Sanjana Kirodiwal

रांझणा – 20

Ranjhana – 20

Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

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Ranjhana – 20

कहते है दुनिया का सबसे खूबसूरत इंसान वो है जो हमेशा मुस्कुराता
रहता है और सबसे खुशनसीब वो जो किसी के मुस्कुराने की वजह बनता है l मुरारी भी
अपनी बातो से किसी रोते हुए को भी हंसा सकता था . उसकी बाते सुनकर सारिका और राधिका का भी वही हाल था ।
“हां हां हंस लो हम पर , साला हमरी तो किस्मत ही ख़राब है , पहली बार कोई लड़की खुद से चलके जिंदगी में आई और वो भी तीन बच्चो की माँ “,मुरारी ने मुंह बनाकर कहा


“सॉरी पर आप बात ही ऐसी करते है की हमारी हंसी निकल आती है , सच बता रहे है आज से पहले हम इतना कभी नहीं हँसे है ।”,सारिका ने मुरारी की तरफ देखते हुए कहा
“आप क्यों सॉरी बोल रही है ? जिसे सॉरी बोलना चाहिए उसने सॉरी कहा के नहीं आपसे ?”,मुरारी ने सारिका से कहा
“हम समझे नहीं”,सारिका ने असमझ की स्तिथि में कहा


“अरे हम भैया की बात कर रहे है , उन्होंने सॉरी कहा या नहीं आपसे ? और है कहा वो दिखाई है नहीं दे रहे ?”,मुरारी ने घर में नजर दौड़ाते हुए कहा
“भैया सो रहे है”,राधिका ने वहा से उठते हुए कहा और रसोई की तरफ बढ़ गयी
“ये कोई सोने का बख्त है , 9 बज रहे है । हम जाकर उठाते है”,मुरारी जैसे ही उठने लगा सारिका ने हाथ पकड़ कर रोकते हुए कहा,”रहने दीजिये , शायद रातभर सोये नहीं थे वो”


सारिका को शिवम् की परवाह करते देख मुरारी का दिल ख़ुशी से झूम उठा यही तो वह चाहता था । मुरारी जानता था शिवम् और सारिका दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए बहुत सारी फीलिंग्स है जिन्हे बाहर आने में थोड़ा समय लगेगा , मुरारी मंद मंद मुस्कुरा रहा था । उसे मुस्कुराता देखकर सारिका ने कहा,”क्या हुआ आपको आप इतना मुस्कुरा क्यों रहे है ?”
“फुर्सत में बताएँगे , अभी चलते है बहुते जरुरी काम है और हां कल आना ना भूलियेगा”,कहते हुए मुरारी बिना सारिका का जवाब सुने वहा से चला गया ।


आँगन में धुप आने लगी थी और बाल भी सुख चुके थे सारिका वहा से उठकर अंदर चली आई । कमरे में उसकी नजर दिवार पर लगे कैलेंडर पर गयी सारिका को याद आया मंदिर वाले पंडित जी ने चार दिन बाद फोन करने का नाम लिया था , आज तीसरा दिन था , आज और कल का दिन अभी बाकि था सारिका चाहती थी ये वक्त बस जल्दी से गुजर जाये ……. साथ ही ख़ुशी भी थी की इतने सालो का इंतजार अब ख़त्म होने वाला है ।

सारिका ने दो दिन बाद की तारीख पर गोला लगा दिया । सारिका आकर शीशे के सामने खड़ी हो गयी उसने बाल बनाने के लिए कंघा उठाया लेकिन सीधे हाथ में चोट लगी होने के कारण बाल बनाने में दिक्कत आ रही थी सारिका ने कोशिश की लेकिन नहीं बना पाई । झुंझलाकर कंघा उसने वापस रखा और उदासी से शीशे में देखने लगी । दरवाजे पर खड़ा शिवम् ख़ामोशी से सब देख रहा था ।

वह आई के पास आया और उन्हें सारिका के बाल बनाने को कहा । आई ने जानबूझकर अनसुना कर दिया और अपने काम में लगी रही । शिवम् ने राधिका को ढूंढा पर वो तो कॉलेज जा चुकी थी । शिवम् ने एक बार फिर आई से कहा तो उन्होंने कहा,”तू खुद क्यों नहीं बना देता ?” कहकर वो फिर से अपने काम में लग गयी वो चाहती थी शिवम् और सारिका दोनों एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताये


शिवम् वापस सारिका के कमरे की तरफ चला आया लेकिन अंदर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी जब भी सारिका को देखता उसे अपना व्यवहार याद आ जाता । खैर महादेव का नाम लेकर शिवम् अंदर गया उसने ड्रेसिंग पर रखा कंघा उठाया और कहा,”आपके हाथ में दर्द हो रहा होगा हम बना देते है”
सारिका शिवम् को वहा पाकर चौंक गयी पर अगले ही पल उसका चेहरा गुस्से से भर गया उसने मुंह घुमा लिया वो सही भी थी इतना हक़ तो शिवम् से उसे मिल चुका था की वह उस से नाराजगी जाता सके ।

शिवम् आकर सारिका के पीछे खड़ा हो गया और उसके बाल बनाने लगा , आज से पहले उसने शायद ही ऐसा किया हो हां कभी कभी राधिका के सर में चम्पी जरूर कर दिया करता था जब वह छोटी थी पर आज इस तरह किसी के बाल बनाना वो भी उस लड़की के जिससे से शिवम् हमेशा दूर भागने की कोशिश करता है , वाकई मुश्किल था ।
शिवम् ने कंघा साइड में रखा और सारिका के बालो को हाथो में लेकर चोटी बनाने लगा ।

शिवम् की उंगलिया जब सारिका की पीठ की छू गयी तो एक सिहरन सी उसने अपने जिस्म में महसूस की , धड़कने सामान्य से तेज , पर अहसास गुदगुदाने वाला था । अजनबी होकर भी सारिका को वो अहसास अपना सा लगा । वह सामने शीशे में देखने लगी जहा उसे शिवम् का मासूम सा चेहरा नजर आ रहा था सारिका देखते हुए सोचने लगी,”कोई अंधा ही होगा जो इन्हे गुंडा कहेगा , कितनी मासूमियत है इनके चेहरे पर । इनका मन भी कितना साफ है जो इनको आँखों में साफ दिखाई देता है ……………………

ये तू क्या सोच रही है सारिका , भूल गयी कल रात इन्होने क्या किया था , कितना जोर से चिल्लाये थे तुम पर और तो और एक बार भी इन्होने तुमसे तुम्हारी तबियत के बारे में नहीं पूछा और तुम हो की इनका मासूम चेहरा देखकर फिसल रही हो । कितने अकड़ू है ये अभी तक सॉरी भी नहीं कहा तुमसे ………. हुंह !! “
सारिका ने सोचते हुए जैसे ही सामने देखा शिवम् की नजरे उस से टकरा गया ! कुछ देर के लिए दोनों शीशे के जरिये एक दूसरे की आँखों में देखते रहे और फिर शिवम् ने अपनी नजरे वहा से हटा ली और साइड में देखने लगा

! चोटी बनाते समय शिवम् के हाथ काँप रहे थे सारिका समझ गयी इसलिए शिवम् को ज्यादा परेशान ना करने के लिए उसने कहा,”इतना ठीक है !’
शिवम् ने बालो में रबर डाला और साइड में खड़ा हो गया !
“थैंक्यू !!”,सारिका ने वहा से उठकर शिवम् के सामने आते हुए कहा
शिवम् ने जवाब में कुछ नहीं कहा बल्कि वह तो मन ही मन ये सोचकर परेशान था की आखिर सारिका को सॉरी कैसे बोले ? उसमे इतनी हिम्मत नहीं थी की वह सीधा सीधा सारिका से माफ़ी मांग ले !


“अब आप कैसी है ?”,शिवम् ने मुश्किल से कहा
“हम जैसे भी है ठीक है”,सारिका ने थोड़ा गुस्से से कहा
“सारिका जी वो हम,……………………….!”,शिवम् बस इतना ही कह पाया की सारिका बिच में ही बोल पड़ी,”हां जानते है क्या कहेंगे आप ? यही ना की हमे अकेले नहीं रहना चाहिए , जहा जाये आपको साथ लेकर जाये , वगैरह वगैरह ,, पर हम कह देते है कल हमने आपकी बात सुन ली लेकिन अब नहीं सुनेंगे , हम बता रहे है हम बहुत नाराज है आपसे”,कहकर सारिका बिना शिवम की बात सुने ही वहा से चली गयी


शिवम् बस आँखे फाडे उसे जाते हुए देखता रहा और खुद से कहा,”ये खामोश ही अच्छी थी बोलती है ऐसा लगता है जैसे अभी लड़ पड़ेगी”
शिवम् वहा से बाहर आ गया और नहाने चला गया सारिका किचन में आई के पास आकर उन्हें खाना बनाते हुए देखने लगी ! सारिका को वहा देखकर आई ने कहा,”अरे तुम यहाँ काहे चली आई ? कछु चाहिए था तो हमको आवाज लगाय देती , हम आ जाते”


“नहीं माँ हम बस देखना चाहते है आप क्या बना रही है ?”,सारिका ने प्यार से कहा
“हम कद्दू का साग बना रहे है , शिवम् के बाबा को बड़ा पसंद है”,आई ने चहकते हुए कहा
“कद्दू वो क्या होता है ?”,सारिका ने हैरानी से कहा
“कद्दू , कद्दू नाय पहचानती , अरे उ होता है ना गोल गोल बड़ा सा पिले रंग का , जिसमे बड़े बड़े बीज होते है !! अरे वो होता है ना जिसका स्वाद थोड़ा मीठा मीठा सा होता है”,आई ने सारिका को समझाते हुए कहा पर सारिका के कुछ समझ नहीं आया वह बस आई का मुंह ताकती रही


“अच्छा हम बताते है वो जे आकर का होता है”,आई ने सारिका को हाथ से आकर बनाकर बताया लेकिन सारिका फिर भी नहीं समझी तो आई उठी और स्टोर से बड़ा सा कद्दू उठा ले आई और कहा,”देखो यह होता है कद्दू !!
“ये तो पम्पकिन है”,सारिका ने देखते ही पहचान लिया
“का पंप का बोली तुम ?”,आई ने हैरानी से कहा


“अरे माँ आप इसे कद्दू कहती है और ये कद्दू ही है बस अंग्रेजी भाषा में इसे पम्पकिन कहा जाता है”,सारिका ने प्यार से आई को समझाते हुए कहा
“जो भी हो तुमको खाना है या कछु और बनाये तुमरे लिए ?”,आई ने गैस पर कड़ाही रखते हुए कहा
“आप जो भी खिलाएंगी हम खा लेंगे”,सारिका ने कहा
आई मुस्कुरा दी और खाना बनाने लगी ! राधिका तो थी नहीं इसलिए सारिका आई के साथ साथ घूमने लगी !

आई किचन से बाहर आई और बरामदे से हल्दी की थाली उठाकर जैसे ही जाने लगी सारिका ने थाली लेते हुए कहा,”आप अकेले इतना सब क्यों कर रही है , हमे दीजिये हम करते है न “
“अरे नहीं तुम जाके आराम करो हम कर लेंगे”,आई ने वापस लेते हुए कहा लेकिन सारिका ने नहीं छोड़ा ! दोनों एक दूसरे से थाली लेने की कोशिश करने लगी और इसी खिंचा तानी में थाली सारिका के हाथ आ गयी वो उसे सम्हाल पाती इस से पहले ही थाली में रखी सारी हल्दी पीछे खड़े शिवम् पर जा गिरी ! शिवम् अभी अभी नहाकर आया था और आज उसने अपनी पसंदीदा शर्ट पहनी थी – सफ़ेद !


लेकिन वो अब सफ़ेद से पिली हो चुकी थी सारिका ने देखा तो तेजी से वापस घूम गयी उसने अपनी आँखे मींच ली और निचले होंठ को दांतो तले दबा लिया ! आई वहा से चली गयी शिवम् ने कुछ नहीं उसने हाथ से शर्ट पर लगी हल्दी झटकी और वहा से वापस अपने कमरे की और चला गया ! कुछ देर बाद जब सारिका ने अपनी आँखे खोली तो शिवम् वहा नहीं था ! सारिका किचन में आई के पास आई तो उसके बोलने से पहले ही आई बोल पड़ी,” वो कमीज उसकी पसंदीदा कमीज थी ,

हम में से तो किसी को हाथ भी नहीं लगाने देता वो , पर तुमने तो ……….. खैर कोई बात नहीं ! सुबह सुबह उसे एक कप चाय पिने की आदत है शायद उसके लिए ही आया था”
“हम बना देते है”,सारिका ने आगे बढ़कर आई के हाथ से पतीला लेते हुए कहा
“तुमको आती है ?”,आई ने पूछा


“ह्म्म्मम्म बना लेंगे “,सारिका ने सोचते हुए कहा जबकि आज से पहले उसने कभी चाय बनाना तो दूर पानी तक नहीं उबाला था , लेकिन कई बार उसने मीना (मुंबई वाले घर की कामवाली ) को बनाते देखा था !! सारिका ने पतीला गैस पर रखा , गैस ऑन किया और पतीले में दूध और पानी डाला , चायपत्ती डाली , इलायची पाउडर , अदरक डालकर सारिका ने उसे खूब अच्छे से बनाया लेकिन कप में छानते नहीं बना तो आई ने उसे दो कप में छानकर एक सारिका को देकर कहा,”जाओ देकर आओ “


“हम ?”,सारिका ने हैरानी से कहा
“हां तुम ही जाओगी हम गए तो वो सूना देगा हमे पर तुमरे सामने तो उसकी आवाज ही ना निकलेगी , तुम ही जाओ”,आई ने सारिका को बाहर का रास्ता दिखाते हुए कहा
सारिका ने कुछ देर पहले जो किया उसके बाद शिवम् के सामने जाना ‘आ बैल मुझे मार’ जैसा था लेकिन क्या करती जाना पड़ा आई की बात को कैसे टाल सकती थी

शिवम् अपने कमरे में आया उसने शर्ट निकाल कर कुर्सी पर डाल दी ! शिवम् दरवाजे की और पीठ किये खड़ा था ! सारिका चाय लेकर जैसे ही कमरे में आयी उसके कदम दरवाजे पर ही रुक गए सारिका की नजर शिवम् की पीठ पर लगे घाव पर गयी ! सारिका का मन घबरा गया वह अंदर आयी उसने चाय का कप टेबल पर रखा और जैसे ही शिवम के पास गयी शिवम् पलट गया !


“आपकी पीठ पर तो चोट लगी है”,सारिका ने घबराते हुए कहा
“मामूली सा घाव है ठीक हो जाएगा”,शिवम् ने धीरे से कहा
“ऐसी कैसे ठीक हो जाएगा ? दिखाईये हम देखते है”,कहकर सारिका ने देखना चाहा तो शिवम् पीछे हट गया उसे सारिका का सामने इस तरह बहुत शर्म महसूस हो रही थी लेकिन सारिका का ध्यान इस वक्त शिवम् पर नहीं बल्कि उसके जख्म पर थी ! पीछे जाते जाते शिवम् दिवार से जा लगा , सारिका उसके बिल्कुल सामने थी अब तो वह कही जा भी नहीं सकता था !


“आप ऐसे बच्चो की तरह क्यों कर रहे है ? हमने देखा घाव बहुत गहरा है , हम दवा लगा देते है”,सारिका ने बेचैनी से कहा
“आप जाईये हम लगा लेंगे”,शिवम् ने मुश्किल से कहा क्योकि सारिका पहली बार उसके सामने थी और इतना करीब थी ! बार बार उसकी नजर सारिका की उन दो आँखों पर चली जाती और आज शिवम् किसी भी हालत में इन आँखों में डूबना नहीं चाहता था !


“आप खुद को समझते क्या है ? हमेशा क्या आपकी मर्जी चलेगी ? कितने जिद्दी है आप किसी की सुनते क्यों नहीं है ? अब चुप करके वहा चलकर बैठिये वरना हम आई को आवाज लगाते है ………………आई !!”,सारिका ने जैसे ही चिल्लाना चाहा शिवम् ने उसे अपनी तरफ खींचकर उसका मुंह बंद कर पीठ दिवार से लगाते हुए कहा,”आप खामखा खुद भी परेशान हो रही है और उन्हें भी कर रही है ! अगर उन्होंने देखा तो सारा घर सर पर उठा लेंगी वो”,शिवम् ने धीरे से सारिका के चेहरे से हाथ हटा लिया !!


सारिका ने गुस्से से शिवम् को देखा और कहा,”दर्द में रहने का शौक है ना आपको अच्छी बात है रहिये
सारिका ने शिवम् को साइड किया और वहा से चली गयी ! एक बार फिर शिवम् ने उसे गुस्सा दिला दिया शिवम् ने कबर्ड से शर्ट निकाला और पहनते हुए सामने शीशे में देखकर सोचने लगा,”हमे दर्द की आदत है सारिका जी पर हम नहीं चाहते जिस दर्द से हम गुजर रहे है उस से आप गुजरे , ये नजदीकियां बहुत खतरनाक होती है एक बार जो इनकी आदत हो जाये तो फिर दूर जाना आसान नहीं होता”


शर्ट पहनकर शिवम् ने टेबल पर रखा चाय का कप उठाया और एक घूंट पीया ! एक मुस्कराहट उसके होंठो पर आ गयी और वह मन ही मन सोचने लगा,”जरूर आज की चाय सारिका जी ने ही बनाई है”

शिवम् के कमरे से बाहर निकलकर सारिका बड़बड़ाती हुई बरामदे में चली जा रही थी,”समझते क्या है खुद को ? जब देखो तब रुड बनाते रहते है ! दवा लगा देते तो जख्म ठीक हो जाता लेकिन नहीं उनको तो अपनी मनमर्जी करनी है करो फिर………………हम कौन होते है उनको रोकने वाले ? वो हम पर हक़ जता सकते है , हम पर गुस्सा कर सकते है , चिल्ला सकते है………………

लेकिन हम हम उन पर कोई हक़ नहीं जता सकते ,, और हक़ कहा जमाया हमने बस दवा लगाने को कहा था ! उन्हें जब खुद के दर्द का अहसास नहीं तो किसी और की तकलीफो का क्या अहसास होगा !! आज के बाद हम नहीं जायेंगे उनके सामने जैसे तैसे बस ये दो दिन निकल जाये उसके बाद चले जायेगे अपने रांझणा के साथ हमेशा हमेशा के लिए , और लौटकर कभी नहीं आएंगे इस बनारस में !!”


सारिका क्या क्या बोल गयी उसे खुद भी नहीं पता था ! बड़बड़ाते हुए वह किचन में आई और सामने पड़ा चाय का कप उठा कर जैसे ही पीया वापस रखते हुए आई से कहा,”इसमें तो चीनी ही नहीं है , ये तो बिल्कुल फीकी है”
सारिका की बात पर आई हसने लगी और कहा,”ये तो हमको तबसे ही पता है जबसे तुम चाय बना रही थी , देख रहे थे बनानी आती है या नहीं !”


आई को हँसता देखकर सारिका ने झेंपते हुए कहा,”क्या माँ आप भी हमारा मजाक बना रही है”
“अरे मजाक कर रहे है , लाओ चीनी मिला देते है इसमें”,आई ने सारिका के हाथ से कप लेकर उसमे चीनी डालते हुए कहा
“ये चाय फीकी है मतलब शिवम् जी को भी हम फीकी चाय देकर आये है”,सारिका ने सोचते हुए कहा
“हां , अब ये लो चीनी की कटोरी और उसकी चाय में भी चीनी मिलकर आओ”,आई ने कटोरी में चीनी डालकर सारिका को देते हुए कहा !

सारिका ने चीनी की कटोरी उठायी ओर एक बार फिर शिवम के कमरे की ओर बढ गयीं l सारिका ने कुछ देर पहले ही शिवम से बात ना करने और उसके सामने ना जाने का फैसला किया था और महादेव फिर से उसे उसके सामने ले आये l सारिका अंदर आयी और कहां,”वो हम चाय में चीनी डालना भूल गए थे”
शिवम सारिका के पास आया खाली कप सारिका की तरफ बढा दिया ! सारिका ने खाली कप देखकर मासूमियत से कहा,”आपने फीकी चाय पी ली”


शिवम बिना कुछ कहे जाने लगा और फिर अचानक से अपने होंठो को सारिका के कान के पास लाकर कहा,”आपकी बातें इतनी मीठी थी कि हम फीकी चाय भी पी गए”
सारिका ने अपनीं आंखे बंद कर ली शिवम की गर्म सांसे उसे अपनी गर्दन पर महसूस हो रही थी l शिवम वहां से कब गया सारिका को ध्यान ही नही रहा l सारिका एक बहुत खूबसूरत अहसास से गुजर रही थी l उसके होंठो पर एक मुस्कान फैल गयी वह आई के पास आई उसने कप रखा और फिर उस कमरे में आ गयी जिसमे वह ठहरी थी l

बेग से लेपटॉप निकाला और अपने आफिस का काम करने लगीं l दोपहर का खाना आज उसने आई बाबा के साथ खाया उसे यहा आकर बहुत अच्छा लग रहा था l सारिका एक पल के लिए अपनी असली जिंदगी भूल गयी थी l बनारस आकर ही उसे खुशियों का सही मतलब समझ आ रहा था l शहर में लाइफ जितनी बिजी थी बनारस आकर सारिका के पास उतना ही वक्त था l

शाम को सारिका राधिका ओर आई के साथ विश्वनाथ मंदिर भी गयी l उसे वहां जाकर बहुत सुकून मिला l राधिका ओर सारिका की भी अच्छी बनने लगी थी l

शाम को शिवम घर आया l हल्का अंधेरा हो चुका था आई बरामदे में बैठकर सब्जियां काट रही थी , राधिका पास ही बैठकर पढ़ाई कर रही थी l शिवम ने पूरे घर मे नजर दौड़ाई पर सारिका कही नजर नही आई उसने राधिका के पास आकर पूछा,”राधिका सारिका कहा है ?
“सारिका दी तो मणिकर्णिका घाट गयी है”,राधिका ने बिना शिवम की ओर देखे कहा


“क्या ? पर उसे बाहर क्यो जाने दिया ? उसे अकेले नही जाने देना था l कल ही तो कितनी बड़ी मुसीबत से निकली थी वो ओर …………….. ओर आई तूने भी उसे जाने दिया l”,शिवम ने परेशान होते हुए कहा
“तू इतना परेशान काहे हो रहा है ? तू तो ऐसे कर रहा जैसे कोई उसे किडनैप कर लेगा , अरे बच्ची थोड़े है वो”,आई ने कहा
“आई अब तुझे कैसे बताऊ कल क्या क्या हुआ ?”,शिवम ने मन ही मन कहा


शिवम का उतरा हुआ चेहरा देखकर आई ने कहा,”परेशान ना हो , मुरारी आया था उसके साथ गयी है l उस पर तो भरोसा है न तुझे”
मुरारी का नाम सुनकर शिवम की जान में जान आई ओर उसने कहा,”पर मुरारी तो जश्न की तैयारियों में बिजी था ना , वो कैसे आ गया ?


“भैया , मुरारी भैया तो यहां बाबा से मिलने आये थे पर जब सारिका दी को उदास देखा तो अपने साथ ले गए”,राधिका ने कहा l
“तू चाहे तो तू भी चला जा”,आई ने शिवम की ओर देखते हुए कहा
“हम उन दोनों को लेकर आते है”,कहकर शिवम वहां से निकल गया l

“देखा आई कैसे उनको यहाँ ना देखकर बैचैन हो गए शिवम भैया”,राधिका ने कहा
“हा ओर ये बैचैनी धीरे धीरे प्यार में बदल ही जाएगी और फिर हमारे शिवम का घर भी बस जाएगा”,आई ने खुशी से भरकर कहा
“पर आई हमको एक बात समझ नही आई तुमने सारिका जी को भैया की मेडम जी के बारे में काहे नही बताने दिया”,राधिका ने असमझ को स्तिथि में कहा l


“तुम ना निपट मूर्ख हो , अगर सारिका को मेडम जी के बारे में बताय दिये तो उ शिवम से काहे प्यार करेगी”,आई ने कहा
“ह्म्म्म अब संमझ आया , पर जो भी हो सारिका जी सच मे बहुत अच्छी है l हमे तो हमारी भाभी के रुप में वो ही चाहिए”,राधिका ने चहकते हुए कहा


“हम भी यही चाहते है राधिका बस शिवम मान जाए”,आई के चेहरे पर चिंता के भाव आ गए और फिर वह उठकर किचन की ओर चली गयी

मणिकर्णिका घाट

मुरारी ओर सारिका कुछ दूरी बनाए सीढ़ी पर बैठकर घाट कि सुंदरता का नजारा देख रहे थे l
“सारिका जी एक्को बात पुछे ?”,मुरारी ने कहा
सारिका – पूछिये
मुरारी – भैया तुमको सॉरी बोले कि नाहि


सारिका – सोररी आपको लगता है वो ऐसा कुछ करेंगे , अरे एक नम्बर के अकड़ू है वो l किसी की बात नही मानते बस जब देखो तब अपनी मर्जी चलाते है l किसी की नही सुनते l हमे हमे बात ही नही करनी उनसे” (गुस्सा हो जाती है शिवम का नाम सुनते ही)

“ओर अगर हम कहे हम आपकी हर बात मानेंगे तब भी आप हमसे बात नही करेंगी”,पीछे खड़ा शिवम कहता है
सारिका ओर मुरारी चोंककर पीछे देखते है पीछे शिवम खड़ा था l उसे देखते ही सारिका ने उठते हुए मुरारी से कहा,”चलिए घर चलते है”


कहकर सारिका सीढियां चढ़कर जाने लगी तो शिवम ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया और कहा,”कहते है महादेव के घाट पर कभी झूठ नही कहा जाता l हम आपसे यहां मांगने आये है सारिका जी”,शिवम ने आवाज धीमी करके कहा
सारिका को मन ही मन खुशी हुई लेकिन अभी भी वह शिवम से गुस्सा थी इसलिए शिवम की ओर पलटकर कहा,”हम आपको माफ नही करेंगे”


“आप जो सजा देंगी मंजूर है”,शिवम ने नजर निची करके कहा
“हम जो कहेंगे मानना पड़ेगा”,सारिका ने कुछ सोचकर कहा
“मंजूर है”,शिवम ने बिना आगे सुने कहा ।
“अरे वाह हमारे कहने से पहले ही आपने हाँ कह दी”,सारिका ने हैरानी से कहा ।
“आप कुछ गलत नही कहेगी जानते है”,शिवम ने कहा l

बेचारा मुरारी कभी सारिका को देखता तो कभी शिवम को और फिर खुद से कहा,”क्यों कबाब में हड्डी बन रहा है मुरारी ? मामला सेट हो रहा है होने दे”

मुरारी उन दोनों को वही छोड़कर चला गया l

“आपका हाथ कैसा है अब ?”,शिवम ने एक बार फिर बातचीत शुरू करते हुए कहा
“अब ठीक है”,सारिका ने कहा
“हमे उस रात आप पर चिल्लाना नही चाहिए था , उस रात के बाद से हम ठीक से सो भी नही पाये हर वक्त मन मे बस एक ही ख्याल आता रहा कि जाकर आपसे माफी मांग ले”,शिवम ने उदास होकर कहा
“माफी मत मांगिये उस बात को तो हम कबका भूल चुके”,सारिका ने मुस्कुराकर कहा


“पर अभी तो आप नाराज थी”शिवम ने हैरानी से कहा
“वो तो हम किसी ओर बात पर थे”,सारिका ने पलके झपकते हुए कहा
शिवम उसकी आखो में देखने लगा और फिर कहा,”कभी कभी आपको समझना बहुत मुश्किल हो जाता है”
“संगत का असर है”,सारिका ने मुस्कुराते हुए कहा

दोनो ही इस बात पर हँसने लगे l

“वहां निचे चले पानी के पास , हमारा बहुत मन है “,सारिका ने आसभरी नजरो से शिवम की ओर देखते हुए कहा
सारिका ने इतने प्यार से कहा कि शिवम ना नही कह पाया l दोनो नीचे पानी के पास आकर खड़े हो गए सारिका पानी से अटखेलिया करने लगी कि उसका पैर फिसला जैसे ही गिरने वाली थी शिवम ने हाथ थामते हुए कहा,”ध्यान से पानी गहरा है !!


सारिका पैरों को पानी मे डुबोकर वही सीढियो पर बैठ गयी l शिवम भी पास आकर बैठ गया l आज दूरियां कुछ कम थी l सारिका चमकती आँखों से पानी को निहारने लगी l शिवम एकटक सारिका के चेहरे को देखने लगा और खुद से कहा,”आज से पहले किसी से नही कहा पर पता नही क्यो आपको देखकर दिल किया आपके वो सब कह दु जो सालो से अपने अंदर छुपा कर रखा l मेरा अतीत जानने के बाद आपकी प्रतिक्रिया जो भी हो मेरे दिल मे एक सुकून रहेगा कि मैंने आपसे कुछ छुपाया नही है”

शिवम को अपनी ओर देखता पाकर सारिका ने कहा,”क्या हुआ कहा खो गए आप ?”

“सारिका जी हम आपको कुछ बताना चाहते है , अपने बारे में अपनी बीती जिंदगी के बारे में “,शिवम ने थोड़ी हिम्मत करके कहा ।
“हमे किसी का अतीत जानना अच्छा नही लगता पर आप बताएंगे तो हम मना नही करेंगे”,सारिका ने प्यार से कहा l
शिवम ने एक गहरी सांस ली और घाट के पानी को देखते हुए कहने लगा,”सारिका जी 6 साल पहले हम बनारस के एक गुंडे थे l जानते है खुद के लिए ये शब्द कहना थोड़ा अजीब है पर यही सच है l पूरा दिन गुंडागर्दी , मारामारी , शराब , सिगरेट , बनारस की गलियां बस यही दुनिया थी हमारी l

रात किसी घाट पर गुजरती ओर सुबह किसी ओर घाट पर l बच्चे से लेकर बड़े तक सब हमारे नाम से डरते थे l कोई दया नही कोई रहम नही l खुद के अलावा सिर्फ एक इंसान से प्यार था जो हमारी जिंदगी में आई और फिर न जाने कहा गुम हो गयी l

प्रताप से हमारा झगड़ा उसी वक्त से था l आई बाबा से कभी बात नही होती थी हमारी l हमारे गुस्सेल रवैये से हर कोई परेशान था l कोई हमारे आस पास भी नही भटकता था l सिर्फ एक दोस्त था मुरारी ! बचपन से लेकर आजतक इसने हमेशा हमारा साथ दिया l अच्छे बुरे काम मे , जब जब हमने खुद को अकेला महसूस किया तब तब मुरारी अपना कंधा लेकर हमारे लिए हाजिर था l पूरा बनारस उस वक्त हमारे नाम से जाना जाता था पर आई बाबा हमसे बहुत नाराज थे l

उन्होंने हमसे ये सब छोड़ने को कहा लेकिन नही छोड़ पाए ऐसे दलदल में उतर चुके थे कि बाहर निकलना मुश्किल था l बहुत कोशिश की के छोड़ दु सब लेकिन नही l आई को सब पता था पर बाबा को नही मालूम था और फिर एक दिन ऐसा आया जब सबकुछ बदल गया प्रताप से हुई किसी झड़प में बात इतनी आगे बढ गयी के मारपीट होने लगी l ना जाने बाबा वहां पर कहा से आये और मेरे हाथ मे बंदूक देखकर सहम गए l

मारपीट के वक्त मुझसे गोली चली और जाकर बाबा के हाथ पर लगी l मैने अपने ही बाबा पर गोली चला दी l वो पल मेरे लिए मर जाने जैसा था l जब मैंने उन्हें सम्हाला तो उन्होंने मुझे दूर धकेल दिया और कहा कि फैसला कर ले तुझे तेरे बाबा चाहिए या ये दुनिया l


हम फैसला नही कर पाए और बाबा हमसे दूर होते गए एक ही छत के निचे हम अजनबियों की तरह जीने लगे l आई से कभी कभी बात हो भी जाती थी लेकिन बाबा हमे देखते ही मुंह फेर लेते l

एक रात जब हमने बाबा को आई से कहते सुना कि वो मरने से पहले एक बार हमें अच्छे इंसान के रूप में देखना चाहते है” .
उस रात हमने पहली बार उनकी आंखों में आंसू देखे थे l अपने कमरे में आकर पहली बार हम बहुत रोये l ओर सुबह जाकर हमने एक फैसला किया l खुदको बदलने का पर ये शायद इतना आसान नही था l वक्त लगा पर धीरे धीरे बदलने लगे थे l ओर फिर हमारी जिंदगी में वो आई”

शिवम के इतना कहते ही सारिका थोडा सा उसकी तरफ खिसकी कर अपना सर शिवम के कंधे पर टिका दिया l अधखुली आंखो से वह घाट के पानी को देखने लगी l शिवम ने आगे कहा,”वो हमारी जिंदगी में किसी फरिस्ते की ही तरह आई l उनकी लिखी नज्में पढ़कर हमे एक बार फिर मोहब्बत होने लगी थी l बनारस शायद पहले कभी इतना खूबसूरत नही था जितना उनकी नज्मो में नजर आता था l

उनकी नज्मो से एक बार फिर हमारा वो प्यार जिंदा हो गया जो दिल के किसी कोने में कैद था l वो बहुत छोटी थी जब हम उनसे पहली बार मीले थे l यही बनारस के घाट पर उन्हें डूबने से बचाया था l पहले वो हमारी दोस्त बनी और फिर ……….कब वो दोस्ती प्यार में बदली पता नही चला l जाते जाते वो हमसे वादा कर गयी कि वापस आएगी l हम कभी उसे भूले नही थे बस इंतजार किया उनके लौट आने का l l

पहले सोचते थे वो घाट वाली लड़की ओर मैडम जी दोनो अलग अलग है पर जब आगरा गए तब पता चला हमारी घाट वाली लडक़ी कोई और नही बल्कि हमारी मैडमजी ही है l हम इतना खुश पहले कभी नही हुए थे l महादेव भी कितने खेल खेलते है ना आगरा जाकर उनके इतना करीब होकर भी हम उन्हें देख नही पाए , उनसे बात नही कर पाए उन्हें बता नही पाए कि बनारस के घाट पर आज भी कोई उनका इंतजार करता है”

कहते कहते शिवम का गला रुंध गया l

घाट का पानी शान्त था ओर शिवम का मन भी

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संजना किरोड़ीवाल

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