Sakinama – 6
Sakinama – 6
मैं राघव को गुड बाय बोल चुकी थी और मुझे नहीं लगता इसके बाद वो मुझे मैसेज या कॉल करेगा। कुछ दिन बाद मेरी जिंदगी फिर से पहले जैसी हो गयी। वही दिनभर ऑफिस , बुक्स और रिकॉर्डिंगस,,,,,,,,,मैं एक बार फिर बिजी हो गयी या यू मान लो कि मैंने खुद को जानबूझकर बिजी कर लिया ताकि मैं खुद को राघव के ख्याल से दूर रख सकू।
इस बीच मेरी मरियम से भी कोई बात नहीं हुई। उसने कई बार कॉल मैसेज किया लेकिन मैंने जवाब नहीं दिया। मन काफी परेशान था और मैं घर से कही दूर जाना चाहती थी।
एक शाम ऑफिस से घर आने के बाद मैंने जिया को अपना बैग जमाते देखा
“तुम कहा जा रही हो ?”,मैंने अपना बैग साइड में रखते हुए जिया से पूछा
“भूल गयी क्या ? प्रवीण भैया की शादी है , कल भुआ जी आ रही है मैं तो उनके साथ ही जा रही हूँ , तुम बताओ तुम कब आओगी ?”,जिया ने बिना मेरी ओर देखे अपना बैग जमाते हुए कहा
“मैं , मैं नहीं आउंगी”,मैंने बिस्तर पर बैठते हुए कहा
“क्यों ? चल ना मजा आएगा और तेरा मूड भी ठीक हो जाएगा”,जिया ने इस बार मेरी ओर देखकर कहा
“देखते है बाद में तुम जाओ”,मैंने उठते हुए कहा और कमरे से बाहर चली गयी।
जिया मेरी उदासी के पीछे की वजह जानती थी इसलिए वह बार बार मुझसे शादी में आने का कह रही थी। अगले दिन जिया भुआ के साथ उनके घर चली गयी। वहा जाकर भी उसने मुझे कई बार फोन किया और आने को कहा और आख़िरकार मैंने उसकी बात मान ली।
शादी से एक दिन पहले मैं अपने एक कजिन के साथ शादी में पहुँच गयी। जैसा की जिया ने कहा था यहाँ आकर मेरा मूड काफी ठीक हो चुका था। रात में डांस के बाद सभी कजिन्स छत पर थे और मस्ती मजाक कर रहे थे कि तभी मेरे फोन पर मरियम का फोन आया।
मेरा मूड अच्छा था इसलिए मैंने कॉल अटेंड की और साइड में चली आयी। फोन उठाते ही सबसे पहले उसने कुछ गालियाँ दी और फिर कहा,”मैं इतने दिन से सोच रही हूँ की तुम्हे क्या हुआ है और आज तुम्हारा स्टेटस देखा तो मैडम शादी में एन्जॉय कर रही है। अब तुम खुद से बताओगी क्या हुआ है ?”
मैंने मरियम को राघव के बारे मे सब बताया। मेरी बात सुनकर एक बार के लिए वह भी थोड़ा परेशान हो गयी और कहा,”देख छुपाया तो उसने है , बाकि तुझे सोच समझकर फैसला लेना है।
वैसे मुझे लगा नहीं था राघव ऐसा निकलेगा,,,,,,,,,,,,,तू इस बारे में ज्यादा मत सोच तेरे महादेव सब ठीक करेंगे”
“फ़िलहाल मुझे इस बारे में ज्यादा बात नहीं करनी , मेरी किस्मत जिस से जुडी है वो मेरी जिंदगी में आ जायेगा बाकि मैंने सब अपने महादेव पर छोड़ दिया है”,मैंने बुझे स्वर में कहा।
मरियम से बात करने के बाद काफी अच्छा लग रहा था। भैया की शादी में सबने खूब इंजॉय किया और मेरा मूड भी काफी अच्छा हो चुका था। शादी के अगले दिन मैं वापस अपने शहर चली आयी।
मम्मी मुझसे कुछ बात करना चाहती थी लेकिन मुझे ऑफिस जाने में देर हो रही थी इसलिए मैंने शाम मे बात करने को कहा और चली गयी। शाम में घर आने पर मम्मी ने बताया कि राघव के जीजाजी मुझसे बात करना चाहते है।
“अब उन्हें मुझसे क्या बात करनी है ? जब हमे ये रिश्ता करना ही नहीं है तो फिर आगे बात क्यों करनी है ?”,मैंने हैरानी से कहा
“मेरी उनसे और कुछ दूसरे लोगो से भी बात हुयी है। वो कह रहे है कि लड़का और फॅमिली अच्छी है उनके बारे में झूठी बाते फैला रखी है”,मम्मी ने कहा
“ये सब क्या है मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा ?”,मैंने उलझन भरे स्वर में कहा
“तुम एक बार लड़के के जीजाजी से मिल लो , उसके बाद तुम्हे जो ठीक लगे”,मम्मी ने कहा
“मुझे किसी से नहीं मिलना , आप उन्हें मना कर दो”,मैंने कहा और कमरे से चली गयी।
मुझे समझ नहीं आ रहा था आखिर मम्मी को अचानक से क्या हो गया ? कुछ दिन निकले और एक सुबह मम्मी ने अपना फोन लाकर मुझे देते हुए कहा,”लो बात करो”
“कौन है ?”,मैंने उनके हाथ से फोन लेते हुए कहा
“लड़के के जीजाजी है”,मम्मी ने धीमी आवाज में कहा
“मैंने मना किया था ना आपसे , मुझे नहीं करनी है कोई बात”,मैंने गुस्से से दबी आवाज में कहा
“बात तो कर लो बात करने में क्या जा रहा है ?”,मम्मी ने जिद करते हुए कहा
“हेलो ! जी नमस्ते”,मैंने फोन कान से लगाकर कहा
“नमस्ते ! मैंने आपकी मम्मी से कहा था कि आपसे मिलना है। आपने मना क्यों कर दिया ? एक बार मिल लो बैठकर मैं आपको पूरी बात समझाता हूँ वो बस एक गलतफहमी है जिसकी वजह से ये बात बिगड़ी है”,राघव के जीजाजी ने कहा
“देखिये मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी है। साफ है कि उन्होंने ये सब छुपाया और मुझे ये बात पसंद नहीं आयी इसलिए मुझे ये शादी नहीं करनी”,मैंने साफ शब्दों में कहा
“मैं एक बार घर आता हूँ आमने सामने बैठकर बात करेंगे तो आपको समझ आ जायेगा”,उन्होंने जिद करते हुए कहा।
राघव के जीजाजी से ज्यादा गुस्सा मुझे अपनी मम्मी पर आ रहा था। वो बार बार जिद करने लगे तो मुझे उन्हें हाँ कहना पड़ा। घर में मरम्मत का काम चल रहा था और सारा घर अस्त-व्यस्त पड़ा था। कुछ देर बाद राघव के जीजाजी घर आये। घरवालों से बात करने के बाद वे मुझसे बात करने लगे और कहा,”देखो आप जैसा समझ रही है वैसा कुछ नहीं है वो लड़की राघव के घर आयी थी लेकिन राघव का उस से कोई रिश्ता नहीं है।
उसने बहला फुसला कर राघव को अपनी बातो में फंसा लिया और मदद के नाम पर घर चली आयी। मैंने ही इस मेटर को क्लोज किया था। जिन्होंने आपको ये सब बातें बताई है उसकी राघव के बड़े भाई और घरवालों से बनती नहीं है इसलिए रिश्ता तुड़वाने के लिए उन्होंने ऐसा बोला। अगर राघव की जिंदगी में कोई और होती तो वो इस रिश्ते के लिए हाँ ही क्यों कहता ? जब से आपके घरवालों ने इस रिश्ते के लिए ना कहा है तब से ही वो बहुत उदास है और बाकि घरवाले भी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं कोई जबरदस्ती नहीं कर रहा लेकिन मैं राघव की गारंटी ले सकता हूँ की वो अच्छा और सीधा लड़का है। मैं भरोसा दिलाता हूँ आप उस से शादी करके उस घर में खुश रहोगी , आप चाहो तो गुजरात चलकर घर ऑफिस सब देख सकती हो।”
“नहीं ऐसी बात नहीं है , मैं एकदम से कैसे भरोसा कर लू की आप सही है या राघव सही है”,मैंने अपनी बात रखी
“देखिये मैं भी परिवार वाला आदमी हूँ मेरी 3 बेटियां है , मैं कभी किसी लड़की की जिंदगी खराब करने की नहीं सोचूंगा। राघव मेरा साला है लेकिन बेटे जैसा ही है मैं उसकी गारंटी लेता हूँ”,जीजाजी ने कहा
उनकी बातो ने मुझे और उलझन में डाल दिया। मैं क्या कहू मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था इसलिए मैंने उन से कुछ वक्त मांगा। उन्होंने मेरे सामने ही राघव से बात की और उन्हें समझाया साथ ही मुझसे भी कहा कि मैं राघव से बात कर लू लेकिन मैंने उस वक्त मना कर दिया। अभी मैं कोई फैसला नहीं ले पायी थी। राघव के जीजाजी वापस चले गए।
मम्मी और घरवाले मुझे समझाने लगे उनके हिसाब से वो रिश्ता मेरे लिए परफेक्ट था बस मैं ही राघव को लेकर थोड़ा अपसेट थी। राघव के मम्मी पापा ने भी मुझसे बात की। कुछ दिन यू ही गुजर गए। अप्रैल का आखरी हफ्ता चल रहा था। एक सुबह मम्मी ने बताया कि अगले हफ्ते राघव और उसके घरवाले राजस्थान आ रहे है अपने किसी रिश्तेदार की शादी में उस से पहले वे लोग घर आएंगे ताकि क्लियर बात हो सके। उस वक्त मुझे भी लगा कि एक बार बैठकर बात कर लेनी चाहिए। मैंने हामी भर दी तो मम्मी खुश हो गयी।
उन्हें तो ये रिश्ता पहले ही पसंद था।
देखते देखते एक हफ्ता गुजर गया और वो दिन भी आ गया जब राघव और उसके घरवाले आने वाले थे। अभी कुछ दिन पहले ही घर रिनोवेट हुआ था इसलिए अच्छा लग रहा था। 11 बजे वे लोग घर आये। इस बार राघव के साथ उसके पापा , उसकी बड़ी बहन और बड़े भैया आये थे। सभी घरवालों के साथ बैठक में थे। जिस बात को लेकर ये रिश्ता अटका था उस बात को उन सबने मिलकर क्लियर किया। एक बार फिर मैं और राघव आमने सामने थे। वह मुझे देखकर बस मुस्कुरा रहा था।
उसके चेहरे पर एक मासूमियत थी जिसे देखकर लग रहा था कि आज से पहले जो भी हुआ शायद मेरी ग़लतफ़हमी ही थी। वह लड़का किसी का दिल नहीं तोड़ सकता। हमारी ज्यादा बात नहीं हो पायी क्योकि उसी वक्त मेरे कुछ रिश्तेदार घर आ गए और राघव को थोड़ी देर बाद ही वहा से जाना पड़ा। रिश्ते की बात एक बार फिर आगे बढ़ गयी और इस बार मेरे मन में कोई उलझन नहीं थी। मैं राघव को एक मौका देना चाहती थी और मैंने दिया।
चाय नाश्ते के बाद राघव और उसके घरवाले जाने लगे तो जिया ने कहा,”जाने से पहले उसके साथ एक फोटो तो ले लो”
“लेकिन मैं कैसे बोलू ?”,मैंने कहा
“तुम आओ मेरे साथ मैं बोल दूंगी”,जिया ने कहा और मुझे लेकर गेस्ट रूम में चली आयी। सब वहा से जा रहे थे उसने राघव से रुकने को कहा और फिर दोनों को साथ खड़े होने का कहकर फोटो लेने लगी। यकीन मानो वो तस्वीर बिल्कुल अच्छी नहीं आयी थी
“एक मेरे फोन से भी”,राघव ने अपना फोन जिया की तरफ बढ़ाकर कहा और थोड़ा मेरे करीब खड़ा हो गया। जिया ने फोटो निकालकर फोन राघव को दे दिया दिया। राघव वहा से चला गया। उन लोगो के जाने के बाद मेरे सभी रिश्तेदार और मम्मी बैठकर बातें करने लगे। मैं भी वही थी।
“भुआ आप बहुत जल्दबाजी कर रही है। पहले अच्छे से सब देख लो उसके बाद शगुन देने का सोचना”,भैया ने कहा जो की रिश्ते में मम्मी का भतीजा लगता है।
मुझे और जिया को अपने रिश्तेदार खासा पसंद नहीं थे फिर भी हम ख़ामोशी से सब सुन रहे थे। मम्मी ने भैया को समझाया।
आज मेरी ऑफिस से छुट्टी थी इसलिए मैं घर में ही थी। दोपहर का खाना सबने साथ खाया। रिश्तेदारों को मम्मी के पास छोड़कर मैं अपने कमरे में चली आयी। आराम करने के लिए सोफे पर आ लेटी। मैंने अपना फोन देखा राघव का मैसेज था “सॉरी”
“सॉरी किसलिए ?” मैंने लिखकर भेजा
“वो फोटो खिचवाते टाइम मैं गलती से टच हो गया था” राघव ने भेजा
“पर मुझे तो ऐसा कुछ याद नहीं है” मैंने लिखकर भेज दिया क्योकि मुझे ऐसा कुछ याद नहीं था
“हुआ था ! मुझे लगा कही आप गलत ना समझ लो इसलिए सॉरी कहा” राघव ने लिखकर भेजा। उसकी इस बार पर मैं मुस्कुराने लगी और मन ही मन खुद से कहा,”अजीब इंसान है”
“कोई बात नहीं हो जाता है कभी कभी” मैंने लिखकर भेजा ताकि वह उस बात को लेकर ज्यादा न सोचे
कुछ देर बातें होती रही और फिर राघव ऑफलाइन हो गया। मैं भी फोन साइड में रखकर सोने की कोशिश करने लगी लेकिन एकदम से उसकी बात याद आ गयी और मैं मुस्कुरा उठी।
शाम में भैया और भाभी घर चले गए। बड़ी मौसी और मेरी एक दूर की कजिन निशा घर पर रुक गयी। शाम में मैं , जिया और निशा बाहर घूमने चले आये। खाना भी हमने बाहर ही खाया और 8 बजे तक वापस लौट आये।
गर्मियों के दिन थे और फिर शहरो में देर रात तक चहल पहल रहती है इसलिए हमे कोई परेशानी नहीं हुई। जिया और निशा मौसी के पास चली गयी। मैं कपडे बदलने अपने कमरे में चली आयी।
कपडे बदलकर अपना फोन देखा तो पाया राघव के 2 मिस्ड कॉल थे। मैंने उसे फोन लगाया। कुछ देर रिंग जाने के बाद राघव ने फ़ोन उठाया और कहा,”हां जी”
“आपने फोन किया था , वो मैं बाहर थी तो देखा नहीं”,मैंने धीमी आवाज में कहा। मैं अब भी समझ नहीं पा रही थी कि राघव से बात करते हुए अक्सर मेरा लहजा इतना नरम क्यों हो जाता था ?
“कोई बात नहीं आपसे बात करने का मन किया तो फोन लगा दिया। आप बिजी है क्या ?”,राघव ने बड़े ही प्यार से पूछा
“नहीं अभी फ्री हूँ”,मैंने छत पर आते हुए कहा
“क्या कर रही हो ?”,राघव ने सवाल किया
“कुछ नहीं बस छत पर हूँ , आप बताईये ?”,मैंने पूछा
“मामाजी के यहाँ शादी में आया हूँ , सब बैठकर बाते कर रहे है”,राघव ने कहा
“अच्छा तो आप नहीं कर रहे बातें ?”,मैंने पूछा
“आपकी ही बातें हो रही है इसलिए मैं उठकर साइड में चला आया। आपसे बात करते करते लॉन में आगे तक चला आया हूँ”,राघव ने कहा
“अरे ! बाते करते करते कही और मत निकल जाईयेगा”,मैंने हँसते हुए कहा तो वह भी हसने लगा।
“अच्छा वैसे बुरा ना माने तो आपसे एक बात कहे ?”,मैंने कहा
“डिपेंड करता है आप क्या कहने वाली हो , फिर भी कहिये कोशिश करूंगा”,राघव ने सहजता से कहा
“आप में ना थोड़ी ईगो की प्रॉब्लम है। आपकी पास्ट लाइफ के बारे में आपने छुपाया जबकि मैंने आपको अपने बारे में पहली ही बार में सब सच और क्लियर बता दिया था। आप बताते तो शायद इतना बुरा नहीं लगता लेकिन किसी और से सूना तो दुःख हुआ।”,मैंने सहजता से कहा
“मुझे अपने पास्ट के बारे में बताने में कोई दिक्कत नहीं है।”,राघव ने कहा
“मुझे अब आपके पास्ट से कोई मतलब नहीं है। मैं बस अब ये चाहती हूँ कि अगर भविष्य में हमारी शादी होती है तो बस तब आप ईमानदार रहो और मुझे आपसे कुछ नहीं है।
मैं उन लोगो में से नहीं हूँ जो किसी के पास्ट को लेकर जज करे। मैं आपको आपके आज से जानती हूँ और यही उम्मीद आपसे करती हूँ”,मैंने गंभीरता से कहा
“आज के बाद आपको शिकायत का मौका नहीं मिलेगा”,राघव ने कहा
“वादा ?”,मैंने बच्चो की तरह पूछा
“वादा !!”,उसने प्यार और विश्वास से कहा
थोड़ी देर बातें होती रही और फिर मैं फोन रखकर नीचे चली आयी। सब क्लियर हो चुका था और मुझे लगने लगा ये मेरी जिंदगी की एक नयी शुरुआत है।
Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6Sakinama – 6
Continue With Part Sakinama – 7
Read Previous Part Here साक़ीनामा – 5
Follow Me On facebook
संजना किरोड़ीवाल