Shah Umair Ki Pari – 44
Shah Umair Ki Pari – 44
शहर धनबाद में :-
‘’हसन भाई अस्सलामो अलैकुम। कैसे हो और उदास इस तरह क्यों खड़े हो? अरे भाई अब आप मेरे समधी हो। चले घर मेरे बहु के हाथों की बनी चाय पिलाता हूँ आप को और अब तो आप को खुश होना चाहिए के बिना किसी खर्चे के आप की बेटी की शादी हो गयी। वो भी एक अच्छे खानदान में !” रफ़ीक साहब ने तंजीये लहज़े में हसन जी को कहा जो की आसिफ के घर की तरफ हसरत से देख रहे होते है अपनी बेटी की एक झलक पाने के लिए !
”वालेकुम अस्सलाम रफ़ीक साहब देखिए यह आप भी जानते है और मैं भी, कि आप के बेटे ने जबरदस्ती मेरी बेटी से शादी की है ! रही बात दहेज़ की, तो मैं आप को बता दूँ की हम दोनों के घर अब मेरी ही बेटी चलाने वाली है। आप के बेटे को हम दोनों ही अच्छे से जानते है कि वो कितना लायक है, कितना नहीं? वैसे मैं यहाँ किसी किस्म की बहस करने के लिए नहीं आया हूँ ! मैं बस आप से एक बेटी का बाप होने के नाते हाथ जोड़ कर गुज़ारिश करता हूँ की अपने बेटे को समझाईयेगा मेरी बेटी का ख्याल रखे और उसे खुश रखे !” हसन जी ने हाथ जोड़ते हुए कहा !
”हम्म आप की बातें भी सही है ! चलिए घर पर बैठ कर बातें करते है !” रफ़ीक साहब ने कहा तो हसन जी घर के अंदर आकर सोफे पर बैठ जाते है चारों तरफ नज़रे घुमाते है अपनी लाड़ली बेटी को एक नज़र देखने के लिए !
”परी देखो तुम्हारे पापा आये है। जरा उनके लिए चाय बनाओ !” रफ़ीक साहब ने कहा तो उनकी आवाज़ सुनते ही परी आँसूं पोछते हुए किचन से बाहर आती है और हसन जी के गले लग कर रोने लगती है !
”अरे-अरे यह क्या है बेटा? तुम रो क्यों रही हो ? सब ठीक है ना? देखो कैसे आँखे सूज़ा ली है तुमने रो रो कर। बेटा मैं और तेरी मम्मी तो तेरे पास ही रहते है इसमें रोना कैसा? चुप हो बिल्कुल चुप मेरा बच्चा। ” हसन जी ने परी को समझाते हुए कहा !
” वो बस आप दोनों की बहुत याद आ रही थी ! आप बैठो पापा मैं आप के लिए चाय बना कर लाती हूँ !” परी ने अपने दुपट्टे से आँसुओ को पोछते हुए कहा और किचन में चाय बनाने के लिए चली जाती है !
”अरे अंकल सुबह सुबह यहाँ कैसे आना हुआ? बेटी सी दूरी बर्दाश्त नहीं हुई न? ” अपने कमरे से अँगड़ाई लेते हुए आते आसिफ ने कहा !
”वो बेटा बस परी को देखने का दिल था, और रफ़ीक साहब ने चाय का कह बुलाया तो चला आया !” हसन जी ने कहा !
”अच्छा। वो सब तो ठीक है मगर मुझे नहीं लगता के आप को इस तरह सुबह सुबह अपने बेटी के ससुराल में आना चाहिए , वो भी शादी के दूसरे दिन ही, बेटी के घर का पानी भी नहीं पिया जाता आप चाय पीने बैठ गए अंकल? !” आसिफ ने सोफे पर बैठते हुए कहा !
आसिफ की बातें सुन कर हसन जी का दिल भर आता है वो सोफे से उठ कर कहते है ! ”ठीक है बेटा मैं चलता हूँ तुम दोनों अपना ख्याल रखना। हाँ जैसे तुम पहले हमारे घर आते रहते थे वैसे ही आते रहना। हम तुम्हे अब पहले से ज्यादा इज्जत और मोहबब्त देंगे, अब तुम सिर्फ आसिफ़ नहीं हमारी परी के शौहर हो। !”
”जरूर अंकल वैसे भी यह घर हो या वो। सब मेरा ही है आप तो यहा बस एक किरायेदार है ! है न पापा?” आसिफ रफ़ीक साहब की तरफ देखकर कहता है, तो हसन जी उदास होकर घर से निकल जाते है !
”पापा कहा गए? मैंने चाय बनायी थी उनके लिए !” किचन से चाय की ट्रे लेकर आती हुई परी ने कहा !
”अच्छा थोड़ी लगता है बेटी के घर सुबह सुबह आना, इसलिए वो चले गए। लाओ चाय मुझे दो जरा पी कर देखूं तुम्हारे हाथ के पहली चाय मेरे घर के किचन से !” आसिफ ने चाय की कप ट्रे से उठाते हुए कहा !
”तुमने पापा से ऐसा क्या कहा आसिफ? वो बिना बताये, बिन मुझे से मिले ही चले गए ?” परी ने आसिफ की तरफ गुस्से में देखते हुए कहा !
”लगता है रात का थप्पड़ भूल गयी हो तुम। ज्यादा बोलो नहीं वरना खामखा मेरा हाथ फिर उठ जाएगा। जाओ जाकर चुपचाप नास्ता बनाओ !” आसिफ ने डांटते हुए कहा तो परी ख़ामोशी से वहा से चली जाती है !
”यह सब क्या है आसिफ ? तुम ने शादी की पहली रात को ही अपनी बीवी पर हाथ उठाया? बेटा यह रवैया तुम्हारा शर्मनाक है। औरत पर हाथ उठाना अच्छी बात नहीं है। औरत को प्यार से समझाओ तो वो हर बात समझेगी। तुम इस तरह उसे मारोगे तो वो तुमसे बगावत पर उतर आएगी। औरत के प्यार को पाने का तरीका प्यार ही है। !” रफ़ीक साहब ने आसिफ को समझाते हुए कहा !
”पापा Please आप मुझे ज्ञान ना दे और अपने काम से काम रखे। मुझे जो सही लगेगा वही करूँगा !” आसिफ ने कहा तो रफ़ीक साहब खामोश हो जाते है !
”कहा गए थे आप लिजिए नास्ता तैयार है। आकर कर लीजिए !” हसन जी को घर पर आता देख नदिया ने कहा !
”गया तो था अपने दिल के टुकड़े से मिलने को। मगर अब लगता है उससे मिलने के लिए हमे इजाजत लेनी पड़ेगी उसके उस बदजात शौहर से !” हसन जी नास्ते की टेबल पर बैठते हुए गुस्से से कहते है !
”ऐसा क्यों कह रहे हो आप? भला अपनी बेटी से मिलने के लिए हमे किसी की इजाजत की जरुरत क्यों है? आप ऐसे हिमत मत हारिये अभी से। सब ठीक हो जायेगा। आपने आसिफ को जो कहा वो बिल्कुल ठीक ही था ऐसी गिरी हुई हरकत करेगा आसिफ़ मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। कहता था प्यार करता है परी से। हुह !” नदिया जी ने भी गुस्से से कहा !
”किचन में काम करते हुए परी दिल ही दिल में ठान लेती है के वो आसिफ को सबक जरूर सिखाएगी और उसके चंगुल से उमैर को भी बचाएगी बस उसे इंतज़ार रहता है सही मौके का !
Shah Umair Ki Pari – 44
दूसरी दुनिया ”ज़ाफ़रान क़बीला ” :-
”नफिशा बेटा तुम सब ने कहा था कि आईने से तुम सब परी से मिली हो। जिससे उमैर मोहब्बत करता है, तो फिर आज इस आईने से दूसरी तरफ क्यों नहीं दिख रहा कुछ भी ?” शाह कौनैन ने कहा !
”हाँ दादा अब्बू मैं तो परी भाभी के घर भी गयी हूँ इस आईने से। आप ही देखो किसी वजह से दोनों दुनिया का रास्ता शायद बंद हो गया है। लेकिन क्यों? आप देखें न दादा अब्बू !” नफिशा ने कहा !
”नहीं मेरी बच्ची इस आईने को किसी ने अपने कब्ज़े में कर रखा है, इसलिए यह उसके मर्ज़ी के बिना काम नहीं कर रहा है। हो ना हो यह जरूर किसी इंसानी आलिम का काम है। अब तो मुझे उमैर की और भी ज्यादा फिक्र हो रही है क्योंकी वो आलिम जो कोई भी है बहुत ताक़तवर है ! वरना इस आईने पर ऐसा जादू? ” शाह कौनैन ने परेशान होते हुए कहा !
”अब क्या करेंगे हम दादा अब्बू ?” नफिशा परेशान होते हुए कहती है !
”सोचने दो मुझे जरा और सारी बातों को समझने दो। जाओ जाकर तुम कुछ काम कर लो तब तक मैं सोचता हूँ कुछ। और हाँ हनीफ बेटे तुम भी अपने घर को जाओ तुम्हे भी कुछ काम होगा !” शाह कौनैन ने कहा तो दोनों ही अपने अपने कामो में लग जाते है !
”मरयम मैंने सुना है कि तुमने शहजादे अल्तमश से शादी के लिए हाँ कह दी है? मगर वो तुमसे शादी क्यों करना चाहता है ? जबकि जंग में उसके अब्बा का क़त्ल हमारे यहां हुआ था !” अमायरा ने महल के बालकनी में खामोश खड़ी मरयम से कहा !
”अमायरा भाभी आप को तो पता ही है, मैंने उमैर से मोहब्बत की थी। दोबारा अब किसी से मोहब्बत करने की हिम्मत मुझमें नहीं है। इसलिए जो इश्क़ करता है उसी को हाँ कर के उसको खुश कर दिया मैंने। रही बात शहंशाह उस्मान के क़त्ल की तो अल्तमश भी मानते है के इसमें उनके वालिद की ही गलती थी। वो ही जंग चाहते थे और जंग में कत्ले आम होते भी है। वैसे अब्बा ने तो मेरे और अल्तमश के रिश्ते को हाँ भी कह दिया है, मेरे कहने पर ! मैंने उसकी आंखों में मोहब्बत देखी है अपने लिए। ” शहजादी मरयम ने आहे भरते हुए कहा !
”मरयम मैं बस तुम्हारी ख़ुशी चाहती हूँ। मगर,कुछ तो बात है। आज तुम मुझे उदास लग रही हो और यह तुम्हारी आँखे नम क्यों है ?” अमायरा ने मरयम का चेहरा अपने तरफ करते हुए कहा !
”भाभी दिल टुटा है मेरा। तो कुछ पल के लिए तो तकलीफ होगी ही या शायद उमर भर के लिए भी। खैर मेरी छोड़िये ज़िन्दगी में तो यह सब चलता रहेगा। आप यह बताओ के आप के और इरफ़ान भाई के बीच कुछ बात आगे बढ़ी के नहीं ?” शहजादी मरयम ने अपने आँखों के कोनो से बहते आँसुओ को पोछते हुए मुस्कुराकर कहा तो अमायरा हल्का सा मुस्कुराती है !
”कहा हमारी बातें आगे बढ़ी मुझे तो सब कुछ मुश्किल सा लगता है। शादी के बाद ही इतना सब हो गया है कि….” अमायरा ने बात अधूरी ही छोड़ दी !
”अरे आप ऐसे क्यों कह रही है भाभी? इरफ़ान भाई तो आप से मोहब्बत करते है आप भी करती हो ना? फिर मुश्किल कहा पेश आ रही है आप दोनों के दरमियान? !” मरयम ने कहा !
”हाँ मुझे भी इरफ़ान से मोहब्बत हो गयी है, मगर मुझे उनसे कहने में डर लगता है और समझ में भी नहीं आता के कैसे जताऊँ? वो सामने आते है तो डर से मेरी बोलती ही बंद हो जाती है !”अमायरा ने कहा
शहजादी मरयम को शहजादे इरफ़ान सामने आते देखते है जो मरयम को चुप रहने का इशारा करते है और वो चुप चाप आकर अमायरा के पीछे खड़े हो जाते है तो मरयम अमायरा को छेड़ते हुए कहती है !
” ओफ्फो अमायरा भाभी बहुत भोली हो आप इतने दिन हो गए आप दोनों की शादी को और आप है के आज तक मेरे इरफ़ान भाई को टहला रही हो? अच्छा यह बताओ अगर इरफ़ान भाई आप के सामने होते तो आप क्या कहती उनसे ? जरा बताओ , अच्छा चलो समझ लो के मैं इरफ़ान भाई हूँ आप जल्दी जल्दी बोलो जो भी आप उनसे बोलना चाहती हो !”
”मैं। .. मैं क्या कहूँगी ?” अमायरा ने सोचते हुए कहा !
”वही भाभी अपने दिल की बातें, चलो अब मुझे बताओ मैं इरफ़ान भाई को बता दूंगी आप की तरफ से। आप ऐसा करो अपनी आँखे बंद कर के सारी बात कहो मैं सुन रही हूँ !” शहजादी मरयम ने कहा !
”अच्छा ठीक है !” अमायरा कहते हुए आँखे बंद कर लेती है तो उसके सामने से मरयम हट जाती है और शहजादे इरफ़ान आकर खड़े हो जाते है !
”अब बोलो भी अमायरा भाभी !” मरयम ने साइड से कहा !
”एक मिनट बोल रही हूँ !” अमायरा गला साफ़ करती है करते हुए कहती !
“..इरफ़ान पहले मैं आप का शुक्र अदा करना चाहूँगी के आप ने हमेशा साथ दिया मेरा ! मैं आप को बस एक महल के शहजादे की हैसियत से ही जानती थी , मगर जैसे जैसे आप से मिलना जुलना होते गया आप को जानने का मौका भी मिला। आप का दिल कांच की उस बोतल की तरह साफ़ है जिससे आर पार देखा जा सकता है। उसी तरह मैंने हमेशा आप की आँखों में अपने लिए प्यार और इज्जत देखी है। आप ने एक मुलाजिम को रानी की हैसियत दिलायी मेरे परिवार को अपना परिवार समझा, मेरे चेहरे पर हलकी सी भी उदासी आप को बर्दास्त नहीं ! आप की बीवी हूँ यह जानते हुए भी आप ने ना कभी मेरे साथ किसी किस्म की जबरदस्ती की और ना ही अपने शौहर होने का गलत हक़ जताया, मगर अब मैं चाहती हूँ के आप अपने सारे हक़ मुझ पर जताओ। मुझे एक अच्छी बीवी बनने का मौका दे दो ! आखिर में मैं आप से बस इतना कहूँगी के प्यार करने लगी हूँ आप से। वो भी बहुत ज्यादा। इतना की आप कभी अंदाज़ा ना लगा सके ! ना जाने क्यों जब भी हिम्मत जुटाती हूँ आप से कुछ कहने की, आप को सामने देख मेरे ये कमबख्त लब खामोश से हो जाते है। मगर आज कहूँगी के मोहब्बत है आप से और सिर्फ आप से ! सामने तो पता नहीं कब कह पाऊंगी अपने दिल के ये सारे जज्बात? लेकिन सच में आपसे इतनी मोहब्बत है कि आपके पास होना भी मुझे मंजूर है। ”कहते हुए अमायरा जैसे ही आँखे खोलती है उसे अपने सामने शहजादे इरफ़ान मुस्कुराते हुए खड़े दिखते है साथ में शहजादी मरयम इरफ़ान के कंधे पर हाथ रख कर खड़ी मुस्कुराती है और आँखों से इशारे करती है। तो बेचारी अमायरा शर्म से पानी पानी हो जाती है और अपनी नज़रे झुका लेती है !
शहजादी मरयम बगल में खड़ी अमायरा को देख जोर जोर से हंसने लगती है तो अमायरा नज़रे झुकाये उसे घूरती है !
” भाभी जो बोलना था बोल दिया इरफ़ान भाई को? अब मैं चलती हूँ, मुझे कबाब में हड्डी नहीं बनना है !” कहते हुए शहजादी मरयम जाने लगती है अमायरा उसका हाथ पकड़ कर ना में सर हिलाती है !
”भाभी जाने दो मुझे, आप लोग बात करो !” कहते हुए शहजादी मरयम वहां से चली जाती है ! उसके पीछे जैसे ही अमायरा जाने के लिए क़दम बढ़ती है शहजादे इरफ़ान उसका हाथ पकड़ लेते है और उसके हाथों को चूमते हुए मोहब्बत से कहते है !
” हाँ मैं भी तुमसे दिवानगी की हद तक मोहब्बत करता हूँ अमायरा। सिर्फ तुमसे ही करता हूँ ! हद की बेहद तक सिर्फ तुमसे। “
अमायरा मुस्कुराती हुई शहजादे इरफ़ान के सीने से लग जाती है , दोनों की धड़कने एक दूसरे के लिए धड़कना शुरू होजाती है ! सामने महल के बगीचे में खूबसूरत गुलाब की कलियाँ खिल कर फूल बन जाती है मानो ऐसा लग रहा हो जैसे सब उनके इस मिलन पर बेहद खुश हो और कह रहे हो खुश आमदीद मोहब्बत की दुनिया में !
क्रमशः shah-umair-ki-pari-45
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Written By – Shama Khan
“रूठी किस्मत भी मान जाती है ,
उदास शाम भी हसीन हो जाती है ,
मोहब्बत की आग लगी हो जब दोनों तरफ ,
उदास ज़िन्दगी मुस्कुरा जाती है !“