Shah Umair Ki Pari -24
( पिछले भाग में आप लोगों ने पढ़ा कि शहर धनबाद में हसन जी को उमैर ने ठीक कर दिया है , मगर आसिफ उमैर और परी को गले मिलते देख लेता है। आखिर ऐसी क्या है, आसिफ में जो उसने उमैर को देख लिया ? जबकि उमैर पहले भी संगीता की शादी में उनके साथ ही कार में बैठा था तब आसिफ ने उमैर को नहीं देखा था। फिर आज कैसे देख लेता और उमैर क्यों आसिफ के दिल की बात नहीं जान पाया ???
उधर दूसरी दुनिया में शाह ज़ैद ने नफिशा को आईने से निकलते देखा ! अब पढ़ते है के आगे क्या होता है ?)
दूसरी दुनिया ”ज़ाफ़रान क़बीला ” :-
“आss आss अब्बा आप यहाँ? सब खैरयत तो है न ? आप खाएंगे यह मिठाई (अमावट यानी आम पापड़ को वो मिठाई बोल रही होती है) ” नफिशा ने कहा !
“तुम आईने से कहा गयी थी ?”शाह ज़ैद ने गुस्से में कहा !
“काss काss कही नहीं अब्बा , वोss वोss मैं तो यह मिठाई लेने गयी थी !” नफीसा ने अटकते हुए कहा !
”इस नफिशा की बच्ची को अभी आना था ! अमाइरा अब क्या होगा ?” उमैर ने घबराते हुए कहा !
“अब क्या ? वही जो मंज़ूरे खुदा होगा !” अमाइरा ने कहा ! दोनों एक दूसरे की तरफ देखते हुए कहते है !
”तुम्हारे भाई बहन दोनों ने कहा के तुम बाग की तरफ घूमने गयी हो और तुम अभी अभी इस तिलिस्मी आईने से निकल रही हो ? तुम सब सीधे-सीधे सच बताओगे या मैं कोई कड़ा क़दम उठाऊँ ?” शाह ज़ैद ने कहा !
“अब्बा वो , मैं वो मैं !” नफीसा अटकते हुए कहती है !
“कहा ना बताओ तुम्हे समझ नहीं आती एक बार में? मुझे मजबूर ना करो इस तरह नफीसा सजा देने के लिए !” शाह ज़ैद ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा !
“अब्बा मैं वो आईने से। ……. मैं हनीफ से मिलने गयी थी !” नफिशा ने आँख मूंद कर कहा !
“तुम्हारे कहने का क्या मतलब है ?” शाह ज़ैद ने लाल आंगरा आँखों से नफीसा की तरफ देखते हुए कहा !
“अब्बा हुजूर, मैं हनीफ को चाहती हूँ दिलों जान से और वो भी मुझे बेइतहां मोहब्बत करते है इसलिए मैं उनसे मिलने गयी थी !” नफिशा ने कहा !
“बद्तमीज़ लड़की तुझे अपने बाप की इज्जत का जरा भी ख्याल नहीं? किस की इजाजत से तुमने हनीफ से रिस्ता जोड़ा ?” शाह ज़ैद गुस्से में कहते हुए जैसे ही नफिशा को थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाते है उमैर उनका हाथ पकड़ लेता है !
“नहीं अब्बा आप गलत कर रहे है, नफिशा अब बड़ी हो गयी है। उसे अपनी ज़िन्दगी के फैसले लेने का पूरा हक़ है और मोहब्बत करना कोई गुनाह नहीं है !” उमैर ने थोड़ा हिम्मत कर के बोलता है !
“खब्बीस तेरी यह मज़ाल के तू मेरा हाथ रोकेगा ? अपने बाप को समझायेगा कि क्या सही ?और क्या गलत है ? चल अभी तेरी अक़ल ठिकाने लगाता हूँ। ” शाह ज़ैद ने कहा फिर उमैर को गर्दन से पकड़ कर हॉल में ले जाते है चाबुक निकाल कर उसे मारने लगते है ! चाबुक की मार से वो छटपटाने लगता है और उसके जिस्म के कपड़े जगह जगह से फट जाते है और जिस्म नीला पड़ जाता है ! मगर वो सर झुकाये मार खा रहा होता है !
“अब्बा बस भी करिए मार दिजिएगा क्या उमैर भाई को ? बस अब बहुत जुल्म सह लिया हम तीनों भाई बहन ने आपका।आप को मारना ही है तो हम तीनो को बराबरी से मारिये तब तक जब तक आप का गुस्सा ठण्डा ना हो जाये। आप को पूरा अख्तियार है कि गलती पर हमें डांटे या मारे, मगर एक सवाल का जवाब दिजीए। क्या मोहब्बत करना गुनाह है ? आप ने अम्मी से मोहब्बत नहीं की थी ?” अमाइरा ने उमैर को बचाते हुए कहा ! तो शाह ज़ैद चाबुक वही फर्स पर फ़ेंक कर अपने कमरे में चले जाते है !
बेचारी नफीसा उस ने सोचा के वो खुद के बारे में बता कर अपने भाई उमैर को बचा लेगी मगर उमैर को ही उसकी वजह से इतना सब सहना पड़ गया ! तीनो भाई बहन एक दूसरे को देख कर रो रहे होते है !
“माफ़ कर देना उमैर भाई मुझे लगा कि मैं अपने बारे में बताऊँगी तो आप के और परी के बारे में अब्बा को पता नहीं चलेगा। मगर मुझे क्या पता था कि हर हाल में पिटाई आप को ही पड़ जाएगी ! आप को भी क्या जरुरत थी अब्बा का हाथ पकड़ने की ?” नफिशा ने कहा !
“मेरी गलतियों की सजा तुम दोनों को क्यों मिले? ” उमैर ने कहा ! फिर खुद को संभालता हुआ खड़ा होता है और अपने कमरे में चला जाता है ! पलंग से पैर लटका कर आईने के सामने बैठ जाता है ! आईने में देखते हुए सोचता है किसी से दिल लगाने की इतनी सजा अभी तो अब्बा को मेरे और परी के बारे में कुछ भी पता नहीं है अगर उनको पता चला तो न जाने वो क्या करेंगे ?
” नहीं मैं परी को नहीं छोड़ सकता किसी भी हाल में जान दे दूंगा। मगर परी की जुदाई नहीं सहूंगा !” सोचता हुआ उमैर उठ खड़ा होता है और अपने अब्बा की कमरे की तरफ जाने लगता है तभी अमाइरा उसका हाथ पकड़ कर रोक लेती है और कहती है !
” उमैर भाई आप अब्बा के रूम में क्यों जा रहे हो ?”
“हाथ छोड़ अमाइरा आज मैं अब्बा को अपने और परी के बारे में सब बता दूंगा और यह भी के नफीसा हनीफ से नहीं बल्के मेरे कहने पर परी के घर गयी ! उसके बाद जो होगा देखा जायेगा ? ” उमैर ने कहा !
“आप पागल तो नहीं हो गए हो? उमैर भाई चलए कमरे में !” अमाइरा ने कहा फिर वो उमैर को खींचते हुए उसके कमरे में ले आती है !
“देख अमाइरा मैं नहीं चाहता कि मेरी किसी भी गलती की सजा तुम दोनों को मिले। इसलिए अब्बा को बताना जरुरी है !” उमैर ने भरे गले से कहा !
“बता देना भाई मगर सही वक़्त आने पर। अभी अब्बा वैसे भी गुस्से में है और आप भी शांत रहो। बैठो अपने बेड पर मैं आप के जखमों पर लेप लगा देती हूँ !” अमाइरा ने कहा !
उमैर गुस्से में आँखे लाल किये घुटनो को हाथो में समेटे अपने बेड बैठ आईने की तरफ देखता रहता है ! अमाइरा उसके कुरते को उतार कर चोट की जगह लेप लगाती है !
“भाई आप शांत हो जाओ खुदा के वास्ते आग की तरह दहकती हुई आप की लाल आँखों से मुझे खौफ्फ़ आ रहा ! कहि आप गुस्से में कोई गलत क़दम ना उठा लेना !” अमाइरा ने कहा !
“गुस्सा ही कर सकता हूँ मैं अमाइरा उससे ज्यादा का इख्तयार अब्बा ने दिया ही कहा है मुझे !” उमैर ने कहा !
उमैर अपने बेड से उठता है अलमीरा खोल कर कपड़े बदलता है और किसी से बिना कुछ कहे आईने से परी के पास चला जाता है !
”उमैर भाई रुकिए कहा जा रहे ?”अमाइरा ने कहा , मगर उमैर जा चुका होता है। नफीसा और अमाइरा एक दूसरे की तरफ परेशान होकर देखती है !
“नफिशा तुम खाना खा कर सो जाओ। मैं अब्बा को खाना खिलाकर आती हूँ !” अमाइरा ने कहा ! तो नफिशा हाँ में सर हिला कर उसके साथ बावरची खाने में चली जाती है ! ख़ामोशी से खाना खा कर अपने कमरे में सोने के लिए चली जाती है !
“अब्बा खाना गरम है लेकर आऊं ?” अमाइरा ने डरते हुए शाह ज़ैद से पूछा जो न जाने कब से अपने कमरे में उदास बैठे होते है !
“हाँ ले आओ !” शाह ज़ैद ने कहा ! तो अमाइरा फ़ौरन खाना लाकर उनके सामने लगा देती है और खुद सामने खड़ी रहती है !
शाह ज़ैद बिना कुछ कहे खाना खाते है फिर हाथ धोकर अमाइरा को महल में जाने का कह कर चले जाते है !
“नफिशा कुछ समझ नहीं आता मुझे कि आगे क्या होगा? मेरा ना दिल बहुत घबरा रहा है !” अमाइरा नफीसा के बगल में बेड पर लेटते हुए कहती है !
“मगर आपी एक ना एक दिन तो सारे राज खोलने ही है। आपी मैं तो यह सोच कर परेशान हूँ कि मेरे हनीफ का सुनकर अब्बा ने उमैर भाई को गुस्से में इतना मारा। अगर उनको सच में उमैर भाई के बारे में पता चला तो न जाने हमारे उमैर भाई के साथ क्या होगा ? आपी आखिर यह राज कब खुलेगा कि अब्बा इतना ज्यादा गुस्सा क्यों करते हैं? ” नफिशा ने कहा !
“पता नही नाफिशा मगर अब्बा जैसा दिखाते है हमे, वैसे वो अंदर से बिल्कुल भी नही है !” अमाइरा ने कहा !
शहर धनबाद में :-
“परी अभी अंकल आंटी को बात करने दो। चलो हम बाहर से चाय या कॉफ़ी पी कर आते है !” आसिफ ने कहा !
“नहीं आसिफ अभी नहीं। मुझे पापा के पास रहने दो वरना विजिटिंग टाइम ख़तम हो जाएगा और हॉस्पिटल स्टाफ आकर बाहर कर देंगे !” परी ने कहा !
“जाओ परी बेटा बाहर घूम कर आ जाओ। मैं अभी बिलकुल ठीक हूँ, तुम दोनों विजिटिंग टाइम ख़तम होने से पहले आ जाना ! वैसे भी कॉफ़ी पीने में ज्यादा टाइम नहीं लगता है। है ना आसिफ ?” हसन जी ने कहा !
“हाँ अंकल बिलकुल। सुबह से कुछ खाया पिया भी नही तुमने? चले परी?” आसिफ ने कहा फिर दोनों सामने ही एक रेस्टोरेंट में जाते है और आसिफ कॉफ़ी आर्डर करता है! थोड़ी देर में वेटर टेबल पर कॉफ़ी रख कर चला जाता है!
“परी कुछ पूछूं तुम से गुस्सा तो नहीं करोगी ना ?” आसिफ ने कॉफ़ी की एक घूंट लेते हुए कहा !
“हाँ बिलकुल पूछो और हाँ आसिफ थैंक्स मेरा साथ देने के लिए !” परी ने अपना हाथ आसिफ के हाथ पर रखते हुए कहा !
“एक दोस्त होने के नाते तुम्हे मुसीबत में अकेला कैसे छोड़ देता ! अच्छा परी मुझे ऐसा लगता है के जैसे तुम मुझसे कुछ छुपा रही हो ? ”आसिफ ने परी का हाथ अपने हाथों में थामते हुए कहा !
“मतलब ? मैं समझी नहीं !” परी ने अपना हाथ आसिफ के हाथ से छुड़ाते हुए कहा !
“मतलब के आज मैंने तुम्हे हॉस्पिटल के कॉरिडोर में किसी से बातें करते देखा मगर सामने कोई भी नहीं था, तो क्या ? कुछ ऐसा है जो तुम्हे लगता हो कि तुम्हें मुझसे शेयर करना चाहिए?” आसिफ ने ध्यान से अपनी बातों को परी के सामने रखते हुए कहा ताकी वो गुस्सा ना हो ! जब की उसने उमैर को देखने वाली बात छुपा ली और यह भी के उसने परी को किसी की बाँहों में देखा था !
”नहीं… नहीं.. आसिफ ऐसा कुछ भी नहीं है। भला मैं तुमसे कुछ कैसे छुपाऊँगी? क्यों छुपाउंगी? तुम्हे बस वहम हुआ है !मैं तो वहा अकेले खड़ी थी और परेशानी इतनी थी कि शायद खुद में ही कुछ बड़बड़ा रही होऊँगी। जिससे तुम्हे लगा होगा कि मैं किसी से बात कर रही हूँ। गलती मेरी ही है, अपसेट होती हूँ तो घबरा कर पागल हो जाती हूं!” परी ने कुछ इस तरह आसिफ से कहा जिससे उसे एक परसेंट भी शक ना हो !
“ठीक है तुम कहती हो तो मान लेता हूँ !” आसिफ ने कहा !
परी थोड़ी देर ख़ामोशी से अपनी कॉफ़ी पीती रही फिर अपनी wrist watch में टाइम देखते हुए कहती है !
” चले आसिफ वरना लेट हो जाएंगे हम विजिटिंग हॉर्स खतम होने में आधा घंटा बचा है बस !”
“ठीक है तुम चलो। मैं बिल पे कर के आता हूँ !” आसिफ ने अपने जीन्स की पॉकेट से पर्स निकाला और काउंटर की तरफ चला गया !
“आ गयी तुम बेटा? ऐसा कर हॉस्पिटल में अपने पापा के पास ठहर जा मैं आसिफ को लेकर घर चली जाती हूँ घुटनों में बेहद दर्द हो रहा है !” नदिया जी परी के आते ही कहा !
”मम्मी पापा कहा गए ?”खाली बेड देख कर परी ने कहा !
“हॉस्पिटल स्टाफ तेरे पापा को टेस्ट के लिए लेकर हॉस्पिटल लैब गए है !” नादिया जी ने अपने घुटनों को सहलाते हुए कहा !
“जी मम्मी आप जाएं।” परी ने कहा।
“ठीक है फिर जाती हूँ। अपना और पापा का ख्याल रखना।” नदिया जी ने कहा !
“हाँ चलिए आंटी आप घर पर आराम कर लिजिएगा अगर सुबह तक रिपोर्ट सही रही तो कल सुबह अंकल को डिस्चार्ज भी कर दिया जाएगा ! मैं सुबह में आ जाऊंगा कार लेकर !” आसिफ ने कहा !
फिर नदिया जी और आसिफ चले जाते है और परी हॉस्पिटल केबिन में अपने पापा का वेट कर रही इधर उधर टहल रही होती है ! तभी अचानक से उसके सामने उमैर आकर खड़ा होता है ! परी थोड़ा डर जाती है।
”या अल्लाह उमैर तुम हमेशा ऐसे अचानक से क्यों आते हो? मेरी जान हलक में अटक जाती है और आज ये तुम्हारी आँखे लाल क्यों है ? ” परी थोड़ा डरते हुए कहती है ! मगर उमैर बिना कुछ कहे सामने रखे बेंच पर बैठ जाता है !
तभी हॉस्पिटल के स्टाफ हसन जी को स्ट्रेचर पर लेकर आते है और हसन जी को बेड पर लेटा देते है !
“मैडम आप के पापा अचानक ठीक कैसे हो गए? कल तक हम सब को लगता ही नहीं था कि यह बचेंगे !” हॉस्पिटल स्टाफ ने कहा !
”भैया यह तो मुझे भी पता नहीं सब आप लोग की दुआ है जो मेरे पापा होश में आ गये !” परी ने कहा !
”हाँ कुछ जख्म अभी कच्चे है तो उनकी ड्रेसिंग कराते रहियेगा। बाकी सुबह में रिपोर्ट दिखा लीजिएगा डॉक्टर साहब से !” हॉस्पिटल स्टाफ कहता है फिर स्ट्रेचर घसीटता हुआ चला जाता है !
“परी बेटा तेरी मम्मी चली गयी ?” हसन जी ने कहा !
“हाँ पापा और कल आप भी मेरे साथ घर चलोगे। चलो अब आप दवा लेकर आराम करो मैं बाहर बैठती हूँ !” परी ने कहा !
“ठीक है बेटा, जैसा तुम कहो !” हसन जी ने कहा
परी इमरजेंसी रूम से बाहर निकल कर आती है तो उमैर भी उसके पीछे पीछे चला आता है फिर दोनों बाहर बेंच पर बैठ जाते है !
“बताओगे भी की क्या हुआ है ? या ऐसी ही डरावनी शक्ल बना कर बैठे रहोगे और यह तुम्हारी आँख आज नीली से लाल कैसे हो गयी ? ” परी ने कहा !
“कुछ नहीं परी बस ऐसे ही।” कहते हुए उमैर खामोश हो जाता है तो परी समझ जाती है कि कोई तो बात है, वरना उमैर को उसने हमेशा मुस्कुराते हुए देखा है !
“आज बात नहीं करना है तुम्हे? नाराज़ हो क्या ? ” परी ने कहा !
“नाराज़? वो भी अपनी ज़िन्दगी से मैं भला क्यों नाराज़ होने लगा? हम्म्म कभी नहीं !” उमैर ने भरे गले से कहा !
“उमैर तुम्हे मेरी कसम है बताओ क्या हुआ है ?” परी ने कहते हुए जैसे ही उमैर के कंधों पर अपना हाथ रखा उमैर दर्द से कराहने लगा !
“क्या हुआ उमैर बताओ ? तुम्हे दर्द क्यों हुआ? कहो न?” परी ने जल्दी से अपना हाथ हटाते हुए कहा !
उमैर थोड़ी देर खामोश रहता है फिर कहता है-
“परी तुम्हे क्या लगता है मैं जिन हूँ तो मेरे साथ कोई परेशानी नहीं है?
”नहीं उमैर मैंने ऐसा कब कहा? जब तुम्हारी दुनिया में भी हमारी दुनिया की तरह रिश्ते, घर,परिवार है, तो सुख दुःख ,भावनाएँ और ज़िन्दगी जन्म औऱ मौत भी होगी ! मैं सब समझती हूँ, अब चलो बताओ क्या हुआ ? मेरा दिल घबरा रहा है।” परी ने समझाते हुए उमैर का हाथ अपने हाथों में थामते हुए कहा !
अपने हाथों में परी के हाथों का लम्स मिलते ही उमैर नार्मल हो जाता है उसकी लाल आँखे वापस नीली हो जाती है जिसे देख परी सुकून की साँस लेती है !
“परी आज मेरे अब्बा ने मुझे चाबुक से बहुत मारा !” उमैर ने कहा !
“क्या ? मगर क्यों ?” परी ने चौकते हुए कहा, तो उमैर ने उसे पूरी बात बता दी !
” अगर ऐसा है उमैर। तो तुम मुझसे मिलना मत आया करो। मैं नहीं चाहती कि मेरे वजह से तुम्हे थोड़ी भी तकलीफ पहुँचे। मोहब्बत तो पाक जज़्बात है उमैर, मैं तुमसे बिना मिले भी ज़िन्दगी भर तुम्हे चाह सकती हूँ !” परी ने बहुत प्यार और इत्मीनान से कहा !
“परी तुम पागल हो क्या ? मैंने सालों तुम्हारा इंतज़ार किया है, इसलिए कि तुम्हे छोड़ दूं? तुम्हारे लिए अब्बा तो क्या किसी से भी लड़ जाऊँगा !” उमैर ने कहा ! तो परी रोते हुए उसके हाथों को चुम कर अपने आँखों से लगा लेती है। आंखों की नमी हाथों पर लगते है तो उसके आंसू मोती बन कर उमैर के हाथो में आ जाते है ! मोतियों को देख कर परी और उमैर दोनों एक साथ हँसने लगते है !
क्रमशः shah-umair-ki-pari-25
Previous Part – shah-umair-ki-pari-23
Follow Me On – facebook
Follow Me On – instagram
शमा खान
”इश्क़ रोग होता है जो हर रोज होता है ,
Shama Khan
पड़ जाये जो महबूब पर एक नज़र
हर जख्म दिल का खुद बा खुद अपना रुख मोड़ लेता है !”