ही मुंबई के लिये निकल जायेंगे।
वैसे मैं उसे अपने साथ लेकर जाना तो नहीं चाहता लेकिन अब नवीन अंकल आपके इतने अच्छे दोस्त है बस सिर्फ इसलिए,,,,,,,,!!”
“निशि तो सुबह ही मुंबई के लिए निकल गयी , इन्फेक्ट हमने ही उसे मुन्ना के साथ भेजा है।”,सारिका ने चाय का कप वंश के सामने रखते हुए कहा
सारिका की बात सुनकर वंश का हाथ रुक गया और निवाला उसके हलक में अटक सा गया। उसे एक दर्द और चुभन का अहसास होने लगा उसके मुंह से कोई बोल नहीं फूटे।
वंश को चुप देखकर सारिका ने कहा,”तुम्हे तो मुंबई कुछ दिन बाद जाना था और फिर निशि के एग्जाम्स भी आने वाले थे इसलिए वह अकेले ही चली गयी वैसे कुछ भी कहो वंश निशि बहुत ही सुलझी हुई और बहादुर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वंश , वंश , ये लड़का कहा चला गया वंश,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए सारिका ने जैसे ही कुर्सी की तरफ देखा वंश वहा नहीं था। निशि के मुंबई जाने की बात सुनकर ही वंश वहा से चला गया था।
वंश घर से बाहर आया उसने देखा न कोई बाइक वहा थी ना ही कोई गाड़ी।
वह घर से बाहर आया और हाथ पर बंधी घडी में देखा जो कि सुबह के 8 बजा रही थी समय देखकर वंश बड़बड़ाया,”मुंबई जाने वाली फ्लाइट 9.15 की है मतलब वो अभी बनारस में ही है , मुझे उसे रोकना होगा।”
कहते हुए वंश बनारस की उन संकरी गलियों में भागने लगा
उसे जल्दी से जल्दी मेन सड़क पर पहुंचना था जहा से उसे कोई रिक्शा मिले और वह एयरपोर्ट पहुंचे। बनारस की वो गलिया कितनी संकरी और तंग होती है ये तो वहा रहने वाले लोग ही जानते है। भागते हुए वंश ना जाने कितनी ही बार लड़खड़ाया
भागते हुए वंश सामने से आते आदमी से टकरा गया। बेचारा आदमी सुबह सुबह अपनी फूलों की से भरी टोकरी लेकर जा रहा था कि वंश उस से आ टकराया और सारे फूल हवा में उछलकर वंश पर आ गिरे लेकिन वंश को इन सब की परवाह कहा थी वह भागते हुए आगे बढ़ गया।
“अरे रे जे का किये वंश बिटवा हमार सारे फूल बिखेर दिए,,,,,,,,,इति घई में काहे हो गुरु ?”,आदमी ने वंश से कहा
“आकर बताते है चचा,,,,,,,,,,!!”,वंश ने भागते हुए कहा
महादेव की कृपा से गलिया पार कर वंश मैन रोड पर पहुंचा। यहाँ से एयरपोर्ट था 25km दूर और वंश को 1 घंटे के अंदर अंदर एयरपोर्ट पहुंचना था। ऐसी उलझन में वंश अपना फोन लाना भी भूल गया और ना ही उसे मुन्ना को फोन करना याद आया। उसने एक दो रिक्शा वालो से पूछा लेकिन इतनी दूर जाने को तो कोई भी तैयार नहीं था।
पास ही में उसके दोस्त का घर था वहा से उसे बाइक मिल सकती है सोचकर परेशान सा वंश फिर गलियों की तरफ भागा। भागते हुए वंश एकदम से रुका और खुद से सवाल किया,”ये क्या हो गया है मुझे उस छिपकली को रोकने के लिए मैं इतना परेशान क्यों हो रहा हूँ ? और उसके लिए मैं ऐसे भाग क्यों रहा हूँ ?”
वंश काफी देर तक खड़े खड़े सोचते रहा और सोचते हुए उसे निशि के साथ बिताये पल याद आने लगे। उसके पास अपने ही सवाल का कोई जवाब नहीं था। अगले ही पल उसकी तंद्रा टूटी और उसने खुद से कहा,”ये सब बाद में सोचना वंश अभी तुम्हे उसके जाने से पहले एयरपोर्ट पहुंचना है बस , जिस बेचैनी में उसने तुझे डाला है वो क्या है ये वही बता सकती है।”
वंश वहा से सीधा अपने दोस्त के घर पहुंचा , वंश की किस्मत अच्छी थी कि उसका दोस्त और दोस्त की बाइक दोनों बाहर ही मिल गए।
“अपनी बाइक की चाबी दे !”,वंश ने बाइक पर बैठते हुए कहा
“हुआ क्या ? इतनी सुबह सुबह तू यहाँ और वो भी ऐसे , सब ठीक है न भाई ?”,वंश के दोस्त ने पूछा लेकिन वंश के पास उसके सवालो का जवाब देने का समय नहीं था इसलिए उसने उसके हाथ से चाबी ली और बाइक स्टार्ट करते हुए कहा,”वो सब मैं तुझे बाद में बताऊंगा।”
“वंश , वंश , अरे रुक मैं भी चलता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश का दोस्त पीछे से चिल्लाया लेकिन तब तक वंश बाइक लेकर वहा से जा चुका था।
“पता नहीं ये लड़का इतनी जल्दी में क्यों रहता है ?”,कहकर उसका दोस्त भी वहा से चला गया।
एयरपोर्ट की रेलिंग से गुजरकर निशि ने उदास आँखों से मुन्ना को देखा और अपना हाथ हिला दिया। मुन्ना ने भी अपना हाथ हिलाकर निशि को अलविदा कहा और निशा वहा से चली गयी। मुन्ना को वंश पर थोड़ा सा गुस्सा आया और निशि के लिए बुरा भी लगा। निशि को कितनी उम्मीद थी कि वंश आएगा लेकिन वो नहीं आया। मुन्ना कुछ देर वही रुका और फिर शिवम् मुरारी की तरफ बढ़ गया।
शिवम् और मुरारी कुछ बातो में लगे थे कि तभी वंश भागते हुए आया वह लगभग मुरारी से टकराने ही वाला था कि अपने पापा और मुरारी को वहा देखकर रुक गया।
मुरारी ने वंश को वहा देखा तो कहा,”का बेटा ? तुम का हमको एयरपोर्ट समझ लिये हो का जो इरोप्लेन बनकर हम पर लेंड होने का सोच रहे हो हाँ,,,,,,,,,,,,,,,,कहा जा रहे हो इतना घई में ?”
मुरारी की बात सुनकर वंश खामोश हो गया क्या कहे और क्या नहीं इस वक्त उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
उसने साइड होकर रेलिंग की तरफ देखा पर निशि वहा नहीं थी। मुन्ना ने वंश को वहा देखा तो पहले तो मुस्कुराया लेकिन अगले ही पल उसे निशि का उदास चेहरा याद आ गया और वह वंश की तरफ चला आया।
“अरे बताओगे भी हिया का कर रहे हो तुम ?”,मुरारी ने वंश को पकड़कर अपने सामने करके कहा
“वो , वो , मैं वो , वो मैं,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने अटकते हुए कहा
“अरे जे का मैं मैं वो वो कर रहे हो,,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने थोड़ा चिढ़कर कहा
वंश कुछ कहता इस से पहले ही मुन्ना वहा आया और कहा,”वंश उन सबको बाय बोलने आया था,,,,,,,,,,,!!”
“हाँ हाँ , मुरारी चचा वो मैं काशी को बाय बोलने आया था।”,वंश ने धीमे स्वर में कहा क्योकि जब भी वंश झूठ बोलता था उसकी आवाज धीमी हो जाया करती थी। शिवम ने देखा और कहा,”इसके लिए तुम्हे जल्दी उठना चाहिए था , अब ऐसे देर तक सोते रहोगे तो यही होगा।
मुन्ना हमे यही बगल में किसी से थोड़ा काम है तुम मुरारी और वंश के साथ घर निकल जाओ , अपनी बड़ी माँ से कहना हमे आने में थोड़ी देर हो जाएगी।”
“ठीक है बड़े पापा,,,,,,,,,,पापा आप गाड़ी ले जाईये हम वंश के साथ आते है।”,मुन्ना ने गाड़ी की चाबी मुरारी की तरफ बढ़ा दी।
“हम्म्म ठीक है दोनों सीधा घर ही आना इधर उधर घूमने ना निकल जाना,,,,,,,,,,,,,शिवम् भैया हमहू चलते है।”,कहकर मुरारी ने जेब से अपना चश्मा निकाला और आँखों पर लगाकर वहा से निकल गया।
शिवम् भी अपनी गाड़ी लेकर दूसरी दिशा में आगे बढ़ गया।
बचे वंश और मुन्ना जो कि एक दूसरे के सामने खड़े थे वंश उदास नजरो से एयरपोर्ट की रेलिंग्स को देख रहा था। उसे देखकर मुन्ना ने कहा,”वैसे तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? क्या तुम सच में काशी को बाय बोलने आये थे या फिर,,,,,,,,,,,,,,,!!!
“हाँ मैं उसी से मिलने आया था मेरी बहन इतनी दूर जा रही है मुझे इस बात का दुःख है,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने कहा
“ओह्ह्ह तो मतलब तुम निशि के लिये यहाँ नहीं आये,,,,,,,,,,,,हम जानते ही थे कि तुम्हारे मन में ऐसा वैसा कुछ है ही नही पर देखो वो निशि ये मानने को तैयार ही नहीं थी उसे लगा तुम आओगे पर तुम तो यहाँ अपनी बहन के लिये आये हो,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह काशी से कितना प्यार है तुम्हे।”,मुन्ना ने वंश को छेड़ने के लिए कहा
“मुन्ना,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने बच्चो की तरह मुंह बनाकर कहा
“क्या ?”,मुन्ना ने अपनी भंव चढ़ाकर कहा
“क्या सच में वो मेरा इंतजार कर रही थी ?”,वंश ने अपने नाख़ून चबाते हुए पूछा
मुन्ना वंश के पास आया और कहा,”हम्म्म उसने तुम्हारा बहुत वेट किया , जाने से पहले वो तुम से मिलना चाहती थी शायद तुम से कुछ कहना चाहती हो लेकिन तुमने आने में देर कर दी और वो,,,,,,,,,,,,!!”
मुन्ना आगे कहता इस से पहले प्लेन उन दोनों के सर के ऊपर से गुजरा और मुन्ना ने उसे देखते हुए कहा,”और वो चली गयी।”
वंश ने सूना तो वह पलटा और प्लेट को देखकर हाथ हिला दिया। देखते ही देखते प्लेन बादलों में छुप गया। मुन्ना ने आकर वंश के कंधे पर हाथ रखा और कहा,”घर चले ?”
“हम्म्म !”,वंश ने उदासी भरे स्वर में कहा और मुन्ना के साथ चल पड़ा। गौरी से सगाई होने के बाद मुन्ना जहा खुश था वही निशि के चले जाने से वंश उदास था
दोनों बाइक के पास चले आये। वंश को चुप देखकर मुन्ना ने कहा,”परेशान मत हो वैसे भी तू कुछ दिन बाद मुंबई जाने वाला है तब जाकर उस से मिल लेना और उसे सॉरी भी कह देना।”
मुन्ना की बात सुनकर वंश उसे एकटक देखने लगा जिन अहसासों से अभी तक वह खुद अनजान था उनके बारे में भला मुन्ना को क्या बताये। वंश को अपनी ओर देखता पाकर मुन्ना ने कहा,”अब बस भी करो तुम ऐसे बिल्कुल अच्छे नहीं लग रहे।”
वंश को ना जाने क्या हुआ उसने एकदम से अपना मूड ठीक किया और कहा,”हाह तुम्हे तुम्हे क्या लगता है मुन्ना एक लड़की के जाने से मैं उदास हो जाऊंगा , हरगिज नहीं ! वो तो मैं बस मैं उदास होने की प्रेक्टिस कर रहा था ताकि अपनी सीरीज में अच्छे से काम कर सकू। निशि रुके या जाये मुझे उस से क्या ?”
वंश की बात सुनकर मुन्ना हैरानी से उसे देखने लगा और फिर कहा,”कभी कभी तुम में तुम बड़े कठोर हो जाते हो , चलो घर चलते है माँ इंतजार कर रही होगी।”
मुन्ना वंश के सामने से हटकर बाइक पर आ बैठा और वंश उसके पीछे,,,,,,,,,दोनों वहा से निकल गए।
रस्ते भर मुन्ना वंश को कुछ ना कुछ बताता रहा लेकिन वंश ना जाने कहा खोया हुआ था। मुन्ना के पीछे बैठा वह बस निशि के बारे में सोच रहा था। निशि को लेकर इन दिनों उसके दिल में जो अहसास थे उन्हें वंश भी समझ नहीं पा रहा था। मुन्ना से झूठ बोलकर वंश को अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए उसने अपनी बांहो से मुन्ना की कमर को पकड़ा और अपना गाल मुन्ना की पीठ से लगा लिया।
“क्या हुआ तुम ठीक हो ?”,मुन्ना ने बाइक चलाते हुए पूछा
“काशी चली गयी , अब तुम भी मुझे छोड़कर चले जाओगे यही सोचकर अच्छा नहीं लग रहा।”,वंश ने धीमे स्वर में कहा
“हम तुम्हे छोड़कर कहा जा रहे है , तुम हमेशा हमारे दिल में रहोगे और वैसे भी हमने अपना पुराना काम तो छोड़ दिया है तो अब कुछ न कुछ नया शुरू करना पडेगा ना बस इसलिए हम बैंगलोर जा रहे है। वहा रहकर कुछ महीने काम सीखेंगे और फिर वापस बनारस आ जायेंगे।”,मुन्ना ने कहा
“हाँ तुम बनारस के बिना कैसे रह सकते हो ? बनारस तो तुम्हारी महबूबा जो ठहरी,,,,,,,,!!”,वंश ने मुंह बनाकर कहा
वंश की बात सुनकर मुन्ना मुस्कुराया और कहा,”वंश हम ये कभी नहीं बता पाएंगे ये शहर हमारे लिए क्या है ? हम दुनिया में कही भी चले जाये सुकून हमे यही मिलेगा और बंगलौर हम अपने लिए न
हीं जा रहे बस पापा की ख़ुशी के लिये जा रहे है वैसे भी हमने उनका बहुत दिल दुखाया है।”
“बस तेरी यही बाते सुनकर ना कभी कभी मुझे तुझसे जलन होने लगती है , तू इतना अच्छा क्यों है यार ?”,वंश ने मुन्ना को पीछे से और कसकर गले लगाते हुए कहा तो मुन्ना हंस पड़ा
“अच्छा अच्छा ठीक है अब छोडो हमे क्या कर रहे हो ? सब देख रहे है ऐसे चिपको मत।”,मुन्ना ने कहा
“हां हां अब मेरे चिपकने में वो बात कहा , अब तो जनाब को गौरी मैडम मिल गयी है।”,वंश ने ताना मारते हुए कहा
गौरी का नाम सुनते ही मुन्ना का दिल धड़क उठा और नजर अपनी ऊँगली में पहनी अंगूठी पर चली गयी जिसे मंदिर में गौरी की अंगूठी के साथ बदला गया था। मुन्ना की आँखों के सामने गौरी के साथ बिताये पल आने लगे
लेकिन अगले ही पल उसने खुद को सम्हाल लिया और कहा,”हमारी जिंदगी में गौरी से पहले तुम आये हो अगर गौरी हमारी आत्मा है तो तुम हमारा दिल हो , हम तुम्हे कभी गौरी से कम्पेयर नहीं कर सकते वंश ,, तुम हमेशा हमारी पहली प्राथमिकता रहोगे।”
“अह्ह्ह तुम्हारी ये बाते सुनकर अब मुझे गौरी से भी जलन हो रही है , उसे इतना प्यार करने वाला और समझदार लड़का मिला है।”,वंश ने कहा
“चिंता मत करो तुम्हे भी कोई सुधारने वाली मिल जाएगी।”,मुन्ना ने वंश की टांग खींचते हुए कहा
“तो क्या मैं बिगड़ा हुआ हूँ ?”,वंश ने कहा
“हाँ थोड़े से और वो मुंबई वाली भी कह रही थी कि,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा और वह अपनी बात पूरी करता इस से पहले ही वंश बोल पड़ा,”क्या बोल रही थी वो ?”
“क्या बात है तुम्हे बड़ी जल्दी है जानने की , तुमने तो कहा तो तुम उस में बिल्कुल इंटरस्टेड नहीं हो।”,मुन्ना ने वंश का मन टटोलते हुए कहा
“वो तो मैं बस ऐसे ही नहीं बताना तो मत बताओ,,,,,,,,,!”,वंश ने कहा और फिर मन ही मन बड़बड़ाने लगा,”वैसे मुझे पता ही था जाने से पहले वो छिपकली अपना असली रंग तो दिखाएगी ही , देखा जाते जाते उसने उसने मेरी इंसल्ट कर ही दी उसे तो मैं मुंबई में देख लूंगा।”
“क्या हुआ क्या सोचने लगे ?”,मुन्ना ने कहा
“बहुत भूख लगी है एयरपोर्ट आने के चक्कर में नाश्ता भी करके नहीं आया मैं।”,वंश ने मासूमियत से कहा
“अच्छा ये बात है चलो अभी खिला देते है।”,कहते हुए मुन्ना ने बाइक थोड़ी तेज की और आगे जाकर रोक दी। दोनों बाइक से नीचे उतरे और नाश्ते के लिए चले आये। मुन्ना ने दो प्लेट इडली सांभर देने को कहा जो कि बनारस की गलियों में सुबह का बहुत ही फेमस नाश्ता था। दोनों बाहर बने पत्थर के टेबल के पास चले आये और खड़े होकर अपने आर्डर का इंतजार करने लगे।
दोनों इधर उधर की बातें कर ही रहे थे कि तभी मुन्ना का फोन बजा देखा गौरी का विडिओ कॉल था। मुन्ना स्क्रीन को देखता रहा वह सोच रहा था यहाँ फोन उठाये या नहीं क्योकि आस पास बहुत लोग थे और गौरी की हरकतों से मुन्ना और आप सब अच्छे से वाकिफ है।
“क्या हुआ किसका फोन है उठाओ ना ? रुको मुझे दो हे ये तो गौरी का कॉल है रुको मैं उठाता हूँ।”,कहते हुए वंश ने मुन्ना के हाथ से फोन लिया और फोन उठा लिया।
मुन्ना की जगह वंश को देखकर गौरी हैरान थी लेकिन अगले ही पल गुस्सा होकर कहा,”ए तुम हम सबको एयरपोर्ट छोड़ने क्यों नहीं आये ? क्या तुम्हे अपनी हम सबसे भी ज्यादा प्यारी है ? बोलो जवाब दो,,,,,,,,,,!!
वंश ने सूना तो झेंपते हुए अपना सर खुजाने लगा वह कुछ कहता इस से पहले ही मुन्ना ने उसके हाथ से फोन लिया और कहा,”हमने ही इसे साथ आने से मना किया था , और मिस गौरी हमने तुम से भी कहा था कि इंदौर पहुंचकर हमे फोन करना और तुमने,,,,,,,,,,,,!!”
“ओह्ह्ह तो मैं क्या करू मुझे तुम्हारी याद आ रही थी,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने मासूम सा चेहरा बनाकर कहा जिसे देखकर एक पल के लिये मुन्ना स्क्रीन को देखते ही रह गया
लड़का नाश्ते की प्लेट रखकर चला गया तो मुन्ना ने कहा,”गौरी अभी हम वंश के साथ बाहर है , हम तुमसे घर जाकर बात करते है।”
“ए मुन्ना रुको फोन मत काटना , आई नो तुम दोनों बाहर हो और कुछ टेस्टी खा रहे हो , मैं खा नहीं सकती लेकिन तुम्हे खाते हुए तो देख सकती हूँ न ? प्लीज प्लीज प्लीज,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा
“वो इतना बोल रही है तो देखने दो ना।”,वंश ने खाते हुए कहा
गौरी और वंश दोनों ने कहा तो मुन्ना को उनकी बात माननी पड़ी उसने फोन सामने रखा और वंश के साथ नाश्ता करने लगा। वंश और मुन्ना मजे से इडली खा रहे थे और गौरी बड़े प्यार से उन दोनों को देख रही थी। साथ ही इडली सांभर देखकर उसके मुंह में पानी आ रहा था। खाते खाते थोड़ा सा सांभर वंश की टीशर्ट पर गिर गया तो मुन्ना ने उसे अपने हाथ से साफ करते हुए कहा,”आराम से !!”
“अरे ठीक है , ले तू ये खा,,,,,,,,!!”,कहते हुए वंश ने हाथ में पकड़ा निवाला मुन्ना को खिला दिया
गौरी ने दोनों भाईयो का प्यार देखा तो खुद को उनकी बलाये लेने से नहीं रोक पायी।
Continue With Part Main Teri Heer – 2
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