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Pasandida Aurat – 42

Pasandida Aurat – 42

Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

वीमेन हॉस्टल , सिरोही
अवनि को आज हॉस्टल का कमरा खाली करना था इसलिए सुबह सुबह वह अपना सामान जमा रही थी। उसने अपना सब सामान 2 बड़े सूटकेस में रखा और बाकि एक्स्ट्रा सामान बॉक्स में पैक करके रिसेप्शन पर लाकर रख दिया। हॉस्टल की वार्डन अवनि को घर रही थी लेकिन अवनि को अब किसी का डर नहीं था वह ख़ामोशी से अपना सब हिसाब किताब कर रही थी। कुछ देर बाद सिद्धार्थ गाड़ी लेकर वहा पहुंचा उसने अवनि का सामान अपनी गाडी में रखा और अवनि को साथ लेकर वहा से निकल गया।

आज अवनि ने बैंक से छुट्टी ली थी ताकि वह शिफ्ट कर सके और साथ ही नए घर की सफाई कर उसे अपने रहने लायक बना सके। अवनि के बगल में बैठे सिद्धार्थ ने अवनि को देखा और गाड़ी आगे बढ़ा दी। सुबह का समय था और इस वक्त सड़क भी खाली थी फिर भी सिद्धार्थ की गाड़ी की स्पीड धीरे ही थी। अभी दोनों कुछ ही दूर पहुंचे थे कि बाइक पर बैठे दो लड़को ने ओवरटेक के चक्कर में सिद्धार्थ की गाड़ी के पीछे टक्कर मार दी। सिद्धार्थ ने ब्रेक मारा और साइड मिरर में देखा बाइक पर लड़को को देखकर सिद्धार्थ के चेहरे पर गुस्से वाले भाव उभर आये।

उसने गाडी का दरवाजा खोला और नीचे उतर कर लड़को की तरफ आया और उनपर चिल्ला उठा। अवनि भी गाड़ी के पास खड़ी ये सब देख रही थी। उसने सिद्धार्थ को पहली बार ऐसे गुस्सा करते देखा था वह बुरी तरह घबरा गयी। लड़के भी सिद्धार्थ से बहस करने लगे और फिर आस पास के लोगो के समझाने के बाद सिद्धार्थ ने लड़को को छोड़ दिया और गाडी की तरफ चला आया।

अवनि को घबराया देखकर सिद्धार्थ उसके पास आया और उसकी बांह छूकर कहा,”क्या हुआ , तुम ठीक हो ?”
“आपको इतनी छोटी सी बात पर इस तरह से गुस्सा नहीं करना चाहिए था”,अवनि ने घबराहटभरे स्वर में कहा
“छोटी सी बात नहीं है अवनि , इन लोगो को गाड़ी चलाने का होश नहीं है हीरोगिरी करनी है बस , वो तो अच्छा है गाड़ी को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। आओ बैठो चलते है”,सिद्धार्थ ने प्यार से कहा और फिर ड्राइवर सीट पर आ बैठा


अवनि ने भी अपनी तरफ का दरवाजा खोला और अंदर आ बैठी। सिद्धार्थ ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी , अवनि खामोश थी और खिड़की के बाहर देख रही थी , उसकी आँखों के सामने अभी भी सिद्धार्थ का चीखना चिल्लाना और गुस्सा करना आ रहा था। उसके चेहरे पर घबराहट अब भी थी। सिद्धार्थ ने अवनि को खामोश देखा और कहा,”क्या हुआ ?”
“कुछ नहीं,,,,,,,,,!!”,अवनि ने मायूसी भरे स्वर में कहा


सिद्धार्थ समझ गया कि अवनि उसके बर्ताव से परेशान है इसलिए उसने गाड़ी धीमे की और अवनि के हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा,”अवनि”
अवनि ने खामोश नजरो से सिद्धार्थ की तरफ देखा , वह अपने हाथ पर रखे सिद्धार्थ के हाथ को नहीं हटा पायी उसने सिद्धार्थ को ये हक़ कब दे दिया वह खुद नहीं जानती थी पर सिद्धार्थ का उसके हाथ पर हाथ रखना उसे बुरा नहीं लग रहा था।


“आई ऍम सॉरी ! आगे से ऐसा नहीं होगा,,,,,,तुम सच में बहुत इनोसेंट हो अवनि मेरे ज़रा से गुस्से से डर गयी,,,,,,,,!!”,सिद्धार्थ ने प्यार से कहा
“ऐसी बात नहीं है सिद्धार्थ , बचपन से ऐसे माहौल में रही हूँ कि ये सब चीखना चिल्लाना ये सब मुझे डरा देता है,,,,,,आप शांति से भी सामने वाले से बात कर सकते है , हर बात में गुस्सा करना , हायपर होना हमे ही नुकसान पहुंचाता है मानसिक भी और शारीरिक भी”,अवनि ने गंभीर स्वर में कहा


“हम्म्म समझ गया मैं अब से गुस्सा कम करने की कोशिश करूंगा , तुम्हारे सामने तो बिल्कुल भी नहीं ठीक है , वैसे भी आज तक किसी ने इतने प्यार से मुझे नहीं रोका है”,सिद्धार्थ ने अवनि की आँखों में देखकर कहा
कुछ पल के लिए ही सही अवनि सिद्धार्थ की आँखों में खोकर रह गयी। सिद्धार्थ मुस्कुराया और गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी।

कुछ देर बाद दोनों अपार्टमेंट पहुंचे। सिद्धार्थ ने अवनि का सब सामान गाडी से उतारा और लिफ्ट में लाकर रखा। अवनि और सिद्धार्थ भी लिफ्ट में चले आये। लिफ्ट ऊपर आकर रुकी सिद्धार्थ और अवनि ने सब सामान निकाला और अवनि फ्लेट का दरवाजा खोलकर अंदर आयी।

सिद्धार्थ भी अंदर चला आया। अवनि ने सब सामान साइड रखा और फ्लेट को देखा जो कि थोड़ा गंदा था और खाली भी , हॉस्टल में अवनि को ज्यादा सामान की जरूरत नहीं थी लेकिन यहाँ उसे सब चाहिए था। किचन के सामान के साथ साथ बनाने का सामान भी,,,,,,,,,,,,वह सिद्धार्थ की तरफ पलटी और कहा,”Thankyou so much आपने मेरी इतनी मदद की , मैं इसे कभी नहीं भूलूंगी”


“ओह्ह्ह अवनि ! बस करो कितना thankyou बोलोगी , अच्छा छोडो ये सब तुम्हे बैंक जाने में देर हो रही होगी चलो मैं तुम्हे छोड़ देता हु सामान तुम वापस आकर जमा लेना”,सिद्धार्थ ने कहा
“आज मैंने बैंक से छुट्टी ली है , घर तो मिल गया लेकिन किचन का सामान और बाकि जरुरी सामान भी तो खरीदना होगा न,,,,,,,,इसलिए मैंने आज लिव ले ली”,अवनि ने कहा
“ये तो और भी अच्छा है , तो चलो फिर D-मार्ट चलते है , वहा तुम्हे सब जरुरत का सामान मिल जायेगा”,सिद्धार्थ ने कहा


“अरे नहीं नहीं ! आप क्यों परेशान होंगे मैं खुद मैनेज कर लुंगी”,अवनि ने कहा
सिद्धार्थ ने सुना तो अवनि के थोड़ा करीब आया और कहा,”मैं परेशान होना चाहता हूँ,,अब चलो , मेरे होते तुम्हे अकेले सब मैनेज करने की जरूरत नहीं है”


इसे सिद्धार्थ की जिद कहे या अवनि के लिए उसकी परवाह ये तो सिर्फ वही जानता था पर अवनि को ये सब सुनकर अच्छा लग रहा था। प्यार के जिन अहसासों से अवनि अब तक दूर रही वे अहसास अब एक एक करके उसके दिल को छूने लगे थे। अवनि ने हामी में गर्दन हिलायी और सिद्धार्थ के साथ चल पड़ी।

D-मार्ट आकर सिद्धार्थ और अवनि सामान खरीदने लगे। सिद्धार्थ अवनि के लिए ऐसे परवाह दिखा रहा था जैसे अवनि उसकी दोस्त ना होकर उसकी पत्नी हो , जैसे ट्रॉली खुद लेकर चलना , कोई लड़का या आदमी अवनि के बगल से गुजरे तो अवनि को साइड करना , हर सामान देखकर लेना और अवनि को उसके इस्तेमाल के बारे में बताना। अवनि ने किचन का सब सामान लिया , कुछ बर्तन सेट भी ख़रीदे जिनमे खाना पकाया जा सके , कुछ बिस्किट , चिप्स और नमकीन  जिन्हे वक्त बेवक्त भूख लगने पर खाया जा सके।


“अच्छा अवनि ! वैसे तुम खाना बना लेती हो ?”,सिद्धार्थ ने ट्रॉली सम्हाले अवनि के साथ चलते हुए पूछा
“हाँ , मुझे सब बनाना आता है,,,,,,उदयपुर में अक्सर खाना मैं ही बनाया करती थी”,अवनि ने कहा
“फिर तो अच्छा है मम्मी को तुम पसंद आ जाओगी”,सिद्धार्थ धीरे से बड़बड़ाया
“क्या कहा आपने ?”,अवनि ने पूछा
“अह्ह्ह कुछ नहीं मैं बस ये कह रहा था कि मुझे खाने पर कब बुला रही हो ?”,सिद्धार्थ ने तुरंत अपनी बात बदलकर कहा


“जल्दी ही,,,,,,,,,अब चले सब ले लिया है”,अवनि ने कहा
“एक चीज लेना तुम भूल गयी हो”,सिद्धार्थ ने अवनि की आँखों में देखकर कहा
“क्या ?”,अवनि ने धीरे से कहा
अवनि की आँखों में एकटक देखते हुए सिद्धार्थ ने बगल वाले रेंक में रखा कॉफी का डिब्बा उठाया और अवनि के सामने करके कहा,”ये”
“मैं कॉफी नहीं पीती”,अवनि ने कहा


“जानता हूँ , लेकिन मैं पीता हूँ और चाहता हूँ किसी दिन तुम्हारे घर आउ तो तुम मुझे ये अपने हाथो से बनाकर पिलाओ”,सिद्धार्थ ने ये बात इतनी अदा के साथ कही कि अवनि एकटक उसे देखने लगी। इस वक्त सिद्धार्थ उसे अपनी कहानी के किसी किरदार की तरह लग रहा था
अवनि को खोया हुआ देखकर सिद्धार्थ ने कहा,”अगर तुम्हे नहीं पसंद तो मैं इसे वापस रख देता हूँ”


सिद्धार्थ ने जैसे ही डिब्बा रखना चाहा अवनि ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और बाकि सामान के साथ ट्रॉली में रखते हुए कहा,”रहने दीजिये”
“पर तुम्हे तो कॉफी पीने की आदत नहीं है”,सिद्धार्थ ने कहा
“कुछ आदतें डाली भी जा सकती है”,अवनि ने कहा तो सिद्धार्थ मुस्कुरा उठा और अवनि से आगे बढ़ने का इशारा किया।


काउंटर पर आकर दोनों ने सामान का बिल बनवाया और जब सिद्धार्थ ने पेमेंट करना चाहा तो अवनि ने उसे रोक दिया और खुद पेमेंट किया। अवनि में ये खुद्दारी हमेशा से थी। सामान के बैग्स लेकर दोनों मार्ट से बाहर चले आये और सामान गाड़ी में रख दिया।

दोपहर होने को आयी थी और सुबह से अवनि ने कुछ नहीं खाया था। सिद्धार्थ को भी भूख लगी थी इसलिए वह अवनि को लेकर पास ही के एक रेस्टोरेंट में चला आया। दोनों एक दूसरे के आमने सामने आ बैठे। अवनि को लगा सिद्धार्थ उसके बगल में बैठेगा लेकिन सिद्धार्थ उसके ठीक सामने बैठा था।
“आप वहा क्यों बैठे है ?”,अवनि ने पूछा
“यहाँ बैठकर मैं तुम्हे आराम से देख सकता हूँ”,सिद्धार्थ ने अवनि की तरफ देखकर कहा


अवनि ने सुना तो मुस्कुरा उठी और दूसरी तरफ देखने लगी। सिद्धार्थ बस एकटक अवनि के चेहरे को देखे जा रहा था। अवनि ने सिद्धार्थ को अपनी ओर देखते पाया तो सिद्धार्थ ने कहा,”अगर बुरा ना मानो तो तुमसे एक बात कहूँ”
“हम्म्म कहो”,अवनि ने कहा
“तुम्हारे होंठ बहुत खूबूसरत है , मैंने आज से पहले इतनी सुन्दर होंठ किसी के नहीं देखे बिल्कुल परफेक्ट शेप मे,,,,,,!!”,सिद्धार्थ ने कहा
अवनि ने सुना तो हसने लगी और कहा,”आपको तो फ्लर्ट करना भी नहीं आता”


“हाँ इन चीजों में थोड़ा कच्चा हूँ मैं,,,,,,,कुछ आर्डर करे ?”,सिद्धार्थ ने पूछा
“हम्म्म्म,,,,,,,,,,!!”,कहकर अवनि ने मेनू कार्ड उठाया और पास खड़े वेटर को आर्डर दे दिया। उसने दोनों के लिए एक पिज्जा , सिद्धार्थ के लिए कोल्ड कॉफी और अपने लिए चाय आर्डर की।  
वेटर वहा से चला गया और सिद्धार्थ अवनि से बात करने लगा।

अवनि भी मुस्कुराते हुए सिद्धार्थ की बाते सुनने लगी और इस से ये साफ जाहिर हो रहा था कि धीरे धीरे वह सिद्धार्थ को पसंद करने लगी थी। पिज्जा खाने के बाद सिद्धार्थ अवनि को लेकर पास ही कि सब्जी मंडी चला आया ये देखकर अवनि ने कहा,”हम यहाँ क्यों आये है ?”
“अरे वो मम्मी ने मुझसे कुछ सब्जिया और फल लेकर आने को कहा है तो सोचा ले लेता हूँ , वैसे तुम्हे भी तो चाहिए होगा न चलो आओ”,सिद्धार्थ ने आगे बढ़ते हुए कहा


“मुझे सब्जिया खरीदनी नहीं आती , मैं बस कभी कभार हॉस्टल जाते वक्त बस अपने लिए फल ले लिया करती थी”,अवनि ने झिझकते हुए कहा
“मतलब तुम्हे बार्गनिंग नहीं आती , क्या अवनि ! खरीदारी करने के लिए बार्गनिंग आना बहुत जरूरी है। चलो मैं सिखाता हूँ”,सिद्धार्थ ने कहा और अवनि का हाथ पकड़कर उसे अपने साथ ले गया

सिद्धार्थ एक के बाद एक गिरिजा की बताई सब्जिया खरीदता रहा और थैले में रखता रहा। अवनि बस हैरानी से उसे देख रही थी लड़का होकर भी उसे सब्जियों की कितनी अच्छी जानकारी थी। दोनों मंडी से बाहर आये तो अवनि ने कहा,”मुझे हैरानी हो रही है कि आप ये सब काम भी कर लेते है”
“बिकॉज आई ऍम हस्बेंड मेटेरियल”,सिद्धार्थ ने चलते चलते कहा और अवनि मुस्कुरा उठी।


दोनों गाड़ी में आ बैठे और अपार्टमेंट के लिए निकल गए। सिद्धार्थ ने अवनि का सब सामान फ्लेट में लाकर रखा और इसके बाद घडी में समय देखकर कहा,”अब मुझे जाना होगा , कोई प्रॉब्लम हो या किसी चीज की जरूरत हो तो मुझे फोन करना”
“हम्म्म,,,,,,,,,,!!”,अवनि ने कहा और सिद्धार्थ को छोड़ने नीचे गेट तक चली आयी।
“तुम्हे मुस्कुराते देखकर अच्छा लग रहा है”,गाडी के पास आकर सिद्धार्थ ने कहा
“इस मुस्कराहट की वजह भी आप है तो कब आ रहे है कॉफी पीने ?”,अवनि ने पूछा


सिद्धार्थ मुस्कुराया और कहा,”अवनि ! मुझे गलत मत समझना लेकिन आज के बाद मैं यहाँ कम से कम आना चाहूंगा। हाँ बाहर हम रोज मिल सकते है , मैं नहीं चाहता मेरे यहाँ रोज रोज आने की वजह से अपार्टमेंट के लोगो पर तुम्हारा गलत इम्प्रेशन पड़े। तुम तो जानती हो अकेली लड़की का ऐसे रहना कितना मुश्किल है तो अब से मैं तुम से बाहर ही मिला करूंगा बाकि जरूरत पड़ी तो मैं जरूर आऊंगा,,,,,,,,,और रही कॉफी की बात तो वो मैंने तुम्हारे लिए खरीदी है जब जब तुम उसे बनाकर पिओगी ,

उसकी खुशबु तुम्हे मेरी याद दिलाएगी और मैं चाहता हूँ तुम मुझे हमेशा याद रखो,,,,,,,,,,,अपना ख्याल रखना , घर पहुंचकर मैसेज करता हूँ। बाय”
सिद्धार्थ की बात सुनकर अवनि का दिल ख़ुशी से भर उठा। उसने सोचा सिद्धार्थ इस मदद के बदले में उसका फायदा उठाएगा लेकिन यहाँ तो सिद्धार्थ उसकी नजरो में और ऊपर उठ चुका था। सिद्धार्थ के जाने के बाद अवनि वापस अपने फ्लेट में चली आयी और दरवाजा बंद कर साफ सफाई करने लगी।

मुस्कुराहट उसके होंठो से हटने का नाम नहीं ले रही थी , सिद्धार्थ के साथ बिताये पल रह रह कर उसकी आँखों के सामने आ रहे थे। अवनि ने किचन और कमरे का सब
सामान जमाया और नहाने चली गयी। नहाने के बाद उसे अच्छा लग रहा था। दिन ढल चुका था , अवनि ने अपने लिए चाय बनाने का सोचा और गैस ऑन किया। उसने गैस पर पतीला रखा , उसमे दूध डाला और चायपत्ती का डिब्बा उठाकर जैसे ही डालने को हुई उसके दिमाग में कुछ हलचल हुई , अवनि ने चायपत्ती का डिब्बा वापस रखा और कॉफी का डिब्बा उठाकर दूध में डाल दिया और सहसा ही मुस्कुरा उठी।

अवनि ने कॉफी तैयार की और मग में डालकर बालकनी में चली आयी। उसने एक घूंठ भरा और कहा,”ये इतनी बुरी भी नहीं है,,,,,,,,,,!!”
बुरी होती तो भी अवनि पी लेती क्योकि ये कॉफी सिद्धार्थ ने जो खरीदी थी और इसके बाद ये साफ दिख रहा था कि अवनि सिद्धार्थ के रंग में रंगने लगी थी।

देखते ही देखते एक हफ्ता गुजर गया। अवनि ने अपना नया घर अच्छे से जमा लिया। अब अपनी पसंद का खाना बनाकर खाती कभी कभी बैंक में दिव्या के लिए भी ले जाती और दिव्या उसके हाथो से बने खाने की खूब तारीफ करती। इस एक हफ्ते में वह सिद्धार्थ से तो नहीं मिल पायी लेकिन फ़ोन और मैसेज में दोनों की दिनभर बाते होते रहती। सिद्धार्थ 2-4 दिन के लिए शहर से बाहर था। वह हर रोज सुबह कही जाने से पहले तैयार होता और अवनि को अपनी तस्वीर भेजता था।

सिद्धार्थ को पाकर अवनि इन दिनों सच में खुश थी और उसने महसूस किया कि ये रिश्ता महज दोस्ती तो नहीं थी। वह सिद्धार्थ में इतना बिजी हो गयी कि उसकी अब सुरभि से भी कम ही बात हो पाती थी , उधर सुरभि अपने एग्जाम्स की वजह से व्यस्त थी इसलिए अवनि ने ज्यादा बात नहीं कर पायी।
सिद्धार्थ भी अवनि का साथ पाकर खुश था , गिरिजा और जगदीश जी ने देखा उसका गुस्सा और चिढ धीरे धीरे कम हो चुकी थी।  

उदयपुर में अब सब ठीक था। वकील साहब ने मीनाक्षी के दिमाग में जो झूठ का बीज डाला था वो पनप चुका था और अपने साथ साथ उसने मयंक , सीमा और कौशल को भी विश्वास जी की आवभगत में लगा लिया। विश्वास जी हैरान भी थे और सतर्क भी लेकिन साथ ही खुश भी थे कि घरवालों में धीरे धीरे ही सही बदलाव तो आ रहा था। अगले महीने वे रिटायर होने वाले थे इसलिए ऑफिस के बाद का समय अपने दोस्तों के साथ बिताया करते थे बाकि वक्त घर के बच्चो के साथ , बस कमी थी तो अवनि की लेकिन विश्वास जी जानते थे ये कमी भी बहुत जल्दी दूर हो जाएगी

अवनि के जवाब से पृथ्वी को लगा कि अवनि बहुत गुस्से वाली है इसलिए उसने अवनि का ख्याल अपने जहन से निकाल दिया और ऑफिस के कामो में बिजी हो गया। पृथ्वी की जिंदगी में ज्यादा कुछ इंट्रेस्टिंग था नहीं। वह दिनभर ऑफिस में रहता , सुबह शाम लता के हाथ से बना खाना और कभी कभी शादी ना करने के लिये ताने खाता और संडे के दिन अपने दोस्तों के साथ मिलकर सोसायटी के गार्डन में क्रिकेट खेलता था

बस यही थी उसकी जिंदगी लेकिन बनारस से लौटने के बाद इसमें एक चीज और शामिल हो चुकी थी और वह था अवनि की लिखी किताबे ऑनलाइन पढ़ना , पृथ्वी अवनि की लिखी कहानिया पढता , इंस्टाग्राम पर उसकी पोस्ट और स्टोरी देखता लेकिन उसे दोबारा मैसेज करने की हिम्मत उसमे कभी नहीं हुई , ना उसने उस दिन के बाद से अवनि के बारे में जानने की कोशिश की,,,,,,,,,,,पर वो कहते है न किसी से जितना भागने की कोशिश करो हम उसके उतना ही करीब आते जाते है। पृथ्वी के साथ भी यही हो रहा था।

( क्या अवनि को होने लगा है सिद्धार्थ से प्यार ? क्या सिद्धार्थ निभाएगा अवनि का साथ या तोड़ देगा उसका दिल ? क्या पृथ्वी कभी समझ पायेगा अवनि के लिए अपने जज्बात ? जानने के लिए पढ़ते रहिये “पसंदीदा औरत” मेरे साथ )

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संजना किरोड़ीवाल  

Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal
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