Ranjhana – 55
Ranjhana By Sanjana Kirodiwal
Ranjhana – 55
अनु को घर छोड़कर शिवम् वापस हॉस्पिटल के लिए निकल गया l रास्ते भर शिवम् मुरारी और अनु के बारे में सोचता रहा l अगर वह मुरारी को बताता है अनु उस से नहीं बल्कि शिवम् के अट्रेक्शन को प्यार समझ बैठी थी तो मुरारी का दिल टूट जाएगा और शिवम् ऐसा किसी भी हाल में नहीं चाहता था l शिवम् ने मुरारी को कुछ भी न बताने का फैसला किया और गाड़ी चलाता रहा l शिवम् हॉस्पिटल पहुंचा , मुरारी icu के बाहर बैठा था l शिवम् आकर उसके पास बैठ गया l
मुरारी के पूछने पर उसने झूठ कह दिया की अनु को उसने समझा बुझाकर डर से बाहर निकाल दिया है l मुरारी ने राहत की साँस ली आज तीन दिन बाद कुछ अच्छा सुनने को मिला था l शिवम् जाकर सारिका से मिला सारिका अब भी सो रही थी शिवम् कुछ देर उसका हाथ अपने हाथो में लिए बैठा रहा और फिर उठकर बाहर आ गया ! शिवम् दिन रात हॉस्पिटल में ही रहता था सारिका को वह एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ता था !
मुरारी भी शिवम् के साथ साथ हॉस्पिटल में ही अपना समय बीताता ! चाचा चाची वापस बनारस चले गए l अधिराज जी और अम्बिका भी हर रोज सारिका की खबर लेने हॉस्पिटल आते ! सारिका के लिए शिवम् का प्यार देखकर अधिराज जी को अपने फैसले पर गर्व महसूस होता l अनु की सोच भी अब काफी बदल चुकी थी वह जब हॉस्पिटल होती तो सारिका का सारा काम खुद करती , उसकी दवाईयों से लेकर उसकी साफ सफाई तक वह खुद करती ऐसा करके शायद वह अपनी गलतियों का पश्चाताप कर रही थी !
अनु का बदला हुआ रूप देखकर सब हैरान थे पर सब खुश भी थे अब तो बस सबको सारिका के ठीक होने का इंतजार था ! आई बाबा भी पिछले एक हफ्ते से यही थे l भावनात्मक रूप से उन दोनों ने अधिराज जी और अम्बिका को बहुत सहारा दिया था ! 2 हफ्ते गुजर गए सारिका की हालत में अब कुछ कुछ सुधार होने लगा उसकी जिस्म पर लगे घाव धीरे धीरे भरने लगे थे लेकिन उसका दिमाग अभी भी वैसा ही था ! सिवाय उसकी आँखों के उसके जिस्म के किसी भी हिस्से में कोई हलचल नहीं थी
सारिका सब देख , सुन और समझ सकती थी पर उसका दिमाग शरीर के किसी भी हिस्से तक अपना संकेत नहीं पहुंचा पा रहा था l 2 हफ्ते बाद डॉक्टर ने सारिका को घर ले जाने की परमिशन दे दी ! शिवम् और सभी घरवाले मिलकर सारिका को घर ले आये ! शाम के समय अपने कमरे में लेटी सारिका उदास आँखों से खिड़की के बाहर गिरती बारिश की बूंदो को देख रही थी l शिवम् कमरे में एक बड़ी सी तस्वीर के साथ दाखिल हुआ सारिका को बाहर देखता पाकर उसने कहा,”सरु हम आपके लिए ये लेकर आये है , आपकी पसंदीदा तस्वीर !”
शिवम् ने बनारस के घाट की एक प्यारी सी तस्वीर सारिका के बिस्तर के बिल्कुल सामने लगा दी ! सारिका की नजरे जब उस तस्वीर पर पड़ी तो उसकी आँखों में ख़ुशी के भाव उभर आये वह एकटक उस तस्वीर को देखती रही l शिवम् उसके पास आया और सिरहाने पड़ी कुर्सी पर बैठकर सारिका के साथ साथ उस तस्वीर को देखते हुए कहने लगा,”जानती है ये वही घाट है जहा आप और हम पहली बार मिले थे , वही घाट जहा 14 साल बाद दोबारा मिले थे और वही घाट जहा महादेव ने हमे हमेशा हमेशा के लिए साथ रहने का आशीर्वाद दिया था !”
शिवम् ने सारिका का हाथ अपने हाथ में लिया और उसकी तरफ देखकर कहने लगा,”जब आप ठीक हो जाएगी तब हम एक बार फिर बनारस जायेंगे ! एक बार फिर घाट की इन्ही सीढ़ियों पर बैठकर अपनी आने वाली जिंदगी के बारे में सोचेंगे !” सारिका सब सुन रही थी , शिवम् के हाथो की गर्माहट को महसूस भी कर रही थी बस कुछ कह नहीं पा रही थी l सारिका की ख़ामोशी शिवम् को बहुत तकलीफ देती पर वह उस तकलीफ को कभी अपने चेहरे पर नहीं आने देता वह उतने ही मन से सारिका की सेवा में लगा रहता था !
सारिका अब भी एक टक उस तस्वीर को देख रही थी और अपने बीते दिनों को याद कर रही थी l शिवम् ने अपना सर सारिका के सर के पास रखा और कहने लगा,”आप उन घाटों को हमसे भी ज्यादा पसंद करती है ना l सरु हम जानते है जो कुछ भी हुआ उसके लिए आप खुद को जिम्मेदार मान रही है और चाहती है हम अनु को अपना ले इसलिए हमसे बात करना तो दूर आप हमारी तरफ देखती तक नहीं है !
पर सच तो ये है की हम आपके अलावा किसी को अपनाना तो दूर चाह भी नहीं सकते है !! भले आप सारी जिंदगी हमसे यु नजरे चुराए रखिये हम शिकायत नहीं करेंगे पर आपके लिए हमारी मोहब्बत और हमारा विश्वाश कभी कम नहीं होगा !!”
शिवम् की बात सुनकर सारिका ने अपनी पलके मूंद ली वह नहीं चाहती थी शिवम् इन पलकों में आये दर्द को देखे ! अंदर ही अंदर शिवम् के लिए वो भी तड़प रही थी पर अनु की ख़ुशी के लिए उसने शिवम् से मुंह फेर लिया l शिवम् की नजर सामने लगी दिवार घड़ी पर गयी जिसमे शाम के सात बज रहे थे शिवम ने अपना सर उठाया और सारिका की और देखकर कहा,”देखा आपसे बातें करने के चक्कर में हम भूल ही गए की आपकी दवाईयों का समय हो गया है , रुकिए हम लेकर आते है”
शिवम् उठा और टेबल पर रखी सारिका का दवाईया ले आया उसने सारिका को दवा खिलाई और फिर आराम करने के लिए लेटा दिया l शिवम् ने सारिका को चददर ओढ़ाई और जाने लगा सारिका की नजरे उसी पर थी जाते जाते शिवम् पलटा और वापस सारिका के पास आया उसने सारिका के माथे को अपने लबो से चुम लिया और कहा,”हम सिर्फ आपके है सरु , हम पर किसी और का हक़ नहीं है सिवाय आपके”
सारिका ने आँखे मूंद ली शिवम् वहा से चला गया l सारिका की आँखों में आंसू नहीं आये पर उसका दिल जोर जोर से रोना चाहता था , अपना दुःख बयान करना चाहता था l शिवम् के चले जाने के बाद सारिका ने मन ही मन खुद से कहा,”हमसे इतनी मोहब्बत मत कीजिए शिवम् , ये बेजान जिस्म अब आपको कोई ख़ुशी नहीं दे पायेगा l ये आँखे अब कोई सपना नहीं देख पायेगी , ये बेजान हाथ जिनमे लहू का कोई कतरा नहीं है आपकी आँखों से बहते हुए आंसू नहीं पोछ पायेगी l इतने बेबस हो चुके है की ना हंसकर अपनी ख़ुशी जाहिर कर सकते है ना रोकर अपना दर्द !”
कमरे से बाहर आकर शिवम् ने पलटकर एक बार दरवाजे की झिरी से सारिका को देखा और मन ही मन कहने लगा,”अपने प्यार से आपके बेजान दिल में इतना अहसास भर देंगे की आप फिर से पहले जैसे हो जाएगी l पहले की तरह हमारा हाथ भी थामेगी , पहले की तरह अपना सर हमारे कांधे पर भी रखेगी ! वो दिन बहुत जल्दी आएगा सरु , बस भरोसा रखना हम पर
शिवम् अपने कमरे में आ गया l अगली सुबह शिवम् के कहने पर आई बाबा और राधिका वापस बनारस के लिए निकल गए घर में सिर्फ मुरारी , शिवम् , अधिराज जी और उनका परिवार बचा था l शिवम् सारिका का पूरा ख्याल रखने लगा पर सारिका की हालत वैसी ही थी l अनु ने सारिका को सारा सच सुना दिया उस दिन सारिका को समझ आया की उस से अनजाने में बहुत बड़ी गलती हुई है ! सारिका की हालत में कोई सुधार ना देखकर और शिवम् को दिन रात सारिका की सेवा करते देखकर अधिराज जी को बहुत दुःख होता !
सारिका ठीक होगी भी या नहीं यही चिंता उन्हें दिन रात खाये जा रही थी l अगर वह ठीक नहीं हुई तो शिवम् अपनी पूरी जिंदगी उसके लिए निकाल देगा l एक सुबह शिवम् सारिका ने को सारिका को व्हील चेयर पर बैठाया और कमरे से बाहर लेकर आया सारिका किसी बेजान शरीर की तरह चेयर पर बैठी थी उसका हाथ निचे लुढ़क गया तो शिवम् ने वापस हाथ उठाकर गोद में रख दिया l हॉल से गुजरते हुए उसकी नजर जब अधिराज जी और अम्बिका पर पड़ी तो शिवम् ने कहा,”सर हमने सोचा एक ही जगह सारिका बोर हो गयी होगी इसलिए बगीचे में ताजा हवा खिलाने बाहर लेकर जा रहे है !”
अधिराज जी शिवम् के सामने आये और गुस्से से कहा,”ये तमाशा बंद कीजिये अब आप !”
अधिराज जी की बात सुनकर शिवम् हैरान रह गया l मुरारी और अनु भी वहा चले आये , मिना और अम्बिका पहले से वहा मौजूद थी ! शिवम् ने अधिराज जी से कहा,”आप ऐसे बात क्यों कर रहे है ? क्या हमसे कोई भूल हुई है ?
“आपसे कोई भूल नहीं हुई है बेटा ,पर आखिर कब तक आप इस उम्मीद में रहेंगे की एक दिन सारिका ठीक हो जायेगी l हमसे आपकी ये हालत देखी नहीं जाती बेटा !”,कहते हुए अधिराज का गुस्सा आखो में आंसुओ के रूप में दिखाई देने लगा था l
“जब तक हमारी सांसे है हम सरु के ठीक होने का इंतजार करेंगे ! अगर वो जिंदगीभर भी हमारे साथ इस तरह रहेंगी तब भी हमे उनसे कोई शिकायत नहीं होगी क्योकि वो हमारे साथ होगी l हमे इस से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए सर”,शिवम् ने सारिका की बगल में घुटनो के बल जमीन पर बैठते हुए कहा l अधिराज जी ने शिवम् की और देखा और कहने लगे,”अपनी जिंदगी इस तरह बर्बाद मत कीजिये बेटा , सारिका को हम सम्हाल लेंगे आप अपनी जिंदगी में आगे बढिये ऐसे कब तक आप इस बेजान जिस्म के पीछे अपनी जिंदगी बर्बाद करेंगे “
“बेजान जिस्म नहीं है वो !!”,शिवम् ने चीखते हुए कहा और उठकर अधिराज के पास आकर गुस्से से कहने लगा,”क्या इसलिए प्यार किया था हमने इनसे की आज इनको इस हालत में छोड़कर चले जाये ! हमारी एक एक साँस पर इनका हक़ है इनके बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते है हम और आप इन्हे बेजान कह रहे है l…………………….. ये जो दिल हमारे सीने में आज धड़क रहा है वो सिर्फ इनको देखकर धड़क रहा है वरना हम तो उसी दिन मर गए थे जब इनके साथ ये हादसा हुआ था”
“वो हादसा अब जिंदगीभर का दर्द बनकर रह गया है शिवम् और हम नहीं चाहते उस दर्द को तुम अपनाओ l सारिका से शादी करने का विचार छोड़ दो l ये अब इस लायक नहीं रही है की आपके साथ शादीशुदा जिंदगी बिता सके”,अधिराज जी ने अपना कलेजा मजबूत करके कहा l
“और अगर ये हादसा शादी के बाद हुआ होता तब भी क्या आप हमे सरु को छोड़ देने के लिए कहते ?”,शिवम् ने तड़पकर कहा तो अधिराज जी ने जलती हुई आँखों से शिवम् की तरफ देखा और कहा,”पर शादी हुई तो नहीं है ना , सगाई हुई है और सगाई टूट सकती है l आखिर आप क्यों अपनी जिंदगी तबाह करना चाहते है l
अगर सारिका हमारी जगह होती तो वह भी यही चाहती की आप सब छोड़कर वापस चले जाये” l अधिराज जी बेबस और लाचार थे पर इस तरह शिवम् को नहीं देख पा रहे थे इसलिए उन्होंने जान बूझकर ऐसी बातें की जिससे से शिवम् सारिका को छोड़ दे और अपनी नयी जिंदगी की शुरुआत करे l
अधिराज जी की बात सुनकर शिवम् गुस्से से भर गया वह मंदिर वाले हिस्से की तरफ गया और वहा रखा सिंदूर लेकर आया उसने अपनी उंगलियों में सिन्दुर लिया और सारिका की मांग में भर दिया
सारिका ने अपनी आँखे मूंद ली इतने दिनों में पहली बार उसकी आँखों से दो बून्द आंसू बहकर गालो पर आये थे पर शिवम् नहीं देख पाया सिंदूर लगाने के बाद वह गुस्से से अधिराज की तरफ पलटा और कहा,”लीजिये अब ये हमारी पत्नी है और अब कोई भी हमे इनसे दूर नहीं कर सकता , आप भी नहीं”
अधिराज जी की आँखों में आंसू भर आये उन्होंने शिवम् को गले लगा लिया और कहने लगे,”और कितने अहसान करोगे हम पर बेटा !
हमने ये सब इसलिए कहा था क्योकि हम ऐसे हालातो में सारिका की जिम्मेदारी आपके हाथो में सौंपना नहीं चाहते थे l हम खुदगर्ज बनना नहीं चाहते थे बेटा !! पहले ही आप इस परिवार के लिए इतना कुछ कर चुके हो अब आपका और अहसान नहीं चाहते थे l” शिवम् ने कहा,”हमने आप पर या सरु पर कोई अहसान नहीं किया है सर ! ये सब कहकर आप हमे शर्मिन्दा मत कीजिये” अधिराज जी शिवम् से दूर हुए ओर उसके कंधो को पकड़कर कहा,”आज से सर नहीं बल्कि आप हमे पापा कहकर बुलाएँगे”
“जी पापा !”,शिवम् ने आँखो में आंसू भरकर कहा l अधिराज जी ने शिवम् का हाथ पकड़ा और आकर सारिका के सामने घुटनो पर बैठ गए पास ही शिवम को बैठा लिया l अधिराज जी ने सारिका का हाथ उठाकर शिवम् के हाथ में देकर कहा,”आप दोनों को हम तो क्या खुद ईश्वर भी अलग नहीं कर सकते है l खुश रहो मेरे बच्चो” l शिवम् ने सारिका को गले लगा लिया l सही मायनो में आज सारिका उसकी हो चुकी थी l
अधिराज जी उठे और व्हील चेयर का स्टेण्ड पकड़ कर कहां,”चलो शिवम् सरु को बाहर खुली हवा में घुमाकर लाते है l” शिवम् उठा और सबके साथ बाहर बगीचे में आ गया l सभी बहुत खुश थे अनु भी खुश थी उसकी दी को उसका प्यार मिल चुका था पर मुरारी के प्यार को वह अभी भी समझ नहीं पाई थी और मुरारी इन कुछ दिनो में ना अनु से ठीक से बात कर पाया ना ही उसे अपनी भावनाओ से रूबरू करवाया l शिवम् अब सारिका के साथ ही उसके कमरे में रहने लगा था l
वह हर वक्त उसकी बच्चो की तरह देखभाल करता था l अनु भी शिवम् की हेल्प कर दिया करती थी पर सारिका के छोटे छोटे काम जैसे उसके बाल बनाना , आँखों में काजल लगाना , उसके लिए कपडे पसंद करना , उस दवाईया देना , जूस पिलाना ये सब शिवम् ही करता था l मुरारी भी दिन में 10-15 बार सारिका के रूम में आता और उसके सामने उट पटांग बाते करता ताकि सारिका कोई प्रतिक्रिया दे पर सारिका बस खाली आँखों से उन सबको देखती रहती l
हां इन कुछ दिनों में वह पलके झपकना सीख चुकी थी l शिवम् को जब भी सारिका की पसंद जाननी होती वह सारिका के सामने आता और उस से पूछता सारिका को हां कहना होता तो वह अपनी पलके झपका देती l शिवम् बहुत खुश होता l उसने सारिका की पलकों को ही बात करने का जरिया बना लिया l अब हर रोज वह सारिका की पसंद के कपडे पहनता दिनभर उस की देखभाल करता l रात में जब सारिका को नींद नहीं आती तो वह उसे किताबो में से कहानिया पढ़कर सुनाता !
जब वह सो जाती तो उसके बालो में उंगलिया घूमाते हुए शिवम् भी वही उसके सिरहाने के पास सर रखकर कुर्सी पर बैठे बैठे ही सो जाया करता l सुबह आकर या तो अम्बिका उसे उठाती या वह खुद ही उठ जाता l सारिका को अपनी पत्नी मानने के बावजूद भी शिवम् हमेशा अपनी मर्यादा में ही रहा l उसने सारिका पर कभी पति होने का हक़ नहीं जताया , अपनी भावनाओ को उसने हमेशा हमेशा के लिए दबा लिया l सारिका की ख़ुशी और स्वास्थ्य से बढ़कर उसके लिए कुछ नहीं था l
एक रात शिवम सारिका के सिरहाने बैठा उसे कोई नॉवल सूना रहां था l सुनाते सुनाते उसने किताब बंद की और साइड में रख दी उसका चेहरा उदास हो गया था और आँखों में बेचैनी साफ नजर आ रही थी l सारिका अपनी आँखों से शिवम् के चेहरे की और देखे जा रही थी l शिवम् ने अपना सर झुका लिया और कुछ देर बाद एक गहरी साँस लेकर कहने लगा,”हमे आपकी आवाज सुननी है सरु ! जान बूझकर कर रही है न आप ये सब ताकि हमे न परेशान कर सके ! इतने दिन से आपके मुंह से एक शब्द नहीं सुना है l
एक बार हमे शिवम कहकर बुलाइये ना ………………….नहीं बुलाएंगी जानते है l बहुत जिद्दी जो हो आप l पर सच में आपकी ये ख़ामोशी बहुत तकलीफ देती है हमे , आपको मालूम है एक बार बनारस में आपने गलती से भांग पि ली और उसके बाद आप इतना बोली के बस बोलती ही गयी l तब बहुत प्यारी लग रही थी आप l आपकी आवाज आज भी किसी संगीत की तरह हमारे कानो में गूंजती है………….एक बार फिर वही आवाज सुनना चाहते है l आदत सी हो गयी है सुनने की ! अब ज्यादा नहीं बोलेंगे वरना रो पड़ेंगे”,कहकर शिवम् ने सर सारिका के सिरहाने से लगा लिया और आँखे मूंद ली
सारिका की आँखों से एक बार फिर आंसू बह कर कनपटी पर आ गए l शिवम् ने अपनी उंगलिया सारिका की उंगलियो में फसायी हुई थी लेकिन रात में नींद में उनकी पकड़ ढीली हो गयी l सारिका उस रात सो नहीं पाई l वह सारी रात शिवम् के बारे में सोचती रही l उसने आप हाथ हिलाने की कोशिश की पर नहीं कर पाई l सारिका को ऐसा करते हुए मेंटली और फिजिकली बहुत तकलीफ हो रही थी पर वो करना चाहती थी अपने शिवम् के लिए सारिका रात भर जागकर अपने हाथ को हिलाने की नाकाम कोशिश करने लगी l
सारिका ने आखरी बार कोशिश की और इस बार हाथ उठा l उसने अपनी उंगलिया हिलायी उंगलिया मूव कर रही थी l सारिका की आँखे खुशी से फ़ैल गयी उसका सीधा हाथ थोड़ी मुश्किल से पर मूव कर रहा था सारिका ने अपना हाथ उठाया और शिवम के गाल पर रख दिया l कितने दिनों बाद उसने शिवम् को छुआ था l वह अहसास ही ऐसा था जिसे सारिका कभी भूल नहीं सकती थी l शिवम् नींद में था , सारिका की आँखों में एक सुकून था और इसी सुकून के साथ सुबह होते होते उसे नींद आ गयी l
सुबह शिवम् उठा तो सारिका का हाथ अपने चेहरे पर पाकर ख़ुशी से उछल पड़ा l सारिका धीरे धीरे ठीक होने लगी थी l शोर मचा मचा कर शिवम् ने सबको अपने कमरे मे इकट्ठा कर लिया l सभी वहा आ पहुँचे तब तक शोर सुनकर सारिका भी उठ गयी l शिवम् ने सबको सारिका के हाथ के बारे में बताया तो सब खुश हो गए l शिवम् सारिका के पास आया और कहा,”आज हम बहुत खुश है बताओ आपको हमसे क्या चाहिए ?”
सारिका ने हाथ की ऊँगली उठाकर सामने दिवार पर लगी बनारस के घाट वाली तस्वीर की और कर दी l
सबकी नजर दिवार पर लगी उस तस्वीर की और गयी l सारिका बनारस जाना चाहती थी l शिवम् ने सारिका का हाथ अपने दोनों हाथो में लिया और कहा,”हा सरु हम फिर से बनारस जायेंगे अपने खवाबो के शहर !” शिवम् की बात सुनकर सारिका की आँखों में सुकून के भाव थे ! शिवम् ने अधिराज जी से सारिका के साथ बनारस जाने की परमिशन मांगी l शिवम् अब इस घर का दामाद था अधिराज जी ने कहा,”ठीक है , पर आपके और सारिका के साथ हम सब भी बनारस चलेंगे”
शिवम् ने अधिराज जी के दोनों हाथो को अपने हाथो में लिया और प्यार से कहने लगा,”पापा उस हादसे के बाद अनु के दिल में कही ना कही अभी भी डर है इस वक्त अनु को आपकी और माँ की बहुत जरूरत है l सारिका की देखभाल के लिए हम है , मुरारी है , आई बाबा और राधिका है l हम वादा करते है जल्दी ही सरु के ठीक होने के बाद आप सबको बनारस बुलाएँगे”
“हमे आप पर पूरा भरोसा है बेटा !”,अधिराज जी ने कहा
शिवम् ख़ुशी ख़ुशी अपना और सारिका का सामान पैक करने लगा l अनु भी इस काम में उसकी हेल्प करने लगी सभी खुश थे बस मुरारी परेशान था l अनु को छोड़कर उसे वापस बनारस जो जाना था l शाम तक बनारस जाने की सारी तैयारियां हो चुकी थी अधिराज जी ने शिवम् को तोहफे में एक गाड़ी दी और उसी से बनारस जाने को कहा l शिवम् ने सारिका को गाड़ी में बैठाया l मुरारी ने अपना शिवम और सारिका का सामान पिछे रख दिया l शिवम् ने अधिराज जी और अम्बिका के पैर छुए l
अनु को हग किया और उसके सर पर हाथ रखकर उसे अपना ख्याल रखने को कहा l अनु , अधिराज जी और अम्बिका तीनो शिवम् और मुरारी के साथ गाड़ी तक आये l शिवम् ड्राइवर सीट पर जाकर बैठ गया l अधिराज जी और अम्बिका भी अंदर चले गए l बाहर सिर्फ मुरारी और अनु खड़े थे मुरारी अनु के पास आया और कहा – चले !
“हा जाओ ?”,अनु ने मुस्कुराकर कहा
“तुम हमरे साथ नहीं चल रही हो ?”,मुरारी ने झिझकते हुए कहा
“मैं तुम्हारे साथ क्यों आउंगी ?”,अनु ने हैरानी से पूछा
“क्योकि तूम हमसे प्यार करती हो !”,मुरारी ने अनु की आँखों में देखकर कहा
“वेट वेट वेट , तुमसे किसने कहा की मैं तुमसे प्यार करती हु ?”,अनु के चेहरे के भाव बदल गए l
“तो जो अब तक हमरे बिच था वो का था ?”,मुरारी ने धड़कते दिल के साथ कहा
“क्या सब मुरारी ? तुम मेरे बहुत अच्छे दोस्त हो और इसीलिए मैं तुमसे इतना क्लोज थी l मेरे हंसी मजाक को तुमने प्यार समझ लिया l
आई ऍम सॉरी लेकिन मैं तुमसे प्यार नहीं करती”,कहकर अनु वहा से अंदर चली गयी l आंसू का एक कतरा आँख से होता हुआ गालो पर आ गया मुरारी ने उसे पोछा और आकर गाड़ी में बैठ गया l उसका दिल टूट चुका था शिवम् उसकी आँखे ना पढ़ ले सोचकर मुरारी ने शर्ट से काला चश्मा निकालकर आँखों पर लगा लिया l शिवम् से उसने पीछे सारिका के पास बैठने को कहा और खुद आगे ड्राइवर सीट पर आ बैठा l
“मुरारी अनु ने कुछ कहा ?”,शिवम् ने सारिका का सर अपनी गोद में रखते हुए पूछा l
“हम्म्म्म , नहीं कुछ नहीं”,मुरारी की आवाज भारी थी
“देखना मुरारी जल्दी ही तुमरा प्यार उसे बनारस खिंच लाये !!”,शिवम् ने मुस्कुरा कर कहा
मुरारी ने एक ठंडी साँस ली और कहा,”हर कोई सारिका जी जैसा नहीं होता भैया !”
“हां मुरारी हर कोई इन जैसा नहीं होता , पर हर किसी की किस्मत में मुरारी भी नहीं होता l अनु दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की है जिसे तुम मिले हो l जो हमेशा उसके साथ खड़ा रहेगा”,शिवम् ने कहा
“पर अफ़सोस वो हमारे नसीब में नहीं है”,मुरारी धीरे से बुदबुदाया जिसे शिवम् नहीं सुन पाया l l मुरारी ने गाड़ी स्टार्ट की और वहा से निकल गया l आँखों से बहकर आंसू गालो पर आ गए शिवम् उसके सिसकिया सुन ना ले ये सोचकर मुरारी ने सिस्टम पर गाना चला दिया l पर गाने के बोल भी उस वक्त उसके दर्द को बया करते नजर आये
“अज दिन हशर दा नी कल मैं नहीं रहणा
जे लायी यारी मुल मोड़ ना पेणा
तू अग्गे वधेया तैनू फर्क नि पेणा
तू अग्गे वधेया तैनू फर्क नि पेणा
मैं पीछे हटगया मेरा हक़ रहणा
अज दिन हशर दा नी कल मैं नहीं रहणा”
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