Aur Pyar Ho Gaya – 18
खून से लथपथ नंदिनी सड़क किनारे पड़ी जिंदगी और मौत से लड़ रही थी l
कार्तिक अपना सर पकडे सोफे पर बैठा था l सोफिया अपने दोस्तों के साथ फ्लोर पर डांस कर रही थी l कार्तिक को सिर्फ नंदिनी का ही ख्याल आ रहा था वह वहा से उठा और बाहर निकल गया l सोफिया को ध्यान नहीं रहा वह अपने दोस्तों के साथ बिजी थी l कार्तिक वहा से बाहर आया और सडक किनारे लगी बेंच पर बैठ गया l सर भारी होने लगा था कार्तिक काफी देर तक वही बैठा रहा l
“मुझे नंदू को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए था l पर मुझे अच्छा क्यों नहीं लग रहा है ? उसकी लाइफ है वो किसी के भी साथ बिता सकती है फिर आज ये सब अजीब फीलिंग क्यों आ रही है l जो भी हो नंदू है तो मेरी दोस्त ही न मुझे उसे पवन के साथ नहीं भेजना चाहिए था पता नहीं वो कैसा लड़का होगा l मैंने सोफिया की बात मानी ही क्यों ? पता नहीं नंदू मेरे बारे में क्या सोच रही होगी l मुझे नंदू के पास जाना चाहिए l”
सोचते हुए कार्तिक उठा l उसने सामने से आता ऑटो रुकवाया और उसे “महाराजा रिसोर्ट” जहा नंदिनी और पवन को छोड़ा था चलने को कहा l कार्तिक ने अपना सर पीछे सीट से लगा लिया l उसके दिमाग में सेकड़ो ख्याल एक साथ चलने लगे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था l ऑटो के रुकने से कार्तिक को होश आया उसने कहा,”क्या हुआ भैया ? ऑटो क्यों रोका ?
“साहब जी ट्रेफिक है लगता है सामने कोई एक्सीडेंट हुआ है थोड़ा टाइम लगेगा”,ड्राइवर ने कहा
“कोई बात नहीं”,कहकर कार्तिक ने आँखे मूंदकर सर फिर से सीट पर लगा लिया l ट्रैफिक क्लियर हुआ कार्तिक जिस ऑटो में था एम्बुलेंस उसकी बगल से निकली थी l उस एम्बुलेंस में कोई और नहीं बल्कि नंदिनी ही थी पर कार्तिक नहीं देख पाया l ऑटो वाले ने ऑटो आगे बढ़ाया कुछ देर बाद ही ऑटो “महाराजा रिसोर्ट” के सामने था l कार्तिक ऑटोवाले को पैसे देकर अंदर आया l उसने देखा ना नंदिनी वहा है और न ही पवन
“शायद वो लोग यहाँ से चले गए”,कार्तिक ने मन ही मन सोचा और वहा से बाहर आ गया l
उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था l
कार्तिक वहा से घर के लिए निकल गया l घर आकर उसने दरवाजा खोला और धीरे से अंदर आया l सामने सोफे पर अखिलेश जी को बैठे देखकर उसके कदम रुक गए l अखिलेश जी ने पहले कार्तिक को देखा और फिर सामने दिवार पर लगी घडी को जो की रात के 12:46 बजा रही थी l कार्तिक अंदर ही अंदर गहरा गया और डर भी रहा था कही पापा को उसके ड्रिंक करने के बारे में पता ना चल जाये l
अखिलेश जी सोफे से उठे और कार्तिक के पास आकर कहा,”बेटा ये कोई टाइम है घर आने का ?
“वो पापा मैं………………….!!”,कहते कहते कार्तिक चुप हो गया l
कार्तिक के मुंह से स्मेल आने पर अखिलेश जी समझ गए मामला गंभीर है सोचकर उन्होंने कार्तिक से सोफे पर आकर बैठने को कहा l दोनों आकर सोफे पर बैठ गए l कार्तिक ख़ामोशी से अखिलेश जी तरफ देखता रहा l कुछ देर बाद अखिलेश जी ने कहा,”तो अब तुमने ड्रिंक करना भी शुरू कर दिया ?
कार्तिक – नहीं पापा , वो गलती से , उस वक्त समझ ही नहीं आया l
अखिलेश – कुछ दिनों से देख रहा हु तुम बहुत बदल गए हो l पहले हर वक्त मस्ती मजाक , लाइफ को सीरियस नहीं लेते थे l ड्रिंक करना तो दूर तुम उसे छूते भी नहीं थे फिर ये सब
कार्तिक – मैं खुद समझ नहीं पा रहा हु पापा , ये सब क्यों हो रहा है ? पहले मैं हमेशा खुश रहता था , सबसे बात करता था , दोस्तों के लिए , फॅमिली के लिए अपने शौक के लिए सबके लिए टाइम होता था और देखो अब मैं खुद के लिए भी टाइम नहीं निकाल पाता , सब शौक धीरे धीरे कम होने लगे है l अचानक से खुश अचानक से सेड ,, मुझे खुद महसूस होता है की मैं अब वो कार्तिक नहीं रहा l कुछ और ही हो गया हु l दिमाग दिनभर अजीब सी उलझनों में उलझा रहता है
अखिलेश – ये सब तब होता है जब गलत लोग या गलत चीजे हमारी जिंदगी में आते है
कार्तिक – मैं कुछ समझा नहीं पापा
अखिलेश – कार्तिक क्या तुम सोफिया के साथ खुश हो ?
कार्तिक – आप ये क्यों पूछ रहे है ?
अखिलेश – हां या ना
कार्तिक – पता नहीं पापा , पर जब उसके साथ होता हु तो एक अजीब सी घुटन , बेचैनी महसूस होने लगती है l उसके साथ होकर भी मैं वहा नहीं होता हु
अखिलेश – अक्सर यही होता है बेटा , कई बार हम आकर्षण के चलते गलत लोगो को चुन लेते है जो हमारे लिए सही नहीं होते है l फिर उन्ही रिश्तो को हम उम्रभर ढोते रहते है और दुखी रहते है l
कार्तिक खामोश हो गया तो अखिलेश जी कहने लगे,”मैं जानता हु तुम नशा नहीं करते लेकिन आज किया इसके पीछे वजह क्या है मैं नहीं जानता और ना ही जानना चाहता हु l गुस्से में आकर तुमने ऐसा कदम उठाया ये गलत था बेटा l बाकि पिता अपने बच्चो को कैसे समझाते है मैं नहीं जानता पर मैं चाहता हु की मेरे दोनों बच्चे मुझे अपना दोस्त समझकर मुझसे अपनी हर बात शेयर करे
कार्तिक – आपसे एक सवाल पुछु ?
अखिलेश – बिल्कुल !
कार्तिक – क्या सोफिया मेरे लिए सही लड़की है ?
अखिलेश जी मुस्कुराये और कहा,”तुम्हारा दिल क्या कहता है ?”
कार्तिक – मैं कन्फ्यूज हु पापा
अखिलेश – थोड़ा वक्त लो अपने आप समझ आ जाएगा l वैसे तुम्हारी वो दोस्त नंदिनी वो मुझे बहुत अच्छी लगी
नंदिनी का नाम सुनते ही कार्तिक के चेहरे पर मुस्कराहट तैर गयी और वह कहने लगा,”हां पापा नंदिनी बहुत अच्छी है l वो हमेशा मेरी हेल्प करती है , मुझे सही गलत समझाती है , वो सिर्फ दोस्त नहीं है पापा उस से बह बढकर है l जितना मैं अपने बारे में नहीं जानता उतना वो जानती है l उसे सब पता होता है कब मुझे क्या चाहिए ? कब मेरा मूड ऑफ होता है ? कब सही उसे सब पता रहता है l कभी कभी तो लगता है वो मुझ जैसे ही है “
अखिलेश जी ने देखा नंदिनी के बारे में बताते हुए कार्तिक की आँखों में एक अलग ही चमक थी और मुस्कराहट उसके होंठो से दूर नहीं हो रही थी l अखिलेश जी समझ गए की नंदिनी कार्तिक के दिल में बसी है बस अभी वह खुद ये बात समझ नहीं पा रहा l कार्तिक काफी देर तक अखिलेश जी को नन्दिनी के बारे में बताता रहा और अखिलेश जी मुस्कुराते हुए उसे सुनते रहे l कहते है नशे में कई बार इंसान अपने दिल की बात कह जाता है कार्तिक भी आज सब कुछ कह देना चाहता था और उसने कहा भी l
कार्तिक की आवाज सुनकर रंजना आँखे मसलते हुए आई और कहा,”इतनी रात को बाप बेटे के बिच क्या खिचड़ी पक रही है ?
“अब बाप बेटे का बात करना भी आपको पसंद नहीं आया रंजना जी”,अखिलेश जी ने छेड़ते हुए कहा
“हमें तो पसंद है पर समय भी तो देखिये रात के 2 बज रहे है , सुबह आपको ऑफिस भी तो जाना है और इन महाशय को कॉलेज l चलिए उठिये दोनों और चलकर सोईये”,रंजना ने लगभग आदेश देते हुए कहा
कार्तिक वही सोफे पर लेट गया l अखिलेश जी उठे और रंजना के साथ कमरे की और बढ़ गए l चलते चलते उन्होंने पलटकर कार्तिक को देखा और मन ही मन कहा,”जल्द ही वो दिन आएगा जब तुम्हे अहसास होगा की तुम्हारे लिए सही क्या है और गलत क्या है ?
आरोग्य हॉस्पिटल , कानपुर
चंदन एमरजेंसी वार्ड के बाहर बैठा है l टेंशन और परेशानी उसके चेहरे से साफ झलक रहा है l जेब से बार बार फोन निकालता और नंबर डॉयल करके कुछ देर बाद फोन को वापस जेब में रख लेता l उसकी आँखे देखकर पता चल रहा था की वह रातभर से सोया नहीं है l कुछ देर बाद डॉक्टर बाहर आया और चंदन से कहा,”घबराने की जरूरत नहीं है वो अब खतरे से बाहर है दो-तीन घंटे में उन्हें होश आ जाएगा तब आप उनसे मिल सकते है”
चंदन ने सुना तो उसकी जान में जान आयी l उसने डॉक्टर को थैंक्यू कहा और गेट के बाहर लगे शीशे से नंदिनी को देखने लगा उसके एक पांव पर प्लास्टर बंधा हुआ था सर पर भी चोट आई थी l वह अभी बेहोश थी एक हाथ में ड्रिप लगी हुई थी और दूसरे में मॉनिटर क्लिप l नंदिनी की ऐसी हालत देखकर चंदन की आँखे भर आयी l चंदन नंदिनी को अपनी छोटी बहन की तरह समझता था आज वो इस हाल में है सोचकर ही चंदन का दिल भर आया l उसने आँखों के किनारे आये आंसुओ को पोछा और हॉस्पिटल से बाहर आकर एक बार फिर कार्तिक को फोन किया लेकिन हर बार भी उसका फोन स्विच ऑफ था l
‘हद है ये लड़का भी ना , कल रात से फोन बंद है इसका……………क्या करू ? क्या करू ? कुछ समझ नहीं आ रहा”,चंदन ने परेशान होते हुए कहा
कुछ देर बाद चंदन को याद आया की उसके फोन में कार्तिक के घर का नंबर भी है l उसने जल्दी से नंबर ढूंढा और कॉल किया कुछ देर रिंग बजी और फिर रंजना ने फोन उठाया
“आंटी कार्तिक कहा है जल्दी से उस से बात करवाईये”,चंदन ने कहा
“क्या बात है बेटा ? इतना घबराये हुए क्यों हो ? “,रंजना ने हैरानी से कहा
“आंटी वो सब मैं बाद में बताता हु , इस वक्त मेरा कार्तिक से बात करना बहुत जरुरी है l प्लीज़ उसे फोन दीजिये”,चंदन ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा
“रुको देती हु”,कहकर रंजना ने सोफे पर सोये हुए कार्तिक को जगाया और उसे फोन पकड़ा कर किचन की और चली गयी
कार्तिक ने नींद में उघते हुए फोन कान से लगाया और कहा,”हेलो !
“कार्तिक , जल्दी से आरोग्य हॉस्पिटल आजा प्लीज़”,चंदन ने कहा
“क्यों क्या हुआ ? इतनी सुबह सुबह तू वहा क्या कर रहा है ?”,कार्तिक ने अंगड़ाई लेते हुए कहा
“वो नंदिनी……………….!!”,चंदन से आगे कहा नहीं गया
“क्या हुआ नंदिनी को ?”,कार्तिक आँखे मसलते हुए सोफे पर बैठ गया
“नंदिनी हॉस्पिटल में है , सीरियस कंडीशन में है तू जल्दी आजा”,चंदन ने कहा
“क्या ? ये तू क्या कह रहा है ? क्या हुआ नंदिनी को ? वो ठीक तो है ना ? चंदन तू कुछ बोल क्यों नहीं रहा मैं पूछ रहा हु क्या हुआ नंदिनी को ? जवाब दे ?”,कार्तिक ने घबराई हुई आवाज में कहा
“तू यहाँ आजा मैं सब बताता हु”,चंदन ने धीरे से कहा
“ठीक है मैं…..मैं अभी आता हु l तब तक तू वही रहना और और नंदू का ख्याल रखना”,कहकर कार्तिक ने फोन रखा और टेबल से चाबी उठाकर तेजी से दरवाजे की और बढ़ गया l
“कार्तिक……………..कार्तिक”,रंजना ने किचन से बाहर आकर कहा लेकिन तब तक कार्तिक अपनी बाइक स्टार्ट कर वहा से निकल चूका था l रास्ते भर उसका दिल तेजी से धड़कता रहा l नंदिनी ठीक तो होगी उसके दिमाग में बस यही एक बात चल रही थी l उसे जल्दी से जल्दी हॉस्पिटल पहुंचना था l हॉस्पिटल पहुंचते ही कार्तिक ने बाइक को पार्किंग में खड़ा किया और दौड़ता हुआ अंदर गया l सामने बरामदे में चंदन बैठा था कार्तिक दौड़कर उसके पास गया और कहा,”चंदन कहा है नंदू ? वो ठीक तो है ना ?
चंदन – कार्तिक शांत हो जा , नंदिनी अब खतरे से बाहर है कुछ घंटो में उसे होश आ जाएगा
कार्तिक – मुझे उसे देखना है
चंदन कार्तिक को लेकर इमरजेंसी वार्ड के बाहर गया और शीशे से कार्तिक को नंदिनी दिखा दी l कार्तिक ने जब देखा तो उसका दिल भर आया और आँखों में आंसू आ गए l वह कुछ देर भीगी आँखों से नंदिनी को देखता रहा और फिर आकर बेंच पर बैठ गया l उसने अपना चेहरा अपने हाथो में छुपा लिया और गर्दन झुकाकर बैठ गया l चंदन आकर उसके पास बैठ गया और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”वो अब ठीक है”
कार्तिक – क्या ठीक है यार , देखा तूने कैसे मशीनों के बिच लेटी है वो , कितना दर्द हो रहा होगा उसे यार l वो इस हालत में थी और मुझे कुछ पता ही नहीं था (आँखों में आंसू भरकर)
चंदन – मैं कल रात से तुझे फोन कर रहा हु पर तेरा फोन बंद आ रहा था , नंदिनी ने भी तुझे बहुत फोन किये मेसेज किये पर तूने कोई जवाब नहीं दिया l और फिर उसके साथ ये हादसा हो गया
कार्तिक – नंदू ने मुझे फोन किया था पर कब ?
चंदन – ये देख नंदिनी का फोन , मुझे एक्सीडेंट वाली जगह पर मिला था (जेब से फोन निकालकर कार्तिक को दे देता है)
कार्तिक फोन लेकर देखता है नंदिनी ने उसे बहुत बार फ़ोन किया था उसने नंदिनी का किया मेसेज भी देखा आँख से आंसू बहकर फोन की स्क्रीन पर आ गिरा l नंदिनी ने उसे फोन किया था जब उसे मदद की जरूरत थी लेकिन कार्तिक ने नहीं देखा चंदन – हादसे से पहले उसने तुझे फोन किये थे तू उसका फोन उठा लेता तो शायद उसके साथ ये सब नहीं होता l वैसे तेरा फ़ोन है कहा ?
कार्तिक – कल रात मैं सोफिया के साथ था उसकी पार्टी में फोन मेरे हाथ में ही था…………………ओह्ह शिट इसका मतलब फोन काउंटर पर ही रह गया l आई ऍम सॉरी चंदन
चंदन – इसमें तेरी कोई गलती नहीं है
कार्तिक – सारी गलती मेरी ही चंदन ना मैं नंदिनी को पवन के साथ डेट पर भेजता न उसके साथ ये हादसा होता
चंदन – ये तू क्या कह रहा है कार्तिक ?
कार्तिक – हां चंदन , मुझे नंदिनी से बात करनी है अभी
चंदन – उसे होश आते ही कर लेना l तू बैठ मैं तेरे लिए चाय लेकर आता हु
चंदन उठा और केंटीन की तरफ बढ़ गया l कार्तिक वही बेंच पर बैठा नंदिनी के बारे में सोचने लगा आंसू उसकी आँखों से बहकर निचे फर्श को भीगाने लगे
“ये सब क्या हो गया ? नंदू के साथ ऐसा कुछ हो जाएगा मैंने सोचा नहीं था l बस वो एक बार ठीक हो जाये फिर वो जो सजा देगी मुझे मंजूर है l मैंने उसका दिल दुखाया है और उसकी जिंदगी को भी खतरे में डाल दिया l ये मुझसे क्या हो गया ? और पवन कहा था जब नन्दिनी के साथ ये हादसा हुआ था ? उसने मुझे इतने फोन किये मैंने क्यों नहीं देखा ? उसके प्रति इतना लापरवाह कैसे हो गया ? उस रोज जब मैंने उसे आने को कहा था कैसे वो बिना सोचे समझे तुरंत आ गई मुझे घर छोड़ा , मेरी हरकतों को झेला और आज जब उसे मेरी जरूरत थी तो मैं उसके पास नहीं था l छी यार इतना सेल्फिश कबसे हो गया मैं ? क्यों मैं नहीं समझ पाया देन शी नीड्स l “
“कार्तिक चाय”,चंदन ने चाय का कप कार्तिक की और बढाकर कहा l
कार्तिक ने कप लिया और पिने लगा l कुछ देर दोनों खामोश बैठे रहे कार्तिक की नजरे बस सामने इमरजेंसी गेट पर थी तभी चंदन का फोन बजा फोन कार्तिक की मम्मी का था
“जी आंटी मैं बात करवाता हु”,कहकर चंदन ने फोन कार्तिक की और बढ़ा दिया
“हेलो हां मॉम”,कार्तिक ने धीरे से कहा
“सब ठीक तो है ना बेटा , कहा हो तुम दोनों ?”,रंजना ने घबराई हुई आवाज में कहा
कार्तिक आगे बोल नहीं पाया और फफक कर रो पड़ा उसने रोते रोते रंजना को नंदिनी के बारे में सब बता दिया l
“तू चिंता मत कर मैं और तेरे पापा अभी वहा पहुँच रहे है , नंदिनी को कुछ नहीं होगा”,रंजना ने कार्तिक को हिम्मत बंधाते हुए कहा l
रंजना से बात करके कार्तिक ने फोन वापस चंन्दन को दे दिया l उसने अपनी आँखे मुंद ली और सर पीछे दिवार से लगा लिया चंदन भी उसके पास वही बैठा रहा l आधे घंटे बाद ही अखिलेश जी और रंजना वहा पहुँच गए l रंजना को देखते ही कार्तिक उनके गले लग गया और सिसकने लगा l रंजना उसका सर सहलाते हुए उसे चुप कराने लगी l कार्तिक इस हादसे की वजह सिर्फ और सिर्फ खुद को मान रहा था l चारो बाहर बैठकर नंदिनी के होश में आने का इंतजार करने लगे l दो घण्टे बाद नंदिनी को होश आया l सभी अंदर गए l नंदिनी बेड पर लेटी हुई थी उसने अधखुली आँखों से सबकी और देखा l रंजना नंदिनी के पास आकर बैठ गयी और उसका सर सहलाते हुए प्यार से कहा,”तुम ठीक हो ना बेटा ?
नंदिनी ने हाँ में अपनी गर्दन हीला दी l अखिलेश जी भी आकर रंजना के बगल में बैठ गए और नंदिनी से उसका हाल चाल पूछने लगे l पीछे खड़ा कार्तिक भीगी आँखों से बस नंदिनी को देखता रहा l नंदिनी ने आखो से उसे पास आने का इशारा किया l कार्तिक उसके दूसरी तरफ खाली पड़ी कुर्सी पर आकर बैठ गया l अखिलेश जी ने रंजना को बाहर चलने का इशारा किया और उठकर बाहर की और चले गए l चंदन भी दोनों को अकेला छोड़कर बाहर चला गया l नंदिनी एकटक कार्तिक को देखती रही और फिर मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया l कार्तिक को उस वक्त बहुत बुरा लग रहा था लेकिन वह जानता था उसने गलती की है l उसने नंदिनी के हाथ को अपने दोनों हाथो मे लिया और कहा,”मुझे माफ कर दो नंदू , मुझे तुम्हे वहा अकेले नहीं छोड़ना चाहिए था l मैं तुम्हारे कॉल और मेसेज का भी जवाब नहीं दे पाया l मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी मैं तुम्हारा दोस्त कहलाने के लायक नहीं हु”
नंदिनी की आँखों में आंसू आ गए इसलिए नहीं की कार्तिक ने उसे हर्ट किया था बल्कि इसलिए क्योकि आज पहली बार उसने कार्तिक की आँखों में आंसू देखे थे l नंदिनी ने कसकर अपनी आँखे मींच ली l
“नंदू प्लीज़ तुम जो सजा दो मंजूर है पर प्लीज़ एक बार मेरी तरफ देखो , मेरी आँखों में देखो l ऐसे चुप मत रहो”,कार्तिक ने दर्दभरी आवाज में कहा l कार्तिक की बात सुनकर नंदिनी ने चेहरा उसकी तरफ घुमा लिया और भीगी आँखों से कार्तिक को देखने लगी l कार्तिक ने उसके आंसू पोछकर कहा,”आई ऍम सॉरी अगली बार तुम्हारा फोन नहीं उठाऊ ना तो एक कसकर थपपड लगा देना , मैं कुछ नहीं कहूंगा”
“पक्का”,नंदिनी ने धीरे से कहा
“हां पक्का , एक क्या दो चार छ जितनी मर्जी लगा देना”,कार्तिक ने कहा
नंदिनी ने दूसरी तरफ देखा और फिर हाथ उठाकर कार्तिक के गाल पर एक थप्पड़ लगा दिया l
“ये क्या सच में लगा दिया”,कार्तिक ने मासूमियत से कहा l
नंदिनी उसका मासूम चेहरा देखकर मुस्कुरा उठी l कार्तिक भी मुस्कुराने लगा नंदिनी ने हाथ बढाकर उसे गले लगने का इशारा किया l कार्तिक ने उसे गले लगा लिया l कार्तिक के दिल का सारा बोझ उतर गया उसकी दोस्त अब उस से नाराज नहीं थी उसने नदिनी के गले लगे लगे आँखे बंद कर ली और महसूस करने लगा l सुकून जैसा कुछ दुनिया में था तो वो यही था l
कुछ देर बाद डॉक्टर आया और नंदिनी को रूम में शिफ्ट करने की बात कहकर चला गया l दोपहर तक नंदिनी को रूम में शिफ्ट कर दिया गया l चंदन घर चला गया था l शाम को श्रुति और त्यागी के साथ वह भी आ गया l कार्तिक सुबह से नंदिनी के पास ही था शाम को अखिलेश जी और रंजना भी आ गए l
“नंदिनी , अपने पापा का नंबर देना मैं उन्हें तुम्हारे बारे में बता देता हु l”,अखिलेश जी ने कहा
“नहीं अंकल उन्हें मत बताईयेगा”,नंदिनी ने परेशान होकर कहा
“पर क्यों बेटा उन्हें पता तो होना चाहिए न और वैसे भी इस हालत में तुम्हारा अकेले रहना सही नहीं है”,रंजना ने प्यार से उसके पास बैठते हुए कहा
“आंटी माँ और पापा एक महीने के लिए ऑउट ऑफ़ सिटी गए है , इस वक्त उन्हे ये सब बताकर मैं उनका वेकेशन ख़राब करना नहीं चाहती l मैं भैया के पास चली जाउंगी पर प्लीज़ आप उन्हें कुछ मत बताईये “,नंदिनी ने रिक्वेस्ट करते हुये कहा
“भैया के पास क्यों बेटा अगर तुम्हे कोई परेशानी ना हो तो तुम हमारे घर रुक जाओ , वहा तुम्हारी देखभाल के लिए रंजना भी रहेगी”,अखिलेश जी ने कहा
“हां बेटा तुम हमारे घर क्यों नहीं रुक जाती , इस से तुम्हे थोड़ा घर का माहौल भी मिल जाएगा”,रंजना ने कहा
“नहीं आंटी मैं आपके घर कैसे रह सकती हु पैर में फ्रेक्चर है आपको परेशान होना पड़ेगा , एक महीना लग जाएगा इतने दिन वहा रुकना”,नंदिनी ने हिचकिचाते हुए कहा
“एक महीना क्या मैं तो तुम्हे अपने घर में हमेशा के लिए रखने को तैयार हु”,रंजना ने नंदिनी के हाथ को अपने हाथ में लेकर कहा
“क्या ?”,सबने एक साथ कहा
“मेरा मतला वो घर भी तुम्हारा ही है तुम जब तक चाहो तब तक रह सकती हो , कार्तिक तू कुछ बोल ना अपनी दोस्त को”,रंजना ने कहा
“हां नंदू मॉम सही कह रही है , वहा सब होंगे मॉम , पापा, दीदी और मैं भी”,कार्तिक ने नंदिनी के पास बैठते हुए कहा
“नहीं कार्तिक , मैं ऐसे कैसे रह सकती हु वहा , ऐसे अच्छा नहीं लगता”,नंदिनी ने कहा
“मैं अब तुम्हारी कोई बात नहीं सुनने वाला हु , तुम बस घर चल रही हो l”,कार्तिक ने आदेश देते हुए कहा खैर 1 घंटे की बहस के बाद नंदिनी आख़िरकार मान ही गयी
दो दिन बाद नंदिनी को हॉस्पिटल से घर जाने की अनुमति मिल गयी l कार्तिक उसे घर ले आया l सारे दोस्तों ने आज कॉलेज से छुट्टी ले ली सभी नंदिनी के साथ वक्त बिताना चाहते थे l दोपहर के खाने के बाद सभी अपने अपने घर चले गए l कार्तिक रंजना की मदद से नंदिनी को अपने कमरे में ले आया l रंजना वहा से चली गयी तो कार्तिक ने कहा,”नंदू आज से ये कमरा तुम्हारा
“फिर तुम कहा रहोगे ?”,नंदिनी ने पूछा
“हम तो भैया बैरागी आदमी है , झोला उठाकर कही और चल देंगे”,कार्तिक ने नौटंकी करते हुए कहा
नंदिनी जोर जोर से हसने लगी उसे हँसता देखकर कार्तिक के दिल को सुकून मिला l
“मैं कुछ दिन हॉल में रह लूंगा”,कार्तिक ने नंदिनी के पास बैठते हुए कहा
“हॉल में क्यों तुम यहाँ भी रह सकते हो”,नंदिनी ने कहा
“बिल्कुल नहीं , खामखा ये मासूम सा लड़का बदनाम हो जाएगा”,कार्तिक ने मुस्कुरा कर कहा
“कुछ भी बोलते हो”,नंदिनी ने धीरे से कार्तिक के कंधे पर मारते हु कहा
“अच्छा नंदू ये बताओ उस रात क्या हुआ था ? वो हादसा कैसे हुआ और पवन कहा था उस वक्त ?”,कार्तिक ने सीरियस होकर पूछा
“bunny मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी”,नंदिनी ने मुंह दूसरी तरफ घुमाते हुए कहा l उस काली रात का नजारा सहसा ही नंदू की आँखों के सामने आ गया जब उसने पवन का असली चेहरा देखा था l
“पर मुझे जानना है नंदू ! बताओ उस रात क्या हुआ था ?”,कार्तिक ने कहा
“bunny रात गयी बात गयी यार”,नंदिनी ने दर्द से तड़प कर कहा
कार्तिक ने नंदिनी का चेहरा अपने हाथो में लेकर कहा,”तुम्हे मेरी कसम है नंदू , बताओ उस रात क्या हुआ था ?”
कसम देकर कार्तिक ने नंदिनी को दुविधा में डाल दिया वह कुछ दे खामोश रही और फिर कार्तिक को सारी बातें बता दी कैसे पवन ने उसके साथ बदतमीजी की और कैसे उसके साथ वो हादसा हुआ l
कार्तिक ने जब सुना तो उसका खून खोल उठा वह झटके से उठा और जाने लगा तो नंदिनी ने उसका हाथ पकड़ लिया और ना में गर्दन हिला दी l कार्तिक ने अपने निचले होंठ को दांतो तले दबा लिया उसकी आँखों में नमी तैर गई l उसके अंदर जो दर्द था वो उसकी आँखों से साफ साफ झलक रहा था l उसने नंदिनी की तरफ देखा और कहा,”उसने तुम्हारे साथ सही नहीं किया नंदू और अब तुम चाहती हो मैं उसे कुछ ना कहु तो ये मुझसे नहीं होगा”
कार्तिक ने नंदिनी के हाथ से अपना हाथ छुड़ाया और गुस्से में वहा से निकल गया l कार्तिक ने बाइक स्टार्ट की और सीधा कॉलेज आ धमका l गुस्सा उसकी आँखों से साफ झलक रहा था l उसने देखा पवन पार्किंग में दोस्तों के साथ बैठा गपशप कर रहा है l कार्तिक उसके पास गया और उसकी कॉलर पकड़कर उसे खींचते हुए मैदान में ले आया l पवन कुछ कहता इस से पहले ही कार्तिक ने उसे घुसा मारते हुए कहा,”नंदू को छूने की तेरी हिम्मत कैसे हुई ? लड़की पे हाथ उठाता है साले नामर्द , उठा अब उठा के दिखा”
कहकर कार्तिक उसे बुरी तरह पीटने लगा l भीड़ जमा हो गयी किसी में भी आगे आकर कार्तिक को रोकने की हिम्मत नहीं थी l आज सबने कार्तिक का एक नया ही रूप देखा था l जिस कार्तिक को कभी गुस्सा तक नहीं आता था आज वो पवन को इतनी बुरी तरह पिट रहा है देखकर सब अवाक् थे l पवन निचे गिर पड़ा तो कार्तिक ने उसकी कॉलर पकड़ कर उसे उठाया और कहा,”क्या समझा था तूने ? तू उसके साथ कुछ भी करेगा और मैं चुप रह जाऊंगा”
“अबे हट ! एक दोस्त के लिए तू इतना रियेक्ट क्यों कर रहा है ?”,पवन ने कार्तिक का हाथ झटक कर कहा
“वो सिर्फ दोस्त नहीं है मेरी , वो मेरी सबकुछ है”,कार्तिक ने उसे एक जोरदार घुसा मारते हुए कहा
पवन फिर निचे जा गिरा उसके मुंह से खुन बहने लगा उसने उठते हुए कहा,”साला तू बोलता है वो तेरी सब कुछ है , वो बोलती है तू उसका सब कुछ है l साला ये तुम दोनों के बिच चल क्या रहा है ? लोग के सामने दोस्त बने घूमते हो दिलो में तुम्हारे कुछ और है”
कार्तिक आगे आया और उसे उठाकर दोनों हाथो से उसकी कॉलर पकड़कर गुस्से से कहा,”एक और लफ्ज बोला न तूने तो तुझे यही गाड़ दूंगा , मुझे लगा तू नंदिनी को पसंद करता है और यही सोचकर मैंने तुझे एक मौका दिया पर तू उसके लायक नहीं था l तेरा घिनोना चेहरा कोई नहीं जानता था l अगर पता होता तू इतना गिरा हुआ है तो मैं नंदू को तेरे साथ कभी नहीं जाने देता”
पवन को गुस्सा आया उसने एक मुक्का कार्तिक के मुंह पर मारा तो कार्तिक ने उसकी कॉलर छोड़ दी l पवन ने नाक से आता खून साफ किया और कहा,”अबे जाकर पूछ पहले अपनी उस सोफिया से वो तो सब जानती थी मेरे बारे में , और फिर तुम दोनों का ही तो ये आइडिया था l जरा सा उसे छू लिया तो क्या गुनाह कर दिया तू भी तो दोस्ती के बहाने उसे छू लिया करता है l “
सोफिया का नाम सुनते ही कार्तिक का गुस्सा सातवे आसमान पर था उसने पवन को फिर से पीटना शुरू कर दिया l बात प्रिंसिपल के ऑफिस तक पहुंची l उन्होंने आकर दोनों को अलग किया l पवन वहा से चला गया और कार्तिक उसी वक्त अपनी बाइक लेकर घर गया l कपडे धूल और पसीने में सने थे l नाक और होंठों से खून बह रहा था l कार्तिक गुस्से में अपने कमरे में आया जहा नंदिनी बैठी थी और बेड के एक किनारे बैठ गया l गुस्सा उसकी आँखों से अभी भी झलक रहा था l नंदिनी उसे देखती रही और फिर धीरे से कहा,”आ गए पिट के
“अब मैं कोई फिल्म हीरो तो हु नहीं जो सिर्फ सामने वाले को पीटकर ही आऊंगा , दस घुसे मारे तो , एक घुसा खाकर भी आया हु”,कार्तिक ने धीरे से कहा
“भले तुम फ़िल्मी हीरो ना हो पर मेरे रियल हीरो तो तुम ही हो”,कहकर नंदिनी मुस्कुरा दी
कार्तिक उसे देखता रहा l तभी दरवाजा खुला और सोफिया अंदर आई सोफिया को वहा देखकर कार्तिक की आँखों में गुस्सा उतर आया वह उठा और उसके सामने आकर खड़ा हो गया l
“बेबी वो मैं……………………………..!!”,सोफिया ने इतना ही कहा था की कार्तिक बोल पड़ा
“पवन एक अच्छा लड़का नहीं है ये जानते हुए भी तुमने नंदू को उसके साथ जाने क्यों दिया ? मुझे बताया क्यों नही ?”,कार्तिक ने चिल्लाकर कहा
सोफिया सहम गयी और कहा,”मैं बताने ही वाली थी की……………………..
“तड़ाक…!!”,एक जबरदस्त थप्पड़ सोफिया के गाल पर पड़ा जो की कार्तिक ने मारा था और गुस्से से कहा,”ये थप्पड़ मैंने तुम्हे नहीं बल्कि अपने भरोसे को मारा है जो मैंने तुम पर किया”
सोफिया सर झुकाये खड़ी रही ना उसकी आँखों में शर्म थी ना ही अपने किये का कोई पछतावा l कार्तिक वहा से हटा और मुंह फेरकर कहा
“मुझे शर्म आती है ये कहते हुए की मैंने तुम जैसी लड़की से प्यार किया !! चली जाओ यहाँ से आई से गेट आउट फ्रॉम हियर”
Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18 Aur Pyar Ho Gaya – 18
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संजना किरोड़ीवाल