Shah Umair Ki Pari – 39
Shah Umair Ki Pari-39
दूसरी दुनिया ”ज़ाफ़रान क़बीला :-
काफी वक़्त बेहोश रहने के बाद जब मरयम की आँख खुलती है तो खुद को बंधा हुआ पाती उसके सर में सदीद दर्द पैदा होरहा होता है ! आस पास अँधेरा होने की वजह से उसे कुछ भी दिखाई नहीं देरहा होता है ! तभी उसे हाथ में मसाल लिए उसकी तरफ आते शहजादे अल्तमश दिखाई देते है !
”तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहाँ इस तरह मुझे लाने की एक तो तुम और तुम्हारे क़बीले वाले हमारे क़बीले पर हमला करते हो ऊपर से तुम मुझे यहाँ अगवाह कर के ले आते हो !” शाहजादी मरयम ने खुद को रस्सियों से आज़ाद करने की कोशिश करते हुए कहा !
”जंग मेरी मर्ज़ी से नहीं हुआ वो मेरे अब्बा की ज़िद थी मैं तो तुम्हे पसंद करता हूँ तुम तीनों लड़किया तो हर अनजान पर हमला कर रही थी इसलिए मुझे मजबूरन तुम्हे बांध कर लाना पड़ा !” शहजादे अल्तमश ने कहा !
”जब पसंद हूँ तो इस तरह बंदी बना कर लाने की क्या जरुरत थी ? इज्जत से मेरा हाथ मेरे अब्बा से मांग लेते वो ख़ुशी राज़ी हो जाते ” अब खोलो मुझे !” शहजादी मरयम ने कहा !
”अब्बा ने अचानक जंग छेड़ दी जब के मैंने उन्हें कई बार मना किया था तो मुझे लगा के इनसब में मैं तुम्हे खो दूंगा इसलिए तुम्हे उठा ले आया बाकी मेरा कोई गलत इरादा नहीं है शहजादी आप जो चाहे सजा दे सकती हो !” शहजादे अल्तमश ने मरयम के हाथ और पैर की रस्सी खोलते हुए कहा !
”तुममे जरा सी भी अक़ल नहीं है तुम वहां जंग रुकवाने के बजाए बुजदिल की तरह यहाँ भाग आये खुदा जाने वहाँ का क्या मंज़र होगा !” शहजादी मरयम फ़िक्र मंदी से कहती है !
तभी उनके सामने खून से लतपत अल्तमश के गुलामों की लाश आकर गिरती है जो उस गुफा के बाहर पहरेदारी कर रहे थे जहाँ अभी शहजादी मरयम और शहजादे अल्तमश रहते है !
”या अल्लाह यह किसने क्या अब ? शहजादी मरयम ने खौफ से पीछे हटते हुए कहा ! तभी शहजादे इरफ़ान आकर शहजादे अल्तमश का गिरहबान पकड़ कर कहते है !” तेरी यह मज़ाल के तू मेरी बहन को अगवा करेगा क़तल करदो इसे इसके बाप की तरह !”
अपने अब्बा के मरने की खबर सुन कर शहजादे अल्तमश की आँखे आँसुओ से डबडबा जाती है !
”नहीं इरफ़ान भाई छोड़ दिजीए इन्हे बस अब और खून खराबा नहीं !”शहजादी मरयम ने कहा !
”मरयम तुम क्या भूल गयी के इन्होने किस तरह हमारे क़बीले में खुनी खेल खेला जाकर महल की हालत देखो तोड़ कर रख दिया पूरा हमारा घर और उन बेक़सूर लोगों की मौत का क्या ?” शहजादे इरफ़ान ने कहा !
”इरफ़ान भाई माना के इनके अब्बा ने गलती किया मगर इसमें इनका क्या कसूर ? महल फिर से बन जाएगा और जिनकी जाने गयी उनमे इनका कोई हाथ नहीं छोड़ दे इन्हे ! इनका कहना है के यह मुझे खोना नहीं चाहते थे इसी लिए इन्होने मुझे अगवाह किया था ?” शहजादी मरयम ने कहा !
‘’ठीक है तुम कहती है तो छोड़ देता हूँ ! चलो अब घर अब्बा फिक्र मंद होंगे और हाँ तुम भी अपने घर जा सकते हो तुम्हारे बाप की मयत तुम्हारे क़बीले पहुँचा दी जाएगी उनको मिट्ठी देने के बाद आजाना महल अगर मरयम का रिस्ता चाहिए तो !” शहजादे इरफ़ान ने कहा फिर शहजादे मरयम को अपने साथ लेकर महल लौट आते है !
Shah Umair Ki Pari-39
शहर धनबाद में :-
”आसिफ तुम उमैर के साथ मार्किट जाकर कुछ कपड़ो के सैंपल उठा कर ले आओ अपडेट करने है साइट में और हाँ साथ में स्टॉक का भी पता कर आना यह लो तीन चार कोड है इसी कोड के दस कपड़े पैक कर के डिस्पैच करना है !”परी ने अपने कमरे में आसिफ को आते देख कहा !
”चला जाऊँगा पहले सुकून से नास्ता तो करने दो और तुम्हारा वो आशिक़ जिन किधर है अपने कमरे में कही दिखा नहीं वो मुझे !” आसिफ ने घर में चारो तरफ देखते हुए कहा !
नदिया जी को टेबल पर नास्ता लगाते देख आसिफ उनके पास चला जाता है और कहता है !” आंटी लाओ मैं आप की हेल्प करता हूँ परी को तो घर के कामों में दिलचस्पी ही नहीं है बस सुबह साम पैसे कमाने में लगी रहती है !
”बेटा यह घर उसी की महनत से चलता है तेरे अंकल को उसने काम करने से मना करदिया है कहती है उसके होते हुए उसके पापा काम नहीं करेंगे अब ऐसी औलाद तो नसीब से मिलती है वैसे भी कौनसा सौ लोगों के लिए खाना बनाना होता है तीन ही लोग तो है बस घर में इसके लिए परी से मेहनत क्यों करवाऊं !” नदिया जी ने कहा !
”बात तो सही कही आप ने हमारी परी है बहुत मेहनती वैसे अंकल कहि दिख नहीं रहे !” आसिफ ने कहा !
”हम इधर है आसिफ बेटे मैं और उमैर सुबह की सैर को गए थे साथ में परी बेटा तुम्हारे लिए हमने जलेबी लायी है आओ आकर खा लो वरना ठंडी हो जाएगी !” हसन जी उमैर के साथ घर में आते हुए कहते है !
”अंकल मैं भी खाऊँगा !” आसिफ ने कहा फिर सब साथ में बैठ कर नास्ता करने लगते है !
”उमैर बेटा तुमने बताया नहीं तुम्हारे घर पर कौन कौन है ?” नदिया जी ने पूछा !
”मम्मी इसकी दो छोटी बहने और इसके खड़ूस अब्बा है !” परी ने जलेबी खाते हुए कहा !
”मगर तुम्हे कैसे पता ?” नदिया जी ने पूछा !
”वो मम्मी कल ही तो इसने बताया था !”परी ने कहा !
”जी आंटी मेरे घर पर मेरी दो प्यारी बहने और एक बहुत प्यार करने वाले अब्बा और दादा अब्बू है !” उमैर ने धीमे से कहा !
परी और उमैर नास्ते की टेबल पर एक दूसरे से इशारे कर रहे होते है ! नदिया जी यह सब नोटिस कर रही होती है उन्हें पहली बार अपनी बेटी की आँखों में किसी के लिए पसंद दिखता है !
आसिफ उमैर और परी की इशारे बाजी बर्दास्त नहीं कर पता है वो नास्ता करते करते उसे अधूरा छोड़ उठ कर अपने घर चला जाता है !
”अरे यह आसिफ को क्या हो गया इस तरह उठ कर क्यों चला गया !” परी ने कहा !
”पता नहीं बेटा आज से पहले तो इसने ऐसा कभी नहीं किया था !” हसन जी कहा ! मगर नदिया जी बात की गहराई को समझ चुकी होती है वो खमोशी से नास्ता कर के बरतन उठा कर किचन में चली जाती है ! उमैर भी उनके पीछे पीछे चला आता है !
” आंटी आप चाय बनाओ मैं बरतन धो देता हूँ !” उमैर ने नदिया जी के हाथ से बरतन लेते हुए कहा !
”अरे बेटा तुम क्यों बरतन धोओगे यह लड़को का काम नहीं है जाओ जाकर बाहर बैठो अपने अंकल के पास मैं दस मिंट में चाय बना कर लेकर आती हूँ !” नदिया जी ने कहा !
” आंटी आप मुझे अपना बेटा ही समझे और यह किसने कह दिया के घर के काम सिर्फ लड़किया ही करती है लाओ दो मुझे बरतन जाओ आप !” उमैर ने जिद करते हुए कहा तो नदिया जी उसे बरतन धोने देती है !
”वाह मम्मी आप ने बताया नहीं के आप ने घर के काम के लिए नौकर रख लिया वैसे इन जनाब से पूछो क्या कभी इन्होने अपनी बहनो का हाथ बटाया घर के कामो में ? या ऐसे ही बातें बना रहे क्यों के यह खुद के घर में तो नवाबों जैसे रहते थे !” परी ने किचन के दरवाज़े पर खड़े होते हुए कहा !
”तुझे बड़ा पता है इसके बारे में वैसे उमैर बेटा शादी हो चुकी है तुम्हारी !” नदिया जी ने पूछा !
”नहीं आंटी अभी नहीं हुई है बस ढूढ़ ही रहा हूँ जैसे ही कोई मिलेगी करलूँगा आप की नज़र में कोई हो तो बताना !” शाह उमैर ने बरतन धोते हुए पारी को आँख मारते हुए कहा !
”बिलकुल बेटा जरूर बताऊँगी , अच्छा चलो अब पहले चाय पी लो उसके बाद बाकी के काम करना क्यों के मेरी नज़र में जो लड़की है उसे तुम्हे ही खाना पका कर खिलाना होगा उसे कुछ नहीं आता !” नदिया जी ने मज़े से कहा ! उमैर नदिया जी के दिल का हाल जान चूका है कही ना कही वो उसे अपनी बेटी के लिए पसंद कर रही होती है !
” हाँ सिखा दो मम्मी पूरा काम मेरे कपड़े उतारे हुए रखे है उसे भी धुलवा देना और पापा आप टीवी देखते हुए नहीं थकते हो जब देखो न्यूज़, मत देखा करो पापा बी पी की प्रब्लम होजायेगी !” परी ने हसन जी के बगल में बैठते हुए उनके हाथ से रिमोट लेते हुए कहा ! परी चैनल बदल कर गाने के चैनल लगा देती है जिसपे लव सांग चल रहे होते है ! उमैर जब भी उसकी तरफ देखता वो कोई ना कोई शरारत करती कभी उसे फ्लाइंग किश तो कभी उसे आँख मारती बेचारा उमैर शरमा कर रह जाता !
”मुझे अब कोई बीमारी नहीं होगी तुम वापस न्यूज़ लगा दो बेटा वैसे बेटा एक बात बोलूं , यह उमैर मुझे अच्छा लग रहा है बड़ा ही मासूम है बच्चा है अगर यह मान जाये तो तुम इससे शादी करोगी ?” हसन जी ने कहा !
”What? पापा आप भी अच्छा लड़का दिखा नहीं के चल दिए मेरा रिस्ता लगाने वैसे है तो यह बड़ा प्यारा !” परी ने प्यार से उमैर की तरफ देखते हुए कहा जो उसकी मम्मी के काम में हाथ बटा रहा होता है !
‘’ ”इसलिए तो पूछ परी बेटा सच में तुम्हे उमैर पसंद है बोलो बेटा अगर ऐसा है तो मैं उससे तुम्हरी और उसके रिश्ते की बात करूँगा !” हसन जी ने कहा !
”पसंद तो है पापा मगर अभी देखते है इतनी भी जल्दी क्या है ? ” परी कहते हुए डांसिंग सांग लगा कर अपने पापा का हाथ पकड़ कर उनके साथ डांस करने लगती है !
”अरे बेटा क्या कर रही हो गिर जाऊंगा मैं छोड़ मुझे जा अपनी मम्मी को नचा !” हसन जी ने हँसते हुए कहा !
”डोंट वोर्री पापा अब आप के पैर बिलकुल सही है नहीं गिरेंगे आप !” परी ने डांस करते हुए कहा !
”बिलकुल बेशर्म हो गयी है यह लड़की देखो तो कैसे अपने बाप को अपने साथ नचा रही है !” नदिया जी कहा ! तो परी उनको भी पकड़ कर डांस करने लगती है ठहर जा अभी इसके डांस का भूत उतारती हूँ !” नदिया जी कहते हुए किचन से बेलन उठा कर आती है तो देखती है उमैर और परी एक दूसरे में खोए स्लो डांस कर रहे होते है इससे पहले के उमैर मदहोशी में परी के लबों को चूमता हंसन जी खांसने की एक्टिंग करते है जिससे उमैर परी से दूर खड़ा होजाता है शर्मा कर सर खुजाने लगता है !
”शैतान बंद कर यह नाच गाना बेटा उमैर यह तो पागल है साथ में तुम्हे भी पागल करदेगी तुम बैठो मैं चाय ले आती हूँ बन कर रखी हुई है !” नदिया जी ने परी के सर पर मारते हुए कहा !
बेगम मैं भी आता हूँ तुम्हारी कुछ मदद करने !” हसन जी कहते हुए नदिया जी के पीछे किचन में चले जाते है !
”तुम्हारा दिमाग खराब होगया था क्या ? मम्मी पापा के सामने तुम मुझे किश कर देते !” परी ने धीमे से कहा !
”क्या करू ? दिमाग खराब नहीं था मगर तुमने कर दिया है तुम्हे देख कर अपने आप में नहीं रहता ऊपर से तुम इस तरह के मदहोश करने वाली हरकतें करोगी तो मैं क्या करू ?” उमैर ने भी धीमे से कहा !
”अच्छा अच्छा तो मैं मदहोश करती हूँ !” परी ने नाक चढ़ाते हुए कहा !
”हाँ और वैसे भी कौनसा पहली बार किस कर ने वाला था जो तुम शर्मा रही हो !” उमैर कहते हुए परी के बाजू में चींटी काट कर भाग ने लगता है
”आह उमैर मार दूंगी जान से तुम्हे !” कहते हुए परी उसके पीछे भागती है जो भी नज़रों के सामने मिलता उसे उठा कर उमैर की तरफ फेंकती है !
”अरे चाय तो पीते जाओ तुम दोनों !” नदिया जी ट्रे में चाय की कप लेकर आते हुए कहती है !
”बेगम अब आप को दोबारा चाय गरम करनी होगी बच्चे तो शरारतों में लगे है !” हसन जी ने मुस्कुराते हुए कहा !
दोनों घर के दरवाज़े पर खड़े उमैर और परी एक दूसरे के आगे पीछे भागते हुए तो कभी मज़ाक से एक दूसरे को मारते हुए देख रहे होते है !
”वैसे आज हमारी परी आप को ज्यादा खुश नहीं दिख रही !” नदिया जी ने कहा !
”हाँ जब से यह लड़का हमारे घर आया है हमारी बेटी तब से ही खुश दिख रही मुझे ! बस वो इसी तरह खुश रहे लाओ मेरी चाय कम से कम मैं ही चाय पीलूँ !” हसन जी ने चाय की कप उठाते हुए कहा !
तभी नदिया जी की नज़र सामने आसिफ पर पड़ती है जो के गुस्से से उमैर और परी को देख रहा होता है !
”अगर परी को उमैर पसंद है तो फिर आसिफ का क्या होगा ? हमने तो आसिफ से वादा किया है के उसकी और परी की शादी कराएँगे !” नदिया जी ने कहा !
”वादे तोड़ने के लिए ही किये जाते है बेगम आप परेशान ना हो जब ऐसा वक़्त आएगा तब देखा जायेगा !” हसन जी ने वापस टीवी में न्यूज़ लगाते हुए कहा !
आसिफ गुस्से को अपने अंदर दबाये उमैर के उतारे हुए कपड़ो को लेकर ज़मीन पर आलती पलती मरकर बैठ जाता है ! फिर उसके कपड़े को काट कर कुछ पढ़ते हुए कई सारे बत्ती बनाता है और उन्हें एक साइड कर के एक दिए में तेल डाल कर कुछ पढ़ते हुए उमैर के कपड़ो से जो बत्ती बनाई होती है उसने उसे तेल में डुबो कर दिए को जला देता है !
क्रमशः shah-umair-ki-pari-40
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Written By- Shama Khan
“महबूब का साथ ज़िन्दगी को वैसे ही खूबसूरत बना देती है ,
जैसे समुन्दर किनारे से डूबते सूरज को देखना खूबसूरत होता है !”