Shah Umair Ki Pari – 29
दूसरी दुनिया ”ज़ाफ़रान क़बीला ” :-
दरवाजे की दस्तक लगातार जारी रहती है और अमाइरा नफिशा को जगा कर कहती है।
“नफिशा जरा उठ जाकर देखना यह सुबह सुबह दरवाज़ा कौन बजा रहा?” अमाइरा ने आधी नींद में कहा !
“अअ…. अप्पी आप ही जाओ ना। कौन होगा? अब्बा होंगे या उमैर भाई। मेरी नींद पूरी नहीं हुई है, सोने दीजिये ना !”’ नफिशा ने तकिए से मुँह छुपाते हुए कहा !
“उफ्फ़ तुम नहीं सुधरोगी। आ रही हूँ ! ये नफिशा की बच्ची कभी मेरी बात नहीं सुनती मुझे ही जाना होगा !”अमाइरा अपने बालों को समेटते हुए दरवाज़े की तरफ बढ़ती है और खोलने जाती है ! दरवाज़ा खोलते ही वो थोड़ा शर्मा जाती है क्योंकी सामने शहजादी मरयम और शहजादे इरफ़ान खड़े होते है !
“अ आप, आप दोनों यहाँ? वो भी इस वक़्त ? आइए न, सलाम।” अमाइरा ने कहा !
“सलाम, अमाइरा। क्या हम अंदर आ सकते है ? ” शहजादी मरयम ने पूछा !
“जी, ये भी पूछने की जरूरत है क्या? हाँ आईये ना आप दोनों यहाँ सोफे पर बैठे। मैं अभी आयी कपड़े बदल कर !” अमाइरा ने कहा ! क्योंकी उसने नाईट गाउन पहना होता है और शहजादे इरफ़ान के सामने उसे शर्म आ रही होती है !
“रहने दो तुम इन कपड़ो में अच्छी लग रही हो वैसे बाकी के सब लोग किधर है?” शहजादे इरफ़ान ने सोफे पर बैठते हुए प्यार से अमाइरा को देखते हुए कहा !
“जी वो उमैर भाई का तो पता नहीं। नफिशा अपने कमरे में सोयी हुई है और अब्बा महल में ही ज्यादा तर रहते है। मैं नफिशा को उठा कर, बस अभी आयी !” अमाइरा कहती हुई तेजी से अपने कमरे में जाती है नफिशा को उठाती है!
”नफिशा उठ बाहर शहजादी मरयम और शहजादे इरफ़ान आये हुए है। जल्दी कपड़े बदल कर उनके पास जाकर बैठ ना। न जाने इस वक्त क्यों आये है दोनों ?” अमाइरा ने कपड़े बदलते हुए कहा !
“ठीक है आपी, आप चलो मैं आती हूँ !” नफिशा ने उठते हुए कहा !
अमाइरा कपड़े बदल कर कुछ खाने का समान किचन से लेकर सामने टेबल पर रख कर सोफे पर बैठ जाती है !
“इरफ़ान भाई आप दोनों बात करो मैं अभी आयी !” शहजादी मरयम कहते हुए अपने कदम उमैर के कमरे की तरफ बढ़ा देती है !
“ठहरिये शहजादी मरयम, उमैर भाई अपने कमरे में नहीं है !” अमाइरा ने कहा !
“मगर मैं तो उमैर से ही बात करने आयी हूँ।” कहती हुई शहजादी मरयम जैसे ही उमैर के कमरे में आती है उसे उमैर बेड पर सोया हुआ नज़र आता है !
“हम्म तुम तो कह रही थी के उमैर नहीं है देखो सामने सोया हुआ है !” शहजादी मरयम ने मुस्कुराते हुए कहा तो अमाइरा सोफे से उठ कर आती और कहती है !
” उमैर भाई तो अपने कमरे में ही है ! फिर उसकी नज़र सामने आईने पर पड़ती है जहाँ से परी का कमरा दिख रहा होता है !
“या अल्लाह यह उमैर भाई को कब अक़ल आएगी? कही शहजादी परी को देख ना ले?” अमाइरा सोचती है !
“शहजादी मरयम और शहजादे इरफ़ान आप दोनों कब आए?” नफिशा ने उठते हुए कहा ! तो शहजादी मरयम उसकी तरफ मुड़ती है, तब तक अमाइरा जल्दी से आईने पर हाथ फेर कर उसे आम आईने जैसा कर देती है फिर इत्मीनान की सांस लेती है !
“बस साली साहिबा कुछ समय पहले ही। बहुत सोती है आप लोग? मुझे महल वापस भी जाना है आप जरा उमैर को उठा दे जल्दी !” शहजादे इरफ़ान ने कहा !
उन सब की आवाज़ सुन कर उमैर खुद उठ जाता है, हाथों से आँखों को मसलता हुआ उबासी लेते हुए बाहर आकर सोफे पर बैठ जाता है !
“आप इतनी सुबह यंहा? सलाम। जी बोलिए क्या बातें करने आयी है आप शहजादी? मुझे नहीं लगता के अब कुछ बचा है बात भी करने को !” उमैर ने कहा !
“उमैर भाई… कम से कम आप अपना हुलिया तो ठीक कर ले ! बिलकुल जोकर लग रहे हो आप !” नफिशा ने कहा !
“अब यह हमारे रिस्तेदार बनने वाले है इनसे कैसा शर्माना? हाँ तो शहजादी यहाँ आने की वजह बताएंगी आप?” उमैर अपने बिखरे हुए बालों को ठीक करते हुए कहता है !
“देखो उमैर जो भी हुआ उसका हम दोनों को बेहद ही दुःख है, मैंने अनजाने में तुम्हारे दिल की बात जाने बिना अब्बा से तुम्हारी और मरयम की शादी की बात कह दी। मुझे अगर पता होता तो मैं यह कभी नहीं करता !” शहजादे इरफ़ान ने समझाते हुए शर्मिन्दगी से कहा !
“अब इन सब बातों का क्या फायदा शहजादे इरफ़ान? तलवार तो मेरी गरदन पर लटक रही है, जो होना था वो तो कोई रोक न पाया !” उमैर ने मरयम की तरफ देखते हुए कहा !
“मैंने अब्बा को तुमसे शादी करने से मना कर दिया है, अब तुम आज़ाद हो ! मेरी मोहब्बत और दोस्ती तुमसे दोनों अलग अलग एहसास है। मैंने इन दोनों में दोस्ती को चुन लिया है ! मैंने दोस्ती की है तो निभाऊंगी भी, आज से हम बस दोस्त है !” शहजादी मरयम नम आँखों से अपने ऊँगली से अंगूठी निकाल कर उमैर की तरफ बढ़ा देती है !
“तो क्या अब अमाइरा आपी और मेरा रिश्ता भी टूट जाएगा? ” नफिशा ने कहा !
“नहीं किसी का भी रिश्ता नहीं टूट रहा ! उमैर अब तो तुम बता ही सकते हो आखिर वो कौन है? जिसकी वजह से तुमने मुझे ठुकरा दिया !”शहजादी मरयम ने कहा !
“माफ़ करियेगा शहजादी मैं आप को उससे नहीं मिलवा सकता !” उमैर ने कहा !
“मगर क्यों? क्यों नहीं ? आखिर मैं भी तो जानना चाहती हूँ के किसने मेरी खुशियों को मुझसे छीन लिया? मुझे पूरा हक़ है जान ने का !” शहजादी ने कहा तो उमैर अमाइरा और नफिशा की तरफ देखता है ! तो अमाइरा उसे सच बताने का इशारा करती है ! मगर वो ना में सर हिलाता है!
“हाँ उमैर बताओ भी जरा अब हम सब के बीच एक रिस्ता जुड़ चूका है मालिक और मुलाजिम वाली बात ही नहीं रही।तुम अब तो बे फिक्र होकर बताओ हमे !” शहजादे इरफ़ान ने कहा !
“बात बताने वाली हो तब ना बताऊँ मैं !” उमैर ने कहा
“कहने का मतलब क्या है तुम्हारा उमैर ?” शहजादे इरफ़ान ने कहा !
“उमैर भाई बता दो। एक ना एक दिन आप को यह बात सब के सामने लानी ही है इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा। अभी बता दो मुझे यक़ीन है शहजादे इरफ़ान और शहजादी मरयम समझेंगे आप को !” अमाइरा ने समझाते हुए कहा !
“ठीक है अमाइरा तुम कहती हो तो बता देता हूँ, असल में मैं जिससे प्यार करता हूँ वो हमारी दुनिया की नहीं है !” उमैर कहते हुए खामोश हो जाता है !
“क्या मतलब तुम्हारा उमैर? वो हमारी दुनिया की नहीं है ?” शहजादी मरयम ने हैरत से उमैर को देखते हुए कहा !
“मतलब यह शहजादी के वो जिन जादी नहीं, बल्की एक इंसान है उसका नाम परी हसन खान है बहुत ही प्यारी मासूम सी और मैं उससे अपनी जान से ज्यादा मोहब्बत करता हूँ !” उमैर ने कहा !
“उमैर तुम्हारा दिमाग तो ठीक है ? तुम्हे पता है ना के हम जिन इंसानों से शादी नहीं कर सकते नसल की दिक्कत आएगी और दूसरी हमारे क़बीले में तुम्हारे खानदान को इंसानो से तालुकात रखना शख्त मना है !” शहजादे इरफ़ान ने कहा !
“इश्क़ पर किसका जोर चला है शहजादे? वो तो बस हो जाता है ना जात देखता है, ना धर्म और ना ही यह के यह किस् से हो रहा है बस हो जाता है। इश्क़ की बेताबियों से हम सब रूबरू हो चुके है मुझे नहीं लगता के आप को ज्यादा समझाने की जरुरत है ! रही बात नियमों की, वह तो बनते ही इसलिए है के उसे तोड़ा जाए और मेरी मोहब्बत परी के साथ ऐसी है। मैं उसके लिए कुछ भी कर जाऊँ बताओ आप सब मेरा साथ दोगे ?!” उमैर ने कहा !
“सही कहा उमैर ने इरफ़ान भाई ! उमैर कोई तुम्हारा साथ दे या ना दे मैं दूंगी , उमैर अब तो मुझे और भी ख्वाहिश हो रही के मैं तुम्हारी परी से मिलूं !” शहजादी मरयम ने कहा !
“हाँ शहजादी वो बहुत प्यारी है और आप उससे देख भी चुकी है ! कल जो हमारे साथ हमारी दोस्त थी वही है उमैर भाई की परी !” नफिशा ने कहा !
“अच्छा यानी वो हमारी दुनिया में भी आ चुकी है ! उमैर मुझे उससे मिलना है अभी के अभी !” शहजादी मरयम हुक्म देती हुई कहती है !
“उमैर अपनी जगह से उठ कर जाता है और परी को अपने साथ लेकर अपने कमरे से निकलता है और शहजादे इरफ़ान और शहजादी मरयम के सामने खड़ा हो जाता है ! शहजादी परी को ध्यान से देखती है जो ट्रॉउज़र और टी शर्ट में रहती है बालों को पोनीटेल किये हुए !
शहजादी उमैर की ऊँगली से अंगूठी निकाल कर परी के हाथो में थमा देती है और कहती है !” “उमैर तुम्हारे पास जो अंगूठी है तुम परी को पहना दो और परी तुम उमैर को यह अंगूठी पहना दो !” सब ख़ामोशी से यह सब देख रहे होते है !
“सही में पहना दूँ शहजादी यानी आप मेरा साथ सच में देंगी ?” उमैर ने खुश होते हुए कहा !
“हाँ पहना दो पर उससे पहले तुम्हारी परी से एक वादा लेना चाहती हूँ !” शहजादी मरयम ने कहा !
“कैसा वादा शाहजादी !” परी ने कहा !
“यही के मुझसे तो तुमने उमैर को छीन ही लिया है, तो अब तो उसका साथ हमेशा दोगी क्यों के तुम दोनों क़ुदरत के खिलाफ जा रहे हो आने वाले दिन शायद तुम दोनों के लिए आसान ना हो !” शहजादी ने कहा !
“उमैर के लिए मैं हर दर्द सह लूँ शहजादी इसने मेरी हमेशा मदद की है मेरे पापा को नयी ज़िन्दगी दी है मेरी ज़िन्दगी इसपर क़ुर्बान है। आने वाला दिन अच्छा होगा या बुरा मैं नहीं जानती बस इतना जानती हूँ के हम दोनो एक साथ हर तूफ़ान से लड़ सकते है !” परी ने उमैर को देखते हुए कहा फिर उसका हाथ पकड़ कर अंगूठी पहना देती है ! उमैर भी परी को अंगूठी पहना देता है !
“सब गरमा गरम जलेबी खा लो इसी ख़ुशी में !” अमाइरा कहते हुए सब के सामने ताज़े बने हुए जलेबी रखती है ! जलेबी देख परी के मुँह में पानी भर आता है वो उमैर को देखना छोड़ जलेबी की तरफ लालच से देखने लगती है !
“उमैर लगता है तुम्हारी परी को अब तुमसे ज्यादा जलेबी अच्छे लग रहे !” शहजादी मरयम ने छेड़ते हुए कहा !
“हाँ… अरे नहीं, मतलब वो….नहीं वो क्या है ना के मुझे जबलेबी बहुत पसंद है इसलिए !” परी ने कहा !
“जबलेबी… भाभी की तो जीभ से पानी टपक रहा है। जलेबी को भी जबलेबी…..खाए परी भाभी सब आप का ही है अब हमारी दुनिया की तरफ से तो रिश्ता पक्का हो गया है अब आप की दुनिया में बाकी है !” नफिशा ने कहा !
“वो भी हो जायेगा !” उमैर ने कहा ! फिर जलेबी की प्लेट उठा कर परी की तरफ कर दी सब मिल कर जलेबी खा ही रहे होते है के दरवाज़े पर दस्तक होती है !
“अरे बाप रे लगता है अब्बा आ गये परी चलो तुम यहाँ से जल्दी !” उमैर कहता हुआ परी को हाथ पकड़ कर उठाता है तो अमाइरा जल्दी से परी के हाथों में जलेबियों से भरी प्लेट थमा देती है ! फिर उमैर परी को उसकी दुनिया में छोड़ का वापस आकर दरवाज़ा खोलता है तो सामने महल के गुलाम रहते है ! जो कहता है !
”आप सब को शहंशाह फरहान अब्बास ने महल में हाज़िर होने का हुक्म दिया है अभी के अभी !”
शहर धनबाद में :-
”अम्मी थोड़ा निम्बू पानी देना सर बहुत भारी लग रहा मेरा और जी भी मतला रहा है !” परी ने अपने कमरे से निकल कर डाइनिंग टेबल के चेयर पर बैठते हुए कहा !
“बेटा कुछ दिनों से तुम्हारा टाइम टेबल बिगड़ चुके है, टाइम पर उठा करो देर तक सोने से तबियत बिगड़ रही तुम्हारी !” नदिया जी ने परी को निम्बू पानी थमाते हुए कहा !
अभी वो निम्बू पानी पी ही रही होती है के उसके सामने उमैर आकर खड़ा होजाता है !
“तुम इस वक़्त यहाँ क्या कर रहे हो ? ” परी ने दाँत दबाबते हुए धीमे से कहा !
“अरे यह क्या बात हुई अब मैं अपने होने वाला ससुराल भी नहीं आ सकता हूँ ?” उमैर ने उसके हाथ से निम्बू पानी का गिलास लेकर पीते हुए कहा !
“ससुराल? तुम तो शहजादे बनने वाले हो। हुह। पहले उस शहजादी से पीछा तो छुड़ा लो तब मुझसे बात करना !” परी ने उमैर से वापस निम्बू पानी का गिलास लेते हुए कहा !
“ऐसा है तो चलो अभी इसी वक़्त तुम्हे किसी से मिलवाना है !” उमैर ने कहा फिर वो परी का हाथ थामे अपनी दुनिया में लेकर चला जाता है !
“न जाने किया हो गया है परी को जब देखो खुद से ही बातें करते रहती है पहले ऑफिस जाती थी तो इसका दिमाग ठीक रहता था अब सारा दिन या तो सोती है या खुद से ही बातें करती रहती है !” नदिया जी ने हसन जी से कहा जो सब बातों से बेखबर परी के मोबाइल में न्यूज़ देख रहे होते है !
“बेगम क्यों तुम हमेशा मेरी बच्ची के पीछे पड़ी रहती हो ? जीने दो उसे अपनी ज़िन्दगी अपने हिसाब से !” हसन जी ने कहा !
“हाँ मैं तो उसकी दुश्मन हूँ। मैं उसके भले के लिए ही कहती हूँ देखो फिर से रूम लॉक कर के अंदर बैठी है !” नदिया जी ने परी के कमरे की तरफ इशारा करते हुए कहा !
“अब तुम इतना चिल्लाओगी तो बेचारी क्या करेगी ? जाओ अपना काम करो बेगम मुझे शांति से न्यूज़ देखने दो !” हसन जी ने कहा !
“हाँ मैं पागल हूँ जो आप को कुछ कहती हूँ !” नदिया जी ने कहा !
“इसमें कोई शक !” हंसन जी ने मुस्कुराते हुए कहा !
“उफ्फो मम्मी पापा आप लोग बच्चे की तरह लड़ते रहते हो हमेशा अब चुप भी हो जाये !” परी ने अपने कमरे का दरवाज़े खोलते हुए कहा !
“यह तुम जलेबी कहा से ले आयी ?” नदिया जी ने परी से कहा ! जो मज़े से दरवाजे पर खड़े जलेबी खा रही होती है !
“क्या जलेबी ? लाओ परी बेटा जल्दी से इधर भी दोनों बाप बेटी मिल कर खाएंगे !” हसन जी ने जलेबी का नाम सुनते ही कहा !
“हाँ पापा आप भी खाये बहुत सारी है और मजेदार भी मैंने खास आप के लिए मगवाया है !” परी जलेबियों से भरी प्लेट हॉल में लेकर आते हुए कहती है !
पहले यह बता के यह जलेबी अचानक से कहा से आ गयी तेरे पास और रुक जरा यह प्लेट तो हमारे घर का नहीं लगता और शीशे के तो प्लेट भी नहीं है अपने पास ?” नदिया जी ने परी के हाथ से प्लेट लेते हुए कहा !
“मम्मी आप भी ना बहुत शक्की हो गयी हो यह प्लेट मैं कल ही मार्किट से लेकर आयी हूँ और जलेबी, मैं तो यह गुल्लू होटल से लेकर आयी हूँ खुद ही अभी !” “चलो अब सवाल पूछना बंद करो यह लो आप भी खा लो !” परी ने कहते हुए एक जलेबी नदिया जी के मुँह में डाल दी !
“वाह यह जलेबी तो बेटा बहुत ही जायकेदार है !” नदिया जी ने मज़े से खाते हुए कहा !
“बेगम फिर कह रहा हूँ आम खाओ गुठली ना गिना करो !” हसन जी ने जलेबी खाते हुए कहा !
“चलो पापा आप के लिए चल कर आज एक led टीवी लेकर आते है मार्किट से !” परी ने कहा !
“कोई जरुरत नहीं है इन सब चीज़ों में पैसे बर्बाद करने की पहले तुम्हारा काम अच्छे से चले फिर सोचना !” नदिया जी ने कहा !
“मम्मी काम चलने लगा है मेरा और आज कल तो हर चीज़ Emi पर मिल जाती है आसानी से आप बस बेकार में परेशान होती है !” परी ने कहा !
“ठीक है जो अच्छा लगे करो तुम दोनों बाप बेटी अपने मन की मैं कौन होती हूँ बीच में बोलने वाली ?” नदिया जी ने मुँह बनाते हुए कहा फिर किचन में चली जाती है !
“अपनी मम्मी की बातों पर ध्यान मत दे बेटी तुम यह बताओ कब चलना है मार्किट !” हसन जी खुश होते हुए कहते है !
“बस अभी पापा चलो चलते है !” परी ने कहा ! दोनों बाप बेटी तैयार होकर मार्किट की तरफ निकल पड़ते है !
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Written By : Shama Khan
रस में डूबी हुई गरम जलेबी सी मिठास है उसमे ,
मैं कोई बहता नदी सा , समुन्दर सी ठहराव है उसमे
चल कर मुझे जाना है उस तक ही ,
वो मेरी उम्मीद मेरी आस बसी है उसमे !