Sanjana Kirodiwal

पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 26

Pakizah – 26

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 26

अम्माजी के कोठे से निकलकर शिवेन अपने फ्लैट के लिए निकल गया l
“अरे ये तो अविनाश जी का लड़का है पर ये सुबह सुबह यहां कैसे ?”,शिवेन के घर के पास रहने वाले उनके पड़ोसी ने उसे वहां से निकलते देखा तो धीरे से कहा l


फ्लैट पर आकर शिवेन ने अपना ड्रावर चेक किया जहां कुछ रुपये रखे थे जो अविनाश जी हर महीने उसके लिये भेज दिया करते थे l शिवेन ने रुपये गिने ओर कहा,”इनसे तो सिर्फ कुछ दिन मैं उसे बचा पाऊंगा l क्या मुझे डेड से मदद लेनी चाहिए ?

“नही नही डेड मुझे कभी नही समझेंगे , उन्हें इस बारे में पता चला तो परेशानियां खत्म होने के बजाय ओर ज्यादा बढ़ जाएगी”,शिवेन के अंतर्मन ने कहा

“पर कुछ तो करना ही होगा , राघव से बात करू या नही ?”,शिवेन ने फिर खुद से कहा

”राघव से तो तूने कल सुबह ही झगड़ा किया है ओर इसी टॉपिक पर नही नही”,एक बार फिर अंतर्मन बोल पड़ा

शिवेन को कुछ समझ नही आ रहा था की वह क्या करे ? कैसे पाकिजा को अम्माजी के चुंगल से आजाद करवाये ? शिवेन बैठा अभी ये सब सोच ही रहा था कि तभी उसका फोन बजने लगा शिवेन ने देखा पापा का फोन था l उसने फोन उठाया और कान से लगा लिया


“शिवेन ! इसी वक्त तुरन्त घर आओ ?”,अविनाश जी ने गुस्से से भरकर कहा
शिवेन ने फोन काट दिया और बाइक की चाबी लेकर फ्लेट से बाहर निकल गया l

कुछ देर बाद शिवेन अविनाश जी के सामने खड़ा था अविनाश जी गुस्से से भरे शिवेन को देख रहे थे पास ही उनका पड़ोसी जिसने सुबह शिवेन को जीबी रोड देखा था बैठा था ! शिवेन की मम्मी नीलम किचन के पास खड़ी थी l
“आजकल ये सब क्या हो रहा है शिवेन ?”,अविनाश जी ने सख्त आवाज में पूछा l
शिवेन – साफ साफ कहिये डेड पहेलियां मत बुझाइए


अविनाश – तुम कल रात कहा थे ?
शिवेन – ये आप क्यों जानना चाहते है ?
अविनाश – क्योंकि आज सुबह शर्मा जी ने तुम्हे जीबी रोड के किसी कमरे से निकलते देखा था
शिवेन ने घूरकर शर्माजी की तरफ देखा तो शर्मा जी दूसरी तरफ देखने लगे l
अविनाश – जवाब क्यों नही देते ? .


शिवेन – हा वो मैं किसी काम से गया था
अविनाश – ऐसा कोनसा काम आन पड़ा जो तुम्हे ऐसी वाहियाद जगह जाना पड़ा l
शिवेन – डेड !
अविनाश – कोई सफाई देने की जरूरत नही है मैं देख रहा हु इन कुछ दिनों में तुम कुछ ज्यादा ही अपनी हदे पार कर रहे हो l


शिवेन – डेड आप मेरी बात तो सुनिए ?
अविनाश – क्या बात सुनु मेरी बरसो की कमाई इज्जत को तुम मिट्टी में मिलाने पर तुले हो l अय्याशी कर रहे हो l
शिवेन का खून खोल उठा पर वह चुप रहा और गुस्से से शर्मा जी की तरफ देखने लगा तो शर्मा जी ने कहा,”जाने दीजिए भाईसाहब , जवान लड़का है इस उम्र में हो जाती है गलतियां “
शर्मा जी की इस बात ने आग में घी डालने का काम किया l इसके बाद अविनाश गुस्से में शिवेन पर बरस पड़ा l

शिवेन जिसकी कोई गलती नही थी चुपचाप सुनता रहा और फिर शर्मा जी से कहा ,”आपकी बात ठीक है शर्मा जी पर मुझे ये बताईये आप सुबह सुबह जगह क्या कर रहे थे जबकि वहां तो आप जैसे शरीफ लोग जाते ही नही”
“वो मैं मैं वो वहां …………..!!”,कहकर शर्मा जी बगले झांकने लगें
शिवेन ने अपने पापा की तरफ देखकर कहा,”ये तो वही बात हो गयी ना डेड जो खुद शराब बेच रहा है वही इसके बुरे असर का प्रचार भी कर रहा है “


शिवेन की बात सुनकर पड़ोसी वहां से बाहर निकल गया l
“अपनी गलती छुपाने के लिए दूसरों को दोष मत दो शिवेन , घर से दूर रहना क्या कम था जो अब तुमने ऐसी जगहों पर जाना भी शुरू कर दिया l”,अविनाश जी ने गुस्से में कहा l
“डेड आप मुझे कब समझेंगे ? मैंने ऐसा कुछ भी नही किया है जिससे आपकी ओर माँ की इज्जत पर कोई आंच आये , मैं तो वहां सिर्फ…..”,शिवेन ने कहा


लेकिन अविनाश जी उसकी बात पूरी होने से पहके ही चिल्ला पड़े ,”तुम वहां गए ही क्यों ? तुम्हे अपना बेटा कहते हुए भी मुझे शर्म महसूस हो रही है”
“वो तो आपको बहुत पहले से महसूस होने लगी थी डेड”,शिवेन भी अब गुस्से से फट पड़ा
“अपने बाप से ज़बान लड़ा रहा है”,कहते हुए अविनाश ने एक थप्पड़ शिवेन के गाल पर जड़ दिया l
शिवेन गुस्से से उनकी आंखों में देखने लगा


“बेशर्म ! निकल जा यहां से !! ओर मैंने तुम्हें आजादी दी है इसका मतलब ये नही की तू मेरी इज्जत की यू सरे आम धज्जियां उड़ाएगा”,कहकर अविनाश जी वहां से चले गए

शिवेन गुस्से से भरा वही खड़ा रहा l नीलम उसके पास आई और आंखों में आंसू भरकर कहा,”तुम्हारे पापा ने जो कहा क्या वो सही है ?
“हा माँ !”,शिवेन ने धीरे से कहा
“तूने ये सब क्यों किया बेटा ? तू क्यों गया वहां”,नीलम की आंखों से आंसू गालो पर लुढ़क आये


“भरोसा रखो तुम्हारा बेटा कभी कुछ गलत नही करेगा माँ , वक्त आने पर मैं तुम्हे सब सच बता दूंगा”,शिवेन ने उनके आंसू पोछते हुए कहा l
“शिवेन तू कोई गलत काम तो नही कर रहा ना बेटा ?”,नीलम की आंखों में चिंता उभर आई
“मैं आपके सर की कसम खाकर कहता हूं मैं कोई गलत काम नही कर रहा , अभी मैं चलता हु”,शिवेन जाने के लिए मुड़ा l


नीलम ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया और कहा,”तेरे पापा ने तुझपर हाथ उठाया , तू बुरा मत मानना बेटा उन्होंने सिर्फ गुस्से में………!!
“माँ वो मेरे डेड है एक बार क्या 100 बार भी मुझपर हाथ उठाएंगे तो मुझे बुरा नही लगेगा , दुख सिर्फ इस बात का है कि वो मेरे डेड होकर भी मुझे समझ नही पा रहे”,शिवेन ने प्यार से नीलम के गाल को छूते हुए कहा l
“तेरे जैसा बेटा किस्मत वालो को मिलता है , देखना एक दिन उनको इस बात का अहसास जरूर होगा”,नीलम ने कहा


“अभी चलता हूं माँ , राघव के पापा के होटल भी जाना है”,शिवेन ने कहा
“कुछ चाहिए हो तो बताना”,नीलम ने कहा
“नही माँ बस आपका आशीर्वाद चाहिए”,शिवेन ने कहा और मुस्कुराता हुआ वहा से चला गया l l

होटल पहुँचकर शिवेन अपने काम मे लग गया मयंक ओर राघव भी वही थे लेकिन शिवेन को देखते ही वह दूसरी तरफ चला गया l शिवेन को राघव के इस व्यवहार से बहुत दुख हुआ लेकिन वह चुप रहा मयंक को उसने अपने ओर राघव के झगड़े के बारे में नही बताया l शाम को पार्किंग से जब शिवेन बाइक निकाल रहा था तो बाइक स्लिप हो गयी और शिवेन गिर पड़ा राघव ने देखा तो दोड़कर आया और शिवेन को सहारा देकर उठाया l


“तू ठीक तो है ना , तुझे तो चोट लगी है चल डॉक्टर के पास चलते है”,राघव ने घबराते हुए कहा
“मेरी दवा तू है”,कहते हुए शिवेन राघव के गले लग गया ओर फिर कहा,”यही तो तेरा प्यार है , चाहे हमारे बीच कितने भी झगड़े हो मुझे तकलीफ में देखकर तू हमेशा मेरे पास चला आता है”

“ज्यादा मक्खन मत लगा , मैंने तुझे कल के लिए अभी माफ नही किया है l चल पहले डॉक्टर के पास चलते है”,राघव ने हल्के से शिवेन के सर पर चपत लगाते हुए कहा l

“नही जाऊंगा पहले बोल के तूने मुझे माफ़ किया”,शिवेन ने बच्चों की तरह मुंह बनाकर कहा

“अच्छा मेरे भाई माफ किया अब तो चल”,राघव ने कहा तो शिवेन खुशी खुशी उसकी बाइक के पीछे बैठकर चला गया

पास ही के क्लिनिक से शिवेन की मरहम पट्टी करवाकर उसे फ्लेट छोड़ने चला गया शिवेन को छोड़कर राघव जाने लगा तो शिवेन ने कहा,”राघव तुझसे कुछ बात करनी है अंदर आ “
राघव अंदर आ गया l
शिवेन फ्रीज़ से पानी की बोतल ले आया और राघव की तरफ बढ़ा दी l राघव ने पानी पिया ओर बोतल टेबल पर रखते हुए कहा,”आज फिर अंकल से झगड़ा हुआ ?


“तुझे कैसे पता ?”,शिवेन ने हैरानी से पूछा l
“तेरी शक्ल देख के सब पता लग जाता है l अब बता क्या हुआ ?”,राघव ने कहा
“डेड की बात नही है ! मैं पाकिजा के बारे में तुमसे कुछ बात करना चाहता हु”,शिवेन ने कहा
राघव – कौन पाकीजा ?
शिवेन – वह लड़की जिसे लेकर कल हमारे बीच झगड़ा हुआ


राघव – तो उसका नाम पाकिजा है
शिवेन – हममम , कल मैं उस से मिला तो जाना कि वो बहुत सीधी ओर सच्ची लड़की है l अपनो के धोखे ओर लालच का शिकार होकर वह उस जगह पहुंच गई l
राघव – तो अब आगे का क्या सोचा है ?
शिवेन – उसे वहां से निकालना हैं l


राघव – इतना आसान नही है शिवेन l उस लड़की मेरा मतलब पाकिजा से मिले अभी तुम्हे एक दिन हुआ है तुम जल्दबाजी कर रहे हो l पहले कुछ दिन उसे समझो फिर तुम्हारा जो फैसला होगा उसमे मैं तुम्हारे साथ हु
शिवेन – ह्म्म्म l पर उसकी आंखों में मुझे सच नजर आता है
राघव – हा बेटा ! कही प्यार वयार तो नही हो गया तुमको उस से


शिवेन – पता नही पर जो उस से है वो किसी ओर से नही
राघव – लगता है बात कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ गयी है
शिवेन – तुझे पता है वो जब बात करती है तो उसकी बड़ी बड़ी आंखे ओर बड़ी दिखाई देने लगती है
राघव – तू ना अपनी ये प्रेम कहानी कही और जाकर सुनाना अभी मुझे निकलना है


शिवेन – किधर ?
राघव – दादाजी को डॉ के पास लेकर जाना है कल मिलता हु
शिवेन – अच्छा ठीक है l
राघव – चलता हूं बाय
शिवेन – बाय


राघव – मैंने जो कहा उस बारे में जरूर सोचना
शिवेन – बिल्कुल पर उसे वहां से निकालना ही है
राघव – अच्छा बाबा ठीक है कल मिलता हु

राघव वहां से चला गया l शिवेन अपने कमरे में आया और जैसे ही उसने कबर्ड खोली सारे के सारे कपड़े नीचे आ गिरे शिवेन वही नीचे कपड़ो के ढेर में बैठ गया ओर अपना सर पकड़ लिया l क्या पहनें समझ नही आ रहा था l
आखिर में उसे मिल ही गया l हरे रंग का शर्ट और क्रीम कलर की पेंट l


शिवेन ने सारे कपड़ो को उठाकर वैसे का वैसा वापस कबर्ड में ठूस दिया और बाथरूम चला गया l शावर चलाकर नहाने लगा अचानक ही उसके होंठो पर गाना आया और नहाते नहाते वह गुनगुनाने लगा

“ठहरी सी ये धड़कन मेरी , देखा तुझे तो चलने लगी
मुझको तो मिल गया सुकून , फितरत मेरी भी बदलने लगी
सुनो सुनो सुनो you are so beautiful !! “

नहाकर शिवेन बाहर आया और कपड़े पहने आज वह बहुत प्यारा लग रहा था l ये प्यार का रंग था या पाकिजा से मिलने के इंतजार का ये शिवेन नही जानता था l शीशे में खुदको देखते हुए वह बाल बनाने लगा तभी उसकी नजर चोट पर गयी पानी की वजह से बैंडेज खराब हो चुका था l शिवेन ने उसे वापस चिपकाया ओर फिर वहां से निकल गया l उसे जल्दी थी पाकिजा से मिलने की साथ ही उसे बचाने की भी

अम्माजी के कोठे पर पहुंचकर उसने पाकिजा के लिए कीमत अदा की l शिवेन की किस्मत अच्छी थी कि अभी तक पाकिजा का दूसरा कस्टमर नही आया था l पाकीजा अपने कमरे में बैठी खिड़की से बाहर झांक रही थी l शिवेन कमरे में आया उसकी आहट से पाकिजा पलटी सामने शिवेन को देखकर एक बार फिर हैरान थी उसे देखते ही पाकिजा के दिल मे खयाल आया ,”ये फिर से यहां क्यो आये है ?”


लेकिन पाकिजा ने अपने मन की बात मन मे ही दबा ली l
शिवेन आया और आकर बिस्तर पर बैठ गया l पाकिजा एक तरफ हाथ बांध कर खड़ी हो गयी कुछ देर कमरे में खामोशी छाई रही पाकिजा खुद को नही रोक पाए और आखिर में पूछ ही लिया
“आप फिर से यहां क्यों आये है ?”
“तुम्हे मेरा यहा आना अच्छा नही लगा ?”,शिवेन ने उल्टा सामने से सवाल किया


“ऐसी बात नही है , मेरा मतलब अम्माजी को पता चला आप यहां बाकी कस्टमर की तरह नही आते तो…………….!!!”,पाकिजा ने बात अधूरी छोड़ दी l
“अम्माजी को मैं तुम्हारे लिए कीमत दे चुका हूं और उस कीमत के हिसाब से ये मेरा हक है कि मैं तुम्हारे साथ कैसे पेश आउ”,शिवेन ने सहज शब्दो मे कहा
“तो आपके हिसाब से मुझे क्या करना होगा ?”,पाकिजा ने डरते डरते कहा l


शिवेन मुस्कुराया ओर पाकिजा के मासूम चेहरे की तरफ देखते हुए कहा ,”मैं जो कहु करोगी ?
“देखा आ गए ना अपनी औकात पर ये सारे मर्द एक जैसे ही होते है l लड़की सामने होगी तो कौन बिना छुए उसे छोड़ देगा l इनको भी तो बाकी लोगो की तरह ये सब चाहिए l मुझसे कहा मैं तुम्हे यहां से निकालने आया हु तुम्हारी मदद करने आया हु l मदद के नाम पर इन सबको क्या चाहिए वो मालूम ही है मुझे !!!

हुंह मैं ही बेवकूफ थी जो इन्हें अच्छा समझ लिया लेकिन ये ये भी बाकी सब जैसे निकले “,पाकिजा मन ही मन खुद से ये सब कहने लगी l
“पाकिजा मैंने तुमसे कुछ कहा है”,शिवेन ने उसे खोये हुए देखकर कहा l
“हा जी जी , आपने कीमत अदा की है तो आप जो कहेंगे मानना ही पड़ेगा”,पाकिजा ने हिचकिचाते हुए कहा l


“मेरे पास आओ”,शिवेन ने पाकिजा की आंखो में देखते हुए कहा l
पाकिजा धड़कते दिल के साथ शिवेन की तरफ बढ़ी
“ये जो मेरे सर पर चोट लगी है इसे बैंडेज कर दोगी प्लीज़”,शिवेन ने अपनी चोट की तरफ उंगली से इशारा करते हुए कहा


पाकिजा ने सुना तो उसे अपने कानों पर यकीन ही नही हुआ वो तो कुछ और ही समझ बैठी थी उसने शिवेन की चोट देखकर पूछा ,”आपको ये चोट कैसे लगी ?”
“बाइक स्लिप हो गयी थी l बैंडेज कर दोगी ?”,शिवेन ने प्यार से उसके चेहरे की तरफ देखते हुए कहा
“बेडेज मतलब ?”,पाकीज़ा ने कहा
“बेडेज नही बैंडेज मतलब पट्टी “,शिवेंन ने मुस्कुराते हुए कहा l


“हम अभी दवा लेकर आते है”,कहकर पाकीज़ा टेबल की तरफ बढ़ गयी ओर वहां से दवा ले आयी l
पाकिजा शिवेन के पास आई और धीरे से उसके माथे पर लगी बैंडेज को उतारा l वह शिवेन के बहुत करीब थी शिवेन का दिल तेजी से धडक रहा था l पाकिजा ने दवा निकाली और हल्के से शिवेन की चोट पर लगा दी l
“इसे बेडेज मत कीजिये खुला रहने दीजिए इस से ये जल्दी ठीक हो जाएगा”,पाकिजा ने शिवेन से कहा


“पर कैसे सूखेगा ?”,शिवेन आज अच्छे मूड में था उसे पाकिजा को परेशान करना अच्छा लग रहा था
“जी एक मिनिट “,कहकर पाकिजा उसके थोड़ा और पास आई और मुंह से उसके घाव पर फूंक मारने लगी l शिवेन को लगा जैसे अब उसका दिल धड़कने से मना कर देगा l पाकिजा की सांसो की महक उसके जहन में उतरती चली गयी उसने अपनी आंखें बंद कर ली और उस पल को दिल तक महसूस करने लगा l

पाकिजा शिवेन से दूर हुई और एक तरफ खड़ी हो गयी

“तुम पढ़ी लिखी हो ?”,शिवेन ने पूछा

“जी हां दसवी तक उसके बाद अब्बू ने स्कूल भेजने से मना कर दिया कहा कि घर रहकर घर के काम काज सीखो”,पाकिजा ने मसुमियत से कहा

“अब पढ़ना चाहती हो ?”,शिवेन ने अगला सवाल पूछा l

“पढ़ना तो चाहते है लेकिन………………….!”,पाकिजा कहते कहते रुक गयी

“मैं अगर तुम्हें पढाऊ तो पढ़ोगी ?”,शिवेन ने कहा

‘हा पर आप रोज रोज यहां क्यो आओगे ?”,पकीजा ने कहा

“तुम कह के तो देखो मैं रोज आने के लिए भी तैयार हूं”,शिवेन ने शरारत से कहा l

पाकिजा चुप हो गयी ओर शिवेन की आंखो में देखने लगी उन आंखो में पाकिजा को अपने लिए बहुत कुछ नजर आ रहा था l
पाकिजा को चुप देखकर शिवेन ने कहा ,”यहां आकर बैठो l
पाकिजा आकर बिस्तर के दूसरे किनारे पर बैठ गयी दोनो में बहुत बड़ा फासला था पर दोनों के दिल उस फासले को मिटाकर आगे बढ़ रहै थे l


शिवेन पाकिजा से उसकी पसन्द ना पसन्द के बारे में पूछने लगा देर रात तक दोनो एक दूसरे से बातें करते रहे l ओर फिर पाकिजा को नींद आ गयी शिवेन अभी भी जाग रहा था वह उठा और पास पड़ी चद्दर पाकिजा को ओढाकर उसका सर प्यार से सहला दिया l शिवेन टेबल की तरफ आया और कुर्सी खिसका कर उसपर बैठ गया l नींद उसकी आंखो से कोसो दूर थी शिवेन कुर्सी पर बैठा प्यार से सोती हुई पाकिजा को देखने लगा l


सारी रात उसने पाकिजा को देखते हुए गुजार दी l ओर रात के आखरी पहर में उसने महसूस किया कि उसे पाकिजा से प्यार हो गया है शिवेन मुस्कुराने लगा और टेबल पर सर लगाकर सो गया l
सुबह उसकी आंख जल्दी खुल गयी पाकिजा अभी भी सो रही थी l वह पाकिजा के पास आया और उसे प्यार से निहारने लगा l शिवेन थोड़ा सा नीचे झुका ओर उसने पाकिजा के माथे पर प्यार से किस किया और वहां से जाने लगा l

जाते हुए उसकी नजर टेबल पर रखी डायरी पर पड़ी सहँसा ही शिवेन के कदम उस ओर बढ़ गए उसने डायरी को खोला
डायरी पूरी खाली थी उसमें कुछ नही था शिवेन में टेबल पर पड़ा पेन उठाया और उसमें कुछ लिखकर डायरी को वापस टेबल पर रख दिया l

शिवेन वहां से चला गया l

पाकिजा उठी उसने देखा शिवेन वहां नही है l सूरज निकल चुका था वह उठी और खिड़की के पास आकर पर्दा हटा दिया बाहर से सूरज की किरणें आकर उसके चेहरे को चूमने लगी पाकिजा पलटी उसकी नजर डायरी पर पड़ी उसने उसे उठाया और खोला तो पाकिजा मुस्कुरा उठी l अम्माजी के पास आने के बाद पाकिजा पहली बार मुस्कुराई थी


डायरी के पहले पन्ने पर लिखा था
“मेरी पाकिजा”

Continue With Part Pakizah – 27

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