Ranjhana – 30
Ranjhana By Sanjana Kirodiwal
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Ranjhana – 30
सारिका का खत पढ़ने के बाद शिवम् की आँखों में आंसू आ गए ! उसे अपनी गलती का अहसास हुआ अगर वक्त पर सारिका की भावनाओ को समझ लेता तो आज सारिका उसके साथ होती ! मुरारी उठकर शिवम् के पास आया और उसके कंधे पर अपना हाथ रखते हुए कहा,”का भैया , भाभी ने मुंबई बुलाया है !! वैसे सही भी है आपका हक़ बनता है हम तो कहते है बोरिया बिस्तर बांधो और मुंबई के लिए निकल लो !!”
“मुरारी हमने उनका बहुत दिल दुखाया है यार , क्या वो हमे ,माफ़ करेगी ?”,शिवम् ने मुरारी की आँखों में देखते हुए कहा !
“अरे माफ़ काहे नहीं करेंगी , और उह तो खुद खत मे तुमसे माफ़ी मांग रही है ! हम तो कहते है मुंबई जाओ और जाकर उन्हें अपने दिल की सारी बात बता दो !! बस अब देरी नहीं चाहिए तुम दोनों के बिच”,मुरारी ने कहा
“लेकिन आई बाबा ?”,शिवम् ने परेशानी कहा
“उसका इलाज भी है हमरे पास ………………. रुको एक मिनिट”, कहकर मुरारी उठा और दरवाजे की और मुंह करके जोर से चिल्लाया,”आई…………..बाबा.!!
मुरारी की आवाज सुनकर आई बाबा के साथ साथ राधिका भी दौड़ी चली आई ! बाबा ने मुरारी को देखकर कहा,”क्या हुआ मुरारी इतना जोर से क्यों चिल्ला रहे हो ?
“बाबा आई शिवम् को लड़की पसंद आ गयी है , वो उसको लेने जा रहा है आप लोगो को कोई परेशानी है”,मुरारी ने दृढ़ता से कहा
“कौन लड़की ? कैसी लड़की ? हमरा के काहे नहीं बताये ? और कहा जा रहा है इह ?”,आई ने एक साथ कई सवाल कर डाले !
मुरारी आई के पास आया और ख़ुशी से चहककर कहा,”अरे आई वही अपनी सारिका जी , उन्ही को तो लेने जा रहे है मुंबई ! अपने शिवम् भैया को जिस मेडम जी की तलाश थी वो अपनी सारिका जी ही तो है !”
“क्या सच में ? वो इतने दिन हम सबके साथ थी किसी ने हमरा के बताया क्यों नहीं ? हम उसको जाने ही नहीं देते , मुरारी!”,आई ने ख़ुशी से लेकिन अफ़सोस जताते हुए कहा
बाबा जो चुपचाप खड़े सुन रहे थे शिवम् के पास आये और कहा,”शिवा मुरारी जो कह रहा है सच है ? क्या वो लड़की सच में सारिका है ?
शिवम् ने बाबा की आँखो में देखा और अपनी गर्दन हां में हिला दी !
“अरे शिवम् के बाबा हमने तो पहले ही दिन सारिका को अपनी बहु मान लिया था ! कितनी प्यारी लड़की है वो हम तो कहते है शिवम् के साथ हम सब भी चलते है , वही के वही शगुन देकर उसे अपने साथ ले आएंगे”,आई ने ख़ुशी से चहकते हुए कहा !
“छब चलते है , भैया बारात लेकर नहीं जा रहे जो सब के सब चलने की बात कर रहे हो”,मुरारी ने झल्लाकर कहा
“तो ?”,आई ने कहा
“अरे तो का तो ? भाभी ने भैया को मुंबई में अपने ऑफिस में नौकरी करने के लिए बुलाया है , शादी करने के लिए नहि”,मुरारी ने कहा
“का हमरा बेटा होने वाली बहु के साथ नौकरी करेगा ,, अरे रे मुरारी तुमरी बुद्धि भ्रष्ट हो गयी है ,, लोग क्या कहेंगे ?”,आई ने परेशान होकर कहा
“आई वो मुंबई है बनारस नहीं वहा लड़का लड़की कंधे से कन्धा मिलाकर चलते है , भाभी ने खुद बुलाया है भैया को हमे तो लगता है इनको वहा जरूर जाना चाहिए”,मुरारी ने कहा
शिवम् सबकी बात सुनकर बाबा के पास आया और कहा,”आप बताईये बाबा ?
“इतने बड़े अनजान शहर में तुम्हे अकेले भेजने का दिल तो नहीं करता पर तू जाना चाहे तो रोकूंगा भी नहीं , जिसका इतने साल इंतजार किया उसे हासिल करने का वक्त आ गया है ! हमारा आशीर्वाद हमेशा तुमरे साथ है”,बाबा ने प्यार से शिवम् के गाल को छूकर कहा
“अरे अकेले कहा जा रहे, हम है ना इनके साथ ! इनके हनुमान बनकर जायेंगे इनकी सीता को लेने”,मुरारी ने कहा
“तुम काहे जाओगे ?”,शिवम् ने चौंककर कहा !
“अरे हमरी भाभी है उँह इतना तो हक़ बनता है हमरा……………..हम भी तुमरे साथ जायेंगे तय हो चुका है”,मुरारी ने फरमान सुनाते हुए कहा
“आई बाबा आप दोनों समझाओ ना इसे..!!”,शिवम् ने कहा
“अरे इह दोनों का समझायेंगे , लड़की मिलते ही दोस्त को भूल गया ये देखो आई”,मुरारी ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहां
“आई समझाओ न इसे…………!!”,शिवम् झुंझला उठा !
“मुरारी भी तुमरे साथ जाएगा बस , अगर नहीं तो फिर तुमको भी कही नहीं जाना”,आई ने अपना फैसला सूना दिया
पहली बार आई को अपनी साइड लेते देखकर मुरारी ने आँखों में आंसू भरकर आई से कहा,”आई तुम औरत ना हो देवी हो देवी ,, इस घर में सिर्फ तुमको ही हमरी फ़िक्र है ! तुमरे चरण कहा है चूमने को दिल कर रहा है ………………….कितना प्यार करती है तु मुझसे तभी तो भैया से कह रही की हमका साथ लेके जाये”
आई मुस्कुरायी और कहा,”अरे रे मुरारी तू तो जानता है न शिवम् हमरा इकलौता बेटा हैं , और उह पहली बार घर से बाहर जा रहा है ! तो उसका खाना पीना , बर्तन धोना , कपडे धोना , साफ सफाई इह सबका भी बहुते ख्याल रखना होगा ! और तू तो जानता ही है बड़े शहरो में इह सब काम के लिए पैसे लगते है”
“तो ? “,मुरारी ने हैरानी से कहा
“तो तुम हो ना इह सब काम के लिए , बनारस में खाली बैठने से तो अच्छा है शिवम् के साथ जाकर उसकी मदद ही कर दो”,आई ने कहा
“का ?”,मुरारी ने सूना तो उसका मुंह खुला का खुला रह गया और बाकि सब जोर जोर से हसने लगे
शिवम् की तो हंसी ही नहीं रुक रही थी मुरारी का चेहरा देखकर ! बाबा भी मुस्कुराते हुए वहा से बाहर चले गए
मुरारी ने आई की तरफ देखा और कहा,”वाह आई वाह , अच्छा सिला दिया ना तूने मेरे प्यार का ! हमको इस लायक समझ लिए तुम !!
“अरे हमने कुछ तो समझा तुमको , बोलो जाओगे की नाही ?”,आई ने कहा
“जायेंगे इनको सारिका जी से मिलाने के लिए जो भी करना पड़े करेंगे , खाना बनाएंगे , बर्तन धोयेंगे , कपडे धोयेंगे , यहाँ तक के संडास भी साफ करना पड़े तो उह भी करेंगे”,मुरारी ने कहा
“का इतना प्यार करते हो हमरे शिवम् से !!”,आई ने हैरानी से कहा
“अरे काहे का प्यार साला यह निपटे तो हमरा नंबर आये , कब तक हम अपने बिस्तर के दोनों तरफ से उतरेंगे”,मुरारी ने बातो बातो में दिल का दर्द जाहिर किया !!
“अरे तो रो काहे रहे हो ? मुंबई जाकर तुम भी देख लेना अपने लिए कोई लड़की , सूना है वहा की लड़किया बहुते खूबसूरत होती है”,इस बार राधिका ने कहा
“हमरी सारिका से कहना वो ढूंढ देगी , तुमरी तो दोस्त भी है वो “, आई ने नया आईडिया देकर कहा
मुरारी शिवम् के पास आया और उसके कंधे पर अपनी कोहनी टीकाकार कहा,”ओह्ह भैया हम तुमसे पूछना भूल गए , तुमरी मैडम जी की कोनो छोटी बहन वहन नहीं है का , होती तो कितना अच्छा होता एक ही शादी में सब निपट जाता !!”
शिवम् ने कोहनी हटाते हुए कहा,”ऐसा है ज्यादा बोखलाओ नाही !
“सुन रे मुरारी तुमको शिवम् के साथ जाना है की नाही पहले तो इह बता दे !”,आई ने कहा
“जायेंगे ना जायेंगे काहे नहीं , पर इस सिचुएशन पर ना हमको एक शायरी याद आ रही है”,मुरारी ने कुछ सोचते हुए कहा
“शायरी , अरे वाह !! सुनाओ न मुरारी भैया”,राधिका ने चहककर कहा
“सुनो !! खुले घूमते थे बनारस में हमको मनमर्जी बना दिया , विधायक के भतीजे थे साला , आई ने तो हमको बावर्ची बना दिया !!”,मुरारी ने बेबसी जताते हुए कहा
शिवम् राधिका का तो हस हंस कर बुरा हाल था और आई ने मुरारी के सर पर चपत लगाते हुए कहा,”इस जन्म में तो तुमरा कुछ ना हो सकता है मुरारी , मुर्ख के निपट मुर्ख ही रही हो तुम “
कहकर आई वहा से चली गयी और जाते जाते अपने साथ राधिका को भी ले गयी ! शिवम् बिस्तर पर आ बैठा तो मुरारी ने कहा,”बहुत हो गया जा रहे है हम यहाँ से , जिसको जहा जाना है जाए अब हम किसी के लगते ही क्या है ?
मुरारी जैसे ही जाने लगा शिवम् ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”ऐ मुरारी तूने कैसे सोच लिया की हम तुमरे बिना मुंबई जायेंगे ? अरे वो तो आई और हम सब तुमको झल्लाने के लिए इह सब बोले रहे ! आई तुमसे बहुत प्यार करती है हम जानते है तुम उनकी किसी बात का बुरा नहीं ना मानते इसलिए तुमको इतना सब कह जाती है वरना तुमरे लिए उनके दिल में बहुते प्यार है !!”
“हम्म्म्म !”,मुरारी ने धीरे से कहा
“चलो अब मुस्कराय भी दो , आज जन्मदिन है हमरा कोनो इंतजाम करो यार “,शिवम् ने कहा
“इंतजाम तो बहुते बढ़िया है शाम को लेकिन अभी हम निकलते है”,मुरारी ने उठते हुए कहा
“अभी किधर ?”,शिवम् ने हैरानी से कहा !!
“देखो सबसे पहले तो जायेंगे रेलवे स्टेशन टिकट कन्फर्म करने , उसके बाद जायेंगे बाजार अपने लिए कपडे लेने , उसके बाद जायेंगे ब्यूटी पार्लर !!”,मुरारी ने पुरे दिन की लिस्ट बताते हुए कहा
“मुरारी हम वहा सारिका को लेने जा रहे है तुम्हारी शादी में नहीं !!”,शिवम् ने हसते हुए कहा
“अरे भैया वो का है तुमरी वाली तो फिक्स है अब तुमरी वाली के चक्कर में हमरे वाली मिल जाये तो बस पहले से तैयारी करके जा रहे है”,मुरारी ने कहा !!
“जरा ध्यान से मुंबई की लड़किया तीखी मिर्च की तरह होती है”,शिवम् ने कहा
“अरे भैया जब तक जिंदगी में कुछ तीखा ना हो तो जीने का क्या मजा ? हम निकलते है और हां शाम को मिलते है घाट पर आज की पार्टी उधर ही “, कहकर मुरारी वहा से चला गया
इंदौर , सुख विलास -:
अमित और उसके घरवाले जा चुके थे ! सारिका अभी भी खोयी हुई सी पीछे वाले बरामदे में खड़ी थी ! अमित का छूना उसे असहज कर गया ! सारिका वहा से निकलकर बाहर आई ! उसे देखकर अधिराज जी ने कहा,”सारिका !!
“जी !”,सारिका ने खोये हुए स्वर
“हम चाहते है आपकी और अमित की सगाई यहां इंदौर में हो ! आपको कोई ऐतराज तो नहीं है”,अधिराज जी ने सहजता से कहा
“जैसा आपको ठीक लगे , जब आना हो आप बता दीजियेगा हम आ जायेंगे”,सारिका ने नजरे झुकाकर कहा
“नहीं आपको नहीं आना बल्कि हम और अम्बिका जी मुंबई आएंगे आपको लेने “,अधिराज जी ने मुस्कुरा कर कहा !
सारिका ने सूना तो उसे विश्वास नहीं हुआ उसने अधिराज जी की तरफ नम आँखों से देखते हुए कहा,”क्या आप सच कह रहे है ?”
“हां सारिका , बहुत जल्द हम अम्बिका के साथ आपके शहर आएंगे , आपके अपने घर में ! फ़िलहाल तो दो दिन बाद अनामिका वहा आ रही है , उसने वहा के कॉलेज में अपना अड्मिशन करवाया है और साथ ही साथ वह फैशन डिजायनिंग का कोर्स भी करना चाहती है ! आपको कोई ऐतराज तो नहीं है ना ?”,अधिराज जी ने पूछा
“जी नहीं हमारे साथ साथ वो घर अनु का और आप दोनों का भी है आप जब चाहे आ सकते है”,सारिका ने कहा
“अमित के साथ आपका रिश्ता होने जा रहा है आप बहुत भाग्यशाली है , अमित बहुत अच्छा लड़का है आपको बहुत खुश रखेगा ! आप खुश है ना ?”,अधिराज जी ने सारिका की आँखों में देखते हुए कहा !
“आप और माँ खुश है ना पापा ?”,सारिका ने सामने से सवाल किया
“हां हम दोनों इस रिश्ते से बहुत खुश है”,अधिराज जी ने अम्बिका की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा
“हम भी खुश है पापा”,सारिका ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा पर दर्द आँखों में उतर आया , अपने रांझणा को तो वह खो ही चुकी थी पर अब अपने परिवार को खोना नहीं चाहती थी !!
सारिका की नम आँखे देखकर अम्बिका आगे बढ़ी और उसे गले लगा लिया , अम्बिका ने सारिका के माथे पर चूमते हुए कहा,”अपना ख्याल रखना बेटा इस घर के साथ साथ अब आप अमित की भी अमानत है !”
“हमने आपसे बहुत कड़वी बाते कही हो सके तो हमे माफ़ कर दीजियेगा !”,सारिका ने अम्बिका के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा !
अम्बिका ने सारिका के हाथो को थाम लिया और कहा,”ये क्या कर रही है आप ? हम माँ है और माँ कभी अपने बच्चो की बात का बुरा नहीं मानती है”
सारिका ने अधिराज जी और अम्बिका के पांव छुए और जैसे ही जाने लगी पीछे से अनु ने आवाज दी,”सारिका दी !!”
सारिका जैसे ही पलटी उसके चेहरे पर ख़ुशी आ गयी , टीशर्ट और केप्री पहने अनु ने अपने गोरे पांवो में सारिका की लायी पायल पहनी हुई थी ! सारिका ने देखा तो उसे बहुत ख़ुशी हुई अनु दौड़कर आई और सारिका के गले लगकर कहा,”सॉरी दी आपको परेशान करना था ना इसलिए थोड़ी नौटंकी की !! पर सच कहु तो आपका ये गिफ्ट मेरी जिंदगी सबसे खूबसूरत गिफ्ट है ,, थैंक्यू एंड लव यू सो मच !!”
जाने से पहले सारिका के मन की सारी परेशानिया दूर हो चुकी थी ! सारिका आकर गाड़ी में बैठी और वहा से निकल गयी ! सारिका ने आँखे मूंदकर सीट से लगा लिया अपने रांझणा से वह बहुत दूर जाती जा रही थी ! इंदौर से सारिका ने मुंबई के लिए फ्लाइट ली और कुछ वक्त बाद ही वह अपने शहर मुंबई में थी ! एयरपोर्ट से सारिका सीधे घर आ गयी गयी ! मीना को उसने छुट्टी दी हुई थी सारिका ने पर्स से चाबी निकाली और दरवाजा खोलकर अंदर आई !!
घडी दोपहर के 1 बजा रही थी सारिका ने कपडे बदले और अपने लिए बाहर से खाना आर्डर कर लेपटॉप पर मेल चेक करने लगी ! मुंबई वापस आने की खबर उसने अभी तक किसी को नहीं दी थी ! अगले दिन संडे था और सारिका का ऑफिस भी बंद था इसलिए सारिका ने दो दिन घर बैठकर ही सारा पेंडिंग काम निपाटने की सोची ! मेल्स चेक करते करते कुछ देर बाद खाना आ गया सारिका ने खाना खाया और एक बार फिर अपने काम में जुट गयी ! मुंबई आते ही सारिका का ऐटिटूड एकदम से चेंज हो जाता था !
इंदौर जाकर जहा वह परिवार के बिच रहकर कम बोलने वाली लड़की होती थी वही मुंबई आकर वह एक आत्मनिर्भर लड़की बन जाया करती थी साथ ही उसके रौब और बातो से भी उसका आत्मविश्वास झलकता था !! सारिका अपना काम करती रही कमरे में फैली ख़ामोशी को दूर करने के लिए उसने म्यूजिक चला लिया !!
गाना बजने लगा – आओगे जब तुम ओह साजना , अंगना फूल खिलेंगे ! बरसेगा सावन , बरसेगा सावन झूम झूम के दो दिल ऐसे मिलेंगे !”
सारिका ने जैसे ही सूना उसकी उंगलि या लेपटॉप के कीपैड पर ही रुक गयी ! सारिका की आँखों में एक बार फिर इंतजार उतर आया कभी ना ख़त्म होने वाला इंतजार सारिका ने लेपटॉप बंद किया और बिस्तर पर लेट गयी !!
बनारस के मणिकर्णिका घाट पर शिवम हाथ मे सारिका की डायरी लिए बैठा घाट के पानी को निहार रहा था l शाम का समय और घाट का शांत पानी शिवम की आंखों को ठंडक पहुंचा रहा l आज शिवम का मन शांत था , मुरारी ने उसे यही मिलने को कहा था लेकिन अभी तक वो आया क्यों नही ? पर शिवम को आज ये इंतजार भी अच्छा लग रहा था l सुबह उसने कॉलेज जाकर वहां से रिजाइन कर दिया , अपनी तरफ से सारी तैयारी कर ली थी
!! शिवम ने सोचा मुरारी नही आता तब तक सारिका की डायरी ही पढ़ लेता हूं ! सोचकर शिवम ने डायरी खोली पहले ही पन्ने पर सारिका की तस्वीर थी l सफेद रंग के सूट में कानो में सुनहरे झुमके शिवम ने देखा तो बस उसी में खोकर रह गया l शिवम के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान तैर गयी l जैसे ही उसने अगला पेज खोला किसी ने पीछे से उसकी डायरी छीन ली ! शिवम पलटा तो पीछे प्रताप अपने आदमियों के साथ खड़ा था l
“प्रताप वो डायरी वापस कर”,शिवम ने गुस्से से कहा
“अरे अरे इसे तो गुस्सा आ गया , देखो देखो कही गुस्से में ये किसी को मार ना दे”,प्रताप ने शिवम का मजाक उड़ाते हुए कहा तो बाकी सब हँसने लगे ! प्रताप शिवम के सामने आया और उसकी आखो में देखते हुए कहा,”तुझे क्या लगा तेरे कहने से पुलिस मुझे ले जाएगी , खूद को बहुत बड़ा डॉन समझता है तू हा”
“देख प्रताप मैं झगड़ा करना नही चाहता , वो डायरी मुझे लौटा दे वो हमारी मैडम जी कि डायरी है”,शिवम ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा
“मैडम जी , प्यार हाये सोचा नही था तेरी जिंदगी में भी ऐसा पल आएगा , जरा मैं भी तो देखु कैसी दिखती तेरी मैडम जी”,कहकर प्रताप ने डायरी खोली ओर सारिका की तस्वीर देखकर कहा,”हाये कितनी जहर दिखती है , जी करता है कच्चा चबा जाऊ इसे”
प्रताप अब बेशर्मी पर उतर आया था l शिवम को उसकी बात पर बहुत गुस्सा आया जैसे ही वह डायरी लेने के लिए आगे बढ़ा प्रताप के आदमियों ने उसे पकड़ लिया l
“देख क्या रहे हो मारो इसे”,प्रताप ने चिल्लाकर अपने आदमियों से कहा
प्रताप के आदमी शिवम को पीटने लगे l शिवम ने पीटते हुए कहा,”प्रताप वो डायरी मुझे लौटा दे वो मेरे लिए बहुत जरुरी है , मेरे तेरे आगे हाथ जोड़ता हु”
शिवम को गिड़गिड़ाते देखकर प्रताप हँसने लगा और डायरी को हवा में हिलाते हुये कहा ,”इतनी जरूरी है तो आजा लेले !”
प्रताप के आदमी शिवम को मारते रहे उसके मुंह ओर नाक से खून निकलने लगा फिर भी उसकी जुबान पर एक ही नाम था उस डायरी का l सीढियो से उतरते हुए पंडित जी ने जब शिवम को पीटते देखा तो वह दौड़कर आया उसने प्रताप से शिवम को छोड़ देने को कहा l लेकिन प्रताप ने अपनी बंदूक दिखाते हुए कहा,”ऐ पंडित ये हमरे ओर उसके बीच का मामला , बेहतर होगा चुपचाप निकल लो यहां से वरना तुमरी लाश भी इसी घाट में बहा देंगे , का समझे ? चलो निकलो यहां से !'”
मरता क्या ना करता बेचारा पंडित अपनी जान बचाने के लिए वहां से भाग गया l शिवम को तड़पता देखकर प्रताप को बहुत मजा आ रहा था l पर इतना काफी नही था वह शिवम को ओर तड़पते हुए देखना चाहता था l उसे कुछ समझ नही आ रहा था उसके आदमी शिवम को मारते मारते रुक गए शिवम भी निढाल होकर सीढियो पर गिर पड़ा l l
शिवम बार बार प्रताप से डायरी के लिए रिक्वेस्ट करता रहा अचानक से प्रताप के चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान आ गयी वह शिवम के पास आया ओर उसे डायरी दिखाकर कहा,”बहुत जरूरी है ना ये तेरे लिए अब देख इह के साथ का करते है हम”
शिवम ने प्रताप के सामने हाथ जोड़ दिए लेकिन प्रताप को उस पर दया नही आई l प्रताप ने डायरी का पहला पन्ना फाड़ा ओर घाट के पानी मे फेंक दिया शिवम ने देखा तो दर्द से तड़प उठा वह चीखा ओर जौसे ही उठकर प्रताप की ओर बढ़ने लगा प्रताप के आदमियो ने उसे फिर पकड़ लिया l प्रताप एक एक कार डायरी के पन्ने फाड़कर फेंकता रहा और शिवम झटपटाता रहा l उसकी आंखों में आंसू भर आये वह चीखता रहा प्रताप से विनती करता रहा पर प्रताप ने उसकी एक ना सुनी l
उसने एक एक करके डायरी के सारे पन्नो को हवा में उड़ा दिया आखरी पन्ना सारिका की तस्वीर वाला था उसे प्रताप ने अपने पांवों के नीचे डाला ओर सारिका की तस्वीर को अपने पांवों से नोंच दिया l शिवम के लिए वो पल मर जाने जैसा था उसे लगा जैसे किसी ने उसके वजूद पर पांव रखा है वह तड़प उठा l आखिर में प्रताप ने डायरी के कवर को भी फाड़कर घाट के पानी मे फेंक दिया l शिवम का दर्द उसके चेहरे से साफ झलक रहा था l
प्रताप के आदमियों में से एक ने शिवम को घुसा मारा तो वह नीचे जा गिरा सामने सारिका की तस्वीर पड़ी थी पर उसे उठाने की हिम्मत शिवम में नही थी l वह दर्द से टूट चुका था उसकी आँखों के आगे अंधेरा छाने लगा था l शिवम की इस हालत पर प्रताप हँसता हुआ तस्वीर पर पांव रखकर आगे बढ़ गया l प्रताप के साथ साथ उसके आदमी भी तस्वीर के ऊपर से गुजर कर चले गए l
ऊपर से आते हुए मुरारी की नजर जब घायल शिवम पर गयी तो वह दौड़ता हुया आया और शिवम को सम्हाला !
“ये क्या हो गया भैया ? किसने किया ?”,मुरारी शिवम का खून देखकर घबरा गया
शिवम ने अपनी आंखें खोली नजर सामने उड़ते डायरी के पन्नो पर गयी वह हिम्मत करके उठा और उन पन्नो को समेटने लगा l अधिकांश पन्ने घाट के पानी मे समा चुके थे बाकी सब शिवम समेटने में लगा था l उसकी चलने की हिम्मत नही थी फिर भी वह गिरता पड़ता उन्हें समेटने को कोशिश कर रहा था l मुरारी से देखा नहीं गया तो उसने तड़पकर कहा,”भैया इह का कर रहे हो ? ”
शिवम ने मुरारी की बात का जवाब नही दिया बस बदहवास सा उन पन्नो को समेटने के लिए इधर उधर भागता रहा कुछ दूर चलकर शिवम लड़खड़ा कर गिर पड़ा हाथ मे पकड़े वो कुछ पन्ने भी छूटकर घाट के पानी पर तैरने लगे और फिर उसी पानी मे समा गए l
घाट की उन सीढियो पर पड़ी सारिका की तस्वीर हवा से उड़ती हुई दूर जा गिरी l
शिवम की आंख से आंसू निकला और घाट के पानी मे समा गया l
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