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Pasandida Aurat – 44

Pasandida Aurat – 44

Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

सिद्धार्थ अपनी बातो से , अपनी परवाह से और अपने छोटे छोटे एफ्फोर्ट्स से अवनि का दिल और विश्वास जीत रहा था और अवनि भी सिद्धार्थ को पसंद करने लगी। देखते ही देखते महीना गुजर गया और इस एक महीने में सिद्धार्थ और अवनि की जिंदगी खुशियों से भरी थी। दोनों दिनभर फोन , मैसेज में बाते करते , हर छोटी से छोटी बात एक दूसरे से साँझा करते , अवनि की सुबह की शुरुआत ही सिद्धार्थ के “Good Morning” मैसेज के साथ होती थी।

हर रोज सिद्धार्थ ऑफिस जाने से पहले तैयार होकर अवनि को अपनी तस्वीर भेजता था और अवनि बहुत ही प्यार से उसे अपने फोन में सहेज कर रखती। सिद्धार्थ के साथ और उसकी परवाह से अवनि धीरे धीरे अपने दुःख को भूलने लगी थी। अब उसे उदयपुर की इतनी याद नहीं आती थी ना ही घरवालों की , सिद्धार्थ अवनि का विश्वास इस कदर जीत चुका था कि अवनि धीरे धीरे पूरी तरह उस पर निर्भर होने लगी।

सिद्धार्थ ने उसे यकीन दिलाया कि वह आने वाले वक्त में अपने साथ और विश्वास से अवनि के बीते हुए कल को भुलाने में अवनि की मदद करेगा। अवनि खुश रहने लगी थी , सपने देखने लगी थी और इन सब की वजह था सिद्धार्थ।

रविवार को बैंक की छुट्टी होने की वजह से आज अवनि ने अपने फ्लेट को सजाने का मन बनाया। उसने कमरे और हॉल की खिड़कियों पर सुंदर फूलो वाले परदे लगाए जो उसने पिछले हफ्ते ही खरीदे थे। कमरे की एक खाली दिवार को अपनी तस्वीरों और पेंटिंग्स से सजाया था। बिस्तर पर नयी बेडशीट और तकिये रखे। गंदे कपडे वाशिंग मशीन में धुलने के लिए डाल दिए और धुले हुए कपडे समेट कर कबर्ड में जमाये।

कमरा अब पहले से ज्यादा साफ़ सुथरा और प्यारा लग रहा था। उसने कुछ पत्तियों वाला आर्टिफिशियल बेल दिवार पर लगाया और उसे छोटी छोटी लाइट्स से सजाया जो कि किसी सपने से कम नहीं था। ये सब काम करते हुए उसके जहन में सिद्धार्थ का ख्याल था और वह मुस्कुराते हुए सब किये जा रही थी।

बालकनी में रखे पोधो को उसने साफ़ किया और उनमे पानी देकर उन्हें सलीके से जमा दिया। दोपहर होते होते अवनि सब काम कर चुकी थी उसने गर्म पानी का एक शावर लिया और गर्म कपड़े पहनकर बाहर चली आयी। खाना बनाने के लिए वह जैसे ही किचन की तरफ आयी उसका फोन बजा। अवनि ने आकर अपना फोन देखा स्क्रीन पर सिद्धार्थ का नाम देखकर अवनि मुस्कुरा उठी उसने फोन उठाया और कान से लगा लिया दूसरी तरफ से सिद्धार्थ ने कहा,”10 मिनिट में फटाफट तैयार हो जाओ हम बाहर जा रहे है”


“बाहर लेकिन मैंने अभी तक कुछ खाया नहीं है और मुझे खाना बनाना है”,अवनि ने कहा
“उसकी जरूरत नहीं है मैंने तुम्हारे लिए सेंडविच बनाया है,,,,,,,,मैं निकल रहा हूँ 10 मिनिट बाद अपार्टमेंट के बाहर मिलता हूँ ,, बाय”,कहकर सिद्धार्थ ने फोन काट दिया अवनि कुछ बोल ही नहीं पायी वह बस मुस्कराते रही। उसे हैरानी हो रही थी कि सिद्धार्थ ने उसके लिए अपने हाथो से कुछ खाने का बनाया है , ऐसा तो उसने अब तक बस अपनी कहानियो में पढ़ा था। अवनि ने फ़ोन होंठो से लगा लिया और ख़ुशी से उछलकर कमरे में चली आयी।

आज उसने अपना सबसे सुंदर सूट निकाला और पहनकर शीशे के सामने चली आयी। उसने हमेशा की तरह आज बालों की चोटी नहीं बनायीं बल्कि आगे से दोनों तरफ के थोड़े थोड़े बाल लेकर उन्हें मोड़कर पीछे किया और हेयर पिन लगा लिया। कानों में छोटे झुमके , ललाट पर लाल बिंदी , आँखों में हल्का काजल और होंठो पर लिपस्टिक के साथ उसने हलकी खुशबु का परफ्यूम भी लगाया।

बिस्तर पर पड़े दुप्पटे को उठाकर जैसे ही गले में डाला नजर अपने सूने गले पर चली गयी जिसमे अवनि कभी कुछ पहनती नहीं थी। ठण्ड ज्यादा नहीं थी फिर भी अवनि ने हल्का और पतला स्वेटर पहन लिया जो कि सूट के साथ बढ़िया लग रहा था। सिद्धार्थ आ चुका था उसने मैसेज किया और अवनि अपना बैग लेकर फ्लेट से बाहर निकल गयी।

अवनि अपार्टमेंट के बाहर आयी हलाकि बिल्डिंग में रहने वाली कुछ आंटियो ने उसे गाड़ी में सिद्धार्थ के साथ जाते देखा भी लेकिन अवनि को इस से फर्क नहीं पड़ा
सिद्धार्थ ने गाडी आगे बढ़ा दी और कहा,”जानती हो आज मैंने तुम्हे मिलने क्यों बुलाया है ?”
अवनि ने ना में अपनी गर्दन हिला दी तो सिद्धार्थ मुस्कुराया और कहा,”आज मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ स्पेशल है , कुछ बहुत जरुरी बात जो मुझे तुम से करनी है बस इसलिए मैं तुम्हारा थोड़ा सा वक्त चाहता था”


अवनि ने सुना तो उसका दिल धड़क उठा ऐसा नहीं था कि आज से पहले वह सिद्धार्थ के साथ अकेले बाहर नहीं गयी थी पर आज उसे एक मीठी सी घबराहट का अहसास हो रहा था। सिद्धार्थ उस से क्या बात करने वाला था अवनि नहीं जानती थी। अवनि को खामोश देखकर सिद्धार्थ ने कहा,”ओह्ह्ह हां ! वो पीछे तुम्हारे लिए बॉक्स रखा है उसे उठाओ”


अवनि ने गाडी की पिछली सीट पर पड़े बॉक्स को उठाया और खोलकर देखा तो उसमे सेंडविच रखे थे जिसे सिद्धार्थ ने खुद अपने हाथो से बनाया। अवनि ने सिद्धार्थ की तरफ देखा और कहा,”इसकी क्या जरूरत थी मैं घर से खा लेती , आप खामखा परेशान हुए”
“अवनि ! तुम्हारे लिए ये सब करना मुझे अच्छा लगता है और मैं कभी परेशान नहीं होता बल्कि मैं तो पूरी जिंदगी तुम्हारे लिए खाना बना सकता हूँ,,,,,!!”,सिद्धार्थ ने अवनि की तरफ देखकर प्यार से कहा


अवनि ने सुना तो मुस्कुरा उठी। कोई लड़का उसे अपनी जिंदगी में इतनी अहमियत देगा अवनि ने कभी ये सोचा नहीं था। उसे मुस्कुराते देखकर सिद्धार्थ ने कहा,”अरे मुस्कुराती ही रहोगी या खाकर बताओगी कैसा बना है ? देखो मैंने पहली बार तुम्हारे लिए कुछ बनाया है तो अगर थोड़ा ऊपर नीचे हो तो प्लीज थोड़ा एडजस्ट कर लेना”
“अच्छा बना है”,अवनि ने सिद्धार्थ की तरफ देखकर प्यार से कहा
“अरे तुमने खाया भी नहीं और अच्छा बता रही हो,,,,,,,!!”,सिद्धार्थ ने कहा


“आज से पहले मेरे लिए किसी ने ऐसा नहीं किया , आपने इतने प्यार से बनाया है मतलब अच्छा बना है”,अवनि ने कहा और एक टुकड़ा उठाकर खाने लगी। खाने के बाद भी अवनि ने सिद्धार्थ की तारीफ की और सिद्धार्थ ख़ुशी से फूला नहीं समाया। वह बीच में बीच में अवनि को खाते हुए देख रहा था ये देखकर अवनि ने अपनी गर्दन उचकाई तो सिद्धार्थ ने कहा,”यार तुम कितनी भुक्कड़ हो , अकेले अकेले खा रही हो मुझसे पूछा भी नहीं,,,,,,,,,,!!”
“मुझे लगा आप घर से खाकर आये होंगे”,अवनि ने कहा


“जी नहीं ! मैंने सेंडविच बनाये , बॉक्स में रखे और सीधा तुम्हारे पास चला आया सोचा साथ मिलकर खाएंगे”,सिद्धार्थ ने मासूमियत से कहा
“ओह्ह्ह आई ऍम सो सॉरी ! लीजिये ना”,अवनि ने बॉक्स सिद्धार्थ की तरफ बढ़ा दिया। सिद्धार्थ के दोनों हाथ गाड़ी के स्टेयरिंग पर थे उसने सामने देखते हुए कहा,”अवनि मुझे लगा तुम समझदार हो , तुम देख रही हो ना मेरे हाथ बिजी है”


अवनि समझ गयी सिद्धार्थ क्या कहना चाहता है इसलिए सुने बॉक्स वापस पीछे किया और सेंडविच का एक टुकड़ा अपने हाथ में उठाकर सिद्धार्थ की तरफ बढ़ा दिया। सिद्धार्थ ने ख़ुशी ख़ुशी अवनि के हाथ से सेंडविच खाया और दोनों बाते करते हुए अपनी मंजिल की ओर बढ़ गए। अवनि ने सिद्धार्थ से नहीं पूछा कि वे लोग कहा जा रहे है बल्कि उसे विश्वास था कि हमेशा की तरह सिद्धार्थ इस बार भी उसे मंदिर ही लेकर जाएगा।

सेंडविच खाने के बाद अवनि ने पानी पीया और फिर अपने हाथो को बांधकर सिद्धार्थ की तरफ घुमाकर बैठी गयी और कहा,”अच्छा ऐसी कोई 10 बाते बताओ जो आपको मुझमे अच्छी लगती है”
“10 बाते ?”,सिद्धार्थ ने कहा
“कम है ? अच्छा तो फिर 20 बता दीजिये”,अवनि ने बच्चो की तरह कहा
“अवनि ये क्या है ? मुझे तो तुम पूरी अच्छी लगती हो”,सिद्धार्थ ने हसंते हुए कहा


“नहीं ऐसे नहीं कुछ तो ऐसा होगा न मुझमे जो आपको अच्छा लगा , बताईये ना”,अवनि ने बच्चो की तरह जिद करते हुए कहा
“अह्ह्ह्ह अच्छा ठीक है सोचने दो,,,,,,,,,!!”,सिद्धार्थ ने कहा
“मुझमे क्या अच्छा है ये बताने के लिए आपको सोचना पडेगा , आप कितने बुरे है”,अवनि ने नाराज होकर कहा
“अरे बाबा मजाक कर रहा था , अच्छा बताता हूँ उम्म्म्म तुम्हारा ड्रेसिंग सेन्स बहुत अच्छा है”,सिद्धार्थ ने पहली खूबी बताई जिस से अवनि की नाराजगी पल भर में दूर हो गयी और उसने खुश होकर कहा,”और ?”


“और,,,,,,,,,,,,और तुम बहुत स्प्रिचुअल हो। तुम्हे मंदिर जाना अच्छा लगता है”,सिद्धार्थ ने कहा
“ठीक है 2 हो गए और तीसरा,,,,,,,,,,!!”,अवनि ने उंगलियों पर गिनते हुए कहा
“और , और तुम्हारे लिप्स अच्छे है,,,,,,!!”,सिद्धार्थ ने अवनि की तरफ देखकर कहा
“ये सब नहीं आपको मेरी खुबिया बतानी है जो आपको अच्छी लगती है,,,,,,,,,,!!”,अवनि ने सीधे बैठते हुए कहा और एक बार फिर अपने हाथो को आपस में बांध लिया।

सिद्धार्थ को अवनि में क्या खुबिया है ये बताने के लिए काफी सोचना पड़ रहा था और 4 खुबिया बताने के बाद उसने कहा,”अवनि ये सब मुझसे नहीं होगा,,,,,,,!!”
अवनि ने सुना तो उदास हो गयी और कहा,”मुझमे 10 खुबिया बताने के लिए आपको इतना सोचना पड़ रहा है , जानते है अगर आप मुझसे पूछे तो मैं आपकी कई खुबिया बता सकती हूँ वो भी बिना सोचे,,,,,,,,!!!”


सिद्धार्थ ने सुना तो खामोश हो गया। अवनि उदास आँखों से खिड़की के बाहर देखने लगी कुछ देर पहले वह कितनी खुश थी। सिद्धार्थ ने अवनि को उदास देखा तो उसके हाथ को अपने हाथ में लिया और कहा,”अवनि ! तुम परफेक्ट हो , मैं तुम्हे हमेशा परफेक्ट ही देखा है शायद इसलिए मैं तुम्हे तुम्हारी खुबिया नहीं बता पाया और वैसे भी तुम एकदम से मुझसे ये सब पूछोगी तो मैं नहीं बता पाऊंगा। हर चीज का एक सही वक्त होता है अवनि,,,,,,,,,आई ऍम सॉरी बट मैं जो तुम्हारे लिए फील करता हूँ वो मुझे कहना नहीं आता,,,,,,,,,,!!”


अवनि ने सुना तो उदास आँखों से सिद्धार्थ को देखने लगी ये देखकर सिद्धार्थ ने दूसरे हाथ से अपना कान पकड़ा और प्यार से कहा,”सॉरी,,,,,,अब प्लीज मुस्कुरा दो , तुम उदास बिल्कुल अच्छी नहीं लगती”
अवनि से सुना तो मुस्कुरा दी और उसके बाद पुरे रास्ते उसका हाथ सिद्धार्थ के हाथ में रहा जिसे छुड़ाने की अवनि ने कोई कोशिश नहीं की। सिद्धार्थ के हाथ की गर्माहट उसे अच्छी लग रही थी और उसके हाथ में अपना हाथ भी,,,,,,,,,,!!

सिद्धार्थ अवनि को लेकर शहर से 50 किलोमीटर दूर एक बहुत ही सुंदर शिव मंदिर लेकर आया। गाड़ी पार्किंग में लगाई और दोनों मंदिर के अंदर चले आये। मंदिर की बनावट और उसमे की गयी कलाकारी देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता था कि मंदिर बहुत पुराना था लेकिन अवनि ने यहाँ भी एक सुकून महसूस किया जिसकी वजह थी “महादेव” के प्रति उसकी आस्था और उनमे अटूट विश्वास। सिद्धार्थ अवनि के साथ चलकर मंदिर के अंदर आया। मंदिर में महादेव की बड़ी सी प्रतिमा थी और उसके सामने नीचे शिवलिंग और नंदी जी स्थापित थे।

अवनि ने दुपट्टा सर पर ओढ़ा और वहा रखा कलश में पानी भरकर शिवलिंग के पास चली आयी। उसने कुछ मंत्र बुदबुदाए और जैसे ही शिवलिंग को जल अर्पित करने लगी सिद्धार्थ उसके बगल में चला आया और उसी कलश को हाथ लगाकर अवनि के साथ ही जल अर्पित करने लगा। सिद्धार्थ का ध्यान शिवलिंग पर जल अर्पित करने में था और अवनि का सिद्धार्थ के चेहरे पर , सिद्धार्थ उसके महादेव के आशीर्वाद की तरह था जो अचानक से उसकी जिंदगी में आया और उसके सारे जख्मो की दवा बन गया।

अवनि ने सिद्धार्थ से नजरे हटाकर  महादेव को देखा और मन ही मन कहा,”हे महादेव ! अगर आपने इन्हे मेरे लिए चुना है तो इन्हे कभी मुझसे दूर मत करना”
जल अर्पित कर दोनों पंडित जी के पास चले आये। पंडित जी ने सिद्धार्थ को तिलक किया और अवनि को भी दोनों को प्रशाद दिया और दोनों मंदिर से बाहर चले आये। मंदिर से बाहर आकर सिद्धार्थ अवनि के साथ सीढ़ियों पर आ बैठा। दोनों वही बैठकर बातें करते रहे , धुप कम होने लगी थी , सूरज ढलने लगा था और इसी के साथ सिद्धार्थ ने अवनि से चलने को कहा क्योकि अभी उन्हें एक से डेढ़ घंटे का सफर तय जो करना था।

मंदिर से बाहर आकर सिद्धार्थ और अवनि गाड़ी में आ बैठे और वहा से निकल गए। शाम का वक्त था और हल्की ठंड थी। आसमान लालिमा लिए बड़ा ही प्यारा लग रहा था उस पर गाडी में बजते रोमांटिक गाने उस पल को और खूबसूरत बना रहे थे। रास्ते में सड़क किनारे सिद्धार्थ ने एक रेस्ट्रोरेंट के बाहर गाडी रोकी। अवनि और सिद्धार्थ गाड़ी से नीचे उतरे और अंदर चले आये।

रेस्टोरेंट बहुत ही सिम्पल और खुले में हॉलनुमा बना था जो कि दो तरफ से खुला था और ऊपर टीनशेड लगे थे। पत्थर की टेबल्स और गद्देदार कुर्सियां। सिद्धार्थ और अवनि वहा आ बैठे। मौसम और शाम का वक्त देखते हुए सिद्धार्थ ने प्याज के पकौड़े और दो कप चाय ऑर्डर की।  

दोनों बाते करते हुए अपने आर्डर का इंतजार करने लगे तभी अवनि का फोन बजा। अवनि ने स्क्रीन पर सुरभि का नंबर देखा तो मुस्कुरा उठी और कुर्सी से उठकर सिद्धार्थ से कहा,”मैं अभी आयी”
अवनि को किसी का फोन आना और उसका यु उठकर चले जाना सिद्धार्थ के मन को परेशान कर गया।

सिद्धार्थ अब तक इतना तो जान ही चुका था कि अवनि की जिन्दगी में कोई और नहीं है लेकिन इसके बाद भी अवनि का दूर जाना उसे उलझन में डाल गया। वेटर पकौड़े और चाय रखकर चला गया तो सिद्धार्थ ने अवनि को आवाज दी। अवनि पलटी और फोन काटकर सिद्धार्थ की तरफ चली आयी। अवनि एक बार फिर सिद्धार्थ के सामने आ बैठी तो सिद्धार्थ ने कहा,”अह्ह्ह किसका फोन था ?”
“वो सुरभि का , उसे बताया आपके साथ हूँ तो उसने आपकी तस्वीर भेजने को कहा , अह्ह्ह एक मिनिट मैं उसे फोटो भेज देती हूँ”,अवनि ने कहा


सिद्धार्थ ने जैसे ही सुरभि का नाम सुना उसके चेहरे के भाव बदल गए। कही उसकी तस्वीर देखकर सुरभि अवनि को सिद्धार्थ के बारे में उलटा सीधा ना कह दे और अवनि उस से हमेशा के लिए दूर ना हो जाये सोचकर सिद्धार्थ ने अवनि के हाथ से फोन लिया और कहा,”उसे फोटो भेजने की क्या जरूरत है ? उसे कहो सिरोही आकर डायरेक्ट मुझसे मिले,,,,,,,!!”
“हाँ ये भी ठीक है लेकिन फोटो भेजने में क्या दिक्कत है ?”,अवनि ने हैरानी से कहा


सिद्धार्थ ने अवनि के हाथ पर अपना हाथ रखा और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”अवनि तुम उसे फ़ोटो भेजेगी , अब फोटो देखकर उसे थोड़े पता चलेगा मैं कैसा इंसान हूँ ? फोटो देखकर वो कहेगी अच्छा है या अगर वो मुझसे मिले , बातें करे और फिर तुम्हे कहे कि सिद्धार्थ अच्छा लड़का है तब तुम्हे ज्यादा अच्छा लगेगा ? आई थिंक मिलने के बाद ही किसी को बेहतर समझा जा सकता है बजाय फोटो देखकर,,,,,,,,,,,बाकि तुम चाहो तो उसे अपनी साथ में फोटो भेज सकती हो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है”


कहते हुए सिद्धार्थ ने अवनि का फोन उसकी तरफ बढ़ा दिया। अवनि सिद्धार्थ पर इतना विश्वास करने लगी थी या यू कहे वह उस पर इतनी निर्भर हो चुकी थी कि उसे सिद्धार्थ की कही हर बात सही लगती थी उसने सुरभि को लिख भेजा “अगले हफ्ते तुम सिरोही आ रही हो ना तब खुद ही सिद्धार्थ से मिल लेना तब तक कोई फोटो नहीं”
“ठीक है बेटा अवनि अब तो मैं तेरे इस “पसंदीदा मर्द” से डायरेक्ट सिरोही आकर ही मिलूंगी” सुरभि ने भी लिख भेजा और उसका जवाब पढ़कर अवनि मुस्कुरा उठी। सिद्धार्थ ने अवनि को देखा और मुस्कुरा उठा लेकिन इस मुस्कराहट में कोई तो राज था जिसे अवनि नहीं जानती थी।

( आखिर वो ऐसी क्या खास बात है जो आज सिद्धार्थ अवनि से करने वाला है ? क्या सिद्धार्थ करने वाला है अवनि से अपने प्यार का इजहार ? क्या सिद्धार्थ से मिलने के बाद सुरभि बता पायेगी अवनि को उसका सच ? जानने के लिए पढ़ते रहिये “पसंदीदा औरत” मेरे साथ ) 

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संजना किरोड़ीवाल

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