Shah Umair Ki Pari – 8
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परी के शहर धनबाद में :- परी रोते हुए अपने कमरे में रखे आईने के सामने आकर खड़ी हो जाती है! जहा वो खुद के अक्स को आईने में देखती है, बेबस और मजबूर दिखती परी। लाचार परी, किसी ने उसके पर काट लिए हों ऐसी परी। आंसुओ की धार आंखों से बहाती परी। उसे बार-बार अपने बॉस का गलत तरीके से उसे छूना, गलत करने की कोशिश करना याद आता है ! उसे खुद से घिन होने लगती है ! न जाने कितनी ही देर वो वैसे ही खड़ी खुद को आईने में देखती रही !
” कौन हूँ मैं? क्या वजूद है मेरा? कुछ भी तो नहीं कर पाई अब तक? आज तक एक अच्छा जॉब नहीं मिल पाया , अपने माँ पापा को अच्छी ज़िन्दगी नहीं दे पा रही हूँ मैं। कितनी ही कोशिश कर लूं पर कभी भी ऊपर नही उठ पाती हूँ। हम जैसे लोगों का ही तो फायदा उठाया जाता है।लोग तो वैसे भी मौके की तलाश में रहते है कि कब अकेली लड़की मिले और वो अपनी हवस पूरी कर सकें।उसकी मजबूरी का फायदा उठा कर उसकी इज्जत के साथ खेल जाए।
” सारे गम और तकलीफें एक साथ उसके ख्याल में आती है। ये सारी बातें सोचती हुई परी अपने चेहरे को हाथों से छुपा कर रोने लगती है।
तभी उसे अपनी हथेली भरी हुई महसूस होती है जैसे ही वो अपनी हाथों को चेहरे से हटाती है उसके हाथों से सफ़ेद मोती गिर कर कमरे में इधर उधर बिखर जाते है ! अब परी की आँखों में आंसू की जगह हैरानगी होती है !
” परी बेटा दरवाज़ा खोलना, मैं अपनी दवाई तेरे कमरे में भूल गयी थी !” नादिया जी दरवाज़े पे दस्तक देते हुए कहती है।
”जी मम्मी ये लो आप की दवाई।” परी कहते हुए दरवाज़ा खोलती है और दवा अपनी मम्मी के हाथ में थमा कर तुरंत ही वापस बंद कर देती है। फिर बैठ कर सारे मोतियो के एक-एक दाने चुन कर उठाती है। बड़े गौर से देखती है और एक खाली पड़े डब्बे में संभाल कर रखती है, खुद से ही कहती है ! ”पता नहीं ये मोती मेरे हाथो में कहा से आ गए? यह तो सच्चे मोती के दाने है। कैसा जादू है ये? अगर मम्मी पापा को बताउंगी तो वो मेरा यक़ीन भी नहीं करेंगे।
कुछ तो है इस आईने में जो थोड़ा अजीब है मगर मुझे इसके सामने आने में कभी डर तो नहीं लगा।बल्कि एक अपनापन सा लगता है। कुछ तो है इसमें वरना, मैं पागल नहीं हूँ और आज ना जाने मुझे क्या हो गया है इस आईने के सामने अच्छा लग रहा है जैसे मेरे उदास मन को कोई खुशी मिल गयी हो। दादी माँ आप हैं क्या? जो मुझे देख रही हैं? मैं भी पागल हूँ पूरी। ” परी आईने में देखते हुए कहती है।
काफी वक़्त वो खुद को आईने में खामोश खड़ी देखती रही फिर कमरे की लाइट ऑफ कर के सोने के लिए चली जाती है ! परी को बेड पर लेटे हुए काफी वक़्त हो जाता है मगर उसे नींद नहीं आती। बार-बार उसे महसूस होता है जैसे कोई उसे देख रहा हो !
रात के क़रीब बारह बजे परी पर धीरे-धीरे नींद हावी होता है और वो सो जाती है !
परी एक अलग दुनिया मे ही पहुच गई है। इसी दुनिया को तो ख्वाब कहते हैं। जंहा वो खुश रह सकती है, कोई नही होता वंहा उसे दुख तकलीफ देने। आज परी तेज़ बारिश देख रही है, वो उसमे गाने गुनगुना के नाच रही है और दौड़ते हुए एक मैदान में जा रही है। चारो तरफ हरयाली और हर तरह के फूल लगे हुए है ! बारिश में खुशी से नाचते हुए उसे सामने एक पुराने किले के पास एक निहायत ही खूबसूरत लड़का दिखा। जो उसका हम उम्र सा है
किले की दीवार से टेक लगाए परी को ही मुस्कुराते हुए देखता है ! जब परी उसे देख कर रुक जाती है, तब वो परी के पास आता है और अपने दोनों हाथ परी के सामने खोलता है, जो सच्चे मोतियों से भरे होते हैं। परी ख़ामोशी से उसे देखती है।
”तुम रुक क्यों गयी ? तुम्हे बारिश बहुत पसंद है ना और यह लो मोती मैं तुम्हारे लिए ही लाया हूँ।ले लो मुझे अच्छा लगेगा!” ख्वाब वाला लड़का परी की तरफ अपने हाथ बढ़ाते हुए कहता है !
”मगर तुम हो कौन? तुम मुझे यह मोती क्यों देना चाहते हो?” परी ख्वाब में मोती उस लड़के के हाथ से लेते हुए कहती है !
”अपना मुहाफ़िज़ समझ लो (हिफ़ाज़त करने वाला)। जो तुमसे बे इन्तेहाँ मोहब्बत करता है और वो मोती तुम्हारे आँखों से निकले हुए आंसू ही है। यह बताने के लिए के तुम्हारे आंसू कितने कीमती है मेरे लिए अब से तुम्हे रोने की जरूररत नहीं मैं आ गया हूँ । अब अपने बेशकीमती आंसू यू किसी पर भी जाया न करना!”
” मगर मैं तो तुमसे पहली बार मिल रही हूँ। और मेरे मुहाफ़िज़?? मैं कोई सच की राजकुमारी या परी नही जो कोई मेरी खिदमत में पेश रहेगा। आज से पहले तो कभी देखा भी नहीं है मैंने तुम्हे?” परी ख्वाब में कहती है।
परी अपने ख्वाब में ना जाने कितनी देर तक उस लड़के के साथ बारिश में भीगती हुई बातें करती रहती है !
”मैं तुम से हर रोज मिलने आऊंगा फिर मैं अजनबी नहीं रहूँगा तुम्हारे लिए। मुझसे दोस्ती करोगी बोलो ?” ख्वाब वाला लड़का परी से कहता है !
”इतनी जल्दी दोस्ती? आज ही तो हम मिले है, थोड़ा वक़्त तो दो मेरे मुहाफ़िज़। ” परी मुस्कुरा कर कहती है!
”जाओ दिया वक़्त। मुझे कोई जल्दी नहीं है। अब मुझे इजाजत दो मैं चलता हूँ। जब तक मैं नहीं हूँ, तुम अपना ख्याल खुद रखना। खुदा हाफिज।” कहते हुए वो लड़का किले की तरफ वापस चला जाता है और कही धुए में गायब हो जाता है!
अज़ान की आवाज़ सुन कर परी की आँखे खुलती है ! उसे ऐसा महसूस हो रहा है जैसे अभी अभी उसने जो ख्वाब में देखा था वो सपना नहीं एक हकीकत हो !
‘’या अल्लाह ये कैसा ख्वाब था? आज से पहले मुझे कभी कोई ख्वाब ऐसा नहीं आया। वो भी इतना अजीब, ऐसा लग रहा जैसे हकीकत में… मैं उस लड़के से मिली हूँ मेरा मुहाफ़िज़ !’’ परी कहती है और मोबाइल उठा कर टाइम देखती है जिसमे सुबह के पांच बज रहे होते है।
फिर बालों को समेटते हुए परी बेड से नीचे उतरती है और नहा कर नमाज़ पढ़ती है। थोड़ी देर क़ुरआन की तिलावत करने के बाद चाय लेकर बाहर गार्डेन में जाती है जहां उसे आसिफ दिखता है। आसिफ जैसे ही कुछ बोलना चाहता है, परी उसे देख कर घर के अंदर आ जाती है !
”मम्मी पापा चलो उठ जाओ गरमा गरम चाय रेडी है।” परी कहती हुई अपने पापा और मम्मी को उठाती है और चाय पीने को देती है !
‘’क्या बात है आज तुम इतनी सुबह उठ गयी बेटा ? ” नादिया जी कहती है !
”बस नींद जल्दी खुल गयी आप लोग चाय पीयो मैं आती हूँ। ” परी कहती हुई अपने कमरे की तरफ चली जाती है ! दरवाज़े के पास पहुँचते ही उसकी नाक से तेज़ गुलाब के फूल की खुश्बू टकराती है !
”ये गुलाब की खुश्बू मेरे कमरे में से?? कैसे आ रही !” कहते हुए उसकी नज़र आईने पर पड़ती है जहा आईने के पास एक बड़ा सा लाल गुलाब रखा हुआ होता है !
दुसरी दुनियाँ- ज़ाफ़रान क़बीला : – उमैर को आईने में एक धुंध छटती दिखती है। फिर उसमे एक लड़की जिसके घने काले कमर तक लम्बे बाल ,बेहद खूबसूरत जो एक छोटे से कमरे में खिड़की के पास खड़ी है !
”उमैर भाई कैसी लगी आप को आप की परी? है ना बिलकुल काली बदसूरत?” नफिशा चिढ़ाने के अंदाज़ में कहती है !
”नफिशा थोड़ी देर खामोश रहो। मेरी बहन मुझे देखने दो ये मुझे बहुत परेशान लग रही है !” उमैर नफिशा से इल्तिजा करते हुए कहता है !
अमाइरा नफिशा को चुप रहने का इशारा करती है ! फिर सब वापस आईने में देखने लगते है !
तीनो आईने में देखते है कि रोते हुए वो लड़की कॉल पे किसी से गुस्से में बात करती है और मोबाइल को अपने बेड पे फ़ेंक कर आईने की तरफ बढ़ती है ! खूबसूरत और मायूस आंसुओ से भरी आँखे, वो बिलकुल अब उमैर के सामने थी ! ना जाने आईने में देख कर किस से शिकायते करती है।
”उमैर भाई इसके मन को जरा पढ़ के देखो। आखिर ये रो क्यों रही है?” अमाइरा कहती है !
”मैं सब कुछ जान चुका हूँ कि यह क्यों रो रही है ? उमैर कहता है !
”हाँ भाई हम दोनों ने भी इसके मन को पढ़ लिया है, बहुत ही गलत हो रहा इसके साथ !” नफिशा कहती है !
‘’जिस पल का मुझे ना जाने कब से इंतज़ार था, वो मिला भी तो उदास और रोता हुआ !’’ उमैर परी को देखते हुए उदास लफ्ज़ो में कहता है!
जब उमैर देखता है वो लड़की अपने दोनों हाथो में मुँह छुपा कर बे इन्तहा रोने लगती है तब वो अपनी नीली आँखों से कुछ हरकत करता है और उस लड़की यानी परी के आंसू मोती बन जाते है ! उमैर आईने के दूसरी तरफ खड़ा मुस्कुराता हुआ परी को मोहब्बत से देखता रहता है और खुद में कहता है ”अच्छा तो तुम्हारा नाम परी है वाक़ई में खुदा ने तुम्हे बे मिसाल हुस्न से नवाज़ा है। शाह उमैर अब से यह कोशिश करेगा के तुझे तेरी ज़िन्दगी में कोई गम ना हो बस बदले में मुझे अपनी मोहब्बत भरा साथ दे देना बहुत इंतज़ार किया है उमैर ने तेरा !”
”क्या बात है भाई आप तो पहली बार में ही लट्टू हो गए। आगे ना जाने क्या होगा ?” नफिशा शरारत से खाँसते हुए कहती है!
“हाँ भाई इसका नाम परी है ! शाह उमैर की परी। ” अमाइरा कहती है !
”उमैर भाई, आप इसको अपनी मोहब्बत का एहसास कैसे दिलाओगे?” नफिशा कहती है।
”जब मोहब्बत सच्ची होगी तो एहसास हो जाएगा और आगे तो खुदा मालिक है। अब तुम दोनों अपने कमरे में जाओ मैं इसे जी भर कर देखना चाहता हूँ !” उमैर अपनी बहनो को कमरे से बाहर करते हुए कहता है !
”भाई ये क्या बात हुई? मैं आज आप के ही कमरे में रहूंगी !” नफिशा ज़िद करती है !
“नहीं बोला ना जाओ अपने कमरे में वरना बहुत मार पड़ेगी तुम्हे।” उमैर प्यार से नफिशा को डांट लगाते हुए कहता है !
“नफिशा चल और हाँ भाई याद रखना के अब्बा इबादत में मसगूल है, तो उनके उठने से पहले महल वापस चले जाना आप !” अमाइरा कहती हुई नफिशा को अपने साथ लिए अपने कमरे में चली जाती है !
उमैर अपने पलंग पर जाकर आराम से लेट जाता है सर के नीचे तकिया रख कर परी को आईने में देखता है ! मेरी परी तुम अब सो जाओ मैं आज तुम्हारे खवाबो में आऊंगा मिलने ” कहते हुए उमैर अपनी जगह से गायब हो जाता है !
थोड़ी देर में उमैर अपने कमरे में वापस आ जाता है और आराम करने लगता है ! फज़र के अज़ान होती है तो उमैर उठ कर नहाता है और वज़ू कर के नमाज़ के लिए खड़ा हो जाता है ! आज उसका दिल रब के शुक्रिया में डूबा हुआ रहता है वो खुद में फैसला करता है के अब से वो पाबन्दी के साथ नमाज़ क़ायम करेगा और रब से परी के लिए दुआ करता है !
”ऐ पाक रब तूने हम जिनो को हर ऐश व आराम से नवाज़ा है। तूने हमें वो इल्म अता किया के हम लोगों के दिलो के राज पढ़ सके। कुछ ही सेकण्ड में दूनिया में कही भी आ और जा सके। हमे एक ऐसी दुनिया अता की जो जन्नत की तरह खूबसूरत है, हमारी जादुई दुनियाँ। ऐ रब मुझे खुद के लिए कुछ नहीं चाहिए। बस मेरी परी को दोनों जहां का सुकून अता कर , मुझे इस क़ाबिल बना के मैं उसका ता क़यामत साथ दे सकूं।”। अमीन कहता हुआ उमैर अपनी दुआ खतम करता है !
”माशाअल्लाह क्या बात है उमैर भाई पहली ही मुलाक़ात में इतनी दुआ मांगी जा रही, वो भी परी भाभी के लिए !” अमाइरा उमैर के पास आकर कहती है !
“बस आज अपने रब का शुक्र अदा करने का मन कर रहा था।” उमैर उठने हुए कहता है !
”रब का शुक्र तो हमें हर हाल में अदा करनी चाहिए और तुम यह बताओ के इस वक़्त महल में ना होकर तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?” शाह ज़ैद उमैर के पास आकर पूछते है !
”वो अब्बा अमाइरा और नफिशा की याद आ रही थी, तो उनसे मिलने आया हूँ। बस थोड़ी देर में चला जाऊंगा !” उमैर थोड़ा घबराते हुए बोलता है !
“मुझे आज बेहद ख़ुशी हुई कि तुम नमाज़ पढ़ रहे हो। अल्लाह तुम्हे नेक हिदायत दे , अब तो फ़ौरन महल की ओर निकलो !” कहते हुए शाह ज़ैद चले जाते है !
‘’चलो बहनों मैं अब चलता हु तुमलोग अपना ख्याल रखना और हाँ मैं बीच बीच में आता रहूँगा !” अपनी बहनो को कहता हुआ उमैर आईने के दूसरी तरफ एक गुलाब रख कर एक नज़र परी को प्यार से देखता है जो सोयी हुई बेहद मासूम और प्यारी लग रही होती है!
” इसको देख कर जाने का तो दिल नहीं कर रहा बहनों, मगर क्या करू ? अब्बा के हुक्म के आगे मजबूर हूँ !’’ उमैर अमाइरा और नफिशा की तरफ देख कर कहता है और फिर धुआँ बन कर गायब हो जाता है !
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क्रमशः shah-umair-ki-pari-9
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Wrriten By – Shama Khan
जब तक सहना था सह लिया तुमने ज़माने के जुल्म वा सितम ,
SHAMA KHAN
अब यह ज़माना तेरे हर एक आँसू का हिसाब देगा !
परी के शहर धनबाद में :- परी रोते हुए अपने कमरे में रखे आईने के सामने आकर खड़ी हो जाती है! जहा वो खुद के अक्स को आईने में देखती है, बेबस और मजबूर दिखती परी। लाचार परी, किसी ने उसके पर काट लिए हों ऐसी परी। आंसुओ की धार आंखों से बहाती परी। उसे बार-बार अपने बॉस का गलत तरीके से उसे छूना, गलत करने की कोशिश करना याद आता है ! उसे खुद से घिन होने लगती है ! न जाने कितनी ही देर वो वैसे ही खड़ी खुद को आईने में देखती रही !
परी के शहर धनबाद में :- परी रोते हुए अपने कमरे में रखे आईने के सामने आकर खड़ी हो जाती है! जहा वो खुद के अक्स को आईने में देखती है, बेबस और मजबूर दिखती परी। लाचार परी, किसी ने उसके पर काट लिए हों ऐसी परी। आंसुओ की धार आंखों से बहाती परी। उसे बार-बार अपने बॉस का गलत तरीके से उसे छूना, गलत करने की कोशिश करना याद आता है ! उसे खुद से घिन होने लगती है ! न जाने कितनी ही देर वो वैसे ही खड़ी खुद को आईने में देखती रही !
परी के शहर धनबाद में :- परी रोते हुए अपने कमरे में रखे आईने के सामने आकर खड़ी हो जाती है! जहा वो खुद के अक्स को आईने में देखती है, बेबस और मजबूर दिखती परी। लाचार परी, किसी ने उसके पर काट लिए हों ऐसी परी। आंसुओ की धार आंखों से बहाती परी। उसे बार-बार अपने बॉस का गलत तरीके से उसे छूना, गलत करने की कोशिश करना याद आता है ! उसे खुद से घिन होने लगती है ! न जाने कितनी ही देर वो वैसे ही खड़ी खुद को आईने में देखती रही !
परी के शहर धनबाद में :- परी रोते हुए अपने कमरे में रखे आईने के सामने आकर खड़ी हो जाती है! जहा वो खुद के अक्स को आईने में देखती है, बेबस और मजबूर दिखती परी। लाचार परी, किसी ने उसके पर काट लिए हों ऐसी परी। आंसुओ की धार आंखों से बहाती परी। उसे बार-बार अपने बॉस का गलत तरीके से उसे छूना, गलत करने की कोशिश करना याद आता है ! उसे खुद से घिन होने लगती है ! न जाने कितनी ही देर वो वैसे ही खड़ी खुद को आईने में देखती रही !