Pasandida Aurat – 37
सुख विलास , सेक्टर 14 , उदयपुर
रात के खाने के बाद विश्वास जी घर के बाहर लॉन में चले आये। ठण्ड थी और विश्वास जी ने गर्म कपड़ो के साथ गर्म शॉल ओढ़ रखी थी। ये शॉल पिछले साल अवनि बनारस से उनके लिए लेकर आयी थी। आज अवनि उनके साथ नहीं थी लेकिन अवनि की शॉल उसके साथ थी। विश्वास जी उदास से आकर लॉन में पड़े झूले पर आ बैठे और गहरी सोच में डूब गए। अवनि के साथ उन्होंने जो किया वो गलत था और ये बात विश्वास जी भी जानते थे लेकिन अवनि को खुद से और इस घर से दूर करने की जो वजह थी वो सिर्फ विश्वास जी जानते थे
कौशल की बातों से विश्वास जी बहुत आहत थे और उन्होंने इस घर पर लोन लेने से साफ़ मना कर दिया। उधर कौशल-मयंक इतने लालची और स्वार्थी हो चुके थे कि अपने हिस्से की जायदाद को सम्हालकर रखा और विश्वास जी के घर को हड़पने की कोशिश करने लगे लेकिन विश्वास जी मजबूत इंसान है वे अपने भाईयो से इतनी जल्दी और इतनी आसानी से दबने वाले नहीं थे उन्होंने मयंक कौशल को पहले ही चेता दिया कि ये घर अवनि के नाम है और इस घर की एक ईंट भी पर किसी का कोई अधिकार नहीं है
उलटा उन्होंने मयंक और कौशल को अपने अपने परिवार के साथ ये घर छोड़कर जाने को कह दिया। ये घर बनने के बाद से ही सब इस घर में रह रहे थे और वजह थी विश्वास जी का अपने पिता से किया गया वादा कि उनके बच्चे हमेशा साथ रहेंगे एक ही घर में एक ही छत के नीचे,,,,,,,,,,जिसके चलते अब तक इस घर का सारा खर्चा विश्वास जी ही उठा रहे थे क्योकि वे सरकारी नौकरी में थे और उनकी तनख्वाह अच्छी थी।
वही कौशल और मयंक की तनख्वाह बच्चो की पढाई और अपनी अपनी पत्नियों और खुद के निजी खर्चो में चली जाती लेकिन विश्वास जी ने फिर भी किसी से कभी घर खर्च में पैसे नहीं माँगे।
विश्वास जी के हाथ ठन्डे पड़ चुके थे और वे झूले पर बैठे सामने देखते रहे। उनके चेहरे पर भले ही इस वक्त कठोरता हो लेकिन उनकी आँखों में एक खालीपन पसरा था। बीते वक्त की यादें उनकी आँखों के सामने चलने लगी।
“भाईसाहब तो जैसे कुछ सुनने को तैयार ही नहीं है , मैंने उन्हें लोन की बात कही तो वे मुझ पर भड़क गए और कहा कि ये घर अवनि का है वे इस घर पर लोन नहीं लेने देंगे,,,,,,,,,,भाईसाहब इतने स्वार्थी कैसे हो सकते है ?”,अपने कमरे में खड़े कौशल जी ने कहा
“अरे कौशल भैया आपसे तो उन्होंने लोन लेने से मना किया मुझसे तो कहा कि अगर मुझे इस घर में उनके हिसाब से नहीं चलना तो मैं अपने बीवी बच्चो के साथ कही और रहने का बंदोबस्त कर लू”,मयंक ने अफ़सोस भरे स्वर में कहा
“ये भाईसाहब को क्या हो गया है ? अरे जिस अवनि ने सबके सामने उनकी इज्जत की धज्जिया उड़ा दी वे उसी की परवाह कर रहे है , मुझे तो लगा यहाँ से जाने के बाद वह कभी यहाँ नहीं लौटेगी लेकिन ये भाईसाहब तो सब उसके नाम करके बैठे है”,मीनाक्षी ने नफरत भरे स्वर में कहा
“अवनि इस घर में वापस नहीं आएगी , ऐसा जहर भरूंगा उसके कानों में कि वह अपने ही पापा से नफरत करने लगेगी। इस घर में आना तो दूर कभी इस घर का ख्याल भी उसके दिमाग में नहीं आएगा,,,,,,,,,!!”,कौशल ने गुस्से से धीमे स्वर में कहा
सीमा जो कि इन सब में से थोड़ी समझदार थी और जानती थी कि ये घर विश्वास जी की वजह से ही चल रहा है। वह उनके बीच आयी और कहा,”शांत हो जाईये आप सब , और मयंक तुम , क्या तुम पागल हो गए हो अरे ले देकर एक ये घर ही तो बचा है हमारे पास और अगर भाईसाहब ने हमे यहाँ से निकाल दिया तो कहा जायेंगे हम लोग,,,,,,,,,,,,इस घर में चैन से बैठकर दो वक्त का खाना जो आप सब खा रहे हो वो भाईसाहब की वजह से ही आता है क्या आप लोग ये भूल गए,,,,,,,,,,,अवनि अवनि अवनि , आखिर आप लोग उस लड़की के पीछे क्यों पड़े है ?
वो यहाँ से जा चुकी है और आप सब चाहे तब भी वो इस घर में कभी वापस नहीं आएगी फिर उस से इतनी नफरत किसलिए ?”
“तो तुम क्या चाहती हो सीमा हम लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे , अरे भाईसाहब के पास इतनी दौलत है अगर उसमे से वो अपने भाईयो को थोड़ा दे देंगे तो क्या बिगड़ जायेगा ? लेकिन नहीं वो अपनी अकड़ और बेटी के प्यार में उस दौलत पर कुंडली मारकर बैठे है”,कौशल ने कहा
“आप दोनों दौलत के लालच में अंधे हो चुके है अरे ये नहीं देख रहे कि आज भाईसाहब की वजह से हमारे खानदान और इस घर का बाहर नाम है। भाईसाहब ने इस घर की इज्जत और मान सम्मान को बरकरार रखा है समाज में उनका उठना बैठना है। उन्होंने पैसे देने से मना कर दिया तो आप लोग बुरा मान गए और उनके खिलाफ जाने की बाते करने लगे लेकिन कभी ये सोचा है कि भाईसाहब के बाद ये सब किसका होगा ?”,सीमा ने कहा
“अवनि का होगा भाभी ! भाईसाहब पहले ही अपना सब कुछ अवनि के नाम कर चुके है”,मयंक ने झुंझलाकर कहा
“और अवनि के बाद ?”,सीमा ने कहा उसकी आँखों में इस वक्त एक अलग ही चमक नजर आ रही थी
“मैं तुम्हारी बात समझा नहीं तुम कहना क्या चाहती हो ?”,कौशल ने पूछा
“अगर हम सब अवनि को ये पता ही ना चलने दे कि भाईसाहब ने अपनी सारी जायदाद उसके नाम कर दी है और भाईसाहब को ये यकीन दिला दे कि उनके बाद अवनि का ख्याल रखने और उसकी देखभाल करने के लिए हम सब है तो भाईसाहब हमे कभी इस घर से जाने को नहीं कहेंगे और भाईसाहब के जाने के बाद ये सब हमारा होगा और अवनि नाम का काँटा भी हम सबकी जिंदगी से निकल जाएगा”,सीमा ने अपने इरादे सबके सामने रखे तो कौशल मुस्कुरा उठा और मयंक ने कहा,”वाह भाभी ! ये तो बहुत ही सही बात कही आपने इतनी अच्छी बात हमारे दिमाग में क्यों नहीं आयी ?”
“क्योकि आप तीनो हर समस्या को गुस्से से सुलझाने की कोशिश करते है , कभी कभी शांत दिमाग से भी समस्या का हल निकाला जा सकता है”,सीमा ने कहा
मीनाक्षी ने आकर सीमा के कंधो पर अपना हाथ रखा और ख़ुशी से भरकर कहा,”मान गए जेठानी जी , आपका दिमाग तो बुलेट ट्रेन से भी फ़ास्ट चलता है”
सीमा ने सुना तो मुस्कुराने लगी और फिर कौशल मयंक से कहा,”और आप दोनों , आप दोनों कल सुबह जाकर सबसे पहले भाईसाहब से माफ़ी मांगेंगे , मुझे लगता तो नहीं वे इतनी जल्दी आपको माफ़ करेंगे”
“ठीक है भाभी लेकिन अवनि,,,,,,,अगर वो यहाँ आ गयी तो कही भाईसाहब उसे माफ़ करके वापस इस घर में ना रख ले”,मयंक ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“ना अवनि इस घर में आएगी और ना ही भाईसाहब उसे कभी माफ़ करेंगे”,सीमा ने कहा और फिर मयंक और मीनाक्षी वहा से चले गए।
आनंदा निलय अपार्टमेंट , मुंबई
पृथ्वी आज ऑफिस से सीधा अपने फ्लेट चला आया वह खाना खाने घर भी नहीं गया। उसे एक इम्पोर्टेन्ट प्रोजेक्ट पर काम करना था और घर जाकर वह अपना वक्त बर्बाद करना नहीं चाहता था इसलिए अपने फ्लेट में बैठकर ही काम करने लगा। उसने लता से फोन करके कह दिया कि उसका खाना लक्षित के हाथो फ्लेट पर भिजवा दे। लक्षित पृथ्वी के लिए खाना लेकर आया और बेल बजायी पृथ्वी उठा और दरवाजा खोला सामने खड़े लक्षित को देखकर पृथ्वी ने टिफिन के लिए हाथ उसकी तरफ बढ़ाया और कहा,”अरे ! मुझे अंदर तो आने दीजिये”
“यहाँ तुम्हारा कोई काम नहीं है खाना दो और घर जाओ”,पृथ्वी ने चौखट से हाथ लगाकर कठोरता से कहा क्योकि वह फ्लेट में किसी तरह की डिस्टर्बेंस नहीं चाहता था लेकिन लक्षित ठहरा उसका छोटा भाई , पृथ्वी जितना शांत और गंभीर लक्षित उतना ही शरारती और चंचल , वह टिफिन समेत पृथ्वी के हाथ के नीचे से अंदर आया और कहा,”दादी ने ये फ्लेट अकेले आपको नहीं दिया है इसमें मेरा भी हिस्सा है,,,,,,,,,,और मैं बस देखने आया हूँ आप मेरी प्रॉपर्टी का ठीक से ख्याल रखते भी है या नहीं ?”
पृथ्वी ने सुना तो लक्षित को घूरने लगा लेकिन कहा कुछ नहीं क्योकि वह चाहता था लक्षित जल्दी से जल्दी यहाँ से जाए और पृथ्वी खाना खाकर अपना काम करे लेकिन लक्षित जाने के बजाय पृथ्वी के फ्लेट में घूमकर सब देखने लगा और हॉल में फैले कचरे और सामान को देखकर कहा,”हाह ! ये भी कोई घर है भला , दादा आप कितने गंदे इंसान है। इस हॉल को देखकर लग रहा है जैसे यहाँ हफ्तों से सफाई नहीं हुई है , और ये किचन का प्लेटफॉर्म उफ्फ्फ ये कितना गंदा है
यहाँ खाना बनाना तो दूर खड़े होना भी मुश्किल है और ये फ्रीज में रखे ब्रेड सड़ चुके है। हे भगवान् ! ये घर है या कबाड़खाना”
कहते हुए लक्षित अपना नाक पकडे किचन से बाहर आया और पृथ्वी उसे रोकता इस से पहले वह उसके कमरे का दरवाजा खोलकर उसमे पहुँच गया और कहा,”ये कमरा है तबेला ? यहाँ कितनी गंदगी है और ये खाने के डिब्बे , अब समझ आया कि आई के बनाये टिंडे खाने में आपके इतने नखरे क्यों है ?”
लक्षित का ड्रामा देखकर पृथ्वी समझ गया कि कल सुबह घर जाकर उसे लता से खूब सारी डांट और रवि जी से लात घुसे खाने है। वह लक्षित के पास आया और कहा,”मांडवली असू शकत नाही का ? ( मांडवली नहीं हो सकती क्या ? )”
लक्षित ने सुना तो पृथ्वी को देखा और सोफे की तरफ जाते हुए कहा,”एक चिकन पिज्जा और पेप्सी”
“और ये किस ख़ुशी में ?”,पृथ्वी ने उसकी तरफ आकर कहा
लक्षित ने अपना फोन निकाला और उसे स्क्रॉल करते हुए सोफे पर पसरते हुए कहा,”आपका ये राज छुपाने के लिए,,,,,,,,,और आज आई ने डिनर में टिंडे बनाये है इसलिए,,,,,,,,,अब जल्दी कीजिये मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं है”
टिंडे का नाम सुनकर पृथ्वी का मुँह बन गया और लक्षित की बात मानने के अलावा उसके पास दूसरा कोई चारा भी नहीं था। उसने एक लार्ज चिकन पिज्जा और दो पेप्सी आर्डर की और बैठकर फिर अपना काम करने लगा।
पिज्जा आया पृथ्वी ने सिर्फ पेप्सी ली और लक्षित पिज्जा लेकर खाने लगा , एक स्लाइस पृथ्वी ने भी खाया और साथ ही लता का भेजा टिफिन भी क्योकि सुबह उसे जूते नहीं खाने थे।
पिज्जा का आखरी टुकड़ा बचा तो लक्षित उठा और खाते हुए घर में घूमने लगा तभी हाल में टेबल पर किताब पर उसकी नजर पड़ी और उसने दूसरे साफ हाथ से उसे उठाकर देखते हुए कहा,”दादा ! आप कबसे किताबे पढ़ने लगे ?”
पृथ्वी ने देखा लक्षित के हाथ में अवनि की किताब है तो वह तुरंत उठकर उसके पास आया और उसके हाथ से किताब लेने की कोशिश करते हुए कहा,”तुम से कितनी बार कहा है मेरी चीजों को हाथ मत लगाया करो , इधर दो”
“अरे मुझे देखने तो दीजिये,,,,,,,,ऐसा क्या है इस किताब में”,अपने हाथ में थामी किताब को पृथ्वी से बचाते हुए लक्षित ने कहा
छीना छपटी में किताब के दो हिस्से हो गए और उसके कुछ पन्ने फटकर लक्षित के हाथ में तो बाकी किताब पृथ्वी के हाथ में , लक्षित ने देखा किताब फट चुकी है तो उसने मासूम सी शक्ल बनाई और कहा,”सॉरी”
पृथ्वी ने लक्षित को देखा और गुस्से से कहा,”निकल जाओ यहाँ से,,,,,,,,!!”
लक्षित चुपचाप सोफे की तरफ आया वह रखी अपनी पेप्सी की बोतल उठायी और दरवाजे की तरफ जाते हुए कहा,”वैसे आपको शादी कर लेनी चाहिए कम से कम घर तो साफ रहेगा”
किताब की वजह से पृथ्वी एक तो पहले ही लक्षित से गुस्सा था उस पर लक्षित उसे अनचाही सलाह भी दे रहा था। पृथ्वी ने टेबल पर पड़ी पेप्सी वाली प्लास्टिक की खाली बोतल उठाई और लक्षित की तरफ फेंककर कहा,”मैंने कहा निकलो”
लक्षित मुस्कुराया और वहा से चला गया
बेचारा पृथ्वी फटी हुई किताब को हाथो में उठाये सोफे पर आ बैठा और लेपटॉप और ऑफिस की फाइलो को साइड कर किताब के पन्नो को जोड़ने लगा। लक्षित नहीं देख पाया पर पृथ्वी के लिए वो किताब कितनी खास थी ये उसे इस वक्त देखना चाहिए था जब पृथ्वी ने किताब के पन्नो को जोड़ने के लिए अपने ऑफिस के काम को साइड कर दिया।
वीमेन हॉस्टल , सिरोही
अवनि टेबल पर पड़े सिद्धार्थ माथुर के विजिटिंग कार्ड को देख रही थी। वार्डन ने उसे तीन दिन में कमरा खाली करने को कह दिया था और इस शहर में अवनि किसी को नहीं जानती थी जो उसकी मदद करे। अवनि ने टेबल पर पड़े कार्ड को उठाया तभी उसे सिद्धार्थ की कही बात याद आ गयी “ये मेरा कार्ड है , इस शहर में कभी भी कोई भी प्रॉब्लम हो जस्ट कॉल मी”
सिद्धार्थ की बात याद आते ही वह उसका कार्ड हाथ में थामे बिस्तर पर आ बैठी उसने अपना फोन उठाया और सिद्धार्थ का नंबर डायल किया लेकिन डायल करके वापस काट दिया। अवनि का दिल इस ख्याल से धड़क रहा था कि वह सही कर रही है या गलत , उसने दोबारा नंबर डायल किया लेकिन रिंग जाने से पहले ही फोन काट दिया। उसने फ़ोन साइड में रख दिया और कहा,”क्या मुझे सच में उसकी मदद लेनी चाहिए ?”
अवनि ने एक बार फिर अपना फोन उठाया और इस बार सुरभि का नंबर डॉयल किया। कुछ देर बाद सुरभि ने फोन उठाया और कहा,”हाँ अवनि ! कैसी हो ?”
“ठीक नहीं हूँ”,अवनि ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“क्या हुआ बताओ मुझे”,सुरभि ने कहा
अवनि ने सुरभि को सारी बात बताई और फिर कहा,”सुरभि क्या मुझे सिद्धार्थ को फोन करना चाहिए ?”
“हाँ कर ना , देख उसने कहा ना वो तेरी हेल्प करेगा तो तू उसे फोन करके देख ,, वो सच में अच्छा इंसान है या नहीं ये भी पता चल जाएगा,,,,,,,,तुम्हे उसे फोन करना चाहिए”,सुरभि ने कहा
“हम्म्म्म,,,,,,,,,,!!”,अवनि ने कहा और सुरभि का फोन काटकर एक बार फिर सिद्धार्थ का नंबर डायल किया। इस बार अवनि ने फोन नहीं काटा और रिंग जाने लगी। जैसे जैसे रिंग जा रही थी अवनि का दिल धड़क रहा था। दो रिंग के बाद ही सिद्धार्थ ने फोन उठाया और कहा,”हेलो”
सिद्धार्थ की आवाज सुनकर अवनि कुछ बोल ही नहीं पायी , उसका दिल धड़क रहा था और वह खामोश थी। अवनि को खामोश पाकर दूसरी तरफ से सिद्धार्थ ने सर्द आवाज में कहा,”अवनि,,,,,,,,,,,,,,!!!”
अवनि ने जैसे ही सिद्धार्थ के मुंह से अपना नाम सुना अवाक् रह गयी और धीरे से कहा,”जी,,,,,,,,,,,,!!”
“मैं कल से तुम्हारे ही फोन का इंतजार कर रहा था”,सिद्धार्थ ने उसी सर्द लहजे में कहा जिसे सुनकर अवनि का दिल फिर धड़क उठा और वह खामोश हो गयी।
( विश्वास जी के भाई उनकी दौलत पाने के लिए खेलेंगे कौनसा खेल ? आखिर क्यों एक मामूली सी किताब पृथ्वी के लिए हो गयी इतनी ख़ास ? क्या अवनि बताएगी सिद्धार्थ को अपनी परेशानी और सिद्धार्थ कर पायेगा उसकी मदद ? जानने के लिए पढ़ते रहे “पसंदीदा औरत” मेरे साथ )
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संजना किरोड़ीवाल
