Pasandida Aurat – 39
हॉस्टल के कमरे में बैठी अवनि रो रही थी। विश्वास जी का मिस्ड कॉल देखकर वह कितनी खुश थी और विश्वास जी ने एक पल में उसका दिल तोड़ दिया। अवनि को लगा विश्वास जी ने उसे माफ़ कर दिया है लेकिन विश्वास जी के दिल में अवनि को लेकर नाराजगी आज भी थी। वह सुबकते हुए विश्वास जी के बारे में सोच ही रही थी कि तभी उसके फोन पर मैसेज आया। मैसेज सिद्धार्थ का था वह 5 मिनिट में हॉस्टल के गेट पर पहुँचने वाला था। अवनि उठी उसने बाथरूम में आकर मुंह धोया और बाहर चली आयी।
उसने अपना चेहरा पोछा जो कि रोने की वजह से सुर्ख गुलाबी हो चुका था और आँखे हलकी लाल। अवनि ने अपने बाल सही किये और एक झूठी मुस्कान होंठो पर लेकर हॉस्टल से बाहर चली आयी। सिद्धार्थ की गाड़ी वही खड़ी थी और वह बाहर ही गाड़ी से पीठ लगाए खड़ा था। अवनि ने सिद्धार्थ को देखा तो सिद्धार्थ मुस्कुरा उठा। अवनि उसकी तरफ चल पड़ी , वह जैसे जैसे सिद्धार्थ की तरफ बढ़ रही थी सिद्धार्थ का दिल धड़क रहा था। वैसे जैसे तैसे अपनी धड़कनो को काबू में रखे अवनि को देख रहा था।
अवनि ने शायद ध्यान नहीं दिया पर सिद्धार्थ अवनि को देखकर मंद मंद मुस्कुरा रहा था क्योकि आज अवनि ने हल्के आसमानी रंग का सूट पहना था और सिद्धार्थ भी आज हल्के आसमानी रंग का शर्ट पहनकर आया था। ये बस एक इत्तेफाक था लेकिन दोनों को देखकर लग रहा था जैसे दोनों ने आज साथ साथ एक जैसा रंग पहना है। सिद्धार्थ ने आगे बढ़कर अवनि के लिए दरवाजा खोला और उसे बैठाकर खुद ड्राइवर सीट पर आ बैठा।
“आपको इस तरह परेशान करके मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा”,अवनि ने सिद्धार्थ से कहा
सिद्धार्थ ने अवनि की बात का जवाब नहीं दिया बल्कि उसकी आँखों में देखने लगा जैसे कुछ ढूंढ रहा हो और फिर एकदम से कहा,”आप रोकर आयी है ?”
अवनि ने सुना तो सिद्धार्थ से नजरे हटा ली और सामने देखते हुए कहा,”अह्ह्ह नहीं , नहीं तो”
“अवनि ! क्या तुम्हे किसी ने बताया नहीं कि तुम्हे झूठ बोलना नहीं आता”,सिद्धार्थ ने कहा
अवनि ने सुना तो नम आँखों से सिद्धार्थ की तरफ देखा।
सिद्धार्थ अब भी उसकी आँखों में देख रहा था , अवनि की आँखों में ठहरी नमी आँसू बनकर बाहर आने को बेताब थी ये देखकर सिद्धार्थ ने अपना हाथ उसके हाथ पर रखा और कहा,”अवनि ! क्या तुम ठीक हो ?”
सिद्धार्थ के अपनेपन का असर था या फिर उसकी छुअन का अवनि की आँखों में ठहरे आँसू बाहर आ गिरे और वह दूसरी तरफ देखने लगी।
अवनि की आँखों में आँसू देखकर सिद्धार्थ को अच्छा नहीं लगा उसने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी वह हॉस्टल के सामने रुककर अवनि को किसी तरह की परेशानी में डालना नहीं चाहता था। हॉस्टल से कुछ दूर सड़क किनारे आकर उसने गाडी रोकी और अपनी जेब से रुमाल निकालकर अवनि की तरफ बढ़ा दिया। अवनि ने रुमाल लिया और अपने आँसू पोछने लगी। सिद्धार्थ गाड़ी से नीचे उतरा और बगल की दूकान से पानी की बोतल ले आया। वह आकर गाडी में बैठा और पानी की बोतल अवनि की तरफ बढ़ा दी।
अवनि ने पानी पीया उसे थोड़ा अच्छा लगा। वह अब सामान्य नजर आ रही थी ये देखकर सिद्धार्थ ने पूछा,”तुम ठीक हो ?”
“हम्म्म,,,,,,,,,,!!”,अवनि ने कहा
“आई ऍम सॉरी बट क्या मैं जान सकता हूँ तुम इतना परेशान क्यों हो ?”,सिद्धार्थ ने प्यार से कहा
अवनि सिद्धार्थ को अपने पापा की नाराजगी के बारे में बताना नहीं चाहती थी इसलिए कहा,”अह्ह्ह कुछ नहीं बस वो घर की टेंशन,,,,,,,दो दिन बाद हॉस्टल का रूम खाली करना है तो बस वही सोचकर थोड़ा परेशान थी”
सिद्धार्थ ने सुना तो राहत की साँस ली कि और साथ ही मुस्कुराया भी कि अवनि इतनी छोटी सी बात के लिए इतना परेशान हो रही थी। उसने अवनि की तरफ देखा और कहा,”इसके लिए तुम्हे इतना परेशान होने की जरूरत नहीं है मैं हूँ न मैं सब ठीक कर दूंगा , मेरे कजिन भैया कंस्ट्रक्शन में ही है मैंने कल रात उनसे बात की थी तो उन्होंने कुछ लोकेशन मुझे बताई है , एक तो ठीक तुम्हारे बैंक से 500-700 मीटर दूर ही है। हम चलकर वो देख लेते है अगर तुम्हे पसंद आये तो डन कर देंगे,,,,,,,,,,,!!”
“सिद्धार्थ मैं आपको परेशान,,,,,,,,,,,,,,!!”,अवनि ने कहना चाहा लेकिन सिद्धार्थ ने उसे आगे बोलने का मौका ही नहीं दिया और कहा,”शशशशशश तुम मुझे कोई परेशान नहीं कर रही हो , इन्फेक्ट मुझे तुम्हारी मदद करके अच्छा लग रहा है।”
सिद्धार्थ की बात सुनकर अवनि खामोश हो गयी। अवनि की ख़ामोशी को उसकी हामी मानकर सिद्धार्थ ने गाड़ी आगे बढ़ा दी।
दोनों अवनि के बैंक से कुछ ही दूर एक अपार्टमेंट के सामने पहुंचे जिसमे 4 मंजिल के 1BHK और 2BHK फ्लेट थे। सिद्धार्थ ने गाड़ी पार्किंग में लगाई और अवनि को लेकर लिफ्ट के सामने चला आया। सिद्धार्थ के कजिन ने उसे फुली-फर्निश्ड 1BHK फ्लेट बताया जो इस अपार्टमेंट में खाली था और अवनि के लिए सही भी था क्योकि अवनि को अकेले रहना था। लिफ्ट से दोनों तीसरी मंजिल पर चले आये।
फ्लेट की चाबी सिद्धार्थ को नीचे गार्ड से मिल गयी थी जिसे सिद्धार्थ का कजिन छोड़कर गया था। सिद्धार्थ अवनि को लेकर फ्लेट के अंदर आया। एक बैडरूम , छोटा सा लेकिन सहज हॉल , ओपन किचन , लेटबाथ और हॉल से लगी बालकनी के साथ वह फ्लैट काफी अच्छा था।
अवनि को वह फ्लेट पसंद आया हालाँकि किराया हॉस्टल से थोड़ा ज्यादा था लेकिन अवनि ने कोई आपत्ति नहीं जताई। सिद्धार्थ ने अपने भाई से बात की और रेंट एग्रीमेंट बनाने को कह दिया साथ ही उसने दो दिन बाद शिफ्ट होने की बात भी का दी। भाई से बात करने के बाद जैसे ही सिद्धार्थ अवनि की तरफ पलटा तो अवनि ने कहा,”थैंक्यू सो मच , आपने मेरी मदद करके मुझे पर बहुत बड़ा अहसान किया है। मैं आपका ये अहसान जिंदगीभर नहीं भूलूंगी”
“तुम चाहो तो इस अहसान का बदला अभी चुका सकती हो,,,,,,,,,!!”,सिद्धार्थ ने अवनि की आँखों में देखकर कहा
अवनि अंदर ही अंदर थोड़ा सा घबराई हालाँकि अब तक उसे सिद्धार्थ में कोई बुराई नजर नहीं आयी थी और उस पर भरोसा करके ही वो उसके साथ यहाँ तक चली आयी थी। उसने धीरे से कहा,”आप क्या कहना चाहते है ?”
सिद्धार्थ ने देखा अवनि घबरा गयी है तो उसने हँसते हुए कहा,”अरे यार घबराओ मत ! मैं तुमसे ऐसा कुछ भी करने को नहीं कहूंगा जिस से तुम अनकम्फर्टेबल हो , मैं तो बस ये कह रहा हूँ कि यही पास में एक बहुत पुराना शिव मंदिर है। मैंने देखा तुम भी मेरी तरह महादेव को बहुत मानती हो तो सोचा तुम्हे वहा के दर्शन करवा दू,,,,,,,,,,,और तुम चाहो तो नए घर के लिए उन्हें थैंक्यू भी बोल देना”
सिद्धार्थ की बात सुनकर अवनि को अपनी ही सोच पर अफ़सोस हुआ , उसे इतनी जल्दी सिद्धार्थ को जज नहीं करना चाहिए था सोचकर अवनि को मन ही मन खुद पर खीज हुई और उसने कहा,”थैंक्यू”
“मुझे नहीं महादेव से कहना है,,,,,,,,,,,!!”,सिद्धार्थ ने कहा
“उनसे भी कहूँगी पर उनसे पहले आपको कहना है , आपकी वजह से ही,,,,,,,,!!”,अवनि ने भावुक होकर जैसे ही कहना चाहा सिद्धार्थ ने उसका हाथ पकड़ा और उसे फ्लेट से बाहर ले जाते हुए कहा,”अरे बस बस बस इतना थैंक्यू काफी है , वैसे भी मुझे इतना थैंक्यू सुनने की आदत नहीं है। तो क्या तुम मेरे साथ मंदिर चलोगी ?”
“चलते है”,अवनि ने मुस्कुरा कर कहा
सिद्धार्थ उसकी मासूम सी मुस्कान में खोकर रह गया और कहा,”थैंक गॉड ! तुम मुस्कुराई तो सही वरना मुझे तो लगा आज तुम पूरा दिन ऐसे ही रहने वाली हो”
अवनि ने सुना तो फिर मुस्कुरा उठी। सिद्धार्थ ने फ्लेट लॉक करके चाबी अवनि को दी और कहा,”देखो अवनि ! जिंदगी में प्रॉब्लम्स आती जाती रहती है पर इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं हम मुस्कुराना छोड़ दे,,,,,,,टेंशन मत लो सब अच्छा होगा और अब तो इस शहर में तुम्हारा एक अच्छा दोस्त भी है,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए सिद्धार्थ ने जैसे ही अवनि की तरफ देखा तो पाया कि अवनि उस ही देख रही है ये देखकर सिद्धार्थ ने कहा,”क्यों अवनि ! हम दोस्त है ना ?”
अवनि ने सुना तो अपना हाथ सिद्धार्थ की तरफ बढ़ा दिया , ये दोस्ती वाला हाथ था सिद्धार्थ ने अवनि से हाथ मिलाया और कहा,”तो आज से हमारी दोस्ती पक्की अब एक दोस्त होने के नाते मै तुमसे रिक्वेस्ट नहीं करूंगा बल्कि पुरे हक़ से कहूंगा आज के बाद जब भी कोई प्रॉब्लम हो तुम मुझसे जरूर कहूँगी”
“हम्म्म ठीक है”,अवनि ने कहा सिद्धार्थ से हाथ मिलाते हुए उसे कुछ महसूस नहीं हुआ , वह उसके साथ बहुत ही सहज थी। अवनि ने सिद्धार्थ का हाथ छोड़ा और उसके साथ लिफ्ट की तरफ बढ़ गयी। दोनों अपार्टमेंट से बाहर आये और फिर गाड़ी की तरफ बढ़ गए।
सिद्धार्थ अवनि को लेकर शहर के सबसे पुराने शिव मंदिर लेकर आया। मंदिर की डिजाइन और उसकी बनावट देखकर ही कह सकते थे कि ये मंदिर इस शहर का सबसे पुराना मंदिर रहा होगा। मंदिर में आज बहुत भीड़ थी , सिद्धार्थ ने अपने जूते उतारे और हाथ पैर धोने अवनि के साथ पानी के नल के पास चला आया। उसने अपने पैरो पर पानी डाला , अपने हाथ धोये तभी उसकी नजर अवनि के पैरों पर पड़ी। अवनि के पैर साफ और गोरे थे , नाखुनो पर सफ़ेद रंग की नेल पेंट लगी थी और उसके छोटे छोटे नाजुक पैर बहुत ही सुन्दर लग रहे थे।
अवनि अपना सूट उठाये दुपट्टा सम्हाले जैसे ही हाथ धोने आगे बढ़ी सिद्धार्थ ने उसे रुकने का इशारा किया और अपने दोनों हाथो में पानी लेकर अवनि के पैरों पर डाल दिया। अवनि ये देखकर हैरान थी , आस पास कई लोग थे लेकिन सिद्धार्थ को इसकी फ़िक्र नहीं थी कि कोई उन्हें देख रहा है। उसने थोड़ा पानी अवनि के हाथो में भी दिया और अवनि अपने हाथ धोकर सिद्धार्थ के साथ आगे बढ़ गयी। सिद्धार्थ ने प्रशाद की
की टोकरी ली जिसमे प्रशाद , धागा , गुलाब के सुगन्धित फूलो की माला और कुछ खुले रंग बिरंगे फूल थे। उसने टोकरी अवनि की ओर बढ़ा दी। अवनि ने टोकरी लेने से पहले अपने दुपट्टे को सर पर ओढ़ लिया और टोकरी ले ली तो सिद्धार्थ ने उसे आगे चलने को कहा और खुद उसके पीछे चल पड़ा। दोनों लाइन में लगकर मंदिर की सीढ़ियों पर पहुंचे जहा से कुछ सीढिया चढ़कर ही सामने महादेव का मंदिर था।
भीड़ की वजह से सब एक दूसरे से सटे हुए थे अवनि के दोनों हाथो में प्रशाद की टोकरी थी और भीड़ में उसे ध्यान नहीं रहा कब सर पर रखा दुपट्टा सर से नीचे खिसक गया। वह सिद्धार्थ के साथ जैसे ही मंदिर की चौखट पर पहुंची सिद्धार्थ का ध्यान उसके दुपट्टे पर गया और उसने दुप्पटा उठाकर उसके सर पर वापस रख दिया। अवनि ने पलटकर सिद्धार्थ को देखा और एक मीठा सा अहसास जो आज से पहले उसे कभी नहीं हुआ था। अगले ही पल उसकी नजर सामने महादेव की बड़ी सी प्रतिमा पर पड़ी
अवनि को लगा जैसे महादेव ने खुद सिद्धार्थ को उसके लिए चुना है। वैसा ही जैसी अवनि थी। अवनि ने ख़ुशी ख़ुशी महादेव के दर्शन किये और सिद्धार्थ के साथ बाहर चली आयी। मंदिर से बाहर आकर दोनों अपने जूते चप्पल पहनने चले आये अवनि ने अपनी सेंडिल पहनी और देखा सामने कुछ ही दूर सिद्धार्थ नंगे पैर खड़ा फोन पर किसी से बात कर रहा है। अवनि ने सिद्धार्थ के जूते उठाये और लेकर उसके पास चली आयी। उसने जूते सिद्धार्थ के पैरों के पास रखे सिद्धार्थ ने देखा तो फोन कट किया और कहा,”ये तुमने क्या किया ?”
“वो आप फोन पर बिजी थे तो आपके जूते मैं ले आयी”,अवनि ने धीरे से कहा
“आइंदा दोबारा ऐसा मत करना अवनि”,सिद्धार्थ ने गंभीर स्वर में कहा। अवनि उसकी तरफ देखने लगी तो सिद्धार्थ ने कहा,”तुम्हारी जगह यहाँ है , मैं कभी नहीं चाहूंगा तुम मेरे जूते उठाकर लाओ”
अवनि ने सुना तो बस सिद्धार्थ को देखते ही रह गयी। क्या सच में कोई लड़का किसी लड़की के लिए इतनी गहराई से सोच सकता है ? सिद्धार्थ ने अवनि से हाथ धोकर आने को कहा और फिर प्रशाद का पैकेट उसकी तरफ बढ़ाकर खुद नीचे बैठकर अपने जूते पहनने लगा।
जब तक सिद्धार्थ जूते पहनता रहा अवनि प्यार से उसे देखती रही। सिद्धार्थ ने जूते पहने और हाथ धोकर अवनि के साथ अपनी गाडी की तरफ बढ़ गया। दोनों गाड़ी में आकर बैठे और सिद्धार्थ ने अवनि की तरफ पलटकर कहा ,”इस प्रशाद के बैग में एक काला धागा है ज़रा वो मुझे देना”
अवनि ने धागा निकालकर सिद्धार्थ को दे दिया तो सिद्धार्थ ने कहा,”अपना हाथ आगे करो,,,,,,,,,!!”
अवनि ने अपना दाहिना हाथ आगे किया तो सिद्धार्थ ने उसकी कलाई पर उस धागे को बांधा और कहा,”ये धागा तुम्हे लोगो की बुरी नजर से बचाएगा”
“मेरे लिए इतना सब मत कीजिये , मुझे इन सब की आदत हो जाएगी,,,,,,,,,,!!”,अवनि ने कलाई पर बंधे धागे को देखकर धीरे से कहा
सिद्धार्थ मुस्कुराया और कहा ,”तो फिर आदत डाल लो अवनि , मैं तो कहूंगा इस से भी ज्यादा की आदत डाल लो”
अवनि ने सुना तो मुस्कुरा उठी वह भी उन्ही अहसासों से गुजर रही ही जिन अहसासों से सिद्धार्थ गुजर रहा था। अवनि दूसरी तरफ देखने लगी तो सिद्धार्थ ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी। सुबह से अवनि ने कुछ खाया पीया नहीं था लेकिन वह सिद्धार्थ से सीधा बोल नहीं पायी।
सिद्धार्थ को अवनि के साथ थोड़ा वक्त और बिताना था इसलिए उसने गाडी एक कैफे के सामने रोकी और अवनि के साथ कैफे के आउटर एरिया में आ बैठा। उसने अवनि और अपने लिए दो हॉट कॉफी और सेंडविच आर्डर की। सिद्धार्थ अवनि से इधर उधर की बातें करने लगा और उसके बारे में और जानने लगा। कुछ देर बाद एक 10-12 साल का लड़का , मैले कुचैले कपडे पहने वहा आया और अवनि से भीख मांगने लगा।
अवनि ने जैसे ही लड़के को पैसे देने चाहे सिद्धार्थ ने उसे रोक दिया। अवनि को अजीब लगा उसने हैरानी से सिद्धार्थ की तरफ देखा तो सिद्धार्थ ने कहा,”इन लोगो को पैसे देकर इनकी आदत बिगाड़ रही हो,,,,,,इस से अच्छा इन्हे खाने का दे दो”
कहकर सिद्धार्थ लड़के की तरफ पलटा और कहा,”कुछ खायेगा ?”
“पैसे ही दे दो भैया”,लड़के ने कहा
“खाना है बता वरना भाग जा यहाँ से,,,,,,,,,!!”,सिद्धार्थ ने लड़के को घुड़ककर कहा तो लड़का वहा से चला गया।
अवनि को ये अच्छा नहीं लगा तो वह खामोश होकर बैठ गयी और दूसरी तरफ देखने लगी सिद्धार्थ ने अवनि को देखा और कहा,”क्या हुआ ?”
“आपको उस से ऐसे बात नहीं करनी चाहिए थी , ये लोग मजबूर है इसलिए भीख मांगते है मेरे 10 रूपये देने से भला उसकी क्या आदत बिगड़ जाती”,अवनि ने कहा सिद्धार्थ ने सुना तो मुस्कुराया और कहा,”अवनि ! तुम ज्यादा सोच रही हो , हम लोग इन्हे पैसे देते है और फिर ये लोग उन पैसो से नशा करते है इसलिए मैं कभी इन्हे पैसे नहीं देता और तुम्हे भी नहीं देने चाहिए”
अवनि ने सुना तो उसे समझ आया कि सिद्धार्थ उस से क्या कहना चाह रहा है। कॉफी सेंडविच आयी दोनों ने खायी और अवनि ने जब बिल देना चाहा तो सिद्धार्थ ने उसे रोक दिया और फिर अवनि को उसके हॉस्टल छोड़ने निकल गया।
गाड़ी हॉस्टल के बाहर आकर रुकी। सिद्धार्थ ने अवनि की तरफ देखा और कहा,”अवनि ! बुरा न मानो तो एक बात पुछु”
“हम्म्म पूछिए”,अवनि ने कहा
“तुम पायल क्यों नहीं पहनती ? तुम्हारे पैरो में अच्छी लगेगी”,सिद्धार्थ ने पूछा
अवनि ने सुना तो कुछ देर खामोश रही और फिर कहा,”मेरे अठारवे जन्मदिन पर पापा ने मेरे लिए चाँदी की पायल खरीदी थी , तब से मैं उन्हें हमेशा ख़ास मौको पर पहनते आ रही थी लेकिन इस बार जब मैं बनारस गयी तो एक पैर की पायल बनारस में कही गिर गयी। उसके बाद मैंने दूसरे पैर की पायल भी निकालकर रख दी”
“हम्म्म्म कोई बात नहीं , अच्छा सुनो परसो मैं तुम्हरी हेल्प करने आ जाऊंगा,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए सिद्धार्थ ने अवनि की तरफ देखा और जैसे ही अवनि कुछ बोलने को हुई सिद्धार्थ ने कहा,”ना मत बोलना,,,,,,,,,!!”
“थैंक्यू”,अवनि ने कहा और गाडी से नीचे उतर गयी। सिद्धार्थ अवनि को जाते हुए देखता रहा और ख़ुशी भरकर गाडी के स्टेयरिंग पर हाथ मारा और कहा,”आई लाइक हर”
( क्या अवनि कर चुकी है सिद्धार्थ के अहसानो के नीचे दबने की शुरुआत ? क्या अवनि का दिल जितने में सिद्धार्थ हो पायेगा कामयाब ? क्या अवनि की मदद करने के पीछे छुपा है सिद्धार्थ का कोई स्वार्थ या फिर सच में वह अवनि को पसंद करने लगा है ? जानने के लिए पढ़ते रहिये “पसंदीदा औरत” मेरे साथ )
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संजना किरोड़ीवाल
