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Pasandida Aurat – 32

Pasandida Aurat – 32

Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal

मौर्या Pvt Ltd , नवी मुंबई

अपना बैग थामे पृथ्वी ऑफिस के एंट्री गेट के सामने खड़ा था। सफर की थकान उसकी आँखों से साफ़ झलक रही थी और चेहरे पर उसने झूठी मुस्कान चिपका रखी थी लेकिन आज की मीटिंग अटेंड करना पृथ्वी के लिए जरुरी था। उसने अपने घने काले बालों में से हाथ घुमाया। दो चार गहरी सांसे ली और गेट खोलकर अंदर चला आया। पृथ्वी को देखकर सभी खुश थे वह सीधा अपने केबिन में आया और जैसे ही अपना बैग टेबल पर रखने को हुआ उसने देखा उसकी रोजाना वाली जगह से उसके काम का सब सामान गायब है

यहाँ तक कि उसकी नेम प्लेट भी,,,,,,,,पृथ्वी को काफी हैरानी हुई। उसने पलटकर केबिन में मौजूद अंकित , मनीष , कशिश और तान्या को देखा लेकिन पृथ्वी को देखते ही सब अपने अपने काम में लग गए। पृथ्वी सोच में पड़ गया तभी केबिन का दरवाजा आधा खुला और जयदीप ने अपनी गर्दन अंदर झुकाकर कर,”हे पृथ्वी ! अपने लेपटॉप के साथ तुरंत मुझे मीटिंग रूम में मिलो”


जयदीप चला गया , पृथ्वी ने बैग से लेपटॉप निकाला और लेकर मीटिंग रूम की तरफ बढ़ गया। मीटिंग रूम में पृथ्वी अकेला था कुछ देर बाद कम्पनी के शेयर होल्डर्स और कम्पनी का बाकि स्टाफ भी वहा चला आया। सबके बाद जयदीप आया। पृथ्वी अपना लेपटॉप लेकर सबसे आखिर में पड़ी कुर्सी पर बैठने लगा तो जयदीप ने कहा,”मिस्टर पृथ्वी उपाध्याय , आज से आपकी जगह यहाँ है”


पृथ्वी ने देखा जयदीप उसे अपने राइट साइड पहली कुर्सी पर बैठने को कह रहा था जहा कम्पनी का मैनेजर बैठता है। पृथ्वी ने ये भी देखा कि आज की मीटिंग में मैनेजर नहीं आया था।
 पृथ्वी के जहन में कई सवाल चल रहे थे लेकिन मीटिंग के बीच में वह जयदीप से पूछ नहीं सकता था। जयदीप के कहने पर वह चुपचाप मैनेजर वाली कुर्सी पर आ बैठा हालाँकि उसका दिल भी धड़क रहा था।

जयदीप अपनी जगह से उठा और कहने लगा,”गुड मॉर्निंग टीम ! आज की मीटिंग मैंने एक बहुत ही बड़े प्रोजेक्ट को डिस्कस करने के लिए रखी है और ये इस कम्पनी में अब तक का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट होगा”
कहकर जयदीप सबको नए प्रोजेक्ट के बारे में समझाने लगा , सब के साथ पृथ्वी ने भी अपने कुछ डॉब्टस रखे। जयदीप ने काफी पहले से पृथ्वी को इस प्रोजेक्ट पर काम करने को कह रखा था और 10 मिनिट के डिस्कशन के बाद उसने पृथ्वी से आगे बताने को कहा और पृथ्वी वाली कुर्सी पर आ बैठा।

पृथ्वी उठा उसकी आँखे भारी हो रही थी और वह खुद को फ्रेश दिखाने की कोशिश कर रहा था। उसने शर्ट की बाजू को मोड़ लिया और लेपटॉप ऑन कर उसे स्क्रीन से कनेक्ट किया और समझाने लगा। जयदीप बस मुस्कुराते हुए पृथ्वी को देख रहा था उसे अहसास था कि पृथ्वी काफी थका हुआ है और इसके बावजूद भी वह काफी अच्छे से परफॉर्म कर रहा था। नींद की वजह से पृथ्वी को उबासी आती तो वह बोलते बोलते स्क्रीन की तरफ पलट जाता और कोई ये अंदाजा भी नहीं लगा पाया कि पृथ्वी नींद में है।

पृथ्वी पलटा अपनी स्पीच खत्म की और आखिर में कहा,”हम बनारस में इसका फर्स्ट लॉन्च रख सकते है”
पृथ्वी के मुंह से बनारस का नाम सुनकर सभी एक दूसरे को देखने लगे क्योकि उनके हाथो में जो पेपर था उसमे फर्स्ट लॉन्च पुणे ब्रांच से शुरू होना था। जयदीप ने सुना तो उठा और कहा,”अह्ह्ह पृथ्वी के कहने का मतलब है हमे इसे बनारस के “काशी विश्वनाथ दर्शन” के बाद लॉन्च करना चाहिए बिकॉज ये रिलिजियस थीम पर बना है”
“नाइस आइडिआ”,शेयर होलडर में से एक ने कहा


“क्या कर रहे हो पृथ्वी ? मीटिंग ऑनगोइंग है,,,,,,,,,!!”,जयदीप ने पानी का गिलास पृथ्वी की तरफ बढाकर दबी आवाज में कहा
पृथ्वी को होश आया और उसने गिलास लेकर पानी पीया और कहा,”आई ऍम सॉरी , मैं मैनेज करता हूँ”
जयदीप उसे बगल में ही खड़ा हो गया ताकि पृथ्वी फिर कोई गड़बड़ ना करे। पृथ्वी ने खुद को सामान्य रखा और प्रोजेक्ट की आखरी फाइल क्लियर कर सर झुकाकर सबको थैंक्यू कहा और साइड हो गया। सबको नया प्रोजेक्ट काफी पसंद आया और सबने इस पर अपनी सहमति भी दे दी।

जयदीप मुस्कुराते हुए सबके सामने आया और कहना लगा,”लेडीज एंड जेंटलमेंट ! थैंक्यू सो मच मुझ पर और मेरी टीम पर भरोसा करने के लिए,,,,,,,,,इस साल हमारी कम्पनी को 200% का मुनाफा हुआ है और अभी तक फायनेंशियल ईयर ख़त्म नहीं हुआ है बट आप सभी टीम मेंबर और कम्पनी के होनहार और मेहनती टीम ने ये कर दिखाया। पृथ्वी उपाध्याय और इनकी टीम की परफॉर्मेंस काफी अच्छी रही और इसलिए कम्पनी ने “मिस्टर पृथ्वी उपाध्याय” को प्रमोशन देते हुए फैसला किया है कि आज से वे इस कम्पनी में “मैनेजर” की पोस्ट सम्हालेंगे”


जयदीप की बात सुनकर सभी ख़ुशी से पृथ्वी के लिए तालिया बजाने लगे , वही पृथ्वी हैरान था कि जयदीप ने उस एकदम से मैनेजर क्यों बना दिया जबकि अभी तो बहुत टाइम बाकी था। सभी पृथ्वी को बधाई देकर एक एक करके मीटिंग रूम से बाहर जाने लगे। पृथ्वी मुस्कुराते हुए सबको थैंक्यू बोल रहा था। सबके जाने के बाद पृथ्वी ने जयदीप को देखा तो जयदीप ने कहा,”मैं जानता हूँ इस वक्त तुम्हारे मन में बहुत से सवाल होंगे , 5 मिनिट बाद मुझसे मेरे केबिन में मिलो”


“लेकिन,,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने कहा
“पृथ्वी आई सेड केबिन में मिलो,,,,,,,,,,!!”,जयदीप ने कहा और वहा से चला गया
“हाह ! क्या अजीब आदमी है ये अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह,,,,,,,,!!”,कहते हुए पृथ्वी ने एक उबासी ली और मीटिंग रूम से बाहर निकल गया।
पृथ्वी अपने केबिन में आया तो उसके चारो टीम मेंबर ने एक साथ कहा,”कोन्ग्रेचुलेशन सर”
पृथ्वी मुस्कुरा उठा और कहा,”मतलब तुम सब को पता था ?”


“अरे सर हमे तो आपकी टीम में आने के बाद ही पता चल गया था कि आप बहुत होनहार है,,,,,,,,,,!!”,तान्या ने कहा
“हाँ पृथ्वी सर ! लेकिन अब आप हमारे साथ नहीं बैठेंगे , अब आपका अपना अलग केबिन होगा मैनेजर वाला केबिन लेकिन हम आपको बहुत मिस करेंगे”,मनीष ने कहा
“तुम सब मेरे टीम मेंबर हो ऐसा कुछ नहीं होगा”,पृथ्वी ने अपना लेपटॉप टेबल पर रखकर कहा


“अरे यार पृथ्वी मौर्या सर ने खुद तुम्हारे लिए केबिन तैयार करवाया है , अपने केबिन के ठीक सामने ताकि वो दिनभर प्यारभरी नजरो से तुम्हे देख सके”,अंकित जो कि पृथ्वी के साथ बाकि सब का सीनियर था ने कहा तो बाकि सब दबी सी हंसी हसने लगे।  
“ओह्ह्ह जस्ट शट अप”,पृथ्वी ने कहा तभी केबिन का दरवाजा खुला और ऑफिस बॉय ने आकर कहा,”पृथ्वी सर आपको बॉस ने बुलाया है”


“हम्म्म,,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने कहा और ऑफिस बॉय के साथ ही केबिन से बाहर निकल गया और उसके टीम मेंबर खुलकर हंस पड़े।
पृथ्वी जयदीप के केबिन में आया और रूखे स्वर में कहा,”अब आपको मुझसे क्या चाहिए ?”
“कुछ भी नहीं इन्फेक्ट मैंने तुम्हे यहाँ बात करने के लिए बुलाया है आओ बैठो”,जयदीप ने सहजता से कहा


पृथ्वी ने कुर्सी खिसकाई और उस पर आ बैठा तो जयदीप ने कहा,”सबसे पहले तो मैनेजर बनने की बहुत बहुत बधाई हो , कम्पनी ने तुम्हारी सैलरी 35 से 45 कर दी है। अब चूँकि तुम मैनेजर बन चुके हो तो तुम पर जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती है और इसके लिए तुम्हे वक्त से ऑफिस भी आना,,,,,,,,,,,पृथ्वी , पृथ्वी”
“हाँ हाँ क्या हुआ , आप कुछ कह रहे थे ?”,पृथ्वी ने हड़बड़ाकर कहा वह बैठे बैठे सो रहा था
“तुम एक हफ्ते की छुट्टी से आये हो और अभी भी रहे हो , वैसे तुमने आज मीटिंग में बनारस का नाम क्यों लिया ? क्या तुम इस वीकेंड बनारस गए थे ?”,जयदीप ने पूछा


“हम्म्म,,,,,,,,!!”,पृथ्वी ने कहा
“ये कैसे हो गया ? उस दिन तुम मेरे साथ गणपति लेने नहीं गए और वीकेंड पर सीधा बनारस वहा तो हर गली हर मोड़ पर मंदिर है , तुमने ये कैसे कर लिया ?”,जयदीप को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि पृथ्वी बनारस गया था।
“वो एक लम्बी कहानी है , क्या अब मैं जा सकता हूँ ?”,पृथ्वी ने उठते हुए कहा
“हाँ तुम आज से अपने नए केबिन में बैठ सकते हो मैंने तुम्हारा सब सामान वहा शिफ्ट करवा दिया है,,,,,,,,!!”,जयदीप ने कहा


“थैंक्यू ! बट मैं अपनी टीम के साथ पुराने केबिन में ही बैठना पसंद करूंगा एंड डोंट वरी मैं अपनी मैनेजर की जिम्मेदारिया पुरे मन से निभाउंगा , थैंक्यू सर”,पृथ्वी ने कहा और वहा से चला गया
“ओह्ह्ह पृथ्वी मैं क्या करू तुम्हारा कभी कभी तो लगता है इस कम्पनी के बॉस तुम हो,,,,,,,,,,,तुम कभी मेरी बात मानते क्यों नहीं ?”,जयदीप ने अफ़सोस भरे स्वर में कहा और अपना काम करने लगा
पृथ्वी अपने केबिन में चला आया। उसने अंकित से एक हफ्ते का अपडेट लिया।

मनीष , कशिश , तान्या को उनका काम दिया और खुद अपनी कुर्सी पर आ बैठा। पृथ्वी की टीम उसके लौट आने से खुश थी। पृथ्वी ने अपनी कुर्सी खिसकाई और टेबल पर अपने दोनों हाथो को समेट कर रखा और अपना सर उस पर टिका दिया। कुछ ही देर में उसे नींद आ गयी। सोया हुआ पृथ्वी बहुत ही मासूम और प्यारा लग रहा था। तान्या और कशिश अपनी अपनी रिपोर्ट्स बनाने में बिजी थी , मनीष अपना काम कर रहा था और अंकित एक मीटिंग के सिलसिले में जयदीप के साथ ऑफिस से बाहर चला गया।

सफर की थकान और रातभर जागने की वजह से पृथ्वी गहरी नींद में सोया था। अचानक कशिश की नजर पृथ्वी पर पड़ी तो उसने देखा कि पृथ्वी के बाल बिखरकर उसके ललाट पर आ रहे है। कशिश पृथ्वी के पास आयी और बहुत ही सावधानी से धीरे से अपनी उंगलियों से पृथ्वी के बालों को साइड कर दिया। तान्या ने देखा तो कहा,”ये क्या कर रही हो तुम ?”


“कुछ नहीं ! पृथ्वी सर सोते हुए कितने प्यारे लग रहे है ना”,कशिश ने तान्या की तरफ आकर कहा
“कशिश ! उस दिन सर ने क्या कहा था तुमसे ? तुम खामखा इन पर अपना वक्त और फीलिंग्स बर्बाद कर रही हो। पृथ्वी सर बहुत अच्छे है लेकिन वो अपने साथ काम करने वाली लड़कियों के लिए फीलिंग्स नहीं रखते”,तान्या ने कहा
“अच्छा ! फीलिंग्स जगाई भी तो जा सकती है”,कशिश ने कहा


“जगाई जा सकती है और क्या पता वो फीलिंग्स पहले ही किसी और के लिए जाग गयी हो”,तान्या ने कहा
“तुम तो मुझे डिमोटिवेट कर रही हो”,कशिश ने मायूसी भरे स्वर में कहा और अपने काम में लग गयी। तान्या भी उसे समझाने लगी क्योकि तान्या ने हमेशा पृथ्वी को काम और ऑफिस की बाते करते देखा था उसने ऑफिस में पृथ्वी को कभी किसी के साथ ज्यादा फ्रेंक होते नहीं देखा था।
पृथ्वी गहरी नींद में था उसे तान्या और कशिश की बाते ना सुनाई दे रही थी ना समझ आ रही थी,,,,,,,,,,,,,,!!”

आई टी कम्पनी , सिरोही
“कोन्ग्रेचुलेशन मिस्टर सिद्धार्थ ! आपका इंटरव्यू काफी पॉजिटिव और एक्सीलेंट था। इंटरव्यू आपने क्लियर कर लिया बट इसके आगे भी कुछ प्रोसीजर है जिन्हे पूरा होने में 1-2 हफ्ते का टाइम लगेगा उसके बाद आपको हमारी फॉरेन कम्पनी से कन्फर्मेशन मेल आएगा एंड उसके बाद ही आप कम्पनी ज्वाइन कर सकते है”,नयी कम्पनी के मैनेजर ने कहा
“थैंक्यू सर , थैंक्यू सो मच ! मैं वेट करूंगा”,सिद्धार्थ ने कहा  


उसने अपनी फाइल उठायी और कम्पनी के मैनेजर से हाथ मिलाकर वहा से चला गया। ऑफिस से बाहर आकर सिद्धार्थ अपने अंदर एक नयी ऊर्जा महसूस कर रहा था। उसकी धीमी पड़ चुकी जिंदगी को एक बार फिर गति मिल चुकी थी और इस बार सिद्धार्थ पीछे हटना नहीं चाहता था। उसे अपनी पुरानी नौकरी छोड़ने का अफ़सोस नहीं था बल्कि नयी मिलने वाली नौकरी उसे चार गुना बेहतर है सोचकर सिद्धार्थ के मन से वो गिल्ट भी कम हो गया। वह गुनगुनाते हुए पार्किंग की तरफ चला आया। सिद्धार्थ अपनी गाडी में आ बैठा और वहा से निकल गया।

सिरोही रेलवे स्टेशन
अवनि सुरभि को छोड़ने स्टेशन आयी थी और इसी के साथ वह उदास भी हो गयी। सुरभि के साथ ये एक हफ्ता कैसे गुजर गया अवनि को पता ही नहीं चला और अब सुरभि के जाने का वक्त हो चुका था। सुरभि अवनि को समझा रही थी और अवनि उदास सी हामी भर रही थी। सुरभि ने अवनि को उदास देखा तो उसे अच्छा नहीं लगा और उसने कहा,”ओये अवनि ! तुम तो ऐसे दुखी हो रही हो जैसे मैं हमेशा के लिए जा रही हूँ , अरे बाबा मैंने कहा ना इस बार मेरा सेलेक्शन नहीं हुआ तो फिर मैं यही चली आउंगी तब तुम्हे मुझे रोज झेलना पडेगा”


“मैं तैयार हूँ,,,,,,,,!!”,अवनि ने मुस्कुरा कर कहा
“और हाँ अब तुम यहाँ अपने लिए घर देखना शुरू कर दो , खुद का घर होगा तो तुम बिना किसी परेशानी के उसमे रह सकती हो और उसे अपनी पसंद से सजा भी सकती हो,,,,,,,और हाँ ऐसा घर लेना जिसके मास्टर बैडरूम में एक बड़ी सी खिड़की हो जिसके पास तुम अपनी लिखने की टेबल डाल सको और वहा बैठकर लिख सको,,,,,,,,!!”,सुरभि ने कहा


सुरभि के मुंह से लिखने की बात सुनकर अवनि फिर उदास हो गयी तो सुरभि ने कहा
“जानती हु अवनि ये नौकरी तुमने अपने पापा के लिए चुनी है वरना तुम्हारा सपना तो कुछ और था , खैर तुम पक्का अपने लिए घर देखने वाली हो”
“हाँ आज शाम मैं कौशल चाचा से बात करती हु , उन्होंने बताया था कि उनके दोस्त यहाँ रहते है तो वो मेरी मदद कर देंगे”,अवनि ने कहा
कौशल चाचा का नाम सुनकर सुरभि ने कहा,”अवनि ! बुरा न मानो तो एक बात कहू”
“हम्म्म कहो न,,,,,!”,अवनि ने प्यार से कहा


“हो सके तो तुम कौशल चाचा से मदद मत लेना , मुझे गलत मत समझना अवनि पर इन 2 महीनो में बाकी सबकी तरह उन्होंने भी तुम्हारे बारे में जानने की कोशिश नहीं की। जब तुम अपनी जिंदगी में अकेले आगे बढ़ ही चुकी हो तो फिर इन लोगो का अहसान नहीं लेना चाहिए”,सुरभि ने अपने दिल की बात अवनि के सामने रख दी। अवनि को अहसास हुआ कि इतने दिनों में कौशल चाचा ने भी तो कभी उस से बात करने की कोशिश नहीं की ना वो उस से मिलने यहाँ आये उसने सुरभि की तरफ देखा और कहा,”अकेली कहा हूँ मेरे महादेव है ना मेरे साथ वो और मैं मिलकर सब ठीक कर लेंगे”


“ये की ना तुमने बहादुर अवनि वाली बात , अच्छा मेरी ट्रेन का वक्त हो गया है मैं अब चलती हूँ और तुम अपना ख्याल रखना , ज्यादा मत सोचना कोई तुम्हारे साथ हो या न हो ये सुरभि शर्मा हमेशा तुम्हारे साथ है और मैं महादेव से दुआ करुँगी जल्दी ही वो किसी ऐसे को तुम्हारी जिंदगी में भेज दे जो तुम्हे सम्हाल ले,,,,,,,हॉस्टल का खाना ज्यादा मत खाना और घर लेना है तुम्हे ये याद रखना,,,,,,,,,,,आई मिस यू , हर हर महादेव”,ट्रेन के दरवाजे पर खड़ी सुरभि ने चिल्लाकर कहा और अवनि हाथ हिलाते , मुस्कुराते , नम आँखों से उसे जाते देखती रही।

( क्या मुंबई आकर पृथ्वी भूल जाएगा अवनि को या तलाश करेगा उसे ? क्या सिद्धार्थ को मिलेगी नयी कम्पनी में नौकरी या मिलेगी हार ? सुरभि ने अवनि को कौशल की मदद लेने से क्यों किया मना ? जानने के लिए पढ़ते रहिये “पसंदीदा औरत” मेरे साथ )

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संजना किरोड़ीवाल 

Pasandida Aurat by Sanjana Kirodiwal
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