Sanjana Kirodiwal

पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 47

Pakizah – 47

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 47

लिफ्ट निचे आकर रुकी l एक एक कर सभी बाहर जाने लगे l
“पाकीजा !!”,रूद्र के मुंह से मुश्किल से एक शब्द निकला
पाकीजा तेजी से रूद्र से दूर हुई l रूद्र उसे लेकर लिफ्ट से बाहर आ गया l

शोरूम के बाहर गाड़ी में बैठे सभी लोग उन दोनों का इंतजार कर रहे थे l भावना पहले से ही राजीव में आकर बैठ गयी l रूद्र ने पाकीजा को आगे बैठने का इशारा किया और खुद आकर पीछे काव्या और भावना के साथ बैठ गया l


“अरे ! आप कहा रह गयी थी पाकीजा ?”,राजीव ने कहा
“वो हम रास्ता भटक गए थे”,पाकीजा ने कहा
राजीव ने गाड़ी स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी l रास्ते भर रूद्र के दिमाग में लिफ्ट वाला सीन घुमता रहा l रूद्र के मम्मी पापा दूसरी गाड़ी से घर के लिए निकल गए l
“भैया भूख लगी है चलो ना कुछ खाते है”,काव्या ने कहा
“हां यार , मुझे भी भूख लगी है”,राजीव ने पीछे पलटकर कहा


“ठीक है ! चलो”,रूद्र ने कहा
राजीव ने गाड़ी एक रेस्टोरेंट के सामने रोक दी l पांचो गाड़ी से उतरकर अंदर आ गए l वेटर ने ऑर्डर लिया और चला गया l भावना रूद्र से बिल्कुल सटकर बैठी थी l पाकीजा बिल्कुल उसके सामने l रूद्र की नजरे बस उसी पर थी और पाकीजा रूद्र को ना देखने का नाटक कर रही थी l दरअसल लिफ्ट में जो कुछ हुआ उसके बाद से पाकीजा को रूद्र से नजर मिलाने में शर्म महसूस हो रही थी l
कुछ देर बाद वेटर आर्डर ले आया l

सभी खाने लगे …… रूद्र अपनी ही किसी सोच में डूबा हुआ था पाकीजा उसके चेहरे की तरफ देखने लगी जैसे ही रूद्र की नजर उस से मिली उसका दिल धड़क उठा और फिर से उसने अपनी पलके झुका ली l रूद्र के मना करने के बाद भी भावना उसे जबरदस्ती अपने हाथ से खिलाने की कोशिश कर रही थी l रूद्र को सबके सामने ये बहुत अजीब लग रहा था लेकिन भावना , उसे तो सबके सामने ये दिखाना था की वो रूद्र से कितना प्यार करती है


“भावना स्टॉप इट बिहेव लाईक देट”,रूद्र ने गुस्से से ऊँची आवाज में कहा l
सभी रूद्र की तरफ देखने लगे l
“लेकिन रूद्र मैं तो……………………!!”,भावना ने सफाई देते हुए कहा l
“आई अंडरस्टैंड बट हर जगह ये सब अच्छा नहीं लगता है भावना”,रूद्र ने कहा
“क्यों अच्छा नहीं लगता ? वी आर कपल्स ! और कल हमारी सगाई भी है”,भावना ने हैरानी से आँखे बड़ी करते हुए कहा l
भावना की बात सुनकर रूद्र के चेहरे पर उदासी आ गयी और उसने कहा,”अभी हमारी सगाई हुयी नहीं है”


“हुई नहीं है तो हो जाएगी”,कहते हुए भावना ने फिर जबरदस्ती निवाला रूद्र की तरफ बढ़ा दिया l इस बार रूद्र को गुस्सा आया और वह उठकर वहा से चला गया l
“रूद्र……….सुन ना !!”,राजीव ने आवाज दी लेकिन रूद्र नहीं रुका और वहा से चला गया l
“आपकी वजह से भैया गुस्सा हो गए और यहाँ से चले गए” ,काव्या ने कहा
“मैंने क्या किया ? अपने होने वाले पति की परवाह करना गलत है क्या ?”,भावना ने झल्लाकर कहा


“भैया को ये सब पसंद नहीं है”,काव्या ने घूरते हुए कहा l
भावना उठी और पाकीजा की तरफ घूरकर देखते हुए कहा,”पसंद क्यों आएगा उन्हें आजकल कुछ और पसंद जो आने लगा है”
भावना वहा से चली गयी l भावना की बात सुनकर पाकीजा का चेहरा उतर गया l राजीव पाकीजा के चेहरे पर आये उदासी के भाव को पहचान गया उसने माहौल को हल्का करने के लिए कहा,” जाने दो उन दोनों को , उन दोनों का पेट तो लड़ाई और प्यार से भर जाएगा पर अपना क्या ? इसलिए जल्दी जल्दी ये सब खत्म करो”


पाकीजा का बिल्कुल मन नहीं था उसे रूद्र की फ़िक्र हो रही थी आज से पहले उसने रूद्र को कभी गुस्से में नहीं देखा था वो बहुत शांत रहने वाला लड़का था l पाकीजा ने मुश्किल से दो निवाले हलक से निचे उतारे l राजीव , काव्या और पाकीजा बाहर आये l भावना गाड़ी के अंदर बैठी थी और रूद्र बाहर खड़ा था l
राजीव ने सबसे अंदर बैठने को कहा इस बार रूद्र पीछे न बैठकर राजीव के साथ आगे आ बैठा l राजीव ने गाड़ी स्टार्ट की और घर की तरफ बढ़ा दी l रूद्र रास्ते भर खामोश रहा और खिड़की से बाहर देखता रहा l

सभी घर पहुंचे भावना सबसे पहले उतरी और पैर पटकती हुयी वहा से चली गयी l राजीव , रूद्र ,पाकीजा और काव्या भी निचे उतरे और अंदर चले गए l रूद्र बिना किसी से बात किये अपने कमरे की तरफ चला गया l राजीव भी उसके पीछे पीछे कमरे में आया
“क्या हो गया है तुझे ? इतना अपसेट क्यों है ?”,राजीव ने कमरे में घुसते हुए कहा
“राजीव प्लीज कुछ देर के लिए मुझे अकेला छोड़ दो “,रूद्र ने कहा
“बिल्कुल नहीं !”,राजीव ने बेड पर बैठते हुए कहा l


“राजीव तुम समझ नहीं रहे हो ?”,रूद्र ने बेचैनी से कहा
“तु नहीं समझ रहा है रूद्र ! क्यों कर रहा है भावना से सगाई ?”,राजीव ने सहजता से कहा
“मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी है”,रूद्र ने कहा
“बात ना करने से तुम सच को छुपा नहीं पाओगे”,राजीव ने मुंह बनाकर कहा


रूद्र – मतलब ?
राजीव – मतलब ये की तुम्हारे दिल में कुछ और है और चेहरे पर तूम कुछ और लिए घूमते हो l जितनी ख़ुशी तुम्हारी आँखों में पाकीजा के साथ देखता हु उतनी भावना के साथ नहीं होती है l

पाकीजा के साथ होते हो तो तुम खुश होते हो लेकिन भावना के करीब आते ही तुम बैचैन हो जाते हो l हर वक्त तुम्हारी आँखे पाकीजा को देखती रहती है ,, क्या तुम्हे ये सब समझ नहीं आता ?
रूद्र – ऐसा कुछ नहीं है (नजर बचाते हुए)
राजीव – अगर ऐसा नहीं है तो जिस लड़के की कल सगाई होने वाली है उसके चेहरे से स्माइल क्यों गायब है
रूद्र – भावना की वजह से मूड ऑफ है (राजीव के पास बैठ जाता है)
राजीव – भावना तेरे लिए सही नहीं है रूद्र


रूद्र हैरानी से राजीव की तरफ देखने लगता है तो राजीव कहता है,”भावना अच्छी लड़की है लेकिन तेरे लिए सही नहीं है l वो तुझे कभी समझ नहीं पायेगी l उसका बिहेव , उसकी बाते बहुत अजीब है l
रूद्र – इन बातो का अब कोई मतलब नहीं है
राजीव – रूद्र ! कुछ तो है जो तुम मुझसे छुपा रहे हो ? भावना से शादी करने का फैसला तुमने क्यों लिया ये तो मैं नहीं जानता और जानना भी नहीं चाहता लेकिन तू जो कर रहा है वो सही नहीं है
रूद्र खामोश हो जाता है l

उसे खामोश देखकर राजीव उसके कंधे पर हाथ रखता है और प्यार से कहता है,”जिंदगी एक बार सबको जीने का मौका देती है पर हम उसे गवा देते है कभी अनजाने में और कभी जान बूझकर l तेरा आने वाला कल तेरे सामने है फैसला तुझे करना है l एक बार अपने दिल की सुन , झांक के देख उसमे , महसूस कर सच तुझे अपने आप पता चल जाएगा”

“भैया आपको पापा ने बुलाया है”,काव्या ने कमरे में आते हुए कहा l

रूद्र उठकर चला l राजीव भी कुछ देर बाद वहा से चला गया l रूद्र निचे आया हॉल में उसके पापा और कुछ आदमी बैठे हुए थे रूद्र आकर अपने पापा के पास खड़ा हो गया


“बेटा ये कल सगाई में आने वाले मेहमानो की लिस्ट है , इन्हे फोन करना है l तुम एक बार देख लो कोई नाम रह ना गया हो”,रूद्र के पापा ने लिस्ट उसकी तरफ बढाकर कहा l
“जी पापा मैं देख लूंगा”,कहकर रूद्र लिस्ट लेकर वहा से चला गया l

अपने कमरे में आकर रूद्र ने लिस्ट को टेबल पर रखा और आकर बिस्तर पर बैठकर राजीव की कही बातो के बारे में सोचने लगा l पाकीजा से प्यार है ये बात वह जानता था पर उसे अहसास कैसे दिलाये ये उसे समझ नहीं आ रहा था l

ख्यालो में उलझकर रूद्र लेट गया और अपनी आँखे मूंद ली l पाकीजा का हसता हुआ चेहरा नजर आने लगा l
नींद कब आई उसे याद नहीं वह देर तक सोता रहा l दोपहर बाद भावना के मम्मी पापा भी आ गए रूद्र उनसे मिला और फिर वापस अपने कमरे में आ गया l उसका बाहर बाकि लोगो में शामिल होने का बिलकुल मन नहीं था l उसी शाम भावना की मम्मी ने जब भावना को परेशान देखा तो अपने पास बैठाकर कहा,”क्या बात है इतना परेशान क्यों है तू ?
भावना रोने लगी और फिर उसने रोते रोते सारी बात अपनी माँ को बता दी l

भावना की मम्मी कुछ देर चुप रही और कहा,”तू भी बड़ी बेवकूफ है भावना ! दुशमन को कभी गुस्से से नहीं बल्कि प्यार से अपने रास्ते से हटाना चाहिए l तेरी शादी रूद्र से ही होगी ये मेरा वादा है l तू परेशान मत हो मैं आ गयी हु न सब ठीक कर दूंगी
भावना – पर वो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है , जब देखो तब रूद्र से चिपकी रहती है !
मम्मी – फ़िक्र मत कर एक बार तेरी सगाई रूद्र से हो जाये उसके बाद उसकी छुट्टी भी हो जाएगी l
भावना – थैंक गॉड मम्मी आप आ गयी l मैं कितना अकेले पड़ गयी थी


मम्मी – ये सब बाद में करना पहले जाकर रूद्र को मना और सॉरी बोल
भावना – ठीक है मम्मी मैं अभी जाती हु l
भावना वहा से चली गयी l भावना की मम्मी वहा बैठकर पाकीजा को घर और रूद्र की जिंदगी से कैसे निकालना है इस बारे में सोचने लगी l भावना की मम्मी बहुत चालक और तेज थी और उस से भी तेज था उनका दिमाग वो पाकीजा के लिए बहुत बड़ी साजिश रचने लगी l
भावना रूद्र के कमरे में आयी रूद्र कुर्सी पर बैठा कोई किताब पढ़ने में बिजी था l भावना उसके पास आयी और कहा ,”सॉरी रूद्र मुझे माफ़ कर दो”


“इट्स ओके”,रूद्र ने भावना की तारा देखे बिना ही कहा
“मानती हु मुझसे गलती हुई है लेकिन ये सब उस पाकीजा की वजह से हुआ है l जबसे वो यहाँ आयी है तबसे हम दोनों के बिच झगडे , मिस अंडरस्टेंडिंग शुरू हो गयी है”,भावना ने कहा
रूद्र ने किताब बंद की और साइड में रखकर भावना की तरफ देखते हुए सहजता से कहा,”भावना पाकीजा के बारे में ये सब बोलना बंद करो , उसे यहा मैं लेकर आया हु वो खुद से नहीं आयी है l वो एक बहुत अच्छी लड़की है उसके बारे में गलत सोचना बंद करो प्लीज़”,


रूद्र के मुंह से पाकीजा की तारीफ सुनकर भावना अंदर ही अंदर जलने लगी लेकिन माँ की सिखाई बात को याद करते हुए शब्दों में मिठास घोलते हुए कहा,”छोडो न रूद्र जो हो गया उसे भूल जाओ l कल हमारी सगाई है ऐसे मोके पर तो हमे कमसे कम खुश रहना चाहिए l “
“हम्म्म ! अभी मैं थोड़ा बिजी हु बाद में बात करते है”,रूद्र ने कहा और किताब खोलकर फिर से उसमे नजरे गड़ा ली l


भावना पैर पटकती हुयी वहा से चली गयी l
रूद्र के कमरे से निकलकर भावना जा रही थी तभी रूद्र की मम्मी ने उसे अपने पास बुलाया l भावना उनके कमरे में गयी रूद्र की मम्मी ने भावना को एक बॉक्स देकर कहा,”भावना सगाई के वक्त तुम ये पहनना , मैंने खास तुम्हारे लिए पसंद की है”


भावना ने बॉक्स लिया और खोलकर देखा उसमे लाल रंग की वही साड़ी थी जो उन्होंने शोरूम से खरीदी थी l भावना ने साड़ी देखी और नाक भौ सिकोड़ते हुए कहा,” आंटी ये साड़ी मैं पहनूंगी ! नो वे , मेरा भी कोई स्टेंडर्ड है कल सगाई में मेरी कितनी ही सहेलिया , रिस्तेदार आएंगे उनके सामने मैं ये साड़ी पहनकर जाउंगी आपने ऐसा सोच भी कैसे लिया ?


“पर बेटा मैंने ये तुम्हारे लिए पसंद की है , मुझे तो इसमें कुछ कमी नहीं लगी”,रूद्र की मम्मी ने नम्र स्वर में कहा
“तो आप पहन लीजिये लेकिन मैं इसे बिल्कुल नहीं पहनने वाली l वैसे भी कल के फंक्शन के लिए मैंने अपने लिए डिजायनर लहंगा बुक कर लिया है और मैं वो ही पहनूंगी”,भावना ने ऐटिटूड के साथ कहा


“हमारे यहाँ सगाई में होने वाली बहु सास के दिए कपडे पहनती है बेटा इसलिए मैंने……………………..!!”,कहते कहते रूद्र की मम्मी रुक गयी
“ओह्ह प्लीज़ आंटी , अभी से मुझे इन रीती रिवाजो में मत फसायिये l मैं ये साड़ी नहीं पहनूंगी बस”,कहकर भावना वहा से जाने लगी l
“भावना मेरी ख़ुशी के लिए ही सही…………..!!”,रूद्र की मम्मी ने कहा
भावना गुस्से से पलटी और कहा,”मुझे नहीं लगता मेरे इस घर में होने से आप में से कोई खुश है
“तुम ऐसा क्यों कह रही हो ?”,रूद्र की मम्मी ने हैरानी से कहा


“आप दोनों माँ बेटे को समझना बहुत मुश्किल है , बेटा है जिसके पास किसी के लिए टाइम नहीं होता और माँ है जिसे हर वक्त लोगो को अपने जैसा बनाने की लगी रहती है l आप चाहती है ये साड़ी पहनकर मैं भी आप जैसी दिखने लगु फीकी और अन-स्टाइलिश l सॉरी आंटी मैं अपनी लाइफ अपने हिसाब से जीती हु l”,इतना कहकर भावना वहा से दरवाजे की तरफ बढ़ गयी l

दरवाजे पर रूककर वह पलटी और कहा,”जिस सगाई के लिए आप लोग इतना खुश हो रहे है , एक बार जाकर अपने लाडले से भी पूछ लीजिये उसे ये सगाई करनी है या नहीं ? जब देखो तब रोज नया ड्रामा उफ़”
बड़बड़ाती हुई भावना वहा से चली गयी l रूद्र की मम्मी की आँखे आंसुओ से भर आयी l

भावना के कहे शब्द उनके सीने में फ़ांस की तरह चुभने लगे थे l कमरे के बाहर खड़ी पाकीजा चुपचाप सब सुन रही थी l उसका दिल किया भावना को अच्छे से सुना दे लेकिन भावना पहले ही उसे लेकर इतना गुस्सा था अब वह और इन सबकी वजह बनना नहीं चाहती थी l भावना के जाने के बाद पाकीजा कमरे में आयी l पाकीजा को देखकर रूद्र की मम्मी ने जल्दी से अपनी आंखे पोछी और मुस्कुराते हुए कहा,”आओ बेटा !!”
“आंटी जी वो भावना जी ये सब क्या कह रही थी ?”,पाकिजा ने कहा


“वो ! वो कुछ खास नहीं मैं चाहती हु कल के फंक्शन में वो साड़ी पहने और उसे लहंगा पहनना है इसी बात पर बहस हो रही थी और फिर मैंने उसे डांट दिया आखिर उसकी होने वाली सास हु इतना तो हक़ बनता है l”,रूद्र की मम्मी ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा
“आप झूठ बोल रही है ना आंटी ?”,पाकीजा ने उनकी आँखों में देखते हुए कहा l
रूद्र की मम्मी ने चेहरा घुमा लिया और कहा,”नहीं नहीं मैं क्यों झूठ बोलने लगी”
पाकीजा उनके सामने आयी और उनहे सामने बेड पर बैठाते हुए कहा,”माफ़ी चाहती हु आंटी पर मैंने आपकी और भावना जी की सारी बाते सुन ली”


“तुम क्यों माफ़ी मांग रही हो बेटा ? जब अपने ही गेरो जैसी बाते करने लगे तो दोष किसे दे ?”,रूद्र की मम्मी का दर्द फूट पडा
“आप इस रिश्ते से खुश नहीं है क्या ?”,पाकीजा ने मासूमियत से पूछा
“मेरे खुश होने या न होने से क्या फर्क पड़ता है बेटा , ये जानते हुए भी की भावना मेरे बेटे के लिए सही नहीं है मैं कुछ नहीं कर सकती”,कहते हुए उनकी आँखों से आंसू गिरने लगे l


“फिर रूद्र जी उनसे सगाई क्यों कर रहे है ?”,पाकीजा ने बेचैनी से पूछा l
“ये मैं नहीं जानती बेटा ! रूद्र का उदास चेहरा देखकर मुझे नहीं लगता की वो इस रिश्ते से खुश है “,रूद्र की मम्मी ने अपने आंसू पोछते हुए कहा


“आप चिंता मत कीजिये आंटी सब ठीक हो जाएगा l रूद्र जी कभी कोई काम बेवजह नहीं करते है जरूर इसके पीछे कोई वजह होगी”,पाकीजा ने प्यार से उनके हाथो को अपने हाथ में लेकर कहा
“रूद्र पहले ऐसा नहीं था l बचपन से देखती आई हु l हमेशा हसने मुस्कुराने वाला लड़का था l सबको खुश रखता था अपनी बहन से भी बहुत प्यार करता था और उसके पापा …………

उसके पापा में तो उसकी जान बसती थी l वह हमेशा से अपने पापा जैसा बनना चाहता था l उसने पढ़ाई की धीरे धीरे आगे बढ़ा ओर पुलिस की नौकरी ज्वाइन कर ली l सब अच्छा चल रहा था और फिर उसकी जिंदगी में भावना आयी l

हमेशा लड़कियों से दूर भागने वाले रूद्र को भावना इस कदर भा गयी की दोनों परिवारों ने सगाई करने का फैसला कर लिया l लेकिन सगाई वाले दिन किसी वजह से रूद्र ने सगाई से इंकार कर दिया वो वजह उसने हमे आज तक नहीं बताई बेटा l धीरे धीरे वक्त गुजरने लगा भावना के बाद उसने अपनी जिंदगी में किसी को आने ही नहीं दिया l और फिर एक दिन जब हादसे में रूद्र को गोली लगी l मुझे लगा जैसे मैं उसे खो दूंगी लेकिंन ईश्वर का शुक्र है की उसकी जान बच गयी l उस हादसे ने हमे हमारा रूद्र तो लौटा दिया लेकिन उस से उसके होंठो की मुस्कराहट छीन ली


रूद्र पूरी तरह बदल गया l ना हसता ना मुस्कुराता न किसी से बात करता बस अकेला रहता l उदासी उसके चेहरे से हटती ही नहीं थी और फिर उसकी जिंदगी में भावना एक बार फिर आयी l भावना से मिलकर रूद्र थोड़ा थोड़ा बोलने लगा था l हसने लगा था l ये सोचकर की भावना उसकी जिंदगी में फिर से मुस्कराहट लाएगी हम सबने उसे इस घर की बहु बनाने का फैसला किया l

लेकिन………………………..!!”,कहते कहते उनकी आँखों से फिर आंसू बहने लगे l
पाकीजा ने उनका हाथ कसकर थाम लिया तो वे कहने लगी,”सब कुछ जानते हुए भी मैं चुप हु लेकिन इस रिश्ते को लेकर रूद्र की चुप्पी मुझे हर वक्त कचोटती है l उसकी उदासी मुझसे देखी नहीं जाती l

हम सबके सामने वो सिर्फ मुस्कुराने की झूठी कोशिश करता है l खुश रहने का दिखावा करता है लेकिन उसका दर्द सिर्फ वो महसूस कर सकता है”

“आप रूद्र जी से बहुत प्यार करती है न ?”,पाकीजा ने मुस्कुरा कर पूछा
“कोई भी माँ ये नहीं बया कर सकती की वह अपनी औलाद से कितना प्यार करती है”,उन्होंने साड़ी पल्लू से अपनी आँखे पोछते हुए कहा
“जिनके पास इतनी प्यारी माँ हो उनके साथ कभी कुछ गलत नहीं हो सकता ! खुदा पर भरोसा रखिये वो अपने नेक बंदो का कभी बुरा नहीं करते”,पाकीजा ने प्यार से कहा


पाकीजा की बात सुनकर रूद्र की मम्मी को कुछ सुकून मिला l वो अपनी आँखों में प्यार भरकर पाकीजा को देखने लगी और कहा,”तुम बिल्कुल अपने नाम की तरह हो बेटा ! पाक ! तुम्हारे अंदर छुपी सच्चाई तुम्हारी इन आँखों से झलकती है l हमेशा यु ही खुश रहना l “
“आप भी बहुत अच्छी है आंटी”,कहकर पाकीजा उनके गले लग गयी l एक सुखद अहसास दोनों ने महसूस किया

कुछ देर बाद पाकीजा वहा से निकलकर बाहर आयी और रूद्र को ढूंढने लगी पर वह उसे कही नहीं मिला l
“भैया को ढूंढ रही हो ? वो ऊपर छत पर मिलेंगे”,काव्या ने पाकिजा को परेशान देखा तो कहां
पाकीजा मुस्कुरा दी और सीढ़ियों की तरफ बढ़ गयी l
ऊपर आकर उसने देखा छत के एक किनारे रखे झूले पर रूद्र अकेला बैठा किसी सोच में डूबा था l उदासी और दर्द उसकी आँखों से साफ झलक रहा था l पाकीजा उसके पास आयी और प्यार से उसके चेहरे को देखने लगी l

काफी देर बाद रूद्र को अहसास हुआ की उसके पास कोई और भी है जब हवा से उड़कर पाकीजा का चेहरा उसके हाथ को छू गया l
“अरे ! तुम कब आयी ?”,रूद्र ने अपनी आँखों की नमी छुपाकर मुस्कुराते हुए कहा l
“ये सब कैसे कर लेते हो आप ?”,पाकीजा ने सवाल किया
“क्या ?”,रूद्र हैरानी से उसे देखने लगा
“अपना दर्द छिपाकर मुस्कुराना , सब महसुस करना लेकिन अपने अंदर दफ़न कर लेना”,पाकीजा ने कहा

पाकीजा की बात सुनका रूद्र के होंठो से मुस्कराहट सहसा ही गायब हो गयी l आँखो में दर्द उभर आया पाकीजा रूद्र के करीब आयी और उसकी आँखों में देखते हुए कहा

“आज पता चला सर की इस मुस्कुराहट के पीछे कितना दर्द छिपा है”

Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47

Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47 Pakizah – 47

Continue With Part Pakizah – 48

Read Previous Part Here पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 45

Follow Me On facebook

Sanjana Kirodiwal

pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal
Sakinama Poetry by Sanjana Kirodiwal
Exit mobile version