Pasandida Aurat – 43
वक्त अपनी रफ़्तार से गुजर रहा था। उदयपुर में जहा सब ठीक था तो वही पृथ्वी अपने काम और अवनि की लिखी कहानियो में व्यस्त ! इस वक्त में अगर कुछ खूबूसरत था तो वो थी अवनि और सिद्धार्थ की बातें। दोनों एक दूसरे से इतना घुल मिल गए कि खाने में क्या पसंद है से लेकर क्या सोच रही हो तक का सफर दोनों तय कर चुके थे। सिद्धार्थ अवनि को चाहने लगा था तो वही अवनि के दिल में भी सिद्धार्थ के लिए भावनाये जगने लगी थी।
इन सब से अनजान थी सुरभि जिसे सिद्धार्थ के बारे में अभी तक ज्यादा कुछ पता नहीं था ना ही इन दिनों उसकी अवनि से ज्यादा बात हुई थी और इसी का फायदा मिला सिद्धार्थ को वह अवनि के और करीब आ गया और उसका विश्वास जीतने में सफल रहा। नयी कम्पनी से सिद्धार्थ का कंफर्मेशन मेल आना अभी बाकि था लेकिन वह जानता था कि उसका सेलेक्शन हो जाएगा।
सुबह सुबह अवनि का फोन बजा। उसने देखा फोन सिद्धार्थ का है तो उसने मुस्कुराते हुए फोन उठाया और कहा,”गुड मॉर्निंग ! आज इतनी सुबह आपने याद किया”
“गुड मॉर्निंग ! ये तुमने गलत कहा अवनि सिर्फ सुबह नहीं बल्कि मैं अपनी जिंदगी के हर पल में तुम्हे याद करता हूँ”,सिद्धार्थ ने सर्द आवाज में कहा
सिद्धार्थ की बाते ऐसी होती थी कि किसी भी लड़की का दिल धड़का दे उस पर मासूम अवनि भला कैसे खुद को दूर रख पाती वह मुस्कुराई और कहा,”तो कहिये कैसे फोन किया ?”
“आधे घंटे में तैयार होकर नीचे मिलो मैं तुम्हे लेने आ रहा हूँ”,सिद्धार्थ ने कहा
“लेने आ रहे हो मतलब ? हम कही जा रहे है क्या ?”,अवनि ने पूछा
“हाँ आज मैं तुम्हे एक बहुत ही खूबसूरत जगह दिखाना चाहता हूँ , ना मत कहना प्लीज”,कहते कहते सिद्धार्थ उदास हो गया
“सिद्धार्थ ! आप ठीक है ना ?”,अवनि ने सिद्धार्थ की उदासी भांपकर कहा
“नहीं अवनि ! मैं ठीक नहीं हूँ मन भारी हो रहा है सोचा तुम्हारे साथ कुछ वक्त बिताऊ , अगर तुम बिजी हो तो मैं फिर कभी आता हूँ”,सिद्धार्थ ने उसी उदासी के साथ कहा
“सिद्धार्थ ने हमेशा मेरी मदद की है , मेरा साथ दिया है और आज उसे मेरे साथ की जरूरत है। मुझे उसे ना नहीं कहना चाहिए”,अवनि ने मन ही मन खुद से कहा और फिर सिद्धार्थ से बोली,”पिंक या वाइट ?”
“मैं समझा नहीं,,,,,,,,!!”,सिद्धार्थ ने कहा
“अरे बाबा पिंक सूट या वाइट सूट ?”,अवनि ने पूछा
“सफ़ेद रंग तुम पर बहुत अच्छा लगता है , तुम तैयार हो जाओ मैं आता हूँ”,सिद्धार्थ ने कहा और फ़ोन रख दिया
अवनि ने भी फ़ोन साइड में रखा और नहाने चली गयी। नहाकर उसने सफ़ेद रंग का अनारकली सूट पहना। सर्दियों का मौसम था उस पर दिसंबर का महीना , अवनि ने गले में दुपट्टा डाला और कबर्ड से गर्म शॉल निकालकर रख ली।
वह शीशे के सामने चली आयी उसने बाल बनाये , कानो में छोटे झुमके पहने , ललाट पर छोटी लाल बिंदी , होंठो पर हलकी लिपस्टिक और आँखों में काजल लगा लिया। उसने अपना जरुरी सामान बैग में रख लिया तभी उसका फोन बजा। सिद्धार्थ नीचे गाडी में उसका इंतजार कर रहा था। अवनि ने शॉल कंधो पर डाली और फ्लेट से निकल गयी।
गाड़ी के पास आकर अवनि ने दरवाजा खोला और अंदर आ बैठी। सिद्धार्थ अवनि को देखकर हल्का सा मुस्कुराया और सीट बेल्ट लगाने को कहा। अवनि ने सीट बेल्ट लगाया और दोनों वहा से निकल गए। अवनि ने देखा आज सिद्धार्थ के चेहरे पर उदासी के भाव थे और वह खामोश भी था। उसका ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए अवनि ने दो चार बार अपने बालों को सही किया। अपनी शॉल को ठीक किया लेकिन सिद्धार्थ ने ध्यान नहीं दिया वह कही और ही खोया हुआ था ये देखकर अवनि ने कहा,”आपने आज बताया नहीं मैं कैसी लग रही हूँ ?”
सिद्धार्थ ने अवनि की तरफ देखा और कहा,”इसमें बताना क्या है अवनि तुम तो हमेशा ही अच्छी लगती हो”
“थैंक्स,,,,,,,,,!!”,अवनि ने जोर देकर कहा तो सिद्धार्थ ने अवनि का हाथ अपने हाथ में लिया और गाड़ी के गेयर पर रख लिया। अवनि मुस्कुरा उठी और सिद्धार्थ भी मुस्कुराते हुए सामने देखकर गाडी चलाने लगा। गाड़ी में फैली ख़ामोशी दूर करने के लिए उसने म्यूजिक सिस्टम पर गाना चला दिया जो कि बहुत ही प्यारा और खूबसूरत था।
घंटेभर बाद सिद्धार्थ अवनि को लेकर एक पहाड़ी रास्ते पर पहुचा , उस पहाड़ी पर कुछ ऊपर एक बहुत ही सुन्दर मंदिर था। उसने गाडी साइड लगाई और अवनि के साथ मंदिर में चला आया। अवनि ने ये मंदिर पहले कभी नहीं देखा था उसे इस मंदिर में बहुत ही शांति और सुकून महसूस हुआ। उसने भगवान के दर्शन किये और फिर सिद्धार्थ के साथ ही मंदिर की परिक्रमा करके बाहर चली आयी
“आपसे एक बात पुछु ?”,बाहर आकर अवनि ने सिद्धार्थ से कहा
“हम्म्म पूछो”,सिद्धार्थ ने मंदिर का तिलक अवनि के ललाट पर लगाकर कहा
“आप मेरे साथ हमेशा मंदिर ही क्यों आते है ? मेरा मतलब अब तक मैं आपसे जितनी बार मिली हु हम किसी ना किसी मंदिर गए है”,अवनि ने अपने मन की उलझन सिद्धार्थ के सामने रखते हुए कहा
सिद्धार्थ अवनि के साथ सामने पार्क की तरफ बढ़ गया जो कि मंदिर के छोटे से हिस्से में उसी पहाड़ी के ऊपर बना था और काफी हरा भरा था। जहा पत्थर की कुछ बेंच और कुछ मुर्तिया लगी थी। एक तरफ गहरी खाई भी थी जो पहाड़ से सीधा सड़क की तरफ जाती थी। पक्षियों की चहचाहट और रंग बिरंगे पक्षी वहा मौजूद थे। सुबह का वक्त था और हलकी ठण्ड में वो जगह किसी जन्नत से कम नहीं लग रही थी।
अवनि के साथ चलते हुए सिद्धार्थ ने बहुत ही गंभीर स्वर में कहा,”अवनि मैं चाहता तो बाकि सबकी तरह तुम्हे किसी बड़े शॉपिंग मॉल , थियेटर , रेस्टोरेंट या हील स्टेशन ले जा सकता था पर वहा तुम्हे ऐसी शांति ऐसा सुकून नहीं मिलेगा। मैं जानता हूँ तुम ईश्वर में बहुत विश्वास करती हो बस इसीलिए मैं तुम्हारे साथ मंदिर चला आता हूँ। मैं तुम्हारे साथ इस दुनिया का हर मंदिर घूमना चाहता हूँ अवनि , चाहता हूँ
शिव मंदिर में हम साथ साथ शिवलिंग पर जल अर्पित करे , हर मंदिर में मन्नत के धागे साथ बांधे , हर मंदिर की परिक्रमा में तुम मेरे साथ रहो,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह लगता है मैं कुछ ज्यादा ही बोल गया। आओ वहा बैठते है”
सिद्धार्थ इतना कहकर बेंच की तरफ बढ़ गया और अवनि धीरे धीरे कदम बढ़ाते उसकी तरफ बढ़ गयी। सिद्धार्थ की बातो से उसके दिल में तितलियाँ उड़ रही थी और इसका अहसास उसके चेहरे से साफ झलक रहा था। अवनि सिद्धार्थ के बगल में आ बैठी।
सिद्धार्थ ख़ामोशी से सामने देख रहा था अवनि ने उसे उदास देखा तो अपना हाथ उसके हाथ पर रखा और कहा,”क्या हुआ ? अगर कोई बात आपको परेशान कर रही है तो आप मुझे बता सकते है,,,,,,,,कहते है कि बताने से मन हल्का होता है”
सिद्धार्थ ने सुना तो अपना दुसरा हाथ अवनि के हाथ पर रखा और दोनों हाथो के बीच रखकर बुझे स्वर में कहने लगा,”कुछ ठीक नहीं है अवनि ! पिछले महीने जॉब छोड़ दी थी , उसके बाद नयी कम्पनी में ट्राय किया लेकिन वहा से अभी तक कन्फर्मेशन मेल नहीं आया है। मम्मी पापा चाहते है शादी कर लू लेकिन इतनी जल्दी किसी से शादी करना वो भी ऐसे हालात में , खैर उन्हें मैं नहीं समझा सकता हम लड़को के लिए इतना आसान थोड़ी है पुराने जख्मो को भूलकर आगे बढ़ जाना”
“पुराने जख्म ?”,अवनि ने पूछा क्योकि अब तक सिद्धार्थ ने उसे अपने पास्ट के बारे में नहीं बताया था।
“हाँ पुराने जख्म”,कहकर सिद्धार्थ ने अवनि को नंदिनी और अपने रिश्ते के बारे में बताया। अपने पास्ट के बारे में बताते हुए सिद्धार्थ कितनी ही बार इमोशनल हुआ और खामोश भी , सिद्धार्थ की बातो में कितनी सच्चाई थी ये तो अवनि नहीं जानती थी पर सिद्धार्थ को टुटा हुआ देखकर उसे बहुत दुःख हो रहा था। इस वक्त उसे सिद्धार्थ में एक मासूम बच्चा नजर आ रहा था। सिद्धार्थ ने अपना सर अवनि के कंधे पर टिका दिया और सुबकने लगा।
अवनि ने भी उसे नहीं रोका और धीरे धीरे उसका कंधा थपथपाती रही। सिद्धार्थ ने खुद को सम्हाला और वहा से चला गया। कुछ देर बाद वह मुंह धोकर वापस आया और अवनि के बगल में आ बैठा। अवनि ने सिद्धार्थ को थोड़ा नार्मल देखकर कहा,”आप ठीक है ?”
“हाँ ! वैसे थैंक्यू ! ऐसे हालात में मुझे सम्हालने के लिए , मैंने आज तक किसी के सामने ये सब बाते नहीं की हमेशा अपने दिल में रखा डरता था कि कोई समझेगा नहीं पर तुमने समझा इसलिए थैंक्यू”,सिद्धार्थ ने अवनि की तरफ देखकर कहा
“इसमें थैंक्यू कैसा , एक दोस्त ही दूसरे दोस्त को समझता है और मुझसे वादा कीजिये अब से अपने दिल में कोई बात नहीं रखेंगे ,, जब भी परेशान होंगे मुझसे कहेंगे”,अवनि ने अपना हाथ सिद्धार्थ की तरफ बढाकर मासूमियत से कहा
सिद्धार्थ अवनि की मासूमियत देखकर मुस्कुराया और अपना हाथ उसके हाथ पर रखकर कहा,”वादा”
अवनि मुस्कुराई और कहा,”ये हुई ना बात और जॉब की टेंशन मत लीजिये ! मैं जानती हूँ आप बहुत टेलेंटेड है आपका सेलेक्शन हो जाएगा और रही शादी की बात तो वो भी हो जाएगी और घर की जिम्मेदारियां भी सम्हाल ही लेंगे”
अवनि की बाते सुनकर सिद्धार्थ अपनी सारी परेशानी भूल गया और कहा,”तुम बहुत अच्छी हो अवनि , सच में”
अवनि ने सुना तो मुस्कुराई लेकिन अवनि की चमकती आँखों में एक खालीपन था जिसे देखकर सिद्धार्थ ने कहा,”अच्छा अवनि बुरा न मानो तो एक बात पुछु ?”
“हम्म पूछिए”,अवनि ने कहा
“तुम अपने घर क्यों नहीं जाती ? आई मीन क्या तुम्हारा उन से झगड़ा हुआ है ?”,सिद्धार्थ ने पूछा
सिद्धार्थ की बात सुनकर अवनि की आँखों के सामने उसकी शादी वाली वो शाम और उसके बाद बिताये दिन याद आ गए और उसकी आँखों में आँसू भर आये। सिद्धार्थ ने देखा तो कहा,”आई ऍम सो सॉरी ! मेरा इरादा तुम्हे हर्ट करने का नहीं था अवनि , छोडो तुम्हे बताने की जरूरत नहीं है”
अवनि ने नम आँखों से सिद्धार्थ को देखा और कहा,”मेरे ना बताने से चीजे बदल नहीं जाएगी सिद्धार्थ,,,,,,,,,,,!!”
सिद्धार्थ ने सुना तो ख़ामोशी से अवनि को देखने लगा और अवनि ने उसे अपनी बीती जिंदगी के बारे में बताया , मुकुल से शादी का टूटना , घरवालों का उसे गलत समझना , नीलेश से शादी का दबाव बनाना और विश्वास जी का उसे घर से चले जाने को कहना। ये सब कहते हुए अवनि की आँखों में आँसू और चेहरे पर उदासी वाले भाव थे और आखिर में उसकी आँखों से आँसुओ के मोती गालों पर लुढ़क आये।
सिद्धार्थ ने देखा तो अवनि के आँसू पोछे और उसके चेहरे को अपने हाथो में लेकर उसकी आँखों में देखते हुए गंभीरता से कहा,”बस अवनि ! आज के बाद मैं तुम्हारी इन आँखों में आँसू देखना नहीं चाहूंगा ,, मैं सब बर्दास्त कर सकता हूँ पर तुम्हारी आँखों में ये आँसू नहीं,,,,,,तुम्हे उस घर में वापस जाने की जरूरत नहीं है अवनि और तुम्हारे पापा वो तुम्हारे साथ ऐसा कैसे कर सकते है ? उन्हें तुम्हारा जरा भी ख्याल नहीं आया हाउ सेल्फिश,,,,,,,,,,खैर छोडो तुम्हे परेशान होने की जरूरत नहीं है मैं हूँ तुम्हारे साथ,,,,,,मैं तुम्हे कभी छोड़कर नहीं जाऊंगा अवनि”
बीते दिनों की बाते याद कर अवनि थोड़ी ज्यादा ही भावुक हो गयी , उसने नम आँखों से सिद्धार्थ को देखा और कहा”तुम भी एक दिन मुझे छोड़कर चले जाओगे सिद्धार्थ”
“नहीं अवनि मैं तुम्हे कभी नहीं छोडूंगा , कभी नहीं तुम्हारे सर की कसम”,सिद्धार्थ ने उतने ही प्यार और गंभीरता से कहा
अवनि ने सुना और अपना सर झुका लिया। अवनि को टुटा हुआ देखकर सिद्धार्थ भी उदास हो गया।
वह उठा और पानी की बोतल लेकर अवनि के पास चला आया। उसने बोतल का ढक्कन खोला और अवनि तरफ बढ़ा दी। अवनि ने पानी पीया और उसी पानी से अपना मुंह भी धो लिया। दुप्पटे से मुंह पोछने को हुई तो सिद्धार्थ ने अपना रूमाल उसकी तरफ बढ़ा दिया। अवनि ने अपना मुँह साफ किया और रूमाल सिद्धार्थ की तरफ बढ़ा दिया।
दोनों ख़ामोशी से सामने देखने लगे। कुछ देर बाद सिद्धार्थ ने ख़ामोशी तोड़ते हुए कहा,”पता है अवनि हम दोनों एक दूसरे से क्यों मिले ?”
अवनि ने सुना और सिद्धार्थ की तरफ देखा तो सिद्धार्थ ने आगे कहा,”क्योकि हम दोनों की जिंदगी में ही एक ऐसा दर्द था जिसे हम आज तक किसी और से बाँट नहीं पाए। हमे हमारे दर्द ने मिलाया है अवनि और देखना आज के बाद ये दर्द हमारी तकलीफ की वजह नहीं बनेगा। मैं अपने अतीत को भूलकर अपनी जिंदगी में तुम्हारे साथ आगे बढ़ चुका हूँ तुम्हे भी बीती बातो को भूलाकर खुद के साथ एक नयी शुरुआत करनी चाहिए। जिन लोगो को तुम्हारी परवाह नहीं , तुम्हारा ख्याल नहीं तुम्हे भी उन्हें भूल जाना चाहिए और अपनी जिंदगी जीनी चाहिए”
सिद्धार्थ की बाते सीधा अवनि के दिमाग में उतर रही थी इस वक्त उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या सही है क्या गलत उसे बस अपनी जिंदगी के खालीपन को भरने के लिए एक सहारा दिख रहा था और वो था सिद्धार्थ , अवनि बुझी आँखों से सिद्धार्थ को देखते रही अगले ही पल सिद्धार्थ के फोन पर मैसेज रिंग बजी। सिद्धार्थ ने अपना फोन निकाला नयी कम्पनी से उसे कन्फर्मेशन मेल आया था जिसमे दो दिन बाद सिद्धार्थ को कम्पनी ज्वाइन करनी थी। ये देखते ही सिद्धार्थ का चेहरा ख़ुशी से खिल उठा।
उसने अवनि की तरफ देखा और कहा,”तुम सच में मेरी लिए लकी हो अवनि , देखो जिस नौकरी की मैं टेंशन ले रहा था वो मुझे मिल गयी और ये मेल आज आया क्योकि तुम मेरे साथ हो,,,,,,,,,,वो क्या कहते है , हाँ ! तुम मेरा लकी चार्म हो , थैंक्यू सो मच अवनि”
“कॉन्ग्रैचुलेश सिद्धार्थ”,अवनि ने मुस्कुरा कर कहा
दोनों कुछ देर वहा रुके और फिर घर के लिए निकल गए। अवनि को अपार्टमेंट के बाहर छोड़कर सिद्धार्थ अपने घर के लिए निकल गया
अवनि भी फ्लेट में आयी और फिर बैंक जाने के लिए निकल गयी। आज दिनभर अवनि उदास रही , ना उसका काम में मन लगा ना ही दोपहर के खाने में। सिद्धार्थ को अपने अतीत के बारे में बताकर अवनि का मन उदास था कही सिद्धार्थ भी बाकि सबकी तरह उसे गलत ना समझ ले।
दिनभर सिद्धार्थ से उसकी कोई बात नहीं हुई बिजी होगा सोचकर अवनि ने भी उसे कोई फोन मैसेज नहीं किया। शाम में अवनि घर के लिए निकल गयी। फ्लेट पर आकर उसने कपडे बदले , अपने लिए चाय बनायीं और पीकर सिंक में पड़े बर्तन मांजने लगी।
बर्तन धोते हुए अवनि का फोन बजा अवनि ने जल्दी से अपने हाथ धोये और टेबल की तरफ आयी स्क्रीन पर सिद्धार्थ का नाम देखकर अवनि का दिल फिर धड़कने लगा उसने उसका फोन उठाया वह कुछ कहती इस से पहले सिद्धार्थ ने कहा,”सुनो अवनि ! अपना व्हाट्सप्प चेक करो मैं तुम्हे कुछ भेजा है”
“हम्म्म,,,,,,,,!!”,अवनि ने कहा और सिद्धार्थ ने फोन काट दिया।
अवनि ने व्हाट्सप्प चेक किया सिद्धार्थ की भेजी तस्वीर देखकर अवनि हैरान थी। सिद्धार्थ ने अवनि को बहुत ही सुन्दर चाँदी की पायलों की तस्वीर भेजी थी। अवनि उस तस्वीर को देख ही रही थी कि तभी सिद्धार्थ का मैसेज आया “कैसी है ?”
“अच्छी है”
“तुम्हे पसंद आयी ?”
“मुझे क्यों ?”
“क्योकि ये मैंने तुम्हारे लिए ही खरीदी है अवनि”
“मेरे लिए ?”,अवनि ने धड़कते दिल के साथ लिखकर भेजा
“हाँ ! तुम्हारे लिए , मुझे तुम्हारे सूने पैर अच्छे नहीं लगते। सही वक्त आने पर ये पायल मैं खुद तुम्हे अपने हाथो से पहनाउंगा”
सिद्धार्थ का जवाब देखकर अवनि की आँखों में फिर नमी तैर गयी कहा वह सिद्धार्थ के बदल जाने के बारे में सोच रही थी और कहा सिद्धार्थ ने उसके लिए इतनी परवाह दिखा दी। अवनि की आँखों में ख़ुशी के आँसू थे उसे अब तक विश्वास जी की दी पायल खोने का दुःख था पर आज सिद्धार्थ की बात सुनकर वो भी खत्म हो गया उसने लिखकर भेजा “मैं उस दिन का इंतजार करुँगी”
( सिद्धार्थ का हर बार अवनि को मंदिर में लेकर आना उसका अवनि के लिए प्यार है या ईश्वर के नाम पर अवनि का विश्वास जीतने के लिए उसकी कोई साजिश ? क्या अवनि और सिद्धार्थ के मिलने की वजह उनका दर्द है या फिर वक्त का है फेर ? क्या सिद्धार्थ कभी अवनि को वो पायल पहना पायेगा ? जानने के लिए पढ़ते रहे “पसंदीदा औरत” मेरे साथ )
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संजना किरोड़ीवाल
