Ranjhana – 10
Ranjhana By Sanjana Kirodiwal
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Ranjhana – 10
सारिका के जाने के बाद आई , राधिका और मुरारी ने शिवम् को घेर लिया l बेचारा शिवम् क्या कहता उसके मुंह से तो को शब्द ही नहीं निकल रहा था l ऐसा पहली बार हुआ जब किसी लड़की के लिए उसने इतनी परवाह दिखाई थी l शिवम् ख़ामोशी से वही खड़ा सारिका की जूठी जलेबिया खा रहा था और बाकि सब उसे घूरने में लगे थे l अभी बाबा वहा आ पहुंचे और कहा,”सबने यहाँ भीड़ क्यों लगा रखी है ? शिवम् कोई बात हुई क्या ?”
बाबा को वहा देखते ही शिवम् की जान में जान आई , उसने मन ही मन भोलेनाथ को शुक्रिया कहा l वह तुरंत उन तीनो के बिच से निकल कर आया और कहा,”कुछ नहीं बाबा ये सब बस ऐसे ही , आप इतनी जल्दी आ गए ?
“हां वो त्रिपाठी से मिलने गए थे , मिलना नहीं हो पाया l उनके घर में कोई प्रोग्राम था बस उसी के आर्डर के लिए”,बाबा ने पसीना पोछते हुए कहा l
“तो मिल गया आर्डर ?”,शिवम् ने पानी का ग्लास बाबा की और बढाकर कहा l
“हां परसो शाम को 4000 लड्डू पहुंचाने है उनके घर”,बाबा ने परेशानी के भाव लाते हुए कहा
“ये तो अच्छा है ना बाबा बना लेंगे”,शिवम् ने कहा
“हां पर इतना सारा आर्डर”,बाबा ने कहा
“चिंता काहे कर रहे है , हम सब है ना समय से पहुंचा देंगे”,शिवम् ने उन्हें आश्वत करते हुए कहा
“कावेरी तुम यहाँ का कर रही हो ? जाओ अंदर जाकर खाना लगाओ हम अभी आते है”,कहते हुए बाबा काउंटर की और बढ़ गए l शिवम् के पास वहां से भागने का अच्छा मौका था वह जैसे ही निकलने को हुआ बाबा ने कहा,”शिवम ये कुछ पैसे मेरे खाते में डलवा देना”
शिवम् ने उनसे पैसे लिए और वहा से निकल गया l मुरारी भी सबसे आँख बचाकर वहा से निकल l आई भी राधिका को लेकर वहा से चली गयी l कुछ देर बाब बाबा खाना खाने अंदर आये l आई ने उनके लिए खाना लगा दिया l हाथ मुंह धोकर बाबा खान खाने बैठे जैसे ही उन्होंने एक निवाला मुंह में रखा आई ने कहा,”ये हमारा बेटा जबसे बाहर होकर आया है बदल सा गया है
बाबा – क्या कह रही हो कावेरी ? मैं कुछ समझा नहीं
आई – अरे पहले ये पुरे पुरे दिन घर से बाहर रहता था आज दुकान पर मन लगाकर काम कर रहा था (आँखे फैलाकर)
बाबा – हां तो काम करना तो अच्छी बात है ना
आई – आपको तो कुछ समझ नहीं आता , जाईये मुझे नहीं बताना
बाबा – अच्छा बताओ क्या बता है ?
आई – आज हमारे दुकान में एक लड़की आई थी , बहुत सुंदर थी लगता है अपने यहाँ की नहीं थी l हमारे बेटे से हंस हंस के बाते भी कर रही थी l
बाबा – हां तो क्या हुआ ? उसके कॉलेज की कोई स्टूडेंट होगी , आ गयी होगी दुकान पर तुम भी ना
आई – हां लेकिन आज जो शिवम् ने किया वो आज से पहले कभी नहीं किया था
बाबा – क्या किया उसने ऐसा ?
आई – वो उस लड़की के लिए खुद जलेबिया बना रहा था , बाद में उससे पैसे लेने से भी इंकार कर दिया
बाबा – क्या ? शिवम् ने ऐसा किया मैं नहीं मानता (हैरानी से)
आई – अरे हम झूठ काहे बोलेंगे , यकीन ना हो तो राधिका और मुरारी से पूछ लेना
बाबा – चलो अच्छा है उसने किसी और से बात करने की शुरुआत तो की , पर तुम काहे इतनी परेशान हो ?
आई – परेशान उस लड़की के बारे में सोचकर हो रहे है जिसे शिवम् चाहता है , हमे नहीं लगता वो इतनी आसानी से उसे भूल जाएगा l
बाबा – चिंता मत करो सही वक्त आने पर वो खुद अपने लिए सही चुन लेगा l
आई – मैं तो चाहती हु बस वो जल्दी से अपने लिए कोई फैसला ले और वो लड़की उसकी जिंदगी में आ जाये , फिर उनकी शादी हो ,, घर में बच्चो की लाइन लग जाये और मुझे दादी आपको दादा कहकर बुलाये (फिर से शिवम् की शादी का सपना देखने लगती है)
बाबा – कावेरी तुम फिर से शादी के सपने देखने लगी
आई – एक ही तो बेटा है मेरा , कबसे उसकी शादी का अरमान सजा कर बैठी हु (उदास हो जाती है)
बाबा – अरे रे उदास काहे होती हो , देखना उसकी जिंदगी में बहुत अच्छी लड़की आएगी जो उसे सम्हाल लेगी l
आई – हम्म्म्म !!
बाबा – लो इस बात पर तुम भी एको निवाला खाओ (खाने का निवाला आई को खिलाते हुए)
आई – अरे रे ये क्या कर रहे हो आप ? इस उम्र में ये सब अच्छा लगता है क्या ? (आई शरमा जाती है)
बाबा – प्यार का उम्र से कोई लेना देना नहीं होता है कावेरी , जितनी ज्यादा उम्र उतना गहरा प्यार (मुस्कुराते हुए दूसरा निवाला खिला देते है)
आई – हटिये आपको तो हर वक्त मसखरी सूझती है , हम आंगन से कपडे उतार लाते है तब तक आप खाइये
आई उठने लगी तो बाबा ने उनका हाथ पकड़ कर वापस बैठाते हुए कहा,”अरे आप कहा चली बैठिये , कभी कभी तो आपके साथ खाने का मौका मिलता है”
दोनों साथ बैठकर बाते करते हुए खाना खाने लगे l उनकी बातो से उनका परिपक्व प्यार झलकता था l
शिवम् के दुकान से निकलकर सारिका ने आस पास के कुछ घाट देखे वहा उसने बचपन वाले उस लड़के के बारे में पूछताछ की लेकिन किसी को कुछ पता नहीं चला l घूमते घूमते दोपहर हो गयी , धुप और पसीने से सारिका भी परेशान हो गयी l वह वापस होटल चली आई उसने ac ऑन किया और बेड पर लेट गयी l
शिवम् और उसके परिवार से मिलकर जहा वह खुश थी वही अपने रांझणा के ना मिलने से थोड़ा परेशान थी l सारिका को लेटे हुए अभी कुछ वक्त ही हुआ था तभी उसका फोन बजा सारिका ने देखा फोन मुंबई से नवीन का था l सारिका ने फोन उठाया और कहा,”हेलो , नवीन !!
नवीन – हेलो , मेम कैसी है आप ?
सारिका – हम ठीक है नवीन , आप कैसे है ?
नवीन – मैं ठीक हु मेम ! यहाँ से जाने के बाद आप तो हमे भूल ही गयी , ऐसा क्या मिल गया आपको इंदौर में जो मुंबई को भूल गयी आप ?
सारिका – ऐसा कुछ नहीं है , काफी दिनों बाद आये है ना तो कुछ दिनो के लिए रुक गए l फ़िलहाल हम बनारस में है
नवीन – अरे वाह ! बनारस मतलब ड्रीम सिटी ,, सच बताऊ तो मेरा भी बहुत मन है बनारस घूमने का पर मेरी बॉस इतनी स्ट्रीक्ट है न एक दिन की भी छुट्टी नहीं मिलती l
सारिका – इस बार मुंबई आएंगे तो आपको लम्बी छुट्टी दे देंगे l (सारिका ने हसंते हुए कहा)
नवीन – अरे नहीं नहीं कही छुट्टी के नाम पर आप हमे नोकरी से ही न छुट्टी दे दे
सारिका – नहीं पर बनारस घूमने के लिए तो दे ही सकते है , सच में बहुत खूबसूरत जगह है नवीन आप एक बार जरूर आकर देखना l
नवीन – हां मेम वैसे आप कब वापस आ रही है ?
सारिका – अभी कुछ वक्त लग जाएगा नवीन , तब तक आप वहा सब सम्हाल लेना
नवीन – डोंट वरी मेम , यहाँ सब ठीक है
सारिका – तो अब काम की बातें कर ले
नवीन – जी मेम
सारिका – गुप्ता जी वाला टेंडर कम्प्लीट करवा दिया ना आपने ? और वो मिश्रा जी की नए क्लाइंट से मीटिंग करवा दी आपने ? हमारी कम्पनी के जो पुराने शेयर्स थे उनकी डिटेल अकाउंटेंट को मेल की के नहीं
नवीन – सब काम हो गए है l कोई भी काम पेंडिंग नहीं है l आपके जाने के बाद गुप्ता जी के अगले टेंडर को भी मैंने परमिशन दे दी है जिसकी सभी डिटेल्स मैंने आपको मेल कर दी है l
सारिका – इम्प्रेसिव , नवीन हमारे इंदौर आने के बाद आप कुछ ज्यादा ही जिम्मेदार बन गए है , एनीथिंग स्पेशल ?
नवीन – जी मेम , और वो मैं आपको तब बताऊंगा जब आप वापस आएँगी
सारिका – हम्म्म ओके !! अच्छा वो हमे कुछ केश की जरूरत है आप ट्रांसफर करवा देंगे दरअसल हमारे सारे कार्ड्स वह इंदौर में ही रह गए l
नवीन – स्योर मेम ! आपके पास अपना atm है ?
सारिका – जी ,
नवीन – मैं अभी आपके a/c में ट्रांसफर करवा देता हु l
सारिका – थैंक्यू नवीन
नवीन – इतनी सी बात के लिए थैंक्यू क्यों बोल रही है आप ?
सारिका – थैंक्यू की आप हमारी गैर-हाजरी में कम्पनी को सम्हाले हुए है
नवीन – मेम इट्स माय रेस्पॉन्सिब्लिटी ,, और इसी की तनख्वाह मिलती है मुझे यहाँ आप आराम से आईये पर ज्यादा दिन मत लगाएगा l
सारिका – हम जल्दी ही आजायेंगे !
नवीन – रखता हु मेम , हैप्पी वेकेशन
नवीन ने फोन काट दिया l मुंबई के ऑफिस में बैठा नवीन सोचने लगा,”सारिका अचानक बनारस क्यों चली गयी ? आज से पहले तो उसने मुझसे इस जगह का कभी जिक्र नहीं किया ? खैर ! जो भी हो पर कुछ तो है जो सारिका मुझसे छुपा रही है , इतने दिनों तक उनका अपने काम से दूर रहना कोई बहुत खास वजह हो तभी वो ऐसा करती है l इन सवालो का जवाब तो मुझे अब सारिका ही दे सकती है लेकिन अभी उनसे इस बारे में पूछकर उन्हें परेशान करना ठीक नहीं है l “
“सर मिश्रा जी बाहर आपका इंतजार कर रहे है”,चपरासी ने आकर कहा
नवीन अपने ख्यालो से बाहर आया और चपरासी के साथ बाहर निकल गया l
सारिका की आँख लग गयी l शाम को सारिका उठी मुंह धोया l बाहर हलकी धुप अब भी थी l सारिका ने सूट निकलकर जींस और उस पर व्हाइट रंग का कुर्ता पहन लिया l बालो को समेटकर जुड़ा बना लिया l शीशे में एक बार खुद को देखा l वह अच्छी लग रही थी शुरू से ही उसे मेकअप या भारीभरकम कपड़ो का शौक नहीं था l उम्र के साथ साथ उसमे ठहराव आता गया l
सादगी में भी वह बहुत आकर्षक लगती थी और वजह थी उसकी गहरी काली आँख जो काजल लगाने से और भी खूबसूरत दिखती थी l सारिका ने फोन का मेसेज चेक किया नवीन ने उसके a/c में रूपये ट्रांसफर करवा दिए थे l सारिका ने पर्स उठाया और निचे आकर मैनेजर से आस पास कही atm होने के बारे में पूछा l मैनेजर ने उसे atm के बारे बताया तो सारिका वहा से बाहर निकल गयी l atm पहुंचकर उसने कुछ रूपये निकाले और रिक्शा वाले से मार्किट चलने को कहा l
रिक्शा वाले ने दालमंडी मार्किट में लाकर रिक्शा रोक दिया l सारिका उतरी और रिक्शा वाले को किराया चुकाकर आगे बढ़ गयी l चलते चलते वह एक दुकान पर पहुंची जहा ढेर सारे बनारसी दुपट्टे और साडिया थी l सारिका अंदर आयी और अपने लिए दुपट्टा देखने लगी l गुलाबी रंग का एक बनारसी दुपट्टा उसे बहुत पसंद आया l सारिका उसे लेकर दुकान से बाहर आ गयी l कुछ ही कदम चली थी की बैंक के बाहर खड़ा शिवम् दिख गया शिवम् थोड़ा परेशान था l सारिका उसके पास चली आई
“आप यहाँ ?”,सारिका ने शिवम् से कहा
“हां वो बैंक आये थे किसी काम से”,शिवम् के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये
“आप कुछ परेशान दिखाई दे रहे है”,सारिका ने शिवम् के चेहरे की
“देखिये ना ये बैंक वाले हमारी परेशानी समझ ही नहीं रहे है , पिछले एक महीने से हम यहाँ चक्कर पर चक्कर काट रहे है पर इनको कोई फर्क नहीं पड़ता , कल आओ , परसो आओ कहकह कर बात को टालते रहते है l एक सिग्नेचर की ही तो बात है लेकिन नहीं इनको तो हमे परेशान करने में ज्यादा मजा आता है”,शिवम् ने अपनी परेशानी सारिका को बताई
“हम कुछ समझे नहीं साफ साफ बताएँगे आप ?”,सारिका ने कहा
“पिछले महीने कोई बड़ा आदमी आया था जिसने बाबा की दुकान पर बड़ा आर्डर दिया था , उसने कुछ एडवांस दिए और बाकि के पेमेंट के लिए चेक दे दिया l वो तो चले गए बैंक आकर पता चला की चेक पर अनजाने में गलत तारीख लिख दी है l बैंक वालो ने चेक लेने से मना कर दिया l बाबा को पेसो की जरूरत थी इसलिए हमने उन्हें अपने पास से दे दिए और तबसे ये चेक लेकर घूम रहे है l”,शिवम् ने सारी बात बताई l
सारिका – चेक की तारीख कितनी पुरानी है ?
शिवम् – यही कोई 50-55 दिन
सारिका – फिर तो आपका चेक बैंक में क्लियर हो सकता है , कोई भी बैंक तीन महीने पहले चेक को लेने से इंकार नहीं कर सकता
शिवम् – यही तो हम समझाए उनको पर वो मानने को तैयार ही नहीं l
सारिका – चेक कितने का है ?
शिवम् – पुरे 17300 रूपये का
सारिका – बस इतने से के लिए इतना परेशान हो रहे है आप ? (सारिका ने मुस्कुराते हुए कहा)
शिवम् – आपके लिए ये कम होगा पर हमारे लिए बहुत ज्यादा है l बाबा ने दो दिन-रात लगातार काम करके इस आर्डर को पूरा किया था l उनकी मेहनत के पैसे को ऐसे कैसे जाया होने दे सकते है हम
सारिका ने महसूस किया अंजनाने में उसने गलत बात बोल दी उसने धीरे से कहा,”माफ़ कर दीजिये हमे ऐसा नहीं कहना चाहिए था”
शिवम् – अरे आप क्यों माफ़ी मांग रही है ? गुस्सा तो हमे उस बड़े आदमी पर आ रहा है l पैसे वाले लोग हम मिडिल क्लास लोगो को तो जैसे कुछ समझते ही नहीं है l जब हमने उन्हें अपनी परेशानी बताई तो कहने लगे उन्हें कोई मतलब नहीं है l सच बताये तो इन पैसे वालो से हमे बहुत नफरत हैं l हर जगह बस ये अपने पैसे और स्टेटस का घमंड दिखाते है l (गुस्से से)
सारिका – सब पैसे वाले एक जैसे नहीं होते
शिवम – नहीं सारिका जी , सब एक से बढ़कर एक होते है l थोड़े ज्यादा पैसे आते ही अपनी इंसानियत भूल जाते है ,, मिडिल क्लास लोग तो इन्हे बस अपनी जागीर लगते है , इस्तेमाल करो और भूल जाओ l कितनी मेहनत से हम लोग एक एक पैसा जोड़ते है अपनी रोजमर्रा की जरूरते पुरी करने के लिए लेकिन ये लोग एक तो गलती करते है उस पर जब इनसे मदद मांगे तो झिड़क देते है l
ये बड़े लोग है पैसे वाले कुछ भी कर सकते है (शिवम् का गुस्सा उसकी बातो से झलक रहा था )
सारिका ने इस बार कुछ नहीं कहा पर उसने शिवम् की बातो मे महसुस किया की मिडिल क्लास बनकर जीना किसी चुनौती से कम नहीं है l आज तक वह ऐशो आराम की जिंदगी जीती आई है , आलीशन घर , लग्जरी गाडिया , महंगे कपडे , उसे किसी चीज कमी नहीं थी l सारिका को चुप देखकर शिवम् ने कहा,” आईये चलते है !
दोनों साथ साथ चलने लगे l
शिवम् – आप यहाँ मार्किट घूमने आयी थी ?
सारिका – जी हां
शिवम् – ये मार्किट बनारस का सबसे चर्चित मार्किट है , इसके अलावा और भी बहुत से मार्किट है आप वहा भी जाकर देखना , वैसे आपने बताया नहीं आप करती क्या है ?
“मुंबई में क……………………………कहते कहते सारिका रुक गयी और मन ही मन खुद से कहने लगी,”क्या कर रही हो सारिका सच बताने जा रही हो इन्हे l अगर तुमने इन्हे बताया की तुम मुंबई की टॉप कम्पनी की md हो तो हो सकता है कुछ समय पहले इनके मुंह से कही बातें तुम पर लागु हो जाये l जरा सम्हलकर शिवम् को पैसे वाले लोगो से नफरत है और उन्हें तुम्हारी सच्चाई पता चली तो शायद वो तुम्हे भी गलत समझ बैठे उन्हें कुछ ऐसा बोल की वो तुम्हारी सच्चाई ना जान पाए”
शिवम् – मुंबई में क्या ?
सारिका – जी मुंबई में रहकर अपने लिए नौकरी ढूंढ रहे है (सारिका सफ़ेद झूठ बोल गयी)
शिवम् – इसका मतलब आप आगरा भी इसलिए गयी थी ? (हैरानी से)
सारिका – जी (एक के बाद एक झूठ बोलती जा रही थी , इस से पहले शायद ही उसने ऐसा कुछ किया हो)
शिवम – फिर यहाँ बनारस ? आपने कहा था आप यहाँ किसी खास काम से आई (शिवम् ने जानने की कोशिश की)
“इन्हे बताया की मैं यहाँ किसी को ढूंढने आयी हु तो हो सकता है मुझे इन्हे पूरी कहानी बतानी पड़े और फिर मेरा झूठ इनके सामने आ जाये l ये तुमने क्या किया सारिका एक झूठ को छुपाने के लिए अब न जाने कितने झूठ बोलने पडेंगे”,सारिका ने मन ही मन खुद को कोसना शुरू कर दिया
शिवम् – आप किसी को ढूंढ रही है ? (शिवम ने अपना सवाल फिर से दोहराया)
सारिका – नहीं , वो हम (सारिका अपने बनाये झूठ के जाल में खुद ही फसती जा रही थी)
शिवम् – फिर यहाँ भी आप नौकरी के लिए आई है ?
सारिका – हाँ (मन ही मन खुद को कोसते हुए)
शिवम् – तो आपको मिली नौकरी ?
सारिका – अभी तक नहीं
शिवम – अरे आप चिंता मत कीजिये हम जिस कॉलेज में काम करते है न वहा एक वेकेंसी है , कल ही आपके लिए बात करते है l
सारिका – अरे नहीं नहीं , हम यहाँ बस कुछ दिनों के लिए ही है (ये कहा फस गयी तू सारिका)
दोनों आगे बढे की सामने मुरारी अपनी जीप में सवार मिल गया शिवम् को सारिका के साथ देखकर उसके होंठो पर एक कुटिल मुस्कान तैर गयी उसने गाड़ी उनके सामने रोककर कहा,”का भैया किधर ?
“अरे मुरारी , तुम यहाँ”,शिवम् ने मुरारी को वहा देखकर हैरानी से कहा
“इत्तेफाक से भैया , तूम बताओ तुम यहाँ कैसे ?”,मुरारी ने गाड़ी से निचे उतर कर कहा l
“बैंक से आ रहे है”,कहकर शिवम् ने सारी बात मुरारी को बता दी l
“अबे तो पहले काहे नहीं बताये , हम करते कुछ , चलो हमारे साथ साला सब के सब इन दिनों बनारस में भोकाल मचाये हुए है”मुरारी ने शिवम् को चलने का इशारा किया l
सारिका को मुरारी बड़ा इंट्रेस्टिंग कैरेक्टर लगा वह भी उन दोनों के साथ चलने लगी चलते चलते सारिका ने शिवम् से कहा,”आप पहले ही दिन इनसे कह देते तो आपका काम हो जाता”
शिवम् फीका सा मुस्कुरा दिया क्योकि वह जानता था की कुछ देर बाद क्या होंने वाला है l सामने ही बैंक था तीनो अंदर गए मुरारी ने शिवम् से कर्मचारी के बारे में पूछा तो शिवम् ने ऊँगली से इशारा कर दिया l मुरारी दोनों को वही रुकने को कहकर खुद आगे गया और उसे कुछ कहा l कर्मचारी ने न में गर्दन हिलायी तो मुरारी ने पलटकर शिवम् और सारिका को देखा और फिर एक खींचकर थप्पड़ कर्मचारी के गाल पर जड़ दिया l
किसी ने आवाज तक नहीं की कर्मचारी से मुरारी ने कुछ कहा और उसने तुरंत चेक क्लियर करके रूपये मुरारी को थमा दिये l सारिका तो देखती ही रह गयी उसने धीरे से फुसफुसाते हुए शिवम् से कहा,”हमे लगा ये उन्हें समझायेंगे !!
“इसलिए तो हम अब तक इसको नहीं बताये थे”,शिवम् ने रोनी सूरत बनाकर कहा
मुरारी पैसे लेकर आया और शिवम् को दे दिए तीनो बैंक से बाहर आ गए l सारिका को वहा रुकना खतरे से खाली ना लगा तो उसने कहा,”अच्छा अब हम चलते है”
“सारिका जी , आप कहे तो हम छोड़ दे !! वैसे कहा जा रही है आप ?”,मुरारी ने शर्ट के कोने से अपना चश्मा साफ करते हुए कहा l
“मर गए सारिका , ये किन गुंडों के बिच फस गयी है तू”,सारिका ने मन ही मन कहा
“वो हमे दशाश्वमेध घाट जाना है”,सारिका ने बात टालने के लिए कहा
“अरे वाह हम भी वही जा रहे है , चलिए साथ ही चलते है सब”,कहकर मुरारी आगे बढ़ गया
सारिका को परेशान देखकर शिवम ने कहा,”घबराईये मत मुरारी बहुत अच्छा लड़का है बस हमारे लिए कभी कभी वायलेंट हो जाता है , अगर आप नहीं जाना चाहती तो कोई बात नहीं हम समझा देंगे उसे”
शिवम् की बात से सारिका को थोड़ी राहत महसूस हुई वह उनके साथ चलने को तैयार हो गयी l रास्तेभर मुरारी सारिका को अपने और बनारस के किस्से सुनाता रहा और वह बस मुस्कुराती रही शिवम् ने जब उसकी आँखे देखी तो महसूस किया की सारिका अब भी कही न कही डर रही है l वैसे डरना बनता भी है ऐसे किसी अजनबी पर भरोसा कर लेना पर सारिका बहुत समझदार थी उसे इंसान की परख थी शायद इसलिए उसने साथ आने की सहमति दे दी l
पीछे बैठा शिवम् जीप में लगे मिरर में बस सारिका को देखे जा रहा था l ना चाहते हुए भी उसकी नजर सारिका पर चली जाती l सारिका से अपना ध्यान हटाने के लिए शिवम् दूसरी और देखने लगा l मुरारी की बातो से सारिका ने जाना की मुरारी इतना बुरा भी नहीं था जितना वह उसे समझ रही थी वह दिल का बहुत अच्छा था l तीनो दशाश्वमेध घाट पहुंचे l तीनो आकर सीढ़ियों पर बैठ गए सारिका को ये जगह बहुत ज्यादा पसंद आयी l वह तो बस इसमें खो सी गयी और अपना मासूम सा चेहरा घुटनो पर रखकर सामने घाट की खूबसूरती को निहारने लगी l
शाम हो चुकी थी शाम के समय ये जगह और भी खूबसूरत हो जाया करती थी लोग अपनी मन्नते पूरी होने की दुआ मांगते और प्रज्वलित दीपक को घाट के पानी में बहाते l घाट के पास ही में प्रयागेश्वर मंदिर भी था l सारिका और मुरारी को वहा छोड़कर शिवम् वहा से निकल गया l सारिका घाट की सुंदरता देखने में इतना खोई हुई थी की उसे पता भी नहीं चला की शिवम् वहा से जा चुका है l मुरारी के खांसने पर वह चेती और कहा,”आप तो बड़े बहादुर है , आपने बैंक के क्लर्क को थप्पड़ मार दिया और किसी ने आपको कुछ नहीं कहा”
“बनारस में कीसी की हिम्मत नहीं है जो हमको कुछ कहे”,मुरारी ने कहा
“अरे वाह फिर तो यहाँ बहुत चलती होगी आपकी”,सारिका ने कहा
“क्या खाक चलती है , सिर्फ लौंडे ही डरते है हमसे लड़किया तो हमे भाव तक नहीं देती”,मुरारी ने अपने दिल का दर्द सारिका के सामने बयां करते हुए कहा
“अरे तो आपको कहना चाहिए उनसे , चाचा विधायक है आपके”,सारिका ने मुरारी की टांग खींचते हुए कहा
“एक बार कहे थे एक लड़की से ये बात…………….”,मुरारी ने शून्य में तांकते हुए कहा
“फिर मान गयी वो”,सारिका ने पूछा
“हां मान गयी”,मुरारी ने मुंह लटका के कहा
“अरे जब मान ही गयी तो मुंह क्यों लटका है आपका ?”,सारिका ने हैरानी से पूछा l
“हमने उनसे कहा चाचा विधायक है हमारे अब वो हमारी चाची है”,मुरारी ने मासूम सी शक्ल बनाकर कहा
मुरारी की बात सुनकर सारिका जोर जोर से हसने लगी और फिर हंसती ही गयी मुरारी भी मुस्कुरा उठा l शिवम् तब तक आप हाथ में तेल से भरा दीपक ले आया l उसने जब सारिका को हसते हुए देखा तो बस देखता ही रह गया l ये पहली बार था जब सारिका को इस तरह हसंता हुआ देख रहा था l
“क्या हुआ ऐसे क्या देख रहे है आप ?”,सारिका ने शिवम् को अपनी और देखता पाकर पूछा l
“क कुछ नहीं , दीपक लेकर आये है आपके लिए , कहते है इसे जलाकर वहां ऊपर मंदिर में रखकर आप जो भी मनोकामना मांगेगी वो पूरी होगी”,शिवम् ने दीपक सारिका की और बढाकर कहा
सारिका उठी और दीपक लेकर शिवम् से कहा,”चले !”
शिवम् सारिका के साथ साथ सीढिया चढ़कर ऊपर जाने लगा मुरारी ने पहले ही साथ आने से मना कर दिया वह उन दोनों के बिच कबाब में हड्डी बनना नहीं चाहता था l मंदिर में आकर सारिका दीपक जलाने लगी लेकिन हवा के कारण वह जल नहीं पा रहा था दूर खड़ा शिवम् सब देख रहा था वह उसके पास आया और दीपक को हाथो से ढककर सारिका से जलाने को कहा l
सारिका ने तीली जलाई और दिपक से लगाया दीपक जल उठा l लौ से उठती रौशनी में शिवम् का चेहरा सोने सा दमक रहा था l सारिका ने दीपक हाथ में उठाया और अंदर चली आई l शिवम् भी साथ ही था सारिका ने दीपक रखा और हाथ जोड़कर मनोकामना मांगने लगी l ये कैसा संजोग था की सारिका जिसे मांग रही थी वो उसके साथ ही था
मंदिर का पुजारी आया उसने सारिका और शिवम के पर हाथ रखकर कहा
“महादेव तुम्हारी जोड़ी सलामत रखे !!”
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