Sanjana Kirodiwal

रांझणा – 58

Ranjhana – 58

Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

Ranjhana – 58

सुचना -: कहानी से पहले ये लिखना मेरे लिए जरुरी हो गया है l भाग 56 की दो बातो ने मुझे लिखने के लिए मजबूर कर दिया l पहली मेरा शिवम् को खुदगर्ज लिखना l खुदगर्ज का मतलब होता है स्वार्थी , और मेरा शिवम् को खुदगर्ज कहना कुछ पाठको को पसंद नहीं आया ! शिवम् का किरदार बहुत ही गंभीर और समझदारी भरा है ऐसे में उसे स्वार्थी कहना गलत होगा शायद पर कहानी में उसके लिए इस्तेमाल किया गया

ये ‘खुदगर्ज’ शब्द उसके अच्छे स्वार्थ को बयान कर रहा है जहा अपने स्वार्थ के चलते वह खुद को भी भूल चूका है , इसलिए इस शब्द को अन्यथा न ले l कहानी में शिवम् मेरा पसंदीद किरदार है और उसे गलत कहना मतलब कहानी को गलत कहना होगा !!! अब दूसरी बात शिवम् का एक्सीडेंट…………….

आप पाठक ना बहुते बेसब्र इंसान है हम बताय रहे है , मतलब कहानी को पढ़ने में इतना खो जाते है की बस जो दिखता है उह सच मान लेते है !! अरे हम सिर्फ वक्त चुराय रहे है दिमाग ते नाही ना चुराया उह काहे नहीं लगाते ! अब तुम्ही लोग ऐसे अपने हीरो के लिए बुरा बुरा सोचोगे तो हम तो कछु सस्पेंस लाएंगे ना ! वैसे चिंता की बात नहीं है जी , कहानी अच्छे मोड़ पर है ,, एन्जॉय कीजिये !!”

“शिवम्………………………!”,सारिका चिल्लाते हुए उठी l पसीने से तरबतर सारिका ने इधर उधर देखा l उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था l अनजानी जगह पर वह कैसे आयी ? घरवाले सब कहा है ? शिवम् कहा है ? क्या वो कोई सपना देख रही थी ? दिमाग में सवालों की बाढ़ सी आ गयी सारिका का सर चकराने लगा l पलंग पर बैठे बैठे ही उसने अपना सर पकड़ लिया l

वो याद करने की कोशिश कर रही थी की आखिर वह यहाँ कैसे आयी ? लेकिन सब धुंधली तस्वीरें थी उसे कुछ याद नहीं आ रहा था l सारिका मुश्किल से पलंग से उठी और दिवार का सहारा लेकर दरवाजे तक आयी l उसने बाहर देखा वो जगह एक आश्रम थी , सारिका बाहर आयी एक आध्यात्मिक अहसास की अनुभूति उसे अपने मन और दिमाग में हो रही थी l

चारो तरफ हरे पेड़ पौधे थे , सामने हरी घास फैली हुई थी , चिडियो की चहचाहट सारिका अपने कानो में महसूस कर रही थी l सारिका ने देखा कुछ लड़किया जिन्होंने एक जैसे कपडे पहने हुए है अपने अपने काम में लगी हुई है l वहा इतनी शांति थी की हवा की सांय सांय भी सारिका को साफ सुनाई दे रही थी l सारिका को कुछ समझ नहीं आ रहा था वह नंगे पांव बाहर आयी l

सारिका की देखभाल करने वाली शिष्या ने जब देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा सारिका बिना किसी मदद के मदद के चल रही थी l शिष्या भागती हुयी सारिका के पास आयी और हैरानी से उसके चेहरे को देखने लगी तो सारिका ने घबराते हुए कहा,”कौन है आप ? और हम यहाँ क्यों है ? ये कोनसी जगह है ?”
सारिका की आवाज सुनकर शिष्या मुस्कुराने लगी !

सारिका उसके सामने बिल्कुल ठीक खड़ी थी , वह लड़की जो आश्रम में जिन्दा लाश बनकर आयी थी उसके सामने सही सलामत खड़ी थी l सारिका के साथ रहते रहते शिष्या को भी उस से लगाव हो गया था , उसने आगे बढकर उसे गले लगा लिया और कहा,”आखिर महादेव ने तुमको ठीक कर ही दिया , हम अभी ये अच्छी खबर पंडित जी को देकर आते है” शिष्या सारिका को उलझन में छोड़कर दूसरी और भाग गयी l

सारिका वही खड़ी सोचने लगी,”उस लड़की ने ऐसा क्यों कहा ? महादेव ने हमे ठीक कर दिया , क्या हमे कुछ हुआ था ? अगर हुआ भी था तो हम यहाँ क्यों है ? माँ पापा अनु सब कहा है ? ” सारिका के पास केवल सवाल थे जवाब नहीं वह आकर सामने बनी पत्थर की बेंच पर बैठ गयी l उसे बहुत कमजोरी महसूस हो रही थी , उसने नजरे इधर उधर दौड़ाई सामने आश्रम की दिवार पर एक बड़ा सा बोर्ड लगा हुआ था जिस पर लिखा था – “मुक्तिधाम आश्रम , बनारस “


‘बनारस’ ये शब्द देखते ही सारिका की आँखो के सामने फिर वही धुंधले चित्र उभरने लगे उसे धीरे धीरे सब याद आ रहा था l अस्सी घाट , शिवम् , मुरारी , बाबा की दुकान , आई का उसको घर लाना , राधिका के साथ छत पर टहलना , एक शादी जिसमे उसने बनारसी साड़ी पहनी हुई है , एक बुरा इंसान जो उसे अपने साथ ले जा रहा है , मंदिर , शादी का मंडप , शिवम का गुस्स्सा , मुरारी की शरारते , अमित , मुंबई , अधिराज जी , अनु , डायरी के फडफड़ाते पन्ने !”

सारिका का सर एक बार फिर चकराने लगा उसने अपना सर पकड़ लिया आगे याद करने की कोशिश की लेकिन कुछ याद नहीं आ रहा था l तभी पंडित जी सारिका की शिष्या और अपने कुछ शिष्यों के साथ वहा आये ! उन्हें देखकर सारिका खड़ी हो गयी और कहने लगी,”कौन है आप लोग ? हमे यहाँ क्यों लेकर आये है ? क्या चाहते है आप हमसे ? हमारे घरवाले कहा है ? शिवम् , शिवम् कहा है ?

उनकी गाड़ी…………….उनकी गाड़ी को किसी ने टक्कर मारी और वो……………..हमे उनसे मिलना है ! आप लोग कुछ बोलते क्यों नहीं ? खामोश क्यों है ? शिवम् कहा है बताईये हमे ?” सारिका की आवाज में व्याप्त डर और बेचैनी पंडित जी अच्छे से पहचान सकते थे उन्होंने आगे बढकर सारिका के सर पर अपना हाथ रखा और कहा,”शांत हो जाओ , तुम्हे तुम्हारे सारे सवालों का जवाब मिल जाएगा !

अभी अभी तुम ठीक हुई हो इतना ज्यादा सोचना तुम्हारे मन और मस्तिष्क दोनों के लिए सही नहीं है”
पंडित जी की बात सुनकर सारिका खामोश हो गयी और वापस बेंच पर बैठ गयी l उसका मन गहरे अँधेरे में डूबा हुआ था l शिष्य पंडित जी के लिए कुर्सी ले आया l पंडित जी बिल्कुल सारिका के सामने आ बैठे और सारिका की नब्ज देखने लगे l उन्हें महसूस हुआ की सारिका के शरीर के सभी हिस्से काम कर रहे है l उन्होंने हाथ छोड़कर सारिका की आँखों की पुतलिया देखी उनमे भी रक्त संचार हो रहा था l

पंडित जी को मन ही मन सुखद अनुभूति हुई की वे सारिका की जान बचाने और उसे ठीक करने में सफल रहे ! सारिका के जख्म तो भर चुके थे लेकिन दिमाग काम नहीं कर रहा था पर आज अचानक से सारिका बोल रही थी , जिस तरह से वह सबके नाम ले रही थी , घटनाओ के बारे में बता रही थी उससे पंडित जी को अहसास हुआ की सारिका के दिमाग तक रक्त संचार पहुंचने के कारण ही वह सब घटनाओ और लोगो को याद कर पा रही है !

पंडित जी काफी देर तक सारिका के सामने बैठे निरिक्षण करते रहे ! कुछ देर बाद उन्होंने सारिका से कहा,”तुम पूरी तरह ठीक हो बेटा , जाओ अंदर जाकर नहा लो ! तब तक हम तुम्हारे घरवालों को खबर कर देते है”
“लेकिन शिवम्…………………….उसका एक्सीडेंट !”,सारिका ने घबराई हुई आवाज में कहा
“इसका जवाब तुम्हे जल्द ही मिल जायेगा , सब अच्छा होगा !”,पंडित जी ने मुस्कुराते हुए सारिका के सर पर हाथ रखा और शिष्या से उसे ले जाने को कहा l

शिष्या ने सारिका को सहारा देकर अंदर ले गयी l पंडित जी किसी गहरी सोच में डूबे हुए थे l पास खड़े शिष्य ने हाथ बांधते हुए कहां,”गुरुजी आप से एक बात पूछे ?”
“हां पूछो !”,पंडित जी अपने विचारो से बाहर आये और शिष्य की और मुखातिब होकर कहा l
“क्या ये संभव है की एक बेजान जिस्म अचानक से काम करने लगे ? हम आपकी विद्या पर शक नहीं कर रहे है बस हमारी जिज्ञासा शांत करने के लिए पूछ रहे है”,शिष्य ने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा l


“सारिका जिस हालत में यहाँ आयी थी तब उसके शरीर से ज्यादा घाव उसके मन पर थे l वह किसी बाद सदमे से गुजर रही थी और बहुत से विचारो से उसका मन भी विचलित था l हादसे की वजह से उसका रक्त संचार पूर्ण रूप से उसके मस्तिष्क तक नहीं पहुंच पा रहा था जिससे वह कोई भी काम करने या किसी को पहचानने में असक्षम थी पर जब शिवम् ने उसका हाथ पकड़ा तो उस छुअन को वह बखूबी समझती थी l

कल तक मुझे भी लगा था की वह शायद ठीक नहीं हो पायेगी क्योकि उसकी कोई भी प्रतिक्रया उसके मस्तिष्क तक कोई संकेत पहुंचा ही नहीं पा रही थी l पर शायद कल रात के बाद उसे कुछ याद आया हो या फिर ऐसा कोई खवाब जिसे देखकर वह डर गयी हो उस झटके से उसका रक्त संचार काम करने लगा और दिमाग तक पहुंचा ! अपनी इच्छा शक्ति से इंसान चाहे तो सब कुछ कर सकता है और सारिका के साथ भी वही हुआ l

जिसे वह बहुत ज्यादा चाहती है जब नींद में उसे खोते हुए देखा तो उसे एक आघात लगा और उसका दिमाग उन घटनाओ को याद करने लगा ! बस एक ही चिंता है”
“वो क्या है गुरूजी ?”,शिष्य ने जिज्ञाषा से पूछा l
“सारिका को बीते कुछ महीनो की कोई भी घटना याद नहीं है , अगर वह याद करने की कोशिश करती है या उसे जबरदस्ती याद दिलाते भी है तो उसकी यादास्त जा सकती है l गनीमत है की उसे शिवम् याद है”,पंडित जी ने कहा !


“तो क्या उन्हें अभी भी कोई ख़तरा है ?”,शिष्य ने पूछा
“नहीं वो खतरे से बाहर है , उन्हें अच्छे माहौल में आराम की जरूरत है , धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा”,पंडित जी ने कहा
“महादेव उसकी रक्षा करे !”,शिष्य ने कहा
“तुम एक काम करो शिवम् के बाबा को खबर करके यहाँ बुला लो !”,पंडित जी ने उठते हुए कहा और सामने चबूतरे की और बढ़ गए l सारिका के नहाने के बाद शिष्या ने उसे हलके गुलाबी रंग की साड़ी पहना दी l

सारिका पहले से काफी कमजोर भी हो चुकी थी , उसके लम्बे बाल पतले हो गए थे शिष्या ने उन बालो की चोटी बना दी l सारिका ने खुद को आईने में देखा l कितना मुरझा गया था चेहरा l शिष्या उसे बाहर ले आयी और नाश्ता करवाकर उसकी रोजाना की दवाईया दी और फिर सारिका को वही बैठने दिया l उदास आँखों से सारिका आस पास के पोधो को देखती रही उसके सवालों का जवाब उसके पास नहीं था ! कुछ देर बाद आई , बाबा , राधिका और मुरारी वहा आ पहुंचे l

जब पंडित जी ने उन्हें बताया की सारिका ठीक हो चुकी है तो सब ख़ुशी से भर गए l पंडित जी उन्हें पीछे बगीचे में बैठी सारिका के पास लेकर गए l सारिका उस वक्त वहा बैठी दाने चुगते पक्षियों को देख रही थी l पंडित जी उसके पास आये और कहा,”बिटिया देखो तुमसे मिलने कोई आया है !”
सारिका ने पलटकर देखा पीछे आई , बाबा , राधिका और मुरारी एक कतार में खड़े थे l

सारिका उठी और उनके सामने जाकर खड़ी हो गयी सारिका बड़े गौर से उन्हें देख रही थी और पहचानने की कोशिश कर रही थी l सारिका बाबा के सामने आयी और कहा,”आप बाबा है ना जो जलेबिया बनाते है !”
सारिका के मुंह से ये बात सुनकर बाबा की आँखे भर आयी l कितने दिनों बाद उन्होंने सारिका की आवाज सुनी थी उन्होंने सारिका के सर पर हाथ रखा और हाँ में सर हिला दिया l मन भावनाओ से इतना भर गया था की कुछ बोल ही नहीं पाए l

सारिका मुस्कुराई और आई की तरफ बढ़ी आई के सामने आकर उसने कहा,”और आप आई है ना , जो बहुत सारी बातें करती है और जब देखो तब कद्दू बनाती है ?” आई ने आगे बढकर सारिका को गले लगा लिया उनकी आँखो से आंसू बहने लगे उन्होंने सारिका के सर को सहलाते हुए कहा,”हम तो तरस ही गए थे तुमरी आवाज सुनने को !” फिर सारिका से अलग हुयी और अपने आंसू पोछते हुए कहा,”घर चलकर न इस बार भी खूब सारे कद्दू खिलाएंगे तुम्हे , अपने जैसा हटा कट्टा बना देंगे !”

सारिका मुस्कुराने लगी और राधिका की और बढ़कर उसका हाल चाल पूछा l सबसे आखिर में सारिका मुरारी के सामने आयी उसने देखा मुरारी उस से नजर मिलाने के बजाय इधर उधर देख रहा है l मुरारी की आँखों में आंसू थे जो सारिका ने देख लिए उसने बड़े प्यार से कहा,”मुरारी क्या आप हमसे बात नहीं करोगे !”
मुरारी ने आँखों के किनारे साफ किये और कहा,”बात नहीं करेंगे बल्कि डांट लगाएंगे तुमको , बहुते रुलाई हो तुम हम सबको ! कितना रोये है सब का बताये एक पल को तो लगा था जैसे तुम छोडकर चली जाओगी हम सबको “

मुरारी अपने आंसुओ को नहीं रोक पाया तो सारिका मुस्कुराते हुए उसके गले आ लगी और कहा,”हम कहा जायेंगे आप सबको छोड़कर !” सारिका के आलिंगन में ममत्व का अहसास पाया था उस वक्त मुरारी ने l पंडित जी उन सबको छोड़कर वहा से चले गए l मुरारी से दूर होकर सारिका ने इधर उधर देखा उसकी नजरे जिसे तलाश कर रही थी वो वहा नहीं था l मुरारी समझ गया और कहा,”का भैया को ढूंढ रही हो ?” सारिका ने हां में गर्दन हिला दी ! मुरारी ने प्यार से कहा,”बस आते ही होंगे !”


आई बाबा मुरारी और राधिका वही बैठकर सारिका से बातें करने लगे l पंडित जी ने पहले ही सबको कह दिया था की सारिका के सामने हादसे का जिक्र ना करे l इसलिए मुरारी जान बूझकर सारिका को अपने , राधिका और शिवम् के बचपन के किस्से सुना रहा था l कितनो महीनो बाद सारिका मुस्कुराई थी l मुरारी ने देखा तो मन ही मन कहा,”बस अब महादेव भाभी की इह मुस्कराहट न छीने !”

इंदौर , अधिराज जी का मकान -:

अम्बिका अधिराज जी के लिए कॉफी लेकर आयी और उनके सामने रख दी !
“अनु उठ गयी ?”,अधिराज जी ने कप उठाते हुए कहा
“जी , अपने कमरे में नाश्ते के लिए पूछा तो मना कर दिया , अनु की ऐसी हालत मुझसे देखी नहीं जाती !”,अम्बिका ने उदास होकर कहा


“इसलिए हमने फैसला किया है की हम अनु को लेकर डॉक्टर के पास जा रहे है , अम्बिका अगर अनु ऐसे ही रही तो किसी भारी डिप्रेशन में चली जाएगी l पिछले डेढ़ महीने से हमने उसे मुस्कुराते हुए भी नहीं देखा है l हमे तो डर है कही सारिका की तरह हम अनु को भी……………………!!”,कहते कहते अधिराज जी की आवाज भारी हो गयी l अम्बिका ने उनके हाथ पर अपना हाथ रखा और कहा,”सब ठीक हो जाएगा , कुछ नहीं होगा हमारी बेटियों को”


अधिराज जी ने आँखों के किनारे आये आंसुओ को पोछा और कहा,”शिवम् से बात हुयी , कैसी है हमारी बेटी ? हमारा उनसे मिलने का बहुत मन हो रहा है अम्बिका !”
“मिलना तो हम भी चाहते है पर ऐसे हालातो में जाना सही नहीं होगा l शिवम् जी ने कहा था की जल्दी ही सारिका को लेकर अच्छी खबर देंगे ! अभी जिस जगह सारिका का इलाज चल रहा है वहा किसी का जाना वर्जित है !”,अम्बिका ने बताया


“हम्म्म , बस सारिका किसी तरह ठीक हो जाये”,अधिराज जी ने कहा तभी दरवाजे की डोरबेल बजी l “मैं देखती हु”,कहकर अम्बिका उठी और चली गयी उसने दरवाजा खोला सामने अमित खड़ा था अम्बिका ने मुस्कुरा कर कहा,”अरे अमित तुम , आओ अंदर आओ बेटा !” “नमस्ते आंटी ! कहते हुए अमित अंदर आ गया l अंदर आकर उसने अधिराज जी को नमस्ते कहा और सोफे पर बैठ गया कुछ देर इधर उधर की बाते करने के बाद अमित ने कहा,”आंटी अनु कहा है ?”


“अनु अपने कमरे में है , जाओ मिल लो”,अधिराज जी ने कहा तो अमित उठकर अनु के कमरे की तरफ चला गया l अनु ने अपना सामान सारिका के ऊपर वाले कमरे में ही शिफ्ट कर लिया था l मुंबई से लौटने के बाद वह हमेशा अपने उस कमरे म ही रहती थी सारिका के साथ हुए हादसे को अनु अभी तक भुला नहीं पायी थी ना ही भुला पायी थी मुरारी को l

अनु ने कहने को तो कह दिया की उसे मुरारी से प्यार नहीं है पर सच तो ये था की वहा से लौटने के बाद वह उसे अपने दिलो दिमाग से निकाल नहीं पाई l कई बार उसने मुरारी को फोन करने का सोचा पर नहीं कर पाई एक गिल्ट उसके मन में अब भी थी l अनु खिड़की से बाहर देख रही थी तभी अमित अंदर आया और कहा,”क्या बात है जनाब आजकल बड़े खामोश रहने लगे हो ?”


अनु पलटी और अमित को देखकर उसके पास आते हुए कहा,”अमित , तुम कब आये ? और कैसे हो ? आओ बैठो !”
“मैं तो बिल्कुल ठीक हु मिस नौटंकी तुम बताओ तुम कैसी हो ?”,अमित ने बेड पर बैठते हुए कहा
“मैं भी ठीक हु !”,अनु ने अमित के सामने बैठते हुए कहा
अमित ने देखा ये कहते हुए अनु की आँखों में कोई भाव नहीं था l उसने अनु की और देखकर कहा,”तुम ठीक नहीं हो अनु !”


“मुझे क्या हुआ है ?”,अनु ने अमित से नजरे बचाते हुए कहा
“ये तुम अपने आप से पूछो की क्या हुआ है ? क्या हालत बना रखी है तुमने ये अपनी हां ,, न किसी से मिलना ना किसी से बात करना l और तो और किसी के कॉल मेसेज का भी जवाब नहीं देती हो l अनु ग्रो अप यार सारिका के साथ जो कुछ भी हुआ उसमे तुम्हारी गलती नहीं है तुम तो वहा इसलिए गयी थी ना की उसकी और शिवम् की शादी हो जाये l

वो सब सरिका की किस्मत थी यार कब तक तुम उसके लिए खुद को दोषी मानती रहोगी ! “,अमित ने अनु को समझाते हुए कहा
“वो बात नहीं है अमित ! “,अनु ने मरे हुए स्वर में कहा
“तो क्या बात है ? एक मिनिट कही तुम्हे किसी से प्यार तो नहीं हो गया ? सीरियसली अगर ऐसा है तो मैं जानना चाहुगा वो कौन है ? बिकॉज आई वांट तो सी किसकी बेंड बजने वाली है”,अमित ने एक्साइटेड होकर कहा
“मुरारी !”,अनु ने फिर मरी हुई आवाज में कहा l


“व्हाट ? मुरारी ? वो चिरकुट ? वो बनारस का गुंडा ?”,अमित ने एक साथ एक ही इंसान के लिए कई सारे ऑप्शन दे डाले
“गुंडा नहीं है वो”,अनु ने अमित को पिलो मारते हुए कहा.
“आये हाय क्या बात है अभी से रिस्पेक्ट ! वैसे तुमने उसे बताया की नहीं “,अमित ने अनु को छेड़ते हुए कहा l
“एक्चुअली अमित आई लव हिम बट वो करता है या नहीं आई डोंट नो “,अनु ने अटकते हुए कहा


“क्या ? अनु सीरियसली तुमसे बड़ी पागल लड़की मैंने आज तक नही देखी l”,अमित ने नाराज होकर कहा
“वैसे वो मुझे पसंद करता है बट प्यार करता है या नहीं मालूम नहीं”,अनु ने मासूमियत से कहा
“वाओ यू आर ग्रेट हां अनु ! अरे कभी ना कभी कुछ तो कहा होगा उसने ?”,अमित ने झुंझलाकर कहा
“हम्म्म कभी खुलकर नहीं कहा”,अनु ने कहा


“अनु कही तुम मजाक तो नहीं कर रही न उस बेचारे बन्दे को परेशान करने के लिए ?”,अमित ने थोड़ा गंभीर होकर कहा
अनु अपनी जगह से उठी और खिड़की के बाहर देखते हुए कहने लगी,”जिंदगी में मैंने हर चीज को हमेशा मजाक मे ही लिया है अमित l पर इस बार ऐसा नहीं था l मुरारी से पहली मुलाकात में ही मेरा झगड़ा हो गया और फिर मुलाकाते और झगडे होते रहे l मैंने उसे बहुत परेशान भी किया पर उसने कभी कोई शिकायत नहीं की l

धीरे धीरे झगडे दोस्ती में बदल गए दोस्ती का कारण था हम दोनों का एक जैसा नेचर !! हां वो थोड़ा अजीब है पर दिल का बहुत अच्छा है (मुंह बनाकर कहती है) उसकी आधी बाते ही समझ आती थी मुझे जब वो अपनी भाषा बोलता था पर अब उस आवाज को बहुत मिस करती हु !! उसने मुझसे बनारस चलने को कहा था पर उस वक्त मैं ये समझ ही नहीं पायी की मुझे कभी उस से प्यार हो जाएगा l

ही इज सो क्यूट अमित ! (मुस्कुराने लगती है) वो मेरी शरारते झेलता था , आधी रात को भी आने को कहु तो चला आता था , जब मूड ऑफ होता था तो मेरे लिए दारू लाता था , एक बार मेरा बिल चुकाने के लिए उसने होटल में बरतन भी धोये थे l मैं उसपर कितना भी गुस्सा करू वो मुझसे नाराज नही होता था l जब सारिका दी के साथ वो हादसा हुआ था उस वक्त सबने मुझे गलत समझा बस एक वो ही था जो मेरे खातिर पूरा दिन पुलिस स्टेशन में था l

मुरारी के साथ रहते हुए मैं उसमे कभी ये अच्छाईया देख ही नहीं पाई पर जब वो दूर गया तब अहसास हुआ l सोचा नहीं था मुझे किसी से ऐसे प्यार हो जाएगा !! सच कहा था शिवम् जीजू ने जब प्यार होता है तो उसका अहसास हर वक्त हर जगह होता है , पर मुरारी मुझसे प्यार करता है या नहीं , यहाँ से जाने के बाद उसने एक बार भी बात करना जरुरी नहीं समझा………………..वो मुझसे प्यार नहीं करता !”

“वो तुमसे बहुत प्यार करता है अनु”,अमित जो अब तक ख़ामोशी से अनु की बाते सुन रहा था ने उठकर अनु के पास आते हुए कहा l अनु ने हैरानी से अमित की और देखा तो अमित कहने लगा,”अनु जितना तुमने बताया और जितना मैंने उस बन्दे के बारे में जाना है मैं तो यही कहूंगा की दुनिया में उस से ज्यादा प्यार तुम्हे कोई नहीं कर सकता l वो तुम्हे बहुत पसंद करता है इसलिए तो वो तुम्हे हर अंदाज में चाहता है ,

तुम्हारी खूबियों से ज्यादा उसने तुम्हारी कमियों को अपनाया है , तुम्हारी जिद , तुम्हारे नखरे यहां तक के तुम्हारा गुस्सा , तुम्हारा गुस्सा भी उसने सहा है ! वो तुम्हारी परवाह करता है इसलिए वो पूरा दिन तुम्हारे साथ पुलिस स्टेशन था , तुम्हारी इज्जत करता है इसलिए होटल में बर्तन धोये क्योकि नहीं चाहता था किसी के सामने उसकी दोस्त की इंसल्ट हो और भरोसा इतना करता है की सबके गलत मानने पर भी उसने तुम्हे गलत नहीं समझा ,, अब तुम ही बताओ मिलेगा ऐसा कोई जो तुम्हे इतना समझे ………………..!

“लेकिन उसने कभी नहीं कहा…………………..!”,अनु ने परेशानी से कहा l

अमित अनु के पास आया और उसके कंधे पकड़कर उसे कहा,”अनु प्यार एक ऐसी फीलिंग है जो हमारी जिंदगी में अचानक आती है , शुरू से सोचकर देखो मुरारी ने कभी तो तुमसे इस फीलिंग को शेयर किया होगा ना ! याद करो …………..तब तक मैं किसी जरुरी मीटिंग से बाहर जा रहा हु ,

शाम को आऊंगा आज रात यही रुकने वाला हु सो तुम चाहो तो इस टॉपिक पर हम बाद में और गहराई से बात कर सकते है” कहकर अमित वहा से निकल गया l अनु बिस्तर पर आकर बैठ गयी और एक बार फिर शुरू से सोचने लगी तबसे जब वह पहली बार मुरारी से मिली थी …………………….

बनारस , आश्रम !!
शिवम् भागता हुआ आश्रम में आया उसे मुरारी सामने बेंच पर बैठा मिल गया वह मुरारी के पास आया और कहा,”का बात है मुरारी तुमने इतना अर्जेन्ट में काहे बुला लिया ? हमको बहुते घबराहट होय रही है सरु ठीक तो है न ?”

“भैया तनिक साँस लेय ल्यो , क्योकि अभी हम जोन आपको दिखाने वाले है , कह रहे है ख़ुशी से फट जाओगे तुम”,मुरारी ने चहकते हुए कहा l मुरारी की बात सुनकर शिवम् और परेशान हो गया और कहा,”काहे बात को इतना घुमा रहे हो बताओ ना का बात है ?” मुरारी मुस्कुराया और कहा,”तनिक सामने देखो !” शिवम् ने असमझ के भाव लेकर सामने देखा तो बस देखता ही रह गया

सामने आई बाबा और राधिका के साथ सारिका खड़ी थी , हलकी गुलाबी साड़ी में लिपटी , वो अपने पेरो पर l शिवम् को अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ , उसके मुंह से कोई बोल नहीं फूटे वह बस एक टक सारिका को देखता रहा सारिका चलकर शिवम् के सामने आयी अपनी नम आँखों से शिवम् के चेहरे को देखती रही और फिर धीरे से कहा,”शिवम् !

शिवम् ने देखा वो सपना नहीं बल्कि हकीकत थी सारिका शिवम् के सामने खड़ी थी सही सलामत पहले की तरह l शिवम् की आँखों में ख़ुशी के आंसू आ गए उसने आगे बढ़कर सारिका को गले लगा लिया l वही अहसास जो सारिका हर रोज महसूस करती थी l शिवम् से गले लगी सारिका ने आँखे मूंद ली पर उसे याद था की इस बार वो कोई सपना नहीं देख रही !!!

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