Pakizah – 36
Pakizah – 36
“असलम खान कुरैशी”
रुद्र ने जैसे ही ये नाम पढ़ा उसकी आंखों में एक चमक उभरी उसने किताब बन्द की ओर सोचने लगा l
“ये क्या मतलब असलम पाकिजा को पहले से जानता है और अम्माजी को भी उसने ही गिरफ्तार किया था l उफ्फ ये सब एक दूसरे से जुड़ा हुआ था और मैं संमझ ही नही पाया l अगर असलम ने ये केस देखा था तो वो ये भी जानता होगा कि शिवेन कहा है ? पाटिल कौन था ?
अम्माजी का क्या हुआ ? पाकिजा आखिर जेल कैसे पहुंची ?
मेरे इन सब सवालों के जवाब असलम दे सकता है मुझे उस से मिलना होगा ? “
सोचते हुए शिवेन ने असलम को फोन लगाया l
हेलो
असलम – हेलो , जय हिंद सर
रुद्र – जय हिंद असलम , इस वक्त तुम कहा हो ?
असलम – मैं मिनिस्टर साहब के साथ दिल्ली से बाहर उनके जुलूस में हु सर उनके प्रोटेक्शन के लिए , क्या बात है सर कुछ काम था
रुद्र – वापस कब तक आओगे मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है
असलम – कहिये ना सर क्या बात है आप बहुत परेशान लग रहे है ? वैसे मैं कल दोपहर तक वापस आऊंगा
रुद्र – ठीक है यहां आने के बाद मुझसे जरूर मिलना मैं फोन पर नही बता सकता l
असलम – ठीक है सर !
रुद्र – वैसे किस मिनिस्टर की रैली है ?
असलम – सर मिनिस्टर “श्री कांत पाटिल”
रुद्र – ठीक है जैसे ही तुम वापस आओ मुझसे मिलना
असलम – ठीक है सर , जय हिंद !
रुद्र – जय हिंद
रुद्र ने फोन साइड में रखा और सोचने लगा ,” श्री कांत पाटिल , ये वही मिनिस्टर है जिसे लेने मैं पिछले साल दिल्ली आया था l पाकिजा की कहानी में भी किसी मिनिस्टर का जिक्र हुआ है तो क्या ये वह हो सकता है l नही नही मिनिस्टर साहब को तो मैं पर्सनली जानता हूं वे भला इतना घटिया काम क्यों करेंगे l पर पाकिजा के अतीत में जो भी पाटिल हो उसे मैं नही छोडूंगा l
असलम को आने में एक दिन लग जायेगा क्यों ना मैं पाकिजा की कहानी पढ़ लू वैसे भी अब कुछ पन्ने ही बाकी रह गए है इस कहानी के , हो सकता जिन सवालों के जवाब मैं ढूंढ रहा हु हो सकता है उनका जवाब इस किताब में मिल जाये l
रुद्र उठा और किचन की तरफ बढ़ गया अपने लिए एक कप चाय बनाने के लिए , चाय के एक कप के बिना उसकी थकान दूर नही होती थी l चाय लेकर रुद्र कुर्सी पर आ बैठा ओर किताब का अगला पन्ना पलट दिया l आखिर उसे रातभर पाकिजा के अतीत के साथ जागना जो था l
पाकिजा ओर शिवेन को राघव अपने घर ले आया उसने अपनी माँ से उन दोनों के बारे में सब बता दिया l राघव की मम्मी पाकिजा को अंदर ले गयी l शिवेन राघव के साथ उसके कमरे में आ गया l फ्रेश होने के बाद राघव की मम्मी ने सबके लिए खाना लगा दिया l सभी खाना खाने बैठे तो मयंक भी आ पहुचा l सोंनाली को ट्रेन की टिकट ओर जरूरी सामान के साथ ट्रेन में बैठा दिया था l
खाना खाने के बाद पाकिजा सभी बर्तन समेटकर किचन में रखने गयी और उन्हें धोने लगी पाकिजा को बर्तन धोते देखकर राघव की मम्मी ने कहा,”अरे बेटा आप ये सब क्यों कर रही है , आप मेरे कमरे में जाकर आराम कीजिये l
“मैं ठीक हु आंटी”,पाकिजा ने धीरे से कहा l
“अपनी आंखें देखिए ऐसा लगता है जैसे कितनी रातो से सोई नही हो आप , आप जाकर थोड़ा आराम कर लो”,राघव की मम्मी ने प्यार से पाकिजा के गाल को छूकर कहा l
पाकिजा उनका कहना टाल न सकी ओर उनके कमरे की ओर चली गयी l पाकिजा को कमरे की तरफ जाते देखकर शिवेन भी उसके पीछे पीछे जाने लगा l जैसे ही वह कमरे में दाखिल होने लगा राघव ने आकर उसे पीछे खींचते हुए कहा,”कहा ?
“पाकिजा के पास “,शिवेन ने मासूमियत से कहा
“बेटा जी सिर्फ शादी हुई है लेकिन शादी की कुछ रस्मे अभी बाकी है और उस से पहले पाकिजा के कमरे में जाना नोट अलाउड”,राघव ने कहा
“लेकिन………..!!”,शिवेन ने उदास होकर कहा
“लेकिन वेकीन कुछ नही रस्मे रस्मे होती हैं”,राघव ने शिवेन के मजे लेते हुए कहा l
“अच्छा ठीक है कौन कौन सी रस्म है ?”,शिवेन ने झुंझलाकर कहा l
“पहले शाम को शिव पार्वती की पूजा है , उसके बाद कल सुबह चौखट पूजा है , उसके बाद अंगूठी ढूंढने की रस्म है , उसके बाद शाम को चंद्रमा पूजा करनी है उसके अगले दिन सुबह सुबह जल पूजा है l ओर ये सब रस्मे तीन दिन तक चलेगी”,राघव ने मुस्कुराते हुए कहा l
“क्या तीन दिन ? पर तीन दिन क्यो ? इनका कोई शॉर्टकट नही है क्या तीन दिन पाकिजा से दूर ……….!!”,शिवेन ने हैरानी से कहा
“सही है और फिर भाई की सुहागरात का क्या ?”,मयंक बीच मे बोल उठा l
मयंक की बात सुनकर दोनो उसे घूरने लगे ओर फिर राघव ने कहा,”देख शिवेन शादी के बाद इन रस्मो को निभाने से पति पत्नी 7 जन्म तक एक दूसरे के साथ रहते है ऐसा माँ ने कहा है”
“ठीक है मैं तैयार हूं पर क्या एक बार उसे देख सकता हु ?”,शिवेन ने आसभरे शब्दो मे कहा
राघव को उसपर दया आ गयी तो उसने इशारे से अंदर जाने को कहा l
शिवेन अंदर गया पाकिजा सो रही थी l शिवेन उसके पास गया और प्यार से उसे निहारने लगा l कितना सुकून था पाकिजा के चेहरे पर l शिवेन ने कमरे की लाइट बन्द की ओर बाहर आ गया l
राघव के कमरे में आकर शिवेन भी लेट गया और नींद ने उसे अपने आगोश में ले लिया l
दूसरी तरफ असलम ने अम्माजी के खिलाफ फ़ाइल तैयार की ओर मुरली की गवाही भी रिकॉड की l पाटिल ओर कमिश्नर ने बहुत कोशिश की लेकिन असलम के पास सबूत होने के कारण वे अम्माजी को नही छुड़ा पाए l उसी शाम पाटिल ने एक नई चाल चली और अम्माजी ने सारे इल्जाम अपने ऊपर ले लिए बयान में उसने सारे कामो का जिम्मेदार खुद को बताया l
असलम एक बार फिर इस षड्यंत्र को सबके सामने लाने में नाकाम रहा l दो दिन बाद कोर्ट में अम्माजी की पेशी रखी गयी l कमिश्नर ओर पाटिल बच गए लेकिन पाटिल गुस्से में था एक झटके में उसकी बनाई दुनिया तबाह हो गयी और वह कुछ नही कर पाया l
पाकिजा से बदला लेने के लिए वह गुस्सा गया l बस उसे सही समय का इंतजार था l
शाम को पाकिजा सोकर उठी तो राघव की मम्मी कमरे में आई और एक पिले रंग की साड़ी पाकिजा को देकर कहा,”पूजा में बैठना है ना इसलिए इसे पहनकर तैयार हो जाओ और जल्दी से बाहर आ जाना , तब तक मैं पूजा की तैयारियां करती हूं l
पाकिजा ने साड़ी ले ली l माँ कमरे से बाहर चली गयी l पाकिजा को साड़ी पहनना नही आता था पर ये बात वह माँ से कहती इस से पहले ही वह वहां से चली गयी पाकिजा ने साड़ी खोली ओर उसे अपने चारों ओर लपेटने लगी पर वापस खुल जाती l पाकिजा साड़ी पहनने की कोशिश कर ही रही थी कि तभी शिवेन वहा से गुजरा कमरे के खुले दरवाजे से उसकी नजर पाकिजा पर पड़ी
पाकिजा को परेशान देखकर शिवेन अंदर आया और कहा,”क्या हुआ ?
पाकिजा ने शिवेन को देखा सफेद कुर्ते पजामे में वह बहुत प्यारा लग रहा था पाकिजा तो बस जैसे उसमे खोकर रह गयी l शिवेन उसके सामने आया और उसके चेहरे के सामने हाथ हिलाकर कहा,”पाकिजा , क्या हुआ कहा खो गयी ?”
शिवेन को सामने पाकिजा ने झेंपते हुए कहा,”उन्होंने पूजा के लिए ये साड़ी पहनने को कहा लेकिन मुझे साड़ी पहनना नही आता”,पाकिजा ने मासूमियत से कहा l
शिवेन ने दरवाजे की तरफ देखा राघव आस पास नही था l उसने पाकिजा के हाथ से साड़ी ली और उसे पहनाने लगा l पाकिजा को बहुत शर्म आ रही थी इसलिए उसने चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया l
जैसे ही शिवेन के हाथों ने उसकी कमर को छुआ एक खूबसूरत अहसास पाकिजा को हुआ ओर सहसा ही उसकी आंखें मूंद गयी l अक्सर ऐसा ही होता था जब शिवेन पाकिजा के करीब होता या उसे छूता तो पाकिजा को सबसे खूबसूरत अहसास होता और वह उसमे खो सी जाती l
शिवेन ने पाकिजा को साड़ी पहना दी और जैसे ही पल्लू उसके कंधे पर लगाने लगा राघव ओर मयंक वहां आ टपके l राघव ने शिवेन को घुरते हुए कहा,”ये काम कबसे करने लगे आप शिवेन भैया ?
राघव की आवाज सुनकर शिवेन पलटा ओर कहा,”वो पाकिजा को साड़ी पहननी नही आती थी तो मैं तो सिर्फ उसकी हेल्प कर रहा था”
“पहना दी साड़ी , अब चले ?”,राघव ने उसी टोन में पूछा l
नजर झुकाकर शिवेन जाने लगा l दरवाजे तके पहुंचा ही था कि पाकिजा ने कहा ,”शिवेन जी आपसे कुछ कहना था
“यही ना कि इन कपड़ो में मैं बहुत अच्छा लग रहा हु”,शिवेन ने कहा
पाकिजा मुस्कुरा उठी हा यही तो कहना चाहती थी वो शिवेन से l कैसे शिवेन उसके बोलने से पहले ही उसकी हर बात जान लेता था l शिवेन चला गया l
कुछ देर बाद पाकिजा भी बाहर आ गयी और शिवेन के साथ बैठकर पूजा में शामिल हो गयी l दोनो की जोड़ी शिव पार्वती से कम नही लग रही थी l
पूजा के बाद सभी ने साथ खाना खाया और फिर बैठकर बातें करने लगे l शिवेन तो बस जीभरकर पाकिजा को देखना चाहता था क्योकि इसके बाद वह अगली सुबह तक उसे देख नही पायेगा l
देर रात सभी सोने चले गए l अगली सुबह फिर से रस्म शुरू , पहले चौखट पूजा हुई उसके बाद अंगूठी ढूंढने की रस्म जिसमे शिवेन ने जानबूझकर पाकिजा को जिताया l क्योंकि वह तो पहले ही हार चुका था अपना दिल !
रात में चंद्रमा पूजा हुई और ये ही वो एक पल था जिसमे शिवेन को पाकिजा के पास आने का मौका मिला l चंद्रमा पूजा के बाद लड़का लड़की को गोद मे उठाकर उसे उसके कमरे तक लेकर आता है l
शिवेन ने पाकिजा को गोद मे उठाया तो मारे शर्म के पाकिजा के गाल ओर गुलाबी हो गए l शिवेन ने उसे उसके कमरे की दहलीज पर उतारा l पाकिजा को सामने देखकर शिवेन खुद को रोक ही नही पाया जैसे उसने आंखे बंद करके अपने होंठ पाकिजा के गालो की तरफ बढ़ाये राघव ने अपना हाथ बीच मे करते हुए कहा ,”मेरे बेसब्र भाई अभी इसमें वक्त है l”
शिवेन की शक्ल देखने लायक थी l पाकिजा को हंसी आ गयी वह वहां से चली गयी और बेचारा शिवेन लाचार सा राघव के साथ चला आया l
कमरे में आकर शिवेन ने कहा,”यार ऐसा कब तक चलेगा ?
“बस आज की रात ओर कल से पाकिजा हमेशा हमेशा के लिये तेरी ! कल शाम को डेढ़ भी आ रहे है इसलिए कल तेरे ओर पाकिजा के लिए सरप्राईज है “,राघव ने कहा
“वो क्या है ?”,शिवेन ने कहा
“वो कल पता चलेगा ओर कल का दिन तुम दोनों के लिए सबसे यादगार दिन होगा “,कहते कहते राघव मुस्कुरा उठा l
शिवेन ने उसे गले लगा लिया और कहा,”मुझे हर जन्म में बस तुझ जैसा दोस्त चाहिये “
“मतलब हर जन्म तुझे मैं ही झेलूँ”,राघव ने कहा
दोनो हँसने लगे l
अगली सुबह कोर्ट में अम्माजी की पेशी थी l अदालत में जब उन्हें पेश किया गया तो पाटिल के कहने पर उसने सारे जुर्म अपने ऊपर ले लिये l असलम कुछ नही कर पाया वह उन बड़े लोगो तक पहुचना चाहता था जिन्होंने इस धंधे की नीँव रखी थी पर अम्माजी ने उसके सारे अरमानो पर पानी फेर दिया l अम्माजी को 10 साल की सजा ओर 2 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई l
पर उनकी आंखो में ना शर्म थी न ही अफसोस क्योंकि वो जानती थी पाटिल जल्द ही उसे वहां से निकाल लेगा l असलम के सामने मुस्कुराती हुई अम्माजी जाकर पुलिस वेन में बैठ गयी l
उधर राघव सुबह से ही घर से गायब था l राघव की माँ भी पाकिजा को लेकर दरगाह गयी हुई थी l शिवेन बेचारा घर मे अकेला बैठा सबका इंतजार कर रहा था दोपहर बाद राघव के पापा भी आ गए कुछ देर बाद राघव ओर बाकी लोग भी आ गए l राघव ने अपने पापा को पाकिजा ओर शिवेन के बारे में कुछ नही बताया l
राघव के पापा कुछ देर रुके ओर फिर वहां से निकल गए l शाम को राघव ने पाकिजा ओर शिवेन से तैयार होने को कहा l
तय समय पर मयंक भी आ पहुंचा l
राघव ने तीनों से गाड़ी में बैठने को कहां और खुद ड्राइवर सीट पर आकर बैठ गया l
“हम कहा जा रहे है ?”, शिवेन ने पूछा l
“बताया था ना सरप्राईज “,राघव ने कहा और गाड़ी स्टार्ट कर सड़क पर दौडा दी l
घंटे भर बाद शहर से बाहर एक घर के सामने राघव ने गाड़ी रोक दी l राघव ने सबसे नीचे उतरने को कहा l सभी नीचे उतरे और राघव के साथ मैन गेट से अंदर गए सामने एक बहुत ही प्यारा सा घर था l
“तू हमे यहां क्यों लाया हैं ?”,शिवेन ने हैरानी से राघव की तरफ़ देखकर पूछा l
“मेरी वजह से तुम दोनों को इतने दिन दूर रहना पड़ा l आज से तुम दोनों यहां रहोगे साथ साथ”,राघव ने शिवेन की ओर देखते हुए कहा
“पर ये सब क्या है ?”,शिवेन अब भी हैरान सा खड़ा कभी घर को तो कभी राघव को देख रहा था l
राघव मुस्कुराया ओर कहा
“ये तुम दोनों के लिए मेरी तरफ से शादी का तोहफा”
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Sanjana Kirodiwal