Shah Umair Ki Pari – 15
दुसरी दुनियाँ – ज़ाफ़रान क़बीला :
“बच्चो आज मेरी तबीयत बहतर लग रही.। चलो हम सब मिल के बगीचे में टहलते है, थोड़ा ताजी हवा के साथ कूछ वक़्त बच्चो तुम दोनो के साथ भी गुज़र जाएगा !”शहशांह फरहान अब्बास कहते है !
“जी अब्बा! बिल्कूल चले, मैं भी जब से यहाँ आया हूँ कही नही गया हूँ बाहर !” शहजादा इरफ़ान कहता है !
”उमैर आप भी साथ चले अब्बा को कोई जरुरत पेश आयी तो !” शहजादी मरयम सामने ही खामोश खड़े उमैर की तरफ देखते हुए कहती है !
”जी शहजादी जैसा आप कहे !” उमैर ने कहा तो शहजादी मुस्कुराते हुए अपने अब्बा का हाथ थामे महल से बगीचे की ओर चल देती है ! पीछे पीछे उमैर भी अदब से चलता है !
”तूम लोग यह बताओ हमारे क़ाबिले का नाम ज़ाफ़रान कैसे पड़ा ?” शहशांह फरहान अब्बास बगीचे में टहलते हुए पूछते है !
शहजादा इरफ़ान और शहजादी मरयम एक दूसरे का मुँह तकते है और एक साथ कहते है
“हमे नहीं पता अब्बा हुज़ूर।”
”जी हूज़ूर। इजाजत हो तो मैं बता सकता हूँ?”
“कहो।”
“क्योंकि जिनो की दुनियाँ में सब से ज्यादा जाफरान (केसर) हमारे क़ाबिले में ही होता है !” उमैर कहता है !
”बहूत खूब उमैर !” शहंशाह ने कहा !
”शाह उमैर मैं देख रहा हूँ के ,
काफी दिनों से तूम दिन रात मेरी खिदमत में लगे हो ! घर जाते हो या नहीं ?” शहशांह उमैर से कहते है !
‘’जी शहंशाह हुज़ूर। अब्बा घर जाने ही नहीं देते, बिना पूछे चले जाओ तो पिटाई कर देते है। बड़े सख्त मिज़ाज़ हैं, पिटाई भी वो मेरी सब के सामने कर देते हैं बस इस डर से अब घर की तरफ जाने को दिल ही नही करता। बस बहनों की….!”उमैर कहता है तो मरयम और इरफ़ान हँसने लगते है तो उमैर मुँह बना लेता है !
”बच्चों किसी पे हँसते नहीं है ! शुक्र करो इरफ़ान के मैं तुम्हे नहीं पिटता वरना शरारत तूमने भी बहुत की है, और हाँ उमैर तूम जब चाहे अपने घर जा सकते हो मेरी तरफ से इजाजत है ! ” शहशांह फरहान कहते है !
”आप का बहुत बहुत शुक्रिया हुज़ूर ! आप अगर इजाजत दे तो मैं आज चला जाऊँ घर? बहनों की बहुत याद आती है।” उमैर खूश होते हुए कहता है !
”इतनी जल्दी ही मेरे हुक्म की तामील करनी है? थोड़ा रुक कर थोड़ी देर बाद चले जाना !”शहशांह कहते है !
”पता है अब्बा उमैर की बहने बहूत अच्छी है। मेरी तो उनसे दोस्ती भी हो गयी है अब !” शहजादी मरयम ने कहा !
”अच्छा सच में क्या ? तब तो मेरी भी दोस्ती करा दो उमैर की बहनों से ! बोलो उमैर कब लेकर चल रहे मूझे अपने घर पर ?” शहजादे इरफ़ान ने कहा !
”भाई जान आप भी ना? बहूत जल्दी है आप को उनसे मिलने की भला वो आप से दोस्ती क्यों करेंगी ?”शहजादी मरयम ने कहा !
“मैं क़ाबिले ज़ाफ़रान का शहजादा हूँ, भला मुझसे कोई दोस्ती करने से इनकार भी कर सकता है किया? बोलो उमैर सही कहा ना ?”शहजादा इरफान कहता है !
“इरफान अपने जज़्बातों को काबू में रखना सीखो, किसी के भी बहन या बेटी को उसी तरह इज्जत दो जिस तरह तुम खुद की बहन की करते हो!” शहंशाह ने कहा तो इरफान खामोश हो जाता है !
“अब्बा आप भाईजान को डाँट क्यों रहे ? ऐसा क्या गलत कहा उन्होंने दोस्ती ही करने की बात कही है ना ? और हाँ, भाईजान जिस तरह उमैर और उसकी बहने मेरे दोस्त है वैसे आप की भी दोस्त बन जाएंगे …… है ना उमैर?” मरयम ने कहा
“मरयम मेरी बच्ची, एक शाहजादी और शहजादे को गुलाम खानदान से दोस्ती बढ़ाना शोभा नही देता !” शहंशाह समझते हुते बोले।
“तुम दोनों जितना हो सके अपने मामलों से मतलब रखो बस ।” समझे? ” शहंशाह ने फिर समझा कर कहा!
“अब्बा माफ करियेगा मगर मैं इन सब बातों को नही मानती। मेरे लिए सब बराबर है !”मरयम ने कहा !
“जी अब्बा मेरा भी यही मानना है!”इरफान ने कहा!
“अब भला जब तुम दोनों कह रहे हो, तो मैं क्या कहूँ? बस इतना कहूंगा के कोई ऐसी गलती मत कर बैठना, जिससे हमारे खानदान की बदनामी हो।” शहंशाह ने कहा !
“यह सब तो खुद में ही उलझे पड़े है ,मेरी बहने और मैं कभी इनसे दोस्ती ना करू, हुह….. शकल देखी है अपनी इन्होंने ! जब से आए है बाग में बक बक कर रहे फ़िज़ूल का। उधर पता नही परी कैसी होगी? कितना बेबस हूँ मैं? मुझे बस उससे मिलना है आज।”
बेचारा उमैर ख़ामोशी से उनकी बातें सुनता हुआ ख्यालों में खुद से ही बातें कर रहा होता है !वो उनसे कुछ कह भी नहीं सकता है !
“किन ख्यालों में खोए हो उमैर ?” मरयम ने कहा!
“वो …वो कूछ नही बस घर जाना हैं ! आप इजाजत दिलवा दो !”
“तुम तो बहूत बेचैन हो रहे हो उमैर? ठीक है जाओ, मगर याद रहे वापस आ जाना !” शहंशाह ने कहा !
उमैर इजाजत लेकर घर चला आता है !
”उमैर भाई आप आ गये जल्दी चलो कूछ दिखाना है आप को !” नफिशा उमैर को घर पर आता देख कहती है !
”क्या दिखाना है मेरी छोटी गुड़िया !” उमैर प्यार से कहता है !
”चलो तो सही मेरे कमरे में कितने दिन बाद आप आ रहे हो इधर आप को ना हम दोनों की बिल्कूल भी याद नहीं आती !”नफिशा कहती हुई उमैर का हाथ पकड़े अपने कमरे में ले आती है !
”जल्दी दिखाओ क्या दिखाना चाहती हो !”उमैर ने बैठते हुए मुस्कुरा कर कहा !
”यही तो रखी थी मैंने , कहा चली गयी , अमाइरा आपी आप ने वो दोनों कपड़ो वाले लिफाफे कहा रख दिए जो शहजादी मरयम ने हमे भेजा था !” नफिशा परेशान होकर ढूंढ़ती हुई कहती है !
“कहा जाएंगे अलमारी में ही होंगे धियान से देखो !” अमाइरा ने कहा !
”नफीशा बेकार में तुम मेरा वक़्त बरबाद मत करो वैसे भी मुझे बहूत मुश्किल से घर आने को मिलता है !
,.. तूम ढूंढो तब तक मैं अपनी परी को देखता हूँ !” उमैर कहता हुआ अपने कमरे में चला जाता है !
“पहली बार कोई चीज़ गायब हुई है अमाइरा आपी चलो आप भी ढूँढने आप भी मेरे साथ !”नफीशा ने कहा
”अच्छा रुक मैं उमैर भाई को पिस्ते का हलवा देकर आती हूँ खाने को फिर साथ में मिल कर ढूंढ़ते है “! अमाइरा ने कहा तो नफिशा वापस अपने कमरे में कपड़ों को ढूंढ़ने चली जाती है !
”उमैर भाई खोये ही रहेंगे आईने में या हलवा भी खाना है आप को ! अमाइरा ने कहा मगर उमैर उसकी बातों पे ध्यान नहीं देता और मोहब्बत से मुस्कुराते हुए आईने में बस देखता रहता है !
”देख तो सही अपनी भाभी को कितनी प्यारी लग रही आज इसकी नज़र उतारने को दिल चाह रहा मेरा !” उमैर ने सोखी भरे अंदाज में कहा !
“ऐसा क्या हो गया उमैर भाई जो आप नज़र उतारने की बात कर रहे ! जरा देखु तो !”अमाइरा आईने के सामने आते हुए कहती है !
‘’या अल्लाह उमैर भाई, मतलब आप ने हम दोनो के कपड़े परी को दे दिए? ‘’अमाइरा ने चौंकते हुए कहा!
“हाँ इसे शादी में जाना था और इसके पास कपड़े नही थे पहनने को तो मैंने तुम दोनो के कपड़े दे दिये। अब इसको जो अच्छा लगेगा पहन लेगी !”उमैर ने कहा !
“मगर…….. मगर! आप को इन कपड़ो के बारे में कैसे पता है ? आप तो कल घर पर नहीं थे फिर ?” अमाइरा ने कहा !
“अरे पागलों , कल मैं छुप कर आया था घर जब नफिशा और तुम दोनों शहजादी मरयम के दिए हुए कपड़ो की तारीफ कर रहे थे ! और फिर……” उमैर ने कहा !
”फिर क्या, उमैर भाई ?” अमाइरा ने पूछा !
”फिर यह के इन्होने खुद को हम दोनों की नज़रों से गायब कर के वो कपड़े चुरा लिए। है ना उमैर भाई ??!”नफिशा ने कहा ! मगर उमैर ध्यान नहीं देता कि यह बाते किसने कहीं !
“हाँ बिल्कूल ऐसा ही किया। मगर तुम्हे कैसे पता ? ” कहते हुए उमैर जैसे पलटा नफिशा उसके सामने गूस्से से लाल खड़ी होती है !
“उमैर भाई आज मैं आप को नहीं छोडूंगी। आप हमेशा ऐसी शरारते करते है ! मुझे बस मेरे कपड़े वापस चाहिए। वरना…. ” नफिशा पूरे कमरे में उमैर को दौड़ाती हुई कहती है !
”वरना क्या?” उमैर नफिशा से खूद को बचाता हुआ कहता है !
“नफिशा रुक जा, भाई है वो हमारे।” अमाइरा दोनों को झगड़े से रोकते हुए कहती है !
”भाई नहीं कसाई है ये, आपी एक छोड़ दोनों ड्रेस दे दिये। उस परी को, वो परि ही सब हो गई अब? हम दोनों बहनों का कुछ नहीं !” नफिशा कहती है !
नफिशा जैसे ही उमैर को धक्का देती है वो लड़खड़ाता हुआ आईने से टकराता हुआ दूसरे तरफ गिर जाता है। जहां पे परी तैयार हो रही होती है !
शहर धनबाद में ;-
परी खूबसूरत और पूरे सूकून माहौल में नदी किनारे बैठी गुनगुना रही होती है, तभी कोई अचानक आकर परी की आँखों को हाथों से बंद कर देता है !
”उमैर ये तुम हो ना ?” परी उमैर के हाथों को छूते हुए कहती है !
“हाँ.. हाँ .. मगर तूमने कैसे पहचान लिया ?” उमैर ने कहा !
“क्या उमैर तुम भी ना ? निहायती बेवक़ूफ़ हो !
हमेशा मिलती हूँ तूमसे , हमने घंटों एक दूसरे से बातें की है ! भला मैं तुम्हारे हाथों के लम्स को कैसे नहीं पहचानूँगी ?” परी ने कहा !
उमैर मुस्कुरात हुआ परी के क़रीब आकर बैठ जाता है !
“उमैर कूछ सवाल है मेरे मन में तुम्हे लेकर पूछू ? परी ने कहा !
”कैसे सवाल परी ? उमैर ने पूछा !
”आज अगर तुम ख्वाब में न आते तो बच जाते, पर अब जब आ ही गए हो तो बता भी दो के तूम असल में कौन हो ? मिलती तो हूँ ख्वाब में तूमसे मगर ऐसा क्यों लगता है के हकीकत में मिली हूँ ?” परी ने मन को खाली कर उमैर से पूछा!
”बाप रे! इतने सारे सवाल एक साथ !” उमैर चौकते हुए बोला।
“आज मैं सब कुछ सच जानना चाहती हूँ और कूछ नहीं !”परी ने कहा !
”सूनो परी, कभी और। मैं सारे सवालों के जवाब दूंगा फिलहाल तुम कपड़ों के लिए परेशान थी ना यह लो !” कहते हुए उमैर परी को कपड़ो का एक खूबसूरत सा लिफाफा देता है !
”तुम्हे सब पता रहता है उमैर मेरे बैग के पैसे कभी कम नहीं होते उसकी वजह भी तुम ही होना ?” परी ने कहा !
“हाँ मगर कभी और बताऊंगा फिलहाल कूछ और बातें करते है। वैसे तूम क्या गुन गुना रही थी? मूझे भी सुनाओ !” उमैर बात काटते हुए कहता है !
“कुछ नहीं बस एक गाना गुनगुना रही थी ! कभी और सुना दूंगी तुम्हे।अब मन नहीं है मेरा गाने का!” परी ने कहा
“अच्छा तो आज मिज़ाज़ दुरुस्त नहीं है तुम्हारे ?” उमैर ने कहा
मगर परी ख़ामोशी से नदी के पानी को देखती रहती है ! इस तरह बैठे ख्वाब में दोनों घंटो बातें करते रहते है!
“उफ्फ ! यह मेरे सपने और वो उमैर नाम का लड़का मेरा पीछा ही नहीं छोड़ते ! आँख लगती नहीं के ख्वाब में आ जाता है अक्सर मिलने !” परी सूबह में उठती हुई कहती है !
वाशरूम में ब्रश करते हुए परी को अचानक याद आता है कि सपने में उमैर ने उसे एक बहूत ही खूबसूरत सा लिफाफा देता है जिसे वो अपने आईने के ड्रावर में रख देती है ! परी भागती हुई अपने कमरे की ओर जाती है !
“अरे ! परी बेटा संभल के गिर जाओगी !”हसन जी परी को कमरे की तरफ भागता हुआ देख कर कहते है !
“पापा मैं ठीक हूँ !”परी ने कहा
कमरे में आकर वो आईने के सारे ड्रावर को खोल कर देखती उसे एक ड्रावर में उसे वह बैग मिल जाता है !
”या अल्लाह यह कैसा चक्कर है ? ख्वाब वाला बैग सच में मेरे सामने है ! इसका मतलब यह कि मेरा शक सही है।उमैर इंसान नही। उमैर एक जिन है ।”
“नहीं नहीं यह सच नहीं, वो बस एक ख्वाब है और कुछ नहीं ! मगर ये बैग मेरे कमरे में कैसे ?” परी बहूत परेशान हो जाती है ! फिर उस थैले की तरह दिखने वाले बैग को खोल कर उसमे से कपड़े निकालती है जो बैग में तो बहूत सिमटी हुई एक कपड़े का टुकड़ा मालूम हो रही मगर जब परी पूरे कपड़े को खोलती है तो वो बहूत ही खूबसूरत सा गाउन रहता है !”
“अम्मी अम्मी इधर आए जरा !”परी नदिया जी को आवाज़ लगाती है !
”क्या हो गया बेटा क्यों सुबह सुबह शोर मचा रही हो ?” नदिया जी कहते हुए परी के कमरे में आती है तो उनकी भी आँखे हैरत से फटी रह जाती है जब वो परी के हाथ में गाउन देखती है तो !
“इतना खूबसूरत ड्रेस तूमने कब लिया परी?” नदिया जी गाउन को छू कर देखती हुई कहती है!
“अम्मी यह मैने नही लिया मेरे आईने के ड्रावर में से निकला ।” परी ने कहा!
“क्या ? ड्रावर में वहा किसने रखा?” नदिया जी चौंकते हुए कहती है!
“अरे भाई ! तुम माँ बेटी ने यह कैसा शोर मचा रखा है? कौन सी ड्रेस की बात हो रही ?” हसन जी कहते हुए अपनी व्हील चेयर चलाते हुए कमरे में आते है!
“देखिए ना ! ना जाने यह दो गाउन कहा से आईने की ड्रावर में आ गये है।” नदिया जी परेशान होकर कहती है !
“अरे बाबा ऐसे कपड़े मेरी माँ के पास भी थे। हो सकता है वही हो !”
“तुम हमेशा फ़ालतू का शोर मचाती हो!” हसन जी समझाते हुए कहते है!
“मगर पापा कुछ तो अजीब है क्योंकि इन कपड़ो को किसी ने मुझे ख्वाब में दिया था और जब मैंने ड्रावर चेक किया तो असल मे देखती हूं। तो ये वही ख्वाब वाले कपड़े है ! ” परी ने कहा!
“बेटा वो तेरी दादी ही होगी तुम ज्यादा परेशान ना हो तुम शादी में जाने की तैयारी करो और हाँ नदिया जी आप चलिए रोटी बनाये मेरी बेटी को परेशान ना करे !” हसन जी कहते है !
“ठीक हैं परी बेटा जब तेरे पापा बोल रहे तो तुम आज इन दोनो में से ही कोई एक पहन लेना।”! नदिया जी कहती हुई किचन में चली जाती है !
मगर परी को अब सब कूछ अच्छी तरह समझ आने लगा था ! के ये कपड़े कहा से आये है ?
शाम को परी दोनों गाउन को एक एक कर के ट्राय करती है!
क्रमशः shah umair ki pari-16
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Wrriten By – शमा खान
”कहते है मोहब्बत अपना वजूद ढूँढ लेती है ,
SHAMA KHAN
मौसम चल रहे हो फ़िज़ा के मगर ,
दरख्त से टूटे पत्ते भी ज़मीन पर बिखर कर अपना मक़ाम ढूंढ लेती है !”
बीयत बहतर लग रही.। चलो हम सब मिल के बगीचे में टहलते है, थोड़ा ताजी हवा के साथ कूछ वक़्त बच्चो तुम दोनो के साथ भी गुज़र जाएगा !”शहशांह फरहान अब्बास कहते है !
“जी अब्बा! बिल्कूल चले, मैं भी जब से यहाँ आया हूँ कही नही गया हूँ बाहर !” शहजादा इरफ़ान कहता है !
”उमैर आप भी साथ चले अब्बा को कोई जरुरत पेश आयी तो !” शहजादी मरयम सामने ही खामोश खड़े उमैर की तरफ देखते हुए कहती है !
”जी शहजादी जैसा आप कहे !” उमैर ने कहा तो शहजादी मुस्कुराते हुए अपने अब्बा का हाथ थामे महल से बगीचे की ओर चल देती है ! पीछे पीछे उमैर भी अदब से चलता है !
”तूम लोग यह बताओ हमारे क़ाबिले का नाम ज़ाफ़रान कैसे पड़ा ?” शहशांह फरहान अब्बास बगीचे में टहलते हुए पूछते है !
शहजादा इरफ़ान और शहजादी मरयम एक दूसरे का मुँह तकते है और एक साथ कहते है
“हमे नहीं पता अब्बा हुज़ूर।”
”जी हूज़ूर। इजाजत हो तो मैं बता सकता हूँ?”
“कहो।”
“क्योंकि जिनो की दुनियाँ में सब से ज्यादा जाफरान (केसर) हमारे क़ाबिले में ही होता है !” उमैर कहता है !
”बहूत खूब उमैर !” शहंशाह ने कहा !
”शाह उमैर मैं देख रहा हूँ के ,
काफी दिनों से तूम दिन रात मेरी खिदमत में लगे हो ! घर जाते हो या नहीं ?” शहशांह उमैर से कहते है !
‘’जी शहंशाह हुज़ूर। अब्बा घर जाने ही नहीं देते, बिना पूछे चले जाओ तो पिटाई कर देते है। बड़े सख्त मिज़ाज़ हैं, पिटाई भी वो मेरी सब के सामने कर देते हैं बस इस डर से अब घर की तरफ जाने को दिल ही नही करता। बस बहनों की….!”उमैर कहता है तो मरयम और इरफ़ान हँसने लगते है तो उमैर मुँह बना लेता है !
”बच्चों किसी पे हँसते नहीं है ! शुक्र करो इरफ़ान के मैं तुम्हे नहीं पिटता वरना शरारत तूमने भी बहुत की है, और हाँ उमैर तूम जब चाहे अपने घर जा सकते हो मेरी तरफ से इजाजत है ! ” शहशांह फरहान कहते है !
”आप का बहुत बहुत शुक्रिया हुज़ूर ! आप अगर इजाजत दे तो मैं आज चला जाऊँ घर? बहनों की बहुत याद आती है।” उमैर खूश होते हुए कहता है !
”इतनी जल्दी ही मेरे हुक्म की तालीम करनी है? थोड़ा रुक कर थोड़ी देर बाद चले जाना !”शहशांह कहते है !
”पता है अब्बा उमैर की बहने बहूत अच्छी है। मेरी तो उनसे दोस्ती भी हो गयी है अब !” शहजादी मरयम ने कहा !
”अच्छा सच में क्या ? तब तो मेरी भी दोस्ती करा दो उमैर की बहनों से ! बोलो उमैर कब लेकर चल रहे मूझे अपने घर पर ?” शहजादे इरफ़ान ने कहा !
”भाई जान आप भी ना? बहूत जल्दी है आप को उनसे मिलने की भला वो आप से दोस्ती क्यों करेंगी ?”शहजादी मरयम ने कहा !
“मैं क़ाबिले ज़ाफ़रान का शहजादा हूँ, भला मुझसे कोई दोस्ती करने से इनकार भी कर सकता है किया? बोलो उमैर सही कहा ना ?”शहजादा इरफान कहता है !
“इरफान अपने जज़्बातों को काबू में रखना सीखो, किसी के भी बहन या बेटी को उसी तरह इज्जत दो जिस तरह तुम खुद की बहन की करते हो!” शहंशाह ने कहा तो इरफान खामोश हो जाता है !
“अब्बा आप भाईजान को डाँट क्यों रहे ? ऐसा क्या गलत कहा उन्होंने दोस्ती ही करने की बात कही है ना ? और हाँ, भाईजान जिस तरह उमैर और उसकी बहने मेरे दोस्त है वैसे आप की भी दोस्त बन जाएंगे …… है ना उमैर?” मरयम ने कहा
“मरयम मेरी बच्ची, एक शाहजादी और शहजादे को गुलाम खानदान से दोस्ती बढ़ाना शोभा नही देता !” शहंशाह समझते हुते बोले।
“तुम दोनों जितना हो सके अपने मामलों से मतलब रखो बस ।” समझे? ” शहंशाह ने फिर समझा कर कहा!
“अब्बा माफ करियेगा मगर मैं इन सब बातों को नही मानती। मेरे लिए सब बराबर है !”मरयम ने कहा !
“जी अब्बा मेरा भी यही मानना है!”इरफान ने कहा!
“अब भला जब तुम दोनों कह रहे हो, तो मैं क्या कहूँ? बस इतना कहूंगा के कोई ऐसी गलती मत कर बैठना, जिससे हमारे खानदान की बदनामी हो।” शहंशाह ने कहा !
“यह सब तो खुद में ही उलझे पड़े है ,मेरी बहने और मैं कभी इनसे दोस्ती ना करू, हुह….. शकल देखी है अपनी इन्होंने ! जब से आए है बाग में बक बक कर रहे फ़िज़ूल का। उधर पता नही परी कैसी होगी? कितना बेबस हूँ मैं? मुझे बस उससे मिलना है आज।”
बेचारा उमैर ख़ामोशी से उनकी बातें सुनता हुआ ख्यालों में खुद से ही बातें कर रहा होता है !वो उनसे कुछ कह भी नहीं सकता है !
“किन ख्यालों में खोए हो उमैर ?” मरयम ने कहा!
“वो …वो कूछ नही बस घर जाना हैं ! आप इजाजत दिलवा दो !”
“तुम तो बहूत बेचैन हो रहे हो उमैर? ठीक है जाओ, मगर याद रहे वापस आ जाना !” शहंशाह ने कहा !
उमैर इजाजत लेकर घर चला आता है !
”उमैर भाई आप आ गये जल्दी चलो कूछ दिखाना है आप को !” नफिशा उमैर को घर पर आता देख कहती है !
”क्या दिखाना है मेरी छोटी गुड़िया !” उमैर प्यार से कहता है !
”चलो तो सही मेरे कमरे में कितने दिन बाद आप आ रहे हो इधर आप को ना हम दोनों की बिल्कूल भी याद नहीं आती !”नफिशा कहती हुई उमैर का हाथ पकड़े अपने कमरे में ले आती है !
”जल्दी दिखाओ क्या दिखाना चाहती हो !”उमैर ने बैठते हुए मुस्कुरा कर कहा !
”यही तो रखी थी मैंने , कहा चली गयी , अमाइरा आपी आप ने वो दोनों कपड़ो वाले लिफाफे कहा रख दिए जो शहजादी मरयम ने हमे भेजा था !” नफिशा परेशान होकर ढूंढ़ती हुई कहती है !
“कहा जाएंगे अलमारी में ही होंगे धियान से देखो !” अमाइरा ने कहा !
”नफीशा बेकार में तुम मेरा वक़्त बरबाद मत करो वैसे भी मुझे बहूत मुश्किल से घर आने को मिलता है !
,.. तूम ढूंढो तब तक मैं अपनी परी को देखता हूँ !” उमैर कहता हुआ अपने कमरे में चला जाता है !
“पहली बार कोई चीज़ गायब हुई है अमाइरा आपी चलो आप भी ढूँढने आप भी मेरे साथ !”नफीशा ने कहा
”अच्छा रुक मैं उमैर भाई को पिस्ते का हलवा देकर आती हूँ खाने को फिर साथ में मिल कर ढूंढ़ते है “! अमाइरा ने कहा तो नफिशा वापस अपने कमरे में कपड़ों को ढूंढ़ने चली जाती है !
”उमैर भाई खोये ही रहेंगे आईने में या हलवा भी खाना है आप को ! अमाइरा ने कहा मगर उमैर उसकी बातों पे ध्यान नहीं देता और मोहब्बत से मुस्कुराते हुए आईने में बस देखता रहता है !
”देख तो सही अपनी भाभी को कितनी प्यारी लग रही आज इसकी नज़र उतारने को दिल चाह रहा मेरा !” उमैर ने सोखी भरे अंदाज में कहा !
“ऐसा क्या हो गया उमैर भाई जो आप नज़र उतारने की बात कर रहे ! जरा देखु तो !”अमाइरा आईने के सामने आते हुए कहती है !
‘’या अल्लाह उमैर भाई, मतलब आप ने हम दोनो के कपड़े परी को दे दिए? ‘’अमाइरा ने चौंकते हुए कहा!
“हाँ इसे शादी में जाना था और इसके पास कपड़े नही थे पहनने को तो मैंने तुम दोनो के कपड़े दे दिये। अब इसको जो अच्छा लगेगा पहन लेगी !”उमैर ने कहा !
“मगर…….. मगर! आप को इन कपड़ो के बारे में कैसे पता है ? आप तो कल घर पर नहीं थे फिर ?” अमाइरा ने कहा !
“अरे पागलों , कल मैं छुप कर आया था घर जब नफिशा और तुम दोनों शहजादी मरयम के दिए हुए कपड़ो की तारीफ कर रहे थे ! और फिर……” उमैर ने कहा !
”फिर क्या, उमैर भाई ?” अमाइरा ने पूछा !
”फिर यह के इन्होने खुद को हम दोनों की नज़रों से गायब कर के वो कपड़े चुरा लिए। है ना उमैर भाई ??!”नफिशा ने कहा ! मगर उमैर ध्यान नहीं देता कि यह बाते किसने कहीं !
“हाँ बिल्कूल ऐसा ही किया। मगर तुम्हे कैसे पता ? ” कहते हुए उमैर जैसे पलटा नफिशा उसके सामने गूस्से से लाल खड़ी होती है !
“उमैर भाई आज मैं आप को नहीं छोडूंगी। आप हमेशा ऐसी शरारते करते है ! मुझे बस मेरे कपड़े वापस चाहिए। वरना…. ” नफिशा पूरे कमरे में उमैर को दौड़ाती हुई कहती है !
”वरना क्या?” उमैर नफिशा से खूद को बचाता हुआ कहता है !
“नफिशा रुक जा, भाई है वो हमारे।” अमाइरा दोनों को झगड़े से रोकते हुए कहती है !
”भाई नहीं कसाई है ये, आपी एक छोड़ दोनों ड्रेस दे दिये। उस परी को, वो परि ही सब हो गई अब? हम दोनों बहनों का कुछ नहीं !” नफिशा कहती है !
नफिशा जैसे ही उमैर को धक्का देती है वो लड़खड़ाता हुआ आईने से टकराता हुआ दूसरे तरफ गिर जाता है। जहां पे परी तैयार हो रही होती है !
शहर धनबाद में ;-
परी खूबसूरत और पूरे सूकून माहौल में नदी किनारे बैठी गुनगुना रही होती है, तभी कोई अचानक आकर परी की आँखों को हाथों से बंद कर देता है !
”उमैर ये तुम हो ना ?” परी उमैर के हाथों को छूते हुए कहती है !
“हाँ.. हाँ .. मगर तूमने कैसे पहचान लिया ?” उमैर ने कहा !
“क्या उमैर तुम भी ना ? निहायती बेवक़ूफ़ हो !
हमेशा मिलती हूँ तूमसे , हमने घंटों एक दूसरे से बातें की है ! भला मैं तुम्हारे हाथों के लम्स को कैसे नहीं पहचानूँगी ?” परी ने कहा !
उमैर मुस्कुरात हुआ परी के क़रीब आकर बैठ जाता है !
“उमैर कूछ सवाल है मेरे मन में तुम्हे लेकर पूछू ? परी ने कहा !
”कैसे सवाल परी ? उमैर ने पूछा !
”आज अगर तुम ख्वाब में न आते तो बच जाते, पर अब जब आ ही गए हो तो बता भी दो के तूम असल में कौन हो ? मिलती तो हूँ ख्वाब में तूमसे मगर ऐसा क्यों लगता है के हकीकत में मिली हूँ ?” परी ने मन को खाली कर उमैर से पूछा!
”बाप रे! इतने सारे सवाल एक साथ !” उमैर चौकते हुए बोला।
“आज मैं सब कुछ सच जानना चाहती हूँ और कूछ नहीं !”परी ने कहा !
”सूनो परी, कभी और। मैं सारे सवालों के जवाब दूंगा फिलहाल तुम कपड़ों के लिए परेशान थी ना यह लो !” कहते हुए उमैर परी को कपड़ो का एक खूबसूरत सा लिफाफा देता है !
”तुम्हे सब पता रहता है उमैर मेरे बैग के पैसे कभी कम नहीं होते उसकी वजह भी तुम ही होना ?” परी ने कहा !
“हाँ मगर कभी और बताऊंगा फिलहाल कूछ और बातें करते है। वैसे तूम क्या गुन गुना रही थी? मूझे भी सुनाओ !” उमैर बात काटते हुए कहता है !
“कुछ नहीं बस एक गाना गुनगुना रही थी ! कभी और सुना दूंगी तुम्हे।अब मन नहीं है मेरा गाने का!” परी ने कहा
“अच्छा तो आज मिज़ाज़ दुरुस्त नहीं है तुम्हारे ?” उमैर ने कहा
मगर परी ख़ामोशी से नदी के पानी को देखती रहती है ! इस तरह बैठे ख्वाब में दोनों घंटो बातें करते रहते है!
“उफ्फ ! यह मेरे सपने और वो उमैर नाम का लड़का मेरा पीछा ही नहीं छोड़ते ! आँख लगती नहीं के ख्वाब में आ जाता है अक्सर मिलने !” परी सूबह में उठती हुई कहती है !
वाशरूम में ब्रश करते हुए परी को अचानक याद आता है कि सपने में उमैर ने उसे एक बहूत ही खूबसूरत सा लिफाफा देता है जिसे वो अपने आईने के ड्रावर में रख देती है ! परी भागती हुई अपने कमरे की ओर जाती है !
“अरे ! परी बेटा संभल के गिर जाओगी !”हसन जी परी को कमरे की तरफ भागता हुआ देख कर कहते है !
“पापा मैं ठीक हूँ !”परी ने कहा
कमरे में आकर वो आईने के सारे ड्रावर को खोल कर देखती उसे एक ड्रावर में उसे वह बैग मिल जाता है !
”या अल्लाह यह कैसा चक्कर है ? ख्वाब वाला बैग सच में मेरे सामने है ! इसका मतलब यह कि मेरा शक सही है।उमैर इंसान नही। उमैर एक जिन है ।”
“नहीं नहीं यह सच नहीं, वो बस एक ख्वाब है और कुछ नहीं ! मगर ये बैग मेरे कमरे में कैसे ?” परी बहूत परेशान हो जाती है ! फिर उस थैले की तरह दिखने वाले बैग को खोल कर उसमे से कपड़े निकालती है जो बैग में तो बहूत सिमटी हुई एक कपड़े का टुकड़ा मालूम हो रही मगर जब परी पूरे कपड़े को खोलती है तो वो बहूत ही खूबसूरत सा गाउन रहता है !”
“अम्मी अम्मी इधर आए जरा !”परी नदिया जी को आवाज़ लगाती है !
”क्या हो गया बेटा क्यों सुबह सुबह शोर मचा रही हो ?” नदिया जी कहते हुए परी के कमरे में आती है तो उनकी भी आँखे हैरत से फटी रह जाती है जब वो परी के हाथ में गाउन देखती है तो !
“इतना खूबसूरत ड्रेस तूमने कब लिया परी?” नदिया जी गाउन को छू कर देखती हुई कहती है!
“अम्मी यह मैने नही लिया मेरे आईने के ड्रावर में से निकला ।” परी ने कहा!
“क्या ? ड्रावर में वहा किसने रखा?” नदिया जी चौंकते हुए कहती है!
“अरे भाई ! तुम माँ बेटी ने यह कैसा शोर मचा रखा है? कौन सी ड्रेस की बात हो रही ?” हसन जी कहते हुए अपनी व्हील चेयर चलाते हुए कमरे में आते है!
“देखिए ना ! ना जाने यह दो गाउन कहा से आईने की ड्रावर में आ गये है।” नदिया जी परेशान होकर कहती है !
“अरे बाबा ऐसे कपड़े मेरी माँ के पास भी थे। हो सकता है वही हो !”
“तुम हमेशा फ़ालतू का शोर मचाती हो!” हसन जी समझाते हुए कहते है!
“मगर पापा कुछ तो अजीब है क्योंकि इन कपड़ो को किसी ने मुझे ख्वाब में दिया था और जब मैंने ड्रावर चेक किया तो असल मे देखती हूं। तो ये वही ख्वाब वाले कपड़े है ! ” परी ने कहा!
“बेटा वो तेरी दादी ही होगी तुम ज्यादा परेशान ना हो तुम शादी में जाने की तैयारी करो और हाँ नदिया जी आप चलिए रोटी बनाये मेरी बेटी को परेशान ना करे !” हसन जी कहते है !
“ठीक हैं परी बेटा जब तेरे पापा बोल रहे तो तुम आज ई दोनो में से ही कोई एक पहन लेना।”!नदिया जी कहती हुई किचन में चली जाती है !
मगर परी को अब सब कूछ अच्छी तरह समझ आने लगा था ! के ये कपड़े कहा से आये है ?
शाम को परी दोनों गाउन को एक एक कर के ट्राय करती है!
क्रमशः शाह उमैर की परी-16.
शमा खान