Sanjana Kirodiwal

पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 5

Pakizah – 5

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 5

सुबह का समय रूद्र अपने कमरे में सो रहा है l बाहर हलकी बारिश हो रही है l तभी दरवाजे पर दस्तक होती है रूद्र नींद में अलसाया हुआ सा उठकर बाहर आता है l सामने 40-42 साल का बुजुर्ग खड़ा ठण्ड से कांप रहा था l बारिश में हल्का सा भीग चूका था l रूद्र ने उसे घूरकर देखा और कहा – कौन हो आप ? और यहाँ क्या कर रहे हो ?

“साहब जी , मुझे पाटिल सर ने भेजा है l आपको काम के लिए आदमी की जरूरत थी ना”,आदमी ने हाथो की दोनों हथेलियों को आपस में रगड़ते हुए कहा

रूद्र ने उसे अंदर आने को कहा l आदमी आकर एक कोने मे खड़ा हो गया उसके कपड़ो से पानी झरकर निचे फर्श पर गिर रहा था l रूद्र अंदर गया और अपना एक कुरता ले आया उसने कुरता आदमी की तरफ बढ़ाते हुए कहा – लो इसे पहन लो आदमी ने तुरंत कुरता बदला और रूद्र की तरफ देखकर कहा – शुक्रिया साहब जी , बाहर बहुत बारिश हो रही है मैं अभी आपके लिए चाय बनाकर ले आता हु l

“एक कप अपने लिए भी बना लेना”,रूद्र ने खिड़की के बाहर देखते हुए कहा l

“जी साहब जी”,आदमी मुस्कुराता हुआ किचन की तरफ चला गया l

रूद्र खिड़की के पास खड़ा बारिश का आनंद लेने लगा l फोन की रिंग बजी तो रूद्र की तन्द्रा टूटी रूद्र ने फ़ोन उठाया दूसरी तरफ से असलम ने कहा – जय हिन्द सर !

रूद्र – जय हिन्द असलम ! क्या बात है सुबह सुबह फोन किया ?

असलम – सर मुझे आपसे बहुत जरुरी बात करनी है

रूद्र – हां असलम कहो क्या बात है ?

असलम – सर आपके कहे मुताबिक कल शाम मैंने हर्षद पंवार की कॉल डिटेल्स निकलवाई थी एंड आई ऍम शॉकेड सर

रूद्र – क्यों ? कुछ हाथ लगा तुम्हारे ?

असलम – हां सर बहुत बड़ा सबूत हाथ लगा है

रूद्र – क्या असलम जल्दी बताओ ? (धड़कने बढ़ने लगी)

असलम – वो सब मैं आपको फोन पर नहीं बता सकता सर आप जल्दी से थाने आजाईये l

रूद्र – ठीक है असलम , मैं थोड़ी देर में पहुँचता हु

असलम – ठीक है सर , मैं रखता हु

रूद्र ने फोन काट दिया और सोचने लगा ,”आखिर ऐसा क्या पता चला है असलम को जो वो फोन पर नहीं बता पा रहा , मुझे जल्द से जल्द थाने जाना होगा”

“साहब जी चाय”,उस आदमी ने आकर कहां l

रूद्र ने चाय ली और एक घूंठ पीकर कहा – चाय बहुत अच्छी बनी है l

“शुक्रिया साहब जी , आप कहे तो नाश्ता बना दू आपके लिए”,आदमी ने अपनेपन से कहा

“अभी मुझे किसी जरुरी काम से बाहर जाना है”,रूद्र ने चाय पीते हुए कहा

“ठीक है साहब जी , तो फिर मैं घर की साफ सफाई कर देता हु”,आदमी ने कहा l

रूद्र ने चाय पि और तैयार होने लगा l सरसरी नजर से उसने काम करते हुए उस आदमी को देखा और फिर कहा – वैसे तुम्हारा नाम क्या है ? और कहा के रहने वाले हो तुम ?

“रघुवीर नाम है साहब जी , अलवर का रहने वाला हु l नौकरी की तलाश में यहाँ चला आया”,आदमी ने कहा

“ठीक है शाम को अपनी id और एक फोटो दे देना मुझे वेरिफिकेशन के लिए”,रूद्र ने फोन को जेब में डालते हुए कहा

“ठी…….ठीक है साहब जी”,रघु ने सकपकाते हुए कहा और वापस काम में लग गया l

रूद्र ने चाबी उठायी और घर से निकल गया l

पुलिस स्टेशन -:

असलम बेसब्री से रूद्र का इंतजार कर रहा था l बार बार दरवाजे पर जाता और लोट आता l

“हां असलम , अब बताओ क्या हुआ”,रूद्र ने तेजी से अंदर आते हुए कहा l

“सर मेरे साथ आईये , मुझे आपको कुछ दिखाना है”,असलम ने रूद्र के केबिन की तरफ बढ़ते हुए कहा

रूद्र भी असलम के पीछे पीछे केबिन में चला आया l असलम ने रूद्र को एक कागज दिखाते हुए कहा – ये देखिये सर

रूद्र ने देखा कागज में जगह जगह एक मोबाइल नंबर पर गोला लगा हुआ है l सब नंबर सेम ही थे उसने असलम की तरफ देखकर कहा – असलम हर्षद के फोन से इस नंबर पर 10-12 बार कॉल किया गया है , ये नंबर किसका है पता लगाओ ?

असलम – मैंने पता लगाया है सर !

रूद्र – किसका नंबर है ? (आँखों में चमक उभर आती है)

असलम – सर ! ये नंबर कमिश्नर साहब का है (धीमी आवाज में)

रूद्र – क्या……………? पर कमिशनर साहब हर्षद को इतने फोन क्यों करेंगे ?

असलम – यही तो मैं नहीं समझ पा रहा हु सर ! एक दिन में इतने कॉल तो किसी जरुरी काम से ही किया जा सकता है सर

रूद्र सोचने लगा और फिर कहा – वेट ! मेरे यहाँ आने के अगले ही दिन बड़े अफसर ने मुझे किसी केस में उलझा दीया ताकि मुझे बाकि चीजों से डायवर्ट कर सके l उस दिन भी जब मैं पाकीजा की फाइल अपने साथ लेकर गया तो अगले दिन कमिशनर ने आकर सवाल जवाब किये जबकि मैंने पाकीजा की फाइल के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया था l और अब हर्षद का इतनी बार कमिश्नर साहब को फोन करना l कही न कही ये सारी बातें आपस में जुडी है असलम !!

असलम – सर हो ना हो कोई तो है जो हमारे हर पल की खबर किसी तक पहुंचा रहा है

रूद्र – चिंता मत करो रूद्र वो जल्द ही सामने आ जायेगा फ़िलहाल तो हमे ये पता लगाना है की कमिशनर साहब का हर्षद से क्या कनेक्शन है ?

असलम – सर कही हर्षद के इन काळे धंधो के पीछे कमिश्नर साहब का ही तो हाथ नही

रूद्र – हो सकता है असलम पर बिना किसी सबूत के ये कहना हमे मुसीबत में डाल सकता है , हमे बहुत सम्हालकर कदम बढ़ाना होगा l इतना तो मैं जान चुका हु की हर्षद कही न कही हमारे लिए पहली सीढी बनेगा l

अभी दोनों बातें कर ही रहे थे की तभी कमिशनर रूद्र के केबिन में दाखिल हुआ और गुस्से से कहा – तुमने हर्षद को गिरफ्तार क्यों किया ?

कमिशनर साहब को वहा देखकर रूद्र और असलम दोनों हैरान हो गए l दोनों ने उन्हें सेल्यूट किया तो कमिशनर ने कहां – इंस्पेक्टर रूद्र आखिर ये सब क्या लगा रखा है तुमने ? मैं पूछता हु किस बिनाह पर तुमने हर्षद को अरेस्ट किया और उसे 3rd डिग्री दी ?

“आप एक गुंडे के लिए इतना परेशान क्यों हो रहे है सर ?”,रूद्र ने कटाक्ष करते हुये कहा l

“वो कोई गुंडा नही है , उसे इसी वक्त लॉकअप से बाहर निकालो ,, इट्स माय आर्डर “,कमिशनर ने उसी अंदाज में कहा

“सॉरी सर आई कांट ! इसके खिलाफ चार्जशीट तैयार हो चुकी है”,रूद्र ने सहज भाव से कहा

“चार्जशीट बदली बदली जा सकती है , लेकिन हर्षद को बाहर निकालो”,कमिशनर ने आवाज को थोड़ा धीमा करके कहा

“आप एक गुंडे की पैरवी क्यों कर रहे है , मुझे तो शक है कही आप भी तो उस से मिले हुए नहीं हो ?”,रूद्र ने कहा

“माइंड योर लैंग्वेज मिस्टर रूद्र , तुम जानते हो मैं एक कमिशनर हु अपनी औकात में रहकर बात करो”,कमिशनर ने चिल्लाकर कहा

“चिल्लाइये मत सर ! अगर आप कमिशनर है तो मैं इस थाने का acp हु ,, आपकी तरह हवा में बाते नहीं करता आपके खिलाफ हर्षद पंवार को फोन करने का सबूत है मेरे पास”,रूद्र ने कमिशनर साहब की आँखों में आँखे डालकर कहा

“मैं एक कमिशनर हु , गलती से मेरा फोन हर्षद पंवार को लग गया होगा”,कमिशनर साहब ने रूद्र से नजरे बचाते हुए कहा

“एक बार कॉल लगने को गलती कह सकते है सर पर एक ही दिन में 10-12 गलतिया होना क्या मुमकिन है , हर्षद और आपके नंबर की कॉल डिटेल्स है मेरे पास”,रूद्र ने कागज कमिशनर साहब के सामने कागज करते हुए कहा l

रूद्र की बात सुनकर कनिशनर साहब घबरा गए और इधर उधर देखते हुए कहा – मेरा फोन तो कुछ दिन पहले ही चोरी हो चूका है l

रूद्र मुस्कुराया उसने टेबल से फोन उठाकर नंबर डॉयल किया फोन की रिंग बजने लगी l आवाज कमिशनर साहब के जेब से आ रही थी l असलम को ये सब देखकर हंसी आ गयी उसने बड़ी मुश्किल से खुद को रोका l रूद्र कमिशनर साहब के पास आया और उनकी जेब से फोन निकालकर उनके हाथ में देते हुए कहा – इसे शायद फोन ही कहते है l

कमिशनर – तुम जानते नहीं हो तूम किससे पन्गा ले रहे हो

रूद्र – जानकर क्या करूंगा सर , आखिर जाना तो सबको उन सलाखों के पीछे ही है

कमिशनर – कानून से मत खेलो हार जाओगे

रूद्र – मैंने सिर्फ जितना सीखा है सर

कमिशनर – अंजाम बुरा होगा

रूद्र – अभी तो जंग शुरू हुई है सर अभी से अंजाम के बारे में सोचने लगे

कमिशनर – तुम्हे शायद मेरी पॉवर का अंदाजा नहीं

रूद्र – गुंडों के दम पर उछलने वाले आपका अगर इतना पावर है तो मुझ जैसे ऐड़े acp का कितना पॉवर होगा देखना चाहेंगे आप

इतना कहकर रूद्र ने एक घुसा टेबल पर दे मारा टेबल टूटकर बिखर गया l रूद्र का ये रूप देखकर एक पल को कमिशनर साहब की आँखों में खौफ दिखाई देने लगा l उन्होंने वहा से जाने में ही अपनी भलाई समझी l कमिशनर वहा से जाने लगा जाते जाते वह रुका और रूद्र से कहा – 2 दिन सिर्फ 2 दिन में तुम्हारा यहा से ट्रांसफर करवा दूंगा

“14 जगह से हर दो महीने में ट्रांसफर होकर यहाँ आया हु सर , घाट घाट का पानी पिया है तब जाकर ये हिम्मत आयी है , ट्रांसफर से मैं नहीं डरता सर जहा जाऊंगा वहा बैठकर इस खेल को ख़त्म करूंगा l जाईये आपसे जो बन पड़ता है कीजिये हर्षद अब मेरे पास है , सबके पर्दे फास करूंगा ……………………… और शुरुआत आपसे होगी सर !! “,रूद्र ने गुस्से से भरी आँखों से कमिशनर साहब को घूरते हुए कहा

कमिशनर तेज कदमो से वहा से निकल गया l

कमिशनर ने बाहर आकर किसी को फोन लगाया l दूसरी तरफ से किसी की किसी की सख्त आवाज उभरी – अब क्या हुआ कमिशनर ? इतनी सुबह सुबह क्यों फोन किया ?
कमिशनर – अब जो मैं आपको बताने वाला हु वो सुनकर आपकी नींद उड़ जाएगी

कहो ऐसा क्या हो गया ? .
कमिशनर – रुद्र ने हर्षद को अरेस्ट कर लिया है और उसके खिलाफ मोटी फ़ाइल भी तैयार कर ली है l अगर हर्षद ने मुंह ख़ोला तो सबके सब अंदर जाएंगे

रिलेक्स कमिशनर हर्षद के मुंह खोलने से पहले ही उसका मुंह हमेशा हमेशा के लिए बंद हो जाएगा
कमिशनर – प्लीज़ जल्दी कुछ करो ! और ये रुद्र का भी कुछ करो ये तो शनि बनकर मेरे पीछे पड़ गया है

उसका इलाज भी जल्दी ही कर दूंगा सबसे पहले हर्षद को कैसे भी करके बाहर निकालना होगा l तुम चिंता मत करो मैं सब सम्हाल लूंगा l
कमिशनर – ठीक है

दूसरी तरफ से फोन कट गया l कमिशनर साहब आकर गाड़ी में बैठे और ड्राइवर से चलने को कहा l गाड़ी तेजी से पुलिस स्टेशन के बाहर निकल गयी l

“सर कमिशनर साहब शांत नही बैठेंगे , वो कुछ न कुछ तो जरूर करेंगे”,असलम ने रुद्र से कहा
रुद्र – नही असलम कमिशनर कुछ भी करने से पहले जरूर सोचेगा l फिक्र मुझे हर्षद की है इसे छुड़ाने के लिए कोई न कोई प्लान जरूर होगा
असलम – सर क्या हम हर्षद को किसी ओर जगह नही रख सकते ?


रुद्र – नही असलम ! ऐसा करना फिलहाल सही नही होगा ऊपर से बहुत प्रेशर होता है
असलम – तो फिर क्या करे ? हर्षद तो कुछ बोलने को तैयार ही नही है
रुद्र – हर्षद की कोई न कोई कमजोरी तो जरूर होगी हमे बस उसका पता लगाना है सच क्या है वो खुद ब खुद उगल देगा
असलम – हा सर ! हर्षद के साथ साथ ओर भी बहुत से लोग बेनकाब हो जाएंगे l


रुद्र – वो तो होंगे ही असलम !
असलम – सर आपसे पहले मैं सिर्फ बड़े अफसरों के कहे पर चलता था पर आपके साथ काम करके महसूस होता है कि हम भी कुछ है we proud of you sir
रुद्र – प्राउड टू बी इंडियन पुलिस l कानून के रखवाले कानून की इज्जत करना भूल गए है असलम उन्हें ये अहसास दिलाना भी जरूरी है l


असलम – हां सर ओर इसमें मैं आपके साथ हु
रुद्र – तो इसी बात पर एक एक कप चाय हो जॉए कमिशनर साहब की बातों से मेरा सर दर्द होने लगा है
असलम – बिल्कुल सर मैं अभी लेकर आता हूं l

असलम चला गया l रुद्र आकर कुर्सी पर बैठा ओर हर्षद के बारे में सोचने लगा l थोड़ी देर में असलम चाय ले आया ओर रुद्र की तरफ बढा दी l रुद्र ने असलम को कुछ कागज वेरिफाई करने के लिए बाहर भेज दिया और खुद हर्षद की फ़ाइल देखने लगा l

शाम को रुद्र अपने केबिन में था तभी रागिनी आयी उसने हर्षद के बारे में डिटेल्स दी जिससे वे अपनी मंजिल के एक कदम नजदीक पहुंच गए l रागिनी रुद्र के पास खड़ी उसे सब बताती जा रही थी रुद्र का पूरा ध्यान रागिनी की बातों पर था जबकि रागिनी का रुद्र के चेहरे पर l फ़ाइल दिखाते हुए रागिनी का हाथ सहसा ही रुद्र के हाथ से छू गया एक प्यारा सा अहसास उसके दिल को छू गया और वह रुद्र में खोकर रह गयी l


रुद्र की नजर घड़ी पर गयी तो उसने उठते हुए कहा – रागिनी ये फ़ाइल तुम असलम को दे देना और उस से कहना मुझसे फोन पर बात कर लेगा l
रागिनी ने फ़ाइल ली और रुद्र वहां से चला गया l

सेंट्रल जेल –

“आप फिर आ गए”,बेंच पर बैठी पाकीजा ने रुद्र को अपने पास खड़े देखकर कहा l
रुद्र – घर है अपना कभी भी आ जा सकते है
पाकीजा – जी बिल्कुल !
रुद्र – यहा बैठ सकता हु
पाकीजा – बैठ सकते है सब आपका ही है


रुद्र – पाकीजा एक आखरी बार क्या तुम किसी पर भरोसा नही कर सकती
पाकीजा – सर अब यही मेरी दुनिया है l
रुद्र – क्या इस दुनिया मे खुश हो तुम ?
पाकीजा – खुशी क्या होती है ये कुछ सालो से भूल चुकी हूं अब बस जितनी जिंदगी है जी रही हु
रुद्र – ऐसी जिंदगी किस काम की जो जिंदगी कम बोझ ज्यादा लगे l

पाकीजा ये तो सच है कि तुम बेगुनाह हो
पाकीजा – हा सच है पर इस बात को कौन मानता है ?
रुद्र – मैं मानता हूं।
पाकीजा – आपके अकेले के मानने से क्या होगा सर


रुद्र – एक अकेला इंसान चाहे तो इतिहास बना सकता है l अगर तुम साथ दोगी तो मैं अकेले भी तुम्हे इंसाफ दिला सकता हु
पाकीजा – छोड़िए न सर ये सब बाते सिर्फ किताबो में अच्छी लगती है असल जीवन मे इनका कोई महत्व नही है
रुद्र – किताबे भी तो असल जीवन पर ही आधारित होती है l एक बार खुद पर भरोसा करके देखो शायद सब आसान लगने लगे

रुद्र अभी पाकीजा को समझा ही रहा था कि तभी आकाश में उड़ता हुआ एक घायल पक्षी पाकीजा के सामने कुछ दूरी पर आ गिरा l पाकीजा उठकर उसके पास गई उसे उठाया उसके पंजो में डोर उलझी हुई थी पाकीजा ने बड़े ही धयान से उस डोर को निकाला और उस पक्षी को हाथ मे उठाकर सहलाने लगी l


बेंच पर बैठे रुद्र बड़े गोर से ये सब दृश्य देख रहा था उसे पाकीजा के चेहरे पर आज दया और प्रेम के सेंकडो मीले जुले भाव नजर आ रहे थे l पाकीजा को देखकर वह मन ही मन कहने लगा ,”ये भला किसी को क्या चोट पहुचायेगी जो एक जानवर के दर्द से भी तड़प उठी l ये तो ऊपर वाले कि नेक बंदी है जो किसी के जुल्मों का शिकार हुई है l”

पक्षी अब पूरी तरह सही थी पाकीजा ने उसे आसमान में उड़ा दिया l एक प्यारी सी मुस्कान उसके होंठो पर फैल गयी रुद्र ने जब उसे देखा तो रुद्र को लगा जैसे अभी उसका दिल बाहर आ गिरेगा इस से ज्यादा खूबसूरत नजारा आज से पहले उसने नही देखा था l पाकीजा ने रुद्र कीतरफ देखा जो कि उसी को देख रहा था l रुद्र की वो दो आंखे उसे अपने कलेजे में धंसती हुई महसूस हुई वह जाने लगी तो रुद्र ने कहा

जाने से पहले मेरे सवालों का जवाब तो दे दो
“कुछ सवालों के जवाब ना जानने में ही भलाई होती है सर “,पाकीजा ने कहा
“अच्छा ये तो बताओ कि तुमने उस पक्षी को आजाद क्यो कर दिया ?”,रुद्र ने कहा
“कैद में रहने वाला इंसान ही जान सकता है आजादी का असली मतलब”,पाकीजा ने कहा
“नही ! बल्कि तुम्हारे मन मे अब भी कही न कही आजाद होने की चाह बाकी है”,रुद्र ने सधी हुई आवाज में कहा


पाकीजा की आंखों में अचानक से नमी आ गयी चेहरे पर दर्द के भाव उभर आई उसे महसूस हुआ जैसे रुद्र ने उसके दिल की बात को भांप लिया हो l रुद्र ने पाकीजा की दुखती रग पर हाथ रख दिया था l पाकीजा ने नम आंखों से रुद्र की तरफ देखा और तेज कदमो से वहां से चली गयी l

“मैं कल फिर आऊंगा”,रुद्र ने चिल्लाकर कहा l

शाम हो चुकी थी अंधेरा भी होने लगा था l रुद्र वहां से बाहर आ गया और गाड़ी थाने की तरफ दौड़ा दी l थाने पहुचकर रुद्र जैसे ही अंदर जाने लगा सामने पाटिल मिल गया l
“अरे ! पाटिल जी बहुत बहुत शुक्रिया “,रुद्र ने पाटिल के सामने आकर कहा
“शुक्रिया ! किस बात का शुक्रिया साहब जी”,पकतील ने हैरानी से कहा


“सुबह घर के कामकाज के लिए आपने जो आदमी भेजा था”,रुद्र ने कहा
“आदमी ?……………..आप किस आदमी की बात कर रहे है साहब जी ?”,पाटिल अब भी हैरान था
“अरे वही रघुवीर , जिसे सुबह तुम्हे घर भेजा था , भूप गए क्या ?”,रुद्र ने थोड़ा सख्त होकर कहा

पाटिल अजीब नजरो से रुद्र को देखने लगा और फिर कहा

“पर मैने तो किसी भी आदमी को नही भेजा साहब जी”

Continue With Part Pakizah – 6

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