Pasandida Aurat – 47
अवनि सुरभि को लेकर फ्लेट में चली आयी। शाम के 6 बज रहे थे और हल्का अँधेरा होने लगा था। अंदर आते ही सुरभि ने सबसे पहले कपडे बदले , सिरोही में उदयपुर से भी ज्यादा ठण्ड थी इसलिए उसने गरम टाउजर और फ्री साइज हुड्डी पहन लिया जो कि उसके नाप का तो बिल्कुल नहीं था। सुरभि हॉल में आयी तब तक अवनि उसके लिए गर्मागर्म चाय लेकर आ चुकी थी।
“थैंक्यू अवनि ! कसम से मुझे इसकी बहुत जरूरत थी”,सुरभि ने चाय का कप लेकर सोफे पर बैठते हुए कहा
“वो तो ठीक है पर तुमने ये हुड्डी किसका पहना है ?”,अवनि ने भी अपना कप लेकर सोफे पर बैठते हुए कहा
“ये अनिकेत की है , लास्ट वीकेंड जब मैं उस से मिली थी तो वो इसमें कुछ ज्यादा ही क्यूट लग रहा था इसलिए मैंने छीन ली,,,,,,,!!”,सुरभि ने चाय का घूंठ भरकर कहा
“अरे ये क्या बात हुई भला , अगर वो इसमें अच्छा लग रहा था तो उसे पहनने देती,,,,,,,,,!!”,अवनि ने कहा
“वाह वाह वाह उसे पहनने दू ताकि वो कॉलेज में अपनी स्टूडेंट्स के बीच क्यूट दिखे और लड़किया मक्खी की तरह उस से चिपक जाए,,,,,,,,,बिल्कुल नहीं उसका काम है कॉलेज में लेक्चर देना लड़कियों के बीच क्यूट लगना नहीं,,,,,,,,,,!!”,सुरभि ने बच्चो की तरह मचलकर कहा
अवनि ने सुना तो हसने लगी और कहा,”वैसे तुमने अंकल आंटी को अपने और अनिकेत के बारे में बताने का सोचा या नहीं ?”
“अभी नहीं पहले मेरी जॉब लग जाए उसके बाद,,,,,,,,!!”,सुरभि ने कहा
“अच्छा सुरभि ! तुम्हे सिद्धार्थ कैसा लगा ?”,अवनि ने आसभरे स्वर में पूछा
“एक नंबर का चालू इंसान है , तुम सीधी हो अवनि और उसके जाल में फंस गयी”,सुरभि ने मन ही मन कहा उसे खामोश देखकर अवनि ने कहा,”क्या हुआ , क्या सोचने लगी तुम ?”
“अह्ह्ह्ह ! अच्छा है , अब एक मुलाकात में मैं उसे जज कैसे कर सकती हूँ ?”,सुरभि ने अवनि का दिल रखने के लिए कह दिया क्योकि वह एकदम से अवनि के सामने सिद्धार्थ के बारे में बोलना नहीं चाहती थी। सुरभि बहुत ही समझदार लड़की थी वह जानती थी कि अवनि इमोशनल और मासूम है और सिद्धार्थ पर बहुत विश्वास करती है ऐसे में उसने अगर ऐसी वैसी कोई बात की तो कही अवनि का दिल ना टूट जाये , या फिर अवनि उसे ही गलत समझकर उस से दूर ना हो जाये।
अवनि ने सुना तो सुरभि की तरफ देखा और शांत स्वर में कहने लगी,”सिद्धार्थ बहुत अच्छा लड़का है सुरभि ! वो उस वक्त मेरी जिंदगी में आया जब मैं बहुत टूट चुकी थी। उसने मुझे सम्हाला , सहारा दिया , इस अनजान शहर में एक वही है जिसे मैं अपना कहकर बुला सकती हूँ , वो मेरा बहुत ख्याल रखता है बिल्कुल एक पिता की तरह , वो मेरी हर छोटी छोटी जरूरतों का ख्याल रखता है। कभी ऐसा कुछ नहीं करता जिस से मुझे हर्ट हो , गलती करता भी है तो तुरंत माफ़ी मांग लेता है और तो और वो मेरी आँखों में आँसू तक नहीं देख पाता।
सच कहू तो सिद्धार्थ बिल्कुल वैसा ही है जैसे मेरी कहानियो के किरदार या यू कहूँ वो उन से भी ज्यादा अच्छा है। उसने मुझे फिर से हँसना सिखाया है सुरभि , मेरे अंदर जीने की , प्यार करने की भावना जगाई है। तुम ही बताओ ऐसे इंसान से किसे प्यार नहीं होगा,,,,,,,,मैं उस पर बहुत भरोसा करती हूँ और मुझे यकीन है वो मेरा भरोसा कभी नहीं तोड़ेगा,,,,,,,,,इस जिंदगी में तो कभी नहीं,,,,,,,”
सुरभि ने सुना तो ख़ामोशी से अवनि की आँखों को देखने लगी जिनमे सिद्धार्थ के लिए उसे बेइंतहा प्यार नजर आ रहा था। सुरभि का मन बेचैनी से घिर गया। अवनि की बातों से ये साफ जाहिर हो रहा था कि अवनि सिद्धार्थ को चाहने लगी है। सुरभि को खामोश पाकर अवनि ने कहा,”महादेव ने खुद उसे मेरी किस्मत में लिखा है सुरभि , वो गलत हो ही नहीं सकता”
“अच्छा तो एक बात बताओ , सिद्धार्थ तुम्हे चाहता है , तुम से प्यार करता है उसने तुम्हारे करीब आने की कोशिश तो की होगी ?”सुरभि ने कहा
अवनि मुस्कुराई और कहा,”नहीं ! सिद्धार्थ ने कभी अपनी लिमिट क्रॉस नहीं की , हाँ कभी कभी साथ होते है तो वह मेरा हाथ जरूर थाम लिया करता है , कहता है मेरा हाथ उसके हाथ में अच्छा लगता है,,,,,,,,,!!”
“अह्ह्ह्ह ये वो अवनि नहीं है जिसे मैं जानती थी , सिद्धार्थ के प्यार ने इसे बदल दिया है,,,,,,,,,,,!!”,सुरभि बड़बड़ाई और कहा,”कभी अकेले में मिलने नहीं बुलाया उसने ? कभी छोटे कपड़ो में फोटो मांगी ? कभी किस करने की कोशिश तो की ही होगी ? मैं इन लड़को को अच्छे से जानती हूँ इन्हे बस मौका चाहिए”
अवनि फिर मुस्कुराई और कहा,”जी नहीं वो हमेशा मुझे मंदिर लेकर जाता है , उसे छोटे कपड़ो से ज्यादा मुझे सूट में देखना पसंद है वो भी सर पर दुप्पट्टे के साथ और रही बात किस की तो उसने कहा है कि वो शादी से पहले ऐसा कुछ नहीं करेगा जो मुझे अनकम्फर्टेबल करे”
“हैं ! मतलब बात शादी तक पहुँच गयी है ?”,सुरभि ने आँखे बड़ी कर हैरानी से कहा। कहा वह सिद्धार्थ को अवनि की जिंदगी से निकालने के सपने देख रही थी और कहा अवनि सिद्धार्थ के साथ शादी के सपने देखने लगी थी।
“पता है सुरभि जब उसने मेरे सूने पैर देखे तो क्या किया ?”,अवनि ने अपना और सुरभि का खाली कप उठाकर कहा
“क्या किया ?”,सुरभि ने मुंह बनाकर कहा जिसे अवनि नहीं देख पायी क्योकि तब तक वह किचन की तरफ बढ़ चुकी थी।
“उसने मेरे लिए चाँदी की नयी पायल खरीदी , मैंने कभी सोचा नहीं था कोई मुझसे इतना प्यार करेगा”,अवनि ने पलटकर कहा
“अच्छा और कहा है वो पायल ?”,सुरभि ने पूछा
“उसने कहा है सही वक्त आने पर वो खुद मुझे अपने हाथो से पहनायेगा”,अवनि ने अपने बालों को बांधकर क्लेचर लगाते हुए कहा
“और वो सही वक्त कभी नहीं आएगा , ये सिद्धार्थ का बच्चा तो मेरी सोच से भी तेज निकला , कितना बुरा फंसाया है अवनि को,,,,,,,पायल खरीदकर सीधा उसके सेंटिमेंटल्स पर पोक कर दिया उसने तो,,,,,,,,,!!”,सुरभि खुद में ही बड़बड़ाने लगी
“क्या बड़बड़ा रही हो ?”,अवनि ने पूछा
“मतलब उसने आज तक तुम्हे कोई गिफ्ट नहीं दिया”,सुरभि ने फिर कहा वह बस कैसे भी करके अवनि के दिमाग में सिद्धार्थ के खिलाफ बीज बोना चाहती थी।
अवनि सुरभि के पास आयी और अपनी कलाई दिखाकर कहा,”ये देखो ! ये उसने अपने हाथो से मुझे पहनाया था”
“हाह ! ये लोहे का ब्रासलेट,,,,,,,,,,10-20 रूपये में किसी भी ठेले पर मिल जाएगा तुम्हे”,सुरभि ने मुंह बनाकर कहा
अवनि सुरभि के सामने आ बैठी और प्यार से कहा,”सुरभि ! तुम सिद्धार्थ को लेकर इतना नेगेटिव क्यों हो रही हो ? उसने ये प्यार से और बहुत ही विश्वास के साथ दिया है और किसी का विश्वास पैसे भी बढ़कर होता है,,,,,,तुम सिद्धार्थ को समझ ही नहीं पायी सुरभि इसलिए ये सब कह रही हो। जब मेरे साथ कोई नहीं था , जब सबने मुझे अकेला कर दिया , जब मैं अपनी जिंदगी के सबसे बुरे दौर से गुजर रही थी तब सिद्धार्थ मेरे साथ था और इसके बदले में उसने कभी मुझसे कुछ नहीं चाहा,,,,,,,!!”
सुरभि ने देखा अवनि उदास हो गयी है तो उसने कहा,”आई ऍम सॉरी अवनि पर मैं नहीं चाहती फिर से तुम्हारा दिल टूटे , फिर से तुम शादी के सपने देखो और कोई तुम्हे नींद से जगा दे,,,,,,अगर सिद्धार्थ वाकई में तुम्हारे लायक है तो मैं महादेव से प्रार्थना करुँगी कि वो हमेशा तुम्हारे साथ रहे”
अवनि ने सुना तो आगे बढ़कर सुरभि को गले लगाया और नम आँखों से मुस्कुरा दी। वही अवनि के गले लगी सुरभि ने मन ही मन खुद से कहा,”और मैं महादेव से ये प्रार्थना भी करुँगी कि अगर सिद्धार्थ तुम्हारे लायक नहीं है तो वो तुम्हारी जिंदगी से चला जाये और महादेव किसी ऐसे इंसान को तुम्हारी जिंदगी में भेजे जो तुम्हे सच में प्यार करे,,,,!!”
“अच्छा ये बताओ खाने में क्या खाओगी ?”,अवनि ने सुरभि से दूर होकर अपनी आँखों के किनारे पोछकर कहा
“तुम बैठो आज खाना मैं बनाती हूँ,,,,,,,तुम बताओ तुम क्या खाओगी ?”,सुरभि ने अपने बालों को बांधते हुए पूछा वह सिद्धार्थ के बारे में बात करके अवनि को और उलझाना नहीं चाहती थी
“अरे तुम क्यों बनाओगी ? मैं बनाती हूँ ना तुम बैठो,,,,,,,,,,!!”,अवनि ने कहा
“क्योकि मेरा खाना बनाने का मूड है”,सुरभि ने किचन की तरफ जाते हुए कहा
अवनि ने सुना तो उसे याद आया कि सुरभि खाना बनाने की जिद दो ही मौको पर करती है एक तब जब किसी बात से बहुत परेशान होती है दूसरा तब जब बहुत खुश होती है। उसने सुरभि की तरफ देखकर कहा,”ख़ुशी या परेशानी ?”
“अह्ह्ह्ह ख़ुशी , ख़ुशी इतने दिनों बाद तुम से मिलने की , अब जल्दी बताओ क्या खाना है ?”,अवनि ने पलटकर कहा और फिर हाथ धोकर खाना बनाने की तैयारी करने लगी।
“कढ़ी चावल वो भी तीखी वाली कढ़ी के साथ,,,,,,,,!!”,अवनि ने कहा
“जी मेमसाहब”,सुरभि ने इतनी अदा से कहा कि अवनि हंस पड़ी और कपडे बदलने के लिए कमरे की तरफ जाते हुए कहा,”तब तक मैं क्या करुँगी ?”
“तुम आज अपना टाइम अपने चाहने वालो को दो इंस्टाग्राम पर लाइव आकर या फिर तुम एक अच्छा सा QNA रख लो,,,,,,,,वैसे भी तुम्हारे चाहनेवालो के सवाल बहुत फनी होते है”,सुरभि ने कहा और कूकर गैस पर चढ़ा दिया।
अवनि कपडे बदलकर अपना फोन लेकर बाहर चली आयी और किचन प्लेटफॉर्म पर बैठकर इंस्टाग्राम पर एक बार फिर QNA पोस्ट किया और उसके बाद फ़ोन साइड में रखकर सुरभि से बाते करने लगी और इस बार उनकी बातो में सिद्धार्थ का जिक्र नहीं था बल्कि वे दोनों अपने बीते दिनों को याद करके हंस रही थी और खिलखिला रही थी।
लोकल ट्रेन की सीट पर बैठा पृथ्वी अपने फोन में इंस्टाग्राम स्क्रॉल कर रहा था। आज ऑफिस से निकलने में देर हो गयी जिस वजह से पृथ्वी ने अपनी रोजाना वाली ट्रेन मिस कर दी और अब वह पुरे एक घंटा लेट घर जा रहा था बस अच्छी बात ये थी कि इस ट्रेन में उसे आज बैठने को सीट मिल गयी थी वरना तो बेचारा बहुत बार खड़े खड़े जाता था।
पृथ्वी रोज अवनि की लिखी कहानिया , उसके कोटस पढ़ रहा था लेकिन उसने अवनि से कॉन्टेक्ट करने की कोशिश नहीं की पर काफी कुछ था जो वह अवनि के बारे में जानने लगा था जैसे कि अवनि कहा से है ? उसे बनारस बहुत पसंद है , वह महादेव को बहुत मानती है , वह एक राइटर है जो हिंदी में कहानिया लिखती है और साथ ही अवनि के थॉट्स भी,,,,,,,,,!!”
पृथ्वी स्क्रॉल कर ही रहा था कि उसकी आँखों के सामने एक रेंडम पोस्ट आयी जिसमे लिखा था
“तुम ब्याहे जाओगे किसी दिन घर की जिम्मेदारियों के नाम पर , इश्क़ अस्सी की सीढ़ियों पर चाय पीते रह जायेगा”
पृथ्वी की उंगलिया स्क्रीन पर रुक गयी इसे पढ़ने के बाद वह आगे स्क्रोल ही नहीं कर पाया और उसकी आँखों के सामने अवनि का चेहरा आने लगा। पृथ्वी का दिल धड़कने लगा उसकी नजर एक बार फिर अवनि की प्रोफाइल पर पड़ी जिसने आज फिर नयी स्टोरी पोस्ट की थी पृथ्वी ने उसे खोलकर देखा तो पाया कि आज एक महीने बाद फिर एक QNA था।
पृथ्वी के दिल ने कहा “सवाल कर”
दिमाग ने कहा “पिछली बार वाली बेइज्जती भूल गया”
दिल ने कहा “जब कोई पसंद होता है तो बेइज्जी वैज्ज़ती नहीं देखते तू सवाल कर”
दिमाग ने कहा “एक बार फिर सोच ले”
दिल ने कहा “सोच समझकर ऑफिस की मीटिंग की जाती है चैटिंग नहीं , सवाल कर ना भाऊ”
दिमाग ने कहा “पछतायेगा”
दिल ने कहा “हाँ इसकी सुनेगा तो जरूर पछतायेगा”
पृथ्वी दिल और दिमाग की बातों में उलझ गया और पिछले 2 मिनिट से बस अवनि की स्टोरी खोलकर बैठा था ना सवाल किया न बंद किया और आखिर में दिल और दिमाग की इस जंग में पृथ्वी जीत गया और उसने जल्दी जल्दी सवाल लिखकर भेजा और फोन बंद करके जेब में डाल लिया। वह गहरी और लम्बी लम्बी सांसे लेने लगा। उसका दिल जोरो से धड़क रहा था और ठंड में भी उसे गर्मी का अहसास हो रहा था। पृथ्वी उठा और दरवाजे के पास चला आया उसने अपने ईयर फोन कानो में लगा लिए और फोन में गाना चलाकर छोड़ दिया।
ठंडी हवा का झोंका उसे छूकर गुजरा और कानो में साथिया फिल्म का बहुत ही प्यारा सा गाना बजने लगा “हंसती रहे तू हंसती रहे हया की लाली खिलती रहे”
पृथ्वी को ये गाना , ये मौसम और ट्रेन का सफर बहुत अच्छा लग रहा था। उसकी धड़कने अब सामान्य थी। उसने अपने बिखरे बालों में से हाथ घुमाया और मुस्कुरा उठा। शाम की ढलती सूरज की नारंगी रौशनी उसके चेहरे पर पड़ी और उसकी मुस्कान और भी प्यार नजर आने लगी ये बिल्कुल वैसी ही थी जैसी बारिश की पहली बूंद पत्तो पर गिरती है।
पृथ्वी घर पहुंचा , रात का खाना खाकर अपने फ्लेट पर चला आया। डरते डरते उसने अपना इंस्टाग्राम खोलकर देखा लेकिन मायूस हो गया आज अवनि की तरफ से उसे कोई जवाब नहीं आया था। पृथ्वी उदास हो गया और बिस्तर पर आकर लेट गया लेकिन नींद आँखों से कोसो दूर और अब तक पृथ्वी को जागने की आदत हो चुकी थी उसने अपना फोन उठाया और एक बार फिर कहानियो की दुनिया में खो गया।
वह अवनि की लिखी कहानियो से अवनि को समझने की कोशिश करने लगा क्योकि पृथ्वी का मानना था कि इंसान जो भी काम करता है उसमे उस इंसान की थोड़ी सी छवि तो दिखाई देती है। अवनि जिस तरह से अपनी कहानियो के फीमेल कैरेक्टर का जिक्र किया करती थी उनमे थोड़ी थोड़ी अवनि की छवि दिखाई देती थी। कहानियो से ही पृथ्वी से अंदाजा लगाया कि अवनि इमोशनल लड़की है , बहुत ज्यादा सोच-विचार करने वाली लड़की है जो आज भी रिश्तों को हर चीज से ऊपर रखती है। अवनि का जवाब तो नहीं आया पर कहानी पढ़ते पढ़ते पृथ्वी को नींद जरूर आ गयी।
अगली सुबह सिरोही
अवनि सुबह जल्दी उठ गयी। उसने फ्लेट की सफाई की और नहाने चली गयी। नहाकर पूजा की और फिर चाय नाश्ता बनाने किचन की तरफ चली आयी। सुरभि सो रही थी अवनि ने उसे नहीं जगाया क्योकि दोनों बाते करते हुए देर रात तक जाग रही थी। अवनि बैंक से छुट्टी लेना चाहती थी लेकिन सुरभि ने मना कर दिया क्योकि आज अवनि का बैंक में हाफ सेटरडे था और अगले दिन सन्डे था तो सुरभि नहीं चाहती थी उसके लिए अवनि का काम डिस्टर्ब हो उसने बीती रात ही अवनि को बैंक जाने के लिए मना लिया।
अवनि ने अदरक वाली चाय बनायीं और साथ ही पोहा भी बना दिया। सुरभि भी उठ चुकी थी और नहा चुकी थी। नहाने के बाद उसने फिर अपने अनिकेत का हुड्डी और ट्राउजर पहन लिया। अवनि चाय नाश्ता कमरे में ही ले आयी और दोनों बाते करते हुए खाने लगी। खाते खाते सुरभि का फोन बजा उसने देखा फोन अनुज सर का था सुरभि को याद आया कि उसे अनुज सर को मेल भेजना था पर सिरोही आने की ख़ुशी में वह ये सब भूल गयी।
उसने फोन अपने ललाट पर मारा और फोन उठाकर कान से लगा लिया। अनुज सर से मीठी सी डांट खाकर सुरभि ने थोड़ी देर में मेल करने का कहकर फोन रख दिया।
अवनि ने अपनी भँवे उचकाकर इशारे में पूछा तो सुरभि ने अपने फोन का मेल बॉक्स ओपन करके कहा,”वो अनुज सर को एक मेल भेजना था और मैं भूल गयी,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह ये मेरे साथ ही क्यों होता है ?”
कहते हुए सुरभि ने अपना फोन बिस्तर पर पटक दिया क्योकि उसका फोन चार्ज ना होने की वजह से बंद हो गया। अवनि ने देखा तो कहा,”रिलेक्स ! मेरे लेपटॉप में तुम्हारा मेल आई डी ओपन है तुम वहा से उन्हें मेल टाइप करके भेज दो,,,,,,,!!”
“थैंक्यू ! तुम्हारे पास मेरी हर प्रॉब्लम का सोलुशन है”,कहते हुए सुरभि ने अपना चाय से आधा भरा मग उठाया और अवनि की स्टडी टेबल पर आ बैठी। उसने लेपटॉप खोला और चाय पीते हुए अनुज सर के लिए मेल टाइप करने लगी !
( क्या सुरभि अवनि को सिद्धार्थ के बिछाए जाल से निकाल पायेगी या अवनि के साथ खुद भी फंसती चली जाएगी ? पृथ्वी ने इस बार अवनि से ऐसा क्या सवाल किया होगा जिसने उसकी धड़कने बढ़ा दी ? क्या अवनि का लेपटॉप इस्तेमाल करते हुए सुरभि का होगा पृथ्वी से सामना ? जानने के लिए पढ़ते रहिये “पसंदीदा औरत” मेरे साथ )
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संजना किरोड़ीवाल
