Soulmates aren’t just lovers – 3
इंस्पेक्टर की बात सुनकर दीपक और साँझ दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा। दोनों को अहसास हुआ की दोनों ही एक दूसरे से पहले भी मिल चुके है लेकिन अगले ही पल दोनों ने इसंपेक्टर की तरफ देखा और साँझ ने कहा,”ये क्या बकवास कर रहे है आप ? मेरे पति ऐसे बिल्कुल नहीं है”
“और मेरी वाइफ भी ऐसा बिल्कुल नहीं करेगी,,,,,,,,,,,,,,आप अभी इसी वक्त उसकी मिसिंग रिपोर्ट लिखिये समझे आप”,दीपक ने इस बार थोड़ा तेज आवाज में कहा।
“ए ये पुलिस स्टेशन है तुम्हारा घर नहीं,,,,,,,,,,दोबारा ऐसे बात की तो उठाकर अंदर कर दूंगा समझे”,इंस्पेक्टर ने अपना हाथ टेबल पर मारते हुए कहा
“सॉरी,,,,,,,,मैं अपनी वाइफ को लेकर थोड़ा परेशान हूँ इसलिए,,,,,,,,,,,,!!”,दीपक ने धीमी आवाज में कहा
“कॉन्स्टेबल इनकी रिपोर्ट लिखो”,इंस्पेक्टर ने कहा और वहा से चला गया।
दीपक और साँझ दोनों कॉन्स्टेबल की तरफ चले आये और अपनी अपनी रिपोर्ट लिखवाने लगे। रिपोर्ट लिखवाने के बाद साँझ बाहर चली आयी उसने एक बार दिर रवि को फोन लगाया लेकिन फोन बंद था। परेशानी उसके चेहरे से साफ झलक रही थी रात के 9 बज चुके थे और इस वक्त इस रोड पर ऑटो मिलना भी मुश्किल था। साँझ सड़क किनारे आकर ऑटो का इंतजार करने लगी। कुछ देर बाद दीपक भी चला आया और साँझ से कुछ दूरी बनाकर खड़े हो गया और ऑटो का इंतजार करने लगा। उसने एक नजर साँझ को देखा , साँझ के चेहरे पर आये परेशानी के भावो को दीपक साफ देख पा रहा था लेकिन इस वक्त साँझ से बात करके वह उसे असहज करना नहीं चाहता था। दीपक साँझ से पहले खड़ा था , इसलिए एक ऑटो आकर रुका और दीपक उसमे आ बैठा। ऑटो साँझ के सामने आकर रुका। साँझ ने दीपक को बैठे देखा तो सोच में पड़ गयी की उसके साथ जाये ना जाये।
साँझ को सोच में डूबा देखकर दीपक ने कहा,”इतनी रात में आपको दुसरा ऑटो शायद मिलेगा या नहीं , आप चाहे तो बैठ सकती है”
साँझ ने अपनी घडी में समय देखा इस वक्त ऑटो मिलना थोड़ा मुश्किल था। वह आकर ऑटो में बैठ गयी। साँझ को किसी तरह की असहजता ना हो इसलिए दीपक पहले ही थोड़ा साइड खिसक कर बैठ गया। उसने ऑटो ड्राइवर से कहा,”भैया पहले इनके रूट की तरफ ले लीजिये”
“ठीक है”,कहते हुए ऑटो वाले ने ऑटो आगे बढ़ा दिया। साँझ उदास सी बाहर देख रही थी।
रास्तेभर दोनों खामोश रहे , दीपक भी अपनी साइड बाहर देख रहा था कुछ देर बाद उसने साँझ की तरफ देखा तो नजर उसके गले में पहने मंगलसूत्र पर चली गयी जिसे साँझ ने अपने हाथ में थाम रखा था और परेशान हो रही थी। उसे देखते हुए दीपक ने मन ही मन खुद से कहा,”काश चाँदनी भी मेरे लिए इतना परेशान होती”
अगले ही पल दीपक को अहसास हुआ की उसे साँझ को इस तरह घूरना नहीं चाहिए तो उसने धीरे से कहा,”परेशान मत होईये आपके पति जल्दी घर आ जायेंगे”
“हम्म्म !”,कहते हुए साँझ ने अपने हाथ में पकडे मंगलसूत्र को छोड़ दिया। कुछ देर बाद ही ऑटो साँझ के घर से कुछ दूर आकर रुका। साँझ ऑटो से उतरी और किराया देना चाहा तो दीपक ने कहा,”रहने दीजिये कोई बात नहीं”
“देखिये मैं इस तरह से आपकी मदद नहीं ले सकती इन्हे रख लीजिये प्लीज”,साँझ ने कहते हुए रूपये ऑटो ड्राइवर की तरफ बढ़ा दिए। दीपक को साँझ का स्वाभिमानी होना अच्छा लगा , उसने इस बार मना नहीं किया। साँझ वहा से चली गयी दीपक ने ऑटोवाले को रुकने को कहा। वह तक तक वही रुका रहा जब तक साँझ अपने घर के अंदर नहीं चली गयी और उसके बाद उसने ऑटो वाले से चलने को कहा !
साँझ घर आयी तो देखा उदयपुर में रहने वाले उसके रिश्तेदार आये हुए है। साँझ की दूर की बहन ने आकर कहा,”कहा गयी थी तुम ? तुम्हारे पडोसी ने बताया की तुम काफी परेशान थी और परेशानी में कही चली गयी , अच्छा हुआ तुम आ गयी अब बताओ क्या हुआ है ?”
साँझ अपनी बहन और उसके पति के साथ घर के अंदर चली आयी। उसने उन दोनों को सारी बाते बता दी और फूट फूट कर रोने लगी।
“तुमने मुझे बताया क्यों नहीं ? और इतनी रात में अकेले ही पुलिस स्टेशन चली गयी इनसे कहा होता ये साथ चले जाते”,साँझ की बहन ने उसे चुप कराते हुए कहा।
“मैं बहुत डर गयी थी दीदी,,,,,,,,पता नहीं वो कहा होंगे किस हाल में होंगे ?”,कहते हुए साँझ फिर रोने लगी।
“चिंता मत करो सुबह तक अगर रवि घर नहीं आता है तो हम लोग पुलिस स्टेशन चलेंगे”,साँझ के जीजाजी ने कहा
“वो ऐसा कभी नहीं करते है , हमेशा वक्त से घर आते है। शहर से बाहर भी जाते है तो एक दो दिन में लौट आते है,,,,,,,,,,लेकिन इस बार नहीं आये ना ही उनका फोन लग रहा है”,साँझ ने कहा
“तुमने रवि के ऑफिस में पता किया ? हो सकता है उन्हें कुछ पता हो”,साँझ के जीजाजी ने कहा
“नहीं मैंने वहा नहीं पूछा मैं घबरा गयी थी इसलिए कुछ समझ नहीं आया”,साँझ ने कहा
“कोई बात नहीं तुम कल अपनी दीदी के साथ रवि के ऑफिस जाना और मैं पुलिस स्टेशन चला जाऊंगा ,, आज रात हम लोग यही रुक जाते है।”,साँझ के जीजाजी ने कहा तो उसने हामी भर दी।
सुबह से उसने कुछ खाया नहीं था इसलिए उसे चक्कर भी आने लगे थे। मुश्किल से उसकी बहन ने उसे थोड़ा सा खाना खिलाया। तीनो हॉल में बैठकर रवि के आने का इंतजार करने लगे लेकिन वह नहीं आया। सुबह साँझ उठी रोने की वजह से उसका चेहरा मुरझा सा गया था और उसकी आँखे भी लाल हो चुकी थी। दरवाजे की बेल बजी तो साँझ इस उम्मीद में जल्दी से दरवाजा खोलने आयी की रवि होगा लेकिन जैसे ही उसने दरवाजा खोला उसका चेहरा उदासी से घिर गया सामने दूधवाला खड़ा था। साँझ ने दूध लिया और पतीला लाकर किचन में रख दिया।
“मैं पुलिस स्टेशन होकर आता हूँ तुम अपनी दीदी के साथ रवि के ऑफिस चली जाना , और हां रवि का फोन ट्राय करते रहना”,कहकर साँझ के जीजाजी वहा से चले गए। साँझ और उसकी बहन भी थोड़ी देर बाद ही घर से निकल गयी। ऑफिस आकर साँझ ने रवि के डिपार्टमेंट के बारे में पूछा तो उसे 4th फ्लोर जाने को कहा। साँझ ने अपनी बहन से आकर कहा,”दी आप यही रुकिए मैं उनके बारे में पूछकर आती हूँ”
“मैं साथ चलू क्या ?”,बहन ने पूछा
“नहीं दी आप परेशान होंगी , आप यही मेरा इंतजार कीजिये ऑफिस में अगर किसी को भनक लगी तो रवि जी की इमेज खराब होगी ,, मैं आती हूँ”,कहकर साँझ लिफ्ट की तरफ चली गयी। लिफ्ट में अंदर आते ही साँझ की नजर कोने में खड़े दीपक पर पड़ी। दोनों ने एक नजर एक दूसरे को देखा और फिर नजरे घुमा ली।
“ये यहाँ क्या करने आया है ? कही ये मेरा पीछा तो नहीं कर रहा है ?”,साँझ ने मन ही मन कहा
“लगता है इनके पति भी इसी कम्पनी में काम करते है,,,,,,,,,,,,क्या वो इंस्पेक्टर वाली बात सच हो सकती है ?,,,,,,,,,,,,,,,छी छी मेरी चाँदनी ऐसा कभी नहीं करेगी”,दीपक भी मन ही मन खुद से कहने लगा।
लिफ्ट 4th फ्लोर पर आकर रुकी। साँझ आगे थी इसलिए दीपक से पहले बाहर निकल गयी। दीपक को भी उसी तरफ जाना था इसलिए वह साँझ के पीछे पीछे चल पड़ा। दीपक को अपने पीछे आते देखकर साँझ थोड़ा चिढ गयी और पलटकर कहा,”आप मेरा पीछा क्यों कर रहे है ?”
“एक्सक्यूज मी मैं आपका पीछा नहीं कर रहा हूँ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,दरअसल मेरी वाइफ भी इसी कम्पनी में काम करती है और मैं उसी के बारे में कुछ जानकारी लेने आया हूँ। आप चाहे तो आप पहले जा सकती है”,दीपक ने सहजता से कहा
साँझ ने कुछ नहीं कहा और वहा से रवि के डिपार्टमेंट की तरफ बढ़ गयी। दीपक भी चाँदनी के डिपार्टमेंट की और चला आया। उसे और साँझ दोनों को वेटिंग रूम में थोड़ी देर इंतजार करने को कहा गया। साँझ को पहले से वेटिंग रूम में देखकर रवि एक बार फिर झिझका , एक बार फिर दोनों साथ साथ थे। दीपक चुपचाप आकर बैठ गया , साँझ भी उसकी बगल में कुछ ही दूरी पर बैठी थी। कुछ देर बाद मैनेजर आया तो दोनों ने उस से रवि और चाँदनी के बारे में पूछा
मैनेजर ने जैसे ही मीटिंग का नाम सूना उसने कहा,”एक मिनिट कम्पनी की तरफ से ऐसी कोई भी मीटिंग नहीं थी , आफ्टरऑल कम्पनी की सारी मीटिंग्स तो एक महीने के लिए रोक दी गयी है। आपके पति मिस्टर रवि और आपकी पत्नी चाँदनी को कंपनी ने किसी मीटिंग के लिए बाहर नहीं भेजा है”
मैनेजर की बात सुनकर साँझ और दीपक दोनों एक दूसरे को देखने लगे। उनकी आँखों में एक जैसी बेचैनी थी और मन में एक जैसा ही ख्याल भी
“आप दोनों एक दूसरे को जानते है ?”,मैनेजर ने सवाल किया
“नहीं,,,,,,,,,,,,,थैंक्यू सर”,कहते हुए साँझ की आँखों में आँसू भर आये उस ने जल्दी से अपना बैग उठाया और वहा से बाहर चली गई।
“आप उनके दोस्तों या घरवालों से पता करे शायद वो उनके साथ हो,,,,,,,,,,,,,,,,!”,कहते हुए मैनेजर वहा से चला गया। दीपक को जब पता चला की चाँदनी किसी मीटिंग में नहीं गयी है और उस से झूठ बोला है तो उसका दिल टूट गया। चाँदनी ने ऐसा क्यों किया ये सच जानने के लिए दीपक का उसे ढूँढना अब और जरुरी हो गया। वह वहा से निकल गया। इंस्पेक्टर की कही बात बार बार उसके कानो में गूंज रही थी। ऑफिस से बाहर आकर वह रुका और खुद से कहा,”अगर सच में वो दोनों साथ है तो ये बहुत बुरा होगा,,,,,,,,,,,,,,,,,उम्मीद करता हूँ ऐसा कुछ ना हो।
रवि और चाँदनी के गायब होने की बात ऑफिस में आग की तरह फ़ैल गयी। ऑफिस में सबको उन दोनों पर शक भी था और उनका अचानक एक साथ गायब हो जाना उनके शक को सही साबित भी कर रहा था। रिक्शा में बैठी साँझ रो रही थी उसकी बहन ने उस से पूछा लेकिन वह कुछ बताना नहीं चाहती थी। वह नहीं चाहती थी की लोग दीपक को गलत समझे और उस पर ऊँगली उठाये। दोनों घर चली आयी तब तक जीजाजी भी आ चुके थे। उन्होंने साँझ से पूछा तो साँझ ने झूठ बोल दिया की ऑफिस वालो को भी उनके बारे में कुछ नहीं पता। साँझ ने अपनी बहन और जीजाजी को घर जाने को कह दिया। दोपहर बाद उसकी बहन और जीजाजी घर चले गए। साँझ अपने कमरे में आयी और बिस्तर पर बैठकर रोने लगी। रवि ने उस से झूठ क्यों बोला वह बस यही जानना चाहती थी और झूठ बोला भी तो अब तक वह वापस क्यों नहीं आया ? आखिर क्या वजह थी उसके चले जाने की ? साँझ इन्ही सब बातो के बारे में सोचते हुए आँसू बहाती रही,,,,,,,,,,,,,उसे अभी भी अपने रवि की परवाह थी।
दीपक घर चला आया। दो दिन से वह ऑफिस भी नहीं गया था इसलिए उसके ऑफिस से फोन आया की अगर वह दो दिन में ऑफिस नहीं आएगा तो उसे नौकरी से निकाल देंगे। दीपक चाँदनी को लेकर पहले से परेशान था उस पर ये नयी मुसीबत लेकिन इस वक्त उसके लिए चाँदनी को ढूंढना ज्यादा जरुरी था। दिनभर वह परेशान सा यहाँ वहा घूमता रहा। चाँदनी का नंबर कितनी ही बार डॉयल किया लेकिन बंद था। पुलिस स्टेशन भी जाकर आया लेकिन वहा से भी कोई खबर नहीं मिली। शाम को थका हारा दीपक मुँह लटकाये घर चला आया लेकिन दीपक की किस्मत शायद इतनी भी अच्छी नहीं थी। जैसे ही वह घर आया
उसने देखा उसके और चाँदनी के घरवाले आये हुए है। दीपक को लगा उन्हें शायद चाँदनी के लापता होने की बात पता चल गयी है और इसलिए वो सब आये है। परेशानी के भाव अपने चेहरे पर लिए दीपक उनके पास आया और कहा,”आप सब यहाँ ऐसे एक साथ ?”
“देखा माँ मैंने कहा था ना भैया भूल जायेंगे”,दीपक की छोटी बहन ने कहा
“अरे पगले ! कल तेरी और चाँदनी की शादी की दूसरी सालगिरह है इसलिए हम सबने सोचा क्यों ना हम सब मिलकर तुम दोनों को सरप्राइज दे दे”,दीपक की माँ ने प्यार से कहा
“हां बेटा इसलिए इन्होने हमे भी बुला लिया,,,,,,,,,,,,,,चाँदनी कही दिखाई नहीं दे रही है बेटा , कहा है वो ?”,चाँदनी के पापा ने कहा
“वो चाँदनी अपनी दोस्तों के साथ बाहर गयी है कल के लिए खरीदारी करने , आप सब अंदर चलिए ना”,दीपक ने कहा और सबको अंदर ले आया। चाँदनी के माँ-बाप और दीपक के घरवाले अंदर आकर बातें करने लगे। दीपक अपने कमरे में आया और एक बार फिर उम्मीद के साथ चाँदनी का फोन लगाया की शायद उसका फोन लग जाये और वह उसे वापस घर आने को कहे लेकिन चाँदनी का फोन इस बार भी बंद मिला और दीपक ने उदास स्वर में कहा,”घर वापस आ जाओ चाँदनी , कल के लिए मेरा सबसे बड़ा गिफ्ट यही होगा”
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संजना किरोड़ीवाल